वच का परिचय (Introduction of Vach Plant)
क्या आप जानते हैं कि वच (vacha herb in hindi) क्या है? या वच का उपयोग किन कामों में किया जाता है? नहीं ! तो यह जानकारी आपके लिए बहुत फायदेमंद है। जान लीजिए कि वच एक औषधि है। वच का प्रयोग पेशाब साफ करने और पेचिश की रोकथाम में की जाती है। गैस, मिरगी, कफ, पेट के कीड़े और गठिया आदि के इलाज वच का उपयोग किया जाता है। इतना ही नहीं, वच के फायदे अन्य और भी हैं। आईएसकेडी मेडीफिट के इस लेख के माध्यम से प्राचीन आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरूप सिंह बताएँगे कि वच खाने से आपके स्वास्थ्य को किस किस तरह से फायदे मिल सकते हैं। प्राचीन आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरूप बताएँगे शरीर के लिए वच क्यों जरुरी है
भारत का ये स्थानीय पौधा 1800 मीटर की ऊंचाई तक पाया जाता है. उँगलियों जैसी मोटी जड़ों वाले वच के पत्ते हरे, चमकीले नुकीले और सुगंध युक्त होते हैं. इसका औषधीय उपयोग पेट, मस्तिष्क, लीवर, गर्भाशय, फेफड़े और स्वर रज्जू से सम्बंधित समस्याओं में होता है. इसके फायदे और नुकसान निम्लिखित हैं.
प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में यह बताया गया है कि वच (vacha herb in hindi) में बुखार को कम करने, दिल और सांस संबंधी दिक्कतों को दूर करने और आवाज को बेहतर बनाने की क्षमता है। पेट की गडबड़ी, खोयी याददाश्त लौटाना, खून साफ करना आदि के लिए वच का प्रयोग किया जाता है। आइए जानते हैं आप वच का इस्तेमाल किन-किन रोगों में कर सकते हैं।
वच क्या है? (What is Sweet flag in Hindi?)
वच का पौधा (Vach Plant) मूल रूप से यूरोपीय वनस्पति है। इसमें कई तरह के औषधीय गुण होते हैं। औषधि के रूप में मुख्य तौर पर इसकी जड़ से बने चूर्ण (vacha powder) का इस्तेमाल किया जाता है। सैकड़ों साल पहले इसका प्रयोग मिस्र और ग्रीस में होता था। भारत में इसका आगमन कब हुआ, इस बारे में कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता है। लंबे समय से भारत में भी इसका इस्तेमाल दवाओं (Vach Herb) के लिए किया जा रहा है।
वच की कई प्रजातियां औषधि के रूप में उपयोग की जाती हैं। वच का सुखाया हुआ जड़ (baje root) वाला हिस्सा बाजारों में घोड़ा वच के नाम से बिकता है। इसकी इसमें बाल वच या पारसीक वच प्रमुख है। दवाओं के लिए वच की छह प्रजातियों का उपयोग किया जाता है। इनमें शामिल हैं-
- वच (Acorus calamus Linn)
- बाल वच (Iris versicolor Linn। (Blue flag))
- कापत्रिका वचा (Iris ensata Thunb.)
- लघुपत्र वचा (Acorus gramineus Sol.)
- हेमवती वच (Iris germanica Linn.) तथा
- श्वेत वच (Paris polyphylla Sm.)
