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प्राचीन आयुर्वेद द्वारा आप अपनी बढ़ती उम्र को इस तरह से कंट्रोल कर सकते हैं, खूबसूरती का खजाना है प्राचीन आयुर्वेद, जानिए प्राचीन आयुर्वेद के इस रहष्य को

Through ancient Ayurveda, you can control your growing age in this way, ancient Ayurveda is a treasure of beauty, know this secret of ancient Ayurveda

in ISKD Ayurveda
प्राचीन आयुर्वेद द्वारा आप अपनी बढ़ती उम्र को इस तरह से कंट्रोल कर सकते हैं, खूबसूरती का खजाना है प्राचीन आयुर्वेद, जानिए प्राचीन आयुर्वेद के इस रहष्य को

प्राचीन आयुर्वेद द्वारा आप अपनी बढ़ती उम्र को इस तरह से कंट्रोल कर सकते हैं, खूबसूरती का खजाना है प्राचीन आयुर्वेद, जानिए प्राचीन आयुर्वेद के इस रहष्य को

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प्राचीन आयुर्वेद क्या है?

प्राचीन आयुर्वेद (Ancient Ayurved in Hindi) विश्व की सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणाली है, जिसका शाब्दिक अर्थ है “जीवन का ज्ञान”। इसका जन्म लगभग 3 हजार वर्ष पहले भारत में ही हुआ था। इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा भी एक पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के रूप में स्वीकार किया गया है। प्राचीन आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति (Ancient Ayurvedic Medicine) की तुलना कभी भी मॉडर्न मेडिसिन सिस्टम से नहीं की जा सकती है, क्योंकि इनका शरीर पर काम करने का तरीका एक-दूसरे से काफी अलग रहा है।

प्राचीन आयुर्वे दः सेहत के खजाने की कुंजी हैं ये जड़ी बूटियां

प्राचीन आयुर्वेद को सेहत का खजाना कहा जाए तो गलत नहीं होगा. हर जड़ी-बूटी अपने भीतर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के कई गुण समेटे हुए है. वैसे तो प्राचीन आयुर्वेद में लगभग 1,200 औषधीय जड़ी-बूटियों का वर्णन है. लेकिन यहां उन जड़ी बूटियों के बारे में बताया गया है जो आसानी से उपलब्ध हो सकें. इनमें से कई तो ऐसी हैं जिनके पौधे लोग घरों में बड़े शौक से लगाते हैं।

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त्वचा की समय से पहले उम्र बढ़ने का क्या कारण है?

हालाँकि अन्य कारक भी हो सकते हैं, ये तीन प्रमुखता से मौजूद हैं:

जीवनशैली: आहार विकल्प और अस्वास्थ्यकर आदतें
तनाव: अप्रकाशित तनाव और तनाव
पर्यावरणीय स्थितियाँ: पराबैंगनी किरणें, प्रदूषण, अत्यधिक मौसम की स्थिति

त्वचा के लिए बुढ़ापा रोधी जड़ी-बूटियाँ

कुछ आश्चर्यजनक जड़ी-बूटियाँ हैं:

हरिद्रा: हल्दी
शिग्रु: सहजन
निम्बा: नीम
तैला पारनी: नीलगिरी
हरीतकी: हरड़

त्वचा की उम्र बढ़ने से रोकने के लिए आयुर्वेद क्या कर सकता है?

आयुर्वेद त्वचा की देखभाल और बुढ़ापा रोधी जड़ी-बूटियों और उपचारों का खजाना प्रदान करता है । इसमें कई एंटी-एजिंग फॉर्मूलेशन हैं जो प्राकृतिक हैं। वास्तव में, आयुर्वेद 200 से अधिक जड़ी-बूटियों, खनिजों और वसा का दस्तावेजीकरण करने के लिए जाना जाता है जो त्वचा के स्वास्थ्य और सुंदरता को बनाए रखते हैं और बढ़ाते हैं।

इन उपचारों के कई लाभ हैं जैसे एंटीऑक्सीडेंट सेलुलर सुरक्षा। इन्हें सूजन-रोधी और तनाव-विरोधी गुणों के लिए भी जाना जाता है।

प्राचीन आयुर्वेद द्वारा आप अपनी बढ़ती उम्र को कैसे कंट्रोल करें

बढ़ती उम्र के साथ बालों का सफ़ेद होना, जल्दी थकान हो जाना, और चेहरे पर झुर्रियां आ जाना प्रकृतिक है। हर व्यक्ति बढ़ती उम्र के साथ तंदुरुस्त रहना पसंद करता है ताकि वह एक आनंदमई जीवन जी सके और ऐसा मुमकिन है, यदि आप अपने जीवन में दो चीज़ों को जोड़ ले – योग व आयुर्वेद।

