प्राचीन आयुर्वेद हमें ऐसी जड़ी-बूटियों के बारे में बताता है जो कि अपने आप में ही सुपरफूड्स हैं। प्राचीन आयुर्वेद के अनुसार हलीम के बीज (Halim Seeds) इनमें से एक हैं। यह वनस्पति रूप से वॉटरक्रेस और सरसों से संबंधित होते हैं। हलीम के बीज भी अलसी के बीज, खरबूजे के बीज और चिआ के बीज के जैसे गुणकारी होते हैं। यह एक हरे बारहमासी पौधे से पाए जाते हैं। हलीम के बीज की तासीर गर्म होती है इसीलिए इनका सेवन पानी में भिगो कर करते हैं। महिलाओं के लिए हलीम के बीज फायदेमंद होते हैं। पाइल्स की समस्या होने पर हलीम के बीज सहायक होते हैं। इस लेख में हलीम के बीज के फायदों के बारे में चर्चा की गयी है, जानने के लिए आगे पढ़ें। आईएसकेडी मेडीफिट के इस लेख के माध्यम से आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरूप सिंह बताएँगे कि हलीम खाने से आपके स्वास्थ्य को किस किस तरह से फायदे मिल सकते हैं।
अक्सर चिया सीड्स, फ्लैक्स सीड्स और गार्डन क्रेस सीड्स जैसे सुपरफूड्स को नजरंदाज किया जाता है। असल में हलीम के बीज यानी गार्डन क्रेस सीड्स अपनी गुडनेस के कारण आपको कई स्वास्थ्य लाभ देते हैं।
जब हम सुपरफूड्स की बात करते हैं, तो हमारे आस-पास कई प्रकार के विकल्प मौजूद होते हैं। जिसमें विभिन्न नट्स से लेकर, कई मसाले और बीज शामिल हैं। अक्सर लोग इन छोटे पौष्टिक खाद्य पदार्थों जैसे चिया के बीज, कद्दू के बीज और फ्लैक्स सीड्स को नजरअंदाज करते हैं, जबकि यह दुनिया भर में काफी लोक प्रिय हैं।
आपने चंद्रशूर (Chandrachur) के पौधे को बाग-बगीचे आदि में जरूर देखा होगा, लेकिन कभी गौर नहीं किया होगा। चंद्रशूर को हलीम भी कहा जाात है। आयुर्वेद के अनुसार, बेकार-सा दिखाई देने वाला चंद्रशूर (हलीम) का पौधा एक बहुत ही उत्तम औषधी है, और चंद्रशूर (हलीम) के फायदे से रोगों का इलाज किया जा सकता है। प्राचीन आयुर्वेदिक किताबों में चंद्रशूर (हलीम) के सेवन या उपयोग से संबंधित अनेक उत्तम बातें बताई गई हैं।
हिचकी की परेशानी, दस्त, शूल, चर्म रोग, आंखों की बीमारी में चंद्रशूर से लाभ मिलता है। चंद्रशूर के औषधीय गुण से दर्द से रहात मिल सकता है। आइए जानते हैं कि आप चंद्रशूर (Chandrashoor) से और क्या-क्या लाभ ले सकते हैं।
चन्द्रशूर (हलीम) क्या है? (What is चन्द्रशूर/Halim in Hindi?)
