साइनस नाक का एक रोग है जिससे आज एक बड़ी आबादी ग्रसित है। आयुर्वेद में इसे प्रतिश्याय नाम से जाना जाता है और चिकित्सा जगत में इसे ‘साइनोसाइटिस’ कहा जाता है। सर्दी के मौसम में नाक बंद होना, सिर में दर्द होना, आधे सिर में बहुत तेज दर्द होना, नाक से पानी गिरना इस रोग के लक्षण हैं। इसमें रोगी को हल्का बुखार, आंखों में पलकों के ऊपर या दोनों किनारों पर दर्द रहता है। तनाव, निराशा के साथ ही चेहरे पर सूजन आ जाती है। इसके मरीज की नाक और गले में कफ जमता रहता है। आईएसकेडी मेडीफिट के इस लेख के माध्यम से आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरूप सिंह बताएँगे कि साइनस क्या है और साइनस का इलाज कैसे किया जा सकता है।
इस रोग से ग्रसित व्यक्ति धूल और धुआं बर्दाश्त नहीं कर सकता। साइनस ही आगे चलकर अस्थमा, दमा जैसी गम्भीर बीमारियों में भी बदल सकता है। इससे गम्भीर संक्रमण हो सकता है। ध्यान रहे कि हर सर्दी-जुकाम को साइनस नहीं कहा जा सकता है। इसके कुछ विशेष लक्षण होते हैं, जिनके विषय में आपको पता होना चाहिए।
नाक के आसपास चेहरे की हड्डियों के भीतर नम हवा के रिक्त स्थान हैं, जिन्हें ‘वायुविवर’ या साइनस (sinus) कहते हैं। साइनस पर उसी श्लेष्मा झिल्ली की परत होती है, जैसी कि नाक और मुँह में। जब किसी व्यक्ति को जुकाम तथा एलर्जी हो, तो साइनस ऊतक अधिक श्लेष्म बनाते हैं एवं सूज जाते हैं।
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साइनस रोग क्या होता है? (What is Sinusitis?)
साइनस में नाक तो अवरूद्ध होती है, साथ ही नाक में कफ आदि का बहाव अधिक मात्रा में होता है। भारतीय वैज्ञानिक सुश्रुत एवं चरक के अनुसार चिकित्सा न करने से सभी तरह के साइनस रोग आगे जाकर ‘दुष्ट प्रतिश्याय’ में बदल जाते हैं और इससे अन्य रोग भी जन्म ले लेते हैं। आम धारणा यह है कि इस रोग में नाक के अन्दर की हड्डी बढ़ जाती है या तिरछी हो जाती है जिसके कारण श्वास लेने में रुकावट आती है। ऐसे मरीज को जब भी ठण्डी हवा या धूल, धुआँ उस हड्डी पर टकराता है तो व्यक्ति परेशान हो जाता है।
वास्तव में साइनस के संक्रमण होने पर साइनस की झिल्ली में सूजन आ जाती है। सूजन के कारण हवा की जगह साइनस में मवाद या बलगम आदि भर जाता है, जिससे साइनस बंद हो जाते हैं। इस वजह से माथे पर, गालों पर ऊपर के जबड़े में दर्द होने लगता है।
साइनस के प्रकार – Types of Sinus in Hindi
शायद आपको पता नहीं कि आयुर्वेद के अनुसार साइनस पांच प्रकार के होते हैं
1. तीव्र साइनोसाइटिस (Acute sinusitis):
एक्यूट व तीव्र साइनस सबसे कम अवधि वाला होता है। वाइरल इंफेक्शन की वजह से होने वाला यह साइनस चार या उससे कम हफ्तों तक रहता है। यह एक्यूट साइनस सामान्य रोगजनकों स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया, मोराक्सेला कैटरालिस और हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा की वजह से भी होता है।
2. मध्यम तीव्र साइनोसाइटिस (Sub Acute sinusitis):
इस प्रकार में साइनस में सूजन चार से बारह हफ्तों तक रहती है। सबएक्यूट साइनसाइटिस के लक्षण 3 महीने तक रह सकते हैं। यह स्थिति आमतौर पर जीवाणु संक्रमण या मौसमी एलर्जी की वजह से होती है।
3. जीर्ण साइनोसाइटिस (Chronic sinusitis):
इस प्रकार में लक्षण बारह हफ्तों से अधिक समय तक रहता है। क्रॉनिक साइनस यानी लंबे समय तक रहने वाला साइनस है। इसके लक्षण 12 हफ्ते यानी करीब 3 महीने तक रहते हैं। यह एलर्जी, इंफेक्शन, म्यूकस व सूजन की वजह से हो सकता है।
4. आवर्तक साइनोसाइटिस (Recurrent sinusitis):
इस प्रकार में रोगी को सालभर बार-बार साइनासाइटिस की समस्या होती रहती है। यह एक ऐसे तरह का साइनस है, जो वक्त के साथ बार-बार होता है। एक साल में चार से पांच बार यह हो सकता है। हर बार 7 दिन तक इसके लक्षण दिखते हैं। बार-बार होने की वजह से यह रिकरंट कहलाता है।
5. एलर्जिक साइनसाइटिस (Allergic sinusitis):
इसके अलावा, एलर्जिक साइनसाइटिस भी होता है, जो किसी एलर्जी के कारण व्यक्ति को होता है। एलर्जिक साइनसाइटिस के उपचार का बेहतर तरीका एलर्जी पैदा करने वाली चीजों से बचना है।
साइनस होने के कारण (Causes of Sinus)
जिस तरह मॉर्डन मेडिकल साइंस ने साइनुसाइटिस को क्रोनिक और एक्यूट दो तरह का माना है। आयुर्वेद में भी प्रतिश्याय को नव प्रतिश्याय ‘एक्यूट साइनुसाइटिस’ और पक्व प्रतिश्याय ‘क्रोनिक साइनुसाइटिस’ के नाम से जाना जाता है।
