बहेड़ा क्या है? – What is Baheda in Hindi
बहेड़ा को त्रिफला का एक अभिन्न अंग कहें तो गलत नहीं होगा। यह एक अण्डे के आकार का गोल और लम्बाई में 3 सेमी तक का, पीला और मीठा फल होता है। इसका वैज्ञानिक नाम टर्मिनलिया बेलिरिका (Terminalia bellirica) है। इसे भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका के साथ-साथ दक्षिण-पूर्व एशिया में पारंपरिक औषधीय जड़ी-बूटियों के रूप में उपयोग किया जाता है। इसके अलावा आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध और पारंपरिक चीनी दवा के रूप पारंपरिक तौर से उपयोग किया जाता रहा है । इसमें कई सारे जैसे – एंटी कैंसर, हेपटोप्रोटेक्टिव (लिवर को स्वस्थ रखने वाला), ऐंठन को ठीक करने वाला, उच्च रक्तचाप की समस्या को कम करने वाले गुण मौजूद हैं। आईएसकेडी मेडीफिट के इस लेख के माध्यम से आयुर्वेदाचार्य श्री ब्रह्मस्वरूप सिंह बताएँगे कि बहेड़ा क्या है और बहेड़ा चूर्ण के सही इस्तेमाल से स्वास्थ्य को किस किस तरह से आपको फायदे मिल सकते हैं।
क्या आप जानते हैं कि बहेड़ा (Baheda) क्या है या बहेड़ा का उपयोग किस चीज में किया जाता है? अगर आप नहीं जानते हैं तो यह जान लीजिए कि बहेड़ा (Bibhitaki) का तेल बालों को काला करने के लिए उपयोगी माना जाता है। आग से जलने के कारण हुए घाव पर भी बहेड़ा का तेल लाभकारी है। बहेड़ा (terminalia bellerica) वात, पित्त और कफ तीनों दोषों को दूर करता है, लेकिन इसका मुख्य प्रयोग कफ-प्रधान विकारों में होता है। यह आँखों के लिए हितकारी, बालों के लिए पोषक होता है।
इतना ही नहीं बहेड़ा असमय बाल पकने, गला बैठने, नाक सम्बन्धी रोग, रक्त विकार, कंठ रोग (लैरियेंगोट्राकियोब्रॉन्काइटिस) तथा हृदय रोगों में फायदेमंद होता है। बहेड़ा कीड़ों को मारने वाली औषधि है। बहेड़े के फल की मींगी मोतियाबिन्द को दूर करती है। इसकी छाल खून की कमी, पीलिया और सफेद कुष्ठ में लाभदायक है। इसके बीज कड़वे, नशा लाने वाले, अत्यधिक प्यास, उल्टी, तथा दमा रोग का नाश करने वाले हैं।
बहेड़ा, आंवला, हरीतकी यह सब कफनाशक, योनिदोषनाशक, दूध को शुद्ध करने वाले और पाचक हैं। बहेड़ा विरेचक (Laxative) भी होता है। यह आमाशय को शक्ति देता है। आमाशय को ताकत देने वाली कोई भी दूसरी औषधि इससे बढ़कर नहीं है। इसका आधा पका फल रेशेदार और पाचक होता है। बहेड़ा बालों के लिए लाभकारी तथा मज्जा मदकारी होती है।
अनेक भाषाओं में बहेड़ा के नाम (Name of Baheda in Different Languages)
बहेड़ा (Bahera tree) का वानस्पतिक नाम Terminalia bellirica (Gaertn.) Roxb. (टर्मिनेलिया बेलेरिका) Syn-Myrobalanus bellirica Gaertn. है और यह Combretaceae (कॉम्ब्रेटेसी) कुल का है। इसका लैटिन नाम Belleric myrobalan (बेलेरिक मॉयरोबालान) है। इसे अन्य इन नामों से भी जाना जाता हैः-
Baheda in –
- Hindi (baheda in hindi) – हल्ला, बहेड़ा, फिनास, भैरा, बहेरा;
- English (baheda in english) – सियामीस टर्मिनेलिआ (Siamese terminalia), बास्टर्ड मायरोबालान (Bastard myrobalan)