वच की गंध तेज होती है। यह स्वाद में कड़वा होता है। यह बुखार को कम करने, हृदय के रोग और सांस संबंधी समस्याओं को दूर करने में कामा आता है। इसमें आवाज को बेहतर बनाने की भी क्षमता होती है।
- लघुपत्र वच (vacha herb) के प्रंद का प्रयोग पेट की बीमारियों और पथरी के इलाज में किया जाता है। इसकी जड़ का गुण जोश भरने वाला, ताकत बढ़ाने वाला, रोगाणु को पनपने से रोकने वाला होता है। इसकी जड़ मांसपेंशियों का खिंचाव दूर करने में भी सहायक है। इसके प्रयोग से खोई हुई याददाश्त वापस लाने में भी सहायता मिलती है। इसके प्रंद का क्वाथ बनाकर पीने से पेट संबंधी गड़बड़ियां ठीक हो जाती हैं।
- कापत्रिका वच (vacha herb) की पपड़ी का प्रयोग खून साफ करने में किया जाता है। इस पपड़ी का काढ़ा (क्वाथ) बनाकर योनि को साफ करने से योनि संबंधी समस्याओं को दूर किया जा सकता है। इस तरह के काढ़ा का सेवन करने से यकृत (liver) और त्वचा के रोग भी दूर होते हैं।
अनेक भाषाओं में वच के नाम (Sweet flag Called in Different Languages)
वच एरेसी (Araceae) कुल का पौधा है। इसका वानस्पतिक (वैज्ञानिक) नाम Acorus calamus (एकोरस कैलॅमस) है। अंग्रेजी में इसे Sweet flag (स्वीट फ्लैग), Sweet calamus (स्वीट कैलेमसः , Flag root (फ्लैग रूट) आदि नामों से जाना जाता है। आइए हम जानते हैं कि हिंदी समेत अन्य भाषाओं में इसके क्या-क्या नाम हैं : –
Sweet Flag in –
- Hindi (acorus calamus in hindi) – वच, घोरवच, घोड़वच
- English – Sweet Calamus (स्वीट कैलेमस), फ्लैग रूट (Flag root)
- Sanskrit – वचा, उग्रगन्धा, षड्ग्रन्था, गोलोमी, शतपर्विका, क्षुद्रपत्री, मङ्गल्या, जटिला, उग्राम, लोमशा
- Urdu – बचा (Bacha)
- Gujarati – वज (Vaj), घोड़ावज (Godavaj)
- Telugu- वासा (Vasa), वस (Vas)
- Tamil (vacha herb in tamil) – वशाम्बु (Vashambu)
- Bengali – वच (Vacha)
- Nepali – बोमो (Bomo)
- Punjabi – बरिबोज (Bariboj)
- Marathi – वेखण्ड (Vekhand)
- Malayalam – व्वयम्बु (Vayambu)
- Kannad – बजे (Baje), वशाम्पा (Vashampa)
- Arabic – उदल बुज (Udal buj), अकरुन (Akuran)
- Persian – सोसन जर्द (Sosan jard), अगरि तुर्की (Agre turki)।
वच के औषधीय प्रयोग से लाभ (Acorus Calamus Medicinal Uses in Hindi)
आप वच का इस्तेमाल इन रोगों में कर सकते हैंः-
माइग्रेन (अधकपारी या आधासीसी) में फायदेमंद वच का प्रयोग (Uses of Vach in Fighting with Migraine in Hindi)
माइग्रेन की बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए वच बेहद लाभकारी औषधि है। वच और पिप्पली के चूर्ण (vacha powder) को मिलाकर सुंघाने से या नाक में देने से माइग्रेन या अधकपारी की बीमारी में लाभ होता है।
मुंह का लकवा में फायदा पहुंचाता है वच (Sweet Flag Uses in Mouth Paralysis in Hindi)
मुंह के लकवा से पीड़ित व्यक्ति वच के 625 मिलीग्राम चूर्ण तथा 625 मिलीग्राम शुंठी के चूर्ण (vacha powder) को शहद में मिला ले। इसे दिन में दो से तीन बार चाटने से लाभ होता है। इसके सेवन के समय पानी में शहद मिलाकर पिलाना चाहिए।
मिरगी में मददगार वच का उपयोग (Sweet Flag Uses in Epilepsy in Hindi)
500 मिलीग्राम वच (bach plant) चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर सेवन कराने से मिरगी जैसी बीमारियों में लाभ मिलता है। इसके सेवन के समय केवल दूध और चावल का ही प्रयोग करें।
इसके अलावा, सुबह में 1-1 ग्राम वच चूर्ण को शहद या घी के साथ तीन दिन तक सेवन करने से या 2 ग्राम वच चूर्ण में शहद मिला कर 1 महीने तक सेवन करने से भी मिरगी में लाभ होता है। इसके सेवन के साथ और भोजन में दूध-चावल लिया जाना चाहिए।
मेमोरी को सुधारे वच (sweet Flag for memory loss)
अगर आपकी याददाश्त कमजोर है या आप अक्सर चीजों को रख कर भूल जाते हैं तो इस समस्या को दूर करने में वच आपके काम आ सकता है। आप दिन में दो बार शहद के साथ वच के चूर्ण का सेवन करें। ऐसा करने से न केवल मानसिक तनाव दूर होता है बल्कि मेमोरी में भी सुधार आता है।
किसी भी व्यक्ति के यादाश्त को ठीक रखने के लिए जरूरी है. कि उसके दिमाग को शांति मिले जितना ज्यादा उसका दिमाग शांत और सक्रिय रहेगा उतना ही उसका याददाश्त ठीक रहेगा. किसी भी आदमी का मानसिक तनाव कम करने और उसकी याददाश्त में सुधार लाने के लिए वच की जड़ का पाउडर दिन में दो बार शहद के साथ लेने से यह प्रभावी होता है.
