गुग्गुल का नाम तो आज अधिकांश लोग जानते हैं लेकिन शायद ही कोई यह जनता होगा की खाने के अलावा यह किन-किन चीजों के काम में लाया जाता है, आयुर्वेद के अनुसार गुग्गुल के बहुत अधिक फायदे (guggul benefits in hindi) हैं आपको बता दें की गुग्गुल (guggul) का प्रयोग औषधि के रुप में भी किया जाता है। गुग्गुल एक प्रकार का गोंद है जो गुग्गुल के तने को काटने से एक प्रकार का चिपचिपा पदार्थ निकलता है जो ठंडा होने के बाद ठोस हो जाता है। यही गुग्गुल कहलाता है. गुग्गुल का इस्तेमाल भारत में कई हर्बल और आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है। गुग्गुल स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होने के साथ-साथ कई तरह की बीमारियों के लिए भी विशेष औषधि के रुप में प्रयोग किया जाता है।
गुग्गुल का प्रयोग अक्सर अन्य जड़ी बूटियों के साथ मिला कर किया जाता है इसका उपयोग विशेषकर गठिया (Arthritis), त्वचा रोग, तंत्रिका तंत्र की बीमारियों, मोटापा, पाचन समस्याओं, मुंह के संक्रमण, मासिक धर्म, मलेरिया, कामेच्छा बढ़ाने, हृदय रोग, फ्रैक्चर, नपुंसकता और मुंहासे आदि बहुत सी समस्याओं को ठीक करने के लिए उपचार में लाया जाता है।
आयुर्वेदीय ग्रंथों में महिषाक्ष, महानील, कुमुद, पद्म और हिरण्य गुग्गुलु इन पाँच भेदों का वर्णन मिलता है। महिषाक्ष गुग्गुलु भौंरे के समान काले रंग का होता है। महानील गुग्गुलु नीले रंग का, कुमुद गुग्गुलु कुमुद फल के समान रंगवाला, पद्म गुग्गुल माणिक्य के समान लाल रंग वाला तथा हिरण्याक्ष गुग्गुलु स्वर्ण यानि सोने के समान आभा वाला होता है। यह 1.2-1.8 मी ऊँचा, शाखित, छोटे कांटा वाला वृक्षक होता है। यह गाढ़ा सुगन्धित, अनेक रंग वाला, आग में जलने वाला तथा धूप में पिघलने वाला, गर्म जल में डालने से दूध के समान हो जाता है। व्यवहारिक प्रयोग में आने वाला गुग्गुलु हल्का पीले वर्ण का निर्यास होता है, जो कि छाल से प्राप्त होता है, यह अपारदर्शी, रक्ताभ-भूरे रंग का एवं धूसर यानि भूरा-काले रंग का होता है। आईएसकेडी मेडीफिट, आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरुप
गुग्गुल गोंद की तरह ही होता है जिसकी तासिर गर्म और स्वाद में कड़वा होता है।
नया गुग्गलु चिकना, सोने के समान, निर्मल, सुगन्धित, पीले रंग का तथा पके जामुन के समान दिखने वाला होता है। इसके अलावा नवीन गुग्गुलु फिसलने वाला, वात, पित्त और कफ को दूर करने वाला, धातु और शुक्राणु या स्पर्म काउन्ट बढ़ाने वाला और शक्तिवर्द्धक होता है।
पुराना गुग्गुलु कड़वा, तीखा, सूखा, दुर्गन्धित, रंगहीन होता है। यह अल्सर, बदहजमी, अश्मरी या पथरी, कुष्ठ, पिडिका या मुँहासे, लिम्फ नॉड, अर्श या बवासीर, गण्डमाला या गॉयटर, कृमि, खाँसी, वातोदर, प्लीहारोग या स्प्लीन संबंधी समस्या, मुख तथा आँख संबंधी रोग दूर करने में सहायता करता है।
गुग्गुलु का साग मीठा, कड़वा, ठंडे तासीर का, रूखा, कफवात को कम करने वाला होता है। गुग्गुल मधुर रस से भरा होने के कारण गुग्गुलु वात को कम करता है। कषाय (pungent) रस होने से यह पित्त को दूर करने में मदद करता है तो तिक्त रस होने से कफशामक होता है।
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कृष्णवर्णी गुग्गुलु रक्तपित्त (नाक-कान से खून बहना) में लाभकारी और पीले रंग का गुग्गुलु कफपित्त को कम करने वाला होता है।
