आज दिन पर दिन होम्योपैथिक दवाओं और इलाज के तरीकों का क्रेज बढ़ता ही जा रहा है क्योकि इस विधि द्वारा इलाज कराना ना केवल असरदार होता है बल्कि Side effects मुक्त ( Free ) भी होता है इसलिए लोग बडे पैमाने पर इंटरनेट पर होम्योपैथिक दवाओं के बारे में जानने के लिए सर्च करते हैं ।
इंनटरनेट पर Hindi में होम्योपैथि से सम्बन्धित काफी कम जानकारी उपलब्ध है और जो थोड़ी बहुत जानकारी Available भी है वो पूर्ण नही है इसलिए हम इस ब्लॉग पर विभिन्न होम्योपैथिक दवाओं के बारे में जानकारी देते हैं । इसी लेख में आज हम एक पोपुलर होम्योपैथिक दवा थूजा (thuja 200 uses in hindi ) के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं ।
थूजा क्या है ( What is thuja in hindi )
थूजा एक प्रकार का पेड़ होता है जिसकी पत्तियो और उसके तेल को दवा के रूप में दुनिया भर में इस्तेमाल किया जाता है । इस दवा की होम्योपैथी में एक अलग ही पहचान है। इस होम्योपैथिक दवा का इस्तेमाल एक नही बल्कि अनेक रोगों में किया जाता है कुछ लोगों को लगता है की थूजा का इस्तेमाल केवल त्वचा के मस्सेे दूर करने के लिए किया जाता है मगर ये आपके शरीर के विभिन्न अंगों पर अलग – अलग प्रभाव दिखाती है और इसका असर लगभग पुरी शरीर पर दिखता है।
स्किन के मस्सों को हटानेे के अलावा होम्योपैथिक डॉक्टर थूजा का इस्तेमाल स्किन के बैक्टेरिया, मुँह के छाले और ब्रोंकाइटिस में भी करते हैं। इन सब स्थितियों के अलावा इस दवा का इस्तेमाल ऑस्टियोआर्थराइटिस, ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया और तंत्रिका विकार जैसी समस्याओं में किया भी जाता है ।
थूजा एक होमिओपैथिक दवा है जो Thuja Occidentalis नामक पौधे से बनती है। इस औषधि का प्रयोग मुख्य रूप से चर्म, रक्त,आमाशय, आंत, किडनी और मष्तिष्क से सम्बन्धी रोगों में किया जाता है इसका सबसे ज्यादा प्रयोग शरीर में कही भी मांस बढ़ने पर (Unwanted Growth) जैसे मस्सा, गिलट, तिल, ट्यूमर इत्यादि में किया जाता है।
पहले हम रोगी के हाव-भाव एवं उसके लक्षण कि बात करेंगे, जिनपर यह दवा कारगर साबित होती है। फिर उसके बाद यह दवा किस किस रोग में फायदा करती है उसके बारे में जानेगे।
यह दवा उन रोगियों को ज्यादा फायदा करती है जिनके शरीर पर बहुत अधिक मस्से होते हैं, जिनके शरीर के सिर्फ खुले हुए अंगों (सिर को छोड़कर) पर पसीना आता है,जिन्हें नींद आते ही पसीना आता है और नींद टूटते ही पसीना आना बंद हो जाता है।
थूजा का उपयोग ( thuja uses in hindi )
आँख बंद करने से चक्कर आना थूजा का विशेष लक्षण है।ऐसे विलक्षण प्रकृति के रोगियों के रोग के इलाज में thuja 200 uses in hindi से फायदा होता है। इसके अलांवा स्त्री और पुरुष की जननेन्द्रिय पर मस्से होना,बहुत ज्यादा मात्रा में पेशाब होना इतने पर भी मूत्र नली में जलन होना,टीका लगने के बाद किसी दूसरी बीमारी का उत्तपन्न हो जाना। सुबह पहली बार भोजन करने के बाद दस्त आना, जीभ और मुँह के अंदर छाले होना आदि लक्षणों में Thuja 200 uses in Hindi से फायदा होता है।
मुत्रवर्धक मेडिसिन की तरह ( पेशाब के फ्लो को बढ़ाने के लिए ), कफोत्सारक के रूप में ( कफ में राहत पाने के लिए ) और इम्यून बूस्टर की तरह ( रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए ) किया जाता है ।
