अशोक का परिचय (Introduction of Ashoka)
प्राचीन आयुर्वेद में अशोक वृक्ष को हेमपुष्प या ताम्रपल्लव के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो अशोक वृक्ष (ashok vriksha) के विभिन्न अंग यानि फूल, पत्ता आदि को महिलाओं की सेहत संबंधी समस्याओं के लिए बहुत ही फायदेमंद माना जाता है, लेकिन इसके पौष्टिक और उपचारत्मक गुणों के कारण बहुत सारी बीमारियों के लिए प्राहसीन आयुर्वेद में औषधि के रुप में अशोक वृक्ष का इस्तेमाल (ashoka tree uses) किया जाता है।
प्राचीन आयुर्वेद में अशोक की छाल, पत्ता (ashok ka patta), फूल और बीज का इस्तेमाल बहुत सी औषिधियों को बनाने के रुप में किया जाता है। बड़ी बड़ी कंपनियां भी अशोक छाल का इस्तेमाल बहुत दवाइयां बनाने में करते हैं। अशोक के पेड़ का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है, क्योंकि यह कई गंभीर समस्याओं के साथ-साथ स्त्री संबंधी रोगों के लिए भी अचूक माना जाता है। अशोक के पेड़ के फायदे क्या हैं? आईएसकेडी मेडीफिट के इस लेख में हम आपको अशोक की छाल और अशोक वृक्ष के वारे में विस्तार से बताएंगे।
अशोक के पेड़ का वैज्ञानिक नाम सरका असोच है. जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, अशोक का पेड़ शिव को नष्ट करता है. अशोक वृक्ष भारतीय उपमहाद्वीप यानी नेपाल भारत और श्रीलंका में पाया जाता है. इस वृक्ष से हिंदू और बौद्ध धर्म की धार्मिक आस्था भी जुड़ी हुई है. अशोक के पेड़ के फायदे कि यदि बात की जाए तो यह स्त्री रोग, मूत्र रोग और रक्त बहने आदि में काफी लाभदायक है।
अशोक वृक्ष की छाल स्वभाव में रुखी, कसैली और ठंडी होती है. औषधि उपयोग के लिए अशोक के छाल, पत्तियों, फूलों और बीजों का प्रयोग किया जाता है. अशोक वृक्ष के छाल में उड़नशील तेल, सेपोनिन, कैटिकाल, टैनिन, आयरन, ग्लाइकोसाइड, कैल्शियम और कीटोस्टेरोल आदि यौगिकों की प्रचुरता होती है।
अशोक वृक्ष क्या होता है? (What is Ashoka Tree in Hindi?)
प्राचीनकाल में प्रसन्नता एवं शोक को दूर करने के लिए अशोक वाटिकाओं एवं उद्यानों का प्रयोग होता था और इसी आश्रय से इसके नाम शोकनाश, विशोक, अपशोक आदि रखे गए हैं। सनातनी वैदिक लोग तो इस पेड़ को पवित्र एवं आदरणीय मानते ही हैं, किन्तु बौद्ध भी इसे विशेष आदर की दृष्टि से देखते हैं; क्योंकि कहा जाता है कि भगवान बुद्ध का जन्म अशोक वृक्ष (ashok tree in hindi) के नीचे हुआ था। इसका सम्बन्ध कामदेव से भी है। पुष्प धन्वा (कामदेव) के पंचपुष्प बाणों में अशोक पुष्प की भी गणना की गई है और इसके पर्यायवाची नामों में स्मराधिवास, नट आदि नाम भी सम्मिलित किए गए है।
मुख्यतया अशोक की दो प्रजातियां होती हैं, जिनका प्रयोग चिकित्सा के लिए किया जाता है। काष्ठदारु (Polyalthia longifolia) की प्राय: अशोक वृक्ष (ashok tree in hindi)के रूप में पहचान की जाती है, जो गलत है; वास्तविक अशोक (Saracaasoca) या सीता अशोक होता है, जिसमें सिंदूरी या लाल रंग के फूल आते हैं तथा काष्ठदारु में पीले-हरे रंग के फूल (ashok phool) आते हैं। काष्ठदारु वृक्ष की लम्बाई (15-20 मी तक) भी वास्तविक अशोक (6-9 मी तक) से अधिक होती है। इस लेख में आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरूप सिंह द्वारा अशोक छाल के फायदे और नुकसान को लेकर पूरी विस्तृत जानकारी दी जाएगी