दरअसल, हमारे सिर में कई खोखले छिद्र (कैविटीज) होते हैं, जो सांस लेने में हमारी मदद करते हैं और सिर को हल्का रखते हैं। इन छिद्रों को साइनस या वायुविवर कहा जाता है। जब इन छिद्रों में किसी कारणवश गतिरोध पैदा होता है, तब साइनस की समस्या उत्पन्न होती है। ये छिद्र कई कारणों से प्रभावित हो सकते हैं और बैक्टीरिया, फंगल व वायरल इसे गंभीर बना देते हैं। एक्यूट साइनोसाइटिस दो से चार हफ्तों तक रहता है, जबकि क्रॉनिक साइनोसाइटिस 12 हफ्ते या उससे ज्यादा समय तक रहता है। निम्नलिखित बिंदुओ के जरिए जानिए साइनस की समस्या उत्पन्न होने के सबसे अहम कारण:
साइनस के कारण कई हो सकते हैं। इनमें से कुछ सामान्य वजह के बारे में हम नीचे बता रहे हैं।
- सर्दी-जुकाम।
- एलर्जी।
- वायरस, फंगस और बैक्टीरिया।
- जानवरों के शरीर से निकलने वाली रूसी।
- प्रदूषित हवा।
- धुआं और धूल।
- नाक के छोटे बाल यानी सिलिया, जो नाक से म्यूकस को अच्छे से निकलने नहीं देते।
- नाक की हड्डी का नुकीले आकार में बढ़ना।
नाक की हड्डी बढ़ना- नाक की हड्डी बढ़ने के कारण भी साइनस की समस्या हो जाती है। दरअसल, बचपन या किशोरावस्था में नाक पर चोट लगने या दबने के कारण नाक की हड्डी एक तरफ मुड़ जाती है, जिससे नाक का आकार टेढ़ा दिखाई देता है। हड्डी का यह झुकाव नाक के छिद्र को प्रभावित करता है, जिससे साइनस की समस्या हो सकती है। कोई भी कारण, जो श्वास छिद्रों में अवरोध पैदा करते हैं, उनसे साइनस की समस्या पैदा हो सकती है।
जुकाम-साइनस का सबसे सामान्य कारण जुकाम है, जिसकी वजह से नाक निरंतर बहती है या फिर बंद हो जाती है और सांस लेने में दिक्कत होती है। जुकाम एक प्रकार का संक्रामक होता है, जो किसी और के माध्यम से भी आपको चपेट में ले सकता है। जिन लोगों को लगातार जुकाम होता है, उन्हें साइनस होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है।
एलर्जी- बहुत से लोगों को नाक संबंधी एलर्जी की शिकायत रहती है। बाहर की दूषित वायु के संपर्क में आते ही यह समस्या बढ़ जाती है। नाक संबंधी एलर्जी मौसम के कारण भी हो सकती है। सर्दियों के दर्द, आवाज में बदलाव, सिरदर्द आदि आम हैं, लेकिन आप इन्हें हल्के में न लें। साइनस इन्हीं लक्षणों के साथ दस्तक देता है।
प्रदूषण-साइनस की समस्या प्रदूषण के कारण भी हो सकती है। ज्यादा प्रदूषण वाले इलाकों में रहने वाले लोग इस बीमारी की चपेट में जल्दी आ सकते हैं। धूल के कण, स्मॉग और दूषित वायु के कारण साइनस की समस्या बढ़ सकती है। ये हानिकारक कण सीधे हमारी श्वास नली पर प्रहार करते हैं। इससे धीरे-धीरे जुकाम, नाक का बहना और दर्द आदि समस्या होती है।
भोजन-खान-पान में बरती गई लापरवाही भी साइनस का कारण बन सकती है। भोजन की अनियंत्रित मात्रा व पौष्टिक तत्वों की कमी से पाचन तंत्र प्रभावित होता है, जो आगे चलकर साइनस की समस्या की जड़ बन सकता है।
अस्थमा-अस्थमा सांस संबंधी गंभीर बीमारी है, जो फेफड़ों और श्वास नलियों को प्रभावित करती है। अस्थमा से ग्रसित मरीज ठीक प्रकार से सांस नहीं ले पाता, जिसके लिए उसे स्पेसर की आवश्यकता पड़ती है। इन हालातों में मरीज को साइनस की समस्या होने के आसार बढ़ जाते हैं।
साइनस के लक्षण – Symptoms of Sinusitis in Hindi
साइनस क्यों होता है, यह जानने के बाद साइनस लक्षण को जानना भी जरूरी है। वयस्कों की बात करें, तो एक्यूट साइनसिसिस के लक्षण नजला या कोल्ड के साथ शुरू हो सकते हैं। जुकाम की यह स्थिति ठीक होने की जगह 5 से 7 दिन में और बिगड़ सकती है। इसी
- सांस से बदबू आना
- किसी तरह की गंध का न आना
- खांसी, जो रात को और ज्यादा हो जाती है।
- थकान और बीमार जैसा महसूस होना।
- बुखार आना।
- सिरदर्द।
- आंखों के पीछे दर्द और दांतों में दर्द।
- चेहरे का बहुत मुलायम होना।
- नाक बंद होना या बहना।
- गले में खराश।वजह से हम नीचे साइनस के कुछ आम लक्षणों के बारे में बता रहे हैं।
बच्चों में साइनसाइटिस के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं –
- सर्दी या सांस की बीमारी, जो बेहतर होते-होते फिर खराब होने लगती है।
- साइनस लक्षण में हाई फीवर भी शामिल है।
- नाक का बहना, जो कम से कम 3 दिनों तक रहता है।
- खांसी या बिना खांसी के नाक का बहना, जो 10 से अधिक दिनों से मौजूद है और इसमें सुधार नहीं हो रहा है।
सिरदर्द:
साइनस का सबसे सामान्य लक्षण सिरदर्द है। वायु विवर (साइनस कैविटीज) बंद होने या सूजन की वजह से सांस लेने में दिक्कत होती है। सांस लेने के लिए अत्यधिक जोर लगाना पड़ता है। सांस लेने की यह अवस्था भारी सिरदर्द पैदा करती है, क्येंकि इससे आपके सिर और नसों पर दबाव पड़ता है। इस दर्द का अनुभव आप माथे, गाल की हड्डियों और नाक के आस-पास महसूस कर सकते हैं। कई बार यह दर्द असहनीय अवस्था में पहुंच जाता है।
