सोरायसिस एक दीर्घकालिक (दीर्घकालिक) बीमारी है जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली अति सक्रिय हो जाती है, जिससे त्वचा की कोशिकाएँ बहुत तेज़ी से बढ़ने लगती हैं। त्वचा के कुछ हिस्से पपड़ीदार और सूजे हुए हो जाते हैं, ज़्यादातर खोपड़ी, कोहनी या घुटनों पर, लेकिन शरीर के अन्य हिस्से भी प्रभावित हो सकते हैं। वैज्ञानिक पूरी तरह से नहीं समझ पाए हैं कि सोरायसिस किस कारण से होता है, लेकिन वे जानते हैं कि इसमें आनुवंशिकी और पर्यावरणीय कारकों का मिश्रण शामिल है।
सोरायसिस के लक्षण कभी-कभी चक्रों से गुज़र सकते हैं, कुछ हफ़्तों या महीनों तक भड़कते रहते हैं और उसके बाद कुछ समय के लिए वे कम हो जाते हैं या ठीक हो जाते हैं। सोरायसिस के इलाज के कई तरीके हैं, और आपकी उपचार योजना रोग के प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करेगी। हल्के सोरायसिस का अक्सर क्रीम या मलहम से सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है, जबकि मध्यम और गंभीर सोरायसिस के लिए गोलियों, इंजेक्शन या हल्के उपचार की आवश्यकता हो सकती है। तनाव और त्वचा की चोटों जैसे सामान्य ट्रिगर्स को प्रबंधित करने से भी लक्षणों को नियंत्रण में रखने में मदद मिल सकती है।
सोरायसिस होने पर अन्य गंभीर स्थितियाँ होने का खतरा रहता है, जिनमें शामिल हैं:
- सोरियाटिक गठिया , गठिया का एक पुराना रूप है जो जोड़ों और उन स्थानों पर दर्द, सूजन और कठोरता का कारण बनता है जहां टेंडन और स्नायुबंधन हड्डियों (एन्थेस) से जुड़ते हैं।
- हृदय संबंधी घटनाएँ, जैसे दिल का दौरा और स्ट्रोक।
- मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ, जैसे कम आत्मसम्मान, चिंता और अवसाद।
- सोरायसिस से पीड़ित लोगों में कुछ कैंसर, क्रोहन रोग, मधुमेह, मेटाबोलिक सिंड्रोम, मोटापा, ऑस्टियोपोरोसिस, यूवाइटिस (आंख के मध्य भाग की सूजन), यकृत रोग और गुर्दे की बीमारी होने की संभावना अधिक हो सकती है।
सोरायसिस किसे होता है?
सोरायसिस किसी को भी हो सकता है, लेकिन यह बच्चों की तुलना में वयस्कों में अधिक आम है। यह पुरुषों और महिलाओं को समान रूप से प्रभावित करता है।
सोरायसिस के प्रकार
सोरायसिस के विभिन्न प्रकार हैं, जिनमें शामिल हैं:
- प्लाक सोरायसिस। यह सबसे आम प्रकार है, और यह त्वचा पर उभरे हुए, लाल धब्बों के रूप में दिखाई देता है जो चांदी-सफेद रंग के तराजू से ढके होते हैं। ये धब्बे आमतौर पर शरीर पर एक सममित पैटर्न में विकसित होते हैं और खोपड़ी, धड़ और अंगों, विशेष रूप से कोहनी और घुटनों पर दिखाई देते हैं।
- गुटेट सोरायसिस। यह प्रकार आमतौर पर बच्चों या युवा वयस्कों में दिखाई देता है, और आमतौर पर धड़ या अंगों पर छोटे, लाल बिंदुओं जैसा दिखता है। प्रकोप अक्सर ऊपरी श्वसन पथ के संक्रमण, जैसे कि स्ट्रेप गले से शुरू होता है।
- पुस्टुलर सोरायसिस। इस प्रकार में, लाल त्वचा से घिरे हुए पुस्ट्यूल नामक मवाद से भरे उभार दिखाई देते हैं। यह आमतौर पर हाथों और पैरों को प्रभावित करता है, लेकिन एक ऐसा रूप भी है जो शरीर के अधिकांश हिस्से को कवर करता है। लक्षण दवाओं, संक्रमण, तनाव या कुछ रसायनों से शुरू हो सकते हैं।
