What is Pitta Dosha:
प्राचीन आयुर्वेद के अनुसार हमारा शरीर तीन दोषों से जुड़े रहता है। जैसे कि वात दोष, पित्त दोष और कफ दोष। इन तीनों दोष का हमारे शरीर के अलग-अलग अंगों पर अलग अलग असर देखने को मिलता है। पर परेशानी तब होती है जब ये तीनों दोष हमारे शरीर में असंतुलित हो जाते हैं। वात, पित्त और कफ दोष तीनों में से कोई भी असंतुलित होने पर हमारे शरीर में अलग-अलग लक्षण नजर आने लगते हैं। लेकिन आज हम बात सिर्फ पित्त दोष की करेंगे कि कैसे ये हमारी स्किन को प्रभावित करता है। इस लेख में आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरूप सिंह बता रहे हैं कि पित्त दोष के बढ़ने से कैसे स्किन से जुड़ी समस्याएं हो सकती है और पित्त दोष के बचाव के उपाय क्या हैं?
कई बार ऐसा भी देखने को मिलता है कि जब लोग हेल्दी डाइट तो लेते हैं लेकिन फिर भी उन्हें पेट से जुड़ी कई बीमारियां घेर लेती हैं। दरअसल, बैलेंस डाइट लेने के बावजूद जब व्यक्ति पेट से जुड़ी बीमारियों का शिकार होता है तो इसके पीछे पित्त दोष, वात दोष और कफ दोष जिम्मेदार हो सकते हैं।
क्या आपके शरीर से भी बहुत तेज दुर्गंध आती है? या आप बहुत जल्दी गुस्सा हो जाते हैं तो जान लें कि ये सारे लक्षण पित्त प्रकृति के हैं। ऐसे लोग जिनमें पित्त दोष ज्यादा पाया जाता है वे पित्त प्रकृति वाले माने जाते हैं।
पित्त दोष ‘अग्नि’ और ‘जल’ इन दो तत्वों से मिलकर बना है। यह हमारे शरीर में बनने वाले हार्मोन और एंजाइम को नियंत्रित करता है। शरीर की गर्मी जैसे कि शरीर का तापमान, पाचक अग्नि जैसी चीजें पित्त द्वारा ही नियंत्रित होती हैं। पित्त का संतुलित अवस्था में होना अच्छी सेहत के लिए बहुत ज़रूरी है। शरीर में पेट और छोटी आंत में पित्त प्रमुखता से पाया जाता है।
ऐसे लोग पेट से जुड़ी समस्याओं जैसे कि कब्ज़, अपच, एसिडिटी आदि से पीड़ित रहते हैं। पित्त दोष के असंतुलित होते ही पाचक अग्नि कमजोर पड़ने लगती है और खाया हुआ भोजन ठीक से पच नहीं पाता है। पित्त दोष के कारण उत्साह में कमी होने लगती है साथ ही ह्रदय और फेफड़ों में कफ इकठ्ठा होने लगता है। इस लेख में हम आपको पित्त दोष के लक्षण, प्रकृति, गुण और इसे संतुलित रखने के उपाय बता रहे हैं।
पित्त दोष कितने प्रकार के होते हैं :
शरीर में इनके निवास स्थानों और अलग कामों के आधार पर पित्त को पांच भांगों में बांटा गया है.
