अर्जुन की छाल का परिचय (Introduction of Arjun)
अर्जुन का पेड़ एक सदाबहार पेड़ है, जो प्रमुख रूप से भारत व उसके आस-पास के देशों में उगता है। अर्जुन के पेड़ की छाल में अनेक स्वास्थ्यवर्धक गुण होते हैं और इसे हजारों सालों से कई स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज करने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है। अर्जुन के पेड़ की छाल में अनेक स्वास्थ्यवर्धक गुण होते हैं। इस लेख में आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरूप सिंह द्वारा अर्जुन कि छाल के फायदे और नुकसान को लेकर पूरी विस्तृत जानकारी दी जाएगी जो आपके लिए बहुत ही लाभकारी होगी क्यूंकि बहुत से लोगों को अर्जुन कि छाल की पूर्ण जानकारी नहीं होती है
आम तौर पर अर्जून की छाल और रस का औषधि के रुप में इस्तेमाल किया जाता है। अर्जून नामक बहुगुणी सदाहरित पेड़ की छाल यानि अर्जुन की छाल के फायदे का प्रयोग हृदय संबंधी बीमारियों, क्षय रोग यानि टीबी जैसे बीमारी के अलावा सामान्य कान दर्द, सूजन, बुखार के उपचार के लिए किया जाता है। इसकी मांग पिछले कुछ सालों में काफी बढ़ी है और इसलिए आजकल अर्जुन की छाल व उससे बने प्रोडक्ट आसानी से मार्केट में मिल जाते हैं।
अर्जुन की छाल कितनी गुणकारी जड़ी बूटी है ये बात तो समझ में आ ही गया है आगे बताएँगे ये किन-किन बीमारियों के लिए फायदेमंद होती है और अर्जुन छाल का क्षीरपाक कैसे बनाया जाता है इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
अर्जुन के पेड़ की छाल काफी मोटी होती है और इसे उतारने के बाद यह उस हिस्से पर फिर से बनने लग जाती है। इसकी मांग पिछले कुछ सालों में काफी बढ़ी है और इसलिए आजकल अर्जुन की छाल व उससे बने प्रोडक्ट आसानी से मार्केट में मिल जाते हैं।
अर्जुन की छाल क्या है – What is Arjuna Ki Chaal in Hindi
अर्जुन के पेड़ के तने की बाहरी परत को अर्जुन की छाल कहा जाता है। इस बाहरी परत को पेड़ से अलग कर औषधीय उपयोग में लाया जाता है। खास यह है कि यह छाल करीब 4 मिलीमीटर तक मोटी होती है और साल में एक बार अपने आप पेड़ से अलग होकर गिर जाती है। बता दें अर्जुन का पेड़ एक सदाबहार पेड़ है, जो करीब 60 से 80 फीट तक ऊंचा होता है। इसकी पत्तियां करीब-करीब अमरुद की पत्तियों की तरह दिखाई देती हैं। यह पेड़ हिमालय की तराई और शुष्क पहाड़ी क्षेत्रों में स्थित नदी-नालों के किनारे बहुतायत में देखने को मिलता है। इसका वैज्ञानिक नाम टर्मिनेलिया अर्जुना (Terminalia arjuna) है।
अन्य भाषाओं में अर्जुन के नाम (Name of Arjuna in Different Languages)
अर्जुन का वानास्पतिक नाम Terminalia arjuna (Roxb. ex DC.) W. & A. (टर्मिनेलिया अर्जुन) Syn-Pentaptera arjuna Roxb. ex. DC. होता है। अर्जुन Combretaceae (कॉम्ब्रेटेसी) कुल का है और अंग्रेजी में इसको Arjuna myrobalan (अर्जुन मायरोबलान) कहते हैं। लेकिन भारत के अन्य प्रांतों में अर्जुन अनेक नामों से जाना जाता है।
Arjun in-
Sanskrit-अर्जुन, नदीसर्ज : , वीरवृक्ष, वीर, धनंजय, कौंतेय, पार्थ : धवल;
Hindi-अर्जुन, काहू, कोह, अरजान, अंजनी, मट्टी, होलेमट्ट;
Odia-ओर्जुनो (Orjuno);