चंद्रशूर (हलीम) का पौधा 15-45 सेमी ऊँचा सीधा, चिकना और वर्षायु होता है। इसका तना सीधा, अरोमिल होता है। इसके पत्ते विभिन्न आकार के होते हैं। इसके फूल छोटे, सफेद रंग के, 2 मिमी लम्बे और द्वि-लिंगी होते हैं। चंद्रशूर (chandrashoor) का फल 4 मिमी व्यास का चपटा होता है। प्रत्येक फल में 1-2, छोटे, लाल रंग के बीज होते हैं। हलीम के बीजों को जल में भिगोने से लुआबदार हो जाते हैं। बीजमज्जा सफेद और बीजकवच चिकना होता है। इसका पुष्पकाल एवं फलकाल दिसम्बर से अपैल तक होता है।
चन्द्रसूर (हलीम) का प्रयोग प्राचीन-काल से चिकित्सा के रूप में किया जा रहा है। यह काम क्षमता और स्तनों में दूध को बढ़ाने में मदद करता है। इसका प्रसूतावस्था में विशेष प्रयोग किया जाता है। यहां चंद्रशूर से होने वाले सभी फायदे के बारे को बहुत ही आसान शब्दों (chamsur in hindi) में लिखा गया है ताकि आप चंद्रशूर से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।
अन्य भाषाओं में चन्द्रशूर के नाम (Name of Chandrashur in Different Languages)
चंद्रशूर का वानस्पतिक नाम Lepidium sativum Linn (लैपिडियम सैटाइवम) Syn-Lepia sativa (Linn.) Desv. है। यह Brassicaceae (ब्रैसेकेसी) कुल का है। इसे देश और विदेश में अन्य नामों से भी जाना जाता है, जो ये हैंः-
- Hindi – हर्फ अलकालम, हालों, हालिम, चनसुर, चन्दसूर, चन्द्रशूर
- English (chamsur in English)- कॉमन गार्डन क्रेस (Common garden cress), पेप्र ग्रास (Pepper grass), पेप्र वर्ट क्रेस, (Pepper wort cress), नास्टर्शियम क्रेस (Nasturtium cress), Common cress (कॉमन क्रेस), chamsur
- Sanskrit – चन्द्रिका, चर्महत्री, पशुमेहनकारिका, नन्दिनी, कारवी, भद्रा, वासपुष्पा, सुवासरा, चंद्रसूर, चंद्रसूरा
- Urdu – हालिम (Halim)
- Oriya – चंदसारा (Chandsara), चंदसूरा (Chandsura)
- Kannada – अलिबीज (Allibija), कुरूटीग (Kurutige)
- Gujarati – अशेहीओ (Asahio), अशेरिया (Asheriya)
- Tamil – अलिविराई (Aliverai)
- Telugu – अदितयलु (Adityalu)
- Bengali – हालिम (Halim), हालिमा (Halima)
- Nepali – चम्सुर (Chamsur)
- Punjabi – तेजक (Tezak)
- Marathi – आलीव (Ahliva), हलिम (Halim)
- Malayalam – असली (Asali)
- Arabic – हल्फ (Half), हब्बे अल रसद (Habb el-rashad) हरफुलावाज (Harfulawaj)
- Persian – रूखमी-स्पान्दा (Rukhmi-ispanda)
चन्द्रशूर (हलीम) के फायदे और उपयोग (चन्द्रशूर/Halim Benefits and Uses in Hindi)
चंद्रशूर (chandrashoor) के औषधीय प्रयोग, मात्रा एवं विधियां ये हैंः-
खून की कमी होने पर (Increases The Level Of Hemoglobin or Red blood cells)
हलीम के बीज में आयरन का उच्च स्तर लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को बढ़ावा देता है और शरीर में हीमोग्लोबिन के स्तर को बेहतर बनाने में भी मदद करता है। लंबे समय में वे कुछ हद तक एनीमिया के इलाज में मदद कर सकते हैं। सिर्फ एक बड़ा चम्मच हलीम के बीज 12 मिलीग्राम आयरन प्रदान करते हैं।
खून की कमी होने पर, आयरन की कमी में, रेड ब्लड सेल्स की कमी और हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने में हलीम के बीज फायदेमंद होते हैं। सिर्फ एक बड़ा चम्मच हलीम के बीज 12 मिलीग्राम आयरन प्रदान करते हैं। शरीर में मिनरल्स के अवशोषण को बढ़ाने के लिए आयरन के साथ-साथ विटामिन-C से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
शरीर में मिनरल्स के अवशोषण को बढ़ाने के लिए आयरन के साथ-साथ विटामिन-सी से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी जाती है। हलीम बीज स्वयं विटामिन-सी का एक समृद्ध स्रोत हैं और इसलिए उन्हें अतिरिक्त स्रोतों की आवश्यकता नहीं होती है।
यदि आप आयरन की कमी से पीड़ित हैं तो हलीम के बीज आपके लिए एक उत्कृष्ट पूरक हैं। इन बीजों के एक बड़े चम्मच में 12 मिलीग्राम आयरन होता है। केवल एक बड़ा चम्मच लेने से, हम आयरन की दैनिक अनुशंसित आवश्यकता का 60% सफलतापूर्वक उपभोग कर लेते हैं। 2 महीने तक हर दिन 2 से 3 बार हलीम का पानी पीने से एनीमिया को दूर करने और हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने में मदद मिल सकती है। आप काढ़े में 1 चम्मच नींबू का रस भी मिला सकते हैं क्योंकि इससे मिश्रण में विटामिन सी जुड़ जाएगा और शरीर में आयरन का बेहतर अवशोषण होगा।
गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद (Beneficial For Pregnant Women)
हलीम के बीज विटामिन E और A का बहुत अच्छा सोर्स होते हैं। इसमें भरपूर मात्रा में आयरन और फैटी एसिड्स होते हैं, जो प्रेग्नेंसी के बाद त्वचा में आए ढीलेपन और बालों के झड़ने को रोकते हैं।
यह स्तन में दूध के उत्पादन को बढ़ाता है (It increases the production of milk in the breast)
चूंकि हलीम के बीज प्रोटीन और आयरन से भरपूर होते हैं और इसमें गुणकारी गैलेक्टोगोग गुण होते हैं। इसलिए ये स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। गैलेक्टोगोग्स ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जो स्तन ग्रंथियों से स्तन के दूध के उत्पादन को प्रेरित करने, उसे बनाए रखने और बढ़ाने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
वजन कम करने में (Helps in losing weight)
हलीम के बीजों में कैल्शियम, विटामिन A, विटामिन C और विटामिन E के अलावा प्रोटीन व फाइबर जैसे पोषक तत्व पाये जाते हैं। यदि आप अपनी डाइट में हलीम के बीजों का सेवन करना शुरू करते हैं, लम्बे समय तक तृप्त महसूस करेंगें। इसमें मौजूद फाइबर आपको वजन कम करने या वजन को कंट्रोल रखने में सहायक हैं।
हलीम के बीज, फाइबर और प्रोटीन के समृद्ध स्रोत होने की वजह से यह आपको लंबे समय तृप्ति का अहसास कराने में मदद करते हैं। इस प्रकार वे भूख से बचने या अधिक खाने से बचने में मदद करते हैं। इन बीजों की अच्छी प्रोटीन सामग्री आपको शरीर की मांसपेशियों को बनाए रखने, और स्वस्थ वजन घटाने के लिए सक्षम बनाती है।
इम्युनिटी बूस्ट करते हैं
फ्लेवोनोइड्स (एंटीऑक्सिडेंट्स), फोलिक एसिड और विटामिन-ए, सी और ई से भरपूर हलीम के बीज, शरीर की प्रतिरक्षा में सुधार के लिए एक बेहतरीन फूड है जो कि आपको विभिन्न संक्रमणों और बीमारियों से बचाने में मदद कर सकता है। इसके रोगाणुरोधी गुण बुखार, सर्दी और गले में खराश जैसे विभिन्न संक्रमणों को रोकने में मदद करते हैं।
मासिक धर्म को विनियमित करने में मदद करते हैं
महिलाओं को प्रगनेंसी प्लान करने के लिए मासिक धर्म चक्र का विनियमन करना बहुत महत्वपूर्ण है। हलीम बीज फाइटोकेमिकल्स में समृद्ध हैं, जो एस्ट्रोजन हार्मोन की नकल करते हैं, और पीरियड्स को नियमित करते हैं। यह हार्मोन को विनियमित करने और अनियमित मासिक धर्म चक्र को सामान्य करने का एक प्राकृतिक तरीका साबित हो सकता है।
शरीर के दर्द में चंद्रशूर का सेवन लाभदायक (Chandrashur Uses in Relief from Body Pain in Hindi)
- चन्द्रसूर को पानी में पीसकर पीने तथा लेप करने से खून से संबंधित विकारों तथा शरीर के दर्द से आराम मिलता है।
- चन्द्रसूर (हलीम) के 50 ग्राम बीजों को 200 मिली तिल के तेल में पका लें। तेल को छानकर लगाने से शरीर का दर्द ठीक होता है।
चंद्रशूर के औषधीय गुण से सूखी खांसी का इलाज (Chandrashur Uses in Fighting with Cough Hindi)
चंद्रशूर की टहनियों का काढ़ा बना लें। इसे 5-10 मिली मात्रा में पिलाने से सूखी खांसी में लाभ होता है। बेहतर परिणाम के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।
हिचकी की परेशानी में चंद्रशूर के फायदे (Benefits of Chandrashur in Hiccup Problem in Hindi)
10 ग्राम चन्द्रसूर (हलीम) के बीज को 8 गुने जल में पकाएं। इसे गाढ़ा हो जाने पर कपड़े से छान लें। इस जल को 50 मिली की मात्रा में बार-बार पीने से हिचकी की परेशानी ठीक होती है।
सर्दी में चंद्रशूर के फायदे (Chandrashur Benefits to Treat Cold in Hindi)
चन्द्रसूर (हलीम) के बीजों का काढ़ा बनाएं। इसे 10-15 मिली मात्रा में पिलाने से सर्दी की वजह से होने वाली परेशानियों में लाभ होता है।
चंद्रशूर के औषधीय गुण से खूनी बवासीर का इलाज (Benefits of Chandrachur in Piles Treatment in Hindi)
हलीम के बीज के फायदे से खूनी बवासीर के इलाज में मदद मिलती है। 5 मिली चन्द्रसूर के बीज के रस लें। इसे पानी या नारियल का पानी मिलाकर पीने से रक्तार्श (खूनी बवासीर) में लाभ होता है।
कब्ज से राहत दिलाते हैं