इसके साथ ही कुछ लोग थूजा का यूज गर्भपात करने के लिए भी करते हैं ।
यदि कोई व्यक्ति जोड़ो के दर्द से पीडित है, मसल्स में दर्द रहता है या फिर ऑस्टियोआर्थराइटिस की समस्या से ग्रस्त है तो इस हालत में भी कभी – कभी थूजा को लिया जा सकता है ।
थूजा को मस्से, कैंसर और स्किन से रीलेटेड दूसरी समस्याओं में भी लिया जाता है ।
जरूरी जानकारी :- थूजा एक होम्योपैथिक दवा है जिसका पुरे शरीर पर प्रभाव पडता है और होम्योपैथिक डॉक्टर इस दवा को व्यक्ति की पुरी शारीरिक स्थिति समझने के बाद ही देते हैं इसलिए कभी भी दूसरों की राय पर इस दवा को सीधे लेने से बचें और डॉक्टर की सलाह के बाद ही इस दवा को लें ।
थूजा को दूसरे किन नामों से जाना जाता है ( What other names is Thuja known by )
थूजा को बाजार में कई अलग अलग नामों से जाना जाता है इसलिए कई बार व्यक्ति कन्फ्यूज हो जाता है की कही वो गलत दवा तो नही ले रहा।
अगर आप बाजार में तलाशने जाओगे तो आपको थूजा के ये नाम सुनने तो मिल सकते हैं :-
1. सीडर लीफ ऑयल
2. ट्री ऑफ लाइफ
3. अमेरिकन अर्बोर्वितए
4. हकमटैक
5. थूजा ऑक्सीडेंटलिस
6. वाइट सीडर
7. स्वाम्प सीडर
थूजा का उपयोग किन समस्याओं में किया जाता है ( thuja 200 uses in hindi )
जैसा की हमने पहले कहा थूजा के एक नही बल्कि अनेको उपयोग होते हैं इसको कई गंभीर रोगों के उपचार में यूज किया जाता है और इसका ब्लड प्रेशर से लेकर दिमाग तक पर प्रभाव पडता है ।
इसलिए इसे डॉक्टर की अनुमति के बिना नही लेना चाहिये और जहाँ तक थूजा के उपयोग thuja 200 uses in hindi ) की बात है तो इसको निम्नलिखित समस्याओं में यूज किया जाता है ।
गले की खराश में थूजा का उपयोग ( thuja uses in sore throat in hindi )
त्वचा सम्बन्धि विकारों के अलावा थूजा को गले की खराश में भी उपयोग किया जा सकता है । कुछ रीसर्चों में सामने आया है की विटामिन सी के एक खास प्रोडक्ट को, इचिनेशिया, थूजा और एस्बेरिटॉक्स के साथ 2 हफ्तों तक लेने से टॉन्सिलिटिस जैसी गले की खराश से जुड़ी समस्याओं के लक्षणों को कम किया जा सकता है ।
यानी इस रीसर्च से पता चलता है की सिर्फ इरिथ्रोमाइसिन लेने के बजाय थूजा ज्यादा सही रहता है ।
थूजा का उपयोग श्वेत रक्त कोशिकाओं की कमी में ( The use of thuja in the deficiency of white blood cells in hindi )
जिन लोगों को श्वेत रक्त कोशिकाओं ( white blood cells ) की कमी है उनको भी थूजा के उपयोग से लाभ मिल सकता है । शुरूआती खोजो से पता चलता है की थूजा, इचिनेशिया, वाइल्ड इंडिगो ओर विटामिन सी के एक खास प्रोडक्ट को लगातार 6 महीने लेने से श्वेत रक्त कोशिकाओं की कमी दूर होने लगती है।
लेकिन हाँ ! जिन लोगों ने लम्बे समय से किमोथैरेपी कराई है इनको इस दवा से कोई लाभ नही मिलता इसके अलावा जिन महिलाओं ने रेडिएशन थैरेपी करवाई है उनकी श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या में भी कोई सुधार देखने को नही मिलता।
थूजा का उपयोग मुंह के छालों में ( thuja uses in mouth ulcers in hindi )
