आपने बला (balaa) को अपने आसपास जरूर देखा होगा, लेकिन हो सकता है आपने इस पौधे का नाम नहीं जानते हों. आप बला के फायदे के बारे में नहीं जानते होंगे। बला का पौधा बहुत ही गुणकारी है, क्योंकि यह एक जड़ीबूटी है। लोग बला को बरियार, खरेठी आदि कई नामों से जानते हैं। आयुर्वेद में बला के पौधे (bala plant) के अनेक औषधीय गुण बताए गए हैं। आईएसकेडी मेडीफिट के इस लेख के माध्यम से आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरूप सिंह बताएँगे कि बला के क्या प्राचीन आयुर्वेदिक फायदे हैं और इसके सेवन से आपके स्वास्थ्य को किस किस तरह से फायदे मिल सकते हैं। आयुर्वेदाचार्य बताएँगे आपके जीवन में शरीर के लिए बला क्यों जरुरी है
लेकिन इसकी जानकारी न होने की वजह से इसे पहचान नहीं पाए होंगे। बला एक ऐसी प्राचीन आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जिसके इस्तेमाल से आप शारीरीक और मानसिक समस्याओं को दूर कर सकते हैं। यह अर्थराइटिस से लेकर स्किन डिजीज को दूर करने में प्रभावी हो सकता है। इसके अलावा बला के इस्तेमाल से शरीर को कई फायदे हो सकते हैं। आज हम इस लेख में बला से शरीर को होने वाले फायदे और नुकसान के बारे में जानेंगे।
मधुमेह, शारीरिक कमजोरी, वात-पित्त दोष में बला से लाभ मिलता है। त्वचा रोग, लकवा, गठिया आदि में भी बला के उपयोग से फायदे मिलते हैं। इसे टीबी रोग के लिए भी उपयोगी बताया गया है। आइए विस्तार से जानते हैं बला के औषधीय प्रयोगों के बारे में।
बला क्या है? (What is Bala Plant in Hindi?)
बला की कई जातियां पाई जाती हैं। इनमें बला, राजबला (Sida humilis Cav.), भूमिबला (Sida spinosa Linn.), अतिबला (Abutilon indicum (Linn.) Sw.), महाबला (Sida rhombifolia Linn.) और नागबला (Grewia hirsuta Vahl) मुख्य हैं। इसके पत्ते हृदय के आकार के होते हैं। इसके प्रत्येक गांठ पर एक पत्ता पाया जाता है। इसके फूल पीले रंग के होते हैं। यह पौधा पूरी तरह से हरा भरा और पत्तों से लदा होता है। यहां बला के उपयोगी की जानकारी आपके लिए बहुत ही आसान भाषा (sida cordifolia in hindi) में लिखा गया है।
बाला एक प्राचीन आयुर्वेदिक औषधि है जिसे वनस्पति शास्त्र में सिडा कोर्डिफोलिया नाम से जाना जाता है। इसे सिडा रेटुसा, बरियारा, खिरैंती आदि नाम से भी जाना जाता है। बाला का मतलब होता है ताकत। इसके जरिए शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा और ताकत प्राप्त होती है। बाला हड्डियों की मजबूती, मसल्स और जोड़ों की मजबूती, वीर्य बढ़ाने, मूत्राशय में जलन को ठीक करने तथा हृदय संबंधी बीमारियों को ठीक करने में मदद करता है। इसके अलावा भी इसके तमाम औषधीय गुण होते हैं। तो चलिए जानते हैं आयुर्वेदिक वनस्पति बाला और कौन कौन सी स्वास्थ्य समस्याओं के लिए फायदेमंद होती है।
अनेक भाषाओं में बला के नाम (Name of Bala Herb in Different Languages)
बला का वानस्पतिक नाम Sida cordifolia Linn. (साइडा कॉर्डिफोलिआ) Syn-Sida altheifolia Sw. है, और अधिकांश लोग बला को खरेठी (खरैठी) और बीजबंद आदि नामों से ही जानते हैं, लेकिन इसके अन्य नाम ये भी हैंः-
Bala Plant in:-
- Hindi (sida cordifolia hindi name) – बरियार, बरियारा, बरियाल, खरेठी, खरैठी, बीजबन्द
- English – Country mallow (कन्ट्री मेलो), हार्टलीफ साईडा (Heartleaf sida), व्हाइट बर्र (White burr)
