चित्रक (chitrak plant) क्या है, और चित्रक के फायदे और नुकसान क्या-क्या हैं? नहीं ना! देखने में तो चित्रक का झाड़ीदार पौधा (chitrak ka podha) बहुत ही साधारण-सा लगता है, लेकिन सच यह है कि यह बहुत ही उपयोगी होता है। आयुर्वेद में बताया गया है कि चित्रक से लाभ लेकर कई बीमारियों का इलाज किया जा सकता है।
चित्रक हरीतकी अवलेह आयुर्वेद की शास्त्रोक्त औषधि है। इसे आयुर्वेदिक ग्रन्थ भैषज्य रत्नावली के नासरोगाधिकार से लिया गया है. यह कफज व्याधियों की उत्तम आयुर्वेदिक दवा है। जुकाम, साइनस एवं खांसी आदि रोगों में बेहतरीन परिणाम देती है। इस लेख में आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरूप सिंह द्वारा चित्रक हरीतकी अवलेह के फायदे और नुकसान को लेकर पूरी विस्तृत जानकारी दी जाएगी
यह अवलेह एवं चूर्ण दोनों रूपों में बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाता है। पतंजलि, बैद्यनाथ, धुतपापेश्वर आदि फार्मेसी इसका निर्माण करती है। अवलेह आयुर्वेद औषध निर्माण की कल्पना है जिसमे औषधि को आसानी से खाने योग्य बनाने के लिए शर्करा या शहद आदि को मिलाकर कर चाटने योग्य लेप बनाया जाता है। इस चित्रक हरीतकी अवलेह में चित्रक एवं हरीतकी की प्रधानता होती है। इसलिए इसे चित्रक हरीतकी कहा जाता है।
चित्रक हरीतकी अवलेह क्या है? (What is Chitrak Haritaki Avaleh in Hindi?)
चित्रक हरीतकी अवलेह के फायदे-यह एक आयुर्वेदिक शास्त्रोक्त औषधीय योग है । जो अवलेह के रूप में बाजार में उपलब्ध होता है । विभिन्न औषधियों के क्वाथ एवं चूर्ण , गुड शहद इत्यादि के द्वारा शास्त्रोक्त विधि से निर्माण किया जाता है । इस औषधीय योग का रोगाधिकार नासा रोग है । विशिष्ट रूप से श्वसन संस्थान के रोगों के लिए प्रयुक्त किया जाता है । कोरोना संक्रमण में आयुर्वेद विशेषज्ञों द्वारा इसके सेवन की सलाह दि जाती है.
साधारणतः चित्रक से सफेद चित्रक (plumbago zeylanica in hindi)ही ग्रहण किया जाता है। सफेद चित्रक वात, पित्त और कफ तीनों दोषों को शान्त करता है। यह तीखा, कड़वा और पेट के लिए गरम होने के कारण कफ को शान्त करता है। भूख बढ़ाता है, भोजन को पचाता है, उल्टी को रोकता है, पेट के कीड़ों को खत्म करता है। यह खून तथा माता के दूध को शुद्ध करता है। यह सूजन को ठीक करता है।
यह टॉयफायड बुखार को समाप्त करता है। चित्रक की जड़ (plumbago zeylanica root) घावों और कुष्ठ रोग को ठीक करती है। यह पेचिश, प्लीहा यानी तिल्ली की वृद्धि, अपच, खुजली आदि विभिन्न चर्मरोगों, बुखार, मिर्गी, तंत्रिकाविकार यानी न्यूरोडीजिज और मोटापा आदि को भी समाप्त करता है। सफेद चित्रक गर्भाशय को बल प्रदान करता है, बैक्टीरिया और कवकों को नष्ट करता है, कैंसररोधी यानी एंटीकैंसर है, लीवर के घाव को ठीक करता है।
चित्रक हरीतकी अवलेह के फायदे एवं उपयोग
- विशेष रुप से दमा के रोगी को अत्यधिक लाभ पहुंचाता है ।
- फेफड़ों की श्वासनलीयों को विस्फारित कर श्वास लेने की कठिनाई को दूर करता है ।
- बदलते मौसम के साथ होने वाले वायरल संक्रमण से बचाता है ।
- शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है ।
- फेफड़ों में उपस्थित बलगम को बाहर निकालने में मदद करता है ।
- अस्थमा के रोगियों के लिए सेवन फायदेमंद होता है ।
- मौसम के कारण होने वाला जुकाम,
- ट्यूबरक्लोसिस के रोगियों के लिए फायदेमंद होता है ।
- पुराने से पुराना नजला जुकाम दूर करता है ।
- पेट के कीड़े को मारता है ।
- पाचन तंत्र को मजबूत करता है ।
- पेट में होने वाली कब्ज गैस की शिकायत को दूर करता है ।
- आम का पाचन करता है ।
- अर्श बवासीर रोग में सेवन करना फायदेमंद है ।
- कोविड-19 कोरोनावायरस के संक्रमण में रोग प्रतिरोधक क्षमता वर्धक एवं सांस लेने की समस्या को दूर करने में सहायक है ।
रंग-भेद से इसकी तीन जातियां पाई जाती हैं, जो ये हैंः-
सफेद चित्रक (Plumbago zeylanica Linn.)