- Arabic – बलीलाज (Balilaj), बतीलाज (Batilaj), बेलेयूज (Beleyuj);
- Persian – बेलेला (Belela), बेलेयाह (Beleyah)
- Sanskrit – भूतवासा, विभीतक, अक्ष, कर्षफल, कलिद्रुम;
- Urdu – बहेरा (Bahera);
- Assamese – बौरी (Bauri);
- Konkani – गोटिन्ग (Goting);
- Kannada – तोड़े (Tode), तोरै (Torei);
- Gujarati – बेहेड़ा (Beheda), बेड़ा (Beda);
- Tamil (terminalia belerica in tamil) – तन्री (Tanri), तनितांडी (Tanitandi);
- Telugu – धीन्डी (Dhindi), तडिचेटटु (Tadichettu);
- Bengali – साग (Saag), बयड़ा (Bayada);
- Nepali – बर्रो (Barro);
- Marathi – बेहड़ा (Behada), बेहेड़ा (Beheda);
- Punjabi – बहिरा (Bahira), बहेड़ा (Baheda);
- Manipuri – बहेड़ा (Bahera);
- Malayalam – थाअन्नी (Tanni)
बहेड़ा के फायदे (Baheda Benefits and Uses in Hindi)
अब तक आपने जाना कि बहेड़ा (bibhitaki) के कितने नाम हैं। आइए अब जानते हैं कि बहेड़ा का औषधीय प्रयोग कैसे और किन बीमारियों में किया जा सकता हैः-
बालों के लिए बहेड़ा के फायदेमंद (Beneficial For Hair)
बहेड़ा को बालों के स्वास्थ्य के लिए काफी कारगर माना जाता है। बालों के मामले में इसके फल का कम इस्तेमाल होता है बल्कि इससे बने पाउडर और तेल को लोग ज्यादा फायदेमंद मानते हैं। आयुर्वेद के अनुसार इसमें ऐसे औषधीय गुण मौजूद हैं, जिन्हें बालों के लिए बहुत कारगर माना जाता है। इसे बालों पर लगाने से स्कैल्प पर पनप रहे बैक्टीरिया और डैंडरफ से भी आपको छुटकारा मिलता है। इसमें मौजूद कश्या और रुक्शा आपके बालों को घना बनाने में मदद करते हैं। बहेड़ा के बीज से निकाला गया तेल आपके बालों को सफेद होने से बचाता है साथ ही साथ बालों से जुड़े अन्य विकारों को भी दूर करता है।
डायरिया से दिलाए बहेड़ा के फायदे (Relief from diarrhea)
बहेड़ा के फल में एंटीडायरियल गुण (Antidiarrheal Properties) पाए जाते हैं, जो डायरिया रोकने में बेहद मददगार होते हैं। साथ ही इसमें मौजूद फ्लेवेनोइड्स की मात्रा आपको डायरिया से होने वाले लक्षणों से भी बचाते हैं। डायरिया से पीड़ित व्यक्तियों को बहेड़ा के फल और उसका चूर्ण खाने की सलाह दी जाती है। बता दें कि बहेड़ा में एंटीपैरासेप्टिक और लैक्सेटिव प्रॉपर्टीज पाई जाती हैं, जो आपके दस्त लगने के बाद आपके पेट को बांधने यानि आपके मल को टाइट करने में मदद करती हैं, जिससे आप डायरिया से जल्दी निजात पा सकते हैं।
पेशाब में जलन की बीमारी में बहेड़ा से लाभ (Baheda Benefits in Urinary Disease in Hindi)
बहेड़ा (vibhitaki) के फल के मज्जा के 3-4 ग्राम चूर्ण में मधु मिला लें। इसे सुबह-शाम चाटने से पेशाब में जलन की समस्या में लाभ होता है।
डायबिटीज में बहेड़ा से लाभ (Helps in Diabetes)
बहेड़ा को आयुर्वेद में एक औषधी के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इसका सेवन आपको डायबिटीज से पूरी तरह निजात दिलाने के क्षमता रखता है। इस फल में मौजूद चमत्कारी तत्व आपके रक्त में बढ़ रहे हाइपरग्लाइसेमिया को रोकने में बेहद प्रभावी माना जाता है। इससे आपकी शरीर में इंसुलिन का स्तर भी संतुलित रहता है। डायबिटीज के रोगियों को इस फल का सेवन अवश्य करना चाहिए।