अन्य भाषाओं में अशोक वृक्ष का नाम (Name of Ashoka Tree in Different Languages)
अशोक वृक्ष का वानास्पतिक नाम Saraca asoca (Roxb.) de Willd (साराका असोका) Syn-Jonesia asoca Roxb है। अशोक Caesalpiniaceae (सेजैलपिनिएसी) कुल का होता है। अशोक वृक्ष को अंग्रेजी में Ashoka tree (अशोक ट्री) कहते हैं। भारत में अशोक वृक्ष को विभिन्न नामों से पुकारा जाता है। जैसे-
Ashoka in-
Sanskrit-हेमपुष्प, वञ्जुल, अशोक, कङकेलि, ताम्रपल्लव, पिण्डपुष्प, गन्धपुष्प;
Hindi-अशोक, सीता अशोक;
Odia-ओशोको (Oshoko);
Kannada–अशोक (Ashoka), अशुगे (Ashuge);
Gujrati-अशोक (Ashok), अशोपल्लव (Ashopalava);
Tamil-अशोगम (Asogam), असोगु (Asogu);
Telegu-असोकामु (Asokamu);
Bengali-असोक (Asok);
Nepali-अशऊ (Ashau), अशोक (Ashok);
Panjabi-असोक (Asok);
Marathi-अशोक (Ashoka), जसुन्दी (Jasundi);
Malayalam–अशोकामु (Asokamu)।
English-सौरो-लैस ट्री (Sorrow-less tree);
Arbi-अशोक (Ashok);
Persian-बर्ग अशोक (Bargh-e-ashok)
Nakli Ashoka in-
Sanskrit-काष्ठदारु;
Hindi-नकली अशोक, देबदारी;
Odia-असुपल (Asupal), देवदारु (Devdaru);
Assamese-उन्बोई (Unboi);
Kannada–उब्बिना (Ubbina), हेस्सारे (Hessare);
Gujrati-असोपल्लव (Asopallav), अशोपालो (Asopalo);
Telegu-नारा मामिदि (Nara mamidi), असोकमू (Asokamu), देवदारू (Devdaru);
Tamil-नेटिट्लिंगु (Nettilingu);
Bengali-देबदारू (Debdaru), देवदारू (Devdaru);
Nepali-नक्कली अशोक (Nakkali ashok);
Marathi-रनकासविंदा (Rankasvinda);
Malayalam–अराना (Arana), चोरनी (Chorani), अरेनी (Aranei)।
English-इण्डियन फर (Indian fir), बुद्ध ट्री (Buddha tree), इण्डियन विलो (Indian willow)।
अशोक वृक्ष के फायदे (Ashok Tree Uses and Benefits in Hindi)
वैसे तो अशोक वृक्ष मूल रूप से स्त्रीजनित रोगों के लिए लाभकारी होता है लेकिन इनके अलावा अशोकारिष्ट के फायदे किन-किन रोगों के लिए फायदेमंद हैं ये जानने के लिए आगे विस्तार से जानते हैं-
वाइट डिस्चार्ज में फायदेमंद अशोक की छाल (Ashok chal to Treat Leukorrhea in Hindi)
वाइट डिस्चार्ज यानी ल्यूकोरिया (White Discharge Meaning in Hindi) महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या है। ल्यूकोरिया की समस्या से राहत पाने के लिए आप अशोक की छाल का उपयोग (Ashoka Tree Bark Uses) कर सकती हैं। इसके लिए अशोक की छाल को पानी में उबालकर पी लें। पानी तब तक उबालें, जब तक पानी आधा न हो जाए।
महिलाओं को अक्सर योनि से सफेद पानी निकलने की समस्या होती है। सफेद पानी का स्राव अत्यधिक होने पर कमजोरी भी हो जाती है। इससे राहत पाने में अशोक का सेवन फायदेमंद होता है।
- अशोक छाल चूर्ण और मिश्री को समान मात्रा में पीस कर, 3 ग्राम की मात्रा में लेकर गाय के दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से सफेद पानी में लाभ होता है।
