प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार मानव जीवन के संपूर्ण स्वास्थ्य की भलाई के लिए त्रिफला एक बेहतरीन हर्बल उपचार है। त्रिफला का प्रयोग प्राचीन कल से प्राचीन आयुर्वेदिक दृस्टि से कई तरह के शारीरिक रोगों के उपचार के लिए किया जाता रहा है। त्रिफला चूर्ण पेट से जुड़ी समस्याओं के लिए बेहद फायदेमंद है. जिन लोगों को अपच, बदहजमी या कब्ज की समस्या अक्सर रहती है उन्हें त्रिफला चूर्ण का सेवन करना चाहिए.
प्राचीन आयुर्वेदाचार्य श्री ब्रह्मस्वरूप जी के अनुसार, त्रिफला चूर्ण सिर्फ़ कब्ज ही नहीं बल्कि आंखों की रोशनी बढ़ाने में भी बहुत उपयोगी है. इसलिए नियमित रूप से त्रिफला चूर्ण (Triphla Churn) का सेवन करें. आईएसकेडी मेडीफिट (ISKD Medifit) के इस लेख के माध्यम से आयुर्वेदाचार्य श्री ब्रह्मस्वरूप सिंह बताएँगे कि त्रिफला चूर्ण के सही इस्तेमाल से स्वास्थ्य को किस किस तरह से आपको फायदे मिल सकते हैं।
त्रिफला क्या है (What is Triphala Churna in Hindi)
दरअसल, त्रिफला तीन आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों आंवला, हरड़ और बहेड़ा का मिश्रण है। इस मिश्रण में शक्तिशाली गुण पाए जाते हैं, यह विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के साथ ही कई एक्टिव कंपाउंड से भरपूर होता है। इसलिए इसका सेवन सेहत के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है। खासकर, अगर आप सुबह खाली पेट त्रिफला का सेवन करते हैं, तो इससे कई स्वास्थ्य लाभ मिलेंगे। इससे कई रोगों को दूर भगाने में भी मदद मिलेगी।
आंवला: संस्कृत में इसे अमृतफल व आमलकी के नाम से जाना जाता है। भारत में इसे कई तरह से उपयोग में लाया जाता है। लोग इसे फल, जूस, अचार और चूर्ण के रूप में सेवन करते हैं। आंवला में प्रचूर मात्रा में विटामिन-सी होता है, जो एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है। इसे पाचन शक्ति के लिए भी लाभदायक माना जाता है। इसके अलावा, ये निम्नलिखित स्वास्थ्य स्थितियों में भी फायदेमंद साबित हो सकता है
- इसमें मौजूद विटामिन-सी एनीमिया के मरीजों के लिए लाभकारी हो सकता है।
- यह शरीर को डिटॉक्सीफाई कर सकता है।
- शरीर को ठंडा रखने में मदद कर सकता है।
- दस्त में भी फायदेमंद माना जाता है।
- यह लिवर, हृदय व फेफड़ों के लिए भी अच्छा हो सकता है।
- त्वचा में चमक ला सकता है।
बहेड़ा: इसे भी औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। बहेड़ा को बिभीतकी और विभिता नाम से भी जाना जाता है। इसके सेवन से होने वाले फायदे कुछ इस प्रकार हैं।
- बहेड़ा में दर्दनिवारक गुण होते हैं।
- डायरिया में इसका उपयोग किया जा सकता है।
- इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं।
- हेयर टॉनिक के रूप में जाना जाता है।
- बुखार को कम करने और घाव को भरने में मदद कर सकता है।
- इम्यून सिस्टम को बूस्ट कर सकता है।
हरड़: इसे संस्कृत में हरितकी के नाम से जाना जाता है। यह अखरोट जैसा फल होता है। इसे तब तोड़ा जाता है, जब यह पककर पीले रंग का हो जाता है। इसे आमतौर पर ‘हर्रे’ भी कहते हैं। हरड़ किस प्रकार स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है, आइए नीचे जानते हैं
- यह पेट दर्द के लिए फायदेमंद माना जाता है।
- आंखों में होने वाली सूजन (Opthalmia) को भी कम कर सकता है।
- ब्लीडिंग गम यानी मसूड़ों से बहते खून को कम कर सकता है।
- दर्दनिवारक।
- घावों को भरने की क्षमता।
- भूख बढ़ाने।
- पाचन को बेहतर करने।
- लिवर को स्वस्थ रखने।