थूजा, इचिनेशिया, वाइल्ड इंडिगो ओर विटामिन सी के एक खास प्रोडक्ट को लेने से मुंह के छाले दूर होते हैं साथ ही उनसे होने वाले दर्द में भी राहत मिलती है। इसके अलावा तनाव और खुजली में भी राहत मिलती है ।
नाक की सूजन में थूजा का उपयोग ( The use of thuja in inflammation of the nose in hindi )
कुछ शुरूआती शोधों से पता चलता है की एंटी बायोटिक के साथ विटामिन सी के एक खास प्रोडक्ट को, इचिनेशिया और थूजा के अर्क के साथ 20 दिन तक लेने पर साइनसाइटिस से ग्रसित मरीजों की समस्याओं में सुधार होता है।
जुकाम में थूजा का उपयोग ( thuja uses in colds in hindi )
रीसर्चों के मुताबिक विटामिन सी के एक खास प्रोडक्ट को, इचिनेशिया और थूजा के अर्क को 7 से 9 दिन तक लेने पर सामान्य जुकाम और सर्दी के लक्षण दूर होते हैं।
थूजा 200 के फायदे (Thuja 200 uses in Hindi) मस्से, गिलट, गांठ, टयूमर इत्यादि को ख़त्म करता है।
शरीर में कही भी गांठ बन रही है चाहे वह कैंसर वाली गांठ हो यह दवा उसको भी दूर करता है। शरीर पर कही भी मस्से हो जैसे होठ, आँख, गर्दन , जनन अंग इत्यादि इस दवा का प्रभाव हर जगह पड़ता है। ब्रेन, सिर या कान कही भी ट्यूमर है यह उसको ख़त्म करता है।
सिर दर्द और सिर चक्कर में Thuja Occidentalis 200 लाभकारी:
- रोगी को उसके सिर में किल धंसने जैसा दर्द होता है, और सिर के बायीं हिस्से में दर्द होता है। आराम करने पर बदतर तथा पसीने के बाद बेहतर हो जाता है । खुली हवा में व्यायाम करने से, ऊपर की ओर देखने से और सिर को पीछे की ओर घुमाने से सिर दर्द दूर हो जाता है।
- रोगी को आंखें बंद करने पर चक्कर आने लगता है और आँखे खोलते ही गायब हो जाता है या झुकने पर या ऊपर की ओर या बगल में देखने पर चक्कर आना बंद हो जाता है ।
- खोपड़ी को छूने पर बहुत दर्द होता है, और जिन हिस्सों पर कोई लेटता है। मरीज चाहता है कि उसके सिर (और चेहरा) को गर्म चीजो से लपेटा जाये।
- प्रमस्तिष्क में भारीपन होता है और बदसलूकी और घृणात्मक तरीके से बातचीत करता है
- सिर पर सूखी दाद (रूसी) भौंहों तक फैली हुई होती है । खोपड़ी पर सफेद, पपड़ीदार, छिलने वाले दाने, माथे, कनपटियों, कानों और गर्दन तक फैले हुए होते है। खोपड़ी पर झुनझुनी-काटना, चुभन-खुजली, खुजलाने से आराम मिलता है।
- पसीना की महक शहद (मीठा) जैसा होता है।
आंखें से सम्बंधित रोगों में Thuja Occidentalis 200 के फायदेमंद:
- रात में सोते समय पलके चिपक जाती है और सूजकर पपडीदार हो जाती है। पलकों की सूजन ऊपर से कठोर और अन्दर से नर्म होता है।
- मरीज आंख को गर्माहट से ढंक कर रखना चाहता है जब खुला होता है तो तुरंत दर्द होता है, और ऐसा लगता है जैसे ठंडी हवा आंख के माध्यम से सिर से बाहर निकल रही हो।
- रोते समय ( विशेष रूप से खुली हवा में) आँसू नहीं बहते, बल्कि आँख में सूखापन रहता हैं।
- आँख के सफेद भाग लाल हो जाते है और उनमे सूक्ष्म सुजन आ जाती है ।
- आँखों में कमजोरी जैसे अस्पष्ट दृष्टि हो जाती है। छोटे, काले धब्बे आँखों के सामने तैरते हैं और दोहरी दृष्टि भी हो जाती है
- अँधेरे में ऐसा लगता है मानो चमकीली रोशनी या चिंगारी आँख के पास गिर रही हो, दिन के समय और उजाले में ऐसा लगता है जैसे काली बूँदें नीचे गिर रही हों। वस्तुएँ छोटी दिखाई देती हैं (दाहिनी आँख के सामने)।