- 15-25 मिली अशोक छाल (ashok chhal benefits)काढ़ा को दूध में मिलाकर सुबह शाम पिलाने से सफेद पानी और रक्त-प्रदर में लाभ होता है।
- 3 ग्राम अशोक छाल को चावल के धोवन में पीस-छानकर इसमें 1 ग्राम रसौत और 1 चम्मच मधु मिलाकर नियमित सुबह शाम सेवन से प्रदर में लाभ होता है। इस प्रयोग के साथ अशोक छाल के काढ़े में फिटकरी मिलाकर योनि को धोना चाहिए।
बवासीर में कारगर अशोक के पेड़ की छाल (Ashok Tree to Deal with Piles in Hindi)
प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में कभी-न-कभी बवासीर का सामना जरूर करता है। अशोक की पेड़ की छाल का उपयोग बवासीर की समस्या (Piles Home Remedy in Hindi ) होने पर भी किया जा सकता है। इसके लिए आप एक चम्मच अशोक की छाल का पाउडर लें, इसमें शहद और पानी के साथ मिलाकर लें। इससे मल त्याग में आसानी होगी, बवासीर के दर्द (Piles Pain Killer) में भी आराम मिलेगा। अशोक के पेड़ की छाल बवासीर की समस्या से राहत दिलाती है।
अगर ज्यादा मसालेदार, तीखा खाने के आदि है तो पाइल्स या बवासीर के बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है। उसमें बवासीर का घरेलू उपाय बहुत ही फायदेमंद साबित होता है। काष्ठदारु पत्ते को पीसकर बवासीर के मस्सों पर लगाने से बवासीर में लाभ होता है।
दस्त को रोकने में फायदेमंद अशोक (Ashok Beneficial to Treat Diarrhoea in Hindi)
अशोक में एंटी डायरियल गुण पाए जाने के कारण यह डायरिया या दस्त को रोकने में मदद करता है। साथ ही इसमें कषाय गुण होने के कारण यह आँतों में होने वाले अत्यधिक जलीयांश के स्राव को रोकता है जिससे डायरिया में आराम मिलता है।
त्वचा के लिए फायदेमंद अशोक की छाल (Ashoka Bark Benefits for Skin)
अशोक के पेड़ की छाल सेहत के साथ ही त्वचा के लिए भी फायदेमंद होती है। अशोक की छाल का पाउडर (Ashok ki Chhal ka Powder) खून साफ करती है, इससे त्वचा पर निखार आता है। साथ ही शरीर में जमा टॉक्सिंस (How to Remove Toxins from Body) भी बाहर निकलते हैं, जिससे ऑयली, बेजान त्वचा से भी छुटकारा मिलता है।
आजकल के प्रदूषण भरे वातावरण में त्वचा संबंधी रोग होने का खतरा बढ़ता ही जा रहा है। हर कोई किसी न किसी त्वचा संबंधी परेशानी से ग्रस्त हैं। अशोक छाल इन सब परेशानियों को कम करने में मदद करता है। अशोक छाल के रस में सरसों को पीसकर छाया में सुखा लें, उसके बाद जब उबटन लगाना हो तब सरसों को इसकी छाल के रस में ही पीसकर त्वचा पर लगाएं। इससे त्वचा का रंग निखरता है।
पीरियड के दर्द में आराम दिलाए अशोक की छाल (Ashoka Bark for Periods)
महिलाओं के लिए अशोक की छाल को काफी फायदेमंद माना गया है। अशोक के पेड़ की छाल पीरियड्स के दौरान (Periods Pain Solutions in Hindi) होने वाले दर्द, ऐंठन को कम करने में सहायक होती है। पीरियड्स के दौरान दर्द से राहत पाने के लिए आप अशोक की छाल का पाउडर (Ashok ki Chhal ka Powder) के पाउडर का इस्तेमाल करें साथ ही आप अशोक छाल का काढ़ा बनाकर भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इसे पीने से पीरियड्स नियमित रूप से होता है.
