क्या आप जानते हैं कि पीप्पली (Long pepper) क्या होती हैं ? कुछ ही लोग पिप्पली को जानते होंगे क्योंकि अधिकांश लोगों को पिप्पली के बारे में जानकारी ही नहीं है कि पिप्पली क्या होती है, पिप्पली का उपयोग किस काम में किया जाता है, या पीपली के फायदे क्या हैं? आईएसकेडी मेडीफिट आयुर्वेदा के अनुसार, पिप्पली के इस्तेमाल से आप एक-दो या तीन नहीं बल्कि बहुत से रोगों का इलाज कर सकते हैं वासरते आपको इसके उपयोग की जानकारी होनी चाहिए. आईएसकेडी मेडीफिट, आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरुप सिंह
यहां आईएसकेडी के इस लेख में आपको पिप्पली (Pippali plant) के औषधीय गुण से होने वाले सभी लाभों की जानकारी दी जा रही है. इस जानकारी को लेकर आप ना सिर्फ कई रोगों की रोकथाम कर पाएंगे बल्कि अनेक रोगों का इलाज भी खुद से कर सकते हैं। आइये आपको पिप्पली के फायदों के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं.
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पिप्पली क्या होती है? (What is Pippali in Hindi?)
पिप्पली एक जड़ी-बूटी है। आयुर्वेद में पिप्पली की चार प्रजातियों के बारे में बताया गया है, लेकिन व्यवहार में छोटी पीपल और बड़ी पीपल दो प्रकार की पिप्पली ही आती हैं। पिप्पली की लता भूमि पर फैलती है। यह सुगन्धित होती है। इसकी जड़ लकड़ी जैसी, कड़ी, भारी और शयामले रंग की होती है। जब आप इसे तोड़ेंगे तो यह अन्दर से सफेद रंग की होती है। इसका स्वाद तीखा होता है।
पिप्पली के पौधे (Pippali plant) में फूल बारिश के मौसम में खिलते हैं, और फल ठंड के मौसम में होते हैं। इसके फलों को ही पिप्पली (पीपली ) कहते हैं। बाजार में इसकी जड़ को पीपला जड़ के नाम से बेचा जाता है। जड़ जितना वजनदार व मोटा होता है, उतना ही अधिक गुणकारी माना जाता है। बाजार में जड़ के साथ-साथ गांठ आदि भी बेची जाती है।
अन्य भाषाओं में पिप्पली के नाम (Name of Pippali in Different Languages)
Names of Pippali in different languages-
Name of Pippali in Hindi – पीपली, पीपर; उर्दू-पिपल (Pipal), छोटी पीपल;
Name of Pippali in Sanskrit – पिप्पली, मागधी, कृष्णा, वैदही, चपला, कणा, ऊषण, शौण्डी, कोला, तीक्ष्णतण्डुला, चञ्चला, कोल्या, उष्णा, तिक्त, तण्डुला, मगधा, ऊषणा, कृकला, कटुबीज, कोरङ्गी, श्यामा, सूक्ष्मतण्डुला, दन्तकफा
Name of Pippali in English – लॉन्ग पेपर (Long pepper), इण्डियन लौंग पीपर (Indian long pepper), ड्राईड कैटकिन्स (Dried catkins)
Name of Pippali in Oriya – बैदेही (Baidehi)
Name of Pippali in Konkani – पिपली (Pipli)
Name of Pippali in Kannada – हिप्पली (Hippali)
Name of Pippali in Gujarati – पीपर (Pipar), पीपरीजड़ (Piparimul)
Name of Pippali in Telugu (black pepper in telugu or pepper powder in telugu) – पिप्पलु (Pippalu), पिप्पलि (Pippali)
Name of Pippali in Tamil (thippili uses in tamil or long pepper in tamil) – टिपिलि (Tipili), पिप्पली (Pippilli)
Name of Pippali in Bengali – पीपुल (Peppul), पिप्पली (Pipali)
Name of Pippali in Nepali – पीपला (Pipla), पिपुल (Pipool)
Name of Pippali in Punjabi – पिप्पलीजड़ (Piplimul)
Name of Pippali in Marathi (black pepper in marathi) – पिंपली (Pimpali)
Name of Pippali in Malayalam – तिप्पली (Tippali)
Name of Pippali in Arabic – दारफूलफूल (Darfulful), डाल फिलफिल (Dalfilfil)
Name of Pippali in Persian – फिलफिल दराज (Filfil daraz), पीपल दराज (Pipal daraz)
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छोटी पीपल के उपयोगी भाग (Useful Parts of Pippali)
आप पिप्पली के इस भाग उपयोग कर सकते हैंः-
जड़ (जड़)
सूखा फल
फल
पिप्पली (छोटी पीपल) का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Long pepper?)