वच मनुष्य की स्मरण शक्ति बढाने में बेहद मददगार होती है। वच के तने के 200 मिली ग्राम चूर्ण को घी, दूध या पानी के साथ सेवन करें। इससे स्मरण शक्ति में सुधार होता है। इस योग का दिन में दो बार करने से फायदा मिलता है। बेहतर परिणाम के लिए एक साल तक या कम से कम एक महीना तक इसका सेवन करना चाहिए।
वच (vacha herb) के 10 ग्राम चूर्ण को 250 ग्राम बूरे के साथ गर्म कर रोज 10 ग्राम मात्रा में शाम को खाने से भी स्मरण शक्ति की वृद्धि होती है।
तंत्रिका तंत्र में
जाहिर है. तंत्रिका तंत्र का हमारे शरीर में बहुत ज्यादा महत्व है. इसलिए तंत्रिका तंत्र का ठीक से काम करना बेहद जरूरी है. तंत्रिका तंत्र में आई समस्याओं से निपटने में वच का महत्वपूर्ण योगदान देखा गया है. इसके लिए सुबह पानी के साथ दो चुटकी वच की जड़ का पाउडर लगभग 1 महीने तक इस्तेमाल करें.
वच का उपयोग पेट की गैस के लिए फायदेमंद (Vach Uses in Cure Abdominal Gas in Hindi)
25 ग्राम वच को 400 मिलीलीटर पानी में उबाल लें। इस प्रक्रिया के पानी और वच की एक चौथाई मात्रा शेष रह जाए तो इसकी तीन मात्राएं बना लें। दिन में तीन बार इसकी खुराक देने से गैस की परेशानी से आराम मिलता है।
फोड़े का इलाज करें वच (sweet Flag for boils)
अगर आपके शरीर में अक्सर फोड़े निकलने की शिकायत रहती है या घाव जल्दी नहीं भरते हैं तो आप इसके लिए वच का इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसे में प्रभावित क्षेत्रों पर वच को लगाएं। इसे लगाने से घाव के कारण पड़ने वाले निशान और फोड़े दूर हो जाएंगे।
गले के रोग में लाभदायक वच का सेवन (Uses of Vach in Cure Throat Related Problems in Hindi)
कफ के कारण यदि गले में दर्द हो रहा हो तो वच के 500 मिलीग्राम चूर्ण को हल्का गर्म दूध में डालकर पिलाएं। इसका सेवन करने से अन्दर जमा हुआ कफ ढीला पड़कर बाहर निकल जाता है। इससे गले का दर्द जल्द ही दूर हो जाता है।
नर्वस सिस्टम को ठीक करें वच (sweet Flag for nervous system)
नर्वस सिस्टम को ठीक करने में भी वच बेहद उपयोगी है। बता दें अगर आप तंत्रिका तंत्र की समस्या से परेशान हैं तो तकरीबन 1 महीने तक रोज सुबह उठकर खाली पेट पानी के साथ दो चुटकी वच के पाउडर का सेवन करें। ऐसा करने से तंत्रिका तंत्र की सारी समस्याएं दूर हो जाएंगी।
दमा के इलाज में वच लाभदायक (Benefits of Vach in Asthma in Hindi)
दमे के रोगी को पहले वच की खुराक 2 ग्राम की मात्रा में देनी चाहिए। उसके बाद हर तीसरे घंटे बाद 625 मिलीग्राम की मात्रा का सेवन कराने से दमा में लाभ होता है।
वच के इस्तेमाल से घेघा रोग का इलाज (Benefits of Vach in Goiter Treatment in Hindi)
आयोडीन की कमी से होने वाले घेघा रोग के उपचार में वच लाभदायक होता है। इसके चूर्ण (vacha powder) और पिप्पली के चूर्ण को शहद में या नीम का तेल मिलाकर सुंघाने से घेघा आदि रोग दूर हो जाते हैं।
कफ को दूर करें वच (sweet Flag for cough)
छाती में रुकावट फेफड़ों में जलन घरघराहट के साथ-साथ खांसी और कफ को दूर करने में भी वच बेहद उपयोगी है। इसके लिए आप वच के चूर्ण का सेवन गुनगुने दूध के साथ कर सकते हैं। साथ ही यह सांस की एलर्जी आदि की समस्या को भी दूर करता है। आप इसका प्रयोग हल्दी के साथ भी कर सकते हैं।