महिलाओं के लिए अशोक की छाल के फायदे डिस्मेनोरिया के लिए – Ashoka Benefits for Dysmenorrhea in Hindi
अशोक वृक्ष का उपयोग मासिक धर्म की ऐंठन के इलाज के लिए भी प्रभावी होता है। इस समस्या का इलाज करने के लिए अशोक के पेड़ की छाल का उपयोग काढ़े के रूप में किया जाता है। इस काढ़े की 10 मिली लीटर मात्रा को 3 दिनों के लिए दैनिक रूप से सेवन किया जाता है। आप अशोक की ताजी छाल को उबालकर भी इसका सेवन कर सकते हैं।
विकल्प के रूप में 15 ग्राम अशोक की छाल के पाउडर को 200 मिली लीटर पानी में मिलाएं। इस मिश्रण को तब तक उबालें जब तक मिश्रण एक चौथाई न बचें। इस मिश्रण को छान कर किसी बर्तन में रख लें। इस मिश्रण की 25 मिली लीटर मात्रा का सेवन दिन में दो बार करने से मासिक धर्म की ऐंठन से छुटकारा मिल सकता है।
महिलाओं के लिए अशोक की छाल के फायदे एंडोमेट्रियोसिस के लिए – Ashoka for Endometriosis in Hindi
एंडोमेट्रियोसिस गर्भाशय की एक बीमारी है जहां गर्भाशय या एंडोमेट्रियम (endometrium) की अंदरूनी परत गर्भाशय के बाहर बढ़ती है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में यह एक दर्दनाक और लाइलाज बीमारी है। यह एक गंभीर बीमारी है और इससे महिलाओं को बांझपन जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। क्योंकि गर्भाशय की दीवार का बाहरी विकास शुक्राणुओं को अंडाणु से मिलने से रोक सकता है।
इस समस्या का घरेलू उपचार करने के लिए अशोक की छाल का इस्तेमाल किया जा सकता है। अशोक की छाल में पाये जाने वाले फाइटोकेमिकल्स में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं। जो गर्भाशय के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं और एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis) का इलाज करने में मदद करते हैं।
महिलाओं के लिए अशोक के लाभ महिला टॉनिक के रूप में – Ashoka as Women Tonic in Hindi
अशोक जड़ी बूटी गर्भाशय और संबंधित ऊतकों के समुचित विकास को बढ़ाने में मदद करती है। आयुर्वेद में अशोक के पेड़ को गर्भाशय टॉनिक माना जाता है। कमजोर गर्भाशय की मांसपेशियों वाली महिलाओं को नियमित रूप से अशोक की छाल का काढ़ा पीना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार अशोक का पेड़ महिलाओं के लिए एक वरदान है।
अशोक की छाल का उपयोग महिलाओं की शारीरिक कमजोरी दूर करे – Ashoka for Weakness in Women in Hindi
सदियों से अशोक के पेड़ को जड़ी बूटी के रूप में उपयोग किया जा रहा है जो स्त्री रोग संबंधी समस्याओं का प्रभावी उपचार माना जाता है। अशोक जड़ी बूटी का इस्तेमाल गर्भाशय के दर्द, मासिक धर्म, पेट दर्द, मासिक धर्म की ऐंठन, कमजोरी और थकान को दूर करने के लिए किया जाता है।
अशोक का इस्तेमाल मासिक धर्म के दौरान महिलओं को आने वाली कमजोरी को दूर करने में प्रभावी होता है। यह महिलाओं में रक्त परिसंचरण को बढ़ावा देने और सिरदर्द से राहत पाने में भी सहायक होता है। क्योंकि अशोक में एनाल्जेसिक या दर्दनाशक गुण होते हैं जो नसों को शांत करने में मदद करते हैं विशेष रूप से उस दौरान जब वात दोष बढ़ा हुआ होता है।
पेट दर्द का उपचार करने के लिए अशोक की पत्तियों के रस और जीरा पाउडर का सेवन सेवन करना बहुत ही प्रभावी होता है। अशोक की छाल से बना काढ़ा गर्भाशय के दर्द से राहत दिलाता है।
हड्डियों के लिए लाभकारी अशोक की छाल (Ashok Chal Beneficial in Fracture Bones in Hindi)
अशोक के पेड़ की छाल (Ashoka Tree in Hindi) में फ्लेवोनॉयड्स, टैनिन और एनाल्जेसिक जैसे औषधीय गुण पाए जाते हैं। ये सभी तत्व हड्डियों के लिए जरूरी होते हैं। यहां तक कि अशोक की छाल का उपयोग (Ashoka Tree Bark Uses) हड्डियों को जोड़ने के लिए भी किया जा सकता है।
अशोक टूटी हड्डियों को जोड़ने और हड्डियों को मजबूत करने में फायदेमंद होता है। 6 ग्राम अशोक छाल चूर्ण को दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से तथा इसी का प्रलेप करने से टूटी हुई हड्डी जुड़ जाती है और दर्द कम होता है।
हड्डियों के लिए अशोक की छाल के चूर्ण काफी उपयोगी साबित होती है. यहां तक कि यदि किसी व्यक्ति की हड्डी टूट ही गई है. तो वह अशोक के छाल की 510 ग्राम मात्रा में चार दिन में दो बार दूध के साथ ले तो इससे टूटी हुई हड्डियां भी काफी हद तक जुड़ जाती हैं.