लाल चित्रक (Plumbago indica Linn.)
नीला चित्रक (Plumbago auriculata Lam.)
यह एक सीधा और लंबे समय तक हरा-भरा रहने वाला पौधा (chitrak plant) होता है। इसका तना कठोर, फैला हुआ, गोलाकार, सीधा तथा रोमरहित होता है। इसके पत्ते लगभग 3.8-7.5 सेमी तक लम्बे एवं 2.2-3.8 सेमी तक चौड़े होते हैं। इसके फूल नीले-बैंगनी अथवा हल्के सफेद रंग के होते हैं।
अन्य भाषाओं में चित्रक के नाम (Name of Chitrak in Different Languages)
चित्रक का लैटिन नाम प्लम्बैगो जेलनिका (Plumbago zeylanica Linn., Syn-Plumbago scandens Linn.) है। यह प्लम्बैजिनेसी (Plumbaginaceae) कुल का पौधा कहलाता है। तीनों प्रकार के चित्रक को कई नामों से जाना जाता है, जो ये हैंः-
सफेद चित्रक के नाम (Names of White Chitrak)
- Hindi – चीत, चीता, चित्रक, चित्ता, चितरक, चितउर
- English – Ceylon leadwort (सिलोन लेडवर्ट), व्हाइट फ्लॉवर्ड लेडवर्ट (White flowered leadwort), व्हाइट लेडवर्ट (White leadwort)
- Tamil (plumbago zeylanica in tamil) – चित्रकम (Chitrakam), कोदिवेली (Kodiveli)
- Malayalam (plumbago zeylanica malayalam name) – वेल्लाकोटुवेरी (Vellakotuveri), कोटुबेलि (Kotubeli)
- Sanskrit – चित्रक, अग्नि, अग्निमाता, ऊषण, पाठी, वह्नि संज्ञा
- Urdu – चितालकड़ी (Chitalakri)
- Oriya – चितामूला (Chitamula), चितापारू (Chitaparu)
- Kannada – चित्रकमूल (Chitrakmoola), वाहिनी (Vaahini)
- Gujarati – चित्रो (Chitro), चित्रा (Chitra)
- Telugu – तेल्लाचित्रमूलामू (Tellachitramulamu), चित्रमूलमु (Chitramulamu)
- Bengali – चिता (Chita), चित्रुक (Chitruk)
- Nepali – चितु (Chitu)
- Punjabi – चित्रक (Chitrak)
- Marathi – चित्रक (Chitraka), चित्तमूला (Chitramula)
- Arabic – शीतराज (Shitaraj), चीता लकड़ी (Chita lakri)
- Persian – बेख बरंदा (Bekh baranda), सितारक (Shitarak), सितीरक (Shitirak)
लाल चित्रक के नाम (Names of Red Chitrak)
- Hindi – लालचित्रक, रक्तचित्रक
- English – रोज-कलर्ड लेडवर्ट (Rose-coloured leadwort), रोजी फ्लावर्स (Rosy flowers), फायर प्लांट (Fire plant), Indian leadwort (इण्डियन लेडवर्ट)
- Sanskrit – रक्तचित्रक, चित्रक, दिपिका, रक्तशिखा
- Oriya – रोंगा चित्रमूलो (Ronga-chitramulo), लालचित्र (Lalchitra), ओगनी (Ogni)
- Kannada – केम्पू चित्रमूल (Kempu chitramula)
- Gujarati – लाल चित्रक (Lalchitrak), रातोचात्रो (Ratochatro)
- Tamil (plumbago zeylanica in tamil) – अक्किनी (Akkini), चित्रमूलम (Chitramulama), सेन्कोदीवेली (Cenkodiveli) Telugu – इराचित्र मूलम (Errachitramulam)