इन तीनों फलों को विभिन्न शारीरिक समस्याओं के लिए अलग-अलग उपयोग भी किया जाता है। वहीं, जब इन तीनों का मिश्रण त्रिफला के रूप में बनता है, तो यह कई स्वास्थ्य समस्याओं पर प्रभावी रूप से काम कर सकते हैं। त्रिफला चूर्ण किस तरह स्वास्थ्य को लाभ पहुंचा सकता है।
त्रिफला में आंवला हरड़ एवं वहेड़ा कितनी कितनी मात्रा में होता है
त्रिफला एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक रासायनिक फ़ार्मुला है जिसमें अमलकी (आंवला (Emblica officinalis)), बिभीतक (बहेडा) (Terminalia bellirica) और हरितकी (हरड़ Terminalia chebula) के बीज निकाल कर (1 भाग हरड, 2 भाग बहेड़ा, 4 भाग आंवला) 1:2:4 मात्रा में लिया जाता है।
त्रिफला चूर्ण बनाने की विधि
त्रिफला पाउडर आसानी से बाजार में उपलब्ध है, लेकिन इसे घर पर बनाना भी आसान है। इसी वजह से हम नीचे घर में ही त्रिफला चूर्ण बनाने की विधि बता रहे हैं।
नोट – खरीदने से पहले, ध्यान रखें कि त्रिफला चूर्ण में पड़ने वाली सामग्रियां (हरड़, बहेडा और आंवला) 1: 2: 4 के अनुपात में होनी चाहिए।
सामग्री :
- हरड़ – 20 ग्राम
- बहेड़ा -40 ग्राम
- आंवला – 80 ग्राम
बनाने की विधि :
- सबसे पहले सभी कच्ची सामग्रियों को एक-एक करके ओखली में डालें और पीसकर बारीक पाउडर बना लें।
- फिर सभी को छान लें।
- अब इन चूर्ण को मिला लें।
- इस मिश्रण को एक जार में डाल लें।
- बस तैयार है त्रिफला चूर्ण, जिसका उपयोग रोजाना किया जा सकता है।
1. त्रिफला चूर्ण कब और कैसे खाना चाहिए? (When and how should Triphala Powder be consumed?)
आप रात को सोने से पहले 5 ग्राम त्रिफला चूर्ण का गुनगुने पानी के साथ सेवन कर लें. यदि समस्या अधिक है तो आप दो चम्मच इसबगोल और 5 ग्राम त्रिफला को एक साथ भी ले सकते हैं. इसका सेवन गुनगुने पानी से ही करें.
त्रिफला व ईसबगोल की भूसी दो चम्मच मिलाकर शाम को गुनगुने पानी से लें इससे कब्ज दूर होती है। इसके सेवन से नेत्रज्योति में आश्चर्यजनक वृद्धि होती है। सुबह पानी में 5 ग्राम त्रिफला चूर्ण साफ़ मिट्टी के बर्तन में भिगो कर रख दें, शाम को छानकर पी लें। शाम को उसी त्रिफला चूर्ण में पानी मिलाकर रखें, इसे सुबह पी लें।
2. त्रिफला लेने का सही तरीका क्या है? (What is the right way to take Triphala Powder?)
त्रिफला का सेवन पानी के साथ किया जा सकता है. ऐसे में आप सेंधा नमक और चीनी को मिलाकर त्रिफला का सेवन पानी के साथ सुबह शाम एक चम्मच कर सकते हैं. त्रिफला का सेवन खाली पेट करना चाहिए. इससे सेहत को ज्यादा फायदा मिलता है या आप भोजन से आधे घंटे पहले या भोजन के आधे घंटे बाद त्रिफला का सेवन कर सकते हैं।
3. क्या खाली पेट त्रिफला खा सकते हैं? (Can Triphala Powder be taken on an empty stomach?)
अगर आप त्रिफला का खाली पेट में सेवन करते हैं तो इससे वजन कम करने में मदद मिलती है. वहीं आपको बता दें कि इस बात की पुष्टि एक रिपोर्ट के सामने आने पर हुई है कि कुछ मोटे लोगों ने 10 ग्राम त्रिफला डेंली खाया. जिसके सेवन से उनका वजन, कमर, हिप्स जैसी जगहों की चर्बी काफी कम हो गई।
4. त्रिफला चूर्ण कौन सी बीमारी में काम आता है? (In which disease Triphala Powder is useful?)
त्रिफला का सेवन करने से हृदय रोग, मधुमेह और उच्च रक्तचाप में आराम मिलता है. यदि आप भी उच्च रक्तचाप या मुधमेह के बढ़ते स्तर से परेशान हैं तो तीन से चार ग्राम त्रिफला के चूर्ण का सेवन प्रतिदिन रात को सोते समय दूध के साथ कर लें. राहत मिलेगी. त्रिफला चूर्ण का सबसे पहला यही गुण है कि यह कब्ज से राहत देता है. आगे विस्तार से बताएँगे
5. क्या त्रिफला चूर्ण रोज खा सकते हैं? (Can Triphala Powder be eaten daily?)