पेट की समस्याएं दूर करें अशोक की छाल (Ashok Beneficial to Treat Stomach Worm in Hindi)
अशोक के पेड़ की छाल (Ashok ke Ped ki Chaal ke Fayde) का उपयोग पेट की समस्याओं को दूर करने के लिए भी किया (Stomach Problems in Hindi) जा सकता है। अशोक की छाल पेट के कीड़ों को मारने में कारगर है। इसके अलावा अशोक के पेड़ की छाल अपच, कब्ज आदि समस्याओं में भी लाभकारी है।
आप भी अशोक के पेड़ की छाल का उपयोग पाउडर के रूप में कर सकते हैं। आप चाहें तो घर पर ही अशोक की छाल का पाउडर (How to Use Ashoka Bark Powder) बना सकते हैं, या फिर बाजार से भी ले सकते हैं। गर्भवती महिलाओं और हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों को अशोक के पेड़ की छाल (Ashok ke Ped ki Chhal) का उपयोग करने से बचना चाहिए। साथ ही अगर आप किसी अन्य गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं, तो आयुर्वेदिक डॉक्टर की राय पर ही अशोक के पेड़ की छाल (Ashoka Tree in Hindi) का सेवन करें।
अगर पेट में कीड़ो की समस्या है तो अशोक का प्रयोग आपको फ़ायदा पहुँचा सकता है क्योंकि अशोक में कृमिघ्न गुण पाए जाने के कारण यह पेट के कीड़ों को भी दूर करने में मदद करता है।
अशोक के पेड़ की छाल में फ्लेवोनॉयड्स, टेरपेनॉइड, लिग्निन, फेनोलिक यौगिक और टैनिन जैसे खास तत्व पाए जाते हैं, जो कई औषधीय गुणों से परिपूर्ण हैं। ये सभी तत्व संयुक्त रूप से एंथेल्मिंटिक (पेट से संबंधित कीड़ों को मारने वाला) प्रभाव भी प्रदर्शित करते हैं। इस कारण हम कह सकते हैं कि अशोक की छाल के अर्क को हम पेट के कीड़ों को दूर करने के लिए भी इस्तेमाल में ला सकते हैं।
सांस संबंधी बीमारी में फायदेमंद अशोक वृक्ष (Ashok ka ped Benefits in Breathing Issues in Hindi)
अगर किसी कारणवश सांस लेने में समस्या हो रही है तो तुरन्त आराम पाने के लिए अशोक का पौधा का सेवन ऐसे करने से लाभ मिलता है। 65 मिग्रा अशोक बीज चूर्ण को पान के बीड़े में रखकर खिलाने से सांस संबंधी रोग में लाभप्रद सिद्ध होता है।
शिशु के उल्टी में फायदेमंद अशोक वृक्ष (Ashoka Vriksha toTreat Vomiting in Hindi)
शिशुओं के उल्टी होने की समस्या बहुत आम होती है। इससे राहत दिलाने के लिए अशोक के फूलों को जल में पीसकर स्तनों पर लेप (ashoka tree uses) कर दूध पिलाने से स्तनपाई शिशुओं की उल्टी रुक जाती है।
पथरी जन्य दर्द से दिलाये राहत अशोक छाल (Ashok Tree Benefits in Kidney Stone in Hindi)
आजकल के प्रदूषित खाद्द, पैकेज़्ड फूड और असंतुलित आहार के सेवन का फल पथरी की समस्या है। अशोक (ashoka in hindi) के 1-2 ग्राम बीज को पानी में पीसकर दो चम्मच की मात्रा में पीने से किडनी में पत्थर के कारण जो दर्द होता है उससे राहत दिलाने में मदद करता है।
आयुर्वेद में किडनी की पथरी की समस्या को दूर करने के लिए अशोक के बीज, छाल और जड़ के चूर्ण को लेने की सलाह दी जाती है। ऐसा माना जाता है कि अशोक वृक्ष के सभी भागों में बहुत अधिक मात्रा में फ्लेवोनॉयड्स और एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होते हैं। इनकी उपस्थिति किडनी के जोखिम कारकों को कम करके इस समस्या से राहत दिलाने में सहायक साबित होती हैं।
यदि किसी व्यक्ति को गुर्दे में यदि किसी व्यक्ति के गुर्दे में पथरी की समस्या है. तो वह व्यक्ति अशोक के बीज को पीसकर प्रतिदिन इसका 510 ग्राम मात्रा में सेवन करें ठंडे पानी के साथ सेवन करें तो उसे गुर्दे की पथरी की समस्या से निपटने में राहत मिलेगी.
