अक्सर ऐसा देखा जाता है कि कोई महिला मां (bacha rokne ke upay) बनना चाहती है, लेकिन शारीरिक या अन्य तरह के विकार के कारण वह मां नहीं बन सकती है। ऐसा कई विकारों के कारण होता है। ऐसा ही एक विकार गर्भपात है। अनेक महिलाओं को गर्भपात की समस्या हो जाती है। कई बार जब शुरुआती महीने में गर्भपात होता है तो अनेक महिलाओं को गर्भपात के लक्षण (garbhpat ke lakshan) को लेकर भ्रम की स्थिति हो जाती है। क्या आप भी गर्भपात की समस्या से परेशान हैं, और गर्भपात के कारण या गर्भपात रोकने के उपाय के बारे में जानना चाहती हैं। आईएसकेडी मेडीफिट (ISKD Medifit) के इस लेख के माध्यम से प्राचीन आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरूप बताएँगे गर्भपात क्यों होता है गर्भपात होने के क्या कारण होते हैं और गर्भपात का प्राचीन आयुर्वेदिक उपचार क्या हैं
गर्भावस्था यानी प्रेगनेंसी हर महिला के जीवन की खूबसूरत पलों में से एक होता है। गर्भधारण कर शिशु को जन्म देना दुनिया के सभी खास एहसासों में से एक है। गर्भावस्था के दौरान एक महिला अनेक बातों को ध्यान रखती है, लेकिन फिर कई बार कुछ कारणों से गर्भपात हो जाता है।
गर्भपात को अंग्रेजी में मिसकैरेज कहते हैं। गर्भपात का एक महिला पर मानसिक और शारीरिक रूप से बुरा असर पड़ता है। गर्भपात के ग़म से बाहर निकलना एक महिला के लिए बहुत कठिन होता है। गर्भपात के बाद दोबारा गर्भधारण करने के लिए महिला का भावनात्मक और शारीरिक रूप से तैयार होना आवश्यक है।
माना जाता है कि 80 प्रतिशत गर्भपात 0-13 सप्ताह में हो जाता है। अगर अनुवांशिक अनियमितता है तो गर्भपात 0-13 सप्ताह के बीच में हो जाता है। वहीं 0-6 सप्ताह में गर्भपात का ज्यादा खतरा होता है। इसलिए प्रसव से पहले होने वाले गर्भपात को रोकने के लिए यहां अनेक उपाय (garbh rokne ke upay) बताए जा रहे हैं। आप इन घरेलू उपाय से गर्भपात को रोकने में मदद पा सकती हैं। आइए इनके बारे में जानते हैं।
इस ब्लॉग में हम आपको गर्भपात को हिंदी में (Miscarriage meaning in Hindi) विस्तार से बताने वाले हैं। आइए गर्भपात के कारण, लक्षण और उपचार के बारे में जानते हैं।
गर्भपात क्या होता है (What is the meaning of miscarriage in Hindi)
गर्भावस्था के 20वें सप्ताह से पहले जब भ्रूण की मृत्यु हो जाती है तो उसे मेडिकल की भाषा में गर्भपात कहते हैं। जब किसी महिला को लगातार तीन या उससे अधिक बार गर्भपात होता है तो उसे रीकरंट मिसकैरेज यानी बार-बार गर्भपात होना कहते हैं।
प्रसव का समय से पहले गर्भ से बाहर आ जाना गर्भपात या गर्भस्राव कहलाता है। गर्भपात को अंग्रेजी में मिसकैरेज (Miscarriage) कहते हैं। चार महीने तक के गर्भ में मांस नहीं होता है, इसलिए इस अवधि में होने वाले गर्भपात में पीरियड की तरह ही योनि से सिर्फ खून निकलता है। जिसे गर्भपात या गर्भस्राव कहते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, हमारे शरीर में तीन तरह के दोष वात, पित्त, कफ होते हैं। जिनके असंतुलित होने के कारण शरीर में विभिन्न प्रकार के विकार पैदा होते हैं। इसी तरह गर्भपात में वात दोष का असंतुलन हो जाने से गर्भवती महिला का गर्भपात या गर्भस्राव होने की आशंका बढ़ जाती है।
गर्भपात के प्रकार (Types of Miscarriage in Hindi)
मुख्य रूप से गर्भपात को पांच भागों में बांटा गया है जिनमें निम्न शामिल हैं:-
- मिस्ड गर्भपात
- अधूरा गर्भपात
- पूर्ण गर्भपात
- अपरिहार्य गर्भपात
- संक्रामक गर्भपात
गर्भपात (गर्भ गिरने) होने के कारण (Reasons of Miscarriage in Hindi)
कभी-कभी गर्भपात, गर्भाशय (Uterus) की कमजोरी के कारण भी होता है। जिसे गर्भाशय ग्रीवा की क्षमता में कमी (Cervical Incompetence) कहा जाता है। जिसकी वजह से भ्रूण गर्भ में नहीं रुक पाता है। 80 प्रतिशत गर्भपात 0-13 सप्ताह में हो जाता है। अगर अनुवांशिक अनियमितता है तो गर्भपात 0-13 सप्ताह के बीच में हो जाता है। 0-6 सप्ताह में ज्यादा खतरा होता है। इन दिनों में गर्भपात होने की आशंका बहुत ज्यादा होती है जिसमें महिलाओं को पता नहीं चलता है कि वो प्रेग्नेंट है या मासिक धर्म की अनियमितता है। सर्विकल अपर्याप्तता की वजह से गर्भपात दूसरी तिमाही में हो जाता है।
- संक्रमण (Infection)
- हार्मोन की समस्याएं जैसे प्रोजेस्ट्रान की कमी या एस्ट्रोजन की अधिकता
- ब्लड शुगर और थायरायड जैसी बीमारियां