- Bengali – लालचिता (Lalchita), रक्तोचिता (Raktochita)
- Marathi – लालचित्रा (Lalchitra)
- Malayalam (plumbago zeylanica malayalam name) – चुवन्नकोटुवेली (Chuvannakotuveli), चेट्टीकोटुवेली (Chettikotuveli)
- Arabic – चीत्तरमूल (Chittermul), शीतराजेमर (Shitarajehmar)
- Persian – शीतराकेसुर्ख (Shitarakesurkh)
नीला चित्रक के नाम (Names of Blue Chitrak)
- Hindi – नीलचित्रक, नीलाचीता
- English – लैडवर्ट (Leadwort), प्लम्बैगो (Plumbago), ब्लूफ्लावर्ड लेडवर्ट (Blueflowered leadwort), Cape leadwort (केप लेडवर्ट)
- Sanskrit – नीलचित्रक, नीलाग्नीशिखा, नीलाशिखा
- Telugu – चित्रमुलम (Chitramulamu), चित्रिका (Chitrika)
- Manipuri – तेलहीदक (Telhidak)
चित्रक हरीतकी अवलेह के घटक द्रव्य / Ingredients of Chitrak Haritaki Avleha in HIndi
- चित्रक
- हरीतकी
- आंवला
- गिलोय
- दशमूल (लघु पंचमूल एवं वृहत पंचमूल)
- त्रिकटु (सौंठ, मरीच एवं पिप्पली)
- तेजपता
- दालचीनी
- यवक्षार
- गुड
- शहद
इन घटक द्रव्यों से चित्रक हरीतकी अवलेह का निर्माण किया जाता है. यहाँ हमने इसकी निर्माण विधि के बारे में भी बताया है.
चित्रक हरीतकी बनाने की विधि / How to Make
सबसे पहले चित्रक, दशमूल, आंवला एवं गिलोय इन सभी को सामान मात्रा में लेकर काढ़े का निर्माण किया जाता है.
अब इस काढ़े में गुड एवं हरीतकी चूर्ण मिलाकर गरम किया जाता है. जब घोल गाढ़ा होने लगे तब इसे निचे उतार कर ठंडा कर के ऊपर से तेजपता, सौंठ, कालीमिर्च, पिप्पली, दालचीनी एवं शहद मिलाकर अवलेह तैयार कर लिया जाता है.
निर्माण के लिए निम्न मात्राएँ निर्देशित है
- चित्रक, दशमूल, आंवला एवं गिलोय प्रत्येक 4.8 किग्रा
- गुड – 4.8 किग्रा
- हरीतकी 3.072 किग्रा
- त्रिकटु (कालीमिर्च, सौंठ एवं पिप्पली) – 96 ग्राम
- दालचीनी – 96 ग्राम
- तेजपता – 96 ग्राम
- यवक्षार – 24 ग्राम
- शहद – 384 ग्राम
इन रोगों में चित्रक का सेवन फायदेमंद रहता है.
- खांसी, जुकाम एवं अस्थमा में फायदेमंद
- अपच एवं अजीर्ण में लाभदायक
- कब्ज एवं पाचन विकारों में लाभदायक
- अर्श
- कृमि रोग
- भूख की कमी
- हाई कोलेस्ट्रोल
- मोटापा में भी प्रयोग करवाई जाती है.
- फ्लू
चित्रक हरीतकी अवलेह के सेवन की मात्रा
- बच्चों में – 2 ग्राम तक की मात्रा में दिन में दो बार दूध के साथ सेवन करना चाहिए.
- व्यस्क – 5 ग्राम तक दिन में दो बार दूध के साथ सेवन किया जा सकता है.
- बुजुर्ग – 2 से 3 ग्राम सुबह – शाम दूध के साथ.