पिप्पली का इस्तेमाल इतनी मात्रा में करना चाहिए। आप बेहतर परिणाम के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।
पिप्पली चूर्ण- 500 मिग्रा-1 ग्राम
पीप्पली (छोटी पीपल) के फायदे (Pippali Benefits and Uses in Hindi)
पिप्पली (Pipali) के बहुत से फायदे हैं और आज इस लेख के माध्यम से आप पिप्पली के उन्ही फायदों के वारे में जानेंगे. आप पीपली के औषधीय प्रयोग इस तरह कर सकते हैं। जानिए पिप्पली के इस्तेमाल की मात्रा एवं विधियां.
दांतों के रोग में पीपली के औषधीय गुण से फायदा (Maricha Herb Benefits for Dental Disease in Hindi)
- दांतों के रोग के इलाज के लिए 1-2 ग्राम पीपली चूर्ण में सेंधा नमक, हल्दी और सरसों का तेल मिलाकर दांतों पर लगाएं। इससे दांतों का दर्द ठीक होता है।
- पीप्पली चूर्ण (pippali churna)में मधु एवं घी मिलाकर दांतों पर लेप करने से भी दांत के दर्द में फायदा (pipali ke fayde)होता है।
- 3 ग्राम पिप्पली चूर्ण में 3 ग्राम मधु और घी मिलाकर दिन में 3-4 बार दाँतों पर लेप करें। इससे दांत में ठंड लगने की परेशानी में लाभ (benefits of long) मिलता है।
- किसी व्यक्ति को जबड़े से संबंधित परेशानी हो रही हो तो उसे काली पिप्पली (kali pipli) तथा अदरक को बार-बार चबाकर थूकना चाहिए। इसके बाद गर्म पानी से कुल्ला करना चाहिए। इससे जबड़े की बीमारी ठीक हो जाती है।
- बच्चों के जब दांत निकल रहे होते हैं तो उन्हें बहुत दर्द होता है। इसके साथ ही अन्य परेशानियां भी झेलनी पड़ती है। ऐसे में 1 ग्राम पिप्पली चूर्ण (pippali churna)को 5 ग्राम शहद में मिलाकर मसूढ़ों पर घिसने से दांत बिना दर्द के निकल आते हैं.
पिप्पली के औषधीय गुण से जुकाम का इलाज (Piper Longum Uses to Cure Common Cold in Hindi)
- पीपल, पीपलाजड़, काली मिर्च और सोंठ के बराबर-बराबर भाग का चूर्ण (pippali churna)बना लें। इसकी 2 ग्राम की मात्रा लेकर शहद के साथ चटाते रहने से जुकाम में लाभ मिलता है।
- इसी तरह पिप्पली (pippalu) के काढ़ा में शहद मिलाकर थोड़ा-थोड़ा पिलाने से भी जुकाम से राहत (pipali ke fayde) मिलती है.
