शुक्राणु की कमी (lack of sperm):
इसे पुराने ज़माने से चली आ रही परेशानी कहें या आधुनिक जीवन शैली की वजह से आया विकार, पुरुषों में शुक्राणुओं की कमी आजकल आम हो गयी है. इसे शहर की सड़कों से बाहर नामर्दी की अचूक दवा बेचने वाले वज्ञापनों की अधिकता में भी समझा जा सकता है. आईएसकेडी मेडीफिट (ISKD Medifit) के इस लेख के माध्यम से जाने माने प्राचीन आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरूप बताएँगे शुक्राणु कम होने के कारण, लक्षण, उपचार और रोकथाम का तरीका ।
सबसे पहले यही समझने की कोशिश करते हैं कि एक इंसान में शुक्राणु की कमी का क्या असर पड़ता है. इसका सीधा सरल उत्तर यह है कि ऐसे पुरुष अपना वंश नहीं बढ़ा पाते, मतलब ऐसे इंसान बच्चे पैदा करने में असमर्थ होते हैं. इसे ही पुरुषों का बाँझपन भी कहा जाता है. ऐसे लोगों को सामाजिक एवं पारिवारिक शर्मिंदगी का सामना भी करना पड़ता है. इससे इतर यह एक स्वस्थ शरीर आ भी मसला है.
लेकिन अगर इसके सही कारणों की पड़ताल की जाय तो इस चिंता से मुक्ति मिल सकती है. आइये जानते हैं कि पुरुषों में शुक्राणु की कमी क्या और क्यों होती है.
जब पुरुष के वीर्य में प्रति मिलिलीटर शुक्राणुओं की संख्या डेढ़ करोड़ से कम होती है तो मेडिकल की भाषा में कहा जाता है कि अमुक व्यक्ति का स्पर्म काउंट कम है. कम शुक्राणु होने को ओलीगोस्पर्मिया कहते हैं. आगे वीर्य में एक भी शुक्राणु नहीं हा तो इसे एजूस्पर्मिया कहते हैं. कम स्पर्म वाले पुरुष अपने साथी को गर्भवती नहीं कर पाते या इसमें उन्हें दिक्कत का सामना करना पड़ता है.
इसका मतलब है कि महिला को स्वस्थ रूप से गर्भवती करने के लिए स्वस्थ और अधिक स्पर्म काउंट की आवश्यकता होगी.
किसी पुरुष में शुक्राणु कम होने के कई कारण हो सकते हैं. यह हार्मोन में अनुवाँशिक असंतुलन की वजह से भी होता और अधिक नशा करने से ऐसा होने की सम्भावना बढ़ जाती हैं. अगर जीवनशैली सही ना हो, मसलन आपको अच्छी नींद ना आती हो, आप तनाव में रहते हों तो ऐसी स्थिति में आपके लैंगिक स्वास्थ्य पर भारी असर पड़ सकता है.
स्पर्म काउंट कम होने के कुछ कारण निम्नलिखित हैं (Following are some reasons for low sperm count):
वृषण से निकलने वाली नसों में ज़ब सूजन हो जाता है तो शुक्राणु की कमी हो सकती है. इसके अलावा यौन आधारित संक्रमण, नशे और तनाव की वजह से शुक्राणु की संख्या में कमी हो सकती है. यदि किसी व्यक्ति में स्खलन की समस्या है तो इससे भी स्पर्म काउंट में कमी आ सकती है. लंबे समय तक साइकिल चलाने से भी वीर्य में स्पर्म की कमी हो सकती है.
ऐसा नहीं है कि इस विकार को दूर नहीं किया जा सकता. अगर कुछ चीज़ेँ तय कर ली जाएँ, तो निश्चित रूप से वीर्य में शुक्राणु की कमी को पूरा किया जा सकता है. अगर आप नीचे दिए नुस्खे अपनाते हैं तो शुक्राणु की कमी की समस्या से निजात पा सकते हैं.
धूम्रपान एकदम न करें (Do not smoke at all):
यह स्पर्म काउंट कम होने की बड़ी वजह है. पुरुषों में धूम्रपान की आदत आम है और इसी वजह से स्पर्म में कमी भी पुरुषों में आम है.
