बरसात का मौसम जितना आनंद देता है उसके साथ कई बीमारियो का कारण भी बन जाता है l मानसून के दौरान होने वाले रोग जैसे सामान्य बुखार सर्दी खांसी, मच्छरों के कारण संक्रमण डेंगू ,मलेरिया ,चिकनगुनिया साथ मे पाचन तंत्र में संक्रमण हो सकता है l मच्छर अपने अंडे सड़क के फुटपाथों में एकत्रित दूषित पानी में, या घरेलू बगीचों में, बर्तनों के नीचे रखी ट्रे में रखते हैं, और उनकी कई प्रजातियाँ पैदा करते हैं। डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया जैसी गंभीर बीमारियां हमारे लिए सौगात बनकर आती हैं। और अगर नजरअंदाज किया जाए तो तेज बुखार, ठंड लगना, मांसपेशियों में कमजोरी, दर्द जानलेवा हो सकता है। डेंगू एक वायरल संक्रमण है जो शरीर में रक्त में प्लेटलेट्स के स्तर को कम करके रक्त के थक्का बनाने के गुण को प्रभावित करता है। होम्योपैथी में मानसून की बीमारी और डेंगू बुखार का इलाज है आइए आज के लेख में इसके बारे में जानते हैं।
डेंगू क्या है ? क्या है इससे बचने के उपाय ? (What is dengue? What are the ways to avoid this)
डेंगू –
यह एक तरह का जानलेवा बुखार है जो कि मादा एडीज मच्छर के काटने से फैलता है, और अगर सही समय पर रोगी को सही इलाज न मिले तो रोगी की जान को बहुत खतरा हो सकता है और वह काल कवलित भी हो सकता है।
वैसे तो मच्छर बहुत से रोग के जिम्मेदार होते है, जिनमें फाइलेरिया, मलेरिया, डेंगू , जीका, सामान्य बुखार इत्यादि प्रमुख है।
कैसे फैलता है डेंगू –
जब भी मादा एडीज मच्छर आपके शरीर के खुले स्थानों पर काटती है जैसे कि गर्दन, हाथ-पैर में तो वह अपने अंदर का विषाणु जो कि डेंगू का मुख्य विषाणु होता है आपके बॉडी के अंदर छोड़ देती है, जिसमें मच्छर के अंडे भी होते है जो कि एक तरह के परजीवी के जैसे ही होते है जो कि मनुष्य के रक्त से अपना पोषण प्राप्त करते है और इस पोषण की अवधि 48 घण्टे की होती है, दूसरे शब्दों में समझे तो जब भी मादा एडीज मच्छर आपको काटेगी तो आपके रक्त में अपने बच्चे छोड़ देगी जो कि प्लास्मोडियम के नाम से जाने जाते है, यह परजीवी आपके बॉडी में 48 घण्टे तक जीवित रह सकते है, अगर आपने अपनी बॉडी को 48 घण्टे तक किसी भी मच्छर के काटने से बचा लिया तो आपके बॉडी के अंदर का परजीवी खुद ही मर जायेगा,
मनुष्य के शरीर मे मच्छर के प्लास्मोडियम का जीवन चक्र 14 दिन का होता है, जब तक यह परजीवी आपके बॉडी में जिंदा रहेगा तब तक आपको लगातार बुखार आता रहेगा और लगातार बुखार आने की वजह से आपकी तबियत काफी बिगड़ सकती है।
डेंगू के मुख्य लक्षण (Main symptoms of dengue):
मादा एडीज मच्छर के काटने के 2 से 3 दिन के अंदर ही आपको बुखार आना शुरू हो जाएगा, इसके बाद हालात बिगड़ते ही चले जायेंगे,
डेंगू के कुछ मुख्य लक्षण निम्नलिखित है –
1. हल्के बुखार के कुछ दिन बाद ही तेज बुखार आना।
2. बुखार के साथ तेज ठंड लगना।
3. भूख न लगना।
4. लगातार उल्टियां होना।
5. बॉडी में ताकत का खत्म हो जाना।
6. पैरों के निचले हिस्से में दर्द होना।