खांसी और बुखार में पीपली का औषधीय गुण लाभदायक (Pippali Churna is Beneficial in Fighting with Cough and Fever in Hindi)
- बच्चों को खांसी या बुखार होने पर बड़ी पिप्पली को घिस लें। इसमें लगभग 125 मिग्रा मात्रा में मधु मिलाकर चटाते रहें। इससे बच्चों के बुखार, खांसी तथा तिल्ली वृद्धि आदि समस्याओं में विशेष लाभ होता है।
- बच्चे अधिक रोते हैं तो काली पिप्पली (kali pipli)और त्रिफला का समान मात्रा लेंं। इनका चूर्ण बना लें। 200 मिग्रा चूर्ण (Pippali churna) में एक ग्राम घी और शहद मिलाकर सुबह-शाम चटाएं।
- पिप्पली को तिल के तेल में भूनकर पीस लें। इसमें मिश्री मिलाकर रख लें। इसे 1/2-1 ग्राम मात्रा में कटेली के 40 मिली काढ़ा में मिला लें। इसे पीने से कफज विकार के कारण होने वाली खांसी में विशेष लाभ होता है।
- पिप्पली के 3-5 ग्राम पेस्ट को घी में भून लें। इसमें सेंधा नमक और शहद मिलाकर सेवन करें। इससे कफज विकार के कारण होने वाली खांसी में लाभ (pipali ke fayde) होता है।
- इसी तरह 500 मिग्रा पिप्पली चूर्ण (pippali churna)में मधु मिलाकर सेवन करें। इससे बच्चों की खांसी, सांसों की बीमारी, बुखार, हिचकी आदि समस्याएं ठीक होती हैं
सांसों के रोग में पिप्पली के फायदे (Long Pepper Benefits Benefits in Fighting with Cough and Respiratory Disease in Hindi)
- खांसी और सांसों से संबंधित बीमारी में पिप्पली का सेवन लाभ पहुंचाता है। इसके लिए पिप्पली, आमला, मुनक्का, वंशलोचन, मिश्री व लाख को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। इसे 3 ग्राम चूर्ण (pippali churna)में 1 ग्राम घी और 4 ग्राम शहद में मिला लें। इसे दिन में तीन बार नियमित रूप से लेने से खांसी ठीक होती है। इसे आपको 10-15 दिन लेना है।
- पिप्पली (pippalu), पीपलाजड़, सोंठ और बहेड़ा को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इसे 3 ग्राम तक, दिन में 3 बार
- शहद के साथ चटाने से खांसी में लाभ होता है। विशेषकर पुरानी खाँसी व बार-बार होने वाली खाँसी में यह अत्यन्त लाभदायक है।
- एक ग्राम पिप्पली चूर्ण (Pippali churna) में दोगुना शहद या बराबर मात्रा में त्रिफला मिला लें। इसे चाटने से सांसों के रोग, खांसी, हिचकी, बुखार, गले की खराश, साइनस व प्लीहा रोग में लाभ होता है.
चोट या मोच के दर्द में पीप्पली के फायदे (Long Pepper Benefits to Cure Sprain Problem in Hindi)
- शरीर के किसी भी अंग में चोट लगने या मोच आने के कारण दर्द हो रहा हो तो आधा चम्मच पिप्पली के जड़ के चूर्ण को गर्म दूध या पानी के साथ सेवन करने से तुरंत आराम मिलता है। इससे नींद भी अच्छी आती है।
- दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर प्रयोग किया जाये तो चोट, मोच के दर्द में बहुत लाभ होता है।
- लौंग, अकरकरा, पीपर, देवदारु, शतावरी, पुनर्नवा, सौंफ, विधारा, पोहकरजड़, सोंठ तथा अश्वगंधा को समान मात्रा में लेकर पीस लें। इसे 1-2 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से सामान्य कारणों से होने वाला अंगों के दर्द में लाभ होता है। इससे वातज विकार के कारण होने वाला दर्द भी ठीक होता है.
मोटापा (वजन घटाने) कम करने के लिए पीप्पली का सेवन (Pippali Churna Benefits in Fighting with Obesity in Hindi)
मोटापा को कम करने (वजन घटाने) के लिए पिप्पली का सेवन लाभदायक होता है। आप 2 ग्राम पिप्पली चूर्ण में मधु मिलाकर दिन में 3 बार कुछ हफ्ते तक नियमित रूप से सेवन करें। इससे मोटापा कम होता है। आपको यह ध्यान रखना है कि मोटापा कम करने के लिए पिप्पली चूर्ण के सेवन के एक घंटे तक जल को छोड़कर कुछ भी सेवन ना करें। जल का भी सेवन तब करना है जब बहुत अधिक प्यास लगी हो। इससे निश्चित तौर पर मोटापा कम (Pippali with honey for weight loss) हो जायेगा.