अब सवाल ये आता है आखिर बार-बार गर्भपात क्यों होता है। महिलाओं का इम्यून सिस्टम का कम होना गर्भपात होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इम्यून सिस्टम कम होने की वजह से गर्भवती महिलाएं संक्रमण रोग (Infecious disease) का शिकार हो जाती हैं। जिसके कारण गर्भपात हो सकता है।
हार्मोन्स-महिलाओं में कुछ हार्मोन्स जैसे; प्रोजेस्ट्रान, एस्ट्रोजन हार्मोन्स पाये जाते हैं जो गर्भ की रक्षा करते हैं। अगर गर्भिणी महिलाओं में ये हार्मोन्स असमान या असंतुलित हो जायें तो गर्भपात होने की आशंका बढ़ जाती है।
अधिक उम्र-महिलाओं की अधिक उम्र होने पर भी गर्भपात का जोखिम हो सकता है क्योंकि अंडाणु की खराब गुणक्ता का होना मुख्य कारण होता है। कभी-कभी माता-पिता के जीन (Genes) में अनियमितता हो जाती है। जिसके कारण गर्भाशय में बच्चा अधिक गंभीर हो जाता है और गर्भपात हो जाता है।
अनुवांशिक अनियमितता-क्रोमोसोम (Chromosoms) का अनियमित होना बार-बार गर्भपात होने का मुख्य कारण होता है।
ब्लड-ग्रुप– अगर गर्भवती महिला का ब्लड ग्रुप आर.एच निगेटिव (Rh(-)) है और बच्चे का ब्लड ग्रुप आर.एच पोजिटिव (Rh(+)) है तो गर्भपात की समस्या आ सकती है क्योंकि बच्चे की रक्त कोशिका (Blood Cells) माँ के खून से नहीं मिल पाती है जिसके कारण गर्भपात होने की आशंका बढ़ जाती है। कुछ महिलाएं गर्भावस्था में खून की कमी का शिकार हो जाती हैं जिसकी वजह से गर्भपात हो जाता है।
इनके अलावा ये भी कारण होते हैं-
- ज्यादा एंटीबायोटिक (Antibiotics) लेना
- धूम्रपान
- ज्यादा मात्रा में कैफीन युक्त पदार्थ लेना
- एल्कोहल पीना आदि।
गर्भपात क्यों होता है (Miscarriage Reasons in Hindi)
गर्भपात के कई कारण होते हैं। गर्भपात के मुख्य कारणों में खानपान पर ध्यान नहीं देना, पेट पर भार देना, पेट में चोट लगना या योनि में इंफेक्शन होना आदि शामिल हैं।
इन सबके अलावा भी गर्भपात के दूसरे कई कारण हो सकते हैं जैसे कि:-
- क्रोमोसोमल असामान्यता — जब माता-पिता या दोनों में से किसी एक के क्रोमोसोम में किसी प्रकार की असमानता होती है तो गर्भपात का खतरा होता है।
- प्रतिरक्षा संबंधित समस्याएं — कई बार प्रतिरक्षा से संबंधित समस्याएं भी गर्भपात का कारण बन सकती हैं। प्रतिरक्षा संबंधित समस्याएं जैसे कि एलर्जी और अस्थमा या ऑटो इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम की समस्याओं के कारण गर्भाशय में भ्रूण का स्थानांतरण (इम्प्लांटेशन) नहीं होता है।
- एंडोक्रिनोलॉजिकल डिसऑर्डर — डॉक्टर का कहना है कि एंडोक्रिनोलॉजिकल डिसऑर्डर जैसे कि थायराइड, डायबिटीज, ऑस्टियोपोरोसिस और कुशिंग सिंड्रोम के कारण भी गर्भपात हो सकता है।
- अंडा या स्पर्म की गुणवत्ता में कमी — अंडा या स्पर्म की क्वालिटी बेहतर नहीं होने पर गर्भपात का खतरा हो सकता है। डॉक्टर के मुताबिक, स्पर्म की संख्या भी स्वस्थ गर्भावस्था में बड़ी भूमिका निभाता है।
- गर्भाशय की समस्या — जब गर्भाशय का आकार उचित नहीं होता है या उसमें किसी तरह की कोई समस्या या बीमारी होती है तो गर्भपात की संभावना होती है।
- पीसीओडी या पीसीओएस — पॉलिसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर (पीसीओडी) या पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) से पीड़ित महिला में गर्भपात का खतरा होता है।
इन सबके अलावा, मिसकैरेज के दूसरे भी अनेक कारण हो सकते हैं जैसे कि योनि या श्रोणि में संक्रमण होना, महिला की उम्र 35 वर्ष से अधिक होना, शराब और/या सिगरेट का सेवन करना, मोटापा आदि।
गर्भपात (गर्भ गिरने) होने के लक्षण (Miscarriage Symptoms in Hindi)
गर्भाशय ग्रीवा की कमजोरी के कारण होने वाले गर्भपात के लक्षण हैं-
महिला को अचानक गर्भाशय में दबाव महसूस (garbhpat ke lakshan) होने लगता है जिसके कारण बच्चेदानी फट जाती है और पानी निकलने लगता है। जिस दौरान भ्रूण दर्द के बिना गर्भ से बाहर निकल जाता है।
गर्भपात के कुछ खास लक्षण होते हैं जिसकी मदद से एक महिला को इस बात का अंदाजा लग सकता है कि उसकी प्रेगनेंसी का गर्भपात हो रहा है या हो चुका है। मिसकैरेज के निम्न लक्षण हो सकते हैं:-
- योनि से रक्तस्राव होना
- पेट या पीठ के निचले हिस्से में दर्द और ऐंठन होना
- योनि से तरल पदार्थ का डिस्चार्ज होना
- योनि से उत्तक का डिस्चार्ज होना