त्रिफला चूर्ण घी या शहद के साथ दिन में दो बार लिया जा सकता है। त्रिफला की खुराक उम्र, लिंग, शरीर के प्रकार व अन्य कारकों पर निर्भर करती है। जिसके अनुसार यह भिन्न होती है। आयुर्वेदिक डॉक्टरों का सुझाव है की वयस्कों को प्रतिदिन २ चम्मच से अधिक इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
त्रिफला चूर्ण के फायदे (Triphala Powder Benefits in Hindi)
आज के समय में अधिकांश लोग कब्ज की समस्या से परेशान रहते हैं. कब्ज का इलाज अगर समय रहते नहीं किया गया तो आगे चलकर बवासीर जैसी गंभीर समस्या हो सकती है. प्राचीन आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार, त्रिफला चूर्ण पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और पेट को स्वस्थ बनाए रखता है. त्रिफला चूर्ण के सभी फायदों के बारे में विस्तार से जानते हैं.
ओरल हेल्थ (दांत और मुंह की दुर्गंध) के लिए त्रिफला (Triphala Powder for oral health (teeth and halitosis) in Hindi)
शरीर के अन्य अंगों की तरह मुंह का ध्यान रखना भी जरूरी है। ओरल हेल्थ की तरफ ध्यान न देने से दांतों से जुड़ी परेशानी, मसूड़ों में दर्द और मुंह से बदबू आने जैसी समस्या हो सकती है। इस परेशानी से राहत पाने के लिए त्रिफला चूर्ण का इस्तेमाल किया जा सकता है। त्रिफला में एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं, जो मुंह में बैक्टीरिया को पनपने से रोकने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, त्रिफला चूर्ण में एंटीकैरीज गतिविधि होती है, जो दातों को कैरीज (दंत क्षय) से बचाने का काम कर सकता है।
इसके अलावा, मसूड़ों से निकलने वाले खून की समस्या को भी कम करने में इसे फायदेमंद माना जाता है। ओरल हेल्थ के लिए त्रिफला चूर्ण को पानी में डालकर इससे कुल्ला किया जा सकता है। माउथ वॉश की तरह इसका उपयोग करने से मसूड़ों में संक्रमण व दर्द की समस्या कम हो सकती है।
पाचन के लिए त्रिफला के फायदे (Benefits of Triphala Powder for digestion in Hindi)
गलत खान-पान या ज्यादा बाहर का तैलीय खाना खाने से पेट और पाचन संबंधी परेशानियां हो सकती है। इस समस्या को ठीक करने के लिए त्रिफला चूर्ण अच्छा विकल्प हो सकता है। त्रिफला के औषधीय गुण पाचन शक्ति में सुधार कर पेट से संबंधित परेशानियों से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं। खाने को अच्छे से पचाने के साथ ही त्रिफला शरीर में खाने को अवशोषित करने में भी मदद कर सकता है। यह पेट से संबंधित अन्य समस्याओं जैसे – कब्ज और इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (Irritable Bowel Syndrome) को भी ठीक कर सकता है।
आंखों के लिए त्रिफला के फायदे (Benefits of Triphala Powder for Eyes in Hindi)
शरीर के अन्य अंगों की तरह आंखों का ध्यान रखना भी जरूरी है। त्रिफला आंखों के स्वास्थ्य के लिए टॉनिक का काम कर सकता है। यह आंख के लेंस में ग्लूटाथिओन (एक तरह के एंटीऑक्सीडेंट) के स्तर को बढ़ा सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर उपलब्ध एक अध्ययन ने भी इस बात की पुष्टि की है। इसके अलावा, त्रिफला मोतियाबिंद के जोखिम को कम करने में भी कुछ हद तक मददगार हो सकता है। फिलहाल, इस विषय पर अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।
त्रिफला चूर्ण के सेवन के साथ ही इससे आंख को धोया भी जा सकता है। दरअसल, त्रिफला चूर्ण को रातभर पानी में भिगोकर इसके पानी को छानने के बाद आंखों को धोने में इस्तेमाल किया जाता है। यह आंखों की लालीमा और मोतियाबिंद दोनों के लिए फायदेमंद माना गया है। आंखों से बहते चिपचिपे पदार्थ (आई डिस्चार्ज) को भी ठीक करने के लिए त्रिफला का इस्तेमाल किया जा सकता है।
बालों के लिए त्रिफला चूर्ण के लाभ (Benefits of Triphala Powder for Hair in Hindi)
लंबे, घने व चमकदार बाल पाना लगभग हर महिला की इच्छा होती है। इस इच्छा को त्रिफला चूर्ण पूरा कर सकता है। माना जाता है कि यह बालों की ग्रोथ में मदद कर सकता है। ऐसा इसमें मौजूद आंवले की वजह से हो सकता है। बालों के स्वास्थ्य के लिए त्रिफला चूर्ण का सेवन करने के साथ ही बालों को धोया भी जा सकता है। दरअसल, त्रिफला पाउडर को गुनगुने पानी में मिलाकर उससे बाल धोने से डैंड्रफ कम हो सकता है।