चित्रक के फायदे और उपयोग (Chitrak Benefits and Uses in Hindi)
चित्रक की तीनों जातियां भिन्न-भिन्न रोगों के इलाज के लिए प्रयोग की जाती हैं। यहां तीनों के बारे में जानकारी दी गई हैः-
चित्रक हरीतकी अवलेह के फायदे / Benefits of Chitrak Haritaki Avleha in Hindi
विशेष रूप से यह खांसी, जुकाम, अस्थमा एवं बार – बार होने वाले साइनस की समस्या में उपयोगी है. इसके आलावा अपने उष्ण प्रभाव के कारण पाचन गुणों से युक्त होकर कब्ज आदि की समस्याओं में भी फायदा देती है.
चित्रक हरीतकी फॉर साइनस / Chitrak haritaki for Sinusitis in Hindi
अगर साइनस की समस्या से पीड़ित है तो चित्रक हर्ताकी अवलेह आपके लिए लाभदायक होगा.
आयुर्वेदिक चिकित्सक मुख्यत: बार – बार होने वाले साइनस में इसका उपयोग करवाते है.
यह प्राकृतिक रूप से आपके साइनस की समस्या में लाभदायक सिद्ध होती है.
सर्दी जुकाम एवं अस्थमा में चित्रक हरीतकी के फायदे
यह क्रोनिक अस्थमा, जुकाम एवं खांसी के उपचार में लाभदायक है. अस्थमा के उपचार में अन्य सहायक औषधियों के साथ इसका सेवन करवाया जाता है. यह शरीर में वात एवं कफ का शमन करती है. अत: सभी कफज व्याधियों में फायदेमंद रहती है.
सर्दी – जुकाम, खांसी एवं श्वांस आदि की समस्या में लाभदायक है.
गठिया में लाभदायक चित्रक की जड़ का उपयोग (Chitrak Uses for Arthritis Treatment in Hindi)
- चित्रक की जड़, इन्द्रजौ, कुटकी, अतीस और हरड़ को समान भाग में लेकर चूर्ण बना लें। इसे 3 ग्राम मात्रा में सुबह और शाम सेवन करने से वात के कारण होने वाली समस्याएं ठीक होती हैं।
- चित्रक की जड़, आंवला, हरड़, पीपल, रेवंद चीनी और सेंधा नमक को बराबर भाग लेकर चूर्ण बनाकर रखें। 4-5 ग्राम चूर्ण को सोते समय गर्म पानी के साथ सेवन करने से जोड़ों का दर्द, वायु के रोग और आंतों के रोग मिटते हैं।
- लाल चित्रक की जड़ की छाल को तेल में पकाकर, छानकर लगाने से पक्षाघात यानी लकवा और गठिया में लाभ होता है।
- लाल चित्रक की जड़ को पीसकर, तेल के साथ मिलाकर पका लें। इसे छानकर लगाने से आमवात यानी गठिया में लाभ होता है।
- गठिया के लक्षणों को नियंत्रित करने में चित्रक एक अच्छी औषधि है, क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार आमवात में आम दोष की उपस्थिति होती है। चित्रक दीपन -पाचन वाला होने से आम दोष का पाचन कर आमवात के लक्षणों को दूर करने में मदद करता है।
गले की खराश में चित्रक का सेवन लाभदायक (Uses of Chitrak for Sore Throat in Hindi)
अजमोदा, हल्दी, आंवला, यवक्षार तथा चित्रक को बराबर मात्रा में मिला कर चूर्ण (chitrak churna)बना लें। इस चूर्ण को 2-3 ग्राम मात्रा में मधु तथा घी के साथ चाटने से स्वरभेद यानी गले की खराश दूर होती है। इसे दिन में तीन बार देना चाहिए। चित्रक (chitrak haritaki benefits in hindi) और आंवला के काढ़ा में पकाए घी का सेवन करने से गले की खराश में लाभ होता है।
नाक से खून बहने पर चित्रक के चूर्ण का सेवन फायदेमंद (Chitrak Powder Stops Nose Bleeding in Hindi)
सफेद चित्रक के 2 ग्राम चूर्ण (chitrak powder)को शहद के साथ मिलाकर खाने से नकसीर यानी नाक से खून आना बंद होता है। 500 मिग्रा लाल चित्रक के चूर्ण (chitrak churna)को शहद के साथ मिलाकर चाटने से नकसीर बन्द होती है।