पाचक पित्त
रज्जक पित्त
साधक पित्त
आलोचक पित्त
भ्राजक पित्त
केवल पित्त के प्रकोप से होने वाले रोगों की संख्या 40 मानी गई है।
व्यक्ति के शरीर में ये (वात पित्त और कफ) तीन तरह के दोष देखे जा सकते हैं, जैसे कि-
वात दोष – वायु व आकाश
पित्त दोष – अग्नि तत्व
कफ दोष – पृथ्वी व जल
दोष, व्यक्ति के शरीर, प्रवृत्तियों (भोजन की रूचि, पाचन), मन और भावनाओं को प्रभावित करते हैं।
पित्त दोष प्रकृति की विशेषताएं :
पित्त प्रकृति वाले लोगों में कुछ ख़ास तरह की विशेषताओं पाई जाती हैं जिनके आधार पर आसानी से उन्हें पहचाना जा सकता है। अगर शारीरिक विशेषताओं की बात करें तो मध्यम कद का शरीर, मांसपेशियों व हड्डियों में कोमलता, त्वचा का साफ़ रंग और उस पर तिल, मस्से होना पित्त प्रकृति के लक्षण हैं। इसके अलावा बालों का सफ़ेद होना, शरीर के अंगों जैसे कि नाख़ून, आंखें, पैर के तलवे हथेलियों का काला होना भी पित्त प्रकृति की विशेषताएं हैं।
पित्त प्रकृति वाले लोगों के स्वभाव में भी कई विशेषताए होती हैं। बहुत जल्दी गुस्सा हो जाना, याददाश्त कमजोर होना, कठिनाइयों से मुकाबला ना कर पाना व सेक्स की इच्छा में कमी इनके प्रमुख लक्षण हैं। ऐसे लोग बहुत नकारात्मक होते हैं और इनमें मानसिक रोग होने की संभावना ज्यादा रहती है।
पित्त दोष के लक्षण (Symptoms Of Pitta Dosha)
कैसे पता चलता कि कोई व्यक्ति पित्त दोष से जूझ रहा है? दरअसल पित्त दोष होने पर शरीर में कई तरह के लक्षण दिखते हैं। जैसे कि एसिडिटी, कब्ज, पेट में दर्द या मरोड़, भूख का अचानक से कम हो जाना या बढ़ जाना, संक्रमण की चपेट में आना, बालों का झड़ना, हॉर्मोन में असंतुलन होना, गले में खराश होना, नींद की कमी, दिमाग में नेगेटिव बातें आना, सब्र की कमी होना और हर वक्त परफेक्ट दिखने की इच्छा होना आदि पित्त दोष के लक्षण होते हैं। यानि कि पित्त दोष के लक्षण सिर्फ शरीर पर ही नहीं दिमाग पर भी दिखते हैं।
- चटपटे, नमकीन, मसालेदार और तीखे खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन
- ज्यादा मेहनत करना, हमेशा मानसिक तनाव और गुस्से में रहना
- अधिक मात्रा में शराब का सेवन
- सही समय पर खाना ना खाने से या बिना भूख के ही भोजन करना
- ज्यादा सेक्स करना
- तिल का तेल,सरसों, दही, छाछ खट्टा सिरका आदि का अधिक सेवन
- गोह, मछली, भेड़ व बकरी के मांस का अधिक सेवन
ऊपर बताए गए इन सभी कारणों की वजह से पित्त दोष बढ़ जाता है। पित्त प्रकृति वाले युवाओं को खासतौर पर अपना विशेष ध्यान रखना चाहिए और इन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
पित्त दोष के गुण :
चिकनाई, गर्मी, तरल, अम्ल और कड़वा पित्त के लक्षण हैं। पित्त पाचन और गर्मी पैदा करने वाला व कच्चे मांस जैसी बदबू वाला होता है। निराम दशा में पित्त रस कडवे स्वाद वाला पीले रंग का होता है। जबकि साम दशा में यह स्वाद में खट्टा और रंग में नीला होता है। किसी भी दोष में जो गुण पाए जाते हैं उनका शरीर पर अलग अलग प्रभाव पड़ता है और उसी से प्रकृति के लक्षणों और विशेषताओं का पता चलता है.
क्यों होता है पित्त दोष में असंतुलन? (Why Imbalance In Pitta Dosha?)
