इस दुनिया में शतावरी (Shatavari) का नाम बहुत ही कम लोगों जानते हैं, इसलिए बहुत ही कम लोग शतावरी के प्रयोग और उसके फायदों में वारे में जानते हैं। प्राचीन समय से ही आयुर्वेद में शतावरी को एक बहुत ही फायदेमंद जड़ी-बूटी के रूप में माना गया है। आयुर्वेदिक डॉक्टर और आयुर्वेद से जुड़े बहुत से लोग शतावरी को अनेक बीमारियों की रोकथाम, इलाज के लिए प्रयोग में लाते हैं। अगर आपको शतावरी के फायदे के बारे में जानकारी नहीं है, तो इस लेख के माध्यम से आपको शतावरी से जुडी हर बात की जानकारी मिलेगी. आईएसकेडी मेडीफिट, आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरुप सिंह
शतावरी क्या है? (What is Shatavari in Hindi?)
आपको बता दें की शतावरी बेल या झाड़ (shatavari plant) के रूप वाली एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है। इसकी लता फैलने वाली और झाड़ीदार होती है। एक-एक बेल के नीचे कम से कम 100 से भी अधिक जड़ें फैली होती हैं। ये जड़ें लगभग 30-100 सेमी लम्बी एवं 1-2 सेमी मोटी होती हैं। जड़ों के दोनों सिरें नुकीली होती हैं।
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शतरावरी लिली के परिवार से संबंधित औषधी है जो अपने गुणों के कारण दुनिया भर में लोकप्रिय है। शतावरी पौधे के प्रत्येक भाग का औषधीय उपयोग किया जाता है। कुछ लोग इसे खाद्य सब्जी के रूप में भी उपयोग करते हैं। आमतौर पर शतावरी 3 रंगों में आता है हरा, सफेद और बैंगनी। शतावरी फाइटोकेमिकल्स और एंन्थेकायनिन (phytochemicals and anthocyanins) की उपस्थिति के कारण अपना रंग प्राप्त करती है।
शतावरी की इन जड़ों के ऊपर भूरे रंग का पतला छिलका रहता है। इस छिलके को निकाल देने से अन्दर दूध के समान सफेद जड़ें निकलती हैं। इन जड़ों के बीच में कड़ा रेशा होता है, जो गीली एवं सूखी अवस्था में ही निकाला जा सकता है।
आईएसकेडीमेडीफिट के अनुसार, शतावरी कर प्रयोग अनेक बीमारियों के इलाज में किया जाता है। शतावरी के भी दो प्रकार होते हैं.
- विरलकन्द शतावर (Asparagus filicinus -Ham ex D.Don)
इसके कन्द छोटे, मांसल, फूले हुए तथा गुच्छों में लगे हुए होते हैं। इसके कन्द का काढ़ा बनाकर सेवन किया जाता है। - कुन्तपत्रा शतावर (Asparagus gonoclados Baker)
यह झाड़ीनुमा पौधा होता है। इसके कन्द छोटे, और मोटे होते हैं। इसके फूल सफेद रंग के होते हैं और फल गोल होते हैं। कच्ची अवस्था में फल हरे रंग के और पकने पर लाल रंग के हो जाते हैं। इसके कंद शतावर से छोटे होते हैं।
शतावरी की तासीर – Shatavari ki taseer in Hindi
आपको बता दें की विशेष रूप से शतावरी का उपयोग महिला स्वास्थ्य के लिए होते हैं इसीलिए इसको महिलाओं की सहेली के नाम से भी जाना जाता है। शतावरी का नियमित उपभोग कर महिला बांझपन को दूर किया जा सकता है साथ ही यह स्तनपान कराने वाली माताओं में दूध उत्पादन की क्षमता में वृद्धि करती है। आपको बता दें की प्राचीन आयूर्वेद के अनुसार शतावरी की तासीर होती है वह ठंडी होती है।
शतावरी को कई अलग अलग नामों से जाना जाता है (Name of Shatavari in Different Languages)
