अश्वगंधा आपने आप में ही इतना प्रचलित है की शायद हर किसी ने इसका नाम सुना होगा.आपने न्यूज़ पेपर्स या टीवी में अश्वगंधा के नाम से विज्ञापन भी देखे होंगे। बहुत से लोग नहीं जानते की अश्वगंधा क्या है या अश्वगंधा के गुण क्या क्या हैं? आपको बता दें की अश्वगंधा एक तरह की जड़ी बूटी है। अश्वगंधा का उपयोग कई एलोपैथिक, आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दवाइयों को बनाने में किया जाता है। क्या आप जानते हैं कि अश्वगंधा का उपयोग आपके बढ़ते मोटापा कम करने, बल और वीर्य विकार को ठीक करने के लिए किया जाता रहा है।
इसके अलावा अश्वगंधा के बहुत सरे अन्य फायदे भी हैं। अश्वगंधा के अनगिनत लाभों के अलावा, सेवन की मात्रा और अश्वगंधा को इस्तेमाल करने के क्या क्या नुकसान हो सकते हैं. अश्वगंधा को इस्तेमाल करने से पहले क्या क्या सावधानियां अपनानी चाहिए उनके वारे में भी बताएँगे. अश्वगंधा के कुछ विशेष औषधीय गुणों के कारण, यह आयुर्वेद और लोगों के बीच बहुत तेजी प्रचलित हो गया है। आइए आपको बताते हैं कि आप किन किन बीमारियों में अश्वगंधा का उपयोग कर सकते हैं. आईएसकेडी मेडीफिट, आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरुप
जानिए अश्वगंधा क्या है? | What is Ashwagandha in Hindi?
विभिन्न देशों में अश्वगंधा के कई प्रकार हैं, लेकिन अगर आपको असली अश्वगंधा की पहचान करनी है तो इसके लिए अश्वगंधा के पौधों को मसलने पर इसमें घोड़े के मूत्र के जैसी गंध आती है। अश्वगंधा की ताजा जड़ में यह गंध अधिक तेज होती है। जंगल में पाए जाने वाले पौधों की तुलना में अश्वगंधा की खेती से तैयार अश्वगंधा की गुणवत्ता बेहतर होती है। जंगलों में पाया जाने वाला अश्वगंधा का पौधा तेल निकालने के लिए अच्छा माना जाता है। अश्वगंधा के दो प्रकार होते हैं.
छोटी असगंध (अश्वगंधा)
इसके छोटे झाड़ीदार होने के कारण, इसे छोटा असगंध (अश्वगंधा) कहा जाता है, लेकिन इसकी जड़ बड़ी है। यह नागौर, राजस्थान में बहुत अधिक पाया जाता है और यह विशेष रूप से वहाँ की जलवायु के प्रभाव के कारण प्रभावशाली है। इसीलिए इसे नागौरी असगंध भी कहा जाता है।
बड़ी या देशी असगंध (अश्वगंधा)
इसकी झाड़ी बड़ी होती है, लेकिन जड़ें छोटी और पतली होती हैं। यह आमतौर पर बगीचों, खेतों और पहाड़ी स्थानों में पाई जाती है। असगंध में, कब्ज गुणों की प्रधानता और घोड़े की मूत्र के समान गंध के कारण, इसे संस्कृत में बाजी या घोड़े का नाम दिया गया है।
बाहरी आकृति
आपकी जानकारी के लिए बता दें की बाजार में अश्वगंधा की दो प्रजातियां पायी जाती हैंः-
पहली मूल अश्वगंधा Withania somnifera (Linn.) Dunal, जो 0.3-2 मीटर ऊंचा, सीधी, धूसर रंग का घनरोमश तना वाली होती है।
दूसरी काकनज Withania coagulans (Stocks) Duanl, जो लगभग 1.2 मीटर तक ऊंची, झाड़ीदार तना वाली होती है।
अनेक भाषाओं में अश्वगंधा के नाम | Ashwagandha Called in Different Languages