- Sanskrit – बला, वाटयलिका, वाट्या, वाट्यालका, भद्रा, बलभद्रा, भद्रौदनी, वाटी, समङ्गा, खरयष्टिका, महासमङ्गा, ओदनिका, शीतपाकी, वाटयपुष्पी, समांशा, विल्ला, वलिनी, कल्याणिनी, भद्रबला, मोटावाटी, बलाढ्या, निलया, रक्ततन्दुला, क्रूरा, फणिजिह्विका
- Oriya – बड़ीयानान्ला (Badiananla
- Kannada– किसंगी (Kisangi), चित्तूहारालू (Chittuharalu)
- Gujarati – बलदाणा (Baladana), खरेटी (Khareti)
- Tamil (sida cordifolia in tamil) – मनैपुण्डु (Manepundu), नीलातुत्ती (Nilatutti)
- Telugu – चिरिबेण्डा (Chiribenda), अंतीसा (Antisa)
- Bengali – बरीला (Barila), बला (Bala)
- Nepali – बरियार (Bariyar), बालू (Balu)
- Punjabi – खरैहठी (Khereihati), सिमक (Simak), खारेन्ट (Kharent)
- Malayalam – कत्तुरम (Katturam)
- Marathi – चिकणा (Chikana), खिरान्टी (Khiranti)
- Persian – बीज बन्द (Beej band)।
बला के फायदे और उपयोग (Bala Plant Benefits and Uses in Hindi)
बला (sida cordifolia in hindi) का औषधीय इस्तेमाल इस प्रकार से किया जाना चाहिए:–
सिर के रोग में बला से लाभ (Benefits of Bala to Get Relief from Head Disease in Hindi)
सिर में होने वाली परेशानियों को दूर करने के लिए बला का इस्तेमाल करें। इसकी जड़ और बेल से तैयार काढ़ा डैंड्रफ और स्कैल्प पर होने वाली बैक्टीरियल समस्याओं को दूर कर सकता है। इसका इस्तेमाल आप घी में मिक्स करके लगा सकते हैं। यह आपके वात रोग को दूर कर सकता है।
बला पौधा (bala plant) की जड़ तथा बेल में पाया जाने वाला द्रव्य से काढ़ा बना लें। इसमें दूध एवं घी मिला कर पका लें। इसे ठंडा करने के बाद इसकी बूंद नाक में डालें। इससे सिर में होने वाले वात रोग का उपचार होता है।
आंखों की बीमारी में बला के फायदे (Bala Benefits to Treat Eye Disease in Hindi)
आंखों की परेशानी को दूर करने के लिए बला का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल करने के लिए बला के पत्तों को पीस लें। अब इसकी टिकिया बनाकर आंखों के ऊपर रखें। बाद में किसी कपड़े की मदद से इसे साफ कर लें। इससे आपको काफी लाभ मिलेगा।
- बला तथा बबूल के पत्तों को पीसकर आंखों के बाहर लगाएं। इससे आंख आने की समस्या ठीक होती है।
- बला के पत्तों के साथ बबूल के पत्तों को पीसकर टिकियां बना लें। इसे आंखों के ऊपर रखें। ऊपर से साफ कपड़े से लपेट देें। इससे लाभ होता है।
छाती की सूजन में बला के फायदे (Benefits of Bala Root to Treat Chest Swelling in Hindi)
सीने की सूजन को कम करने के लिए बला के पौधों का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल करने के लिए बला के जड़ को पीस लें। अब इसमें थोड़ा सा हींग मिक्स कर लें। इसके बाद इसे अपनी छाती पर लगाएं। इससे सीने में होने वाली सूजन कम हो सकती है।
बला का पौधा लें। इसकी जड़ (bala root) का रस 10-15 मिलीग्राम निकाल लें। इसमें 60 मिलीग्राम हींग मिलाकर पीने से सीने की सूजन की समस्या ठीक होती है।
बला के औषधीय गुण से खांसी का इलाज (kurunthotti Plant Benefits in Fighting with Cough in Hindi)
खांसी की परेशानी को दूर करने के लिए बला का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका सेवन करने के लिए बला की पत्तियों को पीसकर इसमें थोड़ा सा शहद मिक्स कर लें। इससे खांसी की परेशानी दूर होगी।
बराबर भाग में बला, छोटी कटेरी, बड़ी कटेरी, अडूसा तथा अंगूर को मिलाकर काढ़ा तैयार करें। इसकी 10-30 मिलीग्राम की मात्रा में शहद मिलाकर पीने से पित्त के कारण होने वाली खांसी ठीक होती है।