शराब का सेवन सीमित मात्रा में करें या बिलकुल ना करें (Consume alcohol in limited quantities or do not consume it at all):
आधुनिक जीवन में शराब भी लोगों के जीवन से काफी जुड़ गया है. लोग आम तौर पर काम के दबाव के बाद शराब का सेवन करते हैं. अगर यह सीमित मात्रा में हो तो ठीक, वरना यह परेशानी का सबब बन सकता है.
ड्रग्स से बेहद सतर्कता और दूरी बरतें (Be extremely cautious and stay away from drugs):
आजकल नौजवानों में इकी लात काफी तेजी से फैली है. यह केवल लैंगिक नहीं बल्कि कई तरह के बीमारियों को न्योता देता है.
अपने डॉक्टर से उन दवाओं के बारे में बात करें (Talk to your doctor about medications that):
जो शुक्राणुओंके उत्पादन कोप्रभावित कर सकती हैं या उनकी संख्या को कम कर सकती है. ऐसी कई दवा होती हैं जो आपके लैंगिक स्वास्थ्य पर असर डालती है अतः अपने डॉक्टर से सलाह मशवरा करके ही दवाई का प्रयोग करें.
वजन कम करें:
इसके लिए नियमित व्यायाम करें. एक उम्र के बाद परुषों में मोटापा आम है. मोटापा कई बीमारियों की जड़ है.
तनाव से दूर रहें और खुश रहने की कोशिश करें. यह एक स्वस्थ शरीर बनाने की प्राथमिक शर्त है.
ऐसा माना जाता है कि पुरुष अगर एक साल तक अपनी साथी के साथ नियमित सेक्स कर रहा है और तब ही संतान की उत्पत्ति नहीं हो रही तो यह माना जाता है कि अमुक व्यक्ति के शुक्राणु की संख्या में जरूर कोई कमी है. ऐसी स्थिति में पुरुष को अपनी जांच करवानी चाहिए लेकिन कई बार ऐसा होता है कि पुरुष अपने अहंकार में इसकी जांच नहीं करवाता और अपनी पत्नी पर बाँझ होने का आरोप लगाता है. यह ग़लत है और ऐसे पुरुषों को विज्ञान की शरण में जाना चाहिए.
- शुक्राणु में कमी माने स्पर्म काउंट म होने के कई तरह के जांच उपलब्ध हैं, जिनमें कुछ का ज़िक्र नीचे है:
- सामान्य फिटनेस टेस्ट. यह यूं भी करवाते रहना चाहिए ताकि शरीर कि अवस्था पता रहे.
- वीर्य का अध्ययन यह इलाज की प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण और सबसे पहला काम है.
हार्मोन टेस्ट:
हमारे जीवन जीने के तौर तारीकों ने हार्मोन के स्तर पर हम में काफी असंतुलन बना दिया है. और यह असंतुलन कई बार दवाई और विज्ञान की मदद से ही पूरा किया जा सकता है.
जेनेटिक टेस्ट:
जैसा कि हम पहले भी ज़िक्र कर चुके हैं, स्पर्म की कमी की एक वजह अनुवाँशिक भी होती है, अतः ये जांच जरूरी है कि सारे हार्मोन सही मात्रा में बन रहे हैं या नहीं.
- टेस्टिक्युलर बायोप्सी.
- अंडकोष का अल्ट्रासाउंड.
- ट्रांसरेक्टल अल्ट्रासाउंड टेस्ट.
- इजैक्युलेशन के बाद यूरिन की जांच
- शुक्राणु रोधक एंटीबॉडी परीक्षण
- शुक्राणु के विशेष कार्य का परीक्षण
तो अब सोचते हैं इसके निदान के बेहतर उपाय या हो सकते हैं.
सबसे पहले तो अपनी जीवनशैली से शुरुआत करनी चाहिए. हमें रुक कर सोचना चाहिए कि आपकी स्पर्म काउंट का घटता स्तर एक चिंता का विषय है. इसमें सुधार तभी संभव है जब जीवन में नियमित और सकारात्मक परिवर्तन हों. हम ज़्यादा से ज़्यादा सब्जी, फल और ड्राई फ्रूट्स को अपने आहार में जगह दें और अस्वस्थ खाने से बचें. अपनी साफ सफाई का पूरा ध्यान रखें. क्लिनिकल उपाय और भी है लेकिन प्राथमिक तौर पर तो इन नियमों का ही पालन करना चाहिए. डॉक्टर अमूमन ये सलाह देते हैं:
हार्मोन उपचार और दवाएं, संक्रमण का इलाज, सर्जरी और असिस्टड रिप्रोडक्टिव तकनीक इत्यादि.