बुखार और बेचैनी:
साइनस के दौरान मरीज को बुखार भी आ सकता है और बेचैनी या घबराहट भी हो सकती है या फिर बुखार आ सकता है। यह जरूरी नहीं कि साइनस के दौरान बुखार आए।
आवाज में बदलाव:
साइनस के कारण नाक से तरल पदार्थ निकलता रहता है और दर्द होता है, जिसका असर आपकी आवाज पर भी पड़ता है। इस दौरान, आपकी आवाज सामान्य से थोड़ी भिन्न हो जाती है। आवाज में भारीपन या धीमापन आ जाता है। आवाज में हो रहे इस बदलाव के जरिए आप साइनस के लक्षण की पहचान कर सकते हैं।
आँखों के ऊपर दर्द:
साइनस कैविटीज़ आपकी आंखों के ठीक ऊपर भी होते हैं, जहां सूजन या रुकावट के कारण दर्द शुरू हो जाता है। इस लक्षण से आप साइनस की पहचान कर सकते हैं।
सूंघने की शक्ति कमजोर होना:
खोखले छिद्रों में अवरोध पैदा होने के कारण सूंघने की शक्ति पर प्रभाव पड़ता है। इस अवस्था में नाक बंद हो जाती है और सूजन के कारण इंद्रियां अपना काम ठीक से नहीं कर पाती हैं। इसलिए, किसी भी चीज को सूंघने की सामान्य क्षमता कम हो जाती है।
दांतों में दर्द:
साइनस संक्रमण के कारण आपके दांतों में भी दर्द हो सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि साइनस कैविटीज़ में बनने वाला तरल पदार्थ मैक्सिलरी साइनस (ये खाखले छिद्र नाक के पास होते हैं) के पास ऊपरी दांतों पर दबाव डालता है। अगर आपको साइनस की वजह से दांतों में दर्द होता है।
थकान:
चिकित्सकों का मानना है कि अगर तेज जुकाम के साथ सिरदर्द, नींद न आना, नाक का बार-बार बंद होना और थकान महसूस होती है, तो यह लक्षण साइनस के हैं।
खांसी:
तेज खांसी को भी साइनस का मुख्य लक्षण माना गया है। साइनस से गले और फेफड़े प्रभावित होते हैं, जिससे मरीज खांसी की चपेट में आ जाता है। इसलिए, इन लक्षणों को हल्के में न लें।
साइनस से बचने के उपाय (Prevention Tips for Sinus)
साइनस के समस्या से बचने के लिए आहार और जीवनशैली में कुछ फेर-बदल करने की ज़रूरत होती है। जैसे-
क्या खायें-
- खजूर, किशमिश, सेब, सोंठ, अजवायन, हींग, लहसुन, लौकी, कद्दू, मूंग के अलावा ताजा सब्जियों का सूप पिएं।
- सुबह खाने से पहले या खाने के बाद रोज एक आंवला खाएं।
- संक्रमण के दौरान सीमित मात्रा में खाएं, आहार में साबुत अनाज, फलियाँ, दालें, हल्की पकी सब्जियाँ, सूप और शीतलन की प्रक्रिया से बने तेल (जैतून का तैल)
- शिमला मिर्च, लहसुन, प्याज और हॉर्सरेडिश अपने सूप और आहार में शामिल करें, ये अतिरिक्त म्यूकस को पतला करके निकलने में सहायक हेते हैं।
- अच्छी तरह साफ पानी अधिक मात्रा में पियें।
- दस से पंद्रह तुलसी के पत्ते, एक टुकड़ा अदरक और दस से पंद्रह पत्ते पुदीने के लें। सबको पीसकर एक गिलास पानी में उबाल लें। जब पानी उबलकर आधा रह जाए तो उसे छान लें और स्वाद के अनुसार शहद मिलाकर पिएं। इसे पूरे दिन में दो बार (सुबह खाने के बाद और रात को सोने से पहले) पीने से साइनस में आराम मिलता है।
क्या न खायें-
- म्यूकस बनाने वाले आहार जैसे कि मैदे की चीजें, अण्डे, चॉकलेट्स, तले और प्रोसेस्ड आहार, शक्कर और डेरी उत्पाद, कैफीन, गन्ने का रस, दही, चावल, केला, आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक, तीखा खाने से बचें।
जीवनशैली-
- ठण्डी हवा में ज्यादा न घूमें या नाक और मुंह को ढककर रखें।
- हल्के गुनगुने पानी से नहाएं।
साइनस के घरेलू इलाज – Home Remedies for Sinusitis in Hindi
साइनस का घरेलू इलाज हम नीचे बता रहे हैं, लेकिन ध्यान दें कि ये साइनस बीमारी का उपचार नहीं हैं। ये केवल इससे बचाव व साइनस के लक्षण को कुछ हद तक कम करने में मदद कर सकते हैं। गंभीर स्थिति में साइनस के इलाज के लिए डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
1. एसेंशियल ऑयल
सामग्री:
- एसेंशियल ऑयल की दो से तीन बूंदें।
- यूकलिप्टस, रवेन्सरा, लोबान जैसे किसी भी एसेंशियल ऑयल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
उपयोग करने का तरीका:
- तेल को डिफ्यूजर में डाल कर इसकी खुशबू को सूंघें।
- हथेली में तेल लेकर नाक और सिर की हल्की मसाज भी कर सकते हैं।
कैसे लाभदायक है:
एसेंशियल ऑयल की खुशबू को सूंघने को एरोमाथेरेपी कहते हैं। यह थेरेपी साइनस की बीमारी में होने वाली सूजन और बैक्टीरिया से बचाव में मददगार हो सकती है। दरअसल, यूकलिप्टस, रवेन्सरा (Ravensara) और लोबान जैसे एसेंशियल ऑयल में सिनोल, अल्फा-टेरपिनोल, और अल्फा-पीनिन जैसे मोनोटर्पीन्स होते हैं। ये सभी मोनोटर्पीन एंटी-इंफ्लामेटरी और इम्यूनोमॉड्यूलेटरी प्रभाव प्रदर्शित करते हैं। इसी वजह से माना जाता है कि ये एसेंशियल ऑयल साइनस में होने वाली सूजन से राहत दिलाने और पनपने वाले बैक्टीरिया से लड़ने में सहायक हो सकते हैं।