- उलटा सोरायसिस। यह रूप त्वचा की तहों में चिकने, लाल धब्बों के रूप में दिखाई देता है, जैसे कि स्तनों के नीचे या कमर या बगल में। रगड़ने और पसीना आने से यह और भी बदतर हो सकता है।
- एरिथ्रोडर्मिक सोरायसिस। यह सोरायसिस का एक दुर्लभ लेकिन गंभीर रूप है, जिसमें शरीर के अधिकांश भाग पर लाल, पपड़ीदार त्वचा होती है। यह बुरी तरह से धूप से झुलसने या कॉर्टिकोस्टेरॉइड जैसी कुछ दवाएँ लेने से शुरू हो सकता है। एरिथ्रोडर्मिक सोरायसिस अक्सर उन लोगों में विकसित होता है, जिन्हें एक अलग प्रकार का सोरायसिस होता है, जिसे अच्छी तरह से नियंत्रित नहीं किया जाता है, और यह बहुत गंभीर हो सकता है।
सोरायसिस के लक्षण
सोरायसिस के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग होते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:
- मोटी, लाल त्वचा के धब्बे जिन पर चांदी-सफेद रंग की पपड़ियाँ होती हैं और जिनमें खुजली या जलन होती है, आमतौर पर कोहनी, घुटनों, खोपड़ी, धड़, हथेलियों और पैरों के तलवों पर होती हैं।
- सूखी, फटी हुई त्वचा जिसमें खुजली होती है या खून निकलता है।
- मोटे, उभरे हुए, गड्ढेदार नाखून।
- नींद की खराब गुणवत्ता.
कुछ रोगियों में सोरियाटिक गठिया नामक एक संबंधित स्थिति होती है , जिसकी विशेषता कठोर, सूजे हुए या दर्दनाक जोड़; गर्दन या पीठ दर्द; या एड़ी में दर्द हो सकता है। यदि आपको सोरियाटिक गठिया के लक्षण हैं, तो जल्द ही अपने डॉक्टर से मिलना ज़रूरी है क्योंकि अनुपचारित सोरियाटिक गठिया अपरिवर्तनीय क्षति का कारण बन सकता है।
सोरायसिस के लक्षण आते-जाते रहते हैं। आप पा सकते हैं कि कई बार आपके लक्षण बदतर हो जाते हैं, जिन्हें फ्लेयर्स कहा जाता है, और उसके बाद कुछ समय ऐसा आता है जब आप बेहतर महसूस करते हैं।
सोरायसिस के कारण
सोरायसिस एक प्रतिरक्षा-मध्यस्थ रोग है, जिसका अर्थ है कि आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अति सक्रिय होने लगती है और समस्याएँ पैदा करती है। यदि आपको सोरायसिस है, तो प्रतिरक्षा कोशिकाएँ सक्रिय हो जाती हैं और ऐसे अणु उत्पन्न करती हैं जो त्वचा कोशिकाओं के तेज़ उत्पादन को शुरू करते हैं। यही कारण है कि इस बीमारी से पीड़ित लोगों की त्वचा में सूजन और पपड़ी होती है। वैज्ञानिक पूरी तरह से समझ नहीं पाए हैं कि दोषपूर्ण प्रतिरक्षा कोशिका सक्रियण को क्या ट्रिगर करता है, लेकिन वे जानते हैं कि इसमें आनुवंशिकी और पर्यावरणीय कारकों का संयोजन शामिल है। सोरायसिस से पीड़ित कई लोगों के परिवार में इस बीमारी का इतिहास रहा है, और शोधकर्ताओं ने कुछ ऐसे जीन की पहचान की है जो इसके विकास में योगदान दे सकते हैं। उनमें से कई प्रतिरक्षा प्रणाली के कार्य में भूमिका निभाते हैं।
कुछ बाहरी कारक जो सोरायसिस विकसित होने की संभावना को बढ़ा सकते हैं, उनमें शामिल हैं:
- संक्रमण, विशेषकर स्ट्रेप्टोकोकल और एचआईवी संक्रमण।
- कुछ दवाइयां, जैसे हृदय रोग, मलेरिया या मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए दवाएं।
- धूम्रपान.