पित्त पर जोर देने वाली चीजों को खाना जैसे कि नमक, मिर्च मसाले वाला खाना, डीप फ्राइड फूड, रेड मीट, प्रोसेस्ड फूड और लहसुन-प्यास का ज्यादा सेवन पित्त दोष को बढ़ाता है, ब्लैक टी, कैफीन, निकोटिन या स्मोकिंग, एल्कोहल या शरीर को ट्रिगर करने वाली चीजों का सेवन, ज्यादा देर तक धूप में रहना भी पित्त दोष का कारण बनता है, स्मोश्नली स्ट्रेस में रहना और ज्यादा देर तक काम करना या शरीर को अच्छी तरह से आराम न देना, आदि।
पित्त बढ़ जाने के लक्षण :
जब किसी व्यक्ति के शरीर में पित्त दोष बढ़ जाता है तो कई तरह के शारीरिक और मानसिक लक्षण नजर आने लगते हैं। पित्त दोष बढ़ने के कुछ प्रमुख लक्षण निम्न हैं।
- बहुत अधिक थकावट, नींद में कमी
- शरीर में तेज जलन, गर्मी लगना और ज्यादा पसीना आना
- त्वचा का रंग पहले की तुलना में गाढ़ा हो जाना
- अंगों से दुर्गंध आना
- मुंह, गला आदि का पकना
- ज्यादा गुस्सा आना
- बेहोशी और चक्कर आना
- मुंह का कड़वा और खट्टा स्वाद
- ठंडी चीजें ज्यादा खाने का मन करना
- त्वचा, मल-मूत्र, नाखूनों और आंखों का रंग पीला पड़ना
अगर आपमें ऊपर बताए गये लक्षणों में से दो या तीन लक्षण भी नजर आते हैं तो इसका मतलब है कि पित्त दोष बढ़ गया है। ऐसे में नजदीकी चिकित्सक के पास जाएं और अपना इलाज करवाएं।
पित्त को शांत करने के उपाय :
बढे हुए पित्त को संतुलित करने के लिए सबसे पहले तो उन कारणों से दूर रहिये जिनकी वजह से पित्त दोष बढ़ा हुआ है। खानपान और जीवनशैली में बदलाव के अलावा कुछ चिकित्सकीय प्रक्रियाओं की मदद से भी पित्त को दूर किया जाता है।
विरेचन :
बढे हुए पित्त को शांत करने के लिए विरेचन (पेट साफ़ करने वाली औषधि) सबसे अच्छा उपाय है। वास्तव में शुरुआत में पित्त आमाशय और ग्रहणी (Duodenum) में ही इकठ्ठा रहता है। ये पेट साफ़ करने वाली औषधियां इन अंगों में पहुंचकर वहां जमा पित्त को पूरी तरह से बाहर निकाल देती हैं।
पित्त दोष को संतुलित करने के लिए क्या खाना चाहिए:
अपनी डाइट में बदलाव लाकर आसानी से बढे हुए पित्त को शांत किया जा सकता है. आइये जानते हैं कि पित्त के प्रकोप से बचने के लिए किन चीजों का सेवन अधिक करना चाहिए.
