अमृतधारा अमृत के समान है। यह अनेक बीमारियों की अनुभूत घरेलू दवा है। इसे आयुर्वेदिक घरेलू औषधियों में अपना विशेष स्थान प्राप्त हैं। साधारण सी दिखने वाली यह औषधि रोगियों के लिए वरदान है। यह औषधि शरीर में पहुंचते ही इतनी जल्दी असर दिखाती है कि रोगी का रोग दूर होकर राहत मिलती है। अमृतधारा आयुर्वेद दवा गैस्ट्रिक, अपच, डायरिया, इर्रिटेबल बाउल मूवमेंट, मतली, दांत में दर्द, हिचकी में बहुत लाभकारी है. साथ ही अमृतधारा जले कटे हुए, मच्छर के काटने और घाव के लिए भी लाभकारी है. अमृतधारा दवा लिक्विड और पाउडर दोनों तरह से उपलब्ध है. प्राचीन आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरूप सिंह से जानते हैं अमृतधारा के लाभों के वारे में और अमृतधारा को घर पर कैसे बनाया जा सकता है.
मृतधारा की मुख्य विशेषता यही है कि इसका शरीर पर कोई विषाक्त प्रभाव नहीं पड़ता। खासकर इन बीमारियों जैसे- लू लगना, जी मिचलाना, श्वास लेने में कठिनाई, उदर शूल, अफरा, अतिसार, अजीर्ण, दंत शूल, सिर दर्द, कीट दंश, शोध आदि में इसका प्रयोग अधिक किया जाता है।
कैसे बनाएं अमृतधारा- अमृतधारा बनाने की विधि बहुत ही सरल है। इसे आसानी से घर पर बनाया जा सकता हैं। अमृतधारा बनाने के लिए एक कांच की बोतल को गर्म पानी से धोकर सूखा लें।
अमृतधारा बनाने के लिए आपको ये सामग्री चाहिए
10 ग्राम देशी कपूर
10 ग्राम पिपरमिंट (पुदीना का सत)
10 ग्राम अजवाइन
10 ग्राम लौंग का तेल
10 ग्राम नीलगिरी का तेल
ऊपर दी गयी पांचों को समभाग लेकर एक साफ शीशी में डालकर सारा सामान मिलाकर हिला लें और ढक्कन टाइट बंद कर दें, थोड़ी देर में सारा सामान पिघल जाएगा। बस आपकी अमृतधारा तैयार है। यह शीघ्र तैयार होने वाली दवा है। इसका प्रयोग अनेक बीमारियों में किया जाता है।
अमृतधारा के मानव शरीर के लिए कम से कम 10 फायदे हैं:
1. 3-4 बूंद अमृतधारा थोड़े से पानी में डालकर पीने से बदहजमी, पेट दर्द, दस्त, उल्टी बंद हो जाती है।
2. दांत-दाढ़ में दर्द पर अमृतधारा का फाया रखने से दर्द में राहत मिलती हैं।
3. 1-2 बूंद अमृतधारा जीभ पर रखकर अंदर की तरफ सूंघने से 4-5 मिनट में ही हिचकी में फायदा होता है।
4. 1 चाय के चम्मच प्याज के रस में 2 बूंद अमृतधारा डालकर पीने से हैजा रोग में लाभ होता है।
5. 2 बूंद अमृतधारा ललाट पर मसलने से सिर दर्द में फायदा होता हैं।
6. 10 ग्राम वैसलीन में 4 बूंद अमृतधारा मिलाकर सभी प्रकार के शरीर दर्द में मालिश करने से दर्द ठीक हो जाता हैं। फटी हुई बिवाई और फटे होंठों पर लगाने से भी फयदा होता है।
7. 5-7 बूंद अमृतधारा एक चम्मच अदरक के रस में मिलाकर लेने से दस्त ठीक हो जाते हैं।
8. ठंडे पानी में 4-5 बूंद अमृतधारा डालकर प्रात: सायं पीने से श्वास, खांसी, दमा और क्षय रोग में फायदा मिलता है।
9. जहरीले कीट के काटने पर अमृतधारा मसलने से दर्द में राहत मिलती है।
10. 1-2 बूंद अमृतधारा थोड़े से पानी में मिलाकर छालों पर लगाने से फायदा होता है।
अमृत धारा का उपयोग कैसे करें? How to use Amrit Dhara?