हलीम के बीज की उच्च फाइबर सामग्री उन्हें एक आदर्श बाउल मोबिलाइजर (bowel mobilizer) बनाती है। इसलिए वे कब्ज और संबंधित समस्याओं जैसे- गैस और सूजन से राहत दिलाने में मदद करते हैं। ऐसे और भी कई फायदे हैं जो ये छोटे बीज प्रदान करते हैं। इस प्रकार इसे अपने आहार में शामिल करना निश्चित रूप से आपके शरीर के पोषण को बढ़ाने वाला है।
कब्ज की समस्या में आप चम्सुर का उपयोग कर सकते है, क्योंकि इसमें पाए जाने वाला कफ जैसा पदार्थ लैक्सटिव के गुण वाला होता है, जो की कब्ज को दूर करने में मदद करता है।
धातुपुष्टि में चम्सुर के फायदे (Chandrachur Beneficial in Dhatupushti in Hindi)
यदि आप कमजोरी महसूस करते है, और साथ ही आपका वजन भी आपकी लम्बाई के अनुरूप नहीं है तो आप चम्सुर का उपयोग कर सकते हैं। आयुर्वेद के अनुसार ये बल और पुष्टिवर्धक होता है।
चन्द्रसूर (chandrashoor) के बीजों को घी में भूनकर शर्करा मिला लें। इसका सेवन करने से प्रसव के बाद होने वाली शारीरिक कमजोरी ठीक होती है।
अस्थमा में हिलम के फायदे (Hilam is Helpful in asthma)
हलीम की पत्तियों, बीज व जड़ों का इस्तेमाल दवा बनाने के लिए किया जाता है। यदि आपको अस्थमा की समस्या है, तो आप इसके बीजों का सेवन कर सकते हैं। इसके अनेक स्वास्थ्य लाभ होते हैं।
हलीम के बीज कई पौधे-आधारित सक्रिय यौगिकों से भरपूर होते हैं जो फेफड़ों के कार्यों को बढ़ाने में योगदान कर सकते हैं। इसलिए नियमित रूप से इनका सेवन करने से अस्थमा के लक्षणों में राहत मिल सकती है। साथ ही, इन सुपरफूड्स को चबाने से खांसी और गले की खराश के इलाज में मदद मिल सकती है। इसलिए, मौसमी बदलावों के दौरान इन्हें आपके आहार में अवश्य शामिल करना चाहिए।
लीवर रोग में चंद्रशूर के सेवन से लाभ (Chandrachur Benefits to Treat Lever Disease in Hindi)
हलीम के बीज के फायदे से लिवर से जुड़े रोगों में भी लाभ मिलता है। 10-15 मिली चंद्रसूर की बीज का काढ़ा पीने से लिवर संबंधित विकारों में लाभ होता है।
सिफलिस (उपदंश) रोग में चंद्रशूर के सेवन से फायदा (Chandrachur Benefits to Treat Syphilis in Hindi)
चन्द्रसूर पंचांग का काढ़ा बनाकर 10-15 मिली मात्रा में पिलाने से उपदंश (सिफलिस) रोग में लाभ होता है।
- चंद्रशूर के औषधीय गुणों से स्तनों में दूध की वृद्धि (Chandrachur Benefits in Increasing Breast Milk in Hindi)
स्तनपान कराने वाली किसी महिला को दूध की कमी हो रही है तो हलीम के बीज के फायदे ले सकती हैं। चंद्रशूर के बीज से बने 10-20 मिली काढ़े में एक चम्मच शहद मिला लें। इसे पीने से स्तनों में दूध की वृद्धि होती है। - 5-10 ग्राम बीजों को 100 मिली दूध में खूब गर्म कर लें। इसे पिलाने से स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।
- चन्द्रसूर की बीजों को घी में भूनकर शर्करा मिला लें। इसका सेवन करने से स्तनों में दूध बढ़ता है।
चंद्रशूर के औषधीय गुण से गठिया का इलाज (Uses of Chandrashur in Arthritis Treatment in Hindi)
चन्द्रसूर के बीजों तो तिल के तेल में पका लें। इसे लगाने से वातरक्त तथा गठिया की बीमारी में लाभ होता है।
सूजन की समस्या में चंद्रशूर से लाभ (Benefits of Chandrachur in Reducing Swelling in Hindi)
- चन्द्रसूर के बीजों को पीसकर लगाने से शरीर के सभी अंगों की सूजन ठीक हो जाती है।
- चंद्रसूर के बीजों को कूट लें। इसमें नीबू का रस मिलाकर लगाने से सूजन कम हो जाती है।
फाइबर से भरा हुआ (Halim is full of fiber)
हलीम के बीज फाइबर से भरे होते हैं। जब भोजन में जोड़ा जाता है, तो बाग़ के बीज पचने में अधिक समय लेते हैं और सिस्टम से बाहर निकल जाते हैं। इस तरह, यह तेजी से और अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों में लिप्त होने की इच्छा को कम करता है। यह मल को पानी से बांधकर और पाचन तंत्र को साफ रखकर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोगों को भी दूर रखता है।
चन्द्रशूर के उपयोगी भाग (Beneficial Part of Chandrashur in Hindi)
आप चंद्रशूर के इन भागों का उपयोग कर सकते हैंः-
- हलीम (चंद्रशूर) के बीज
- जड़
- पत्ते
- पंचांग
चन्द्रशूर का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Chandrachur?)