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वजन कम करने के लिए त्रिफला चूर्ण के फायदे (Benefits of Triphala Powder for Weight Loss in Hindi)
कुछ लोग मोटापा कम करने के लिए डाइटिंग या जिम का सहारा लेते हैं, लेकिन कुछ खास असर नहीं होता। ऐसे में अगर त्रिफला चूर्ण का सेवन किया जाए, तो कुछ हद तक फायदा हो सकता है। त्रिफला चिकित्सीय एजेंट की तरह काम कर सकता है। यह न सिर्फ वजन को कम करने में मदद कर सकता है, बल्कि शरीर का फैट भी कम कर सकता है। पशुओं पर किए हुए एक अध्ययन के मुताबिक अधिक खाना खाने की वजह से हुए मोटापे पर 10 हफ्ते तक त्रिफला का सेवन करने से वजन और वसा दोनों में कमी दर्ज की गई है।
जिम, व्यायाम या योग के साथ-साथ अगर त्रिफला चूर्ण का सेवन किया जाए, तो फर्क नजर आ सकता है। वजन कम करने के लिए त्रिफला चूर्ण को गर्म पानी के साथ मिलाकर दिनभर में दो से तीन बार सेवन कर सकते हैं।
कब्ज के लिए त्रिफला चूर्ण के फायदे (Benefits of Triphala Powder for Constipation in Hindi)
कब्ज के कारण पेट में गैस व दर्द की समस्या होने लगती है। ऐसे में त्रिफला चूर्ण का सेवन कुछ हद तक इस समस्या को कम करने में मदद कर सकता है। वैज्ञानिक अध्ययन में कहा गया है कि इसके सेवन से गैस, कब्ज और अन्य पेट संबंधी परेशानियों से राहत मिल सकती है। इसमें मौजूद टैनिक और गैलिक एसिड कब्ज की समस्या को कम करने में लाभकारी माने गए हैं ।
कब्ज की समस्या से बचने के लिए रोज रात को सोने से पहले एक गिलास गर्म पानी में एक से दो चम्मच त्रिफला चूर्ण मिलाकर सेवन किया जा सकता है। ध्यान रहे कि इसे पीने के बाद किसी और चीज का सेवन नहीं करना चाहिए।
त्रिफला के फायदे रक्तचाप और स्वस्थ हृदय के लिए (Triphla Powder benefits For Blood Pressure and a Healthy Heart in Hindi)
त्रिफला चूर्ण को रक्तचाप नियंत्रित रखने और हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना गया है। एक रिसर्च में कहा गया है कि उच्च रक्तचाप को कम करने के लिए त्रिफला चूर्ण का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा, यह कोलेस्ट्रॉल को कम करके हृदय रोगों से बचाने में मदद कर सकता है। दरअसल, हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रोल को हृदय रोग के मुख्य जोखिम कारक के रूप में जाना जाता है। त्रिफला चूर्ण, इन जोखिमों को कम करके हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकता है।
बोन हेल्थ, जोड़ों के दर्द या गठिया के लिए त्रिफला पाउडर के फायदे (Bone Health, Benefits of Triphala Powder for Joint Pain or Arthritis in Hindi)
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, हड्डियां कमजोर होने लगती है। कई लोगों को जोड़ों के दर्द की शिकायत होने लगती है। आगे चलकर यह गठिया बीमारी का रूप ले सकता है। ऐसे में त्रिफला चूर्ण का सेवन लाभकारी हो सकता है। त्रिफला चूर्ण हड्डियों को मजबूत करने में मदद कर सकता है। साथ ही इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं, जो गठिया के सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। गठिया के लक्षण को कम करने के लिए एक चम्मच त्रिफला पाउडर को एक गिलास पानी में मिलाकर पी सकते हैं।
त्रिफला के फायदे वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण के लिए (Benefits of Triphala Powder for Viral and Bacterial Infections)
वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण का खतरा कम करने के लिए त्रिफला चूर्ण का उपयोग किया जा सकता है। सालों से आयुर्वेद में त्रिफला को वायरल और बैक्टीरियल संक्रमणों से शरीर को बचाने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता रहा है। दरअसल, त्रिफला चूर्ण में एंटीबैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटीपायरेटिक (Antipyretic – बुखार कम करने वाला) गुण होते हैं। एंटी-बैक्टीरियल गुण एक ओर जीवाणुओं से शरीर को बचाने में मदद करता है, तो दूसरी ओर एंटीपाएरेटिक गुण बुखार से शरीर को बचाने में मदद कर सकता है। इसके साथ ही त्रिफला में इम्यूनिटी मॉडयूलेटरी गुण भी होते हैं, जो शरीर की जरूरत के हिसाब से प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकता है।