आमतौर पर होने वाली बीमारियों में कफ़ भी है. कफ़ से निपटने के लिए 500 मिलीग्राम वच के जड़ का पाउडर त्रिकटु पाउडर ढाई सौ मिलीग्राम और ढाई सौ ग्राम दूध के साथ मिलाकर इसका सेवन करें. इससे नाक की रुकावट शरीर दर्द गले में खराश और छींकने आदि की समस्याओं से निपटारा होता है. यह और भी कई समस्याएं जैसे फेफड़ों में जलन छाती की रुकावट घरघराहट आदि को भी कम करता है. खांसी को कम करने में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है. इसके लिए 5 रत्ती वच चूर्ण को गुनगुने दूध के साथ लें.
नाक में जलन, सर्दी में लाभकारी है वच का प्रयोग (Uses of Vach in Coryza in Hindi)
सर्दी, जुकाम की हालत में वच शीघ्र लाभ देता है। इसमें लाभ के लिए वच (vacha herb) के चूर्ण को कपड़े में रखकर सूंघें। इससे सर्दी के कारण नाक में होने वाली जलन दूर होने लगती है।
बच्चों को खांसी में वच से लाभ (Vach Benefits in Fighting with Cough Disease in Hindi)
- मां के दूध के साथ वच (vacha herb) को घिसकर पिलाने से बच्चों की खांसी दूर करने में मदद मिलाती है।
- 125 मिलीग्राम वच को पानी में घिसकर दिन में तीन बार पिलाने से भी बच्चों की खांसी में लाभ होता है।
- 25 ग्राम वच को 400 मिलीलीटर पानी में उबाल लें। जब पानी चौथाई मात्रा शेष रह जाए तो इसकी तीन मात्राएं बना लें। दिन में तीन बार इसकी खुराक देने से सूखी खांसी में आराम मिलता है।
बुखार को दूर करें वच (sweet flat for fever)
घरेलू उपायों में वच के माध्यम से बुखार को दूर किया जा सकता है। ये तरीका पुराने समय से चाल आ रहा है। ऐसे में आपको वच के पाउडर को पानी में मिलाकर एक पेस्ट बनाएं और उस पेस्ट को बुखार के दौरान माथे पर लगाएं। ऐसा करने से बुखार दूर हो जाएगा।
जुकाम, खांसी और बुखार का अचूक इलाज है वच (Benefits of Sweet Flag in Cold, Cough and Fever in Hindi)
- वच को पानी में पीसकर नाक पर लेप करें। इससे जुकाम, खांसी और उसके कारण होने वाला तेज बुखार कम हो जाता है।
- छोटे बच्चों के बुखार में वच की जड़ (vacha plant) को पानी में घिसकर हाथ और पैरों पर लगाने से लाभ होता है।
- इसके अलावा, एक हिस्सा वच और 2 हिस्सा चिरायता को मिलाकर काढ़ा बनाकर 10 से 20 मिलीलीटर मात्रा में पिलाने से बुखार में लाभ होता है।
सिर दर्द को दूर करें वच (sweet Flag for headache)
पुराने समय से वच और पानी से तैयार पेस्ट का उपयोग सिर दर्द को दूर भगाने के लिए किया जाता है। बता दें ऐसे में वच के चूर्ण और पानी से बना पेस्ट सिर और स्कैल्प के ऊपर लगाएं। ऐसा करने से सिर दर्द ठीक हो जाता है। इसके अलावा सिर में भारीपन भी दूर हो जाता है। यह जोड़ों के दर्द को दूर करने में भी बेहद उपयोगी है।
वच का इस्तेमाल सर दर्द में प्राचीन काल से ही किया जा रहा है. दरअसल वच की जड़ का पाउडर बनाकर पानी की सहायता से इसका पेस्ट बनाते हैं इस पेस्ट को सिर के ऊपर लगाने से सर दर्द में काफी राहत मिलती है. कई लोगों को सर में भारीपन जैसे समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है. ऐसे लोगों के लिए भी यह पोस्ट बेहद उपयोगी है. इसका फायदा गठिया में भी देखा जाता है.