दुनिया भर में शतावरी (Satavari) को कई नामों से जाना जाता है जो ये हैंः-
Asparagus in Hindi or Asparagus meaning in Hindi- सतावर, सतावरि, सतमूली, शतावरी, सरनोई
Shatavari in English- Wild asparagus (वाईल्ड एस्पैरागस)
Asparagus in Sanskrit-शतावरी, शतपदी, शतमूली, महाशीता, नारायणी, काञ्चनकारिणी, पीवरी, सूक्ष्मपत्रिका, अतिरसा, भीरु, नारायणी, बहुसुता, बह्यत्रा, तालमूली, नेटिव एस्पैरागस (Native asparagus)
Asparagus in Urdu- सतावरा (Satavara)
Asparagus in Oriya- चोत्तारु (Chhotaru), मोहनोले (Mohnole)
Asparagus in Gujarati- एकलकान्ता (Ekalkanta), शतावरी (Shatavari)
Asparagus in Tamil or Asparagus meaning in tamil- किलावरि (Kilavari), पाणियीनाक्कु (Paniyinakku)
Asparagus in Telugu or Asparagus in telugu- छल्लागडडा (Challagadda), एट्टावलुडुटीगे (Ettavaludutige);
Asparagus in Bengali- शतमूली (Shatamuli), सतमूली (Satmuli)
Asparagus in Punjabi- बोजान्दन (Bozandan); बोजीदान (Bozidan)
Asparagus in Marathi- अश्वेल (Asvel), शतावरी (Shatavari)
Asparagus in Malayalam- शतावरि (Shatavari), शतावलि (Shatavali)
Asparagus in Nepali- सतामूलि (Satamuli), कुरीलो (Kurilo)
Asparagus in Arabic- शकाकुल (Shaqaqul)
Asparagus in Persian- शकाकुल (Shaqaqul)
शतावरी के फायदे (Shatavari Benefits and Uses in Hindi)
आयुर्वेद के अनुसार प्राचीन काल से ही शतावरी का अलग अलग विमारियों के लिए अलग अलग तरीकों से इस्तेमाल किया जाता रहा है। शतावरी के अनगिनत फायदे हैं अगर आप शतावरी का इस्तेमाल करने की सोच रहे हैं तो आपको शतावरी के आयुर्वेदीय गुण-कर्म, उपयोग के तरीके, उपयोग की मात्रा, एवं विधियों की जानकारी होना जरूरी है.
गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद शतावरी का सेवन (Uses of Shatavari is Beneficial for Pregnant Women in Hindi)
गर्भवती महिलाओं के लिए शतावरी के फायदे बहुत ही लाभकारी सिद्ध होते हैं। गर्भवती महिलाएं शतावरी, सोंठ, अजगंधा, मुलैठी तथा भृंगराज को समान मात्रा में लें और इनका चूर्ण बना लें। इसे 1-2 ग्राम की मात्रा में लेकर बकरी के दूध के साथ पिएं। इससे गर्भस्थ शिशु स्वस्थ रहता है।
स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए शतावरी का सेवन (Benefits of Shatavari for Increasing Breast Milk in Hindi)
कई महिलाओं को मां बनने के बाद स्तनों में दूध की कमी की शिकायत होती है। ऐसी स्थिति में महिलाएं 10 ग्राम शतावरी के जड़ के चूर्ण (shatavari powder) को दूध के साथ सेवन करें। इससे स्तनों में दूध की वृद्धि होती है। इसलिए डिलीवरी के बाद भी शतावरी के फायदे महिलाओं को मिलना उनके सेहत के लिए अच्छा होता है।
- 1-2 ग्राम शतावरी के जड़ से बने पेस्ट का दूध के साथ सेवन करें। इससे स्तनों में दूध अधिक होता है।
- इसी तरह शतावरी को गाय के दूध में पीस कर सेवन करें। इससे दूध स्वादिष्ट और पौष्टिक भी हो जाता है।
शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए शतावरी का प्रयोग (Shatavari Benefits to Treat Body Weakness in Hindi)