7. लिवर में दर्द होना।
8. नाक से खून आना ( हालत गंभीर होने पर )।
9. प्लेटलेट्स का बहुत कम हो जाना।
10. दृष्टि का कमजोर हो जाना।
डेंगू में प्लेटलेट्स की सामान्य संख्या कितनी होती है ? (What is the normal number of platelets in dengue):
वैसे तो सामान्य मनुष्य के रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या 1.5 लाख से 4 लाख के बीच में रहती है लेकिन जब भी डेंगू का विषाणु आपके शरीर के अंदर जाता है तो आपके रक्त से प्लेटलेट्स की संख्या लगातार कम होती जाती है, अगर आपके शरीर में 1 लाख तक प्लेटलेट्स है तो डेंगू में यह संख्या सामान्य मानी जाती है, इस स्टेज पर रोगी को कोई भी खतरा नही होता है लेकिन अगर यह संख्या कम होकर 50 हजार पर पहुँच जाती है तो रोगी को हॉस्पिटल में एडमिट कराने की जरूरत पड़ जाती है, क्योंकि अगर 1 या 2 दिन का भी इंतजार किया तो रोगी की जान भी जा सकती है, और अगर यह संख्या और कम होकर 20 हजार पर पहुँच जाती है तब रोगी बहुत ही गंभीर हालत में पहुँच जाता है उसकी नाक से खून भी आने लगता है, और लगातर उल्टियां होने की वजह से रोगी बेहोशी की हालत में रहने लगता है, इस समय उसे बहुत ही देखभाल की जरूरत होती है।
डेंगू होने पर प्लेटलेट्स को कैसे बढ़ा सकते है ? (How can platelets be increased in case of dengue):
डेंगू होने पर प्लेटलेट्स का कम होना एक आम और खतरनाक बात है, क्योंकि अगर आपकी बॉडी से प्लेटलेट्स बहुत कम हो जाती है तो आपकी मृत्यु भी हो सकती है लेकिन आपको डरने की कोई जरूरत नही है, आप अपनी प्लेटलेट्स को सामान्य कर सकते है, इसके लिए आपको कीवी नाम का फल खाना चाहिए, इसे आप दिन में दो बार खा सकते है सुबह और शाम में, इसके अलावा आपको नारियल पानी पीना चाहिए, और साथ में सादा पानी भी पीते रहना चाहिए, इससे आपके शरीर में कम हुई प्लेटलेट्स की संख्या सामान्य होने लगेगी लेकिन यह प्रक्रिया काफी धीमे से होती है, जल्दी प्लेटलेट्स को सही करने के लिए आपको पतंजलि की ड़ेंगूनिल वटी का सेवन करना चाहिए इसे आप दिन में 3 बार तक खा सकते है, और इसे खाली पेट ही खाया जाता है, इससे आपकी प्लेटलेट्स 3 दिन के अंदर ही सामान्य हो जाएगी।
इन सबके अलवां डेंगू में पपीते के पत्ते का अर्क भी बहुत कारगर होता है । बहुत सी बड़ी कंपनियों द्वारा इसकी टेबलेट और सिरप भी बनाई जा रही है जिसका नाम Carica papaya आदि के नाम पर रखा जाता है ।
डेंगू में क्या-क्या खा सकते है और क्या नहीं ? (What can one eat and what not during dengue):
अगर आपके परिवार में किसी को डेंगू हुआ है तो आप उस रोगी को खाने में बस हल्का खाना ही दे जैसे कि दलिया, खिचड़ी, गीले उबले चावल, पतली रोटी, सेव, अनार, कीवी आदि खाने को दे सकते है, और रोगी को तला हुआ खाना, या बाहर का फ़ास्ट या जंक फूड नही देना चाहिए, अगर रोगी ज्यादा तला हुआ खाना खाता है तो उसके लिवर को बहुत नुकसान हो सकता है, इससे उसकी हालत भी बिगड़ सकती है।
डेंगू में कौन सी होम्योपैथिक दवाएं बेस्ट है ? (Which homeopathic medicines are best for dengue):