- रक्तस्राव के दौरान खून के थक्के आना
- गर्भावस्था के लक्षणों का कम होना यानी स्तनों में दर्द और उल्टी कम होना या न होना
अगर आप इन लक्षणों को खुद में अनुभव करती हैं तो आपको तुरंत स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए।
गर्भपात से बचने के उपाय (How to Prevent Miscarriage)
गर्भपात होने के संभावना को कम करने के लिए आहार और जीवनशैली पर ध्यान देने की जरूरत होती है। चलिये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
आहार और जीवनशैली में बदलाव :
विटामिन सी- विटामिन सी किसी भी इन्सान के लिए काफी अहम होता है, क्योंकि यह विटामिन आपके शरीर की इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत बनाता है, लेकिन अक्सर नेचुरली एबार्शन (गर्भपात) करने के लिए विटामिन-सी का इस्तेमाल करने के लिए सलाह दी जाती है। ऐसा माना जाता है कि अगर गर्भिणी को बहुत ज्यादा मात्रा में विटामिन-सी का सेवन कराया जाय तो खुद ब खुद गर्भपात हो जाता है। अगर किसी गर्भिणी को विटामिन-सी वाले फल खासकर आँवला का सेवन अधिक मात्रा में करें तो गर्भपात होने की पूरी संभावना हो जाती है। इसलिए विटामिन सी युक्त आहार का बहुत अधिक मात्रा में सेवन ना करें।
पुदीना– पुदीने का तेल या पुदीने की चाय का रोज सेवन करने से गर्भपात हो सकता है। इसलिए गर्भावस्था में इनके सेवन से परहेज करें।
पपीता और अनानास- गर्भपात के लिए पपीते के बारे में आप सभी ने सुना होगा क्योंकि हर गर्भवती स्त्री को ये सलाह दी जाती है कि वो पपीते से दूर रहे वरना उन्हें भी गर्भ से जुड़ी समस्या हो सकती है क्योंकि पपीते और अनानास में पपेन नाम का रसायन पाया जाता है जो गर्भपात को बढ़ावा देता है। इसलिए प्रेग्नेन्सी के समय पपीता व अनानास नहीं खाना चाहिए।
ग्रीन टी- ग्रीन-टी का इस्तेमाल तो आजकल हर घर में होता है क्योंकि ग्रीन टी या हरी चाय से शरीर में कई फायदे होते हैं जैसे कि वजन कम करना, शरीर को चुस्त रखना हृदय को स्वस्थ रखना आदि। लेकिन अगर इसका इस्तेमाल गर्भवती स्त्रियाँ करती हैं तो गर्भपात होने की संभावना हो जाती है।
कम फाइबर स्टार्च- इंस्टेट चावल,अण्डा, नूडल्स खाने से परहेज करें।
वसायुक्त पदार्थ – मक्खन और पनीर खाने से बचें।
जंकफूड- जंकफूड जैसे; पिज्जा, बर्गर, कोल्ड्रिंक्स, पेस्ट्री आदि हो सके तो बिल्कुल न खाए।
मिठाई-उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले मीठे खाद्य पदार्थों से बचे क्योंकि वे रक्त में शर्करा या ग्लूकोज के स्तर को कम कर सकते हैं।
गर्भपात की संभावना को कम करने के लिए स्वयं को गर्भावस्था के लिए समय पहले तैयार करना बहुत महत्वपूर्ण हैं।
- गर्भधारण के लिए शरीर को तैयार करें।
- प्रजनन क्षमता बढ़ाने वाले पौष्टिक आहार अधिक मात्रा में खाना चाहिए।
- अपने पेट की मालिश हल्के हाथ से रोज करें।
- दिमाग को तनाव से दूर रखें और शरीर को पूरी तरह से आराम दें।
- रोज 600 आई.यू विटामिन-ई युक्त पदार्थ को ज्यादा खाए, यदि आपको हाई बी.पी., हृदय रोग या शुगर है तो केवल 50 आई.यू विटामिन-ई ले।
- ज्यादा भारी समान को न उठाएं।
- जंकफूड, तेल, मिर्च मसाला वाला खाना बिल्कुल न खाएं।
- नियमित रूप से चेकअप करायें।
- स्वस्थ भोजन करें।
गर्भपात को रोकने के घरेलू उपाय (Home Remedies to Prevent Miscarriage in Hindi)
गर्भपात को रोकने के लिए कुछ घरेलू उपाय कभी-कभी मदद करते हैं। चलिये कुछ प्रमुख घरेलू उपायों के बारे में जानते हैं।
गर्भपात रोकने का घरेलू उपाय हींग से (Asafoetida: Home Remedies to Prevent Miscarriage in Hindi)
प्रेग्नेंसी में महिलाओं को अपने खाने में हींग का प्रयोग करना चाहिए। जिससे महिलाओं में गर्भपात की समस्या कम (bacha rokne ke upay) हो जाती है इसलिए शुरुआती महीनों में महिलाओं को गर्भपात के खतरे से बचने के लिए हींग को अपने खाने में शामिल करना चाहिए।
अनार का पत्ता गर्भपात रोकने में करे मदद (Pomegranate Leaves: Home Remedies to Prevent Miscarriage in Hindi)
अगर अचानक से महिला को रक्तस्राव (खून) बहने लगा हो तो अनार के ताजा पत्ते (100 ग्राम) लेकर पानी मिलाकर अच्छी तरह से पीसकर छान लें। छने हुए पानी या जूस को गर्भवती महिला को पिला दीजिए। छने हुए पानी के बाद बचे हुए लेप को पेट के नीचे भाग यानि पेडू पर लगा दे। ऐसा करने से रक्तस्राव या खून बहना रुक जायेगा।