- मोटापा
सोरायसिस की पहली होम्योपैथिक दवा
Ars. Alb : 6-10M एवं उच्च शक्तियां –
- डॉ. ट्रेवोर स्मिथ के अनुभव के अनुसार आर्सेनिक अत्यंत असाध्य सोरायसिस के लिए है जिसमें त्वचा मोटी हो जाती है तथा खुजली होती है।
- डॉ. डेवी ने लिखा है कि जब चमड़ी मोटी पड़ जाए जिसमें दाने और मुंहासे भी होते है, आर्स उपयोगी है।
- डॉ. विंगर ने आर्स को सोरायसिस में लाभकारी बताते हुए कहा है कि इसके प्रयोग से सर्वप्रथम यह प्रभाव होता है कि दाने अधिक लाल हो जाते है और सूजन आ जाती है। ऐसे में दवा रोक दें और अच्छे परिणाम की प्रतीक्षा करें।
- डॉ. सी. डनहम ने आर्स एल्व 4x शक्ति का प्रयोग सोरायसिस में सबसे अच्छा बताया है। उनका ऐसा अनुभव रहा।
मेरा अनुभव:
कुछ वर्ष पूर्व सोरायसिस का एक जीर्ण रोगी चिकित्सा के लिए आये। वे करीब पंद्रह वर्षों से इलाज कराने के बाद अंत मे एम्स से भी लॉट आये। सम्पूर्ण शरीर मे जलन तथा नोचते नोचते शरीर की खाल के धुर्रे उड़ जाते थे। प्रारम्भ मे चमडा का ताँबा जैसा रंग किन्तु बाद मे मछली के चोइटे की तरह खाल उखड़ता था। रात्रि में भयंकर जलन तथा खुजलाते खुजलाते नींद नही आती थी। दोपहर तथा आधी रात में अधिक रोग वृद्धि देख कर मैंने उन्हें आर्स एल्ब :200 एवं बाद में लक्षणानुसार रात्रि में सीपिया : 30 शक्ति की दवाएं दी। कुछ ही दिनों में आश्चयर्जनक लाभ देख कर लोग दंग रह गए। रोगी 80 प्रतिशत तक लाभ होने की बाते स्वयं कहते थे।
सोरायसिस की दूसरी होम्योपैथिक दवाAcid chryso : 3x- 30
डॉ एल्वा बेंजामिन ने लिखा है कि यदि नाखून में सोरायसिस हो – अन्य कोई लक्षण न हो तो नित्य तीन बार एसिड क्राइसो दें। इस रोग में यह बहुत लाभदायक है।
तीसरी दवा
Ars. Bromatum : 3x
- आर्स ब्रोम सोरा ओर सिफलिस दोष से उत्पन्न सोरायसिस में अत्यधिक लाभकारी रहा है।
- कुछ विद्वानों ने इसे सोरायसिस की उत्कृष्ट दवा माना है तथा इस रोग मे इस दवा की 3x शक्ति देने की सिफारिश की है।
- डॉ एम डीपर बोर्न ने Ars bromide : 3x phytolacca : 2x Natrum Sulph : 6x ,Hydrocotyle :3x ,Borax : 3x द्वारा सोरायसिस के अनेकानेक रोगियों का सचित्र अरोग्य विवरण दिया है तथा इस रोग में सोडियम हाइपोसल्फेट से स्नान करने तथा गर्म जल के झरने में स्नान करने पर विशेष रूप से प्रकाश डाला है।
डॉ आर के टंडन तथा बी के बजाज के अनुसार आर्स ब्रोम : क्यू की 10 बूंदे लंबे अरसे तक देनी चाहिए। बीच बीच मे सल्फर :1 एम की एक खुराक प्रत्येक पंद्रह दिनों पर दें। बोरेक्स :30 भी लंबे समय तक देनी चाहिए। अनेकों रोगी ठीक हुए हैं।
चौथी दवा
Ars iodatum : 3x-1M या उच्च शक्तियां
- सोरायसिस की यह एक विशिष्ठ औषधि है। साथ ही चर्म कैंसर एवं लूपस अर्थात चर्म यक्ष्मा जैसे असाध्य चर्म रोगों की भी आर्स आयोड एक कीमती दवा है।
- डॉ एस जी मुखर्जी ने लिखा है कि नानाप्रकार के चर्म रोग जिसमे सफेद सूखे छिलके के खाल से उखड़ते हैं। बेहद खुजली जोकि पानी से धोने पर बढ़ती है, उसमे यह दवा बहुत उपयोगी रहती है।