बला के औषधीय गुण से गले की बीमारी का इलाज (Bala Benefits to Treat Throat Disorder in Hindi)
गले की परेशानी को दूर करने के लिए आप बला के पौधों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसका सेवन करने के लिए बला में शहद, मिश्री और घी मिक्स कर लें। इसके बाद इसका सेवन करें। इससे गले की परेशानी दूर होगी। साथ ही आपका अगर गला बैठा है, तो इसका सेवन करें।
- बला का पौधा लें। इसकी जड़ का 1-2 ग्राम चूर्ण बना लें। इसमें मिश्री, शहद तथा घी मिलाकर सेवन करें। इससे आवाज से संबंंधित समस्या ठीक हो जाती है।
- बला, शालपर्णी, विदारी तथा मधूक को घी में पका लें। इसमें नमक मिलाकर प्रयोग करने से आवाज बैठने (गला बैठने) की परेशानी ठीक होती है।
बला के गुण से घेंघा का इलाज (Kurunthotti Plant Benefits to Treat Goiter in Hindi)
घेंघा रोगियों के लिए बला लाभकारी हो सकता है। इसका सेवन करने के लिए बला की पत्तियों का रस हल्का सा गर्म करके रोजाना पिएं। इससे आपकी परेशानी दूर होगी।
- गिलोय, नीम, हंसपदी, कुटज, पिप्पली, बला, अतिबला तथा देवदारु को तेल में पका लें। इसे नियमित पीने से घेंघा में लाभ (country mallow) होता है।
- बला के रस, अतिबला के रस और देवदारु से तेल को पका लें। इसे लगाने से घेंघा में लाभ होता है।
डायबिटीज रोगियों के लिए असरदार
बला का पौधा डायबिटीज रोगियों के लिए लाभकारी होता है। इसका इस्तेमाल करने के लिए इसकी पत्तियों को पीसकर इसे आधे लीटर पानी में गर्म करके पिएं। सुबह शाम इस पानी का सेवन करने से डायबिटीज की परेशानी कंट्रोल हो सकती है।
बला के सेवन से गठिया में आराम (Benefit of Bala to Get Relief from Arthritis in Hindi)
- 5-10 मिलीग्राम बरियार की जड़ से काढ़ा तैयार करें। इस काढ़ा को दिन में 3 बार पिलाने से गठिया में लाभ होता है।
- अंगुली के पोरों की गांठ में होने वाले घावों पर बला (bala herb) के कोमल पत्तों को पीसकर टिकिया बनाकर बांध दें। उसके ऊपर ठंडा पानी डालते रहें। इस प्रकार दिन में 2-3 बार करने से तुरंत आराम मिलता है।
- बंद गांठ को फोड़ने के लिए बला के कोमल पत्तों को पीसकर पुल्टिस (पट्टी) बनाकर बांधें। इसके बाद ऊपर से जल छिड़कते रहें। गांठ शीघ्र फूट जाती है।
बला के सेवन से गर्भवती महिलाओं को लाभ (Bala Root Beneficial for Pregnant Women in Hindi)
प्रेग्नेंसी में बला स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकती है। इसका इस्तेमाल करने के लिए बला की पत्तियों को घी में पका लें। अब इसे डिलीवरी के बाद दर्द से प्रभावित हिस्से पर लगाएं। इससे दर्द से काफी आराम मिलेगा।
- बला की जड़ का पेस्ट बना लें। इसे घी में पका कर सेवन करें। इससे गर्भ के दौरान होने वाला दर्द दूर हो जाता है। इससे गर्भस्थ शिशु एवं गर्भवती महिला का स्वास्थ्य ठीक (kurunthotti root for pregnancy) रहता है।और पढ़ें – गले के दर्द का इलाज नमक सेऔर पढ़ें – गले के दर्द का इलाज नमक से
- बला की जड़ का काढ़ा बना लें। इसे घी में पका लें। घी को सुबह-शाम दो बार पिलाएं। इससे प्रसव पीड़ा में लाभ होता है।
- बला की जड़ के चूर्ण में अतिबला का चूर्ण, मिश्री और मुलेठी चूर्ण बराबर भाग में मिला लें। इस चूर्ण की 3-6 ग्राम की मात्रा में लेकर शहद और घी मिलाकर सेवन करें। ऊपर से दूध पीने से गर्भधारण में सहयोग मिलता है। इस चूर्ण में बड़ के अंकुर तथा नागकेसर को भी मिलाएं तो और भी लाभदायक होता है।