वहीं, तुलसी (Origanum syriacum), पिपरमिंट, गुलमेंहदी (Rosmarinus Officinalis) भी साइनस के लिए लाभदायक हो सकते हैं। एक स्टडी में कहा गया है कि इन जड़ी-बूटियों और इनके तेल में एंटी-इंफ्लामेटरी, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गतिविधियां पाई जाती हैं। इसी वजह से ये एसेंशियल ऑयल्स नाक में वायु प्रवाह को बेहतर बनाने के साथ ही श्वसन पथ संबंधी परेशानी और खांसी से राहत दिलाने में मददगार हो सकते हैं। इसके अलावा, तेलों की खुशबू साइनस का सिरदर्द भी कम कर सकती है, जो साइनस लक्षण में शामिल है।
2. सेब का सिरका
सामग्री:
- एप्पल साइडर विनेगर की 5 से 10 बूंदें या बोतल का आधा ढक्कन।
उपयोग करने का तरीका:
- सेब का सिरका एक चौड़े बर्तन में डालें।
- अब उसमें करीब एक लीटर पानी डाल दें।
- फिर बर्तन को गैस पर रखकर गर्म करें।
- जैसे ही पानी से भाप निकलने लगे, बर्तन को गैस से उतार लें।
- फिर, तौलिए से सिर को ढककर भाप लें।
- स्टीमर हो, तो उसकी मदद से भाप लें।
- करीब पांच से 10 मिनट तक भाप लेते रहें।
- दिन में दो से तीन बार ऐसा किया जा सकता है।
साइनस में होने वाले भारीपन को कम करने में भाप मदद कर सकती है। इसी वजह से एप्पल साइडर विनेगर का इस्तेमाल करके भाप लेने को भी साइनस की बीमारी के लिए फायदेमंद माना जा सकता है। सेब का सिरका एंटीमाइक्रोबियल गुण से भरपूर होता है। यह गुण बैक्टीरिया की वजह से होने वाले साइनस इन्फेक्शन को कम कर सकता है।
3. लेमन बाम
सामग्री:
- एक छोटा चम्मच लेमन बाम ऑयल
- एक चम्मच लेमन बाम की सूखी पत्तियां
उपयोग करने का तरीका:
- लेमन बाम के तेल को हाथ में लेकर सिर, नाक और गले की मसाज कर सकते हैं।
- लेमन बाम की सूखी पत्तियों को पानी में उबालकर काढ़े के रूप में पी सकते हैं।
- दोनों ही तरीके लाभकारी हैं। दोनों को अपनाया जा सकता है या फिर दोनों में से एक को भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
- इसके अलावा, लेमन बाम ऑयल को डिफ्यूजर में डालकर सूंघ भी सकते हैं।
कैसे लाभदायक है:
माना जाता है कि लेमन बाम का उपयोग सिरदर्द को ठीक कर सकता है, जो साइनस रोग के लक्षण में से एक है। इसी वजह से इसका इस्तेमाल कई तरह की एरोमाथेरेपी और मसाज में किया जाता है। लेमन बाम एनाल्जेसिक (दर्दनिवारक) गुणों से समृद्ध होता है, जो
4. टी ट्री ऑयल साइनस के उपचार में फायदेमंद (Benefit of Tea Tree Oil in Sinusitis in Hindi)
टी ट्री ऑयल में एंटीसेप्टिक, एंटी इंफ्लैमटोरी और एंटी माइक्रोबियल गुण होते हैं, जो कि साइनस के सिरदर्द को जड़ से खत्म करता है। टी ट्री ऑयल की तीन से पाँच बूंद को गरम पानी में डालकर उस पानी की भाप लेनी चाहिए। ऐसा दिन में दो से तीन बार करने से जल्दी राहत मिलती है।
(क) कायेन पैपर टी – Cayenne Pepper Tea
सामग्री:
- 1/2 चम्मच कायेन पैपर
- 2 चम्मच शहद
- 1 छोटा नींबू
- एक गिलास गर्म पानी
उपयोग करने का तरीका:
- सभी सामग्री को गर्म पानी (चाय जितना गर्म) में डालें और अच्छी तरह मिलाएं।
- साइनस के लक्षण से राहत पाने के लिए इस मिश्रण का सेवन करें।
- एक दिन में एक से दो कप पी सकते हैं।
कैसे लाभदायक है:
घर पर साइनस के उपचार के लिए कायेन पैपर टी का सेवन किया जा सकता है। कायेन पैपर एक डीकॉन्गेस्टेंट (सर्दी खांसी की दवा) की तरह काम कर खांसी और इंफेक्शन को कम कर सकता है । कायेन पैपर का बॉटानिकल नाम Capsicum annum है, जिसका इस्तेमाल दो हफ्ते तक करने से साइनस के लक्षण में कमी पाई गई है । साइनस के उपचार के लिए कायेन पैपर में मौजूद कैप्सेसिन (Capsaicin) की वजह से इसका नेसल स्प्रे की तरह उपयोग किया जा सकता है। हालांकि, घर में इसका स्प्रे बनाकर इस्तेमाल करना सुरक्षित नहीं है, इसलिए इसे चाय के रूप में और खाना बनाते समय डालकर खाने की सलाह दी जाती है।
साइनस का सिरदर्द कम कर सकते हैं। इसी वजह से लेमन बाम को साइनस का घरेलू उपचार माना जा सकता है।
(ख) अदरक साइनस के उपचार में फायदेमंद (Benefit of Ginger in Sinusitis in Hindi)
सामग्री:
- 1-2 चम्मच कद्दूकस किया हुआ अदरक
- दो कप पानी
उपयोग करने का तरीका:
- पानी में अदरक डालें।
- अब कुछ देर पानी को उबलने दें।
- हल्की आंच में जब पानी करीब दो से तीन मिनट तक उबल जाए, तो पानी को छान लें।
- अब इसे गर्मा-गर्म चाय की तरह पी लें।
- स्वाद के लिए इसमें शहद भी डाल सकते हैं।
- एक दिन में दो कप अदरक की चाय पी सकते हैं।