जमाल गोटा के नुकसान से बचाता है (Sweet Flag Uses in Jamalgota Side Effect in Hindi)
वच के 1 ग्राम भस्म को पानी में घोलकर पिलाएं। इससे जमाल गोटे का विष शांत हो जाता है। विष के दुष्प्रभाव से होने वाली परेशानियां धीरे धीरे दूर हो जाती हैं।
दस्त में राहत दिलाए वच (sweet Flag for diarrhoea)
दस्त के कारण अगर शरीर में कमजोरी हो रही है तो दस्त से राहत पहुंचाने में भी वच बेहद उपयोगी विकल्प है। ऐसे में आपको दो चुटकी वच पाउडर का शहद के साथ सुबह सेवन करना होगा। ऐसा करने से दस्त की समस्या दूर हो जाएगी।
मुहांसों को दूर करें वच (sweet Flag for acne)
मुहांसों से परेशान लोग वच के इस्तेमाल से अपनी इस समस्या को दूर कर सकते हैं। ऐसे में यह लोग वच, धनिया और लोधरा छाल का पेस्ट बनाएं और मुंहासे के ऊपर लगाएं। ऐसा करने से मुहासे की समस्या दूर हो जाएगी।
आज की तारीख में मुंहासा कई लोगों को परेशान करता है. तरह-तरह के क्रीम लगाने या कई अन्य कारणों से लोगों में मुंहासे की समस्या में वृद्धि देखी जा रही है. इस मुंहासे से छुटकारा पाने के लिए लोग तरह-तरह के तरीके इस्तेमाल करते हैं इसके लिए आप वर्ष की भी मदद ले सकते हैं वच धनिया और लोध्र की छाल का पेस्ट बनाकर इसे चेहरे पर मुंहासे की जगह पर लगाने से मुंहासे ठीक होता है.
मुहांसे और फोड़े इत्यादि के लिए वच से बनी दवाई गुणकारी होती हैं। लोध, धनिया और वच को समान मात्रा में लें। तीनों को पीसकर लेप करने से मुँहासे आदि खत्म हो जाते हैं।
बोलने से संबंधित समस्याओं में फायदेमंद (Sweet flags Beneficial in speaking problems)
किसी भी आदमी को यदि बोलने में समस्या हो तो यह उसके लिए बहुत ही अजीब लगने वाला एहसास होता है. बोलने की समस्याओं मैं वच ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. इसके लिए वच की जड़ का पाउडर आवश्यकतानुसार दो महीने तक इस्तेमाल करने से बोलने की समस्या से पीड़ित को काफी हद तक आराम मिल सकता है.
हकलाने की बीमारी ठीक करने के लिए रोगी को ताजे वच (bach plant) के तने का 1 ग्राम का टुकड़ा सुबह शाम चूसने के लिए दें। लगातार 3 महीने तक इसका इस्तेमाल करने से हकलाने की बीमारी में आश्चर्यजनक रूप से लाभ मिलता है।
अल्सर दूर करने में सहायक है वच (Sweet Flag Benefits in Cure Ulcer in Hindi)
कासीस, सेंधा नमक, सुराबीज, वच, दोनों हल्दी (हल्दी व जंगली हल्दी) और अन्य शोधन पदार्थों से तैयार चूर्ण का इस्तेमाल अल्सर दूर के लिए किया जाता है।
हैजा में वच के फायदे (Sweet Flags Benefits in Cholera)
हमें भी वच के फायदे नजर आते हैं इसके लिए एक बड़ा चम्मच वच की जड़ का पाउडर 12 मिलीलीटर पानी में उबालें उबालने के बाद इसे छानकर दिन में तीन चार बार प्रिय ऐसा करने से काफी राहत मिलती है.