हर्निया में बला से लाभ (Benefits of Kurunthotti Plant in Hernia Treatment in Hindi)
बरियार (बला) का पौधा लें। इसकी जड़ (bala root) के पेस्ट को दूध में पका (या क्षीरपाक) लें। इसमें बराबर भाग में अरंडी का तेल मिला लें। इसे पीने से पेट की गैस और हार्निया में लाभ होता है।
खुजली (चकत्ते) में बला के फायदे (Bala Leaves Benefits in Itching in Hindi)
बला के पत्तों को पीसकर रस निचोड़ लें। इससे मालिश करने से कफ दोष के कारण होने वाली खुजली और चकत्ते की समस्या ठीक होती हैं। बेहतर परिणाम के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।
पेशाब के साथ वीर्य आने की समस्या (शुक्रमेह) में बला की जड़ से लाभ (Benefits of Bala Root to Treat Sukrameh in Hindi)
- पेशाब के साथ यदि धातु आता तो 10 ग्राम बला (balaa) की जड़ और 5 ग्राम महुआ के पेड़ की छाल लें। इसे 250 मिलीग्राम पानी में पीसकर छान लें। उसमें 25 ग्राम मिश्री या शक्कर मिला लें। सुबह-शाम इसका सेवन कराने से लाभ होता है।
- 10 ग्राम बला के बीज चूर्ण में इतनी ही काली मिर्च का चूर्ण मिला लें। इसकी 6 ग्राम मात्रा सुबह-शाम मिश्री या शक्कर के साथ सेवन करें। इसके ऊपर से 250 मिलीग्राम गाय के दूध में शक्कर मिला कर पिएं। यह शुक्रमेह में अत्यंत लाभप्रद होता है।
- बरियार की ताजी जड़ को पानी के साथ पीसकर छान लें। इसमें थोड़ी शक्कर मिलाकर सुबह में पिलाने से शुक्रमेह में लाभ होता है।
शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए बला का सेवन (Bala Treats Body Weakness in Hindi)
- शारीरिक कमजोरी दूर करने में भी बरियार का पौधा लाभदायक होता है। बला की जड़ की छाल के चूर्ण में बराबर भाग में मिश्री मिला लें। इसका लगभग 3-5 ग्राम चूर्ण को दूध के साथ सुबह और शाम सेवन करें।
- बला के पत्ते, छाल, जड़ आदि पंचांग का काढ़ा बना लें। इसे 3 मिलीग्राम मात्रा में पिलाएं।
- 50 ग्राम बला पंचांग को 3-4 लीटर पानी में पकाकर स्नान कराने से सूखा रोग में लाभ होता है।
- बला को मिलाकर मयूर घी तैयार करें। इसकी बूंदों को नाक में रखने, तथा उबटन के तौर पर इस्तेमाल करने सिर दर्द, कंठ के दर्द, पीठ दर्द, मासिक धर्म विकार, कान की बीमारी, नाक की बीमारी, आंख की बीमारी तथा जीभ से जुड़ी बीमारियों में लाभ (sida cordifolia medicinal uses) होता है।
अण्डकोष विकार में बला का पौधा फायदेमंद (Bala Uses in Hydrocele Disorder in Hindi)
अंडकोष विकार में भी बरियार का पौधा बरियार का पौधा (bariyar ka paudha) लाभदायक होता है। बला के 10 मिलीग्राम काढ़ा में 10 मिलीग्राम तक शुद्ध अरंडी का तेल मिला लें। इसे दिन में दो बार पिलाने से लाभ होता है।
बला के औषधीय गुण से दस्त पर रोक (Benefits of Kurunthotti Plant to Stop Diarrhea in Hindi)
- बरियार का पौधा (bariyar ka paudha) लें। इसकी जड़ से 5 ग्राम काढ़ा बना लें। इसमें 1 ग्राम जायफल घिसकर पिलाने से दस्त पर रोक लगती है।
- बला तथा सोंठ को दूध में पका लें। इस दूध में गुड़ तथा तिल का तेल मिला कर पीने से दस्त बंद हो जाता है।
मूत्र रोग (पेशाब संबंधी समस्याएं) में बला के सेवन से लाभ (Bala Leaves Benefits to Treat Urinary Problem in Hindi)
- बला के 10 ग्राम पत्तों को काली मिर्च के साथ घोटकर छान लें। इसे सुबह-शाम मिश्री के साथ पिलाने से पेशाब में जलन और मूत्र संबंधी अन्य रोग ठीक होते हैं।