एजोस्पर्मिया क्या है?
जिन पुरुषों के वीर्य में शुक्राणु नहीं बनते, उस स्थिति को एजोस्पर्मिया (अशुक्राणुता या निल शुक्राणु) कहा जाता है। यह सभी पुरुषों में से लगभग एक प्रतिशत और बांझ पुरुषों (Male Infertility) में पंद्रह प्रतिशत को होता है। इस स्थिति को पहचान सकें ऐसे कोई संकेत नहीं हैं। फिर भी, यदि आप अपने साथी को गर्भवती करने की कोशिश कर रहे हैं और कोई सफलता नहीं मिली है, तो इसका कारण यह स्थिति हो सकती है। अब जब आपको अशुक्राणुता (Azoospermia or Zero Sperm Count) के बारे में पता चला हैं, तो आइए इसके कारणों को भी समझते हैं।
एजोस्पर्मिया का क्या कारण है – What Causes Azoospermia In Hindi
प्राचीन आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरूप, सलाहकार स्त्री रोग विशेषज्ञ, और बांझपन विशेषज्ञ के मुताबिक, आपके पास ऐसी स्थिति हो सकती है, जो आपके अंडकोष को शुक्राणु बनाने से रोकती है या एक जो आपके शरीर से शुक्राणुओं को बाहर नहीं आने देती है। एजोस्पर्मिया के तीन मुख्य स्थिति हैं:
1. प्री टेस्टिकुलर एजोस्पर्मिया – Pre-Testicular Azoospermia
इस स्थिति में आपके अंडकोष ठीक से काम कर जरूर करते हैं, पर आपका शरीर शुक्राणु बनाने के लिए उनका उपयोग नहीं कर सकता है। यह तभी हो सकता हैं, जब आप कीमोथेरपी का उपचार ले रहें हो, कैंसर के उपचार (कीमोथेरेपी) का शुक्राणुजनन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, या फिर शरीर में हार्मोन के स्तर में कमी के कारण भी हो सकता है। यह समस्या बहुत ही दुर्लभ है।
2. टेस्टिक्युलर एजोस्पर्मिया – Testicular Azoospermia
इस स्थिति में अंडकोष किसी कारण से घायल हो जाते हैं, तो वे आपने आपसे शुक्राणु बनाना बंद कर देते हैं। यह निम्नलिखित घटनाओं के कारण हो सकता है।
- प्रजनन पथ में मूत्रमार्ग और एपिडीडायमेटिस में संक्रमण के मामले l
- बचपन में वायरल ऑर्काइटिस जैसी बीमारी। इसमें एक या दोनों अंडाशय की विशिष्ट सूजन शामिल है।
- जांघ में दर्द
- कैंसर और उस पर की जानेवाली विकिरण प्रक्रिया
- जन्मजात गुणसूत्र दोष (क्लाइन फेल्टर सिंड्रोम)
3. पोस्ट-टेस्टिकुलर एजोस्पर्मिया – Post-Testicular Azoospermia
इस स्थिति में आपके अंडकोष सामान्य रूप से शुक्राणु बनाते हैं, फिर भी कुछ उन्हें बाहर जाने से रोकता है, जैसे:
- अंडकोष से वीर्य को योनि तक ले जाने वाली नली अवरुद्ध हो जाती है, इस स्थिति को ऑब्सट्रक्टिव एजोस्पर्मिया कहा जाता है।
- रक्त वाहिकाएं
- जब शुक्राणु युक्त वीर्य योनि से बाहर आने के बजाय मूत्राशय में जाता है, तो रेट्रो-ग्रेड एजोस्पर्मिया होता है।
- एजोस्पर्मिया वाले लगभग 40 % पुरुष पोस्ट-टेस्टिकुलर एजोस्पर्मिया से पीड़ित हैं।
- अब जब आप समझ गए हैं कि अशुक्राणुता का क्या कारण है, तो आइए उपचार के विकल्प क्या हैं।
आप एजोस्पर्मिया का इलाज कैसे कर सकते हैं – Which Treatment is Best For Azoospermia?
प्रजनन प्रक्रियाएं विशेष एजोस्पर्मिया के प्रकार और उसके कारणों पर आधारित होती हैं। आपकी महिला साथी की प्रजनन स्थिति उपचार के विकल्प भी निर्धारित करती है।
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