- डॉ बोरिक के शब्दों में त्वचा सूखी, परतदार, कीलदार, खुजली, त्वचा उखड़ जाए और वहां से रस बहे, त्वचा कच्ची कच्ची रह जाये उसमे आर्स आयोड लाभ देगा। आर्स आयोड की यह विशेषता है कि चमड़े से मछली के छिलके की तरह बड़ी बड़ी या पतली पतली या मोटी मोटी खाल छूट जाती है। रोगी खुजलाते खुजलाते कुछ छिलका फेंक देता है। छिलके निकल जाते ही भीतर घाव निकल पड़ता है।
- डॉ एम भट्टाचार्य ने अपने चिकित्सा अनुभव में लिखा है कि हमारे एक रिश्तेदार को ऐसा चर्म रोग हुआ था। तरह तरह की दवा का सेवन , इंजेक्शन आदि से कोई फायदा न होते देख हमने आर्स आयोड की 6x शक्ति से शुरू करके एक हज़ार शक्ति की कुछ मात्राओं के प्रयोग से रोग आरोग्य किया था।
पांचवी दवा
Ars Sulph Rubrum : 6x-200
डॉ एन. सी.घोष के शब्दों में सोरायसिस इत्यादि की तरह कई प्रकार के चर्म रोग और बहुत दिनों के पुराने अतिसार में ( जिसके मल में बहुत हो ) इससे विशेष लाभ होता है।
छठी दवा
Radium Bromide : 30
इस दवा के लक्षण में सोरायसिस वाले स्थान पर जलन एवं खुजली अधिक रहती है। रेडियम ब्रोमाइड लिंग की सोरायसिस में अधिक फायदा करती है।
सांतवी दवा
Anacardium : 200
डॉ विश्पला पार्थ सारथी ने अपना चिकित्सीय अनुभव इस प्रकार व्यक्त किया है – अपरस (सोरायसिस) 29 वर्षीय महिला इलाज के लिए आई, देखने मे पतली, क्रोधित , ऊपर से नीचे तक सोरायसिस के पर्तदार घावों से ढकी , मुख्य रूप से पैरों और बाहों पर। छह माह पूर्व विवाह हुआ था। उसकी निराशा कई प्रकार से अभिव्यक्त हुई । उनके अब तक के अनुभव का यह अनूठा केस । उसकी त्वचा का रोग जनवरी, 1995 मे शुरू हुआ। मार्च 1996 में रोग वृद्धि , रोग बाएं से दाहिने पैर, बाहों और टांगो में फैल रहा था । फटने के साथ कठोर त्वचा और खुजलाहट, जलनयुक्त लाल घाव हो जाना और उनकी पर्त छूटती थी। शादी के बाद रोग वृद्धि। स्नान से बदतर । आचार, चॉकलेट, केला के लिए उत्कृष्ट इच्छा, खट्टे भोजन और टमाटर के प्रति अभिरुचि । मासिकधर्म कम मात्रा में ।
माहवारी के पहले भूख में वृद्धि । दस्त दिन में तीन बार । मैथुन में अरुचि क्योंकि वह अपने शरीर से घृणा करती है। शादी के बाद वह सिंगापुर गयी थी और उसका भाई वहाँ आया तो पुनः झगड़ा हुआ और सभी भावनाए सामने आ गयी । उसकी सोरायसिस और खराब हो गयी। रोगिणी अपनी ननद से घृणा करती है जो बातूनी, शासक प्रकृति की एवम ईर्ष्यालु है। रोगिणी निरंतर तनाव महसूस करती रहती है। वह चाहती है कि उसकी ननद चली जाए ताकि वह शांति से रह सके।
केस के अध्ययन करने और रिपर्टरी से संदर्भ लेने के बाद उन्होंने महसूस किया कि एनाकार्डियम ही उसकी औषधि है जिसे 200 शक्ति में दिया गया । अगले 14 दिनों में पैर की त्वचा उखड़ने से उसने बहुत अच्छा महसूस किया । जनवरी 1997 तक वह बहुत अच्छी हो गयी।
आठवीं दवा
Bacillinum : 1M
डॉ बर्नेट ने कहा कि दाद उन्ही लोगो को हुआ करता है जिसके वंश में क्षय रोग का इतिहास हो । दमा खांसी एवं स्नोफिल ग्रस्त रोगियों के वंशानुगत इतिहास मिलने पर सोरायसिस में मैं बेसिलिनम देता हूँ।
नौवीं दवा
Berberis Aquifolium Q