Urdu-अर्जन (Arjan);
Assamese-ओर्जुन (Orjun);
Konkani-होलेमट्टी (Holematti);
Kannada-मड्डी (Maddi), बिल्लीमड्डी (Billimaddi), निरमथी (Nirmathi) होलेमट्टी (Holematti);
Gujrati-अर्जुन (Arjun), सादादो (Sadado), अर्जुनसदारा (Arjunsadara);
Tamil-मरुदु (Marudu), अट्टूमारूतू (Attumarutu), निरमारूदु (Nirmarudu), वेल्लईमरुदु (Vellaimarudu);
Telegu-तैललामद्दि (Tellamadi), इरमअददी (Erumdadi), येरमददी (Yermaddi);
Bengali-अर्जुन गाछ (Arjun Gach), अरझान (Arjhan);
Nepali-काहू (Kaahu);
Panjabi-अरजन (Arjan);
Marathi-अंजन (Anjan), सावीमदात (Savimadat);
Malayalam-वेल्लामरुटु (Velamarutu)।
English- व्हाइट मुर्दाह (White murdah);
Arbi-अर्जुन पोस्त (Arjun post)।
अर्जुन के फायदे (Arjuna Uses and Benefits in Hindi)
आयुर्वेद में अर्जुन के पेड़ का प्रयोग औषध के रूप में फल और छाल के रूप में होता है। अर्जुन की छाल के फायदे में सबसे ज्यादा उपकारी टैनिन होता है, इसके साथ पोटाशियम, मैग्निशियम और कैल्शियम भी होता है।
अमरूद की समान पत्तियों वाले लेकिन आकार में इससे बहुत बड़े अर्जुन वृक्ष का वैज्ञानिक नाम टर्मिमिनेलिया अर्जुना है. अलग-अलग क्षेत्रों में इसे धवल, कुकुभ और नाडिसार्ज जैसे नामों से भी जानते हैं. अर्जुन वृक्ष एक सदाबहार यानी हमेशा हरा-भरा आने वाला वृक्ष है. अर्जुन वृक्ष का नाम प्रमुख औषधीय वृक्षों में है. इसका इस्तेमाल ह्रदय रोग में प्राचीन काल से ही होता आ रहा है. अर्जुन वृक्ष के छाल के चूर्ण, काढ़ा, अरिष्ट आदि के रूप में उपयोग किया जाता है.
यूरिनरी इन्फेक्शन में कारगर (Arjun Tree Effective in urinary infections)
यूरिनरी इन्फेक्शन यानी मूत्र मार्ग संक्रमण में भी अर्जुन की छाल का सेवन उपयोगी हो सकता है। इस बात को स्पष्ट रूप से अर्जुन की छाल से संबंधित एक शोध में माना गया है। शोध में जिक्र मिलता है कि इसमें एंटीबैक्टीरियल (बैक्टीरिया को नष्ट करने वाला) प्रभाव पाया जाता है। इस गुण के कारण अर्जुन की छाल मूत्र मार्ग में संक्रमण पैदा करने वाले सूक्ष्म बैक्टीरिया को नष्ट करने में मदद कर सकती है।
सर्दी-खांसी से दिलाए राहत (Arjun Tree Provides relief from cold and cough)
सर्दी-खांसी की समस्या में राहत पाने के लिए भी अर्जुन की छाल को इस्तेमाल में लाया जा सकता है। दो अलग-अलग शोधों में इस बात का जिक्र मिलता है। एक शोध में माना गया है कि अर्जुन की छाल श्वसन संबंधी विकार को दूर करने में मदद कर सकती है। वहीं, अन्य शोध में पाया गया कि अर्जुन की छाल में एंटीट्यूसिव (कफ कम करने का प्रभाव) पाया जाता है, जो खांसी में राहत दिला सकता है। इस आधार पर माना जा सकता है कि सामान्य सर्दी-खांसी की समस्या में भी अर्जुन की छाल मददगार हो सकती हैं। हालांकि, अधिक प्रमाण न होने के कारण इस संबंध में अभी अधिक शोध किए जाने की आवश्यकता है।
कान के दर्द में अर्जुन के फायदे (Arjun Tree Benefits in Ear Pain in Hindi)