चित्रक के औषधीय गुण से बवासीर का उपचार (Chitrak Uses for Piles Treatment in Hindi)
चित्रक के जड़ की छाल के 2 ग्राम चूर्ण को भोजन से पहले छाछ के साथ सुबह और शाम पीने से बवासीर में लाभ होता है।
चित्रक की जड़ (plumbago zeylanica root) को पीसकर मिट्टी के बरतन में लेप कर लें। इसमें दही जमा लें। इसी बर्तन में उस छाछ को पीने से बवासीर में लाभ होता है।
सर्दी-खाँसी में चित्रक के औषधीय गुण के फायदे (Chitrak Benefits in Fighting with Cough and Cold in Hindi)
चित्रक (plumbago zeylanica in hindi)खाँसी, पीनस यानी नाक बहना तथा महकना, कष्टसाध्य क्षय रोग यानी टीबी, बैक्टीरिया और गांठों को ठीक करती है। यह जुकाम के लिए उत्तम औषधि है। 10 ग्राम चित्रकादि लेह को सुबह और शाम सेवन करने से खाँसी, दम फूलना, हृदय रोग में लाभ (chitrak benefits) होता है।
आँवला, हरड़, बहेड़ा, गुडूची, चित्रक, रास्ना, विडंग, सोंठ, मरिच तथा पिप्पली का बराबर भाग मिलाकर चूर्ण (chitrak powder)बना लें। 2-4 ग्राम चूर्ण में मिश्री मिलाकर सेवन करने से खांसी में लाभ होता है।
सिर दर्द में चित्रक का औषधीय गुण फायदेमंद (Benefits of Chitrak in Relief from Headache in Hindi)
अगर दिन भर के काम के तनाव के कारण सिर दर्द से परेशान हैं तो चित्रक (chitrak haritaki benefits in hindi)की जड़ (chitrak root)के चूर्ण (chitrak churna) को नाक से लेने से सिर दर्द में लाभ होता है।
दांतों के रोग में चित्रक के औषधीय गुण से लाभ (Benefits of Chitrak for Tooth Problems in Hindi)
नीले चित्रक की जड़ (chitrak root)तथा बीज के चूर्ण को दांतों पर मलने से पायोरिया (Pyorrhea) यानी दांतों से पीव आने की बीमारी ठीक होती है। इसके साथ ही दांत का घिसना-टूटना बंद होता है।
गण्डमाला (गले की गाँठ) में चित्रक का सेवन फायदेमंद (Benefits of Chitrak to Treat Goiter in Hindi)
भल्लातक, कासीस, चित्रक तथा दन्तीमूल (chitrak mool) की बराबर मात्रा के चूर्ण में गुड़ और स्नुही यानी थेहुर पौधे के दूध तथा आक का दूध मिला लें। इसका लेप करने से गले की गांठे ठीक हो जाती हैं। नीले चित्रक की जड़ (plumbago zeylanica root) को पीसकर लेप करने से गण्डमाला में लाभ होता है।
पाचनतंत्र विकार में चित्रक चूर्ण के सेवन से लाभ (Chitrak Benefits for Indigestion in Hindi)
- सैन्धव लवण, हरीतकी, पिप्पली तथा चित्रक चूर्ण को बराबर मात्रा में मिला कर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 1-2 ग्राम गर्म जल के साथ सेवन करने से भूख लगती है। इसके सेवन से घी, मांस और नए चावल का भात तुरंत पच जाता है।
- 2-5 ग्राम चित्रक (chitraka) चूर्ण में बराबर मात्रा में वायविडंग तथा नागरमोथा चूर्ण को मिलाकर सुबह और शाम भोजन से पूर्व सेवन करने से भोजन में अरुचि, भूख की कमी तथा अपच की समस्या ठीक होती है।
चित्रक के औषधीय गुण से कब्ज का इलाज (Benefits of Chitrak in Fighting with Constipation in Hindi)
घी में पकाए चित्रक (chitraka) के काढ़ा और पेस्ट को 5-10 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम खाने के बाद लें। इससे कब्ज ठीक होता है।
तिल्ली विकार में चित्रक से फायदा (Chitrak Uses to Treat Spleen Disorder in Hindi)
- ग्वारपाठा यानी एलोवेरा के 10-20 ग्राम गूदे पर चित्रक की छाल के 1-2 ग्राम चूर्ण को बुरक लें। इसे सुबह और शाम खिलाने से तिल्ली की सूजन ठीक होती है।