पिप्पली के सेवन से पाचनतंत्र विकार में लाभ (Pipli Herb Benefits for Indigestion in Hindi)
- पाचनतंत्र विकार को ठीक करने के लिए 250 ग्राम पीपल और 250 ग्राम गुड़ का पेस्ट बना लें। इसे 1 किलो गाय का घी, 4 लीटर बकरी का दूध (न मिलने पर गाय का दूध) में धीमी आग पर पकाएं। जब केवल घी मात्र रह जाये तो इस घी को पाचनतंत्र विकार और खांसी में प्रयोग करें। आपको केवल 1 चम्मच दिन में तीन बार सेवन करना है। इससे लाभ मिलता है।
- छोटी पिप्पली 1 नग लेकर गाय के दूध में 10-15 मिनट उबालें। पहले पिप्पली (pipallu) खाकर ऊपर से दूध पी लें। अगले दिन 2 पिप्पली लेकर दूध में अच्छी तरह उबालकर पहले पिप्पली खा लें, फिर दूध पी लें। इस प्रकार 7 से 11 पिप्पली तक सेवन करें। जिस तरह आपने एक-एक पिप्पली को बढ़ाया था उसी तरह कम करते जाएं। यदि अधिक गर्मी ना लगे तो अधिकतम 15 दिन में 15 पिप्पली तक भी इस विधि को आजमा सकते हैं। इससे कफ, अस्थमा, सर्दी, जुकाम व पुरानी खाँसी में लाभ मिलता है। इससे पाचन-तंत्र, गैस, अपच आदि रोग भी दूर होते हैं। पिप्पली युक्त दूध का सेवन सुबह करें। दिन में सादा आहार लें। यह ध्यान रखें कि घी, तेल व किसी प्रकार की खट्टी चीज ना लें।
- इसके अलावा पिप्पली, भांग और सोंठ की बराबर-बराबर मात्रा लेकर चूर्ण बना लें। इसकी 2 ग्राम की मात्रा को शहद में मिलाकर दिन में दो या तीन बार भोजन से पहले सेवन करें। इससे खाना सही से पचता है, और पाचनतंत्र ठीक रहता है.
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कोलेस्ट्राल को कम करने के लिए पिप्पली का उपयोग (Benefits of Long Pepper to Treat Bad Cholesterol in Hindi)
अनेक लोग कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए बहुत मेहनत करते हैं। आप पिप्पली के सेवन से कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकते हैं। इसके लिए पिप्पली चूर्ण (Pippali churna) में मधु मिलाकर सुबह सेवन करें। इससे कोलेस्ट्राल की मात्रा नियमित होती है, तथा हृदय रोगों में भी लाभ मिलता है.
पिप्पली का सेवन बवासीर में लाभदायक (Pipli Herb Uses in Piles Treatment in Hindi)
- बवासीर में लाभ लेने के लिए आधा चम्मच पिप्पली के चूर्ण में बराबर मात्रा में भुना जीरा, तथा थोड़ा-सा सेंधा नमक मिला लें। इसे छाछ के साथ सुबह खाली पेट सेवन करें। इससे बवासीर में फायदा होता है।
- पिप्पली, सेंधा नमक, कूठ और सिरस के बीजों को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर महीन चूर्ण बना लें। इसे सेंहुड (थूहर) या बकरी के दूध में मिलाकर लेप करने से बवासीर के मस्से खत्म हो जाते हैं। सेहुण्ड का दूध तीक्ष्ण होता है, इसलिए मस्सों पर सावधानी से लगाएं।
आंखों के रोग में पीपली का गुण फायदेमंद (Uses of Long Pepper in Eye Disease Treatment in Hindi)
- आंख की बीमारी में पिप्पली का खूब महीन चूर्ण बना लें। इसे आँखों में काजल की तरह लगाएं। इससे आंखों का धुंधलापन, रतौंधी व जाला आदि रोगों में लाभ (benefits of long) मिलता है।
- इसी तरह एक भाग पिप्पली और दो भाग हरड़ को मिलकर पानी के साथ खूब महीन पीस लें। इसकी बत्तियां बना लें और इसे पीसकर आंखों में लगाने से आंखों के बहने, आंखों के धुंधलेपन, आंखों में होने वाली खुजली आदि रोगों में लाभ होता है।
- आप पिप्पली को गौमूत्र में घिसकर काजल की तरह लगाएं। इससे भी रतौंधी में भी लाभ होता है।
- आंखों की पुतली की बीमारी के लिए 10-20 मिली पिप्पली काढ़ा बना लें। इसमें शहद मिलाकर गरारा करें। इससे अधिमांस रोग में लाभ होता है।
मासिक धर्म विकार में पिप्पली का गुण फायदेमंद (Benefits of Pippali Powder for Menstrual Disorder in Hindi)
- मासिक धर्म विकार में पिप्पली, सोंठ, मरिच और नागकेशर को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। 1-2 ग्राम चूर्ण को घी में मिलाकर दूध के साथ खाने से माहवारी संबंधित विकारों में लाभ होता है। इससे गर्भाशय से संबंधित विकार और दर्द भी ठीक होता है।
- यह मासिक धर्म के समय होने वाले दर्द व हार्मोन्स के विकारों में भी यह लाभ पहुंचाता है। महिलाओं को इसे दो-तीन माह तक सुबह और शाम सेवन करना चाहिए.