- अदरक के अन्दर जिन्जिरोल (gingerol) नाम का एक एक्टिव कंपाउंड पाया जाता है। सदियों से इसका उपयोग पाचन और सांस से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए किया जाता रहा है। इसमें बहुत से एंटी-ऑक्सीडेंट, विटामिन और मिनरल पाए जाते हैं। ये शरीर के इम्यूनरिस्पांस यानी रोकक्षम प्रतिक्रियाओं को मजबूती देते हैं। इस मज़बूती के कारण आपका शरीर साइनस के टिश्यू में सूजन उत्पन्न करने वाले कई किस्म के वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण से लड़ने के लायक बनता है। यह एलर्जी के रिएक्शन को कम करती है और फफूंद को बढ़ने से रोकती है। यह एक एंटिफंगल एजेंट है। अदरक में पायी जाने वाली खुशबू से नाक की बलगम साफ करने में मदद मिलती है और साइनोसाइटिस से जुड़े दर्द में भी आराम मिलता है।रिसर्च में पाया गया है कि अदरक उन सभी एंटीबायोटिक्स से अच्छी होती है जो साइनस के लिए होती है। अदरक, साइनस के दर्द को पैदा करने वाले सूक्ष्म जीवों को खत्म करती है। दो से तीन कप पानी में एक अदरक की जड़ को स्लाइस कर के उबालें। फिर 10 मिनट तक ठण्डा करें और पियें।
कैसे लाभदायक है:
साइनस का सिरदर्द कम करने के लिए अदरक का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें एनाल्जेसिक यानी दर्द निवारक गुण मौजूद होते हैं। इसी वजह से माइग्रेन के सिरदर्द में भी इस चाय का सेवन किया जा सकता है। इसके अलावा, खांसी को भी अदरक कम कर सकता है।
(ग) ग्रीन टी
सामग्री:
- एक चम्मच ग्रीन टी या फिर एक ग्रीन टी बैग
- एक कप गर्म पानी
उपयोग करने का तरीका:
- ग्रीन टी को गर्म पानी में डालकर कुछ देर के लिए छोड़ दें।
- थोड़ी देर बाद चाय को छान लें।
- अगर टी बैग का इस्तेमाल किया है, तो उसे निकाल लें।
- स्वाद के लिए इसमें शहद और नींबू डाल सकते हैं।
- अब इसका सेवन करें।
- एक दिन दो से तीन कप चाय पी सकते हैं।
कैसे लाभदायक है:
साइनन से घरेलू उपचार के लिए ग्रीन टी का सेवन किया जा सकता है। माना जाता है कि इसका नियमित सेवन करने से शरीर वायरस और बैक्टीरिया के प्रभाव से बचा रहता है। दरअसल, इसमें एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गतविधियां पाई जाती हैं। इसी वजह से इसे साइनस इंफेक्शन के लिए लाभकारी कहा जा सकता है।
5. शहद
सामग्री:
- दो चम्मच शहद
- आधा चम्मच नींबू का रस
- एक गिलास पानी
उपयोग करने का तरीका:
- एक गिलास गुनगुने पानी में दो चम्मच शहद मिला लें।
- अब इसमें नींबू के रस की कुछ बूंदें मिला लें।
- इसे रोज सुबह-शाम पिएं।
कैसे लाभदायक है:
शहद का इस्तेमाल भी साइनस की बीमारी के लिए कर सकते हैं। शहद क्रॉनिक राइनो साइनसाइटिस के कारक स्यूडोमोनस एरुगिनोसा (पीए) और स्टैफिलोकोकस ऑरियस (एसए) बैक्टीरिया के खत्म करने में मदद कर सकता है। इसी वजह से शहद को साइनस का घरेलू उपचार माना जाता है। इसके अलावा, शहद और पानी का इस्तेमाल करके नेसल इरिगेशन (नाक के एक छिद्र में पानी डालकर दूसरे छिद्र से निकालना) करना भी साइनस प्रॉब्लम के लिए फायदेमंद माना जाता है।
6. हाइड्रोजन पेरॉक्साइड
सामग्री:
- 30 ml फिलटर वॉटर
- हाइड्रोजन पेरॉक्साइड (पानी का एक चौथाई)
उपयोग करने का तरीका:
- एक स्प्रे बोतल में 30 ml पानी डालें।
- अब पानी का एक चौथाई हाइड्रोजन पेरॉक्साइड स्प्रे बॉतल में डाल दें।
- फिर दाएं नॉस्ट्रिल यानी नथुने में स्प्रे से पानी डालें।
- जब पानी दूसरे नॉस्ट्रील से निकल जाए, तब बाएं नथुने में पानी डालें।
कैसे लाभदायक है:
अध्ययनों से पता चलता है कि हाइड्रोजन पेरॉक्साइड साइनस को साफ कर सकता है, जिससे साइनस के भारीपन से राहत मिल सकती है। हाइड्रोजन पेरॉक्साइड में एंटी-बैक्टीरियल गुण भी होते हैं, जो साइनस में पनपने वाले बैक्टीरिया को खत्म करके साइनोसाइटिस के लक्षण को कम कर सकता है। यह एक तरह का केमिकल होता है, इसलिए इसका इस्तेमाल करते हुए सावधानी बरतें और डॉक्टर की सलाह पर ही इसका उपयोग करें।
7. लहसुन और प्याज का सेवन साइनस के उपचार में फायदेमंद (Benefit of Garlic and Onion in Sinusitis in Hindi)
प्याज और लहसुन साइनस से पीड़ित लोगों के लिए जड़ी-बूटी का काम करता है। इन्हें भोजन में शामिल करने से यह शरीर में बनने वाले बलगम को खत्म करने और बलगम को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है। प्याज में मौजूद सल्फर सर्दी, खांसी और साइनस के संक्रमण के लिए एंटी बैक्टिरियल का काम करता है। प्याज को काटते समय जो महक आती है उससे भी साइनस में काफी आराम मिलता है। लहसून और प्याज का उपयोग करने के लिए दोनों को पानी में उबाल कर भाप लें। इससे साइनस के दर्द से आपको और दर्द वाले स्थान पर सिकाई करें इससे भी दर्द से राहत मिलती है।