संतुलित मात्रा में करें विटामिन सी का सेवन (Vitamin C: Home Remedies to Prevent Miscarriage in Hindi)
प्रेंग्नेंसी के समय महिलाओं को विटामिन-सी की बहुत जरूरत होती है। क्योंकि ये आयरन की कमी को पूरा करता है और भ्रूण का विकास होने में मदद करता है। शिशु की इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत बनाता है। जैसे; पत्ता गोभी, टमाटर, स्ट्रॉबेरी, संतरा आदि खाना चाहिए लेकिन इस बात का हमेशा ध्यान में रखें कि विटामिन-सी का इस्तेमाल बहुत अधिक मात्रा में ना करें।
गाजर का सेवन गर्भपात रोकने में फायदेमंद (Carrot Juice: Home Remedies to Prevent Miscarriage in Hindi)
गर्भावस्था में एक गिलास दूध में एक गाजर का रस मिलाकर उबालें, जब आधा रह जाए तो इसे गर्भवती महिला को पीने के लिए देना चाहिए। इसका प्रयोग प्रतिदिन करना फायदेमंद होता है। जिन महिलाओं का गर्भ नहीं ठहर रहा हो वह इस नुस्खे को आजमा सकते हैं,इससे अवश्य फायदा मिलेगा। यह नुस्खा बहुत-सी महिलाओं के लिए कारगर साबित हुआ है।
काला चना का सेवन गर्भपात रोकने में फायदेमंद (Gram: Home Remedies to Prevent Miscarriage in Hindi)
गर्भपात का भय अगर लगातार बना रहता है तो ऐसे हालात में काले चने का काढ़ा बहुत लाभप्रद होता है। यह भी गर्भपात की संभावनाओं को टालता है।
गर्भपात रोकने के लिए सोंठ का इस्तेमाल (Dry Ginger Mixture: Home Remedy to Prevent Miscarriage in Hindi)
गर्भधारण करते ही महिलाओं को रोजाना 250 ग्राम दूध में आधी चम्मच सौंठ, चौथाई चम्मच मुलहठी मिलाकर पीने से भी गर्भपात का खतरा नहीं रहता है।
पलाश के पत्तों से गर्भपात पर रोक (Palas: Home Remedy to Prevent Miscarriage in Hindi)
गर्भधारण के लिए पलाश के पत्ते वरदान से कम नहीं है। गर्भधारण के पहले महीने में एक पत्ता, दूसरे महीने में दो पत्ते इसी तरह हर महीने के हिसाब से उतने पत्ते दूध में मिलाकर गर्भवती स्त्री को दिया जाए तो गर्भ सुरक्षित रहता है।
गर्भपात को रोकें लौकी के जूस से (Bottel Gourd: Home Remedy to Prevent Miscarriage in Hindi)
जिन महिलाओं को बार-बार गर्भपात की समस्या होती है उन महिलाओं को नियमित तौर पर लौकी का जूस या सब्जी खिलानी चाहिए।
गर्भपात रोकने में फिटकरी से मदद (Alum; Home Remedy to Prevent Miscarriage in Hindi)
जिन महिलाओं को गर्भावस्था के कुछ समय बाद खून आने लगता है। जिनके कारण गर्भपात होने का अंदेशा लगता है तो उस समय एक चम्मच पिसी हुई फिटकरी को कच्चे दूध के साथ पानी मिलाकर लेने से गर्भपात रुक जाता है।
गर्भपात रोकने में सहायक है धतूरा (Dhatura: Home Remedies to Prevent Miscarriage in Hindi)
गर्भवती स्त्रियों में धतूरे के जड़ की माला बनाकर पेट के नीचे बाँध देना चाहिए। ऐसा करने से बार-बार हो रहे गर्भपात की समस्या कम हो जाती है।
जौ का सेवन गर्भपात रोकने में फायदेमंद (Barley: Home Remedy to Prevent Miscarriage in Hindi)
12 ग्राम जौ के आटे को 12 ग्राम पिसे काले तिल और 12 ग्राम पिसी मिश्री मिलाकर आधा-आधा चम्मच रोज शहद के साथ चाटने को दें। इससे बार-बार होने वाला गर्भपात रुक जाता है।
गर्भपात का निदान कैसे किया जाता है (Diagnosis of Miscarriage in Hindi)
गर्भपात की जांच को कई तरह से किया जाता है जिनमें निम्न शामिल हैं:-
- पेल्विक की जांच — इस जांच के दौरान डॉक्टर मरीज के गर्भाशय ग्रीवा यानी सर्विक्स की जांच करते हैं।
- अल्ट्रासाउंड — अल्ट्रासाउंड के दौरान डॉक्टर भ्रूण के दिल की धड़कन की पुष्टि करते हैं कि भ्रूण सामान्य रूप से विकसित हो रहा है या नहीं।
- खून की जांच — खून जांच के दौरान डॉक्टर रक्त में ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन के स्तर की पुष्टि करते हैं।
- उत्तक की जांच — इस प्रक्रिया के दौरान डॉक्टर गर्भाशय ग्रीवा से बाहर निकलने वाले उत्तक की जांच करते हैं।
- क्रोमोसोम की जांच — इस जांच के दौरान डॉक्टर क्रोमोसोम से संबंधित समस्या की पुष्टि करते हैं। इसके लिए खून की जांच की जाती है।
गर्भपात का उपचार (Miscarriage Treatment in Hindi)
अगर लक्षणों के आधार पर या जांच के दौरान डॉक्टर को इस बात की आशंका होती है कि गर्भपात का खतरा है तो सबसे पहले डॉक्टर गर्भपात को रोकने की कोशिश करते हैं। गर्भपात के उपचार का उद्देश्य ब्लीडिंग को कम करना और संक्रमण एवं दूसरे संभावित खतरों को रोकना होता है।