सफेद रंग का गुग्गुलु के लाभ वात और पित्तज संबंधी बीमारियों के चिकित्सा में प्रयोग किया जाता है।
अन्य भाषाओं में गुग्गुल के नाम (Name of Guggul in Different Languages)
गुग्गुल का वानस्पतिक नाम : Commiphora wightii (Arnott) Bhandari (कौमीफोरा वाइटिआइ) Syn-Commiphora mukul (Hook. ex Stocks) Engl.,Balsamodendron mukul (Hook. ex Stocks) होता है। गुग्गुल Burseraceae (बरसरेसी) कुल का होता है। इसका अंग्रेज़ी नाम : Indian bdellium (इण्डियन डेलियम) होता है। इसके अलावा गुग्गुल को कई अन्य भाषाओं में अलग अलग नाम से जाना जाता है जो इस प्रकार हैं
Guggul in Sanskrit – गुग्गुलु, देवधूप, जटायु, कौशिक, पुर, कुम्भोलूखलक, महिषाक्ष, पलङकषा;
Guggul in Hindi – गूगल, गुग्गुलु;
Guggul in Kannada – गुग्गुल (Guggul);
Guggul in Gujrati – गुगल (Gugal);
Guggul in Telugu – गुक्कुल चेट्टा (Gukkul chetta);
Guggul in Tamil – मैशाक्षी (Maishakshi), गुक्कुलु (Gukkulu);
Guggul in Bengali – गुग्गुल (Guggul), मुकुल (Mukul);
Guggul in Nepali – गोकुल धूप (Gokul dhoop);
Guggul in Marathi – गुग्गुल (Guggul)।
Guggul in English – गम गुग्गल (Gum guggul), मुकुल मिर्र ट्री (Mukul myrrh tree);
Guggul in Arbi – मुकर्ल्एजकी (Muqlearzaqi), अफ्लातन (Aflatan);
Guggul in Persian – बूएजहूदांन (Boejahudan)।
गुग्गुल कैसे तैयार किया जाता है – How is Guggul made in Hindi
औषधीय प्रयोजनों (medicinal purposes) के लिए उपयोग करने वाला एक विशेष उत्पाद के रूप में गुग्गुल का उपयोग किया जाता है। यह विभिन्न रोगों को दूर करने का सबसे अच्छा आयुर्वेदिक तरीका है। यह एक प्रकार की गोंद होती है जिसे विशेष रूप से सर्दियों (winter) के मौसम में निकाला जाता है। इस गोंद को पारंपरिक रूप से उपयोग करने से पहले शुद्ध किया जाता है।
इसके लिए गोंद को मोटे-मोटे कपड़े के थैलों (bag of thick) में रखकर इसे शुद्ध पानी में उबाला जाता है जब तक की यह काढ़े के रूप में नरम न हो जाए। इसके बाद इसे लकड़ी के बोर्ड जिस पर घी की परत हो विशेष रूप से मक्खन लगा हो (clarified butter) उस पर खुली हवा में सुखाया जाता है और फिर इसे घी में फ्राई कर पाउडर बना लिया जाता है जिसे विभिन्न औषधियों में उपयोग किया जाता है।
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गुग्गुल में पाए जाने वाले पोषक तत्व – Nutrients Value for Guggul in Hindi
यह कुछ संयोजन पोषण संबंधी उत्पादों का एक घटक है जिसे कोलेस्ट्रोल और ट्राइग्लिसराइड्स के समान चयापचय को मजबूत करने के लिए उपयोग किया जाता है। इनके अन्य घटको में इनोसिटोल हैक्साइनासिनेट (inositol hexaniacinate), क्रोमियम, विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं।
गुग्गुल के फायदे (Benefits and Uses of Guggul in Hindi)
गुग्गुल (guggul benefits in hindi) जो पेड़ से गोंद के रूप प्राप्त किया जाता है उसको औषधि के रुप में प्रयोग करने के लिए कई प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। इसमें विटामिन, एंटीऑक्सिडेंट, क्रोमियम जैसे अनेक घटक होते हैं। इनके कारण गुग्गल कई प्रकार के रोगों के लिए फायदेमंद साबित होता है। चलिये अब ये जानते हैं कि गुग्गुल किन-किन बीमारियों में और कैसे फायदेमंद हैं।
पेट का रोग या उदर रोग में फायदेमंद गुग्गुल (Guggule Benefits for Stomach Problems in Hindi)