कान में दर्द का एक सामान्य कारण बैक्टीरियल इन्फेक्शन को माना जाता है। इस इन्फेक्शन के कारण कान में दर्द की समस्या देखी जा सकती है। इस समस्या से निपटने में अर्जुन की छाल का अर्क उपयोगी साबित हो सकता है। इस बात की पुष्टि अर्जुन की छाल पर आधारित एक शोध से होती है। शोध में माना गया है कि अर्जुन की छाल में एंटीमाइक्रोबियल (सूक्ष्म जीवाणुओं को नष्ट करने वाला) गुण मौजूद होता है। इस गुण के कारण यह कान के इन्फेक्शन को दूर करने में यह सहायक साबित हो सकती है।
3-4 बूँद अर्जुन के पत्ते का रस कान में डालने से कान का दर्द कम होता है।
मुखपाक से दिलाये राहत अर्जुन (Benefits of Arjuna helps for Stomatitis in Hindi)
अर्जुन मूल चूर्ण में मीठा तैल (तिल तैल) मिलाकर मुँह के अंदर लेप कर लें। इसके पश्चात् गुनगुने पानी का कुल्ला करने से मुखपाक में लाभ होता है।
त्वचा के लिए अर्जुन की छाल के फायदे (Benefits of arjuna bark for skin)
त्वचा के लिए भी अर्जुन की छाल काफी उपयोगी साबित हो सकती है। अर्जुन की छाल से जुड़े एक शोध में इस बात को सीधे तौर पर स्वीकार किया गया है। शोध में माना गया है कि खुजली, चुभन और चकत्तों के साथ ही एक्जिमा और सोरायसिस जैसी त्वचा से संबंधित समस्याओं में अर्जुन की छाल सकारात्मक प्रभाव प्रदर्शित कर सकती है।
हृदय को स्वस्थ रखे अर्जुन की छाल (Arjun Chaal Benefits for Healthy Heart in Hindi)
हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी अर्जुन की छाल लाभकारी साबित हो सकती है। चूहों पर आधारित एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) के एक शोध में इस बात का जिक्र मिलता है। शोध में माना गया कि अर्जुन की छाल में ट्राइटरपेनॉइड (Triterpenoids) नाम का एक खास रसायन पाया जाता है। इस खास रसायन की उपस्थिति के कारण ही अर्जुन छाल हृदय जोखिमों को दूर रखने में कारगर साबित हो सकती है। वहीं, शोध में स्पष्ट तौर पर यह भी जिक्र मिलता है कि यह हाई बीपी और कोलेस्ट्रोल के साथ ही हृदय रोग के कारण होने वाले सीने के दर्द में भी राहत दिलाने का काम कर सकती है। ऐसे में माना जा सकता है कि अर्जुन का उपयोग हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने में मददगार साबित हो सकता है।
अर्जुन की छाल के फायदे हृदय रोग में सबसे ज्यादा होते हैं, लेकिन इसके लिए ज़रूरी है कि अर्जुन की छाल का प्रयोग कैसे करें इसके बारे में सही जानकारी होनी चाहिए-
- हृदय की सामान्य धड़कन जब 72 से बढ़कर 150 से ऊपर रहने लगे तो एक गिलास टमाटर के रस में 1 चम्मच अर्जुन की छाल का चूर्ण मिलाकर नियमित सेवन करने से शीघ्र ही लाभ होता है।
- अर्जुन छाल के 1 चम्मच महीन चूर्ण को मलाई रहित 1 कप दूध के साथ सुबह-शाम नियमित सेवन करते रहने से हृदय के समस्त रोगों में लाभ मिलता है, हृदय को बल मिलता है और कमजोरी दूर होती है। इससे हृदय की बढ़ी हुई धड़कन सामान्य होती है।
- 50 ग्राम गेहूँ के आटे को 20 ग्राम गाय के घी में भून लें, गुलाबी हो जाने पर 3 ग्राम अर्जुन की छाल का चूर्ण और 40 ग्राम मिश्री तथा 100 मिली खौलता हुआ जल डालकर पकाएं, जब हलुवा तैयार हो जाए तब प्रात सेवन करें। इसका नित्य सेवन करने से हृदय की पीड़ा, घबराहट, धड़कन बढ़ जाना आदि विकारों में लाभ होता है।