गर्भपात या मिसकैरेज का इलाज कई तरह से किया जाता है जिसमें सर्जरी, हेपरिन और एस्पिरिन, प्रोजेस्टेरोन और आईवीएफ आदि शामिल हैं। सर्जरी की मदद से गर्भाशय की समस्याओं का इलाज किया जाता है।
खून के थक्कों को दूर करने के लिए डॉक्टर हेपरिन और एस्पिरिन दवाएं निर्धारित करते हैं। साथ ही, डॉक्टर प्रोजेस्टेरोन दवाओं और सप्लीमेंट्स के उपयोग का भी सुझाव दे सकते हैं, क्योंकि यह गर्भावस्था को बनाए रखने के लिए आवश्यक हार्मोन है।
इन सबके अलावा, गर्भपात के बाद दोबारा गर्भधारण करने के लिए आईवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन का उपयोग किया जा सकता है। जिन दंपतियों को प्राकृतिक तरह से गर्भधारण करने में समस्या होती है उनके लिए आईवीएफ एक वरदान की तरह है।
गर्भपात को रोकने के प्राकृतिक तरीके (Natural Ways to Prevent Miscarriage)
जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि गर्भवस्था नौ महीने की एक लंबी प्रक्रिया है जिसके दौरान महिला को अनेक और खासकर अपने दैनिक जीवन और खान-पान पर ख़ास ध्यान देने की आवश्यकता होती है। स्त्री प्रसूति रोग विशषज्ञ के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान अपनी जीवनशैली और डाइट पर ध्यान देकर गर्भपात के खतरे को कम से कम — यहाँ तक की खत्म भी किया जा सकता है।
गर्भपात के खतरे को दूर करने के लिए निम्नलिखित प्राकृतिक तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है:
- विटामिन सी से भरपूर चीजों का अत्यधिक मात्रा में सेवन न करें
- पुदीना के तेल या पुदीना की चाय का रोजाना सेवन नहीं करें
- ग्रीन टी का सेवन न करें
- वसायुक्त पदार्थ जैसे कि मक्खन और पानी से बचें
- भरी सामान न उठाएं
- नियमित रूप से अपना जांच करवाते रहें
- जंकफूड जैसे कि पिज्जा, बर्गर, कोल्डड्रिंक्स, पेस्ट्री आदि को ना कहें
- कम फाइबर स्टार्च वाले पदार्थ जैसे कि इंस्टेंट चावल, अंडा और नूडल्स आदि का परहेज न करें
इन सबके अलावा, पपीता और अनानास का सेवन न करें, क्योंकि इनमें पपेन नमक रसायन होता है जिससे गर्भपात का खतरा बढ़ता है।
गर्भपात की संभावना को कम करने के लिए महिला को अपने शरीर पर ख़ास ध्यान देना चाहिए। गर्भपात का अधिकतर खतरा गर्भवस्था के पहले महीने में होता है। इसलिए जैसे ही महिला को इस बात का पता चले कि वह गर्भवती है उसे तुरंत स्त्री प्रसूति रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए, क्योंकि 80% मामलों में गर्भपात गर्भावस्था के शुरुआती महीने में होता है।
मिसकैरेज होना कितना आम है? (How common is miscarriage in Hindi)
दुर्भाग्यवश, गर्भावस्था की शुरुआत में गर्भपात होना काफी आम है। अधिकांश गर्भपात प्रेगनेंसी के पहले 12 हफ्तों में होते हैं। बहुत से निषेचित डिंब गर्भावस्था की एकदम शुरुआत में ही समाप्त हो जाते हैं, तब तक गर्भावस्था की पुष्टि भी नहीं होती। गर्भावस्था जांच पॉजिटिव आने के बाद करीब 10 से 20 प्रतिशत गर्भावस्थाएं गर्भपात की वजह से समाप्त हो जाती हैं।
गर्भावस्था के बाद के चरण में गर्भपात इतने आम नहीं हैं। ऐसा केवल दो प्रतिशत गर्भावस्थाओं में होता है। प्रेगनेंसी के बाद के चरण में गर्भपात को सहन कर पाना बहुत मुश्किल हो सकता है। इस चरण पर बहुत से माता-पिता के लिए यह केवल गर्भपात नहीं बल्कि अपने शिशु की मौत होती है, जिसके गम से उबर पाना उनके लिए बेहद मुश्किल होता है।
किन स्थितियों में गर्भपात होने का खतरा बढ़ जाता है? (In which situations does the risk of miscarriage increase)
गर्भपात कभी-कभार उन महिलाओं के साथ होता है जो एकदम स्वस्थ होती हैं और इसलिए इसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया जा सकता। प्रेगनेंसी की शुरुआत में होने वाले गर्भपातों में तो खासतौर पर ऐसा होता है। गर्भपात किसी भी गर्भवती महिला के साथ हो सकता है, मगर कुछ ऐसे कारण हैं जो इसकी संभावना बढ़ा देते हैं, जैसे कि:
आपकी उम्र
अधिक उम्र की महिलाओं में गुणसूत्रीय असामान्यताओं वाले शिशु का गर्भधारण करने की संभावना ज्यादा होती है और परिणामस्वरूप गर्भपात की आशंका भी ज्यादा रहती है। वास्वत में 40 साल या इससे अधिक उम्र की महिलाओं को 20 साल की महिला की तुलना में गर्भपात की संभावना दोगुनी होती है। आपके गर्भपात का खतरा हर बार गर्भधारण के साथ और ज्यादा बढ़ता जाता है।