अश्वगंधा को आमतौर पर असगंध के रूप में जाना जाता है, लेकिन इसे देश और विदेश में कई नामों से जाना जाता है। अश्वगंधा का का वानस्पतिक नाम Withania somnifera (L.) Dunal (विथेनिआ सॉम्नीफेरा) है और इसके अन्य नाम ये हैंः
Hindi (ashwagandha in hindi) – असगन्ध, अश्वगन्धा, पुनीर, नागोरी असगन्ध
English – Winter cherry (विंटर चेरी), पॉयजनस गूज्बेर्री (Poisonous gooseberry)
Sanskrit – वराहकर्णी, वरदा, बलदा, कुष्ठगन्धिनी, अश्वगंधा
Oriya – असुंध (Asugandha)
Urdu – असगंधनागोरी (Asgandanagori)
Kannada – अमनगुरा (Amangura), विरेमङड्लनागड्डी (Viremaddlnagaddi)
Gujarati – आसन्ध (Aasandh), घोड़ासोडा (Ghodasoda), असोड़ा (Asoda)
Tamil – चुवदिग (Chuvdig), अमुक्किरा (Amukkira), अम्कुंग (Amkulang)
Telugu – पैन्नेरुगड्डु (Panerugaddu), आंड्रा (Andra), अश्वगन्धी (Ashwagandhi)
Bengali – अश्वगन्धा (Ashwagandha)
Nepali – अश्वगन्धा (Ashwagandha)
Punjabi – असगंद (Asgard)
Malyalam – अमुक्कुरम (Amukkuram)
Marathi (ashwagandha in Marathi) – असकन्धा (Askandha), टिल्लि (Tilli)
Arabic – तुख्मे हयात (Tukhme hayat), काकनजे हिन्दी (Kaknaje hindi)
Farasi – मेहरनानबरारी (Mehernanbarari), असगंध-ए-नागौरी (Ashgandh-e-nagori)
अश्वगंधा के फायदे | Ashwagandha Benefits and Uses in Hindi
प्राचीन समय से ही आयुर्वेद में अश्वगंधा का इस्तेमाल अश्वगंधा के पत्ते, अश्वगंधा लकड़ी, अश्वगंधा चूर्ण (Ashwagandha Powder) के रुप में किया जाता रहा है। आपको यह जानकार हैरानी होगी की अश्वगंधा के जितने फायदे (ashwagandha benefits in hindi) है उतने ही अश्वगंधा के नुकसान भी हैं क्योंकि चिकित्सक के बिना सलाह के सेवन करने से शारीरिक अवस्था खराब हो सकती है। कई रोगों में आश्चर्यजनक रूप से लाभकारी अश्वगंधा का औषधीय इस्तेमाल करना चाहिए, चलिये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.
आयुर्वेद में अश्वगंधा का उपयोग अश्वगंधा चूर्ण (Ashwagandha Powder) और, अश्वगंधा के पत्ते के रूप में किया जाता है। अश्वगंधा के फायदे (ashwagandha benefits in hindi) कई हैं लेकिन अश्वगंधा के नुकसान भी हैं क्योंकि डॉक्टर से परामर्श के बिना लेने से शारीरिक स्थिति खराब हो सकती है। आश्चर्यजनक रूप से लाभकारी अश्वगंधा का उपयोग कई बीमारियों में औषधीय रूप से किया जा सकता है, आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.
सफेद बाल की समस्या में अश्वगंधा के फायदे | Use Ashwagandha Powder to Stop Gray Hair Problem in Hindi
आजकल की भाग दौर की जिंदगी में लोग अपनी सेहत की तरफ जरा भी ध्यान नहीं दे रहे हैं जिसकी वजह से समय से पहले ही बालों का टूटना, झड़ना और सफ़ेद होना सुरु हो जाता हैं. अगर आप 2-4 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण (Ashgandha Churn benefits) का सेवन हर रोज करते हैं तब आपके सफ़ेद होते बाल काले होने लगेंगे और आगे भी सफ़ेद होने रुक जायेंगे और बालों के सफेद होने की समस्या ठीक हो जायेगी.