- चित्रक की जड़ (chitrak root), हल्दी, आक (मदार) का पका हुआ पत्ता, धातकी के फूल का चूर्ण में से किसी एक को गुड़ के साथ दिन में तीन बार खाएं। इसे एक से दो ग्राम तक खाने से तिल्ली की सूजन दूर होती है।
- चित्रक का प्रयोग प्लीहा या तिल्ली संबंधी विकारों में फायदेमंद होता है क्योंकि एक रिसर्च के अनुसार चित्रक का प्रयोग प्लीह या तिल्ली को स्वस्थ रखने में सहायक होता है, साथ ही आयुर्वेद के अनुसार चित्रक को रसायन भी कहा गया है।
प्रसव को आसान बनाने के लिए चित्रक का उपयोग (Chitrak Helps for Normal Pregnancy in Hindi)
10 ग्राम चित्रक (chitraka) की जड़ के चूर्ण में दो चम्मच मधु मिलाकर महिला को चटाने से प्रसव सामान्य और सुख पूर्वक होता है। प्रसव के दौरान चित्रक की जड़ (Plumbago Zeylanica Root) सूंघने के लिए देना चाहिए। इससे प्रसव जल्दी होता है।
चर्म रोगों के लिए रामबाण है चित्रक की छाल (Uses of Chitrak for Skin Disease in Hindi)
- चित्रक (plumbago zeylanica) की छाल को दूध या जल के साथ पीसकर कुष्ठ और त्वचा के दूसरे प्रकार के रोगों में लेप करने से आराम मिलता है। इन्हीं चीजों को एक साथ पीसकर पुल्टिस (पट्टी) बनाकर बाँध दें। छाला उठने तक बाँधे रखें। इस छाले के आराम होने पर सफेद कुष्ठ के दाग मिट जाते हैं।
- लाल चित्रक की जड़ को पीसकर, तेल के साथ मिलाकर पकाकर, छानकर लगाने से सूजन, कुष्ठ, दाद, खुजली आदि त्वचा की बीमारियों में लाभ होता है। लाल चित्रक की जड़ को पीसकर लगाने से मण्डल कुष्ठ में लाभ होता है।
- नीले चित्रक की जड़ को पीसकर चर्मकील में लगाने से चर्मकील (Wart) का शमन होता है।
फाइलेरिया (हाथीपांव) में चित्रक के औषधीय गुण से लाभ (Uses of Chitrak for Filaria in Hindi)
लाल चित्रक तथा देवदारु को गोमूत्र के साथ पीसकर लेप करने से फाइलेरिया या हाथीपाँव (श्लीपद) में लाभ होता है।
पीलिया के इलाज में चित्रक से लाभ (Chitrak is Beneficial for Jaundice in Hindi)
लीवर संबंधी रोगों में भी चित्रक का प्रयोग फायदेमंद होता है, जैसे कामला (पीलिया) में चित्रक लीवर की कोशिकाओ को हेल्दी कर पीलिया के लक्षणों को कम करता है।
चित्रक की जड़ से हिस्टीरिया का इलाज (Chitrak Benefits for Hysteria Disease in Hindi)
चित्रक (plumbago zeylanica) की जड़, ब्राह्मी और वच का समान भाग चूर्ण बनाकर 1 से 2 ग्राम तक की मात्रा में दिन में तीन बार देने से हिस्टीरिया (योषापस्मार) में लाभ होता है।
चित्रक के सेवन से बुखार का इलाज (Chitrak Uses in Fighting with Fever in Hindi)
- चित्रक की जड़ के चूर्ण में सोंठ, काली मिर्च तथा पिप्पली का चूर्ण मिला लें। इसे 2-5 ग्राम की मात्रा में देने से बुखार ठीक होती है।
- बुखार में जब रोगी खाना नहीं खा सके, उस समय चित्रक की जड़ के टुकड़ों को चबाने से अच्छा लाभ होता है।
- 2-5 ग्राम चित्रक (plumbago zeylanica) की जड़ के चूर्ण को दिन में तीन बार सेवन करने से से बुखार कम हो जाती है। प्रसूति को बुखार आने पर इसे निर्गुंडी के 10-20 मिली रस के साथ देना चाहिए।
चूहे का विष उतारने के लिए चित्रक का प्रयोग (Chitrak is Beneficial for Rat Bite in Hindi)
चित्रक की छाल के चूर्ण को तेल में पकाकर तलुए पर मलने से चूहे का विष उतर जाता है।