आपके पति की उम्र का भी इस बात पर असर होता है। यदि महिला की उम्र 35 साल से अधिक हो और पुरुष की उम्र 40 साल से ज्यादा हो तो गर्भपात की संभावना सबसे ज्यादा होती है।
आपकी सेहत
कुछ स्वास्थ्य स्थितियों की वजह से गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है, विशेषतौर पर यदि उनका उचित चिकित्सकीय उपचार न करवाया जा रहा हो तो। निम्नांकित परिस्थितियों में आपको उचित चिकित्सकीय देखभाल की जरुरत होगी:
- आपका वजन सामान्य से काफी ज्यादा है
- आपको मधुमेह (डायबिटीज) है
- आपको उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) है
- आपको सीलिएक रोग है
- आपको ल्युपस है
- आपको गुर्दे संबंधी समस्याएं हैं
- आपको थायरॉइड की समस्या है
यदि किसी स्वास्थ्य स्थिति का असर आपके खून के थक्के जमने (ब्लड-क्लॉटिंग) के तरीकों पर पड़ता है, तो उसकी वजह से भी गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। स्टिकी ब्लड सिंड्रोम, जिसे एंटिफॉस्फोलिपिड सिंड्रोम या ह्यूज़ सिंड्रोम भी कहा जाता है, उसकी वजह से भी बार-बार गर्भपात हो सकता है। पता चलने पर इसका उपचार किया जा सकता है।
इसी तरह की एक अन्य अनुवांशिक ब्लड-क्लॉटिंग स्थिति थ्रोम्बोफिलिया भी है, जिसे गर्भपात के साथ जोड़ा जाता है।
गर्भाशय की कुछ असामान्यताओं की वजह से भी गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है।
गर्भावस्था में यदि किसी इनफेक्शन जैसे कि फ्लू या भोजन विषाक्तता की वजह से आप बहुत ज्यादा बीमार हो जाएं, तो यह गर्भपात की वजह बन सकता है। कुछ अन्य इनफेक्शन जो गर्भावस्था में समस्या पैदा कर सकते हैं उनमें शामिल हैं लिस्टिरियोसिस, टोक्सोप्लाज्मोसिस और क्लामाइडिया आदि।
आपके हॉर्मोनों को प्रभावित करने वाली स्वाथ्य स्थितियां जैसे कि पॉलिसिस्टिक ओवरी को भी बार-बार गर्भपात या बाद के चरण में होने वाले गर्भपात की वजह माना गया है।
कुछ दवाएं
कुछ दवाएं जैसे कि आईबुप्रोफेन से मिसकैरेज का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए गर्भावस्था में कोई भी दवा लेने से पहले हमेशा डॉक्टर से पूछ लें। इनमें बिना डॉक्टरी पर्ची के मिलने वाली दवाएं या गर्भावस्था से पहले ली जाने वाले दवाएं भी शामिल हैं।
आपकी जीवनशैली
आपकी जीवनशैली के अधिकांश तरीकों का गर्भपात पर असर नहीं पड़ता मगर ऐसी कुछ चीजें हैं, जो गर्भपात के खतरे को बढ़ा देती हैं, जैसे कि:
- सामान्य से बहुत ज्यादा वजन
- अत्याधिक कैफीन का सेवन (ब्लैड एंड ग्रीन टी, कॉफी, चॉकलेट और कई तरह के सोडायुक्त नॉन—एल्कोहॉलिक पेयों के सेवन से)
- धूम्रपान करना
- बहुत ज्यादा शराब पीना
- कोकेन जैसे गैरकानूनी ड्रग्स लेना
यदि मुझे लगे कि मेरा गर्भपात हो गया है, तो क्या करना चाहिए? (What should I do if I think I have had a miscarriage)
यदि गर्भावस्था के दौरान आपको रक्तस्त्राव या मरोड़ जैसे असामान्य लक्षण महसूस हों तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर जांच करके पता लगाएंगी कि क्या रक्तस्त्राव ग्रीवा से हो रहा है और वे गर्भाशय की भी जांच करेंगी। वे अल्ट्रासाउंड करके यह भी पता लगाएंगी कि गर्भ के भीतर क्या हो रहा है।
यदि गर्भावस्था की शुरुआत में आपको रक्तस्त्राव या मरोड़ हो और डॉक्टर को एक्टोपिक गर्भावस्था की आशंका हो तो वे आपको तुरंत अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए कहेंगी। यदि किसी समस्या का पता न चले और खून के धब्बे आना जारी रहे तो आपको कुछ दिनों बाद फिर से अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए कहा जाएगा।
यदि आपकी प्रेगनेंसी सात सप्ताह की है और स्कैन में भ्रूण की सामानय धड़कन दिखाई दे रही है, तो आपकी गर्भावस्था जीवनक्षम है। आपको जो खून के धब्बे आ रहे थे वे शायद गर्भावस्था की शुरुआत में होने वाले आम धब्बे हैं, जो बहुत सी महिलाओं को आते हैं। ये आमतौर पर नुकसानदेह नहीं होते। डॉक्टर आपको दोबारा मिलने के लिए तभी कहेंगी जब कुछ दिनों बाद भी स्पॉटिंग बंद न हो या फिर आपको अन्य कोई चिंताजनक लक्षण महसूस हों।
यदि भ्रूण में दिल की धड़कन न हो और उसका माप गर्भावस्था के सप्ताह के अनुसार उचित हो, तो इसका मतलब है कि भ्रूण जीवित नहीं रह पाया। यदि भ्रूण आपकी गर्भावस्था के सप्ताह के अनुसार छोटा था, तो इसका मतलब हो सकता है कि आपकी गर्भावस्था अभी इतनी आगे नहीं बढ़ी थी जितना ही आप सोच रही थीं। ऐसी स्थिति में आपको शायद एक सप्ताह में दोबारा अल्ट्रासाउंड करवाना होगा, ताकि सुनिश्चित हो सके कि शिशु का विकास हो रहा है और उसका दिल भी धड़क रहा है।