- 6-10 ग्राम अर्जुन छाल चूर्ण में स्वादानुसार गुड़ मिलाकर 200 मिली दूध के साथ पकाकर छानकर पिलाने से हृद्शोथ का शमन होता है।
- 50 मिली अर्जुन छाल रस, (यदि गीली छाल न मिले तो 50 ग्राम सूखी छाल लेकर, 4 ली जल में पकाएं। जब चौथाई शेष रह जाए तो क्वाथ को छान लें), 50 ग्राम गोघृत तथा 50 ग्राम अर्जुन छाल कल्क में दुग्धादि द्रव पदार्थ को मिलाकर मन्द अग्नि पर पका लें। घृत मात्र शेष रह जाने पर ठंडा कर छान लें। अब इसमें 50 ग्राम शहद और 75 ग्राम मिश्री मिलाकर कांच या चीनी मिट्टी के पात्र में रखें। इस घी को 5 ग्राम प्रात सायं गोदुग्ध के साथ सेवन करें। इसके सेवन से हृद्विकारों का शमन होता है तथा हृदय को बल मिलता है।
- हृदय रोगों में अर्जुन की छाल के कपड़छन चूर्ण का प्रभाव इन्जेक्शन से भी अधिक होता है। जीभ पर रखकर चूसते ही रोग कम होने लगता है। इसे सारबिट्रेट गोली के स्थान पर प्रयोग करने पर उतना ही लाभकारी पाया गया। हृदय की धड़कन बढ़ जाने पर, नाड़ी की गति बहुत कमजोर हो जाने पर इसको रोगी की जीभ पर रखने मात्र से नाड़ी में तुंत शक्ति प्रतीत होने लगती है। इस दवा का लाभ स्थायी होता है और यह दवा किसी प्रकार की हानि नहीं पहुंचाती तथा एलोपैथिक की प्रसिद्ध दवा डिजीटेलिस से भी अधिक लाभप्रद है। यह उच्च रक्तचाप में भी लाभप्रद है। उच्च रक्तचाप के कारण यदि हृदय में शोथ (सूजन) उत्पन्न हो गयी हो तो उसको भी दूर करता है।
पेट की गैस ऊपर आने में करे मदद अर्जुन (Arjuna for Burping in Hindi)
अर्जुन की छाल के फायदे एसिडिटी से राहत दिलाने में भी बहुत मददगार होते हैं। अर्जुन की छाल के फायदे का पूरा लाभ उठाने के लिए अर्जुन की छाल का प्रयोग कैसे करें, ये जानना बहुत ज़रूरी है।
10-20 मिली अर्जुन छाल के काढ़े का नियमित सेवन करने से उदावर्त्त या पेट की गैस ऊपर आती है और एसिडिटी से राहत मिलती है।
अर्जुन कि छाल बढ़ते वजन को काम करती है (Arjuna bark works for increasing weight)
बढ़ते वजन की समस्या को रोकने के लिए भी अर्जुन की छाल को उपयोग में लाया जा सकता है। यह बात चूहों पर आधारित एनसीबीआई के एक शोध से स्पष्ट होती है। शोध में पाया गया कि अर्जुन की छाल से तैयार कैप्सूल का उपयोग फैट को कम करने में मदद कर सकता है। इस काम में अर्जुन की छाल में मौजूद हाइपोलिपिडेमिक (लिपिड, फैट और कोलेस्ट्रोल को कम करने वाला) गुण कारगर साबित हो सकते हैं। इस तथ्य को देखते हुए कहा जा सकता है कि बढ़ते हुए वजन को नियंत्रित करने में भी अर्जुन की छाल सहायक हो सकती है।
रक्तातिसार या पेचिश से दिलाये राहत अर्जुन (Arjuna Beneficial in Dysentery in Hindi)
5 ग्राम अर्जुन छाल चूर्ण को 250 मिली गोदुग्ध और लगभग समभाग पानी डालकर मंद आंच पर पकाएं। जब दूध मात्र शेष रह जाए तब उतारकर सुखोष्ण करके उसमें 10 ग्राम मिश्री या शक्कर मिलाकर, नित्य प्रात पीने से हृदय संबंधी विकारों का शमन होता है। यह पेय जीर्ण ज्वरयुक्त रक्तज-अतिसार और रक्तपित्त में भी लाभदायक है।
अर्जुन की पत्ती, बेल की पत्ती, जामुन की पत्ती, मृणाली, कृष्णा, श्रीपर्णी की पत्ती, मेहंदी की पत्ती और धाय की पत्ती, इन सभी पत्तियों के स्वरस में घृत, लवण तथा अम्ल् मिलाकर अलग-अलग मिलाकर खडयूषो का निर्माण करें। ये सभी खडयूष परम् संग्राहिक होते हैं।