रोग-प्रतिरोधक क्षमता के लिए त्रिफला के फायदे (Triphla benefits of Triphala Powder for Immunity in Hindi)
जैसा कि हम ऊपर बता ही चुके हैं कि त्रिफला में इम्यूनिटी मॉडयूलेटरी गुण होते हैं। दरअसल, रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होते ही शरीर को तरह-तरह की बीमारी जकड़ लेती है। ऐसे में त्रिफला में मौजूद विभिन्न एक्टिव कंपाउंड जैसे – गैलिक एसिड (Gallic acid) और एलेजिक एसिड (Ellagic acid) एंटीऑक्सीडेंट्स की तरह काम करते हैं, जो शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता में सुधार का काम कर सकते हैं।
डायबिटीज के लिए त्रिफला पाउडर के फायदे (Benefits of Triphala Powder for Diabetes in Hindi)
त्रिफला चूर्ण डायबिटीज के रोगियों के लिए भी सहायक साबित हो सकता है। इसके नियमित सेवन से ब्लड ग्लूकोज लेवल कम हो सकता है। दरअसल, इसमें एंटी-डायबिटिक और हाइपोग्लिसेमिक प्रभाव होते हैं, जो टाइप-2 डायबिटीज को नियंत्रित रखने में मदद कर सकते है।
रक्त प्रवाह के लिए त्रिफला पाउडर के फायदे (Benefits of Triphala Powder for Blood Flow in Hindi)
त्रिफला चूर्ण में ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करने के भी गुण पाए जाते हैं। एक शोध में भी कहा गया है कि रक्त को ठीक तरह से प्रवाहित करने में त्रिफला मदद कर सकता है। हालांकि, रिसर्च में यह स्पष्ट नहीं है कि त्रिफला का कौन सा गुण इसमें मदद करता है। ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होने से शरीर के हर हिस्से तक खून और ऑक्सीजन पहुंचता है। सभी अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचने के साथ ही रक्त प्रवाह बेहतर होने से शरीर में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड भी बाहर निकलता है।
घाव भरने के लिए त्रिफला के फायदे (Benefits of Triphala Powder for wound healing in Hindi)
लोगों को अगर कहीं हल्की चोट या घाव लगे, तो त्रिफला घाव को भरने में मदद कर सकता है। दरअसल, त्रिफला में वुंड हिलिंग गुण होते हैं, जो घाव को भरने में मदद कर सकते हैं। इंडियन जर्नल ऑफ बेसिक एंड अप्लाइड मेडिकल रिसर्च के एक अध्ययन में पेट्रोलियम जैली और तिल के तेल से भी अधिक प्रभावी त्रिफला को माना गया है। अन्य वैज्ञानिक शोध में यह भी जिक्र है कि त्रिफल संक्रमित घाव को भी ठीक करने में मदद कर सकता है।
इंफ्लामेशन व सूजन कम करने के लिए त्रिफला (Triphala Powder to reduce inflammation and swelling in Hindi)
त्रिफला चूर्ण के फायदे में सूजन यानी इंफ्लामेशन की समस्या को कम करना भी शामिल है। इससे गठिया, डायबिटिज, कैंसर और हृदय से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। इससे बचाव के लिए त्रिफला चूर्ण का सेवन किया जा सकता है। दरअसल, इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं, जो इंफ्लामेशन व सूजन की समस्या को कम कर सकता है। एक अध्ययन में कहा गया है कि इसमें मौजूद मेथनॉल एक्सट्रैक्ट से सूजन और दर्द कुछ हद तक कम हो सकता है।
चक्कर या मोशन सिकनेस के लिए त्रिफला चूर्ण के लाभ (Benefits of Triphala Powder for Vertigo or Motion Sickness in Hindi)
कभी-कभी लोगों को चक्कर आने की समस्या या फिर बस व गाड़ी में उल्टी आने की परेशानी होती है। उल्टी आने के साथ ही सिरदर्द की समस्या भी हो जाती है। इस स्थिति में त्रिफला का सेवन फायदेमंद हो सकता है। दरअसल, इस मोशन सिकनेस को कम करने में विटामिन-सी एक अहम भूमिका निभाता है। जैसा कि हमने बताया कि त्रिफला में आंवला होता है, जो कि विटामिन-सी से भरपूर होता है। इसी वजह से मोशन सिकनेस से राहत पाने के लिए त्रिफला को फायदेमंद माना जाता है। इसके अलावा, बहेड़ी में मौजूद गैलिक और टैनिक एसिड उल्टी की समस्या से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकते हैं।