यदि आपकी दूसरी तिमाही चल रही है और अल्ट्रासाउंड स्कैन में पता चले कि ग्रीवा छोटी हो रही है या खुल रही है तो डॉक्टर शायद सरक्लॉज प्रक्रिया करने का निर्णय ले सकती हैं। इसमें वे आपकी ग्रीवा में टांके लगाकर इसे बंद कर देंगी ताकि गर्भपात या समस से पहले प्रसव को रोका जा सके। वे ऐसा तभी करेंगी जब अल्ट्रासाउंड स्कैन में आपके शिशु का स्वास्थ्य ठीक लग रहा हो और आपको इंट्रायूटेरीन इनफेक्शन के कोई लक्षण न हों।
यदि आपके गर्भपात होने के संकेत लगें तो डॉक्टर इसकी संभावना कम करने के लिए आपको संपूर्ण बेडरेस्ट के लिए कर सकती हैं। जब तक आपको रक्तस्त्राव या मरोड़ हो रहे हों, तब तक डॉक्टर आपको संभोग (सेक्स) न करने की सलाह दे सकती हैं। सेक्स की वजह से गर्भपात नहीं होता, मगर ऐसे लक्षण होने पर बेहतर है कि आप अभी प्रेम संबंध न बनाएं।
यदि आपका गर्भपात हो रहा हो तो ब्लीडिंग और मरोड़ और ज्यादा बढ़ जाएंगे। यदि आपको दर्द हो तो राहत के लिए आप एसीटामिनोफेन दवा ले सकती हैं। रक्त सोखने के लिए टेम्पॉन का इस्तेमाल न करे। इनफेक्शन से बचने के लिए बेहतर है कि आप सैनिटरी पैड का इस्तेमाल करें।
इस चरण पर डॉक्टर गर्भाशय से गर्भावस्था के उत्तक निकालने के लिए सक्शन क्युरेटेज या डाइलेशन एंड क्यूरेटाज (डी एंड सी) प्रक्रिया करवाने की सलाह देंगी। इस प्रक्रिया से सुनिश्चित होता है कि गर्भाशय में कोई उत्तक बाकी न रह जाए और भारी रक्तस्त्राव को रोका जा सके।
यदि मिसकैरेज के बाद भी रक्तस्त्राव शुरु नहीं हुआ हो तो क्या होगा? (What if bleeding has not started even after miscarriage)
यदि अल्ट्रासाउंड स्कैन में साइलेंट मिसकैरेज का पता चलता है और आप गर्भावस्था के पहले सप्ताह में हों तो डॉक्टर गर्भावस्था समाप्त करने के लिए आपको गोली लेने के लिए कह सकती हैं। इससे आपको रक्तस्त्राव शुरु हो जाएगा और ये ऐसा होगा जैसा माहवारी देर से आने पर होता है।
यदि आपकी गर्भावस्था का पहला हफ्ता गुजर चुका है तो डॉक्टर आपको जल्द से जल्द गर्भाशय की सफाई के लिए डीएंडसी करवाने की सलाह देंगी।
यदि आपको भारी रक्तस्त्राव हो या इनफेक्शन के संकेत लग रहे हों और इस वजह से इंतजार करना सुरक्षित न हो तो गर्भाशय से उत्तकों को तुरंत निकालना होगा। साथ ही यदि यह लगातार आपका दूसरा या तीसरा गर्भपात है तो डॉक्टर डी एंड सी प्रक्रिया तुरंत करवाने की सलाह देंगी, ताकि उत्तकों की जेनेटिक कारणों के लिए जांच की जा सके।
गर्भपात हो जाने के बाद क्या होगा? (What will happen after abortion)
यदि आपके उत्तक अपने आप निकल जाएं या आपको इन्हें निकलवाना पड़े, दोनों ही स्थितियों में आपको बाद में एक-दो दिन तक माहवारी जैसे हल्के मरोड़ महसूस होंगे और एक या दो हफ्तों तक हल्का रक्तस्त्राव भी रहेगा। जब तक रक्तस्त्राव जारी रहे, डॉक्टर आपको संभोग न करें या अपनी योनि के आसपास कोई भी उत्पाद न लगाने की सलाह दे सकती हैं।
रक्तस्त्राव अंतत: रुक जाएगा और चार से छह हफ्तों बाद आप आपका सामान्य माहवारी चक्र लौट आएगा।
यदि आपको बहुत ज्यादा रक्तस्त्राव होने लगे (एक घंटे में एक सैनिटरी पैड लगे), इनफेक्शन के संकेत हों (बुखार, बदन दर्द या योनिस्त्राव से दुर्गंध) या फिर अत्याधिक दर्द हो तो तुरंत डॉक्टर से बात करें क्योंकि ऐसी स्थिति में आपको तुरंत चिकित्सकीय देखभाल की जरुरत होगी।
बार-बार गर्भपात क्यों होता है और इससे गर्भधारण की संभावना पर कितना असर पड़ता है? (Why do miscarriages occur frequently and how much does it affect the chances of pregnancy)
यदि आपका लगातार तीन या इससे ज्यादा बार गर्भपात हुआ हो, तो डॉक्टर इसे अंग्रेजी में रिकरंट मिसकैरेज कहते हैं। यदि आपके साथ ऐसा हो तो डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। दुर्भाग्यवश, यह सच है कि हर गर्भपात के साथ आपका फिर से गर्भपात होने का खतरा थोड़ा बढ़ता जाता है।
यदि आपके पहले तीन से ज्यादा शुरुआती गर्भपात या फिर दूसरी तिमाही में गर्भपात हुए हैं, तो आपकी अतिरिक्त देखभाल की जाएगी और अतिरिक्त स्कैन भी कराए जाएंगे।