डायबिटीज को करे कंट्रोल अर्जुन (Benefits of Arjun Chaal to Control Diabetes in Hindi)
अर्जुन की छाल, नीम की छाल, आमलकी छाल, हल्दी तथा नीलकमल के समभाग चूर्ण को पानी में पकाकर शेष काढ़ा बनायें। बचाकर, 10-20 मिली काढ़े में मधु मिलाकर रोज सुबह सेवन करने से पित्तज-प्रमेह में लाभ होता है।
अर्जुन का उपयोग डायबिटीज के मरीजों के लिए उपयोगी साबित हो सकता है। अर्जुन छाल से जुड़े एक शोध से इस बात की पुष्टि होती है। शोध में पाया गया कि अर्जुन छाल में हेक्सोकिनेस, एल्डोलेस, फॉस्फोग्लुकोसोमेरेस और ग्लूकोनियोजेनिक जैसे कई एंजाइम्स पाए जाते हैं। इनकी मौजूदगी के कारण अर्जुन की छाल में एंटीडायबिटिक गुण मौजूद होता है। अर्जुन छाल का यह गुण किडनी और लिवर की कार्यक्षमता को बढ़ाकर ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करता है। इस आधार पर डायबिटीज नियंत्रण के मामले में अर्जुन की छाल को सहायक माना जा सकता है।
शुक्रमेह में लाभकारी अर्जुन की छाल (Arjun chal benefits in Spermatorrhoea in Hindi)
शुक्रमेह बीमारी पुरूषों को होता है। इस रोग में अत्यधिक मात्रा में सिमेन निकल जाता है। अर्जुन की छाल के फायदे का पूरा लाभ पाने के लिए इस तरह से सेवन करने पर शुक्रमेह से निजात पाया जा सकता है। अर्जुन की छाल या सफेद चंदन से बने 10-20 मिली काढ़े को नियमित सुबह शाम पिलाने से शुक्रमेह में लाभ होता है।
मूत्राघात में फायदेमंद अर्जुन (Arjuna Chal Beneficial in Anuria in Hindi)
मूत्र करते समय दर्द या जलन होना मूत्राघात के मूल लक्षण होते हैं। अर्जुन छाल के फायदे का पूरा लाभ पाने के लिए अर्जुन छाल का काढ़ा बनाकर 20 मिली मात्रा में पिलाने से मूत्राघात में लाभ होता है।
रक्तप्रदर (अत्यधिक रक्तस्राव) में फायदेमंद अर्जुन (Arjuna to Get Relief in Metrorrhagia in Hindi)
महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान जब औसतन दिन से ज्यादा और मात्रा में ज्यादा रक्त का स्राव होता है उसको रक्तप्रद कहते हैं। अर्जुन छाल के फायदे अत्यधिक रक्तस्राव को रोकने में बहुत मदद करते हैं बशर्ते कि प्रयोग का तरीका सही हो। इसके लिए 1 चम्मच अर्जुन छाल चूर्ण को 1 कप दूध में उबालकर पकाएं, आधा शेष रहने पर थोड़ी मात्रा में मिश्री मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करें। इसके सेवन से रक्तप्रदर में लाभ होता है।
हड्डी जोड़ने में करे मदद अर्जुन (Arjuna Chal Beneficial in Bone Fracture in Hindi)
अगर किसी कारण हड्डी टूट गई है या हड्डियां कमजोर हो गई हैं तो अर्जुन छाल के फायदे बहुत लाभकारी सिद्ध होते हैं। अर्जुन छाल का प्रयोग करने से हड्डी के दर्द से न सिर्फ आराम मिलता है बल्कि हड्डी जुड़ने में भी सहायता मिलती है।
- एक चम्मच अर्जुन छाल चूर्ण को दिन में 3 बार एक कप दूध के साथ कुछ हफ्ते तक सेवन करने से हड्डी मजबूत होती जाती है। भग्न अस्थि या टूटी हुई हड्डी के स्थान पर इसकी छाल को घी में पीसकर लेप करें और पट्टी बाँधकर रखें, इससे भी हड्डी शीघ्र जुड़ जाती है।