आंखों की ज्योति बढ़ाए अश्वगंधा | Ashwagandha Benefits in Increasing Eyesight in Hindi
अश्वगंधा पाउडर को 2 ग्राम अश्वगंधा, 2 ग्राम भारतीय आंवले और 1 ग्राम मुलेठी में मिलाकर पीस लें। अश्वगंधा चूर्ण का एक चम्मच सुबह और शाम पानी के साथ लेने से आँखों की ज्योति बढ़ती है। अश्वगंधा के फायदे (ashwagandha benefits in hindi) के कारण आँखों को आराम मिलता है।
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गले के रोग (गलगंड) में अश्वगंधा के पत्ते के फायदे | Ashwagandha Uses to Cure Goiter in Hindi
अश्वगंधा के फायदे के कारण और औषधीय गुणों के वजह से अश्वगंधा गले के रोग में लाभकारी सिद्ध होता है।
अश्वगंधा पाउडर (ashwagandha powder benefits) तथा पुराने गुड़ को बराबार मात्रा में मिलाकर 1/2-1 ग्राम की वटी बना लें। इसे सुबह-सुबह बासी जल के साथ सेवन करें। अश्वगंधा के पत्ते का पेस्ट तैयार करें। इसका गण्डमाला पर लेप करें। इससे गलगंड में लाभ होता है।
- अश्वगंधा के फायदे और औषधीय गुणों के कारण, अश्वगंधा गले के रोगों में फायदेमंद साबित होता है।
- अश्वगंधा चूर्ण (ashwagandha powder benefits) और पुराने गुड़ को बराबर मात्रा में मिलाएं और 1 / 2-1 ग्राम वटी बनाएं। इसे सुबह-सुबह बासी पानी के साथ पिएं। अश्वगंधा के पत्ते का लेप तैयार करें। इसे गोइटर पर लगाएं। इससे गण्डमाला को लाभ मिलता है।
टीबी रोग में अश्वगंधा चूर्ण के उपयोग | Ashwagandha Benefits in Tuberculosis (T.B.) Treatment in Hindi
अश्वगंधा चूर्ण 2 ग्राम कोअसगंधा के ही 20 मिलीग्राम काढ़े के साथ लें। इससे टीबी में लाभ होता है। अश्वगंधा की जड़ से पाउडर बनाएं। इस चूर्ण को 2 ग्राम लें और इसमें 1 ग्राम बड़ी पीपल का चूर्ण, 5 ग्राम घी और 5 ग्राम शहद मिलाएं। इसे लेना टीबी (क्षय रोग) में फायदेमंद है। अश्वगंधा के फायदे (ashwagandha benefits in hindi) टीबी के लिए उपचार स्वरुप माने जाते हैं।
अश्वगंधा के इस्तेमाल से खांसी का इलाज | Ashwagandha Uses in Getting Relief from Cough in Hindi
असगंधा के पत्तों से तैयार 40 मिलीग्राम गाढ़ा काढ़ा लें। इसमें 20 ग्राम बहेड़े का चूर्ण, 10 ग्राम कत्था चूर्ण, 5 ग्राम काली मिर्च तथा ढाई ग्राम सैंधा नमक मिला लें। इसकी 500 मिलीग्राम की गोलियां बना लें। इन गोलियों को चूसने से सब प्रकार की खांसी दूर होती है। टीबी के कारण से होने वाली खांसी में भी यह विशेष लाभदायक है। अश्वगंधा के फायदे खांसी से आराम दिलाने में उपचारस्वरुप काम करता है।
- 10 ग्राम असगंध की जड़ों को पीस लें। इसमें 10 ग्राम चीनी और 400 मिलीग्राम पानी मिलाकर पकाएं। जब इसका आठवां भाग शेष रह जाए तो आँच बंद कर दें। कफ या काली खांसी के कारण होने वाली खांसी की समस्या में इसे थोड़ा सा देने से विशेष लाभ होता है।
- असगंधा के पत्तों से तैयार 40 मिलीग्राम गाढ़ा काढ़ा ले, जिसे बिना पके पत्तों से तैयार किया गया हो। इसमें 20 ग्राम बहेडा पाउडर, 10 ग्राम कत्था चूर्ण, 5 ग्राम काली मिर्च और ढाई ग्राम सेंधा नमक मिला लें। इससे 500 मिलीग्राम की गोलियां बनाएं।