डेंगू एक जानलेवा और घातक बीमारी है इसे ठीक करने के लिए होम्योपैथी में बहुत सी बेस्ट दवाएं आती है जिनका सेवन करके आप घर बैठे ही ठीक हो सकते है।
डेंगू होने पर आप ब्रायोनिया एल्बा 30 या 200, Rhus tox 30 , चाइना (china) 30 या 200, बेलाडोना 200, नक्स वोमिका 30 , 200, आदि होम्योपैथिक दवाएं खा सकते है,
इसके अलावा आजकल युपेटोरियम पेरफोलियेटम 30 अथवा 200 पावर में बहुत प्रचलित हो रही है । डॉक्टरों का कहना है ये दवा डेंगू,चिकनगुनिया जैसे बुखारो में बहुत कारगर है इससे डेंगू के लक्षण धीरे-धीरे कम होते चले जायेंगे। ओर आश्चर्यजनक रूप से प्लेट्लेट्स बढ़ जाते है।
यूफोरिटियम परफोली (Euphorbium Perfolia):
यह होम्योपैथिक दवा डेंगू के उन मरीजों को दी जाती है जिन्हें तेज सिरदर्द और आंखों में दर्द होता है। साथ ही कई मरीजों को सूर्यास्त के बाद यानी शाम और रात के बाद जुकाम हो जाता है और खांसी ज्यादा होती है। हालांकि अंगों में दर्द और हड्डियों में दर्द जैसे लक्षण होते हैं तो भी रोगी को आराम मिल जाता है।
यूपाटोरियम परफोलीएटम डेंगू के लिए सबसे उपयुक्त दवा है क्यूंकि इस के लक्षण डेंगू के लक्षणों से पूरी तरह मिलते हैं। इसी वजह से इस दवा को ‘बोन सेट’ भी कहा जाता है। यही कारण है कि इस दवा के प्रयोग से डेंगू की तीव्र दर्दों में आराम मिलता है। यह दर्द बाजुओं और टांगों की मांसपेशियों में अधिकतर होता है और तेज़ बुखार के साथ होता है। सर में टीस मारने वाला दर्द होता है। सर के ऊपरी तथा पिछले भाग में अधिक दर्द होता है। आँखों में भी थकान महसूस होती है और दर्द भी होता है।
बेल्लादोन्ना (Belladonna) : सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द और अत्यधिक गर्मी के साथ बुखार को नियंत्रित करने के लिए
सिरदर्द को प्रबंधित करने के लिए बेलाडोना सबसे अच्छा विकल्प है । जिन मामलों में इसकी आवश्यकता होती है, हालांकि दर्द सिर के किसी भी हिस्से में महसूस किया जा सकता है, लेकिन ज्यादातर सिर के किनारों (मंदिरों) पर होता है। बेलाडोना का उपयोग करने के लिए, दर्द बहुत तीव्र है, और प्रकृति में धड़क रहा है। सिर को कसकर बांधने से आराम मिलता है। यह आंखों के पीछे दर्द से राहत दिलाने में भी सहायक है । बुखार के दौरान शरीर में तेज गर्मी होती है, चेहरा लाल हो जाता है और प्यास नहीं लगती।
नक्स वोमिका (Nux vomica):
जिन रोगियों में सर्दी, गले में खराश, खांसी, सिर दर्द, मसूढ़ों में सूजन जैसे लक्षण होते हैं उनके लिए यह कारगर औषधि है।
जेल्सीमियम (Gelsemium) – कमजोरी और शिथिलता के साथ डेंगू बुखार के लिए