- घी का सेवन सबसे ज्यादा ज़रुरी है।
- गोभी, खीरा, गाजर, आलू, शिमला मिर्च और हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें।
- सभी तरह की दालों का सेवन करें।
- एलोवेरा जूस, अंकुरित अनाज, सलाद और दलिया का सेवन करें।
पित्त दोष प्रकृति वाले लोगों को क्या नहीं खाना चाहिए :
खाने-पीने की कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिनके सेवन से पित्त दोष और बढ़ता है। इसलिए पित्त प्रकृति वाले लोगों को इन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
- मूली, काली मिर्च और कच्चे टमाटर खाने से परहेज करें।
- तिल के तेल, सरसों के तेल से परहेज करें।
- काजू, मूंगफली, पिस्ता, अखरोट और बिना छिले हुए बादाम से परहेज करें।
- संतरे के जूस, टमाटर के जूस, कॉफ़ी और शराब से परहेज करें।
पित्त दोष होने पर जीवनशैली में क्या क्या बदलाव करने चाहिए:
सिर्फ खानपान ही नहीं बल्कि पित्त दोष को कम करने के लिए जीवनशैली में भी कुछ बदलाव लाने ज़रूरी हैं। जैसे कि
- ठंडे तेलों से शरीर की मसाज करें।
- तैराकी करें।
- रोजाना कुछ देर छायें में टहलें, धूप में टहलने से बचें।
- ठंडे पानी से नियमित स्नान करें।
पित्त दोष बढ़ने के कारण हाइपरएसिडिटी होती है:
आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरूप सिंह बताते है की एसिडिटी के लिए ज्यादातर मामलों में आहार जिम्मेदार होता है। वर्तमान जीवनशैली में हाइपर एसिडिटी यानि अम्लपित्त की समस्या बहुत आम समस्या है। जिससे हर व्यक्ति को कभी न कभी सामना करना पड़ता है। आंकड़ों की माने तो आज के दौर में लगभग 70 प्रतिशत लोग इसी रोग से पीड़ित हैं।
हाइपर एसिडिटी में भोजन को टुकड़ों में तोड़ने वाले अम्ल ‘हाइड्रोक्लोरिक एसिड’ इसोफेगस की परत से होकर गुजरता है, जिससे सीने या पेट मे जलन महसूस होने लग जाती है, क्योंकि ये परत हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के लिए नहीं बनी है। लेकिन इससे बचाव के लिए हमारे पेट में पर्याप्त मात्रा में बलगम स्रावित करता है ताकि हाइड्रोक्लोरिक एसिड पेट की परत को न जलाए। हाइड्रोक्लोरिक एसिड की मात्रा अधिक होने पर या बलगम स्रावित करने वाली कोशिकाओ के क्षतिग्रस्त होने पर पेट में जलन महसूस होती है। बार-बार होने वाली एसिडिटी की समस्या को गर्ड या भाटा रोग भी कहा जाता है।
उपचार
आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरूप सिंह बताते है की आयुर्वेदीय उपचार में औषधि के साथ ही सही खान-पान और जीवनशैली के लिए लोगों निर्देशित किया जाता है । इसमें पित्त को कम करने वाला उपचार के साथ-साथ पित्त को कम करने वाले आहार सेवन करने का भी निर्देश दिया जाता है। यदि उपचार करते समय निर्दिष्ट आहार का पालन न किया जाए तो रोग ठीक नहीं होता। कुछ आयुर्वेदिक घरेलू उपचार हैं जो एसिडिटी से राहत दिलाते हैं।
- मुलेठी के पाउडर को पानी में उबालकर मुलेठी का काढ़ा बना लें। जिसका लंच और डिनर से पहले 10 से 5 मिली मात्रा में सेवन करें।
- जीरा और धनियां बराबर मात्रा में लेकर 4 गुना पानी में 15 मिनट तक उबालें। काढ़े को छानकर 30 मिलीलीटर मात्रा में दिन में दो बार थोड़ा सा घी मिलाकर पीएं।
- सोंठ के पाउडर को हल्का सा भून लें. आधा चम्मच लें और उसमें 1 चम्मच चीनी मिलाकर सुबह नाश्ते से पहले खाएं।