कुष्ठ रोग के इलाज में वच फायदेमंद (Uses of Sweet Flag in Leprosy Treatment in Hindi)
वच चर्म रोगों की कारगर औषधि है। इलायची, कूठ, विडंग, शतावर, चित्रक, वच, दन्ती और रसौत को पीस लें। इसका लेप करने से कुष्ठ और अन्य चर्म रोग भी दूर हो जाते हैं।
कुष्ठ रोग में राहत के लिए वच, वासा, पटोल, नीम, प्रियंगु और दालचीनी का काढ़ा बना लें। फिर इसकी 10 से 20 मिलीलीटर मात्रा में 1 ग्राम मदनफल चूर्ण मिला लें। इस मिश्रण के प्रयोग से कुष्ठ रोग में फायदा मिलता है।
दस्त में वच के फायदे (Sweet Flags benefits in diarrhea)
दस्त की समस्या से निपटने में भी वर्ष के फायदे देखे गए हैं दस्त से छुटकारा पाने के लिए आपको सुबह में दो छोटकी वच की जड़ का पाउडर शहद के साथ लेना होगा ऐसा करने से आप देखेंगे कि दस्त की समस्या काफी हद तक कम हो गई.
टीबी रोग में भी फायदेमंद वच का सेवन (Vach Benefits in Fighting with Tuberculosis in Hindi)
क्षय रोग (टीबी) के रोगियों के लिए भी वच लाभदायक है। रोगी वच, अश्वगंधा, तिल, अपामार्ग के बीज और सरसों के बीज का चूर्ण बना लें। इसे 1 से 2 ग्राम चूर्ण मात्रा को शहद के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
पेट के कीड़े को खत्म करने के लिए वच का प्रयोग (Vach Uses in Cure Abdominal Bugs in Hindi)
वच में कीड़े मारने का गुण होता है। वच के 2 ग्राम चूर्ण को 125 मिलीग्राम भुनी हुई हींग के साथ मिलाकर खिलाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
वच के उपयोग से बवासीर का इलाज (Uses of Sweet Flag in Cure Hemorrhoid in Hindi)
बवासीर में राहत के लिए वच, भांग और अजवायन को बराबर–बराबर मात्रा में लेकर जलाएं। इन्हें जलाने से उठने वाली धूनी से बवासीर के घाव को सेकें। इससे बवासीर के दर्द से राहत मिलती है।
पेचिश और खून की उल्टी रोकने के लिए वच का इस्तेमाल लाभदायक (Benefits of Sweet Flag to Stop Bleeding and Dysentery in Hindi)
- पेचिश और खून की उल्टी से परेशान रोगियों को वच, धनिया और जीरे का काढ़ा पिलाने से लाभ होता है। इसके लिए तीनों पदार्थों को समान मात्रा में (10-10 ग्राम) लेकर 100 मिलीलीटर जल में उबालें, 20 मिलीलीटर शेष रहने पर छानकर सुबह-शाम पिएं।
- वच की जड़ (baje root) को कूट कर उसका काढ़ा बनाकर 25 या 35 मिलीलीटर मात्रा में पिलाने से पेचिश में लाभ होता है।
- दर्द की स्थिति में वच को पानी में घिसकर पेट पर लेप करने से गैस या पेट के सूजन आदि में लाभ होता है।
- बच्चों को दर्द के साथ पेचिश हो तो, वच को जलाकर इसके के कोयले को अरंडी के तेल या नारियल के तेल में पीसकर बच्चे के पेट पर लेप करने से राहत मिलती है।
- वच की 125 मिग्रा राख (भस्म) को पानी में घोलकर पिलाने से भी बच्चों को पेचिश में लाभ होता है।
- 25 ग्राम वच को 400 मिलीलीटर पानी में उबाल लें। जब पानी चौथाई मात्रा शेष रह जाए तो इसकी तीन मात्राएं बना लें। दिन में तीन बार इसकी खुराक देने से पेचिश में आराम मिलता है।
सामान्य प्रसव के लिए करें वच का इस्तेमाल (Benefits of Sweet Flag in Getting Normal Pregnancy in Hindi)