अक्सर, बार-बार गर्भपात झेलने वाली बहुत सी महिलाओं में इसके कारणों का पता नहीं चल पाता है। यदि रिकरंट मिसकैरेज के कारण का पता न लग पाए, तो इसका मतलब यह भी हो सकता है कि अगली बार गर्भावस्था सफल रहने की संभावना है। हालांकि, यह आपकी उम्र और आपके पिछले गर्भपातों की संख्या पर भी निर्भर करता है।
विशेषज्ञ यह जानने के प्रयास में लगे हैं कि बार-बार गर्भपात होने के क्या कारण हो सकते हैं। जो स्थितियां रिकरंट मिसकैरेज का संभावित कारण मानी जाती हैं, वे अक्सर एक जैसी नहीं होती। खून के थक्कों से जुड़े विकार थ्रोम्बोफिलिया और एंटीफॉस्फोलिपिड सिंड्रोम (एपीएस) को रिकरंट मिसकैरेज से जोड़ा जाता है। एपीएस को स्टिकी ब्लड सिंड्रोम या ह्यूज़ सिंड्रोम भी कहा जाता है। इसके अलावा आपकी उम्र, आनुवांशिक समस्याएं, ग्रीवा से जुड़े विकार, योनि संक्रमण, हॉर्मोन संबंधी समस्याएं या जीवनशैली से जुड़े कारण भी इसकी वजह हो सकते हैं।
इन सभी संभावित कारणों के बावजूद अक्सर रिकरंट मिसकैरेज के कारण का पता नहीं लग पाता। इसे अंग्रेजी में अनएक्स्प्लेन्ड (अस्पष्ट) रिकरंट मिसकैरेज कहते हैं। कारण का पता लगाने के लिए डॉक्टर आपकी खून की जाचें और अल्ट्रासाउंड स्कैन करवा सकती हैं।
बिना किसी कारण रिकरंट मिसकैरेज झेलने वाली अधिकांश महिलाएं उचित सहयोग और देखभाल से अंतत: स्वस्थ शिशु को जन्म दे पाती हैं।
गर्भपात के बाद दोबारा गर्भधारण के प्रयास कब शुरु करने चाहिए? (When should one start trying to conceive again after abortion)
आप गर्भपात के बाद नियमित माहवारी शुरु होने से दो हफ्ते पहले दोबारा जननक्षम हो सकती हैं। ऐसा उस स्थिति में संभव है जब आपके साथ प्रजनन क्षमता को प्रभावित करने वाली कोई स्वास्थ्य समस्या न रही हो।
दोबारा गर्भधारण के प्रयास शुरु करने से पहले यह सुनिश्चित कर लेना बेहतर है कि आपको कोई इनफेक्शन तो नहीं हुआ है और आपकी सेहत एकदम सही है। बहुत से डॉक्टर मिसकैरेज के बाद दोबारा गर्भधारण के प्रयास शुरु करने के लिए कम से कम दो संपूर्ण माहवारी चक्र गुजरने तक का इंतजार करने के लिए कहते हैं। ऐसा इसलिए ताकि आपके शरीर को फिर से ताकत पाने का समय मिल सके। हालांकि, आपके गर्भपात के कारण, आपकी उम्र और सेहत को देखते हुए यह इंतजार और लंबा भी हो सकता है।
जब आप दोबारा गर्भधारण के प्रयास के लिए तैयार हो, तो आप शायद इस बात को लेकर चिंतित हो कि कहीं ऐसा दोबारा भी न हो जाए। आपको यह जानकार तसल्ली होगी कि अधिकांश महिलाएं भविष्य में स्वस्थ शिशु को जन्म देंती हैं।
गर्भपात से उबरने में मुझे बहुत मुश्किल हो रही है। मुझे कहां से मदद मिल सकती है? (I am having a very difficult time recovering from the miscarriage. Where can I get help)
गर्भपात चाहे शुरुआती चरण में हुआ हो, मगर इससे उबरना आपके लिए बेहद दुखदाई और भावनात्मक तौर पर असहनीय हो सकता है। आपके लिए गर्भपात से उबर पाना मुश्किल हो सकता है, इसलिए आपको धैर्य रखना होगा और किसी भी चीज में जल्दबाजी न करें।
आपके पति और परिवारजनों के लिए भी इस घटना से उबर पाना मुश्किल हो सकता है। दुख कम होने या खत्म होने का कोई तय समय नहीं है। हो सकता है यह आपकी और अन्य लोगों की उम्मीद से ज्यादा जारी रहे।
निम्नांकित सुझाव आपको इस सदमे से उबरने में मदद कर सकते हैं:
- आपने पति से खुलकर बात करें। एक-दूसरे को दुख से उबरने का समय दें। हो सकता है आप दोनों बात करने में इसलिए संकोच कर रहे हों कि कहीं कुछ ऐसी बात न हो जाए जिसे दिल दुखे। मगर फिर भी आपको अपनी भावनाओं के बारे में एक-दूसरे से बात करनी चाहिए।
- डॉक्टर के साथ फॉलो-अप चेकअप पर जाएं। यदि आपको जरुरत लगे तो सहयोग मांगने से झिझके नहीं। बहुत से बड़े अस्पतालों में काउंसलिग सेंटर होते हैं, इसलिए यदि आपको जरुरी लगे तो आप वहां डॉक्टर से अप्वाइंटमेंट ले सकती हैं।
- चाहे आप शारीरिक तौर पर बेहतर महसूस कर रही हों, फिर भी दफ्तर से कुछ समय आप छुट्टी ले सकती हैं।
- यदि घर में आपके अन्य बच्चे भी हों, तो आप हाथ बंटाने के लिए किसी परिवारजन की मदद ले सकती हैं।
- अपने परिजनों से बात करने के साथ-साथ आप अन्य लोगों से भी अपने अनुभव साझा कर सकती हैं। कई लोगों को इससे फायदा होता है।
- यदि कुछ महीनों बाद आप बेहतर महसूस करने की बजाय और ज्यादा व्यथित महसूस करें तो आपको मदद की जरुरत होगी। आप अपनी डॉक्टर से सलाह ले सकती हैं।
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