- इन गोलियों को चूसने से सभी प्रकार की खांसी दूर हो जाती है। टीबी के कारण होने वाली खांसी में भी यह फायदेमंद है। अश्वगंधा के लाभ (ashwagandha benefits in hindi) यह खांसी से राहत देने के लिए एक उपचार के रूप में काम करता है।
छाती के दर्द में अश्वगंधा के लाभ | Ashwagandha Powder Helps getting Relief from Chest Pain in Hindi
अश्वगंधा की जड़ का 2 ग्राम चूर्ण पानी के साथ लें। यह अश्वगंधा पाउडर लेने से सीने के दर्द में लाभ (ashwagandha powder benefits) होता है।
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पेट की बीमारी में अश्वगंधा चूर्ण के उपयोग | Ashwagandha Churna Cures Abdominal or Intestinal Worms in Hindi
अश्वगंधा चूर्ण के फायदे (ashwagandha benefits in hindi) आप इसे पेट की बीमारी में भी ले सकते हैं। पेट की बीमारी में आप अश्वगंधा चूर्ण का उपयोग कर सकते हैं। अश्वगंधा पाउडर में बराबर मात्रा में बहेड़ा चूर्ण मिलाएं। इसका 2-4 ग्राम चूर्ण गुड़ के साथ लेने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। अश्वगंधा चूर्ण में बराबर मात्रा में गिलोय पाउडर मिलाएं। इसे 5-10 ग्राम शहद के साथ नियमित रूप से लें। यह पेट के कीड़ों का इलाज करता है।
अश्वगंधा चूर्ण के उपयोग से कब्ज की समस्या का इलाज | Ashwagandha Powder Benefits in Fighting with Constipation in Hindi|
अगर आप पेट की गैस की समस्या से परेशान हैं तो आप अश्वगंधा का इस्तेमाल कर सकते हैं.. इसके लिए आप 2 ग्राम अश्वगंधा पाउडर या अश्वगंधा चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ सेवन करें इससे पेट में कब्ज की समस्या से राहत मिलती है।
गर्भधारण करने में अश्वगंधा के प्रयोग से लाभ | Ashwagandha Churna Helps in Pregnancy Problem in Hindi
एक लीटर पानी में 20 ग्राम अश्वगंधा पाउडर और 250 मिलीग्राम गाय का दूध मिलाएं। इसे कम आंच पर पकाएं। जब इसमें केवल दूध ही बचा हो, तो 6 ग्राम मिश्री और 6 ग्राम गाय का घी मिलाएं। मासिक धर्म की शुद्धिस्नान के बाद तीन दिनों तक इस व्यंजन का सेवन करने से गर्भावस्था में मदद (ashwagandha ke fayde) मिलती है।
अश्वगंधा चूर्ण के फायदे भी गर्भावस्था की समस्या में देखे जाते हैं। अश्वगंधा पाउडर को गाय के घी में मिलाएं। मासिक धर्म स्नान के बाद, इसका 4-6 ग्राम गाय के दूध या ताजे पानी के साथ हर रोज एक महीने तक लगातार लें। यह गर्भधारण में सहायक है। अश्वगंधा और सफेद कटेरी की जड़ लें। पहले महीने से पांच महीने तक दोनों का 10-10 मिलीग्राम रस का सेवन करने से अकाल गर्भपात नहीं होता है।
ल्यूकोरिया के इलाज में अश्वगंधा से फायदा | Ashwagandha Root Benefits to Cure Leukorrhea in Hindi
भारत में लगभग 40% महिलाएं ल्यूकोरिया की समस्या से परेशान हैं. इसके लिए आप मिश्री में 2-4 ग्राम अश्वगंधा की जड़ के पाउडर को मिलकर गाय के दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करें इससे ल्यूकोरिया जैसी समस्या में बहुत लाभ मिलता है।
अगर आपको ल्यूकोरिया की बहुत ज्यादा समस्या हैं तो आप अश्वगंधा, तिल, उड़द, गुड़ और घी को बराबर मात्रा में लें और इसके लड्डू बनाकर रख लें. इसके बाद हर रोज सुबह साम एक एक लड्डू खाने से भी ल्यूकोरिया जड़ से ख़त्म किया जा सकता है.
