आप काला आलू से बना व्यंजन खाना चाहते हैं, लेकिन आपको यह बाजार में आसानी से नहीं मिलता। इस बार ठंड के सीजन में यह बलिया में भी मिलना शुरू हो जाएगा। संभव है कि इसे दूसरे जिलों में भी भेजा जा सके। अभी तक उत्तराखंड में ही यह प्रजाति मिलती है, लेकिन अब उत्पादन बलिया में होने लगा है।
काला आलू में वसा नहीं होता बल्कि यह रक्त की कमी को पूरा करता है। शरीर में मोटापा कम करता है। 40 फीसद आयरन होता है। विटामिन बी-6 और फ्लोरिक एसिड भी मिलता है। यह हीमोग्लोबिन भी बढ़ाता है। यह गर्भवती महिलाओं के लिए सर्वाधिक फायदेमंद है।
काला आलू में गुणवत्ता अधिक होती है। आयरन की मात्रा अधिक होने से रंग काला होता है। बलिया में काला आलू का उत्पादन आराम से हो सकता है। जिले का तापमान इस प्रजाति के लिये एकदम अनुकूल है। ठंड में दिन में 18 से 25 डिग्री जबकि रात में 9 से 14 डिग्री तापमान में कंद बनना शुरू हो जाता है। इतना तापमान बलिया में आराम से मिल जाता है।
शायद यह पढ़कर आपको अटपटा लगे कि आलू भी बेहद गुणकारी हो सकता है। लेकिन यह कटु सत्य है! जो आलू मोटापा और दस प्रकार की दूसरी बीमारियों के लिए मशहूर है। वहीं, काला आलू कई प्रकार की बीमारियां भगाने में कारगर सिद्ध होता है। इतना ही नहीं खून की कमी के लिए यह आलू रामबाण दवा से कम नहीं। गर्भवती महिलाएं अगर इसका सेवन करें, तो उन्हें दवा की जरूरत ही नहीं।
प्राचीन आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरुप ने काले आलू के बारे में बताया, यह काला आलू साधारण आलू की तरह खाने में भी बेहद स्वादिष्ट है और तुरंत पच जाता है। इसको भी दूसरी सब्जियों में मिलाकर उसका स्वाद बदला जा सकता है। फर्क सिर्फ यह है कि यह आलू किसी तरह का नुकसान नहीं करता, बल्कि लाभ ही लाभ देता है। फिलहाल, उत्तर औषधालय ने अपने फार्म में आलू की पौध तैयार की है। यह आलू की फसल मार्च तक उत्तम औषधालय मेें उपलब्ध होगी।
काले आलू में क्या-क्या है
प्राचीन आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरुप बताते हैं कि काले आलू में वसा बिलकुल भी नहीं होता है। बल्कि यह रक्त की कमी को पूरा करके शरीर में मोटापा कम करने का काम करता है। इसी के साथ इस आलू में 40 प्रतिशत आयरन रहता है। इसमें 15 प्रतिशत बिटामिन बी-6 है और चार प्रतिशत फ्लोरिक एसिड। इसके अलावा काला आलू हीमोग्लोबिन बढ़ाने और नवर्स सिस्टम को मजबूत करता है। इस आलू का सर्वाधिक फायदा गर्भवती महिलाओं के लिए है। साथ में खून की कमी से जूझ रहे व्यक्ति के लिए यह संजीवनी बूटी की तरह है।
स्वाद में साधारण आलू से कहीं बेहतर
काला आलू के रंग पर ना जाकर उसके गुणों को देखना बेहद जरूरी है। गुणों की खान होने के साथ-साथ यह आलू खाने में साधारण आलू से कहीं अधिक स्वादिष्ट और मनभावन है। इसको मटर, गाजर, मैथी, गोभी में मिलाकर प्रयोग किया जा सकता है, तो इसके पकोडे़ और समोसे भी तैयार हो सकते हैं। काले आलू में वह सारे विटामिन मौजूद हैं, जो संतरे में होते हैं। इसलिए यह कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं है कि यह आलू गुणों का आधार है।