जोड़ों और मांसपेशियों या सिर में वैसलीन के साथ लगाने से दर्द को कम करने में सहायता मिलती है. पेट से संबंधित समस्याओं, गैस्ट्रिक, पाचन और उल्टी के लिए उपाय लाभदायक है. इसके लिए इसकी 3-4 बूंदें पानी में डालकर पीएं. अदरक के रस में कुछ बूंदे डालकर सेवन करने से दस्त बंद होते हैं.
अमृतधारा के क्या फायदे हैं? What are the benefits of Amritdhara?
पेट पर इस तेल की मालिश करने से अकड़न कम होती है. पेट संबंधी बीमारियों जैसे पेट दर्द, दस्त, गैस्ट्रिक प्रॉब्लम में अमृत धारा बहुत मददगार साबित होती है. नाक बंद हो तो अमृत धारा सूंध ले कोल्ड में आराम मिलेगा. दांतों में दर्द हो तो रूई से मुंह के अंदर लगाने से दर्द दूर होता है.
क्या हम अमृतधारा पी सकते हैं? Can we drink Amritdhara?
अमृतधारा सभी प्राकृतिक अवयवों से बना है और यह उपयोग करने के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है। मैंने इस उत्पाद का उपयोग सिरदर्द, सर्दी, छाती में जकड़न और राहत महसूस करने में किया है।
आप अमृतधारा का उपयोग कब करते हैं? When do you use Amritdhara?
अमृतधारा एक सदियों पुरानी आयुर्वेदिक तैयारी है। जो कभी रोजमर्रा की बीमारियों का घरेलू इलाज हुआ करता था। उदाहरण के लिए खांसी और जुकाम, पेट दर्द, उल्टी, पेचिश और दस्त और कीड़े-मकोड़ों का काटना।
अमृतधारा क्या करती है? What does Amritdhara do?
अमृतधारा हर्बल अमृतधारा पॉकेट डॉक्टर सभी बच्चों और वयस्कों के लिए घर पर प्राथमिक उपचार के रूप में कार्य करता है। यह दस्त, अपच, गैस, पेट दर्द, कटने और मधुमक्खी के डंक के इलाज के लिए एक सहायक उपाय है। मुख्य लाभ: गंभीर सर्दी और टॉन्सिल की समस्याओं के इलाज में मदद करता है।
गैस के लिए अमृतधारा का उपयोग कैसे करें? How to use Amritdhara for gas?
उपयोग के लिए निर्देश: आंतरिक उपयोग: पेट की बीमारियों के लिए: पेट दर्द, अपच, भूख न लगना, खट्टी डकार (दिल की जलन) और गैस जैसी बीमारियों के लिए हर्बल अमृतधारा की 3-4 बूंदों को पानी या चीनी के साथ मिलाकर दिन में तीन बार लेना चाहिए। या तीव्र मामलों में हर घंटे के बाद जब तक राहत नहीं मिल जाती।
बच्चों को अमृतधारा कैसे देते हैं? How is Amritdhara given to the children?
For infants above one year: 1 drop to be mixed in saunf water or lukewarm water . दस्त के लिए: अमृतधारा की 5-7 बूंदों को एक टेबल स्पून अदरक के रस या पानी में मिलाकर हर आधे घंटे में तब तक लें जब तक आराम न मिल जाए।
क्या अमृतधारा एसिडिटी के लिए अच्छी है? Is Amritdhara good for acidity?
अमृतधारा आयुर्वेद पर आधारित एक हर्बल तेल और हर्बल अर्क है। पेट की समस्याओं को ठीक करने के लिए इसमें बहुत अच्छे औषधीय गुण हैं। अमृतधारा का उपयोग पेट की गैस या सूजन और दर्द को ठीक करने में किया जाता है । अनुचित भोजन और अपच के कारण बाउल पर दबाव पड़ता है और अम्ल प्रवाह होता है।
क्या हम अमृतधारा को खाली पेट ले सकते हैं? Can we take Amritdhara empty stomach?
पेट दर्द, मासिक धर्म के दर्द के लिए बढ़िया- गर्म / गर्म पानी में 4-5 बूंदें डालें और पियें- कुछ मिनटों के बाद राहत। 4. दस्त- अमृतधारा की 5-6 बूंदों को गर्म पानी में डालकर खाली पेट पिएं ।
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