इंद्रिय दुर्बलता (लिंग की कमजोरी) दूर करता है अश्वगंधा का प्रयोग | Ashwagandha Powder Uses in Penis Weakness Problem in Hindi
असगन्ध के चूर्ण को कपड़े (कपड़छन चूर्ण) से छानने के बाद, इसमें समान मात्रा में खांड मिलाएँ और इसे रखें। एक चम्मच ताजा गाय के दूध के साथ लें और सुबह भोजन से तीन घंटे पहले इसका सेवन करें।
रात में अश्वगंधा की जड़ के चूर्ण को चमेली के तेल में मिलाकर लिंग पर लेप करने से लिंग की कमजोरी या शिथिलता (ashwagandha ke fayde) दूर हो जाती है।
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असगंध, दालचीनी और कूठ को बराबर मात्रा में पीसकर छान लें। इसे गाय के मक्खन में मिलाएं और सुबह और शाम शिश्न (लिंग) के सामने भाग में लगाकर छोड़ दें और इसे शेष लिंग पर लगाएं। थोड़ी देर बाद लिंग को गुनगुने पानी से धो लें। यह लिंग की कमजोरी या शिथिलता को दूर करता है।
अश्वगंधा का गुम गठिया के इलाज के लिए फायदेमंद | Ashwagandha Benefits in Getting Relief from Arthritis in Hindi
2 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को सुबह और शाम गर्म दूध या पानी या फिर गाय के घी या शक्कर के साथ खाने से गुम गठिया में फायदा (ashwagandha ke fayde) होता है। यह पीठ दर्द और नींद न आने की समस्या में भी राहत देती है। 30 ग्राम असगंध के ताजे पत्तों को 250 मिलीग्राम पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो इसे छानकर पी लें। एक सप्ताह तक पीने से खांसी और गठिया में विशेष लाभ होता है। इसका पेस्ट भी फायदेमंद होता है।
चोट लगने पर करें अश्वगंधा का सेवन | Uses of Ashwagandha in Injury in Hindi
अश्वगंधा चूर्ण में गुड़ या घी मिलाएं। इसे दूध के साथ लेने से बाजुओं में चोट के कारण होने वाले दर्द से राहत मिलती है।
अश्वगंधा के प्रयोग से त्वचा रोग का इलाज | Benefits of Ashwagandha in Treating Skin Diseases in Hindi
अश्वगंधा की पत्तियों का पेस्ट तैयार करें। पत्तियों के पेस्ट या काढ़े से धोने से त्वचा के कीड़े ठीक हो जाते हैं। यह मधुमेह के घावों और अन्य प्रकार के घावों का इलाज करता है। यह सूजन को दूर करने में फायदेमंद है।
अश्वगंधा की जड़ को पीसकर गुनगुना करके लेप करने से विसर्प रोग (ashwagandha ke fayde) की समस्या में लाभ होता है।
अश्वगंधा के सेवन से दूर होती है शारीरिक कमजोरी | Ashwagandha Uses to Cure Body Weakness in Hindi
- 2-4 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को निर्धारित विधि से एक वर्ष तक सेवन करने से शरीर रोग मुक्त और मजबूत बनता है।
- 10-10 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण, तिल और घी लें। इसमें तीन ग्राम की मात्रा में शहद मिलाकर 1-2 ग्राम रोजाना सर्दियों के दिनों में सेवन करने से शरीर मजबूत होता है।
- 6 ग्राम असगंध के चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री और शहद मिलाएं। इसमें 10 ग्राम गाय का घी मिलाएं। इस मिश्रण की 2-4 ग्राम की मात्रा को सर्दियों में सुबह और शाम 4 महीने तक लेने से शरीर को पोषण मिलता है।