चंद्रशूर का इस तरह इस्तेमाल किया जाना चाहिएः-
हलीम के बीज का चूर्ण – 1-3 ग्राम
यहां चंद्रशूर से होने वाले सभी फायदे के बारे को बहुत ही आसान शब्दों (chamsur in hindi) में लिखा गया है ताकि आप चंद्रशूर से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन औषधि के रूप में चंद्रशूर का प्रयोग करने के लिए चिकित्सक की सलाह जरूर लें।
चन्द्रशूर से नुकसान (Side Effect of Chandrachur in Hindi)
चंद्रशूर से ये नुकसान भी हो सकते हैंः-
- उचित मात्रा में सेवन करने से शरीर पर कोई नुकसान नहीं होता है, लेकिन अधिक मात्रा में सेवन करने से यह पेट में गड़बड़ी कर सकता है।
- विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं को चंद्रशूर का सेवन नहीं करना चाहिए।
अलीम के बीज के इस्तेमाल को लेकर पूंछे जाने वाले सवाल
क्या हम रोज हलीम के बीज ले सकते हैं?
सिर्फ इसलिए कि हलीम के बीज बहुत सारे स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं इसका मतलब यह नहीं है कि आपको उन्हें असीमित मात्रा में सेवन करना चाहिए। आप इन बीजों का एक बड़ा चम्मच या 12 ग्राम सुरक्षित रूप से सप्ताह में 2 से 3 बार ले सकते हैं । अपने चिकित्सक या चिकित्सक द्वारा निर्धारित अनुशंसित खुराक से अधिक न करें।
हलीम के क्या क्या फायदे हैं?
हलीम के बीजों में कैल्शियम, विटामिन A, विटामिन C और विटामिन E के अलावा प्रोटीन व फाइबर जैसे पोषक तत्व पाये जाते हैं। यदि आप अपनी डाइट में हलीम के बीजों का सेवन करना शुरू करते हैं, लम्बे समय तक तृप्त महसूस करेंगें। इसमें मौजूद फाइबर आपको वजन कम करने या वजन को कंट्रोल रखने में सहायक हैं।
क्या पुरुष हलीम के बीज खा सकते हैं?
हलीम के बीज प्राचीन काल से उपयोग किया जाने वाला भारत का एक आवश्यक पौष्टिक पौधा है। वैज्ञानिक नाम लेपिडियम सैटिवम के साथ, हलीम के बीज के लाभ पुरुषों के लिए कई गुना अधिक हैं ।
हलीम के बीज दूध के साथ कैसे लेते हैं?
एक कप गर्म दूध में हलम के बीज डालें, अच्छी तरह मिलाएँ, ताकि कोई गांठ न रह जाए। इसे एक घंटे के लिए भिगो दें, ताकि बीज फूल कर नरम हो जाएं। 2. एक चम्मच घी गरम करें, हलीम के बीज का मिश्रण डालें, एक और कप दूध डालें।
हलीम के बीज कितने समय तक भिगोते हैं?
करेले के बीज, हलीम को भिगोने के लिए, बीजों को साफ कर लीजिए और इसमें ½ कप पानी डाल दीजिए. अच्छी तरह मिलाएं और 30 मिनट के लिए भिगोने के लिए अलग रख दें। भिगोने के बाद ये परोसने के लिए तैयार हैं।
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