पेचिश से चित्रक के इस्तेमाल से फायदा (Uses of Chitrak in Dysentery in Hindi)
- प्रवाहिका(पेचिश) में चित्रक का प्रयोग फायदेमंद होता है। आयुर्वेद के अनुसार प्रवाहिका में कफ और वात दोष का जो प्रकोप होता है और साथ ही अग्निमांद्य भी होता है ऐसी स्थिति में चित्रक का प्रयोग फायदेमंद होता है क्योंकि चित्रक उष्ण वीर्य होने से वात -कफ को शांत करने के साथ अग्निमांद्य को भी दूर करता है जिससे प्रवाहिका के लक्षणों में कमी आती है।
- संग्रहणी में चित्रक एक प्रयोग फायदेमंद होता है क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार संग्रहणी में आम दोष भी के कारण होता है और चित्रक दीपन -पाचन वाला होने से आम दोष का पाचन कर संग्रहणी में आराम देता है।
लाल चित्रक के फायदे (Benefits of Red Chitrak in Hindi)
लाल चित्रक के निम्न फायदे होते हैंः-
लाल चित्रक के फायदे ये हैंः-
लाल चित्रक से खुजली का इलाज (Uses of Chitrak in Fighting with Itching in Hindi)
लाल चित्रक को दूध में पीसकर लेप करने से खुजली ठीक होती है।
कुष्ठ रोग में लाल चित्रक के फायदे (Chitrak Uses in Cure Leprosy in Hindi)
1-2 ग्राम लाल चित्रक की जड़ के चूर्ण का सेवन करने से कुष्ठ में लाभ होता है।
लाल चित्रक से सफेद दाग का इलाज (Chitrak Uses for Leucoderma Treatment in Hindi)
- लाल चित्रक की जड़ को पीसकर लगाने से सफेद दाग में लाभ होता है।
- इसके अलावा लाल चित्रक (chitramoolam) खाना पचाने, भूख बढ़ाने, मोटापा बढ़ाने के लिए भी उपयोग किया जाता है। यह घावों में पीव को बहने से रोकता है। इसकी थोड़ी मात्रा का प्रयोग करने पर केन्द्रीय तंत्रिकातंत्र (सेंट्रल नर्वस सिस्टम), मांसपेशियां अधिक सक्रिय हो जाती है। इसके अलावा यह पसीना, पेशाब की ग्रंथियों तथा पित्ताशय भी सक्रिय करता है।
- यह सूजन, दर्द, खांसी, श्वसनतंत्र नलिका की सूजन, पुराना बुखार, सिफलिश को भी ठीक करता है। खून की कमी यानी एनीमिया, एक्जीमा, सफेद दाग, दाद तथा कुष्ठ रोग में भी लाभ पहुँचाता है।
नीले चित्रक के फायदे (Benefits of Blue Chitrak in Hindi)
नीले चित्रक के निम्न फायदे होते हैंः-
नीले चित्रक से कालाजार का इलाज (Chitrak Benefits in Fighting with Visceral Leishmaniasis in Hindi)
- नीले चित्रक की जड़ का काढ़ा बनाकर 15-20 मिली मात्रा में पीने से कालाजार के बुखार में लाभ होता है।
- इसके साथ ही नीला चित्रक (chitramoolam) बाल औप भूख बढ़ाने और भोजन को पचाने वाला होता है। यह बवासीर, कब्ज, कुष्ठ, पेट के कीड़े का इलाज करता है। इससे खांसी ठीक होती है।
चित्रक के उपयोगी भाग (Useful Parts of Chitrak in Hindi)
- जड़
चित्रक का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Chitrak in Hindi?)
- जड़ का चूर्ण – 1-2 ग्राम
चिकित्सक के परामर्शानुसार सेवन करें।
चित्रक के नुकसान (Chitrak Side Effects in Hindi)
- अत्यधिक गर्म होने के कारण चित्रक का प्रयोग अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए।
- लाल चित्रक गर्भ को गिराने वाला होता है इसलिए इसका प्रयोग गर्भवती स्त्रियों को नहीं करना चाहिए।
- इसका अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से पक्षाघात यानी लकवा एवं मृत्यु भी हो सकती है।
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