डिटॉक्सिफिकेशन के लिए त्रिफला (Triphala Powder for detoxification in Hindi)
शरीर में जमा टॉक्सिक यानी विषैले तत्व को बाहर निकालने को डिटॉक्सिफिकेशन कहते हैं। प्राचीन काल से ही त्रिफला चूर्ण का इस्तेमाल डिटॉक्सीफिकेशन के लिए किया जाता रहा है। पर्यावरण, दूषित भोजन और कॉस्मेटिक्स की वजह से शरीर के अंदर पहुंचे वाले टॉक्सीन विभिन्न अंग जैसे कि किडनी, लंग्स और लिवर के कार्य को प्रभावित करते हैं। इसी वजह से समय-समय पर शरीर को डिटॉक्सीफाई करना जरूरी होता है, जिसमें त्रिफला चूर्ण मदद कर सकता है।
तनाव और चिंता को कम करने के लिए (Triphla Powder benefits for reduce Stress and Anxiety in Hindi)
तनाव और चिंता जैसी मानसिक समस्या को दूर करने के लिए त्रिफला चूर्ण का उपयोग फायदेमंद साबित हो सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक वैज्ञानिक शोध के मुताबिक, त्रिफला में एंटीस्ट्रेस प्रभाव पाए जाते हैं, जो तनाव को कम करने का काम कर सकता है। तनाव को कम करके यह इसकी वजह से होने वाली चिंता से भी राहत दिलाने में भी मदद कर सकता है।
हार्मोनल असंतुलन – कैंसर से बचाव करे त्रिफला (Hormonal Imbalance – Triphala Powder Prevents Cancer in Hindi)
त्रिफला चूर्ण का सेवन कैंसर से बचाव में मददगार हो सकता है। दरअसल, त्रिफला में एंटी कैंसर गुण मौजूद होते हैं, जो कैंसर के जोखिम को कम करने में सहायक हो सकते हैं। माउथवॉश की तरह इस्तेमाल करने से त्रिफला युवा वयस्कों में तंबाकू की वजह से होने वाले कैंसर के सेल्स को मुंह में पनपने से रोक सकता है। एक अध्ययन में कहा गया है कि त्रिफला में एंटीनोप्लास्टिक एजेंट होते हैं। यह एंटीनोप्लास्टिक गुण ट्यूमर को बढ़ने से रोक सकता है। यह गुण ब्रेस्ट, प्रोस्टेट, कोलन और अग्न्याशय सहित कई कैंसर सेल्स पर प्रभाव दिखा सकता है। माना जाता है कि यह हार्मोनल असंतुलन को भी ठीक करने में मदद कर सकता है, हालांकि इससे संबंधित कोई शोध उपलब्ध नहीं है।
त्वचा को जवां बनाने के लिए त्रिफला चूर्ण (Triphala Powder for Youthful Skin in Hindi)
त्वचा को सेहतमंद और जवां रखने के लिए त्रिफला चूर्ण अच्छा विकल्प हो सकता है। इसके एंटी-ऑक्सीडेंट गुण न सिर्फ त्वचा की कोशिकाओं के लिए रक्षक का काम कर सकते हैं, बल्कि त्वचा की देखभाल कर उसे स्वस्थ बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। साथ ही माना जाता है कि यह एजिंग के लक्षण को भी कम कर सकता है। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट स्किन एजिंग को रोकने में मदद करने के साथ ही त्वचा को बीमारियों से बचाए रखने में सहायक हो सकता है। इसके अलावा, खुजली व जलन जैसी परेशानी से छुटकारा दिलाने में भी त्रिफला चूर्ण सहायक साबित हो सकता है। इसी वजह से माना जाता है कि त्रिफला चूर्ण त्वचा को जवां बनाने में मददगार हो सकता है।
त्रिफला चूर्ण का उपयोग – खाने का सही समय और सही तरीका
त्रिफला चूर्ण खाने के फायदे जानने के बाद त्रिफला चूर्ण खाने की विधि भी जानना जरूरी है। इसी वजह से हम आगे त्रिफला चूर्ण खाने का तरीका बता रहे हैं।
नींबू के साथ त्रिफला – इस चूर्ण को पानी के साथ मिलाकर पी सकते हैं। अगर इसका स्वाद पसंद न आए, तो इसका रस बनाकर भी पी सकते हैं। त्रिफला रस के फायदे भी चूर्ण जैसे ही होते हैं। त्रिफला रस बनाने के लिए पानी में त्रिफला चूर्ण, थोड़ा शहद और नींबू का रस मिला लें। ध्यान रहे कि इन सामग्रियों को हल्का उपयोग करें, ताकि त्रिफला के स्वाद में थोड़ा बदलाव आए। इसे रात में सोने से पहले ले सकते हैं।
त्रिफला चाय – त्रिफला चूर्ण का उपयोग चाय के रूप में भी कर सकते हैं। त्रिफला चूर्ण को पानी में उबालकर इसमें थोड़ा शहद मिला लें। सुबह-शाम इसका सेवन सामान्य चाय की जगह किया जा सकता है।
त्रिफला कैप्सूल या टैबलेट – त्रिफला चूर्ण का स्वाद पसंद न आने पर इसे टैबलेट या कैप्सूल के रूप में भी ले सकते हैं। बाजार में ये आसानी से उपलब्ध है। इसका सेवन करते समय त्रिफला के कैप्सूल के डब्बे पर दी गई सलाह का पालन जरूर करें या चाहें तो विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं।