खाँसी में बहेड़ा से लाभ (Uses of Baheda in Fighting with Cough in Hindi)
- बहेड़ा के छिलके को चूसने से खांसी में लाभ होता है।
- बकरी के दूध में अडूसा, काला नमक और बहेड़ा डालकर पकाकर खाने से हर प्रकार की खांसी में लाभ होता है।
- बहेड़ा के 10 ग्राम चूर्ण (Baheda churna) में शहद मिला लें। इसे सुबह और शाम भोजन के बाद चाटने से सूखी खाँसी तथा पुराने दमा रोग में बहुत लाभ होता है।
- बहेड़ा फल में घी चुपड़ लें। इसके ऊपर आटे का एक अंगुल मोटा लेप लगाकर पका लें। त्वचा के ताप के बराबर ठंडा होने पर इसके ऊपर का आटा निकाल लें। इसके बाद बहेड़ा के छिलके को चूसें। इससे खांसी, जुकाम, दमा तथा गला बैठने की समस्या में लाभ होता है।
- बहेड़ा के एक फल को घी में डुबाकर, घास से लपेटें। इसे गाय के गोबर में बंद करके आग में पका लें। इसे बीजरहित कर मुंह में रख कर चूसें। इससे खांसी, जुकाम, दमा तथा गला बैठने जैसे रोगों का नाश होता है।
आँखों के रोग में बहेड़ा के इस्तेमाल से लाभ (Baheda Benefits to Cure Eye Disease in Hindi)
- बहेड़ा (belleric myrobalan) और शक्कर के बराबर मात्रा में मिश्रण का सेवन आँखों की ज्योति को बढ़ाता है।
- तिल का तेल, बहेड़ा का तैल, भांगरा का रस तथा विजयसार का काढ़ा लें। इनको लोहे के बर्तन में तेल में पकाएं। इसका रोज प्रयोग करने से आंखों की रोशनी तेज होती है।
- बहेड़ा की छाल को पीसकर मधु के साथ मिलाकर लेप करने से आँख के दर्द का नाश होता है।
- बहेडे की मींगी के चूर्ण को मधु के साथ मिलाकर काजल की तरह लगाने से आँख के दर्द तथा सूजन आदि में लाभ होता है।
- इसके बीज के मज्जा के चूर्ण (Baheda churna) को शहद के साथ मिलाकर महीन पेस्ट बना लें। इसे रोज सुबह काजल की तरह लगाने से आँख का रोग नष्ट होता है।
गुर्दे की पथरी में करें बहेड़ा का उपयोग (Benefits of Baheda in Kidney Stone Disease in Hindi)
बहेड़ा के फल के मज्जा के 3-4 ग्राम चूर्ण में मधु मिला लें। इसे सुबह-शाम चाटने से गुर्दे की पथरी की बीमारी में लाभ होता है।
बहेड़ा के प्रयोग से हृदय रोग में लाभ (Baheda is Beneficial for Heart in Hindi)
बहेड़ा के फल के चूर्ण तथा अश्वगंधा चूर्ण को समान मात्रा में मिला लें। इसे 5 ग्राम की मात्रा में लेकर गुड़ मिलाकर गर्म पानी के साथ सेवन करने से हृदय रोग में लाभ होता है।
बहेड़ा अल्सर से छुटकारा दिलाए (Relief In Ulcer)
अल्सर आपकी छोटी आंत के उपरी हिस्से में होता है, जो काफी पीड़ादायक हो सकते हैं। बहेड़ा पोष्टिक और गैस्ट्रिक अल्सर दोनों में ही काफी मददगार पाया जाता है। बहेड़ा में एंटी अल्सर गुणों की मौजूदगी होती है, जो मुंह के छालों, पैप्टिक अल्सर और गले के छालों से भी आपको राहत दिलाते हैं। यही नहीं इसका इस्तेमाल आपके टिशू रिजनरेट यानि उत्तक कोशिकाओं को दोबारा से बनाने में मदद करते हैं।
दस्त को रोकता है बहेड़ा (Baheda Stops Diarrhea in Hindi)
- बहेड़ा फल के 3-6 ग्राम चूर्ण (Baheda churna) को खाने के बाद सेवन करने से पाचनशक्ति ठीक होती है।