कान के रोगों में Thuja Occidentalis 200 फायदे:
- कान में उबलते पानी जैसा शोर सुनाई देता है।
- खाना निगलने पर कान में चुरचुराहट होता है। सनसनी ऐसा होता है मानो भीतरी कान सूज गया हो ।
- दाहिने कान से मवाद का रिसाव होता है जिसमे सड़े हुए मांस की तरह महक आती है।
नाक के रोगों को दूर करता है Thuja Occidentalis 200:
- नाक लाल और गर्म हो जाता है और नाक पर लाल दाने कभी-कभी नमी होने लगती है।
- नाक से बड़ी मात्रा में गाढ़ा- हरा बलगम निकलता है जिसमे मवाद और खून के साथ मिश्रित होता है। बाद में बलगम के साथ सूखी, भूरी शल्क सामने के साइनस से आती है और नासिका के सूजे हुए ऊपरी हिस्से से मजबूती से चिपक जाती है।
- नासिका के भीतर छाले पड़ जाते है और नाक गुहाओं में सूखापन हो जाता है।
- नासिका में दर्दनाक पपड़ी और पीछे के नारों में बलगम का जमा होना भी लक्षण दीखता है
- नाक के गुहाओ में सूजन और जकड़न तथा नाक पर मस्से भी हो सकते है ।
- मछली की नमकीन या किण्वन बियर जैसी नाक में गंध आती है।
- खुली हवा में धाराप्रवाह जुकाम और कमरे में सूखा जुकाम होता है ।
चेहरा से सम्बंधित रोगों में Thuja Occidentalis 200 लाभकारी है:
- रोगी का चेहरा चिकना हो जाता है मानो जैसे पूरा तेल लगा रखा हो
- पूरे चेहरे पर गर्मी के कारण लालिमा हो जाती है। चेहरे की त्वचा लाल-गर्म होने के कारण धोते समय यह दर्दीला और कच्चा लगता है और छिला हुआ महसूस होता है।
- चेहरे पर हल्के-भूरे रंग के धब्बे (झाईयां) पड़ जाती है और चेहरे पर दाने हो जाते है ।
- temporal arteries में सुजन हो जाता है।
- चेहरे का दर्द :- कान के पास बाईं गाल की हड्डी में उत्पन्न, दांतों के माध्यम से नाक तक, आँखों के माध्यम से सिर में कनपटी तक पहुँच जाता है।
- दर्दनाक धब्बे आग की तरह जलते हैं, और सूरज की किरणों के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं। चेहरे का पसीना, खासकर उस तरफ जिस तरफ वह नहीं लेटता (सोता) है।
मुंह और गला के बहुत से रोगों को ठीक करता है Thuja Occidentalis 200:
- होठों के अंदर कि तरफ मुंह के कोनों पर सफेद छाले तथा होंठ पीले और सूजे जाते है।
- दाँतों की जड़ें खुरदरी हो जाती हैं या दांत बगल से टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं लेकिन दाँत का मुकुट ठीक रहता है। दाँत उखड़ जाते हैं और गंदे-पीले दाँत दिखने लगते है।
- दांतों कि जड़ो के पास बगल में सफेद फफोले पड़ जाते है और मसूड़े सूजे हुए तथा उन पर गहरे-लाल रंग की धारियाँ हो जाती हैं।
- चाय पीने से दाँत में दर्द होने लगता है।
- जीभ के नीचे नीली सूजन हो जाती है जीभ सूजी हुई (विशेष रूप से दाहिनी ओर चौड़ी) रोगी बार-बार खुद को जीभ पर काटता है। जीभ और मुंह पर वैरिकाज़ नसें दिखने लगती है।
- गले में बड़ी मात्रा में बलगम का जमा होना, जिसे कठिनाई से ऊपर उठाया जाता है। गला कच्चा, सूखा महसूस होता है, जैसे कि यह निगलते समय संकुचित हो।
- भोजन का स्वाद ऐसा लगता है जैसे यह पर्याप्त नमक नहीं था। रोटी का स्वाद कड़वा और सूखा होता है। ठंडे खाने-पीने की इच्छा होती है।
- भोजन चबाते समय कम लार बनने के कारण बहुत शुष्क हो जाता है।