जेल्सीमियम डेंगू बुखार के उन रोगियों के लिए सर्वोत्तम है जो अत्यधिक कमजोरी और शिथिलता का अनुभव करते हैं। सुस्ती, चक्कर आना और उनींदापन की स्थिति जेल्सीमियम का चयन करने के लिए एकदम सही वर्णन है। जिन रोगियों को इसकी आवश्यकता होती है वे सुस्त लगते हैं और बिना किसी व्यवधान के पूर्ण मौन में लेटने की इच्छा रखते हैं। वह शांत रहना चाहता है और बातचीत पसंद नहीं करता। रोगी को कंपकंपी वाली ठंड का अनुभव होता है जो आमतौर पर पीठ में चिह्नित होती है और पीठ के ऊपर और नीचे यात्रा करती है। दूसरा लक्षण आंखों में भारीपन के साथ सिरदर्द होना है। सिरदर्द मुख्य रूप से सिर के पिछले हिस्से में होता है जो ज्यादातर मामलों में माथे और आंखों तक पहुंच जाता है। अधिकांश मामलों में प्यास का अभाव भी होता है। मांसपेशियों में दर्द उपरोक्त लक्षणों में शामिल हो सकता है।
ब्रायोनिया (Bryonia):
ब्रायोनिया एक होम्योपैथिक दवा है जो डेंगू के मरीजों के लिए काफी कारगर है। बुखार, मांसपेशियों में दर्द, चिड़चिड़ापन, तेज सिरदर्द, आंखों में दर्द होने पर इससे बहुत फर्क पड़ता है।
इस दवा में भी तीव्र ज्वर के साथ बाजुओं, टांगों तथा पीठ में दर्द रहता है। इस में दर्द इस प्रकार से होता है मानो कोई तीखी चीज़ की चुभन हो। इस दवा के महत्वपूर्ण लक्षण हैं कि रोगी को प्यास बहुत अधिक मात्रा में लगती है और हर प्रकार का दर्द चलने फिरने से और हिलने डुलने से भी बढ़ता है। बिस्तर में करवट बदलने पर भी दर्द बढ़ जाती है। आराम करते रहने से ही दर्द सहनीय होती है। इसी वजह से रोगी बिलकुल भी हिलना डुलना या चलना फिरना नहीं चाहता है। मुंह तथा जीभ सूख जाते हैं और अत्यधिक प्यास लगती है। प्यास तो इतनी अधिक होती है की रोगी हर समय पानी ही पीता रहता है। मुँह का स्वाद कड़वा रहता है।
आर्सेनिक एल्बम (Arsenic Album) : कमजोरी और बुखार को प्रबंधित करने के लिए
बुखार के दौरान कमजोरी को दूर करने के लिए आर्सेनिक एल्बम एक आदर्श होम्योपैथिक दवा है । जहां इस दवा की आवश्यकता होती है वहां खड़े होने और चलने से भी थकान हो जाती है। थकान के कारण हर समय लेटे रहने की जरूरत पड़ती है। शरीर में अंदरूनी ठंड लग सकती है लेकिन बाहर से छूने पर शरीर गर्म होता है। बुखार अधिकतर रात में आता है और इसके साथ ही चिंता और बेचैनी भी देखी जाती है। बहुत थोड़े-थोड़े अंतराल पर थोड़ी मात्रा में पानी की प्यास लगती है। मतली और उल्टी के प्रबंधन के लिए आर्सेनिक भी दिया जा सकता है। भोजन की गंध या देखने से मतली बढ़ जाती है और कुछ भी खाने या पीने से उल्टी बढ़ जाती है।
इपेकैक (Ipecac): मतली और उल्टी को प्रबंधित करने के लिए
मतली और उल्टी से राहत के लिए इपेकैक को पहली दवा के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। लगातार मतली और उल्टी होने पर यह बहुत मदद करता है। उल्टी के बाद भी मतली ठीक नहीं होती। इसमें पानी जैसे तरल पदार्थ की उल्टी होती है, साथ ही पेट में काटने जैसा दर्द होता है।
कैलकेरिया कार्बोनिका (Calcarea Carbonica):
यह दवा तब प्रभावी होती है जब डेंगू के रोगी को बुखार के साथ दाने या छोटे छाले हो जाते हैं। इसके अलावा यह तेज सर्दी, गले में सूजन, सीने में भारीपन, तेज थकान जैसे लक्षणों में भी कारगर औषधि के रूप में काम करता है।
फॉस्फोरस (phosphorus): खून स्राव के साथ होने वाले डेंगू के लिए