- असगंध की जड़ के चूर्ण को 3 ग्राम की मात्रा में ताजे दूध (बिना पके) के साथ सेवन करें। एक वर्ष के लिए शुद्ध तिल के साथ वात प्रकृति और कफ प्रकृति के व्यक्ति के गुनगुने पानी साथ लें। इसके द्वारा शारीरिक कमजोरी दूर होती है (ashwagandha ke fayde) और सभी रोगों से मुक्ति मिलती है।
- 20 ग्राम बिना पका हुआ सगंधा चूर्ण, 40 ग्राम तिल और 160 ग्राम उड़द लें। इन तीनों को बारीक पीसकर इसके बड़े बना लें और एक महीने तक ताजा-ताजा खाएं। इससे शरीर की कमजोरी खत्म होती है।
- असगंधा की जड़ और चिरायता को बराबर भाग में मिलाएं, और इसे अच्छी तरह से कुचल दें। इस चूर्ण की 2-4 ग्राम मात्रा सुबह-शाम दूध के साथ लेने से शरीर की कमजोरी (ashwagandha ke fayde) दूर होती है।
- एक ग्राम असगंधा चूर्ण में 125 मिलीग्राम मिश्री डालकर गुनगुने दूध के साथ सेवन करने से वीर्य विकार दूर होता है और वीर्य मजबूत होता है और शक्ति बढ़ती है।
रक्त विकार में अश्वगंधा के चूर्ण से लाभ | Benefits of Ashwagandha in Blood Related Disorder in Hindi
अश्वगंधा पाउडर में बराबर मात्रा में खसखस पाउडर या चिरायता का चूर्ण मिलाएं। सुबह-शाम 3-5 ग्राम लेने से खून में होने वाली समस्याएं ठीक हो जाती है।
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बुखार उतारने के लिए करें अश्वगंधा का प्रयोग | Uses of Ashwagandha in Fighting with Fever in Hindi
2 ग्राम अश्वगंधा पाउडर और 1 ग्राम गिलोय सत (रस) मिलाएं। इसे रोजाना शाम को गुनगुने पानी या शहद के साथ खाने से पुराना बुखार ठीक हो जाता है।
इस्तेमाल के लिए अश्वगंधा के उपयोगी हिस्से | Useful Parts of Ashwagandha in Hindi
पत्ते
फल
बीज
जड़
अश्वगंधा से जुड़ी विशेष जानकारी – बाजारों में जो असगंधा बिकती है उसमें काकनज की जड़े मिली हुई होती हैं। कुछ लोग इसे देशी असगंध भी कहते हैं। काकनज की जड़ें असगंधा से कम गुण वाली होती हैं। जंगली अश्वगंधा का बाहरी प्रयोग ज्यादा होता है।
बाजारों में बिकने वाली असगंधा में काकनज की जड़े मिली होती हैं। कुछ लोग इसे देशी असगंधा भी कहते हैं। काकनज की जड़ें असगंध की तुलना में कम गुणवत्ता वाली होती हैं। जंगली अश्वगंधा का उपयोग आमतौर पर बाहरी रूप से किया जाता है।
अश्वगंधा का सेवन कैसे करें | How Much to Consume Ashwagandha in Hindi
अश्वगंधा के सही लाभ प्राप्त करने के लिए, यह जानना आवश्यक है कि अश्वगंधा का सेवन कैसे करें। अश्वगंधा के सही लाभ पाने और नुकसान से बचने के लिए, डॉक्टर के परामर्श के अनुसार इसका सेवन करना चाहिए.
- अश्वगंधा जड़ का चूर्ण – 2-4 ग्राम
- अश्वगंधा का काढ़ा – 10-30 मिलीग्राम
अश्वगंधा से नुकसान | Ashwagandha Side Effects in Hindi
गर्म प्रकृति के व्यक्ति के लिए अश्वगंधा का उपयोग हानिकारक होता है।
अश्वगंधा के हानिकारक प्रभाव गोंद, कतीरा और घी के उपयोग से ठीक हो जाते हैं।
अश्वगंधा कहां पाया या उगाया जाता है | Where is Ashwagandha Found or Grown?
अश्वगंधा पौधे पूरे भारत में और विशेष रूप से शुष्क क्षेत्रों में पायी जाती हैं। अश्वगंधा के पेड़ अपने आप ही उगते हैं। इसकी खेती भी की जाती है। ये जंगलों में पाए जाते हैं। अश्वगंधा के पौधे 2000-2500 मीटर की ऊंचाई तक पाए जाते हैं।
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