पेट और अमाशय से सम्बंधित अनेक रोगों में Thuja 200 लाभकारी:
- रोगी को भूख पूरी तरह से नहीं लगता है। खाने के बाद पेट फूलने लगता है और दर्द होने लगता है।
- वसा वाली चीजों और प्याज खाने से बुरा प्रभाव होता है और बांसी डकारे आने लगती है। विशेष रूप से रात में और सुबह जल्दी उठते समय तीव्र प्यास लगती है ।
- सुबह मुँह में सड़े हुए अण्डों का स्वाद खाना, खाते समय हवा का लगातार डकार आना, बलगम या चिकना पदार्थ की उल्टी होना, पेट का सख्त होना, ये सब लक्षण भी दिखते है।
- पेट का ऊपरी हिस्सा अंदर खींचा हुआ, नाभि का दर्द, आंतों का अंतर्ग्रहण, पेट पर पीले या भूरे रंग के धब्बे, पेट फूलना, ये सब लक्षण भी सामान्य होते है।
- वंक्षण ग्रंथियों की दर्दनाक सूजन।
- पेप्टिक अल्सर मेबहुत लाभकारी होता है।
मल और गुदा से सम्बंधित विकृतियों को दूर करता है Thuja 200:
- दस्त हवा के बहुत शोर के साथ तथा पीला-पीला पानी जबरन बाहर निकलता है। यह सुबह (नाश्ते के बाद), या सुबह समय-समय पर दस्त आता है। यह हमेशा एक ही समय पर होता है।
- मल तैलीय या चिकना होता है और मल के साथ खून भी आता है।
- मल त्याग के दौरान गुदा का दर्दनाक संकुचन होता है और बवासीर के गांठ (मस्से ) सूज जाते है जिससे बैठने में दर्द अधिक होता है। मस्से को छूने पर दर्द होता है
- मलाशय में कब्ज के साथ तेज दर्द होता और मल पीछे हट जाता है और बाहर नही निकल पाता है। मल का निर्वहन जबरन होता है और गुड़गुड़ाहट की आवाज होती है।
- गुदा और मूलाधार में घिनौना पसीना और बदबूदार पसीना निकलता है।
मूत्र अंग कि बीमारियों को ख़त्म करता है Thuja Occidentalis 200:
- बार-बार पेशाब करने की इच्छा होती है तथा मूत्र का विपुल स्राव होता है यह विशेष रूप से शाम मे होता है । पेशाब करने के बाद टपकने की अनुभूति होती है।
- पेशाब में झाग आता है और पेशाब पर झाग देर तक बना रहता है। मूत्रमार्ग सूजा जाता है और मूत्र धारा फटी हुई और छोटी हो जाती है।
- दर्द के साथ बार-बार पेशाब आता है और पेशाब करने इच्छा अचानक और तत्काल होती है, लेकिन नियंत्रित नहीं हो पति है।
- मूत्राशय (और मलाशय) लकवाग्रस्त महसूस करता है, जिसमें बाहर निकालने की शक्ति नहीं होती है।
- मूत्रमार्ग में जलन, काटने-खुजली, पेशाब में चीनी कि मात्र, खूनी मूत्र इत्यादि ये सब लक्षण सामान्य दिखते है।
यौन रोगों में भी बहुत लाभकारी है Thuja Occidentalis 200:
पुरुष से सम्बंधित रोग
- मूत्रमार्ग (सूजाक) से पानीदार और प्रचुर स्राव
- पेशाब करने की बार-बार और तत्काल इच्छा के साथ मूत्राशय की गर्दन के पास दर्द और जलन महसूस होना।
- यौन अंग के चमड़ी और मुंड में सूजन हो जाता है तथा लिंग में दर्द होता है।
- सनसनी मानो मूत्रमार्ग के माध्यम से एक बूंद बह रही हो।
- जननांगों पर अधिक पसीना, शहद जैसी मीठी गंध।
- S.T.D सेक्सुअल ट्रांसमिटेड डिजीज को भी दूर करता है।
औरत से सम्बंधित रोग
- मासिक धर्म कम या मंद हो जाता है और मासिक धर्म से पहले अत्यधिक पसीना आने लगता है ।
- अंडाशय शोथ: हर माहवारी के समय बायीं ओर अधिक कष्ट होता है। कभी कभी तीसरे महीने में गर्भपात के लक्षण भी दिखते है।