जो लोग शारीरिक कमजोरी, या शरीर में ताकत की कमी महसूस कर रहे हैं। वे शतावरी को घी में पकाकर मालिश करें, इससे शरीर की कमजोरी दूर होती है। सामान्य कमजोरी दूर करने में शतावरी के फायदे बहुत लाभकारी सिद्ध होते हैं।
सेक्सुअल पॉवर (स्टेमना) को बढ़ाने के लिए शतावरी का सेवन (Shatavari Benefits for Increasing Sexual Power in Hindi)
कई लोग मर्दानगी ताकत की कमी, या सेक्सुअल स्टेमना की कमी से भी परेशान देखे जाते हैं। ऐसे व्यक्ति शतावरी के इस्तेमाल से फायदा ले सकते हैं। इसमें शतावर को पका कर सेवन करें।इसके अलावा दूध के साथ शतावरी चूर्ण की खीर बनाकर खाने से भी सेक्सुअल स्टेमना में वृद्धि होती है।
वीर्य दोष को ठीक करने के लिए शतावरी का सेवन (Shatavari Benefits for Sperm Count Problem in Hindi)
वीर्य की कमी की समस्या में 5-10 ग्राम शतावरी को घी के साथ रोज सेवन करना चाहिए। इससे वीर्य की वृद्धि होती है।
प्रजनन क्षमता में कमी कोई गंभीर समस्या नहीं है। समय के साथ गलत खानपानी और खराब जीवन शैली इस प्रकार के लक्षणों को बढ़ा सकती है। लेकिन यदि कुछ घरेलू उपचार और पौष्टिक आहारों का सेवन कर प्रजनन क्षमता में वृद्धि की जा सकती है। शतावरी भी ऐसे ही उपायो में से एक है। शतावरी पौधे की जड़ों में कामोद्दीप (aphrodisiac) गुण होते हैं। जिसके कारण यह महिला और पुरुषों दोनों की यौन समस्याओं को दूर कर सकता है।
नियमित रूप से शतावरी का उपभोग शरीर में हार्मोनल संतुलन को बनाए रखने में सहायक होता है। इसके अलावा यह कामेच्छा को बढ़ाने में भी मदद करता है साथ ही पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या में वृद्धि भी करता है। महिलाओं द्वारा नियमित सेवन करने से यह रजोनिवृत्ति सिंड्रोम और एनीमिया का इलाज कर सकता है। इस तरह से शतावरी के फायदे महिला और पुरुष यौन स्वास्थ्य के लिए होते हैं।
अनिद्रा रोग (नींद ना आने की परेशानी) में शतावरी का इस्तेमाल (Shatavari Benefits in Insomnia in Hindi)
कई लोगों को नींद ना आने की परेशानी होती है। ऐसे लोग 2-4 ग्राम शतावरी चूर्ण को दूध में पका लें। इसमें घी मिलाकर खाने से नींद ना आने की परेशानी खत्म होती है। कहने का मतलब यह है कि शतावर चूर्ण अनिद्रा की बीमारी में बहुत ही लाभकारी हैं।
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शतावरी के फायदे वजन कम करने में (Shatavari ke fayde vajan kam karne me in Hindi)
यदि आप अपना वजन कम करना चाहते हैं तो शतावरी का उपयोग कर सकते हैं। अध्ययनों ने बताया है कि शतावरी के फायदे वजन कम करने में मदद करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि शतावरी में फाइबर की उच्च मात्रा होती है। शतावरी न केवल मानव पाचन तंत्र को स्वस्थ्य रखता है बल्कि भूख को भी नियंत्रित कर सकता है। अधिक भूख लगना भी आपके मोटापे का प्रमुख कारण हो सकता है। इस तरह से अन्य स्वास्थ्य लाभ दिलाने के साथ ही शतावरी वजन को प्रभावी रूप से नियंत्रित कर सकती है। वजन घटाने के लिए आप भी शतावरी का उपयोग कर सकते हैं.