सामग्री:
- 4 से 5 लहसुन की कलियां
उपयोग करने का तरीका:
- सूप बनाने के लिए आप गर्म पानी में लहसुन की कलियों को पीस कर डाल दें।
- हल्का गरम होने पर पिएं।
कैसे लाभदायक है:
साइनस के घरेलू नुस्खे में लहसुन भी शामिल है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण होते है, जो किटाणुओं को पनपने से रोक सकता है। इसी वजह से साइनस प्रॉब्लम के लिए लहसुन का सेवन करने की भी सलाह दी जाती है। कहा जाता है कि लहसुन साइनस में जमे अत्यधिक म्यूकस को निकालने में मदद कर सकता है।
8. ग्रेप सीड एक्सट्रैक्ट
सामग्री:
- ग्रेप सीड एक्सट्रैक्ट की कुछ बूंदें
- जूस या पानी
उपयोग करने का तरीका:
- ग्रेप सीड एक्सट्रैक्ट को पानी या जूस में डाल लें।
- अब इसे पी लें।
- वैकल्पिक रूप से इसे पानी में डालकर भाप भी ले सकते हैं।
कैसे लाभदायक है:
साइनस के घरेलू उपाय में ग्रेप फ्रूट सीड एक्सट्रैक्ट भी शामिल है। इसमें एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं, जो शरीर को किटाणुओं से दूर रखने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, यह इंफेक्शन से भी बचाने में मदद कर सकता है। दरअसल, साइनस एक तरह का इंफेक्शन है, जो बैक्टीरिया और वायरस की वजह से होता है। इसी वजह से माना जाता है कि ग्रेप फ्रूट सीड एक्सट्रेक्ट साइनस बीमारी के लक्षण को कम कर साइनस इन्फेक्शन से बचाव कर सकता है।
9. हॉर्सरेडिश की जड़
सामग्री:
- एक हॉर्सरेडिश यानी वसाबी की जड़
- एक से डेढ़ गिलास पानी
उपयोग करने का तरीका:
- सबसे पहले जड़ को पानी में डालकर उबाल लें।
- पानी में उबाल आने और उसका रंग बदलने के बाद गैस को बंद कर दें।
- अब इसे चाय की तरह पिएं।
- वैकल्पिक रूप से इसकी जड़ को सीधे चूस भी सकते हैं।
कैसे लाभदायक है:
हॉर्सरेडिश की जड़ को भी साइनस का घरेलू उपचार माना जा सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर मौजूद एक रिसर्च के मुताबिक हॉर्सरेडिश की जड़ को एंटी-इंफ्लामेटरी और एंटीबैक्टीरियल विशेषताओं के लिए जाना जाता है। इसी वजह से यह एक्यूट साइनसाइटिस के उपचार के लिए उपयोग किया जाता है। दरअसल, एंटी-इंफ्लामेटरी गुण सूजन और एंटीबैक्टीरियल गुण बैक्टीरिया से साइनस को बचा सकता है।
10. स्टीम यानी भाप
सामग्री:
- स्टीमर (भाप लेने वाला उपकरण)
उपयोग करने का तरीका:
- स्टीमर में पानी डालकर उससे भाप ले लें।
- अगर स्टीमर न हो, तो आप एक बर्तन में पानी उबालकर भी भाप ले सकते हैं।
कैसे लाभदायक है:
साइनस बीमारी के लक्षण में जुकाम (नजला) और नाम का बंद होना व भारीपन भी शामिल है। इनसे बचाव के लिए साइनस के घरेलू उपाय के तौर पर भाप का प्रयोग किया जाता है। भाप साइनस के भारीपन को कम कर सकती है। इसी वजह से साइनस प्रॉब्लम को कम करने के लिए लोग भाप का सहारा लेते हैं।
11. पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन साइनस के उपचार में फायदेमंद (Benefit of Intake of Water in Sinusitis in Hindi)
शरीर में पर्याप्त जल की कमी कई शारीरिक बीमारियों को दावत दे सकती है, इसलिए दिनभर तीन से चार लीटर पानी पीने की सलाह दी जाती है। पानी का संचार शरीर के विषैले तत्वों को मल-मूत्र के जरिए बाहर निकालने में मदद करता है।
12. हल्दी साइनस के उपचार में फायदेमंद (Benefit of Turmeric in Sinusitis in Hindi)
एक गिलास दूध में एक छोटा चम्मच हल्दी और एक छोटा चम्मच शहद मिलाकर दो हफ्तों तक पीने से काफी राहत मिलती है।
13. काली मिर्च साइनस के उपचार में फायदेमंद (Benefit of Black Pepper in Sinusitis in Hindi)
एक कटोरे सूप में एक छोटा चम्मच काली मिर्च पाउडर डालें और धीरे-धीरे पियें। ऐसा हफ्तों में दो-तीन बार दिन में करें। काली मिर्च के सेवन से साइनस की सूजन कम हो जाएगी और बलगम सूख जाएगा।
14. दालचीनी साइनस के उपचार में फायदेमंद (Benefit of Cinnamon in Sinusitis in Hindi)
साइनस पैदा करने वाले सूक्ष्मजीवों को दालचीनी नष्ट करने में मदद करती है। एक गिलास गरम पानी में एक छोटा चम्मच दालचीनी पाउडर मिक्स करें और दिन में एक बार पिएं। ऐसा दो हफ्ते तक करने से ज़रूर आराम मिलता है।
15. तुलसी साइनस के उपचार में फायदेमंद (Benefit of Tulsi in Sinusitis in Hindi)
तुलसी का काढ़ा इस तरह से बनाकर पीने से आराम मिलता है। विधि नीचे लिखित दिया गया है, साथ ही वीडियो में आपको तुलसी साइनस के लिए कैसे है फायदेमंद यह भी पता चलेगा-
- तुलसी के पत्ते – 11 पत्ते
- काली मिर्च – 11
- मिश्री – 11
- अदरक – 2 ग्रा.
