क्या आपमें कैल्शियम की कमी है? जरा सा हाथ-पैर हिलाने-डुलाने पर शरीर से कट-कट की आवाज आने लगती है? अगर ऐसा है तो आपके लिए जरूरी है कि शरीर में कैल्शियम की कमी को पूरा किया जाए। बहुत से लोग सोचते हैं कि चूना खाने से शरीर में कैल्शियम की कमी दूर हो सकती है और चूना खाना स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता। हालांकि चूने से शरीर को कैल्शियम प्राप्त होता है लेकिन मेडिकल साइंस इस तथ्य को मान्यता नहीं देती है। बहुत से लोग कैल्शियम की कमी को दूर करने के लिए अलग अलग तरीके अपनाते हैं लेकिन घर में किया जाने वाला ये एक नुस्खा शरीर से वाकई कैल्शियम की कमी को दूर कर सकता है।
चूने का पानी पीने के फायदे आपको तभी मिलेंगे जब आप चूने का पानी सही तरीके से बनाये क्योकि चुने का पानी बच्चो की अनेको बिमारिओ में अमृत की तरह लाभदायक होता है। बच्चे का जिगर खराब हो, पुष्ट न हो, बालक माँ का दूध फेकता हो, अजीर्ण या बदहजमी के दस्त और अम्लता से पैदा हुई वमन या उलटी हो तो उसे चूने का पानी पिलाने से लाभ होता है। इसके सेवन से बच्चे निरोग एवं हुष्ट-पुष्ट बनते है, उसका हाजमा ठीक रहता है।
शरीर के लिए महत्वपूर्ण पोषक तत्वों में से एक है कैल्शियम। यदि शरीर में कैल्शियम की कमी हो जाए तो व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। बता दें कि शरीर में विटामिन ए, विटामिन बी विटामिन डी, प्रोटीन आदि पोषक तत्वों के अवशोषण के लिए कैल्शियम बेहद जरूरी पोषक तत्व है। कैल्शियम मुख्य रूप से चूने के अंदर पाया जाता है। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति अपनी डाइट में चूने का पानी जोड़ें तो इससे उसके शरीर में कैल्शियम की कमी नहीं होती। इसके अलावा चूने का पानी कई और समस्याओं को दूर करने में भी उपयोगी है। आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि चूने के पानी के सेवन से सेहत को क्या-क्या फायदे होते हैं। साथ ही उपयोग करने के तरीके के बारे में जानेंगे। इसके लिए हमने प्राचीन आयुर्वेद के जाने माने आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरुप सिंह से भी बात की है.
साइट्रेट भी बढ़ाता है शरीर में कैल्शियम
साइट्रेट भी स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता हैं और यह पानी में ज्यादा घुलनशील होता है। इतना ही नहीं शरीर इसे अच्छी तरह अब्सोर्ब भी कर लेता है और इसके कंपाउंड्स में करीब 20 प्रतिशत कैल्शियम होता है। अधिकतर सप्लीमेंट कैल्शियम एस्कॉर्बेट और कैल्शियम ओर्टेट फॉर्म में भी आते हैं जिन्हें शरीर ज्यादा आसानी से अवशोषित कर लेता है।
चूना कैसे इस्तेमाल किया जाता है
चूना, जिसे मेडिकल की भाषा में कैल्शियम कार्बोनेट भी कहते हैं और जो दवाइयों में कैल्शियम दिया जाता है, उसमें कैल्शियम के चीलेट होते हैं। हाइड्रोजन आयन का कैल्शियम के साथ बॉन्ड होता है। ऐसे सप्लीमेंट पर ऑर्गेनिक कैल्शियम लिखा होता है। इस फॉर्म में कैल्शियम साईट्रेट ज्यादातर मिलते हैं।
कौन सा है ये तरीका
जैसा ही कम सभी जानते हैं कि कैल्शियम एक प्रकार का मेटल है और किसी भी मेटल का अब्सोर्पशन यानि की अवशोषण शरीर द्वारा इनॉर्गेनिक फॉर्म में या तो नहीं होता या बहुत ही कम मात्रा में होता है। ऑर्गेनिक स्त्रोतों से प्राप्त कैल्शियम भी तकनीकी रूप से इनॉर्गेनिक ही होता है लेकिन शरीर इनका बेहतर अब्सोर्पशन कर पाता है।
शरीर कितना चूना अवशोषित कर पाता है