शतावरी के लाभ मधुमेह के लिए (Shatavari ke labh madhumeh ke liye in Hindi)
जो लोग मधुमेह से ग्रसित हैं उनके लिए शतावरी बहुत ही प्रभावी मानी जाती है। शतावरी में मौजूद विटामिन बी6 रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित कर सकता है। इसके अलावा शतावरी का उपयोग मधुमेह प्रकार 2 के लक्षणों को भी नियंत्रित करने में सहायक होता है। ऑक्सीडेटिव तनाव, हृदय रोग और अन्य कारणों से मधुमेह प्रकार 2 की संभावना बढ़ जाती है। लेकिन शतावरी में मौजूद पोषक तत्व और अन्य घटक इन संभावनाओं को कम कर सकते हैं। क्योंकि शतावरी में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं। इन गुणों के कारण शरीर में इंसुलिन उत्पादन में सुधार देखा जा सकता है। यदि आप भी मधुमेह रोगी हैं तो शतावरी का नियमित उपभोग कर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
सांसों के रोग में शतावरी से लाभ (Shatavari Uses in Respiratory Disease in Hindi)
शतावरी पेस्ट एक भाग, घी एक भाग, तथा दूध चार भाग लें। इन्हें घी में पकाएं। इसे 5-10 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इससे सांसों से संबंधित रोग, रक्त से संबंधित बीमारी, सीने में जलन, वात और पित्त विकार, और बेहोशी की परेशानी से आराम मिलता है।
बवासीर में शतावरी से फायदा (Uses of Shatavari in Piles Treatment in Hindi)
बवासीर में शतावरी का उपयोग करना बेहतर परिणाम देता है। 2-4 ग्राम शतावरी चूर्ण (shatavari churna) को दूध के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
पेचिश में फायदेमंद शतावरी का प्रयोग (Uses of Shatavari to Stop Dysentery in Hindi)
ताजी शतावर को दूध के साथ पीस छान लें। इसे दिन में 3-4 बार पीने से पेचिश (मल के साथ खून आने की बीमारी) में फायदा होता है।
शतावरी से बने घी को पीने से पेचिश में आराम मिलता है।
सर्दी-जुकाम में शतावरी का उपयोग (Benefits of Shatavari in Treating Cold and Cough in Hindi)
शतावरी का सेवन सर्दी-जुकाम में भी फायदेमंद होता है। आप शतावरी की जड़ का काढ़ा बना लें। इसे 15-20 मिली मात्रा में पीने से आराम मिलता है।
गला बैठने (आवाज बैठना) पर शतावरी से फायदा (Uses of Shatavari for Throat Problem in Hindi)
अधिक जोर से बोलने, या चिल्लाने पर गला बैठना (आवाज का बैठना) आम बात है। ऐसी परेशानी में शतावर, खिरैटी (बला), और चीनी को मधु के साथ चाटने से लाभ होता है।
सूखी खांसी के उपचार के लिए शरातवरी का उपयोग (Shatavari Benefits in Dry Cough Treatment in Hindi)
सूखी खांसी से परेशान रहते हैं, तो 10 ग्राम शतावरी, 10 ग्राम अडूसे के पत्ते, और 10 ग्राम मिश्री को 150 मिली पानी के साथ उबाल लें। इसे दिन में 3 बार पीने से सूखी खांसी खत्म हो जाती है। कफ होने पर शतावरी, एवं नागबला का काढ़ा, और चूर्ण को घी में पका लें। इसका सेवन करने से कफ विकार में लाभ होता है।
शतावरी चूर्ण का प्रयोग कर स्वप्न दोष का इलाज (Shatavari Benefits in Nightfall Treatment in Hindi)