- पानी – 1 ग्लास
निर्माण एवं प्रयोग विधि- इन सभी द्रव्यों को 1 ग्लास पानी में उबालें। आधा रहने पर छानकर प्रातः खाली पेट गर्म-गर्म (जितना गर्म पी सके) लें। पीने के 1 घण्टे बाद तक स्नान न करेंं।
16. नींबू साइनस के उपचार में फायदेमंद (Benefit of Lemon in Sinusitis in Hindi)
एक गिलास पानी में एक नींबू निचोड़ कर उसमें एक चम्मच शहद मिलाएं। इसे रोग दो से तीन हफ्ते रोज सुबह पियें। नींबू में साइनस के दर्द को दूर करने की क्षमता होती है। साथ ही यह नाक की नली को भी साफ करता है।
17. मेथी दाना साइनस के उपचार में फायदेमंद (Benefit of Fenugreek in Sinusitis in Hindi)
एक बर्तन में एक गिलास पानी चढ़ा कर उसमें तीन चम्मच मेथी के दानें डाल कर उबालें। फिर 10 मिनट के लिये आंच को धीमा कर दें और फिर इस चाय को दिन में दो से तीन बार पियें। ऐसा आपको एक हफ्ते तक लगातार करना होगा।
18. पिप्पली के औषधीय गुण से जुकाम का इलाज (Piper Longum Uses to Cure Common Cold in Hindi)
- पीपल, पीपलाजड़, काली मिर्च और सोंठ के बराबर-बराबर भाग का चूर्ण (pippali churna)बना लें। इसकी 2 ग्राम की मात्रा लेकर शहद के साथ चटाते रहने से जुकाम में लाभ मिलता है।
- इसी तरह पिप्पली (pippalu) के काढ़ा में शहद मिलाकर थोड़ा-थोड़ा पिलाने से भी जुकाम से राहत (pipali ke fayde) मिलती है।
साइनस के लिए योगासन – Yoga for Sinusitis in Hindi
साइनस का घरेलू उपचार योगासन भी हो सकता है। दरअसल, योग के दौरान सांस लेने व छोड़ने पर विशेष ध्यान दिया जाता है, जिस वजह से श्वसन तंत्र को मजबूती मिलती है। इसी वजह से साइनस संक्रमण के लिए योगासन को बेहतर माना जाता है। गोमुखासन, भुजंगासन, अधोमुख श्वानासन जैसे कई योगासन को साइनोसाइटिस के यौगिक उपचार में गिना जाता है। विस्तार से इसके बारे में जानने के लिए आप साइनस के इलाज के लिए योगासन आर्टिकल पढ़कर जान सकते हैं। इसमें साइनस के लिए बेहतर योगासन के साथ ही इन्हें करने का सही तरीका भी बताया गया है।
साइनस के लिए डॉक्टर की सलाह कब लेनी चाहिए?
लेख में ऊपर बताए गए साइनस के लक्षण अगर तीन से चार दिन तक रहते हैं, तो डॉक्टर से परामर्श लेना अनिवार्य है। सिर दर्द, नाक में भारीपन व अन्य साइनोसाइटिस के लक्षण अगर घरेलू नुस्खों से भी ठीक नहीं होते हैं, तो समझ जाएं कि डॉक्टरी सलाह लेने का समय आ गया है। वैसे भी घरेलू नुस्खे किसी भी समस्या का उपचार नहीं हैं, ये समस्या से बचाव का काम कर सकते हैं। इसी वजह से बीमारी या कोई समस्या होने पर डॉक्टर से सलाह लेनी जरूरी है। हां, दवाई के साथ डॉक्टरी परामर्श पर भाप, सिकाई, मसाज व लेख में बताए गए अन्य साइनस के घरेलू नुस्खे को अपनाया जा सकता है।
साइनस का इलाज – Treatments for Sinusitis in Hindi
साइनस की बीमारी का इलाज करते हुए डॉक्टर क्या सब सलाह दे सकते हैं, अब हम इसके बारे में बता रहे हैं। बस ध्यान दें कि साइनस की दवा बिना डॉक्टर की सलाह के न लें (1) (22)। चलिए जानते हैं साइनस का इलाज क्या हो सकता है।
एनाल्जेसिया (Analgesia)
साइनस का इलाज करने वाले डॉक्टर तीव्र दर्द के लिए दर्द निवारक दवाई दे सकते हैं। यह दवाई साइनस की वजह से होने वाले सिर दर्द व अन्य दर्द से राहत दिला सकती है।
सर्दी खांसी की दवा (Decongestants)
ओरल यानी मुंह से खाने के लिए सूडोफेड्रीन (Pseudoephedrine) की सलाह दी जा सकती है, लेकिन इस साइनस की दवा के कारण अनिद्रा, चिंता या घबराहट हो सकती है। साथ ही उच्च रक्तचाप वालों को इस दवा का सेवन सावधानी पूर्वक करने की सलाह दी जाती है।
टॉपिकल यानी लगाने वाली दवा जाइलोमेटाजोलाइन (xylometazoline)
को एक हफ्ते से कम समय तक इस्तेमाल करने की सलाह दी जा सकती है। वहीं, एक हफ्ते से ज्यादा इस्तेमाल करने पर इसके दुष्प्रभाव (Rebound rhinitis, इस दवा का अत्यधिक उपयोग करने से नसल कंजेशन) सामने आ सकते हैं।
इंट्रानासल कॉर्टिकॉस्टिरॉइड्स
इंट्रानासल कॉर्टिकॉस्टिरॉइड्स एक तरह का स्प्रे होता है, जिसे नाक की मदद से डाला जाता है। यह क्रॉनिक, एक्यूट और रिकरंट साइनस के इलाज में मददगार हो सकता है।
एंटीबायोटिक्स