आंखों के लिए त्रिफला का उपयोग – त्रिफला चूर्ण से आंखों को धो भी सकते हैं। बस एक से दो चम्मच त्रिफला चूर्ण को गुनगुने पानी में डालकर रातभर के लिए छोड़ दें और फिर सुबह इसे छान लें। फिर इस मिश्रण से आंखों को धोएं। इसे त्रिफला रस के फायदे में गिना जाता है।
चेहरे के लिए त्रिफला मास्क – त्रिफला चूर्ण का उपयोग फेस पैक की तरह भी हो सकता है। त्वचा को निखारने और बेदाग बनाने के लिए इसे फेस मास्क व पैक की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं।
क्या त्रिफला चूर्ण दूध के साथ ले सकते हैं?- Can We Drink Triphala Churna With Milk In Hindi
प्राचीन आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरूप जी की मानें तो दूध के साथ त्रिफला का सेवन सेहत के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन यह सभी लोगों के लिए सुरक्षित नहीं होता है। इसकी मात्रा और सेवन का तरीका हमेशा डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए। कुछ लोगों को दूध के साथ त्रिफला साथ में लेने से कई फायदे मिल सकते हैं, क्योंकि दोनों में ही रेचक गुण होते हैं, जिससे यह पेट के लिए बहुत लाभकारी है। वहीं कुछ को नुकसान भी पहुंच सकता है।
त्रिफला चूर्ण दूध के साथ लेने के फायदे- Triphala Churna With Milk Benefits In Hindi
- कब्ज की समस्या दूर होती है, साथ ही सुबह आसानी से पेट साफ हो जाता है।
- इम्यूनिटी मजबूत बनाने में मदद करता है। जिससे आप वायरल समस्याओं, फ्लू और सर्दी-जुकाम जैसी समस्याओं की चपेट में जल्दी नहीं आते हैं।
- लिवर फंक्शन में सुधार करता है। यह शरीर में वात, पित्त और कफ को संतुलित रखता है और लिवर स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।
- जो लोग वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं, अगर वे नियमित दूध और त्रिफला का सेवन करते हैं, तो इससे वेट लॉस में काफी मदद मिल सकती है।
त्रिफला चूर्ण की खुराक – Triphala Churna Dosage in Hindi
त्रिफला चूर्ण खाने के फायदे तभी हो सकते हैं, जब इसे संयमित मात्रा में खाया जाए। वैसे त्रिफला चूर्ण की खुराक की मात्रा इस बात पर निर्भर करती है कि इसका सेवन किस स्वास्थ्य लाभ के लिए किया जा रहा है। जैसे कि त्रिफला के औषधीय गुण की वजह से डायबिटीज के लिए 45 दिन तक पांच ग्राम त्रिफला का सेवन किया जा सकता है। वहीं, त्वचा संबंधी समस्या को कम करने के लिए खाने से पहले दो बार 5-5 ग्राम त्रिफला का सेवन किया जा सकता है। समस्या अनुसार इसके सेवन की मात्रा जानने के लिए डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
त्रिफला चूर्ण के नुकसान – Side Effects of Triphala Churna in Hindi
वैसे तो त्रिफला को सुरक्षित माना गया है और रिसर्च में भी इसके साइड इफेक्ट न के बराबर होते हैं, ऐसा जिक्र मिलता है। वहीं, इसके अधिक सेवन से त्रिफला चूर्ण के फायदे की जगह नुकसान भी हो सकते हैं। नीचे हम संभावित त्रिफला चूर्ण के नुकसान के बारे में बता रहे हैं।
- त्रिफला लिवर कोशिकाओं में पाए जाने वाले एंजाइम (साइटोक्रोम P450) की गतिविधि को बाधित कर सकता है। दरअसल, यह एंजाइम कई दवाओं के चयापचय के लिए आवश्यक होता है। इसी वजह से एंजाइम से संबंधित दवा के साथ त्रिफला का सेवन करने से पहले डॉक्टरी परामर्श आवश्यक है।
- डिप्रेशन की दवा के प्रभाव को कम कर सकता है। त्रिफला में मौजूद हरड़ को इसका जिम्मेदार माना जा सकता है।
- गर्भावस्था में त्रिफला में मौजूद हरड़ को सुरक्षित नहीं माना जाता है।
- जैसा कि हम बता चुके हैं कि त्रिफला चूर्ण में एंटीडायबीटिक गुण होते हैं। ऐसे में लो शुगर के मरीजों में इसका अधिक सेवन शुगर के स्तर को और कम कर सकता है।
- त्रिफला में मौजूद हरड़ की मात्रा अधिक होने पर डायरिया भी हो सकता है।
क्या दूध और त्रिफला के कुछ नुकसान भी हो सकते हैं- Side Effects Of Triphala Milk In Hindi
वैसे तो आमतौर पर इसका सेवन सेहत के लिए सेफ माना जाता है, लेकिन कुछ स्वास्थ्य समस्याओं में इसका सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। या डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए, क्योंकि इससे स्थित बिगड़ सकती है जैसे..