स्वप्न दोष को ठीक करने के लिए ताजी शतावर की जड़ का चूर्ण बना लें। इसे 250 ग्राम तथा 250 ग्राम मिश्री को मिलाकर कूट-पीस लें। इसे 6-11 ग्राम चूर्ण को, 250 मिली दूध के साथ सुबह-शाम लें। इससे स्वप्न दोष दूर होता है, और शरीर स्वस्थ रहता है। शतावर चूर्ण के फायदे का पूरा लाभ तभी मिलता है जब चूर्ण को सही तरह से बनाया जाय और सही तरह से इसका सेवन किया जाय।
अपच की समस्या में शतावरी के सेवन से फायदा (Benefits of Shatavari in Indigestion in Hindi)
खाना ठीक से नहीं पच रहा है, तो शतावरी का उपयोग (satawar ke fayde) करना लाभ पहुंचाता है। 5 मिली शतावर के जड़ के रस को मधु, और दूध के साथ मिला लें। इसे पिलाने से अपच जैसी परेशानी से शान्ति मिलती है।
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शतावरी के इस्तेमाल से रतौंधी में लाभ (Benefits of Shatavari in Night Blind in Hindi)
शतावरी के इस्तेमाल से रतौंधी में भी लाभ होता है। घी में शतावरी के मुलायम पत्तों को भूनकर सेवन करें।
शतावरी का प्रयोग दस्त रोकने के लिए (Shatavari Uses to Stop Diarrhea in Hindi)
लोग दस्त से परेशान रहते हैं, तो 5 ग्राम शतावरी घी का सेवन करें। इससे दस्त पर रोक लगती है।
मूत्र विकार के इलाज के लिए शतावरी का सेवन (Uses of Shatavari in Urinary Disease Treatment in Hindi)
- शतावरी पेशाब संबंधी परेशानियों में भी काम करता है। इसमें शतावर 10-30 मिली, और गोखरू का शर्बत बनाकर पीने से लाभ होता है।
- कई लोग बार-बार पेशाब आने से परेशान रहते हैं, ऐसे में 10-30 मिली शतावर के जड़ का काढ़ा बना लें। इसमें मधु और चीनी मिलाकर पीने से लाभ होता है।
- पेशाब की जलन की बीमारी में 20 ग्राम गोखरू पंचांग के बराबर शतावर को मिला लें। इसे आधा लीटर पानी में उबाल लें। इसे छानकर 10 ग्राम मिश्री और 2 चम्मच मधु मिला लेंं। इसे थोड़ा-थोड़ा पिलाने से पेशाब की जलन, और बार-बार पेशाब आने की परेशानी में आराम मिलता है।
पेट दर्द में शतावरी से लाभ (Shatavari Uses in Pitta Disorder in Hindi)
पित्त दोष के कारण होने वाले पेट के दर्द में भी शतावरी का फायदा लिया जा सकता है। रोज सुबह 10 मिली शतावरी के रस में 10-12 ग्राम मधु मिलाकर पीने से लाभ होता है।
सिर दर्द में फायदेमंद है शतावरी का प्रयोग (Benefits of Shatavari in Relief from Headache in Hindi)
शतावरी सिर दर्द से भी आराम दिलाता है। शतावर की ताजी जड़ को कूटकर, रस निकाल लें। इसमें रस के बराबर ही तिल का तेल डालकर उबाल लें। इस तेल से सिर पर मालिश करें। इससे सिर दर्द, और अधकपारी (आधासीसी) में आराम मिलता है।
नाक के रोग में शतावरी का प्रयोग फायदेमंद (Uses of Shatavari for Nasal Disorder in Hindi)
नाक की बीमारियों में 5 ग्राम शतावरी चूर्ण (shatavari powder) को 100 मिली दूध में पका लें। इसे छानकर पीने से नाक के रोग खत्म हो जाते हैं। शतावर चूर्ण के फायदे नाक संबंधी रोगों के उपचार के लिए बहुत ही लाभकारी होते हैं।
शतावरी का उपयोग घाव सुखाने के लिए (Shatavari Uses for Healing Wound in Hindi)