- योनि बहुत संवेदनशील हो जाता है, विपुल ल्यूकोरिया होता जिसमे घना-हरा डिस्चार्ज होने लगता है।
- बाएं अंडाशय और बाएं वंक्षण क्षेत्र में गंभीर दर्द होता है।
हाथ-पैर कि बीमारियों को ठीक करता है Thuja Occidentalis 200:
- अंगुलियों के सिरे सूजकर लाल हो जाते है। उंगलियों के सिरों में विसर्प सूजन के साथ उनमें झुनझुनी होने लगती है।
- नाखून उखड़ जाते हैं, रंग उड़ जाता है। नाखून भंगुर। पैर के अंगूठे का नाखून बढ़ना।
- दाद:- हाथ के पिछले हिस्से पर भूरा रंग। हाथ के पीछे और उंगली पर सफेद पपड़ीदार दाद। कोहनी पर दाद।
- बाहों और जोड़ों में चुभने वाला दर्द।
- कूल्हे का जोड़ ऐसा महसूस होता है जैसे कि वह शिथिल हो गया हो। चलते समय अंगों को ऐसा महसूस होता है जैसे वे लकड़ी के बने हों।
- हाथों पर ठंडा पसीना। पैर के तलवो में ज्यादा पसीना
- बीयर, वसायुक्त भोजन, अम्ल, मिठाई, तम्बाकू, चाय, शराब और प्याज से बुरे प्रभाव दिखते है। सल्फर और मरकरी के दुरुपयोग से अंगों और जोड़ों में चिलकन होने लगता है।
नींद न आने कि समस्या को ठीक करता है Thuja Occidentalis 200:
- निरंतर नींद न आना, जिस अंग पर लेटा हो उसमें दर्द होने लगता है।
- नींद न आना, आँखें बंद करते ही आभास के साथ जैसे ही वह उन्हें खोलता है वे गायब हो जाते हैं।
- गरमी और बेचैनी के कारण देर से सोता है। बायीं करवट लेटने पर चिंताजनक स्वप्नं आते है।
चर्म से सम्बंधित रोगों में बहुत लाभकारी है Thuja Occidentalis 200:
- छाले, सफेद, पपड़ीदार, सूखा, चूर्णी, दाद, चेचक, चपटे छाले, नीले-सफ़ेद तल वाले।
- केवल ढके हुए हिस्सों पर ही फुंसियां होती है जो खरोंच के बाद विस्फोट हिंसक रूप से जलते हैं।
- साइकोटिक एक्सर्सेंस, पुराने पनीर की तरह महक, या मछली की नमकीन की तरह।
- हाथों और भुजाओं पर भूरे धब्बे। सूखी त्वचा, भूरे धब्बों के साथ। त्वचा का गंदा-भूरा रंग। झुर्रियां और धब्बे। त्वचा पर भूरे, या भूरे-लाल, या भूरे-सफेद धब्बे।
- पोलिपी, ट्यूबरकल, मौसा एपिथीलियोमा, नेवी, कार्बनकल्स, अल्सर इत्यादि ये रोग विशेष रूप से गुदा-जननांग क्षेत्र में होते है।
Thuja Occidentalis 200CH, 1M, 30CH USES in hindi निम्नलिखित है :-
1. पूराने लक्षणों को दूर करने में फायदेमंद है
2. प्राइवेट पार्ट और Skin पर मस्सों की समस्या को दूर करती है
3. त्वचा पर लाल – लाल चक्तों की समस्या को दूर करती है
4. किशारों को होने वाले पीट, गर्दन और कमर के मुहासों को दूर करती है
थूजा के दूसरे उपयोग और फायदे ( Other uses and benefits of thuja in hindi )
ऊपर बताए गए थूजा के उपयोगों ( thuja uses in hindi ) के अलावा इस दवा के निम्नलिखित उपयोग व फायदे भी होते हैं लेकिन अभी तक इन उपयोगों पर पर्याप्त वैज्ञानिक शोंध नही हुए हैं ।
इसलिए इन समस्याओं में डॉक्टर के परामर्श के बिना थूजा को नही लेना चाहिये:
1. गठिया के उपचार में थूजा को लिया जा सकता है
2. त्वचा पर होने वाले विभिन्न रोगो में भी इस होम्योपैथिक मेडिसिन को लिया जाता है ।
3. शरीर पर अलग अलग जगह होने वाले मस्सों के इलाज में इसको लिया जाता है
4. कुछ कैंसरों के इलाज में
5. न्योमोनिया में भी इसको इस्तेमाल में लाया जा सकता है
6. नसों के होने वाले दर्द में
7. रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में
8. ब्रोंकाइटिस के इलाज में
9. गर्भपात करने में
10. मसल्स पेन में
थूजा को लेते समय कुछ जरूरी सावधानियां ( Some Important Precautions While Taking Thuja in hindi )
अगर आप थूजा का उपयोग करने की सोच रहे हैं तो आपको निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिये ।
1. दौरों की समस्या से पीडित हैं तो थूजा का उपयोग ना करें ( Do not use Thuja if you are suffering from seizures )
कुछ लेकिन बहुत कम मामलों में देखने में आया है की दौरों से पीडित व्यक्ति का थूजा का सेवन करने से उसकी समस्या बढ़ जाती है इसलिए यदि कोई व्यक्ति दोरों ( seizures ) से ग्रसित है तो उसको थूजा का उपयोग नही करना चाहिये ।
गर्भवस्था में थूजा का उपयोग करने से बचें ( Avoid using thuja in pregnancy in hindi )
pregnancy में थूजा लेना काफी Unsafe होता है क्योकि कुछ होम्योपैथिकों के अनुसार इससे गर्भपात होने का खतरा होता है ।
इसके अलावा अगर आप बच्चे को स्तनपान कराने वाली माँ हैं तब भी आपको इस दवा को लेने से बचना चाहिये ।
ऑटो इम्यून रोग में थूजा का उपयोग करें ( The use of thuja in auto immune diseases in hindi )
थूजा का अधिक इस्तेमाल करने से शरीर का Defence system ओवरएक्टिव हो सकता है जिसके चलते ऑटो इम्यून रोग से सम्बन्धित रोगों के लक्षण बढ़ सकते हैं । इसलिए इस स्थिति में थूजा का उपयोग करने से बचें ।
थूजा की खुराक ( Thuja dosage in hindi )
होम्योपैथिक दवाओं की खुराक कई कारणों पर निर्भर करती है और अक्सर डॉक्टर भी मरीज की अच्छी तरह जाँच पडताल करने के बाद ही कोई खुराक देता है। आमतौर पर कोई डॉक्टर मरीज की उम्र, उसकी स्वास्थ्य स्थिति, लिंग और रोग की गंभीरता को देखने के बाद ही कोई खुराक सुनिश्चित करता है।
इसलिए हम हर व्यक्ति के लिए एक तय खुराक नही बता सकते, थूजा की खुराक ( Thuja dosage in hindi ) के लिए अपने होम्योपैथिक डॉक्टर से जरूर सलाह लें।
ज्यादातर लोगों का मानना है की प्राकृतिक या हर्बल तत्वों से बनी दवाओं का कोई नुकसान नही होता लेकिन ध्यान रहे ! ये पुरी तरह सच नही है गलत तरीके या मात्रा में लेने से इन दवाओं के भी नकारात्मक प्रभाव पड सकते हैं ।
इसलिए किसी भी दवा को लेने से पहले उसके साथ आने वाले लेबलों और दिशा निर्देशों को जरूर पढ़ लिया करें
F&Q
प्रश्न :- थूजा क्रीम किस काम आती है ?
उत्तर :- थूजा क्रीम मस्सों में काम आती है ।
प्रश्न :- थूजा किस पावर में लेनी चाहिए ?
उत्तर :- थूजा को 30, 200 या 1M में डॉक्टर लिखते है ,ये रोग किस प्रकार का ओर कितना पुराना है उस पर निर्भर करता है ।
प्रश्न :- thuja Q होम्योपैथिक दवा का use ?
उत्तर :- थूजा का प्रयोग मस्सों में किया जाता है , ये लगाने के ओर पीने के दोनों के काम आता है ।
निष्कर्ष
प्रिय मित्रों ! इस आर्टिकल में हमने आपको थूजा का उपयोग किन समस्याओं में किया जाता है ( thuja 200 uses in hindi ) के बारे में विस्तार के बताया साथ ही इस दवा से सम्बन्धित सभी महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में भी अवगत कराया ।
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