2. पित्त दोष बढ़ने से सिर दर्द की बीमारी:
आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरूप सिंह बताते हैं कि सिर में किसी भी प्रकार का दर्द, चाहे वो गर्मी की वजह से भी क्यों न हो रहा हो उसका कारण पित्त दोष हो सकता है। इससे बचाव के लिए आप डॉक्टरी सलाह ले सकते हैं।
3. पित्त दोष बढ़ने से गर्दन से जुड़ी बीमारी
आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरूप सिंह एक्सपर्ट बताते हैं किगर्दन से जुड़ी बीमारी जैसे गर्दन में जलन, खट्टी ढकारें, किसी भी प्रकार का अल्सर पित्त दोष के कारण होता है। इन स्थितियों में भी बीमारी का लक्षण दिखने पर डॉक्टरी सलाह लेना चाहिए।
4. पीलिया की बीमारी भी है पित्त दोष का कारण
एक्सपर्ट आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरूप सिंह बताते हैं कि पित्त दोष होने के कारण लिवर से संबंधित पीलिया की बीमारी हो सकती है। ये रोग भी इसी श्रेणी में आता है, शरीर में यदि आपको इस प्रकार की समस्या हो तो डॉक्टरी सलाह लें।
5. पित्त दोष बढ़ने से स्किन में दाने व चक्कते और सफेद दाग
आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरूप सिंह बताते हैं कि स्किन संबंधी बीमारी में आने वाले रोग जैसे स्किन में दाने और चकत्तों का आना या फिर सदेफ दाग की समस्या पित्त दोष के कारण होने वाली बीमारी है। शरीर में यदि इस प्रकार की बीमारी है तो आपको डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए।
6. पित्त दोष बढ़ने से मधुमेह और पैनक्रियाज से जुड़ी बीमारी
एक्सपर्ट आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरूप सिंह बताते हैं कि पैनक्रियाज में इंसुलिन की कमी भी पित्त दोष के कारण होने वाली बीमारी में आती है। मधुमेह के कारण कोई भी गुप्त रोग पित्त दोष के कारण होते हैं। यदि आप भी इन बीमारी से ग्रसित हैं तो डॉक्टरी सलाह लेकर इलाज करवाएं।
7. पित्त दोष बढ़ने से नाभि के आसपास मरोड़े आना
एक्सपर्ट बताते हैं कि यदि आपको पेट दर्द, ब्लॉटिंग आदि की समस्याएं हो या फिर नाभि के आसपास मरोड़े आए तो तमाम बीमारी पित्त दोष की श्रेणी में आने वाली बीमारी होती है। ऐसे में आपको डॉक्टरी सलाह लेने की आवश्यकता है।
8. पित्त दोष बढ़ने से पुरुषों में स्वप्न दोष की समस्या
एक्सपर्ट आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरूप सिंह बताते हैं कि नाभि से नीचे की समस्या भी पित्त दोष की श्रेणी में आती है। पुरुषों की बात करें तो शीघ्रपतन, स्वप्नदोष आदि समस्याएं जो युवा अवस्था में होती है वो इसी के कारण होती है। यदि आप भी इन बीमारियों से ग्रसित हैं तो डॉक्टरी सलाह लें।
9. पित्त दोष बढ़ने से महिलाओं की बीमारी
आयुर्वेदाचार्य बताते हैं कि महिलाओं में पीरियड्स में अनियमितता, ल्यूकोरिया की समस्या, ओवेरी में छाले आदि की समस्या का कारण पित्त दोष में गड़बड़ी का होना है। शरीर में इस प्रकार की बीमारी होने पर डॉक्टरी सलाह लेकर उचित इलाज करवाना चाहिए।
पित्त दोष की कमी के लक्षण और उपचार :