वीर्य रोग में पीप्पली के फायदे (Piper Longum Medicinal Uses in Sperm Count Problem in Hindi)
वीर्य दोष को ठीक करने के लिए राल, पीपर तथा मिश्री को बराबर-बराबर मात्रा में मिलाएं। 1-2 ग्राम मात्रा में तीन दिन तक दूध के साथ सेवन करें। इससे वीर्य रोग में फायदा होता है.
स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए पिप्पली का सेवन (Piper Longum Medicinal Uses in Increasing Breast Milk in Hindi)
- जिन महिलाओं को स्तनों में दूध की कमी की शिकायत होती है, वे 2 ग्राम पिप्पली फल के चूर्ण में आधा चम्मच शतावर मिलाकर शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इससे प्रसूता के स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।
- इसी तरह पिप्पली, सोंठ और हरड़ के चूर्ण को समान मात्रा में लें। लगभग 3 ग्राम चूर्ण को गुड़ में मिलाएं। इसमें थोड़ा घी मिलाकर दूध के साथ दिन में दो बार खिलाने से भी स्तनपान कराने वाली महिलाओं को दूध की वृद्धि होती है। यह प्रयोग लगभग दो माह तक करें.
पिप्पली का उपयोग कर बुखार का इलाज (Piper Longum Medicinal Uses in Fighting with Fever in Hindi)
- बुखार को ठीक करने के लिए आधा चम्मच पिप्पली चूर्ण को शहद के साथ सेवन करें। इससे सूतिका बुखार, गंभीर बुखार और कफ के कारण होने वाले बुखार में लाभ होता है।
- पीपली चूर्ण का सेवन बुखार के लक्षणों को कम करने में सहायक होता है क्योंकि पीपली में आयुर्वेद के अनुसार ज्वरहर गुण होता है जिससे पीपली बुखार को कम करने में मदद करती है।
- इसी तरह 3 ग्राम पिप्पली जड़ चूर्ण में 2 ग्राम घी और 5 ग्राम शहद मिलाकर दिन में तीन बार चाटें। इसके साथ गाय का गर्म दूध पिएं। इससे खांसी के साथ होने वाली गंभीर बुखार, तथा हृदयरोग में भी लाभ होता है।
- इसके अलावा पीपर, नीम, गिलोय, सोंठ, देवदारु, अडूसा, भारंगी, नेत्रवाला, पीपराजड़ तथा पोहकर जड़ का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मिली मात्रा में सेवन करने से सांसों की बीमारी के साथ-साथ खांसी वाले बुखार में लाभ होता है।
- बुखार को दूर करने के लिए 3 ग्राम पिप्पली को 1 गिलास पानी में पकाएं। जब यह एक चौथाई रह जाए तो इसे छान लें। इसमें 1 चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम पीने से कफ के कारण होने वाले बुखार में लाभ होता है.
पिप्पली कहां पाई या उगाई जाती है? (Where is Pippali found or grown?)
पिप्पली (pippallu) भारत के गर्म प्रदेशों में उत्पन्न होती है। छोटी पिप्पली भारत में प्रचुर मात्रा में उत्पन्न होती है, लेकिन बड़ी पिप्पली मलेशिया, इंडोनेशिया और सिंगापुर से आयात की जाती है।
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