मार्च तक मिलेगा इसका स्वाद
प्राचीन आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरुप बताते हैं कि उत्तर भारत यह फसल पहली बार करनाल में तैयार हो रही है। फिलहाल उन्होंने करीब 12 एकड़ में अपने औषधिय फार्म में आलू की यह फसल लगाई है। ये फसल मार्च तक तैयार होगा। इसके बाद आम आदमी का इसका स्वाद लेने का मौका मिलेगा। इतना ही नहीं वह लोगों को इस आलू के लिए पौध भी उपलब्ध कराएंगे, ताकि वह चाहें तो अपने खेत में इसे उगा सकें। इस आलू का उत्पादन साधारण आलू की तरह ही होता है।
काला आलू किसानों के लिए बना फायदे का सौदा, डायबिटीज के मरीज भी कर सकते हैं इस आलू का सेवन
- बिहार के पश्चिम चम्पारण जिले में भी काले आलू की खेती होने लगी है. यहां के नरकटियागंज प्रखंड के मुसहरवा गांव के एक किसान ने काले आलू की खेती की है. कृषि वैज्ञानिकों की माने तो सफेद आलू की तुलना में काले आलू की खेती किसानों के लिए फायदेमंद हो सकती है.
- काले आलू की खेती से किसान सफेद आलू की तुलना में तीन से चार गुना ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. सिर्फ इतना ही नहीं, डायबिटीज के मरीजों के लिए सफेद आलू नुकसानदायक हैं, लेकिन काला आलू उनके लिए फायदेमंद है. इसका सबसे बड़ा कारण इस आलू में पाया जाने वाला एंटी ऑक्सीडेंट और फ्लोरिक एसिड है.
- कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक अभिक पात्रा ने बताया कि साधारण आलू की तुलना में काले आलू में कार्बोहाइड्रेड की मात्रा 20 प्रतिशत तक कम होती है. ऐसे में डायबिटीज के मरीज भी इसका सेवन कर सकते हैं.
- इस काले आलू में पाए जाने वाले कॉपर, मैंगनीज और फाइबर जैसे औषधीय तत्व, हार्ट, डायबिटीज, लीवर और फेफड़े के लिए फायदेमंद हैं. खून की कमी से जूझ रहे मरीजों के लिए यह संजीवनी से कम नहीं है.
- साधारण आलू की तुलना में काले आलू की कीमत करीब चार गुना अधिक है. आधे एकड़ खेत में ही करीब 500 किलोग्राम तक आलू की पैदावार हो जाती है.
- बिहार के कई जिलों के किसानों के अलावा यूपी, झारखंड और असम तक के किसानों को भेज रहे हैं. उन्होंने इसकी खेती में पारंगत हो चुके हैं और अब दूसरे किसानों को भी मदद पहुंचाना चाहते हैं. गौर करने वाली बात यह है कि काले आलू की सब्जी भी पूरी तरह से जमुनी रंग की होती है, और इसका स्वाद सफेद आलू से बिलकुल अलग होता है.
कौन सा आलू सबसे स्वादिस्ट होता है ?
कुफरी संगम (Kufri Sangam)आलू की यह किस्म उत्तर प्रदेश , राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब राज्यों में की जाती है. इस किस्म की खासियत यह है कि यह बहुत पौष्टिक होने के साथ – साथ स्वादिष्ट भी होती है. आलू की यह किस्म लगभग 100 दिनों में तैयार हो जाती है.
कुफरी नीलकंठ किस्म: एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर आलू का ये बेहतरीन किस्म है, जो ज़्यादा ठंड के मौसम को भी बर्दाश्त कर सकता है. इसकी उत्पादन क्षमता अन्य किस्मों से अधिक होती है. ये किस्म की फसल 90 से 100 दिनों तैयार हो जाती है. इसके अलावा स्वाद में भी यह आलू बहुत अच्छा होता है.
Discussion about this post