बढ़ती उम्र के साथ त्वचा की देखभाल करना सबसे कठिन कार्य बन जाता है और ऐसी स्थिति में प्राचीन आयुर्वेदिक औषधियाँ किसी भी व्यक्ति को अपनी उम्र से कहीं ज़्यादा छोटा दिखने में मदद कर सकती है। आयुर्वेद भारत में प्रचलित सबसे प्राचीन चिकित्सा परंपराओं में से एक है। इसमें त्वचा के स्वास्थ्य और सौंदर्य को बनाए रखने के लिए कहीं उपाय है। आयुर्वेद के कुछ साहित्यों में लगभग 200 से अधिक जड़ी बूटियों, खनिजों और वसा का वर्णन हैं जो की शारीरिक व मानसिक दोनों रूप से बहुत लाभदायक है।

लोगों का रुझान अब आधुनिक चिकित्साओं से हट कर धीरे-धीरे प्राचीन आयुर्वेद के प्रति बढ़ता जा रहा है क्यूँकि यह प्रक्रिया बिना किसी साइड-इफ़ेक्ट के सौंदर्य प्रदान करती है। लोगों की मांग को पूरा करने के लिए, श्री श्री आयुर्वेद पंचकर्म एक विशेष श्रेणी की चिकित्सा प्रदान करता है जो विभिन्न प्राकृतिक तकनीकों के माध्यम से त्वचा में कसाव और सुंदरता प्रदान करती है।

इस तरह की एक विशेष और प्रसिद्ध चिकित्सा में से एक ‘काया लेपम’। काया लेप दूध, चावल का सत्त और हर्बल पाउडर का प्राकृतिक मिश्रण है। यह लेप मृत कोशिकाओं को खत्म करने में मदद करता है, चेहरे के रंग-रूप को सुधरता है और त्वचा में कसाव लाता है। यह पुरानी प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रकृति से प्राप्त जड़ी-बूटियों के साथ तैयार की जाती है और तत्काल उपयोग के लिए ताजा-ताज़ा पीस कर तैयार की जाती है।

इसके अतिरिक्त, अन्य प्राचीन आयुर्वेदिक त्वचा की देखभाल संबंधी उपचार है, जो कि पुरुषों और महिलाओं की सभी प्रकार की त्वचा के लिए बने हैं। कुछ उपचार जिसमें शामिल हैं:

  • दरवी लेपम य हल्दी बॉडी लेप : यह एक प्राचीन आयुर्वेदि लेप है जो कि विशेष रूप से हरिद्रा खंड और विदेशी जड़ी बूटियों के संयोजन के साथ विकसित किया गया है। यह पुरुष और महिला दोनों के लिए एक प्राकृतिक शुद्धिकरण के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो कि त्वचा को निखारता है और पूरे शरीर को पोषण प्रदान करता है, जिसके परिणामस्वरूप त्वचा का रंग-रुप उज्ज्वल हो जाता है।
  • हरितकालेपम य क्लोरोफिल बॉडी लेप : इस लेप को मैरिंगा ओलाइफेरा(सहजन) की पत्तियों से तैयार किया जाता है। पत्तियों को प्राचीन आयुर्वेद के चिकित्सीय उद्यान से हाथों से चुना जाता है और पवित्र सुखोष्ण(गंध व स्वाद रहित) जल के साथ ताज-ताजा पीस कर सुगंधित पेस्ट बनाया जाता है। विटामिन, प्रोटीन और खनिजों के समृद्ध श्रृंखलासमूह के साथ, हरितकालेप त्वचा की कोशिकाओं के लिए एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट का काम करता है, साथ ही साथ त्वचा को नमी, पोषण प्रदान करता है और शुद्ध करता है।
  • शहद और तिल बॉडी लेप : स्वदेशी शहद और तिल के साथ तैयार सौम्य प्राकृतिक बॉडी लेप, निष्क्रिय त्वचा कोशिकाओं की परत उतारता है।
  • नीम बॉडी लेप : नीम के पत्तों से एक शीतल गाढ़ा घोल तैयार किया जाता है। नीम जिसकी दैवीय उत्पत्ति ‘अमृत’ की बूंदों से मानी जाती है, नीलगिरी के तेल के साथ मिलाकर दर्द को दूर करने और सूरज की किरणों के अत्यधिक सम्पर्क में रहने से क्षतिग्रस्त हुई त्वचा की परत को उतारने में प्रयोग करते हैं, जिससे आपकी त्वचा चिकनी और उज्ज्वल हो जाती है।
  • कायालेपम : यह चावल का सत्त , हर्बल पाउडर, नारियल और बादाम के दूध के एक अद्वितीय संयोजन से तैयार किया जाता है जो त्वचा में कसाव लाता है। यह लेप मृत कोशिकाओं को समाप्त करता है, रंग-रुप सुधारता है और त्वचा में कसाव लाता है।
  • फलों का बॉडी लेप : ताजा जैविक फलों के गूदे और तेलों के सम्मिश्रण से तैयार विषहरण और जलयोजित लेप जो कि त्वचा को टोन करता है व अनुकूल बनाता है।यह आपके शरीर को तरुण चमक व रेशमी कोमल अहसास के साथ कसा हुआ व स्वस्थ बनाता है।
  • सब्जियों का बॉडी लेप : इस बॉडी लेप को एंटीऑक्सिडेंट समृद्ध सब्जियों के गूदे तथा सब्जियों के सत्त से तैयार करते हैं। यह त्वचा को टोन करता है और कोशिकाओं में कसाव लाता है। इन सामग्रियों को साथ में मिलाने से त्वचा में एक युवा चमक आती है।
  • चंदन बॉडी लेप : ताजे पिसे हुए चंदन पेस्ट से तैयार एक उन्नत बॉडी लेप, एक एंटी-जैविक तत्व है जिससे त्वचा से झाईयों को साफ किया जाता है, त्वचा को नमी प्रदान करने के साथ कान्तिमय चमक देता है।