- अर्जुन की छाल से बने 20-40 मिली क्षीरपाक में 5 ग्राम घी एवं मिश्री मिलाकर पीने से अस्थि भंग (टूटी हड्डी) में लाभ होता है।
- अर्जुन की त्वचा तथा लाक्षा को समान मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। 2-4 ग्राम में गुग्गुलु तथा घी मिलाकर सेवन करने से तथा भोजन में घी व दूध का प्रयोग करने से शीघ्र भग्न संधान होता है।
- समान मात्रा में हड़जोड़, लाक्षा, गेहूँ तथा अर्जुन का पेस्ट (1-2 ग्राम) अथवा चूर्ण (2-4 ग्राम) में घी मिलाकर दूध के साथ पीने से अस्थिभग्न एवं जोड़ो से हड्डियों के छुट जाने में लाभ होता है।
कुष्ठ में फायदेमंद अर्जुन का चूर्ण (Arjun Chal Powder to Treat Leprosy in Hindi)
अर्जुन छाल के एक चम्मच चूर्ण को जल या दूध के साथ सेवन करने से एवं इसकी छाल को जल में घिसकर त्वचा पर लेप करने से कुष्ठ में तथा व्रण में लाभ होता है। अर्जुन छाल का काढ़ा बनाकर पीने से भी कुष्ठ में लाभ होता है।
अल्सर का घाव करे ठीक अर्जुन की छाल (Arjuna Chal Heals Ulcer in Hindi)
अल्सर या घाव-कभी-कभी अल्सर का घाव सूखने में बहुत देर लगता है या फिर सूखने पर पास ही दूसरा घाव निकल आता है, ऐसे में अर्जुन का सेवन बहुत ही फायदेमंद होता है। अर्जुन छाल को कुटकर काढ़ा बनाकर अल्सर के घाव को धोने से लाभ होता है।
पेट से संबंधित अल्सर के मामले में भी अर्जुन की छाल फायदेमंद साबित हो सकती है। वजह यह कि इसमें गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव (पेट की अंदरूनी दीवार की सुरक्षा) और साइटोप्रोटेक्टिव (पेट के अल्सर से बचाव) का गुण मौजूद होता है। अर्जुन की छाल के ये दोनों गुण संयुक्त रूप से पेट के अल्सर में राहत दिलाने का काम कर सकते हैं। इस बात का साफ जिक्र अर्जुन की छाल से संबंधित एक जर्नल में मिलता है। इस आधार पर माना जा सकता है कि पेट के अल्सर का घरेलू उपचार करने में अर्जुन की छाल का इस्तेमाल कारगर हो सकता है।
पिंपल्स से दिलाये छुटकारा अर्जुन की छाल (Arjuna Tree to Treat Pimples in Hindi)
आजकल के प्रदूषण भरे वातावरण में मुँहासे से कौन नहीं परेशान है! लेकिन अर्जुन की छाल न सिर्फ मुँहासों से छुटकारा दिलाने में मदद करेगा बल्कि चेहरे की कांति भी बढ़ जायेगी। अर्जुन की छाल के चूर्ण को मधु में मिलाकर लेप करने से मुँहासों तथा व्यंग में फायदा मिलता है।
सूजन के समस्या में अर्जुन का प्रयोग (Arjuna to Treat Inflammation in Hindi)
- अर्जुन का काढ़ा या अर्जुन की छाल की चाय बनाकर पीने से सूजन कम होता है। (गुर्दों पर इसका प्रभाव मूत्रल अर्थात् अधिक मूत्र लाने वाला है। हृदय रोगों के अतिरिक्त शरीर के विभिन्न अंगों में पानी पड़ जाने और शरीर के किसी अंग में सूजन आ जाने पर भी अर्जुन का प्रयोग किया जा सकता है)।
- अर्जुन के जड़ के छाल का चूर्ण और गंगेरन की जड़ के छाल के चूर्ण को बराबर मात्रा में मिलाकर 2-2 ग्राम की मात्रा में नियमित सुबह शाम दूध के साथ सेवन करने से दर्द तथा सूजन कम होती है।
रक्तपित्त (कान-नाक से खून बहना) में फायदेमंद अर्जुन (Arjuna Chal Beneficial Haemoptysis ya Raktpitta in Hindi)