मधुमेह को नियंत्रित करने में फायदेमंद अशोक छाल (Ashok Chal Beneficial to Control Diabetes in Hindi)
अशोक छाल का प्रयोग मधुमेह को नियंत्रित करने में सहायक होता है क्योंकि एक रिसर्च के अनुसार अशोक छाल में एंटी -डायबिटिक का गुण पाया जाता है जो की शर्करा की मात्रा को रक्त में बढ़ने से रोकता है।
अशोक का पेड़ डायबिटीज की समस्या को ठीक करने में भी कारगर साबित हो सकता है। कारण यह है कि इसके फूलों में कई औषधीय गुणों के साथ हाइपोग्लाइसेमिक (ब्लड शुगर कम करने वाला) प्रभाव पाया जाता है। इस वजह से इसका सेवन शरीर में इंसुलिन की सक्रियता को बढ़ाकर खून में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करने में प्रभावी साबित होता है।
नाइट-फॉल से दिलाये छुटकारा अशोक छाल (Ashok Chal Benefits in Nightfall in Hindi)
नाइट-फॉल पुरुषों की आम बीमारियों में से एक है। 20 ग्राम अशोक की छाल को यवकुट कर 250 मिली जल में पकाएं, 30 मिली शेष रहने पर इसमें 6 ग्राम शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।
योनिशैथिल्य या लूज वैजाइना में फायदेमंद अशोक छाल ( Benefits of Ashok Chal to Tight Loose Vagina in Hindi)
लूज वैजाइना को टाइट करने के लिए अशोक छाल का इस्तेमाल ऐसे करने से जल्दी काम होता है।
- अशोक की छाल, बबूल की छाल, गूलर की छाल, माजूफल और फिटकरी को समान मात्रा में मिलाकर पीस लें। 50 ग्राम चूर्ण को 400 मिली पानी में उबालकर 100 मिली काढ़ा तैयार कर लें, इसे छान कर योनि को धोने से या पिचु धारण करने से योनि शीथिलता कम होती है।
- 6-12 ग्राम अशोक घी को गुनगुने दूध अथवा जल के साथ सेवन करने से सभी प्रकार के प्रदर रोग, कमरदर्द, योनि में दर्द, अरुचि, पाण्डु या एनीमिया, श्वास, खांसी आदि रोगों से राहत दिलाता है।
- 20-25 मिली अशोकारिष्ट को प्रतिदिन भोजन के बाद सेवन करने से रक्तप्रदर, ज्वर, रक्तपित्त, रक्तार्श (खूनी बवासीर), प्रमेह या डायबिटीज, शोथ या सूजन आदि रोगों में अतिशय लाभ होता है।
- योनि के ढीलेपन या टाइट होने से परेशान होती हैं. महिलाओं की इस परेशानी को दूर करने के लिए आपको अशोक की छाल, बबूल की छाल, गूलर की छाल, माजूफल की छाल और फिटकरी को बराबर मात्रा में पीसकर इसे सूती कपड़े से छान लें. इस पाउडर की सौ ग्राम मात्रा 1 लीटर पानी में उबालें जब पानी एक चौथाई बच जाए तो इसे ठंडा करके पिएं.
सांस संबंधी बीमारी में फायदेमंद अशोक वृक्ष (Ashok ka ped Benefits in Breathing Issues in Hindi)
अगर किसी कारणवश सांस लेने में समस्या हो रही है तो तुरन्त आराम पाने के लिए अशोक का पौधा का सेवन ऐसे करने से लाभ मिलता है। 65 मिग्रा अशोक बीज चूर्ण को पान के बीड़े में रखकर खिलाने से सांस संबंधी रोग में लाभप्रद सिद्ध होता है।
सांस लेने की समस्या के कई कारण हो सकते हैं. इस समस्या को नी को दूर करने के लिए अशोक के बीजों का 65 मिलीग्राम चूर्ण पान के बीड़े में रखकर खाने से आपको सांस लेने की समस्या में काफी राहत मिलेगी.