शतावरी के 20 ग्राम पत्तों के चूर्ण बनाकर दोगुने घी में तल लें। अब इस शतावरी चूर्ण को अच्छी तरह पीस कर घाव पर लगाएं। इससे पुराना घाव भी ठीक हो जाता है।
आंख के रोग में शतावरी का इस्तेमाल (Benefits of shatavari in eye problem)
5 ग्राम शतावरी जड़ को 100-200 मिली दूध में पका लें। इसे छानकर पीने से आंख के रोगों में लाभ होता है।
पुराना घी, त्रिफला, शतावरी, परवल, मूंग, आंवला, तथा जौ का रोज सेवन करें। इससे आंखों के रोग में लाभ (shatavari benefits) होता है।
गोनोरिया (सुजाक) में शतावरी से लाभ (Uses of Shatavari in Gonorrhea Treatment in Hindi)
सुजाक या गोनोरिया, यौन से संबंधित एक रोग है। यह बैक्टीरिया से होता है। इस बीमारी से ग्रस्त रोगी 20 मिली शतावर के रस को, 80 मिली दूध में मिलाकर पिएं। इससे सुजाक में फायदा होता है।
बुखार में शतावरी से लाभ (Shatavari Uses in Fighting with Fever in Hindi)
शतावर और गिलोय के बराबर-बराबर भाग के 10 मिली रस में थोड़ा गुड़ मिलाकर पिएं। इससे बुखार में लाभ होता है। 20-40 मिली काढ़ा में 2 चम्मच मधु मिलाकर पीने से बुखार में लाभ होता है।
पुरानी पथरी के रोग में शतावरी का इस्तेमाल (Benefits of shatavari for Kidney Stone in Hindi)
पथरी की बीमारी से परेशान मरीज 20-30 मिली शतावरी के जड़ से बने रस में बराबर मात्रा में गाय के दूध को मिलाकर पिएं। इससे पुरानी पथरी भी जल्दी गल जाती है।
मुत्रवर्धक गुणों के लिए शतावरी का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन शतावरी के फायदे गुर्दे की पथरी को रोकने में भी मदद करते हैं। हालांकि इस दावे की पुष्टि के लिए कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं हैं। फिर भी मूत्रवर्धक गुण होने के कारण ऐसा माना जाता है। इस तरह से यदि आपको पथरी की समस्या है तो शतावारी का उपयोग कर सकते हैं।
शतावरी के औषधीय गुण कैंसर से बचाये (Shatavari ke aushadhiya gun cancer se bachaye in Hindi)
महिलाओं में फोलेट की कमी स्तन कैंसर की संभावना को बढ़ा सकता है। लेकिन यदि आहार के माध्यम से फोलेट की पर्याप्त मात्रा प्राप्त की जाए तो पेट कैंसर, अग्नाशय और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से बचा जा सकता है। इन लाभों को देखते हुए महिलाओं को शतावरी के सेवन पर ध्यान देना फायदेमंद हो सकता है। यह ज्ञात नहीं है कि फोलेट कैंसर को कैसे नियंत्रित करता है। लेकिन अध्ययन कर्ताओं का मानना है कि फोलेट कैंसर के विकास को रोकने में सहायक होता है। इस तरह से महिलाएं विशेष रूप से शतावरी का सेवन कर लाभ प्राप्त कर सकती हैं।
डिप्रेशन दूर करने के उपाय शतावरी (Depression dur karne ke upay shatavari in Hindi)
अवसाद ग्रसित लोग आसानी से मानसिक बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। लेकिन यदि वे अवसाद से निकलना चाहते हैं तो आयुर्वेदिक उपचार ले सकते हैं। शतावरी का सेवन करना भी एक आयुर्वेदिक उपचार ही है जो अवसाद को दूर कर सकता है। शतावरी में फोलेट की अच्छी मात्रा होती हैजो मस्तिष्क में होमोसिस्टीन के स्तर को कम किये बिना अवसाद को रोकता है।