3 माह तक अन्न का परित्याग करके केवल दूध के आहार पर रहते हुए 128 मिग्रा से 5 ग्राम तक शुद्ध गुग्गुलु का सेवन करने से उदर रोग में अत्यंत लाभ होता है। इसके अलावा 10-40 मिली पुनर्नवादि काढ़े के साथ 125 मिग्रा योगराज गुग्गुलु (yograj guggulu) का सुबह शाम सेवन करने से पेट के रोग में लाभ होता है।
विद्रधि या घाव में गुग्गुल से लाभ ( Guggul Benefits for Abscess in Hindi)
125-250 मिग्रा शुद्ध गुग्गुलु को गोमूत्र के साथ नियमित सेवन करने से कफज विद्रधि में लाभ होता है। शुद्ध श्रेष्ठ गुग्गुलु (125 मिग्रा), सोंठ (250 मिग्रा) तथा (125 मिग्रा) देवदारु चूर्ण को मिलाकर नियमपूर्वक सेवन करने से घाव जल्दी सूख जाता है।
व्रण या अल्सर से दिलाये राहत गुग्गुल ( Guggulu Benefits for Ulcer in Hindi)
10-30 मिली त्रिफला काढ़ा अथवा रस में 125 मिग्रा गुग्गुलु (guggul ke fayde in hindi) मिलाकर पीने से बहने वाले घाव को ठीक होने में मदद मिलती है। गुग्गुलु को पीसकर व्रण या अल्सर के घाव पर लेप अथवा गोमूत्र के साथ पीसकर नाड़ीव्रण पर लगाने से अत्यन्त लाभ होता है।
भगन्दर या फिस्टुला से दिलाये राहत गुग्गुल (Guggule Benefits for Fistula in Hindi)
125 मिग्रा त्रिफला काढ़ा के साथ गुग्गुलु (triphala guggul) का सेवन करने से भगन्दर रोग (फिस्टुला) में फायदा मिलता है। इसके अलावा महिषाक्ष गुग्गुलु तथा विडङ्ग के समान भाग के चूर्ण को खदिर या त्रिफला काढ़े के साथ पीने से अथवा केवल गुग्गुलु को पंचतिक्तघृत के साथ सेवन करने से भगंदर रोग में जल्दी आराम मिलता है। नव कार्षिक गुग्गुलु का सेवन करने से भगन्दर, कुष्ठ, नाड़ीव्रण में लाभ मिलता है।
पांडूरोग या एनीमिया में फायदेमंद गुग्गुल (Benefit of Guggul to Treat Anemia in Hindi)
गोमूत्र के अनुपान के साथ 125 मिग्रा योगराज गुग्गुलु (yograj guggulu) को प्रात सायं 15 दिनों तक शहद के साथ सेवन कराने से पाण्डुरोग (Anemia) तथा सूजन में अत्यन्त लाभ होता है।
आँखों के रोग में फायदेमंद गुग्गुल (Guggul Benefits for Eye Disease in Hindi)
125 मिग्रा योगराज गुग्गुलु (yograj guggulu) को सुबह शाम 10-40 मिली त्रिफला काढ़ा (triphala guggul) के साथ सेवन करने से नेत्र संबंधी विभिन्न रोगों में लाभ होता है।
कान के दुर्गंध को करे कम गुग्गुल (Benefits of Guggul to Treat Ear Disease in Hindi) Guggul Dhoop
अगर आप कान से बदबू निकलने की परेशानी से कष्ट पा रहे हैं तो गुग्गुल (guggul benefits in hindi) के धूम से धूपन करने से कान से बदबू निकलना कम होता है।
खट्टी डकार या अम्लपित्त से दिलाये राहत गुग्गुल (Benefits of Trifala Guggule to Get Relief from Belching in Hindi)
खान-पान में असंतुलन होने पर एसिडिटी हो जाता है और फिर खट्टी डकार आने लगती है। समान भाग में वासा, नीम, परवल का पत्ता, त्रिफला तथा गुडूची काढ़े से सिद्ध करके गुग्गुलु का नियमित सेवन करने से अम्लपित्त रोग या खट्टी डकार से राहत मिलती है।
अर्श या बवासीर से राहत दिलाये गुग्गुल (Guggul Benefits for Piles in Hindi) Guggul Benefits
गुग्गुलु, लहसुन, हींग तथा सोंठ को जल के साथ पीसकर 125 मिग्रा की गोली बनायें। प्रात सायं 1-1 गोली ठंडे पानी के साथ देने से अर्श या कृमी के इलाज में मदद मिलती है।
वातरक्त या गाउट के दर्द को करे कम गुग्गुल (Benefit of Guggul to Get Relief from Gout in Hindi)