इन मौलिक परम्पराओं के परिणामस्वरूप त्वचा मुलायम, तरोताज़ा और कांतिमय बनती है; आपमें आयुवृद्धि के कोई संकेत नहीं दिखाई देते, आप नवयुवा व ताज़ा दिखते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, बहुत से कारक हैं जो त्वचा के स्वास्थ्य को निर्धारित करते हैं।

इनमें शामिल हैं, उचित नमी संतुलन (कफ असंतुलन), चयापचय तंत्रों का प्रभावी कामकाज जो त्वचा की सभी विभिन्न रसायनिक और हार्मोनल अभिक्रियाओं (पित्त असंतुलन) का प्रभावी समन्वय करता है और त्वचा की विभिन्न परतों में रक्त और पोषक तत्वों का प्रभावी परिसंचरण (वात असंतुलन)।

एक प्रभावी आयुर्वेदिक आयुवृद्धि विरोधी कॉस्मेटिक इन सभी तीन क्षेत्रों को समर्थन प्रदान करता है। वात त्वचा को युवा रखने के लिए, त्वचा को पोषित किया जाना चाहिए और झुर्रियाँ और समय से पूर्व आयुवृद्धि से बचने के लिए पुन: हाइड्रेट किया जाना चाहिए। इसमें गर्म तेल से स्वयं मालिश और सभी प्राकृतिक नमीप्रदायक क्रीम मददगार हैं। पित्त त्वचा के लिए, सूरज से सुरक्षा के लिए अच्छे धूपरोधक का और बेहतरीन चेहरे की त्वचा के तेलों का रोजाना इस्तेमाल किया जाना चाहिए। कफ त्वचा के लिए, प्रतिदिन गर्म तेल की मालिश और कोमलता के साथ परत उतारते हुए त्वचा की सफाई की सलाह दी जाती है।

नेचुरल ग्लोइंग स्किन पाने के लिए इन आयुर्वेदिक तरीकों को करें रूटीन में शामिल

मुलायम और ग्लोइंग स्किन चाहिए तो आयुर्वेद की प्राकृतिक अच्छाई से बेहतर क्या हो सकता है? यह प्राचीन भारतीय कला ऐसी कुछ तकनीकों और प्रक्रियाओं का विशाल खजाना है जो आपको बेस्ट रिजल्ट्स देते हैं और वह भी बिना किसी साइड इफेक्ट या बाहरी नुकसान के जो कि अक्सर केमिकल बेस्ड प्रोडक्ट्स को इस्तेमाल करने से होते हैं।

बाजार से खरीदे जाने वाले कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स में केमिकल जैसे सल्फेट्स, पैराबेन, सिलिकॉन और अन्य होते हैं जो स्किन के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इसलिए, अपनी स्किन को अगर आप नेचुरल रूप से ग्लोइंग और हेल्दी बनाना चाहते हैं तो इसका उपाय है आयुर्वेद के पास।