संक्रमण दूर करने में अशोक फायदेमंद (Benefit of Ashok to Treat Infection in Hindi)
अशोक छाल संक्रमण को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।क्योंकि अशोक में एंटी-बक्ट्रियल गुण पाया जाता है जो कि संक्रमण को फैलने से रोकता है।
जैसा कि लेख में पहले बताया गया है कि अशोक के पेड़ में अधिक मात्रा में फ्लेवोनॉयड्स पाए जाते हैं। इन फ्लेवोनॉयड्स की मौजूदगी इसे एंटीमाइक्रोबियल (बैक्टीरिया के संक्रमण से बचाने वाले) गुण से भी समृद्ध बनाती है। इस कारण हम यह कह सकते हैं कि अशोक का पेड़ संक्रमण से छुटकारा पाने के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है।
मुंहासों से दिलाये छुटकारा अशोक (Ashoka Tree Treats Pimples in Hindi)
अशोक से निर्मित छाल से बने काढ़ा को उबालकर गाढ़ा होने पर इसे ठंडा करके, इसमें बराबर की मात्रा में सरसों का तेल मिला लें। इसे मुहांसों, फोड़ों तथा फून्सियों पर लगाएं। नियमित प्रयोग करने से लाभ होगा।
त्वचा में होने वाली कई तरह की परेशानियां रक्त की अशुद्धि के कारण भी होती हैं. कई बार त्वचा में एलर्जी और और जलन जैसी भी समस्याएं देखने को मिलती हैं. इन सभी समस्याओं से निपटने के लिए अशोक का के फूल और पत्तियों को पीसकर पेस्ट बने पेस्ट से प्रभावित क्षेत्रों पर लेप करें. ऐसा करने से आपकी समस्या का निदान तो होगा ही त्वचा के रंग में भी सुधार होता है.
अल्सर के परेशानी से दिलाये राहत अशोक वृक्ष (Ashoka Heals Ulcer in Hindi)
कभी-कभी अल्सर का घाव सूखने में बहुत देर लगता है या फिर सूखने पर पास ही दूसरा घाव निकल आता है, ऐसे में अशोक छाल का सेवन बहुत ही फायदेमंद होता है।
घी, प्रियंगु, अशोक रोहिणी की त्वचा, त्रिफला, धातकी, लोध्र तथा सर्जरस को समान मात्रा में लेकर, सूक्ष्म चूर्ण कर, अल्सर के घाव पर छिड़कने से घाव ठीक होने लगता है।
यादाश्त बढ़ाने में सहायक अशोक छाल (Ashok Chal Beneficial to Boost Memory in Hindi)
उम्र बढ़ने के साथ यादाश्त कमजोर होने लगती है। अशोक की छाल तथा ब्राह्मी चूर्ण को बराबर मात्रा में मिलाकर एक-एक चम्मच सुबह-शाम, एक-कप दूध के साथ नियमित रूप से कुछ माह तक सेवन करने से बुद्धि तीव्र होती है।
अंडकोष में सूजन के उपचार में लाभ दायक
कई लोगों को अंडकोष में सूजन की समस्या भी होती है. इस तरह की परेशानियों में भी अशोक वृक्ष का स्थान बहुत उपयोगी साबित होता है. यदि आप अशोक वृक्ष के छाल का काढ़ा प्रतिदिन दो बार पी हैं. तो इससे अंडकोष की सूजन में काफी कमी आती है.
अशोक के पेड़ के पौष्टिक तत्व – Ashoka Tree Nutritional Value in Hindi
निम्न बिंदुओं के माध्यम से हम अशोक के फूल में मौजूद खास तत्वों के बारे में जानेंगे, जो अशोक को एक उत्तम औषधि बनाते हैं ।
- अल्कलॉइड
- प्रोटीन
- टैनिन
- स्टेरॉयड
- कार्बोहाइड्रेट
- फ्लेवोनॉयड्स
- ग्लाइकोसाइड
- सैपोनिन
अशोक का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए? (How to Use Ashok Tree in Hindi?)