- पेट से जुड़ी समस्याएं होने पर
- प्रेगनेंट और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसका सीमित मात्रा में सेवन करना चाहिए
- अगर पहले से आप किसी बीमारी की दवाएं ले रहे हैं, तो डॉक्टर की सलाह पर ही इसका सेवन करें।
- लो ब्लड प्रेशर की समस्या में इसका सेवन डॉक्टर से पूछकर ही करें
4 सबसे अच्छे त्रिफला चूर्ण ब्रांड – Best Triphala Churna Brands in Hindi
बेस्ट त्रिफला चूर्ण के रूप में बाजार में कई सारे त्रिफला पाउडर मौजूद हैं। हम आगे लोगों द्वारा सबसे अधिक खरीदे जाने वाले कुछ त्रिफला चूर्ण ब्रांड के बारे में बता रहे हैं।
आईएसकेडी त्रिफला पाउडर
आयुर्वेद की प्राचीन आयुर्वेदिक पद्दति द्वारा तैयार किया गया आईएसकेडी त्रिफला पाउडर जो पूर्ण रूप से प्राकृतिक होता है.
सामग्री :
हरड़ – 20 ग्राम
बहेड़ा – 40 ग्राम
आंवला – 80 ग्राम
डाबर त्रिफला चूर्ण
कंपनी का दावा है कि डाबर त्रिफला चूर्ण के फायदे में पेट को साफ करना और पाचन संबंधी विकार को दूर करना शामिल है। इसके अलावा, डाबर त्रिफला चूर्ण के फायदे में शरीर से विषाकत पदार्थ को निकालना भी शामिल है। कंपनी ने इसे दो बार खाने की सलाह दी है।
बैद्यनाथ त्रिफला चूर्ण
कंपनी का दावा है कि बैद्यनाथ त्रिफला चूर्ण के फायदे शरीर को कई तरह से हो सकते हैं, जिसमें गैस और कब्ज की समस्या भी शामिल हैं। इस ब्रांड के मुताबिक बैद्यनाथ त्रिफला चूर्ण के फायदे हर उम्र में उठाए जा सकते हैं।
झंडू त्रिफला चूर्ण
ऊपर बताए गए त्रिफला प्रोडक्ट के अलावा झंडू त्रिफला चूर्ण के फायदे भी लिए जा सकते हैं। यह भी एक चर्चित ब्रांड है, इस वजह से इसका भी चयन किया जा सकता है।
एक यूजर ने त्रिफला को लेकर अपना रिव्यु दिया और बताया की आईएसकेडी त्रिफला पाउडर कैसे और कितना काम करता है।
मम्मी और नानी त्रिफला की तारीफ करते नहीं थकतीं थीं। जब भी पेट गड़बड़ होता था, त्रिफला लेने की सलाह दी जाती। तो मुझे ट्राय करना था और जानना था कि क्या वाकई त्रिफला इतना फायदेमंद है तो मैंने ऑनलाइन गूगल पर चेक करके आईएसकेडी मेडीफिट द्वारा निर्मित आईएसकेडी त्रिफला पाउडर मंगाया।
लेकिन सेवन शुरू करने से पहले मैंने अपने स्तर पर रिसर्च भी की। इस काम में हम गूगल के पास ही तो जाते हैं। गूगल से इस प्राचीन आयुर्वेदिक औषधि के बारे में ढेर सारी जानकारी मैंने हासिल की। त्रिफला में तीन औषधियों का मिश्रण है- आंवला, बहेड़ा और हरड़। प्राचीन आयुर्वेद में इन्हें अमलकी, विभीतक और हरितकी कहा जाता है। त्रिफला को वैश्विक स्तर पर अपने चिकित्सकीय फायदों के लिए जाना जाता है।
आईएसकेडी त्रिफला पाउडर का सेवन शुरू करने के चार- पांच दिनों में ही मुझे छोटे-छोटे सुधार नज़र आने लगे। मेरी त्वचा ज्यादा साफ और चमकदार नज़र आने लगी। एक्ने और पिगमेंटेशन की समस्या से मुझे छुटकारा मिला। दो हफ्ते पूरे होते-होते मेरे शरीर में कई बड़े बदलाव आ गए हैं। न सिर्फ मेरी स्किन अच्छी हुई है, बल्कि मैंने वज़न भी घटाया और साथ ही मेरी आँखों की रौशनी भी बढ़ी।
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