आजकल के जीवनशैली में जोड़ो में दर्द किसी भी उम्र में हो जाता है। 125 मिग्रा योगराज गुग्गुलु (yograj guggulu)को बृहत्मंजिष्ठादि काढ़ा (10-40 मिली) अथवा गिलोय काढ़ा (10-30 मिली) के साथ सुबह शाम देने से जोड़ों के दर्द से आराम मिलता है।
स्थौल्य रोग या मोटापा को कम करने में गुग्गुल के लाभ (Guggulu Beneficial in Obesity in Hindi) triphala kadha
125 मिग्रा शुद्ध गुग्गुलु को अग्निमंथ की छाल से बने काढ़े (10-30 मिली) के साथ लम्बे समय तक सेवन करने से स्थौल्य (मोटापा) में लाभ होता है। 125 मिग्रा योगराज गुग्गुलु (yograj guggulu) को सुबह शाम 15 दिनों तक शहद के साथ सेवन कराने से मोटापा घटता है।
जोड़ो के दर्द के लिए गुग्गुल के फायदे (Benefit of Guggulu to Get Relief from Rheumatoid Arthritis in Hindi)
जोड़ों का दर्द, शरीर में वात दोष के बढ़ने के कारण होता है। गुग्गुल इस दर्द से राहत दिलाने में फायदेमंद होता है क्योंकि उसमें मधुर रस होने के कारण वात दोष को कम करने की क्षमता होती है।
डायबिटीज को नियंत्रित करने में सहायक गुग्गुल (Guggul Benefit to Control Diabetes in Hindi)
डायबिटीज एक ऐसी समस्या है जो कि वात और कफ दोष के असंतुलन के कारण होती है। गुग्गुल में वात और कफ को कम करने का गुण होने के कारण एवं एक रसायन औषधि होने के वजह से यह डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद करता है।
कब्ज से राहत दिलाने में लाभकारी गुग्गुल (Guggul Beneficial in Constipation in Hindi)
कब्ज एक ऐसी समस्या है जो कि पाचन के गड़बड़ होने के कारण एवं वात दोष के बढ़ने के कारण होती है। गुग्गुल में उष्ण गुण होने के कारण यह पाचन को स्वस्थ बनाता साथ ही वात दोष को कम करता है। इस कारण गुग्गुल कब्ज से राहत देने में सहायक होता है।
गंजापन दूर करने में गुग्गुल के फायदे (Benefit of Guggul in Baldness in Hindi)
गंजापन एक ऐसी समस्या है जो कि वात -पित्त और कफ दोष के बिगड़ने की वजह से होती है। इसमें वात कुपित होकर पित्त को भी सम्मलित लेता है जिससे पाचन बिगड़ता है, जिसके कारण बालों की जड़ों तक उचित मात्रा में पोषण नहीं पहुँच पाता है। इस वजह से बाल झड़ते हैं एवं गंजेपन की नौबत तक आ सकती है। गुग्गुल में, दीपन – पाचन एवं वात – कफ शमन गुण होने के कारण ये यह इस समस्या में भी लाभदायक होता है।
एसिडिटी से राहत दिलाने में फायदेमंद गुग्गुल (Guggul Beneficial to Treat Acidity in Hindi)
एसिडिटी का एक कारण अपचन होता है । गुग्गुल में उष्ण एवं दीपन-पाचन गुण पाए जाने के कारण यह पाचक अग्नि को बढ़ाकर पाचन को स्वस्थ बनाये रखता है । साथ ही यह एसिडिटी को भी कम करने में सहयोगी होता है।
गठिया रोग से राहत दिलाने में फायदेमंद गुग्गुल (Benefit to Guggule to Get Relief from Gout in Hindi) Gout or arthritis
गठिया एक ऐसी परेशानी है जो कि वात के बढ़ने के कारण होती है और जोड़ों में दर्द की अनुभूति देती है। गुग्गुल में वात को कम करने की क्षमता होती है एवं उष्ण गुण पाया जाता है जिसके कारण यह इस रोग में भी लाभदायक होता है।