- बरियार की 10-15 ग्राम ताजी जड़ को दूध में पीसकर पिलाएं। भोजन में चावल, घी तथा दूध मिलाकर सेवन करें। इससे लाभ होता है।
- बरियार के पौधे के 10 ग्राम पत्तों को आधा लीटर पानी में भिगोकर छान लें। इसका लुआब निकाल लें। इसमें मिश्री मिलाकर सुबह-शाम पिलाने से पेशाब खुलकर आता है। इसका सेवन मधुमेह में भी लाभदायक (sida cordifolia medicinal uses) होता है।
- बला के बीजों के 1 ग्राम चूर्ण में 2 ग्राम मिश्री मिला लें। दूध के साथ सुबह-शाम इसका सेवन करने से पेशाब से जुड़ी बीमारी ठीक होती है।
- बला की जड़, गोखरू, भटकटैया की जड़ 1-1 ग्राम, सोंठ 1/2 ग्राम और 3 ग्राम गुड़ को पानी में पका लें। इसे पीने से मल-मूत्र की रुकावट दूर होती है। इसके सेवन से बुखार से होने वाले सूजन भी ठीक होता है।
मैनिया में फायदेमंद सफेद बला का सेवन (Benefits of White Flower Bala in Mania in Hindi)
सफेद फूल वाले बला (balaa) की जड़ का 10 ग्राम चूर्ण बना लें। इसमें अपामार्ग चूर्ण 5 ग्राम, दूध 500 मिलीग्राम लें। इतना ही पानी मिला लें। इन सबको मिलाकर उबालें। जब केवल दूध बच जाए तब इसे ठंडा कर छान लें। इसे सुबह के समय सेवन करने से उन्माद (Mania) की बीमारी में लाभ होता है।
बांह की जकड़न में बला का पौधा फायदेमंद (Bala Benefits in Getting Relief from Frozen Shoulder in Hindi)
- अवबाहुक नामक वात विकार में 2 ग्राम बरियार की जड़, या 1 ग्राम फरहद (पारिभद्र) की छाल का काढ़ा बना लें। सुबह-शाम इस काढ़ा को पीने से बहुत लाभ होता है।
- 10-20 मिलीग्राम बला की जड़ के काढ़ा में सेंधा नमक मिलाकर पिलाने से बांह के जकड़न में लाभ होता है।
- 2 ग्राम बला की जड़ के साथ 2 ग्राम नीम की छाल मिलाकर काढ़ा तैयार करें। इसे सुबह-शाम पिलाने से एक माह में मन्यास्तम्भ (Cervical spondylitis) में लाभ होने लगता है।
मासिक धर्म विकार में बला से लाभ (Bala Powder Helps in Menstrual Disorder in Hindi)
बरियार (sida cordifolia) पौधा के चूर्ण को दूध में पकाकर पिलाएं। इससे मासिक धर्म विकार में लाभ होता है।
बला तेल की मालिश करने से भी मासिक धर्म विकारों में लाभ होता है।
घाव सुखाने के लिए बला का पौधा फायदेमंद (Bala Uses for Healing Wound in Hindi)
बला (sida cordifolia) के पत्ते, छाल, जड़ आदि पांचों भाग से पेस्ट तैयार करें या इनका रस निकालें। इसे लगाने से हथियार के प्रहार से होने वाले घाव तुरंत भर जाते हैं।
महिलाओं के रोग में बला का पौधा लाभदायक (Bala Benefits in Women Related Disease in Hindi)
- बला की जड़ और पत्तों को चावल के धोवन के साथ पीसकर छान लें। इसका सेवन करने से खूनी प्रदर (Metrorrhagia) की शिकायत दूर होती है।
- 3 ग्राम बला बरियार (balaa) के चूर्ण में बराबर भाग मिश्री या खांड मिला कर प्रयोग करें।
- 5 ग्राम बला की जड़, 7 दाना काली मिर्च लें। दोनों को 50 मिलीग्राम पानी में पीसकर छान लें। सुबह-शाम सात दिन तक इसका प्रयोग करने से महिलाओं में योनी से सफेद पानी आने (श्वेत प्रदर या ल्यूकोरिया) की समस्या में बहुत लाभ होता है। इस दौरान मैथुन तथा चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।
- 3 ग्राम बला की जड़ के चूर्ण में मिश्री मिला लें। इसे गाय के दूध के साथ दिन में 3 बार सेवन करें। इससे श्वेत प्रदर (ल्यूकोरिया) में लाभ होता है।