बात अगर चूने से कैल्शियम प्राप्त करने की हो रही है तो बता दें कि एक और जहां शरीर इनॉर्गेनिक फॉर्म में चूना 4 से 20 प्रतिशत ही अवशोषित कर पाता है, वहीं ऑर्गेनिक फॉर्म में 45 प्रतिशत तक शरीर चूने को अवशोषित कर लेता है। ज्यादा चूना आप खा नहीं सकते क्योंकि यह करोसिव है और शरीर को नुकसान पहुंचाएगा। शरीर में कैल्शियम की कमीदूर करने के लिए चूना खाना विकल्प नहीं। इसे तंबाखू रगड़ने में ही इस्तेमाल करें। तंबाकू रगड़ने में ऑर्गेनिक कैल्शियम काम नहीं आएगा।
चूने का पानी बनाने की विधि | Chune Ka Pani Bnane Ki Vidhi
- मिट्टी के बर्तन में 60 ग्राम बिना बुझे हुए चूने की डालकर, उसमें 20 गुना यानी तकरीबन 1 किलो 200 ग्राम पानी मिला दे ।
- दिन में एक-दो बार लकड़ी से हिला भी दें ताकि चूना अच्छे से घुल जाए ।
- फिर 24 घंटो के बाद बीच का साफ पानी निथार कर, किसी कपड़े से छान कर, बोतल में भर ले ।
- ध्यान रहे कि बीच में बैठा हुआ चूना हिले नहीं और ऊपर वाली तह पर जमी हुई पपड़ी भी पहले उतार लेनी चाहिए । यही लाइम वाटर ( चूने का पानी ) है ।
- आप चाहें तो इस में 120 ग्राम पिसी हुई मिश्री डालकर इसे मीठा भी कर सकते हैं ताकि बच्चे को इसका स्वाद पसंद है।
- तो दोस्तों यह थी लाइम वाटर यानि चूने का पानी बनाने की विधि और उसके सेवन की विधि।
चूने के पानी (लाइम वाटर) का सेवन करने की विधि | Method of consuming lime water
- 1 साल से कम उम्र के बच्चे को जितने महीने का बच्चा हो उतनी ही बूंदों के रूप में यह चूने का पानी (लाइम वाटर) दो चम्मच दूध में एक बूंद चूने का पानी (लाइम वाटर) के हिसाब से मिलाकर सुबह-शाम पिलाएं ।
- 1 साल से लेकर 8 साल तक के बच्चों को आधा कप पानी या दूध में 15 से 20 या चौथाई से आधा चम्मच चूने का पानी दिन में दो बार दूध के साथ पिलाते रहे ।
- बालकों में छोटे बच्चों में दूध के विकार मतलब दूध पीने पर होने वाली बीमारियों को मिटाने के लिए रामबाण नुस्खा है ।
- बताई गई विधि के अनुसार चूने के पानी (लाइम वाटर) का सेवन करने से 5 से 7 दिन में ही बालक की हालत में सुधार होने लगता है । इतना ही नहीं बच्चे के दांत भी आसानी से निकलते हैं ।
- बच्चे का हाज़मा ठीक रहता है और अजीर्ण या बदहज़मी के कारण होने वाले दस्त और एसिडिटी से पैदा हुई वमन यानि उल्टी, चूने के पानी के सेवन करने से ही से दूर हो जाती है ।
- चूने के पानी का उपयोग ग्नने के रस के साथ किया जा सकता है।
- चूने के पानी का उपयोग नारियल पानी के साथ किया जा सकता है।
- चूने के पानी का सेवन व्यक्ति डायरेक्त भी सीमित मात्रा में कर सकता है।
चूने के इस्तेमाल से शरीर को होने वाले फायदे: Benefits of using lime to the body
चूना हड्डियों को मजबूती देता है:
जैसा कि हमने पहले भी बताया चुने के अंदर भरपूर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है। ऐसे में यदि व्यक्ति नियमित रूप से एक या दो चम्मच चूने के पानी का सेवन करे तो ऐसा करने से न केवल हड्डियों को मजबूती मिलती है बल्कि हड्डियों के दर्द से भी छुटकारा मिल जाता है। यह हड्डियों से संबंधित कई समस्याओं को दूर करने में उपयोगी है।
चूने के इस्तेमाल से बच्चों एवं बड़ों में स्मरण शक्ति बढ़ती है:
स्मरण शक्ति जिन बच्चों की याददाश्त कम होती है जिनकी स्मरण शक्ति बहुत ही कम होती है। इसे खाने से स्मरण शक्ति में इजाफा होता है।
चूना पेट के कीड़ों से राहत देता है:
जो लोग पेट के कीड़ों से परेशान है या जिन बच्चों के पेट में कीड़े हैं। वह अपनी डाइट में चूने के पानी को जोड़ सकते हैं। चूने के पानी में अम्लीय असर पाया जाता है जो पेट के कीड़ों को दूर करने में उपयोगी है। ऐसे में ये व्यक्ति चूने के पानी को नारियल पानी में मिलाकर सेवन कर सकते हैं।
चूना विषाक्त पदार्थों को शरीरर से बाहर निकलता है :
शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में चूने का पानी एक बेहतर विकल्प है। बता दें कि चूने के पानी के अंदर अम्लीय प्रभाव पाया जाता है जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में उपयोगी है। ऐसे में व्यक्ति नियमित रूप से एक या दो चम्मच चूने के पानी का सेवन कर सकता है।
चूना दांतो को मजबूती देता है:
जो लोग दातों की कमजोरी से परेशान हैं या जिनके दांतों में तेज झनझनाहट होती है वे अपनी इस समस्या को दूर करने के लिए चूने के पानी का सेवन कर सकते हैं। बता दें कि चूने के पानी के सेवन से न केवल दांतो को मजबूती मिलती है बल्कि दांत हिलने की समस्या, दांतो की कमजोरी और दांतो की झनझनाहट तीनों से छुटकारा भी मिल जाता है।
चूना का इस्तेमाल नाखून और बालों के लिए उपयोगी होता है:
जिन लोगों के नाखून टेढ़े मेढ़े या कमजोर हैं वे चूने के पानी से अपनी समस्या को दूर कर सकते हैं। इसके अलावा जो लोग बालों और त्वचा से संबंधित समस्याओं से परेशान हैं वे भी चूने के पानी के सेवन से अपने इस समस्या से राहत पा सकते हैं। ऐसे में यह व्यक्ति गन्ने के रस में चूने के पानी को एक या दो चम्मच मिलाएं और इसका सेवन करें। ऐसा करने से नाखून, बाल और त्वचा तीनों को फायदा मिलता है।
चूना के सेवन से बच्चों की लम्बाई बढ़ने में सहायता मिलती है:
जिन बच्चों की लम्बाई नहीं बढ़ रही है। उनके लिए चूना किसी अमृत से कम नहीं है। गेंहू के दाने के बराबर चूना रोज दही में मिला के खाना चाहिए, दही नही है तो दाल में मिला के या पानी में मिला के लिया जा सकता है, इसके रोजाना सेवन से एक या दो महीनें में बच्चों की लम्बाई में फर्क देखा जा सकता है।
चूने के सेवन से स्पर्म काउंट बढ़ने में मदद मिलती है: चूना नपुंसकता और संतानहीनता की रामबाण दवा है
चूना पुरुषों में स्पर्म काउंट बढ़ाने के लिए सबसे बेहतरीन उपाय है। अगर किसी पुरुष के शुक्राणु नहीं बन रहे हैं तो उसको गन्ने के रस या दाल में गेंहू के दाने जितना साथ चूना मिलाकर पिलाने से सालभर में डेढ़ साल में भरपूर शुक्राणु बनने लगेंगे।
चूना नपुंसकता की कारगार अच्छी दवा मानी जाती है। यदि किसी पुरुष के शुक्राणु नहीं बनते या शारीरिक कमजोरी की वजह से वीर्य पतला हो गया हो तो उसे गन्ने के रस के साथ चूने का सेवन करने से बहुत लाभ होता है। इसके प्रयोग से सिर्फ सालभर में ही वीर्य संबंधित कमियां दूर होती है और भरपूर शुक्राणु बनने शुरू हो जाते हैं। इसी प्रकार से जिन स्त्रियों के शरीर में गर्भाधान के लिए जरूरी अंडे नहीं बनते उन्हें भी गन्ने के रस के साथ चने बराबर चूने का नियमित सेवन करना चाहिए। 12 से लेकर 18 माह में पर्याप्त अंडाणुओ का निर्माण होने लगेगा।
चूने के इस्तेमाल से महिलाओं में बांझपन की समस्या दूर होती है:
बांझपन दूर करता है जो महिलाएं इनफर्टिलिटी की समस्याएं से गुजर रही हैं उन्हें भी नियमित रुप से चूने का सेवन करना चाहिए। इसके सेवन से शरीर में अंडे बनने लगते है।