अगर रक्तपित्त की समस्या से ग्रस्त हैं तो अर्जुन का सेवन करने से जल्दी आराम मिलेगा। 2 चम्मच अर्जुन छाल को रात भर जल में भिगोकर रखें, सबेरे उसको मसल-छानकर या उसको उबालकर काढ़ा बनाकर या अर्जुन की छाल की चाय की तरह से पीने से रक्तपित्त में लाभ होता है।
बुखार में फायदेमंद अर्जुन (Arjun Chal Beneficial in Fever in Hindi)
लेख में हम पहले ही बता चुके हैं कि सामान्य बुखार में अर्जुन की छाल का सेवन सहायक हो सकता है। वहीं, अर्जुन की छाल से जुड़े एक अन्य शोध में माना गाया है कि डेंगू बुखार में भी यह मददगार हो सकती है। इस काम में अर्जुन की छाल में मौजूद लार्विसाइडियल (लार्वा को नष्ट करने वाला) प्रभाव कारगर हो सकता है।
अगर मौसम के बदलने के वजह से या किसी संक्रमण के कारण बुखार हुआ है तो उसके लक्षणों से राहत दिलाने में अर्जुन बहुत मदद करता है।
- अर्जुन छाल का काढ़ा या अर्जुन की छाल की चाय बनाकर 20 मिली मात्रा में पिलाने से बुखार से राहत मिलती है।
- 1 चम्मच अर्जुन छाल चूर्ण को गुड़ के साथ सेवन करने से बुखार का कष्ट कम होता है।
- 2 ग्राम अर्जुन छाल के चूर्ण में समान मात्रा में चंदन मिलाकर, शर्करा-युक्त तण्डुलोदक (चीनी और चावल से बना लड्डू) के साथ सेवन करने से अथवा अर्जुन छाल से बना हिम, काढ़ा, पेस्ट या रस का सेवन करने से रक्तपित्त में लाभ होता है।
हाई बीपी में सहायक (Arjun Chal assistant in high bp)
जैसा कि लेख में पहले ही बताया जा चुका है कि अर्जुन की छाल में मौजूद ट्राइटरपेनॉइड नाम का खास रसायन हृदय स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है। वहीं, शोध में यह भी माना गया है कि इसमें एंटीहाइपरटेंसिव (बीपी कम करने वाला) गुण मौजूद होता है। इस आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि बढ़े हुए ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए भी अर्जुन की छाल काफी मददगार साबित हो सकती है।
क्षय रोग या टीबी में फायदेमंद अर्जुन (Arjuna Beneficial in Tuberculosis in Hindi)
क्षय रोग या तपेदिक के लक्षणों से आराम दिलाने में अर्जुन का औषधीय गुण काम करता है। अर्जुन की त्वचा, नागबला तथा केवाँच बीज चूर्ण (2-4 ग्राम) में मधु, घी तथा मिश्री मिलाकर दूध के साथ पीने से क्षय, खांसी रोगों से जल्दी राहत मिलती है।
अर्जुन का उपयोगी भाग (Useful Parts of Arjuna)
आयुर्वेद में अर्जुन के तने की छाल, जड़, पत्ता तथा फल का प्रयोग औषधि के लिए किया जाता है।
अर्जुन का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए (How to Use Arjuna in Hindi)
बीमारी के लिए अर्जुन के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए अर्जुन का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
अर्जुन की छाल का इस्तेमाल निम्न तरीके से किया जा सकता है –
- इसका काढ़ा बनाकर
- इसके चूर्ण को गर्म पानी में मिलाकर
- रातभर एक गिलास पानी में भिगोकर इसका सेवन किया जा सकता है
- छाल को पीसकर उसका लेप बनाकर फोड़े पर लगाएं
चिकित्सक के परामर्श के अनुसार-
- 5-10 मिली अर्जुन का रस ,
- 20-40 मिली पत्ते का काढ़ा ,
- 2-4 ग्राम अर्जुन के चूर्ण का सेवन कर सकते हैं।
अर्जुन छाल क्षीरपाक कैसे बनाया जाता है? (How to Prepare Arjun Chal Khirpak?)