पित्त में बढ़ोतरी होने पर समस्याएँ होना आम बात है लेकिन क्या आपको पता है कि पित्त की कमी से भी कई शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं? शरीर में पित्त की कमी होने से शरीर के तापमान में कमी, मुंह की चमक में कमी और ठंड लगने जैसी समस्याएं होती हैं। कमी होने पर पित्त के जो स्वाभाविक गुण हैं वे भी अपना काम ठीक से नहीं करते हैं। ऐसी अवस्था में पित्त बढ़ाने वाले आहारों का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा ऐसे खाद्य पदार्थों और औषधियों का सेवन करना चाहिए जिनमें अग्नि तत्व अधिक हो।
साम और निराम पित्त :
हम जो भी खाना खाते हैं उसका कुछ भाग ठीक से पच नहीं पता है और वह हिस्सा मल के रुप में बाहर निकलने की बजाय शरीर में ही पड़ा रहता है। भोजन के इस अधपके अंश को आयुर्वेद में “आम रस’ या ‘आम दोष’ कहा गया है।
जब पित्त, आम दोष से मिल जाता है तो उसे साम पित्त कहते हैं। साम पित्त दुर्गन्धयुक्त खट्टा, स्थिर, भारी और हरे या काले रंग का होता है। साम पित्त होने पर खट्टी डकारें आती हैं और इससे छाती व गले में जलन होती है। इससे आराम पाने के लिए कड़वे स्वाद वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
जब पित्त, आम दोष से नहीं मिलता है तो उसे निराम पित्त कहते हैं। निराम पित्त बहुत ही गर्म, तीखा, कडवे स्वाद वाला, लाल पीले रंग का होता है। यह पाचन शक्ति को बढ़ाता है। इससे आराम पाने के लिए मीठे और कसैले पदार्थों का सेवन करें। पित्त प्रकृति के लोगों को पित्त को बढ़ने से रोकने के लिए ऊपर बताए गए नियमों का पालन करना चाहिए। यदि समस्या ठीक ना हो रही हो या गंभीर हो तो किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क करें।
पित्त दोष को नेचुरली करें कंट्रोल:
यह वाकया एकदम सही है कि हम जो भी खाते हैं उसका सीधा असर हमारी हेल्थ पर दिखता है। इस चीज को समझाने में कोरोना वायरस ने लोगों की बहुत मदद की है। क्या मतलब? कहने का मतलब ये है कि इस जानलेवा कोरोना संक्रमण की चपेट में ज्यादातर वही लोग आए हैं जिनकी इम्युनिटी कमजोर है या जो शारीरिक रूप से कमजोर हैं।
संतुलित खानपान और हेल्दी लाइफस्टाइल से सिर्फ शरीर ही नहीं बल्कि दिमाग भी स्वस्थ रहता है। लेकिन कई बार ऐसा भी देखा जाता है जब लोग हेल्दी डाइट तो लेते हैं लेकिन फिर भी उन्हें पेट से जुड़ी कई बीमारियां घेर लेती हैं। ऐसा क्यों होता है? दरअसल, बैलेंस डाइट लेने के बावजूद जब व्यक्ति पेट से जुड़ी बीमारियों का शिकार होता है तो इसके पीछे पित्त दोष, वात दोष और कफ दोष जिम्मेदार हो सकते हैं।
पित्त दोष को नेचुरली कंट्रोल करने के तरीके (How To Control Pitta Dosha Naturally)
पित्त दोष को डाइट के द्वारा भी कंट्रोल किया जा सकता है। इसके लिए दूध से बनी चीजें जैसे कि दही, मक्खन, घी और पनीर का सेवन करें, शरीर को आराम दें यानि कि न ज्यादा देर काम करें और न ही ज्यादा देर आराम करें, चाय और कॉफी का सेवन कम करें, नेचर या ऐसे लोगों के साथ वक्त बिताएं जो आपको पसंद हो, नियमित रूप से मेडिटेशन करें, आप रोज योगाभ्यास भी कर सकते हैं। ये ऐसे तरीके हैं जिनके पित्त दोष बहुत जल्दी और नेचुरली कंट्रोल होता है।
पित्त बढ़ने से स्किन पर दिखते हैं ये कुछ लक्षण, आयुर्वेद एक्सपर्ट से जानें कैसे संतुलित करें पित्त:
चेहरे पर पित्त बढ़ने के लक्षण-Pitta dosha symptoms on skin
आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरूप सिंह बताते हैं कि त्वचा की दूसरी परत में अधिक संयोजी ऊतक, रक्त वाहिकाएं और प्लाज्मा होते हैं। यह अधिक नम और गर्म होता है। जब इस परत में विषाक्त पदार्थ का संचार होता है, तो त्वचा चिड़चिड़ी, गर्म और लाल हो जाती है। गर्म खून वाले लोगों में पित्त दोष ज्यादा होता है। ये आमतौर पर खराब डाइट और जीवन शैली के कारण होता है। ऐसे में पाचन अग्नि असंतुलित होती है और कुछ भोजन विषाक्त पदार्थों में परिवर्तित हो जाते हैं। इसका असर त्वचा की ऊपरी परत पर ज्यादा नजर आते हैं। ऐसे लोगों में त्वचा से जुड़ी कुछ लक्षण ज्यादा नजर आते हैं। जैसे कि
1. रोसैया
रोसैया (Rosacea) एक सामान्य त्वचा की स्थिति है जो आपके चेहरे को पूरी तरह से प्रभावित करती है। ये ब्लड सर्कुलेशन की कमी से और बढ़ता है। ये चेहरे पर दाने का कारण बनते हैं जिसमें कि कई बार दानों मेंमवाद भी भर जाते हैं। ये संकेत कभी भी भड़क सकते हैं और फिर थोड़ी देर में चले भी जाते हैं। ये रह-रह कर आपको परेशान कर सकता है।
2. ड्राई स्किन
पित्त दोष होने पर त्वचा ज्यादा ड्राई हो जाती है। इसके कारण त्वचा ड्राई हो जाती है। इसके कारण त्वचा पर जलन,स्केलिंग,सूजन और संक्रमण हो सकता है। ये त्वचा के पोर्स को ब्लॉक करती है और स्किन पर नमी की कमी का कारण बनती है। ऐसे में आहार और जीवन शैली इसे और प्रभावित करती है।
3. चेहरे में रेडनेस और सूजन
चेहरे में रेडनेस और सूजन का ज्यादा होना भी पित्त दोष बढ़ने का लक्षण है। इसमें चेहरा ज्यादा लाल हो जाता है। दरअसल, जिन लोगों के चेहरे पर रह-रह कर सूजन आ जाती है या फिर रेडनेस आ जाती है, उनमें ये पित्त बढ़ने के कारण हो सकती है।
4. एक्जिमा
एक्जिमा पित्त दोष वाले लोगों को ज्यादा होता है। ये एक ऐसी स्थिति है जो आपकी त्वचा को लाल और खुजलीदार बनाती है। यह बच्चों में आम है लेकिन किसी भी उम्र में हो सकता है। एटोपिक जिल्द की सूजन लंबे समय तक चलने वाली होती है और समय-समय पर दोबारा आ जाती है। यह अस्थमा या हे फीवर के साथ हो सकता है। ऐसे में पित्त दोष को संतुलित करना बेहद जरूरी है।
5. रह-रह कर पित्त एलर्जी होना
रह-रह कर एलर्जी होना भी पित्त दोष बढ़ने का लक्षण है। पित्त एलर्जी अक्सर तब होती है जब एक एलर्जेन के गर्म, तेज गुण त्वचा के संपर्क में आते हैं और इसके परिणामस्वरूप रक्त प्रवाह में प्रवेश करते हैं। ये स्किन पर कई प्रतिक्रियाओं के रूप में नजर आते हैं जैसे पित्ती, चकत्ते, खुजली, एलर्जी, सूजन आदि।
पित्त दोष वाले लोगों त्वचा की देखभाल कैसे करें?
पित्त त्वचा के प्रकार को संतुलित रहने के लिए धूप से सुरक्षा की आवश्यकता होती है। ऐसे में एलोवेरा, गुलाब और चमेली जैसी ठंडी और हीलिंग जड़ी-बूटिया त्वचा को शांत और पोषित करने में मदद करते हैं। ऐसे में आप घर पर उबटन बना कर भी चेहरे पर लगा सकते हैं। इसके लिए आधा चम्मच उबटन लें और उसमें गुलाब जल मिलाएं। मिश्रण को सोखने के लिए एक मिनट के लिए छोड़ दें। अब पानी से अपना चेहरा धोएं और मॉइस्चराइज लगा लें।
इस तरह पित्त दोष वाले लोगों त्वचा की देखभाल कर सकते हैं। बस ध्यान रखं कि पित्त को बढ़ने ना दें। इसके लिए खाने में मसालेदार भोजन का सेवन ना करें। साथ ही ज्यादा पानी पिएं और योग करें।
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