अगर बैक्टीरिया की वजह से साइनस हुआ है, तो 2 हफ्ते तक साइनस की दवा के रूप में एंटीबायोटिक्स का सेवन करने की सलाह दी जा सकती है। साइनस रोग का इलाज करते हुए डॉक्टर रोगी की स्थिति और उसे होने वाली एलर्जी को ध्यान में रखकर एमोक्सिसिलिन (ट्राइमेथोप्रिम या सीफ्लोर) या को-अमोक्सिक्लेव (क्लैरिथ्रोमिसिन) एंटीबायोटिक लेने का परामर्श दे सकते हैं।
साइनस का आयुर्वेदिक इलाज
साइनस के आयुर्वेदिक इलाज के लिए आप ऊपर दिए गए उपायों का इस्तेमाल कर सकते हो लेकिन इसके इस्तेमाल के लिए आपको किसी वैध या आयुर्वेदाचार्य से परामर्श लेना बहुत जरुरी है।
सर्जरी
इसके अलावा, साइनस रोग का इलाज सर्जरी से भी किया जा सकता है, लेकिन, यह स्थिति तब आती है, जब साइनस की दवा काम नहीं करती है। गंभीर स्थिति में ही डॉक्टर साइनस के उपचार के लिए सर्जरी कर सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
साइनस का मुख्य कारण साइनस के अंदर की चिपचिपी झिल्ली में सूजन आ जाना है। साइनस की झिल्ली में सूजन की कई सारी वजहें हैं, मसलन नाक की हड्डी का टेढ़ा होना या फिर नाक की हड्डी बढ़ जाना, बढ़ता हुआ प्रदूषण, धूल मिट्टी से एलर्जी, दांतों में दर्द, दूषित पानी का सेवन आदि, जो साइनस की वजह बन जाते हैं।
एक सामान्य साइनस कब तक रहता है?
सामान्य तौर पर साइनस 7 से 14 दिन तक रह सकता है। साइनोसाइटिस ट्रीटमेंट समय पर शुरू होने पर यह जल्दी भी ठीक हो जाता है।
- सिर का दर्द होना
- बुखार रहना
- नाक से कफ निकलना और बहना
- खांसी या कफ जमना
- दांत में दर्द रहना
- नाक से सफेद हरा या फिर पीला कफ निकलना
- चेहरे पर सूजन का आ जाना
- कोई गंध न आना
साइनस कितने दिनों में ठीक हो जाता है?
एक्यूट साइनस: इसमें सर्दी लगने के लक्षण अचानक उभर आते हैं, जैसे नाक जाम होना या उसका बहना और चेहरे में दर्द होना। यह अवस्था 8-10 दिन बाद भी खत्म नहीं होती बल्कि आमतौर पर चार हफ्ते तक बनी रहती है। एक्यूट साइनस अक्सर बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण होता है और इसमें सांस की नली के ऊपरी हिस्से में इन्फेक्शन हो जाता है।
साइनस संक्रमण का जोखिम किन लोगों को ज्यादा रहता है?
नीचे बताई गईं स्थितियों का सामना कर रहे व्यक्ति साइनस की चपेट में जल्द आ सकते हैं (1) –
- एलर्जी।
- सिलिया (नाक के छोटे बाल) से संबंधित बीमारी।
- सिस्टिक फाइब्रोसिस, जिसमें बहुत गाढ़ा म्यूकस लंग्स या शरीर के अन्य हिस्सों में जमा हो जाता है।
- एचआईवी या कीमोथेरेपी की वजह से कमजोर हुई प्रतिरक्षा प्रणाली।
साइनस के इलाज का खर्चा कितना है?
साइनस के इलाज का खर्चा, इलाज के तरीकों पर निर्भर करता है। वहीं, अगर इसके लिए सर्जरी की आवश्यकता है, तो इसका भी खर्चा अलग-अलग शहरों और हॉस्पिटल पर निर्भर करता है।
साइनस में किस तरह का भोजन नहीं करना चाहिए?
साइनस में दूध और डेयरी उत्पादों के सेवन से बचना चाहिए। इसके अलावा, नॉन-वेज, डीप फ्राइड व जंक फूड आदि से भी परहेज करना चाहिए।
साइनस में किस तरह का भोजन करना चाहिए?
साइनस में हल्के और शाकाहारी भोजन का सेवन करना चाहिए, ताकि बलगम न बने और इम्यून सिस्टम मजबूत हो। इसके अलावा, तरल पदार्थों का भी अधिक सेवन करना चाहिए।
साइनस का परमानेंट इलाज क्या है?
साइनस में भाप लेना जरूरी होता है। गर्म पानी के बड़े बर्तन में सिर डाले और गर्म भाप लें। नाक के अंदर तक आराम मिलेगा। एक और तरीका यह है कि पानी में नमक और बेकिंग पावडर मिलाएं और सूंघें या स्प्रे बोतल से इसे थोड़ा-थोड़ा नाक में स्प्रे भी किया जा सकता है।
क्या दालचीनी साइनस के उपचार में फायदेमंद?
हां, दालचीनी साइनस के उपचार में फायदेमंद हो सकती है। जैसा कि हमने लेख में बताया कि साइनस एक तरह का इंफेक्शन है, जो बैक्टीरिया और वायरस की वजह से होता है। बता दें कि दालचीनी में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-माइक्रोबियल गुण मौजूद होते हैं। इसके ये गुण बैक्टीरिया से बचाने में मदद कर सकते हैं। वहीं, एंटी-इंफ्लेमेटरी सूजन को कम करने में सहायक हो सकते हैं।
साइनस में क्या क्या खाना चाहिए?
हरी सब्जियां : हरी पत्तेदार सब्जियां, टमाटर, संतरे और पीले फलों में मौजूद विटमिन ए भी साइनस में फायदा पहुंचाता है। अंगूर : जूसी फ्रूट्स जैसे अंगूर, संतरा और नींबू में पाया जाने वाला विटमिन सी साइनस की समस्या को दूर करता है। दालचीनी : एक चम्मच दालचीनी पाउडर में पानी मिला लें।
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