चूने के सेवन से महिलाओं में मासिक धर्म में फायदा मिलता है:
मासिक धर्म में देती है राहत मासिक धर्म के समय अक्सर कई महिलाएं कमर दर्द, ऐंठन जैसी समस्याएं होती है। इसके लिए दाल में, लस्सी में, नही तो पानी में चूने को चुटकी भर घोल के पीने से सभी समस्याएं छूमंतर हो जाती है। इसके अलावा मेनोपॉज में भी चूने के सेवन से महिलाओं कई फायदें मिलते है। इससे ओस्टीओपोरोसिस होने की संभावना भी नहीं रहती है।
कई बार स्त्रियों को अनियमित मासिक धर्म या रजोनिवृत्ति के बाद बड़ी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। मासिक धर्म के समय होने वाली पीड़ा के लिए चूना अचूक दवा है। इसके साथ ही जिन महिलाओं को रजोनिवृत्ति (मासिक धर्म बंद) की वजह से समस्याएं हो रही हो उनके लिए भी सबसे अच्छी दवा है।
प्रेगनेंसी में चूना खाने के फायदें:
आपने देखा या सुना होगा कि गर्भावस्था के दौरान कई महिलाएं दिवार से चूना खाने लग जाती है। क्योंकि उनके शरीर में केल्शियम की कमी हो जाती है। केल्शियम की कमी को दूर करने के लिए महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान चूना खाना चाहिए। चूना केल्शियम का सबसे मुख्य स्त्रोत है। अनार के रस में – अनार का रस एक कप और चूना गेहूँ के दाने के बराबर ये मिलाके रोज पिलाइए नौ महीने तक लगातार दीजिये तो चार फायदे होंगे – पहला फायदा होगा इससे डिलीवरी के समय कोई समस्या नहीं होगी। इसके सेवन से बच्चा तंदरुस्त पैदा होगा। इसके सेवन से होने वाले बच्चें का दिमाग बहुत ही तेज होगा।
चूना पाउडर से नुकसान:
वैसे तो चुने का सेवन एक उचित मात्रा में करना सुरक्षित है लेकिन आपको अन्य खट्टे फलों से एलर्जी है तो चुने का सेवन करने से बचे। क्योंकि यह एलर्जी के लक्षण पैदा कर सकते हैं जैसे : सांस लेने में कठिनाई, सूजन, पित्ती आदि चुना बहुत अम्लीय होता हैं।
चूने का पाउडर बहुत बारीक होता है जो सांस नली में खुजली पैदा कर सकता है. इससे किसी-किसी को खांसी और सांस लेने में दिक्कत आ सकती है. चूना खाने से किसी-किसी के मुंह में परत छिल जाती है, खाने भी आ सकता है।
चूना 1 दिन में कितनी बार खाना चाहिए?
ध्यान रखने वाली बात है चूना कितनी मात्रा में और किस पदार्थ के साथ लेना है। उक्त समस्याओं के लिए गेहूं के दाने के बराबर चूना हर दिन खाना चाहिए। इसे दाल में, लस्सी में, पानी में घोल कर पीना ही उचित रहता है।
खाली पेट चूना खाने से क्या होता है?
हड्डियों का दर्द हो जाता है गायब: इसके सेवन से घुटने का दर्द, कमर का दर्द , कंधे का दर्द ठीक हो जाता है। कई बार हमारे रीढ़ की हड्डी में जो मनके होते है में गैप आ जाता है जिसे चूनें से ही ठीक किया जा सकता है। इसके लिए खाली पेट पानी या जूस में मिलाकर चूने का सेवन सुबह खाली पेट करना चाहिए।
चूना खाने का तरीका – Chuna khane ka tarika in hindi
इसके स्वास्थ्य लाभों को उठाने के लिए और रोगों के इलाज के लिए आप किसी भी भोजन या पेय में मिलाकर सुबह खाली पेट ले सकते हैं। इसे दही, पानी, पान (सौंफ, इलाइची और गुलकंद के साथ), दाल, संतरे, अनार या गन्ने के रस आदि के साथ मिलाकर इसका सेवन कर सकते हैं।
चूना कब लेना चाहिए?
सुबह खाली पेट चूना खाना सबसे मूफीद माना जाता है. सुबह के नाशते या पानी के साथ आप चूना खा सकते हैं. चूने को दही , पानी , दाल, सतंरे, अनार या गन्ने के रस के साथ मिला कर लिया जा सकता है.
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