डॉ डेवी ने इसे सोरायसिस में काफी विश्वसनीय माना है । इसमें चेहरे पर परतदार पस वाले उद्भेद होते हैं। उनमे उपयोगी है।
दसवीं दवा
Borax : 30 -200
- यह सोरायसिस की नई स्थिति में लाभदायक है ।
- डॉ मैक कैल्टे चेव ने इसे सोरायसिस की एक विश्वसनीय औषधि माना है।
- बोरेक्स से उन्होंने सोरायसिस के बहुत से रोगियों को ठीक किया है।
अगली दवा
Corallium Rub : 3x -200
- हाथ की हथेली और पैर के तलवे की सोरायसिस में इससे लाभ होता है।
- डॉ एम भट्टाचार्या के अनुसार चर्म का उद्भेद मूंगे की तरह लाल रहता है। घाव लाल रंग और चिमटा रहता है । घाव छूना सहन नही होता है। यह दवा लिंग के सोरायसिस में अधिक उपयोगी रहा है।
- डॉ गैरेन्सि महोदय ने लिखा है कि लिंग मुंड के ऊपरी चमड़े के नीचे लाल रंग का चिमटा घाव जिससे लगातार पीला स्त्राव निकलने उसमे यह उपकारी है।
अगली दवा
R.N.A. – 200 -1M
यह भी होम्योपैथिक की नई दवा है। आर. एन. ए. का पूरा नाम Ribonucleic Acid है। डी .एन. ए के पंद्रह दिन आर.एन .ए देने से एक्ज़िमा, सोरायसिस, सफेद दाग , एलर्जी , जुलपित्ती में फायदा होते देखा गया है।
अगली दवा
Hydrocotyle : Q -200
- डॉ एम भट्टाचार्य महोदय ने लिखा है कि चर्म रोग उद्भेद में, सूखा चमड़ा जिसमे मोटा खाल छूट जाती है, हथेली, तलवा, हाथ – पैर और शरीर मे सोरायसिस नामक चर्म रोग, गोल-गोल दाद और उसके किनारे खाल छूटती है उसमे हाइड्रोकोटायल लाभ करता है।
- डॉ डियर बोर्न ने कुष्ठ रोग मे इसकी प्रशंसा की है।
- डॉ डेवी साहब ने हाइड्रोकोटाइल द्वारा एक दुराग्रही सोरायसिस के रोगी को आरोग्य किया था।
डॉ गणेश नारायण चौहान, जयपुर (राजस्थान) ने इस संदर्भ मे अपना चिकित्सीय अनुभव इस प्रकार दिया है: –
(क) हाइड्रोकोटाइयल -6 : धड़, हाथ- पैर, हथेली और तलवों में गोलाकार रूप में, परत का मोटा हो जाना तथा चोंइटे का उतरना, वृत्ताकार दाग साथ ही चोइटेदार किनारे, शुष्क उद्भेद, असह्य खुजली में उपयोगी है।
(ख) हाइड्रोकोटायल और थायराडिनम के लक्षण आपस मे मिलते हैं । ये दोनों सदृश्य औषधियाँ हैं । अतः हाइड्रोकोटायल : 6 दिन मे तीन बार और थायराडिनम : 30 रात को एक बार देने से बहुत से रोगियों को लाभ हुआ है, परन्तु इसकी चिकित्सा के प्रारंभ में सल्फर फिर एक्स-रे का प्रयोग करना चाहिए।
(ग) हाइड्रोकोटायल : 30 नित्य चार बार तथा रेडियम ब्रोमाइड 30 एक बार नित्य कुछ सप्ताह तक लेने से भी लाभ होता है।
अगली दवा
Psorinum : 200
- सोरायसिस में Psorinum एक प्रमुख औषधि है।
- Psorinum एक कस्टीच्यूशनल रेमेडी है। सल्फर के बाद सोरीनम देने से धातुगत अवरोध दूर हो जाता है।
अगली दवा
Ranunculus Bulbosus : 3x – 200
यह दवा हथेली के सोरायसिस में लाभदायक है। खुजलाहट, फटना, हथेली में फफोला होना, रंग पीला, उंगलियों की नोंक और हथेली के सोरायसिस में विशेष लाभदायक है। डॉ भट्टाचार्य महोदय के अनुसार हथेली में फफोले के तरह उद्भेद, जाड़े का फोड़ा या शीत के कारण पैर के तलवों में छाले पड़ना आदि में इसका व्यवहार किया जाता है।
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