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शुरुआती अध्ययनों से पता चलता है कि गुग्गुल गठिया के लक्षणों को कम करने में हमारी मदद कर सकता है। गुग्गुल में अन्य औषधीय जड़ी बूटीयों को मिला कर गठिया का उपचार किया जाता है। इसमें अन्य सामग्री जैसे कि थिरिकादुगम, त्रिफला पाउडर, अमलाकी, जीरा आदि को मिला कर उपयोग किया जाता है। यह मुख्य रूप से गठिया के दर्द, और सूजन (inflammation) का इलाज करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह जोड़ों को मजबूत करने में मदद करता है और उन लोगों की भी मदद करता है जिनके जोड़ सख्त (stiff joints) होते हैं। लेंकिन इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से नुकसान हो सकता है इसलिए इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर से संपर्क करें।
बुखार कम करने में फायदेमंद गुग्गुल (Guggul Beneficial to Treat Fever in Hindi)
बुखार एक ऐसी समस्या है जो कि किसी भी दोष के गड़बड़ होने के कारण हो सकता है। गुग्गुल में वात – कफ शामक गुण होने के कारण यह इस समस्या से राहत दिलाने में मदद करता है एवं रसायन गुण होने के कारण शरीर के स्वास्थ्य को स्वस्थ बनाने में भी मदद करता है।
गर्भाशय से जुड़ी समस्याओं में गुग्गुल के फायदेमंद (Guggul Beneficial in Uterus Related Issues in Hindi)
यूट्रस या गर्भाशय से जुड़ी परेशानियों जैसे कि फ़िब्रॉइड आदि वात और कफ दोष के बढ़ने की वजह से होती हैं। गुग्गुल उष्ण वीर्य होने के कारण यह वात – कफ दोष को कम कर गर्भाशय संबंधी समस्याओं को दूर करने में सहयोग देता है।
दर्द और सूजन कम करने में फायदेमंद गुग्गुल (Guggul Benefits to Treat Pain and Swelling in Hindi)
दर्द और सूजन दोनों ही समस्याएँ ऐसी है जो वात दोष के बढ़ने के कारण होती है। गुग्गुल में वात को कम करने की क्षमता होने के कारण एवं अपने उष्ण गुण होने के कारण यह इन दोनों समस्याओं को दूर करने में सहयोग देता है।
त्वचा के लिए लाभकारी गुग्गुल (Guggulu Beneficial for Skin in Hindi)
स्किन यानी त्वचा सम्बंधित परेशानियों में भी गुग्गुल लाभदायक होता है क्योंकि इसमें कषाय गुण होने के कारण यह त्वचा को स्वस्थ बनाये रखता है इसके अलावा यह त्वचा से कील – मुहासें जो कि तैलीय त्वचा ने अधिक होते है कषाय होने से यह उनको भी दूर करने में मदद करता है।
फ्रैक्चर हो जाने पर गुग्गुल का प्रयोग (Use of Guggul to Treat Fracture in Hindi)
फ्रैक्चर हो जाने के कारण वात दोष बढ़ जाता है एवं हड्डियों में कमजोरी-सी आ जाती है। गुग्गुल में वात शामक एवं बल्य गुण होने के कारण यह हड्डियों को बल प्रदान करता है एवं उसे जल्दी ठीक होने में सहयोग देता है।
जोड़ों के दर्द और फ्रैक्चर का उपचार करने के लिए गुग्गुल बहुत ही उपयोगी होता है। इनके उपचार के लिए गुग्गुल में अन्य आयुर्वेदिक उत्पादों को मिलाया जाता है जैसे कि अश्वगंधा । गुग्गुल और अश्वगंधा के मिश्रण का उपयोग करने से यह हड्डीयों के घनत्व को बढ़ाता है। ओस्टियोपोरोसिस से पीडित व्यक्तियों द्वारा इसका सेवन करने से बहुत अधिक लाभ मिलता है। इस दवा को चिकित्सक के मार्गदर्शन के अनुसार ही लेना चाहिए। अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से आपके पेट में जलन हो सकती है।
गुग्गुल का उपयोगी भाग (Useful Parts of Guggulu in Hindi)
आयुर्वेद में गुग्गुल के गोंद के निर्यास का औषधि के रुप में ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।
गुग्गुल का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए? (How to Use Guggul in Hindi?)