यह दवा खून के स्राव के साथ होने वाले डेंगू के लिए सर्वोत्तम दवा है। शरीर के किसी भी भाग अंग से खून का स्राव अपने आप ही आरम्भ हो जाता है। हाथों, पैरों में जलन तथा सुन्नपन होता है। बहुत अधिक प्यास लगती है और हर समय ठंडा पानी पीने का दिल करता है। यहां तक की बर्फ जैसा ठंडा पानी पीने का मन करता रहता है। भूख भी अधिक लगती है।
रस टॉक्स (Rasa Talks): चलते समय दर्द के कम होने वाले डेंगू के लिए
रस टॉक्स डेंगू के लिए एक बेहतरीन दवा है जब शरीर में होने दर्द चलने फिरने से थोड़ा कम महसूस होता हो। बैठने और लेटने पर यह दर्द बढ़ता है और थोड़ा चलने फिरने से यह दर्द सहनीय हो जाता है। इस लिए रोगी लगातार हिलता डुलता रहता है और एक जगह टिक नहीं पाता है। जीभ पर एक सफेद पर्त सी चढ़ जाती है और जीभ के आगे वाले भाग पर एक लाल सा त्रिकोण बन जाता है।
करिका पपाया (karika papaya): डेंगू में कम हुए प्लेटलेट्स को बढ़ाने के लिए
करिका पपाया एक होम्योपैथिक दवा है जो हमें पपीते के फल से मिलती है। यह एक साधारणतः पाया जाने वाला फल है और इस के बीजों से हमें यह दवा मिलती है। यह गिरते हुए प्लेटलेट्स की गिनती को जल्द बढ़ा देती है। मैंने इसे अनेक रोगियों पर प्रयोग किया है और बहुत ही प्रभावी पाया है।
डेंगू रक्तस्रावी बुखार के लिए होम्योपैथिक दवाएं
हालाँकि डेंगू रक्तस्रावी बुखार में रक्तस्राव को प्रबंधित करने के लिए कुछ होम्योपैथिक दवाएं हैं, लेकिन ऐसे मामलों में उपचार के पारंपरिक तरीकों से तत्काल चिकित्सा सहायता लेने की सख्त सलाह दी जाती है क्योंकि यह स्थिति जीवन के लिए खतरा हो सकती है और तत्काल अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो सकती है। रक्तस्राव को प्रबंधित करने में मदद के लिए, होम्योपैथिक दवाओं का उपयोग पारंपरिक उपचार के साथ किया जा सकता है और इसे किसी भी मामले में पारंपरिक उपचार के विकल्प के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। मुख्य होम्योपैथिक दवाएं जो डेंगू रक्तस्रावी बुखार में मदद कर सकती हैं वे हैमामेलिस और चाइना हैं।
शरीर के किसी भी हिस्से से रक्तस्राव को नियंत्रित करने के लिए हैमामेलिस एक शानदार दवा है । यह त्वचा के नीचे, नाक, मसूड़ों, मलाशय, मूत्र में, उल्टी में रक्तस्राव को प्रबंधित करने के लिए संकेत दिया गया है। अत्यधिक थकावट होती है. रक्तस्राव को नियंत्रित करने के लिए चीन भी उतनी ही महत्वपूर्ण दवा है। अत्यधिक रक्तस्राव के साथ-साथ अत्यधिक थकावट होने पर यह बहुत मददगार होता है । रक्तस्त्राव के साथ दुर्बलता और अत्यंत शिथिलता इसका मुख्य संकेत है।
डेंगू का टेस्ट
अगर रोगी को लगातार 2 दिन से तेज बुखार आ रहा है तो आप डेंगू का टेस्ट करा सकते है इसके लिए आप NS1 एंटीजन रैपिड टेस्ट करवा सकते है, अगर इस टेस्ट में भी कुछ साफ पता नही चलता है तो आप रोगी का एंटीजन एलाइजा टेस्ट करा सकते है, इस टेस्ट में 97 परसेंट तक सटीक जानकारी मिल जाती है।
रिपोर्ट आने के बाद आप अपना सटीक इलाज करा सकते है।
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