वच (vacha plant) सामान्य प्रसव कराने में सहायता करता है। वच को पानी में घिसकर इसमें अंरडी का तेल मिलाकर गर्भवती महिला के नाभि पर लेप किया जाए तो इससे बच्चे के जन्म में आसानी हो जाती है।
प्रसव के बाद आने वाली कमजोरी को दूर करने के लिए वच के काढ़े को 20 से 30 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन सुबह शाम पिलाया जाना चाहिए।
वच के अन्य फायदे (other benefits of sweet flag)
बता दें कि यह स्पीच प्रॉब्लम, हैजा संबंधित रोग, विषाक्त पदार्थों को शरीर से निकालने में भी बेहद उपयोगी है। इसके अलावा नाभि पर नारियल का तेल और वच के कोयले को पीसकर लगाएं तो पेट का अफारा भी दूर हो जाता है। वहीं अगर आप वच का काढ़ा या पाउडर छिड़कते हैं तो कीड़े भी निकल जाते हैं। अगर आप मुंह के लकवे को दूर करना चाहते हैं तो आप वच और सोंठ को बराबर मात्रा में मिलाएं। रोजाना दो बार सेवन करें। ऐसा करने से लकवा दूर हो जाता है।
वच के प्रयोग के तरीके (How to Use Vach in Hindi)
वच (bach plant) के निम्नलिखित अंगों का प्रयोग दवा बनाने के लिए किया जाता है:
- जड़ (baje root)
- छाल
उपरोक्त अंगों के औषधि रूप में प्रयोग के विभिन्न तरीके ऊपर बताये गए हैं। उसके अनुसार चिकित्सक के परामर्श से औषधि बनाकर इसका सेवन किया जा सकता है। आमतौर पर चिकित्सक व्यवहार में बाहरी प्रयोगों के लिए घोड़ा वच और आतंरिक सेवन के लिए बाल वच का प्रयोग करते हैं।
वच के सेवन की मात्रा (Doses of Vach)
वच का सेवन ऊपर बताए गए तरीकों से किया जा सकता है, लेकिन चिकित्सक के सलाह के अनुसार किया जाना चाहिए।
वच के नुकसान (side effects of sweet flag)
- गर्भावस्था में वच के माध्यम से संकुचन पैदा होती है। इसलिए इस जड़ी बूटी का प्रयोग डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए। खासकर स्तनपान कराने वाली महिलाएं इसका सेवन डॉक्टर की सलाह पर करें।
- पित्त दोष वाले लोगों में इसका दुष्प्रभाव सिर दर्द होता है।
- बच्चों को वच का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए।
- यह दिल की धड़कन और रक्तचाप को कम करता है इसलिए कम रक्तचाप वाले लोग इसका सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करें।
- अल्सर और जनन तंत्र के लिए अच्छा नहीं माना जाता है.
- लगातार बहुत दिन तक इसका प्रयोग करने से भी या नुकसान पहुंचा सकता है..
- स्तनपान कराने वाली माताओं को भी इस दौरान भी वच के सेवन से बचना चाहिए.
- वच एक गर्म प्रभाव वाला वाली बूटी है. इसलिए कुछ लोगों में यह ब्लीडिंग की समस्या बढ़ा सकती है..
- वच के इस्तेमाल से लोगों में सर दर्द होने की भी शिकायत देखी जाती है..
- जिन लोगों को भी हृदय से संबंधित बीमारियां होती हैं उन्हें वच का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए.
- बच्चों को यह बहुत कम मात्रा में दी जानी चाहिए.
नोट – ऊपर बताए गए बिंदु से पता चलता है कि वह सेहत के लिए बेहद उपयोगी है। लेकिन इसके कुछ नुकसान सेहत को कई मुश्किलों में डाल सकते हैं। ऐसे में इसके सेवन से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लें। वहीं गर्भवती महिलाएं भी इसका सेवन करने से पहले अपने एक्सपर्ट की राय जरूर लें।
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