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होमोसिस्टीन रक्त में मौजूद पोषक तत्वों को मस्तिष्क तक पहुंचने से रोकता है और अवसाद के स्तर को बढ़ाता है। यदि शरीर में होमोसिस्टीन की उच्च मात्रा होती है तो यह कुछ अच्छे हार्मोन जैसे सेरोटोनिन, डोपामाइन और नॉरपेनेफ्रिन आदि के उत्पादन को प्रभावित करता है। इस तरह से होमोसिस्टीन के स्तर को कम करने के लिए आप शतावरी को अपने आहार में शामिल कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
शतावरी के गुण दिमाग तेज करे (Shatavari ke gun dimag tej kare in Hindi)
आप अपने आहार में शतावरी का उपयोग मस्तिष्क स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकता है। यह शतावरी के फायदों में से एक है। शतावरी में थाइमिन (thiamine) की अच्छी मात्रा होती है जो मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होता है। थाइमिन की कमी के कारण मस्तिष्क संबंधी समस्याएं होने की संभावना अधिक होती है। लेकिन यदि आप अपने बच्चों को शतावरी का नियमित सेवन कराते हैं तो यह उनके दिमाग को भी तेज कर सकता है। इसके अलावा शतावरी से थाइमिन की कमी को पूरा कर आप कुछ प्रकार के मनोभ्रंश और अल्जाइमर जैसी बीमारियों से भी बच सकते हैं। जिन लोगों की स्मरण क्षमता कम होती है उनके लिए शतावरी एक अच्छा उपाय हो सकता है।
शतावरी के उपयोगी भाग (Useful Parts of Shatavari)
- जड़
- जड़ से तैयार काढ़ा
- पत्ते
- पेस्ट
- चूर्ण (shatavari churna)
शतावरी का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Shatavari in Hindi?)
आप शतावरी का उपयोग इस तरह से कर सकते हैंः-
- रस- 10-20 मिली
- काढ़ा- 50-100 मिली
- चूर्ण- 3-6 ग्राम
शतावरी के नुकसान – Shatavari ke Nuksan in हिंदी
आयुर्वेदिक जड़ी बूंटी होने के बाद भी शतावरी के अपने कुछ नुक्सान भी होते हैं इसलिए शतावरी का उपयोग करने से पहले इससे होने वाले नुकसान की भी जानकारी होने चाहिए. शतावरी का इस्तेमाल करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक या आयुर्वेदिक वैध जी से परामर्श जरूर लें.
- यह गुर्दे के पत्थरों का इलाज कर सकता है। लेकिन कुछ लोगों को सावधानी से उपयोग करना चाहिए। क्योंकि यह गुर्दे संबंधी अन्य समस्याओं को बढ़ा सकता है।
- शतावरी एक मूत्रवर्धक के रूप में उपयोग की जाती है। लेकिन जो लोग दस्त से ग्रसित हैं उन्हें शतावरी का उपयोग करने से बचना चाहिए।
- कुछ लोगों को शतावरी का सेवन करने से एलर्जी भी हो सकती है।
- सांस लेने में दिक्कत
- त्वचा और आंखों में खुजली
- त्वचा में चकते या दाने
- उच्च हृदय गति
- चक्कर आना आदि समान्य दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
शतावरी कहां पाया या उगाया जाता है?(Where is Shatavari Found or Grown?)
भारत (asparagus in india) में शतावरी की खेती अनेक स्थानों पर की जाती है। इसकी खेती हिमालयी क्षेत्रों में 1500 मीटर तक की ऊंचाई पर होती है। शतावरी मुख्यतः गंगा के ऊपरी मैदानी क्षेत्रों, और बिहार के पठारी भागों में पाई जाती है।
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