बीमारी के लिए अशोक के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए अशोक का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
चिकित्सक के परामर्श के अनुसार
- 50 मिली अशोक के छाल का काढ़ा ,
- 2-4 ग्राम बीज चूर्ण, तथा
- 1-3 ग्राम पुष्प चूर्ण का सेवन कर सकते हैं।
उपयोग की बात की जाए तो आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह पर अशोक के पेड़ को निम्न प्रकार से औषधीय इस्तेमाल में लाया जा सकता है।
- आप इसके नरम पत्तों से बने काढ़े का प्रतिदिन (दो चम्मच) सेवन कर सकते हैं।
- इसकी छाल का बारीक चूर्ण बनाकर एक चम्मच प्रतिदिन इस्तेमाल किया जा सकता है।
- आप इसके बीज से बने चूर्ण का आधा चम्मच प्रतिदिन उपयोग कर सकते हैं।
- सूजन से राहत पाने के लिए इसके पत्तों और फूलों से बने लेप को उपयोग में लाया जा सकता है।
- वहीं, सेवन के लिए इसके फूल, जड़, छाल और पत्तों का दो चम्मच मिश्रित जूस आधा कप पानी में इस्तेमाल भी काफी फायदेमंद माना जाता है।
सेवन का समय: वैसे सुबह के समय इसके काढ़े, जूस या चूर्ण का सेवन लाभकारी माना गया है, लेकिन आप चाहें तो इसे सुबह या रात में सोते वक्त भी इस्तेमाल में ला सकते हैं।
अशोक की छाल का काढ़ा बनाने की विधि – How to Prepare Ashoka Stem Bark Decoction in Hindi
महिलाएं अपने बेहतर स्वास्थ्य के लिए और प्रजनन संबंधी लाभ प्राप्त करने के लिए अशोक की छाल के काढ़े को घर पर ही तैयार कर सकती हैं। यह बहुत ही आसान है और आपके लिए बहुत ही फायदेमंद भी साबित हो सकता है।
- अशोक की छाल का काढ़ा बनाने के दौरान छाल को अपने से चार गुना अधिक मात्रा (1:4) में पानी के साथ उबाला जाना चाहिए। इसके बाद इस मिश्रण को आधा या इससे कम होने तक अच्छी तरह से उबालाजाना चाहिए।
- हमशा ताजे काढ़े का सेवन किया जाना चाहिए जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।
- यदि आप बाद में भी काढ़े का उपयोग करना चाहते हैं तो इसे न रखें। बल्कि अशोक की छाल को किसी एयर टाइट डिब्बें में बंद करके रखें। जब भी आवश्यक हो आप काढ़े को तुरंत ही बनाएं और सेवन करें।
- अशोक वृक्ष वह जड़ी बूटी है जो स्त्री रोग संबंधी समस्याओं का इलाज करने में प्रभावी होती है। यह काफी सुरक्षित, सरल और उपयोग करने में आसान है।
अशोक के पेड़ के नुकसान – Side Effects of Ashoka Tree in Hindi
अशोक के पेड़ के नुकसान की बात करें, तो इसे औषधीय मात्रा में लिए जाने से कोई भी नुकसान नहीं होता है, लेकिन कुछ मामलों में इसे न लेने की सलाह दी जाती है, जिसका कोई पुख्ता प्रमाण मौजूद नहीं है।
- मासिक धर्म न होने की स्थिति में इसका सेवन स्थिति को और खराब कर सकता है।
- गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
- हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है, तो इसका सेवन चिकित्सक की सलाह से ही करें।
- अशोक वृक्ष का प्रयोग हृदय रोग के मरीजों को करने से पहले किसी चिकित्सक का परामर्श अवश्य लेना चाहिए
अशोक कहां पाया और उगाया जाता है (Where is Ashok Tree Found or Grown in Hindi)
यह भारतीय वनौषधियों में एक दिव्य रत्न (ashoka tree benefits) है। भारतवर्ष में इसकी कीर्ति का गान बहुत प्राचीनकाल से हो रहा है, क्योंकि सीता माता जी को लंका में प्राय: एक वर्ष तक इसी वृक्ष के नीचे रावण ने रखा था। अशोक के वृक्ष भारतवर्ष में सर्वत्र बाग-बगीचों में तथा सड़कों के किनारे सुन्दरता के लिए लगाए जाते हैं। पश्चिमी प्रायद्वीप में 750 मी की ऊँचाई पर मुख्यत पूर्वी बंगाल, बिहार, उत्तराखण्ड, कर्नाटक एवं महाराष्ट्र में साधारणतया नहरों के किनारे व सदाहरित वनों में पाया जाता है।
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