अर्जुन की ताजा छाल को छाया में सुखाकर चूर्ण बनाकर रख लें। 250 मिली दूध में 250 मिली पानी मिलाकर हल्की आंच पर रख दें और उसमें तीन ग्राम अर्जुन छाल का चूर्ण मिलाकर उबालें। जब उबलते-उबलते पानी सूखकर दूध मात्र अर्थात् आधा रह जाए तब उतार लें। पीने योग्य होने पर उसको छान लें और उसका सेवन करें। इससे हृदय रोग होने की संभावना कम होती है तथा हार्ट अटैक से बचाव होता है।
अर्जुन की छाल के नुकसान (Side effects of Arjun bark)
यदि अर्जुन की छाल का उपयोग एक उचित मात्रा में किया जाए तो यह स्वास्थ्य के लिए आमतौर पर सुरक्षित रहता है। हालांकि, इसका अधिक सेवन करने से निम्न स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं –
- अर्जुन वृक्ष की छाल के नुकसान गर्भवती महिलाएं इसके उपयोग में सावधानी बरतें.
- शुगर के मरीज भी अर्जुन वृक्ष की छाल का उपयोग सावधानीपूर्वक करें.
- जहां तक संभव हो चिकित्सकीय परामर्श के बाद ही इसका सेवन करें.
- पेट में दर्द या ऐंठन महसूस होना
- सीने में जलन
- जी मिचलाना या उल्टी आना
- दस्त लगना
- एलर्जी
- हल्की कमजोरी के साथ उल्टी और मतली की समस्या हो सकती है।
- पेट में हल्की सूजन और उसके कारण दर्द का अनुभव हो सकता है।
- सिरदर्द और बदन दर्द की समस्या हो सकती है।
- कुछ मामलों में इसके सेवन के कारण कब्ज की शिकायत भी हो सकती है।
- वहीं, कुछ लोगों को इसके सेवन के कारण अनिद्रा की समस्या परेशान कर सकती है।
अर्जुन की छाल कहां पाई जाती है? (Where is Arjuna’s bark found?)
लेख में पहले ही बताया जा चुका है कि अर्जुन के पेड़ से ही अर्जुन की छाल अलग की जाती है। वहीं, अर्जुन का पेड़ हिमालय की तराई और शुष्क पहाड़ी क्षेत्रों में स्थित नदी-नालों के किनारे बहुतायत में देखने को मिलता है। इसके अलावा, यह भारत में अन्य स्थानों पर मौजूद नदी या नालों के किनारे भी देखने को मिल सकता है।
अर्जुन की छाल क्या है? और अर्जुन की छाल के फायदे क्या हैं? इस बारे में तो आप अच्छे से जान गए होंगे। ऐसे में लेख में दिए गए अर्जुन की छाल का सेवन करने के तरीकों को भी एक बार अच्छे से समझ लेना जरूरी है ताकि आप सही प्रकार से अर्जुन का उपयोग कर पाएं और इसके व्यापक लाभ उठाएं। वहीं, लेख में बताएं गए अर्जुन की छाल के नुकसान के कोई भी लक्षण अगर नजर आते हैं, तो बिना देर किए डॉक्टर को दिखाएं। उम्मीद है, स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं को हल करने के मामले में यह लेख काफी हद तक आपके लिए उपयोगी साबित होगा।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Q. क्या अर्जुन की छाल गर्भावस्था के लिए सुरक्षित है?
हालांकि, इस बात का कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है, लेकिन गर्भावस्था में अर्जुन की छाल न लेने की सलाह दी जाती है। अधिक जानकारी के लिए एक बार डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।
Q. क्या रूखी त्वचा के लिए अर्जुन की छाल उपयोगी है?
अर्जुन की छाल का अर्क त्वचा को नमी प्रदान करने का काम कर सकता है और त्वचा की देखभाल करने में मददगार हो सकता है। इसलिए, इसे रूखी त्वचा के लिए उपयोगी माना जा सकता है।
Q. क्या अर्जुन की छाल दिल की धड़कन की गति को कम कर सकती है?
जी बिल्कुल, बीपी को कम करने के साथ ही अर्जुन की छाल का अर्क दिल की धड़कन की गति को सामान्य कर सकता है।
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