बला के औषधीय गुण से फाइलेरिया (श्लीपद) का इलाज (Bala Plant Root is Beneficial in Elephantiasis in Hindi)
फाइलेरिया में भी बरियार का पौधा बरियार का पौधा (bariyar ka paudha) लाभदायक होता है। बरियार और अतिबला की जड़ का बराबर मात्रा में चूर्ण लें। इसे 3 ग्राम की मात्रा में लेकर दूध के साथ सुबह-शाम सेवन कराएं।
लकवा में बला की जड़ फायदेमंद (Bala Root Benefits in Paralysis in Hindi)
- बला की जड़ को पानी में उबालकर 1 माह तक सेवन करने से लकवा में लाभ होता है।
- बरियार की जड़ को तेल में पका कर भी मालिश करनी चाहिए।
पागलपन के इलाज में मददगार बला (Bala Beneficial to Treat Mental Disorder in Hindi)
पागलपन का मुख्य कारण वात दोष का असंतुलित होना होता है। बला में वात शामक गुण होने के कारण यह इसके लक्षणों को कम करने में मदद करता है।
अंडकोष के सूजन को कम करने में बला फायदेमंद (Bala Beneficial to Treat Testicles in Hindi)
अंडकोष की सूजन को कम करने में बला का प्रयोग फायदेमंद होता है इसके लिए बला को एरण्ड तेल के साथ प्रयोग करते है।
स्वरभंग के इलाज में फायदेमंद बला (Benefit of Bala to Get Relief from Sore Throat or Hoars of Voice in Hindi)
स्वरभंग या गले का बैठने जैसी समस्या में बला का उपयोग फायदेमंद होता है क्योंकि बला में एंटीइंफ्लामेटरी गुण होता है जोकि गले को आराम देकर स्वरभंग के लक्षणों में को कम करता है।
हाथीपांव के इलाज में फायदेमंद बला (Benefit of Bala to Treat Filaria in Hindi)
हाथीपाँव एक ऐसी व्याधि है जिसमें मुख्य रूप से कफ और साथ में वात की दुष्टि है। बला में वात और कफ शामक गुण पाए जाने के कारण यह इसके लक्षणों को कम करने में मदद करता है।
खूनी बवासीर के इलाज में लाभकारी बला (Bala Beneficial to Treat Hemorrhoids in Hindi)
बला में ग्राही एवं शीतल गुण के कारण यह खुनी बवासीर से खून को रोक कर उस स्थान पर शीतलता प्रदान करता है साथ हि खून को आने से रोकता है।
बिच्छू के काटने पर खरैटी फायदेमंद (Bala Beneficial to Treat Scorpian Bite in Hindi)
बिच्छू आदि किसी विषैले प्राणी के काटने पर उस स्थान पर वात के दुष्टि के कारण दर्द आदि लक्षण दिखते हैं। ऐसे में बला की वात शामक गुण होने के कारण यह इसके लक्षणों को कम करने में मदद करता है।
बला के उपयोगी भाग (Useful Parts of Bala)
- जड़ (bala root)
- छाल
- बीज
- पत्ते
- पंचांग
बला का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Bala Herb in Hindi?)
बला का औषधीय लाभ (kurunthotti uses) लेने के लिए चिकित्सक के परामर्शानुसार प्रयोग करें।
बला कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Bala Herb Found or Grown in Hindi?)
बला (balaa) के पौधे सूखे स्थानों पर पाए जाते हैं। यह वनों में भी पाया जाता है।
बला के नुकसान (Bala Side effects)
बला स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होती है। हालांकि, इसका इस्तेमाल करने से पहले एक्सपर्ट से सलाह लें। अधिक मात्रा में बला का इस्तेमाल करने से आपको एलर्जी की शिकायत हो सकती है। इसके कारण आपको दस्त, उल्टी और स्किन पर रैशेज की परेशानी होने की संभावना हो सकती है।
बला स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी होती है। हालांकि, इसका इस्तेमाल से पहले एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।
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