- बहेड़ा के पेड़ (baheda tree) की 2-5 ग्राम छाल और 1-2 नग लौंग को पीसकर 1 चम्मच शहद में मिला लें। इसे दिन में 3-4 बार चटाने से दस्त में लाभ होता है।
- बहेड़ा के 2-3 भुने हुए फल का सेवन करने से दस्त की गंभीर बीमारी भी ठीक हो जाती है।
कब्ज से दिलाए राहत दिलाता है बहेड़ा (Helps in Constipation)
बहेड़ा का इस्तेमाल पेट के लिए अत्यंत लाभकारी माना गया है। इसमें मौजूद लैक्सेटिव प्रॉपर्टीज आपके पेट में हो रही समस्याओं को दूर करता है। खासतौर पर पाचन संबंधी विकारों को दूर करने के लिए बहेड़ा के चूर्ण को प्रयोग करने की सलाह दी जाती है। बहेड़ा और हरड़ के चूर्ण का प्रयोग एक साथ करने पर इसके लाभ दुगने हो जाते हैं। बहेड़ा का सेवन करना आपके स्किन पिगमेंटेशन में भी सहयोगी है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाए (Boosts Immunity)
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए तो वैसे कई पौधे और फल उपलब्ध हैं, जिनसे इम्यूनिटी बढ़ाई जा सकती है। लेकिन बहेड़ा के फल में एंटी ऑक्सीडेंट और बायोएक्टिव पदार्थ पाए जाते हैं, जो आपकी शरीर में पहुंचकर तमाम तरह के संक्रमणों से लड़ते हैं और आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाते हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए बहेड़ा में एंटीबैक्टीरियल, एंटी वायरल और एंटीफंगल गुणों की मौजूदगी होती हैं।
श्वास रोग में फायदेमंद बहेड़ा (Baheda Beneficial in Breathing Problem in Hindi)
श्वास की समस्या अधिकतर कफ दोष के बढ़ने की वजह से होती है जिसमें श्वसन नली में बलगम इकठ्ठा होना शुरू हो जाता है। बहेड़ा में कफ शामक गुण पाया जाता है साथ ही इसके उष्ण होने के कारण यह बलगम को पिघला कर आराम देने में सहयोगी होता है।
हृदय रोगों से छुटकारा दिलाता है बहेड़ा (Relief in Heart Diseases)
हृदय रोग (Heart Diseases) तेज गति से बढ़ने वाला रोग है। आजकल अमूमन लोग इसके शिकार हो रहे हैं। हृदय संबंधी समस्याओं में इसके चूर्ण का प्रयोग आपकी मदद कर सकता है। इसका चूर्ण बहेड़ा के फलों को सुखाकर बनाया जाता है। जो आपकी श्वासन प्रणाली को बेहतर रखने के साथ ही आपके हृदय के स्वास्थ्य का भी ख्याल रखता है। इसका सेवन आपकी शरीर में कोलेस्ट्रोल के स्तर को बढ़ने से रोकता है, जिससे आपको हार्ट स्ट्रोक आने का खतरा भी काफी हद तक कम हो जाता है। एक शोध के अनुसार बहेड़ा खाने से आपका कार्डियोवस्कुलर सिस्टम भी संतुलित रहकर सामान्य गति से कार्य करता है।
बहेड़ा का उपयोग कैसे करें (How to use Terminalia bellirica)
बहेड़ा का इस्तेमाल निम्न तरीके से किया जा सकता है –
- चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ
- फल के छिलके को पानी में उबालकर
- त्रिफला चूर्ण के रूप में
- काढ़ा बनाकर
बहेड़ा के उपयोगी हिस्से (Useful Parts of Baheda)
- छाल
- फल
- सूखे फलों के बीज
- मज्जा
बहेड़ा के सेवन की मात्रा (How Much to Consume Baheda)
- 3-6 ग्राम
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