आयुर्वेदिक ब्यूटी रूटीन दुनिया भर में पॉपुलर हो रहे हैं, और अगर आप नेचुरल तरीकों की तलाश में हैं तो प्राचीन आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरुप सिंह आपको बता रहे हैं ग्लोइंग स्किन पाने के कुछ नेचुरल आयुर्वेदिक तरीके।

कवला या ऑयल पुलिंग

Ayurveda rituals for a naturally glowing skin

अपने दिन की शुरुआत कवला, या गुंडुशा के अभ्यास से करें। यह एक प्राचीन आयुर्वेदिक तकनीक है जो ऑरिजिनली ओरल हाइजीन का एक हिस्सा थी। यह माउथवॉश का इस्तेमाल करने की तरह ही है, केवल आपको इसमें माउथवॉस की जगह आपको मुंह के अंदर तेल को घुमाना है। इसके लिए आप नारियल का तेल, या जैतून का तेल इस्तेमाल कर सकते हैं। यह रूखी त्वचा को अपलिफ्ट करने और चेहरे में खून की आपूर्ति में सुधार करने में मदद करता है।

अभ्यंगा या मसाज

Ayurveda rituals for a naturally glowing skin प्राचीन आयुर्वेद में गुनगुने तेल से अपने शरीर की खुद मालिश करने को अभ्यंगा कहते हैं। आप भी आत्म-अभ्यंगा या आयुर्वेदिक मालिश कर सकते हैं। हर सुबह इस उपाय का अभ्यास करें। इससे त्वचा को डिटॉक्सीफाई करने, रक्त के संचार को बढ़ाने और त्वचा को पोषण देने में मदद मिलती है। आप किसी भी एसेंशियल ऑयल या साधारण सरसों के तेल का भी उपयोग कर सकते हैं।

सीजनल स्किन केयर

Ayurveda rituals for a naturally glowing skin सीजनल स्किन केयर रेजीम को फॉलो करें।  

  1. सर्दियों के दौरान, ध्यान से अपनी त्वचा को मॉइस्चराइज़ करें ताकि इसे पोषण मिलें।
  2. वसंत ऋतु में अभ्यंगा (आयुर्वेदिक मालिश) और उबटन जैसे प्राकृतिक क्लींजर से अपनी त्वचा को डिटॉक्सीफाई करें।
  3. समर टाइम में आप अपने स्किनकेयर रूटीन में अशर (वेटिवर), कुमारी (एलोवेरा), खीरा, पुदीना आदि जैसे ऑर्गेनिक हर्ब्स को शामिल कर सकती हैं।

माइंडफुल इटिंग

Ayurveda rituals for a naturally glowing skin ताजे फल और सब्जियां खाकर अपने मेटाबॉलिज्म को बढ़ाएं। माइंडफिल इटिंग बेहद जरूर है। हाइड्रेटेड रहने के लिए ढेर सारा पानी पिएं। इससे त्वचा में निखार आता है।

पर्याप्त नींद लें

Ayurveda ritualsहर रात पर्याप्त नींद लेना जरूरी है। आप हर रात हल्के गर्म तेल से पद अभ्यंगा या पैरों की मालिश करें। इससे ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और आपको नींद अच्छी आती है।

योग और ध्यान

Ayurveda rituals for a naturally glowing skin योग और ध्यान के साथ अपने स्ट्रेस लेवल को मैनेज करें। ये शरीर से अतिरिक्त तनाव को दूर करने और त्वचा को प्राकृतिक रूप से सुंदर बनाने में मदद करते हैं। आप हर रोज 30 मिनट के लिए योग व ध्यान कर सकते हैं।

हर्ब्स

Ayurveda rituals for a naturally glowing skin औषधीय पौधों जैसे हरिद्रा, मंजिष्ठा, सरिबा, चंदन, आमलकी, घ्रितकुमारी, बबुल, लवंगा, शिकाकाई, अरिथा, भृंगराज आदि को अपने दैनिक डाइट में शामिल करें या अन्यथा उपयोग करें। ये आपकी स्किन की क्वालिटी को बेहतर करते हैं।

हम आशा करते हैं कि आपको आईएसकेडी मेडीफिट (ISKD Medifit) का यह लेख पसंद आया होगा। अगर आप किसी विषय पर हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो हमें आपके सवालों के जवाब देने में खुशी होगी। आप हमें अपने सवाल कमेंट बॉक्स में लिख सकती हैं।

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