- बीमारी के लिए गुग्गुल के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए गुग्गुल का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
- चिकित्सक के परामर्शानुसार गुग्गुल का सेवन 125-250 मिग्रा कर सकते हैं।
- आम आदमी द्वारा शुद्ध गुग्गुल प्रतिदिन 25 मिली ग्राम तीन बार तक सेवन किया जा सकता है। इसका सेवन अधिकतम 6 माह तक किया जाता है।
- बाजार में व्यापारी लोग इसमें कई प्रकार का मिश्रण कर देते हैं। अत: अच्छी तरह परीक्षण कर ही इसे खरीदना चाहिए। तथा सदैव नवीन गूगल का ही व्यवहार करना चाहिए।
- गुग्गुल को गोमूत्र, खदिर काढ़ा, दशमूल अथवा अग्निमंथ काढ़ा के साथ सेवन करने से सूजन, कुष्ठ तथा मोटापा में फायदा पहुँचता है।
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गुग्गुल का सेवन ज्यादा करने के नुकसान, साइड इफेक्ट (Side effects of Guggul if consumed in excess in hindi)
गुग्गुलु का ज्यादा मात्रा में सेवन करने से मोतियाबिंद, शोष (Emaciation) तथा रूखी त्वचा जैसी समस्याएं होने लगती है।
- गुग्गुल का सेवन करते वक्त एक बात का ध्यान रखें कि अम्ल या एसिडीक पदार्थों, मसालेदार पदार्थों का सेवन, परिश्रम, सेक्स करना, धूप में घूमना तथा शराब पीना छोड़ देना चाहिए।
- गुग्गुल का अधिक मात्रा में सेवन करने से यह आपके शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को कम कर सकता है। मधुमेह या हाइपोग्लाइसेमिया के रोगियों को सावधानी रखना चाहिए।
- गुग्गुल रक्तस्राव का खतरा बढ़ा सकता है। जो व्यक्ति खून बहने से संबंधित रोग से ग्रसत है और इससे संबंधित दवा का सेवन कर रहे हैं उनमें यह खून बहने के खतरे को बढा सकते हैं।
- अधिक मात्रा में गुग्गुल का सेवन करने पर यह बीटा-ब्लॉकर्स और कैल्शियम अवरोधकों सहित उच्च रक्तचाप के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली दवाओं की क्षमता को प्रभावित कर सकता है। जो लोग ब्लडप्रेशर की दवाओं का सेवन करते हैं उन्हें विशेष सावधानी की आवश्यकता होती है।
- गुग्गुल के लिपिड-कम करने वाले प्रभावों के कारण लिपिड कम करने वाली दवाओं का उपयोग करने वाले रोगीयों को सतर्कता रखनी चाहिए।
- गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकारों वाले मरीजों को सतर्कता से गुग्गुल का प्रयोग करना चाहिए। यह उनके पेट में बेचैनी, दस्त, मल का पतला होना, मतली और उल्टी आदि की संभावनाओं को बढ़ा सकता है।
- गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गुग्गुल का सेवन नहीं करना चाहिए।
गुग्गुल कहां पाया और उगाया जाता है? (Where Guggul is Found or Grown in Hindi)
समस्त भारत के शुष्क एवं पथरीले भागों में यह मुख्यत राजस्थान, कर्नाटक, गुजरात, आसाम तथा उत्तर प्रदेश में पाया जाता है।
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