कोरोना में गिलोय अति आवश्यक क्यों है, गिलोय कब खाना चाहिए, गिलोय खाने का सही तरीका क्या है? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिसे गिलोय के सेवन से पहले सभहि को जान लेना बहुत जरुरी है. प्राचीन समय से ही आयुर्वेद में गिलोय का सेवन कई रोगों में बताया गया है. जैसे बरसात के मौसम में होने वाली वायरल, मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया में गिलोय का सेवन किया जाता है. आईएसकेडी मेडीफिट, आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरुप सिंह
गिलोय कब खाना चाहिए इसकी जानकारी हर किसी को होनी चाहिए:
आयुर्वेदिक हर्बल औषधि होने की वजह से मानव जीवन के लिए गिलोय के फायदे (Giloy Benefits) बहुत ज्यादा हैं. मच्छर की वजह से होने वाली बीमारियों में गिलोय खाना बहुत लाभदायक (Giloy Benefits) होता है. गिलोय के औषधीय गुणों (Ayurvedic Giloy Benefits) की वजह से इसे आयुर्वेद में एक अलग ही स्थान दिया गया है जिसे अमृत वटी भी कहा जाता है. गिलोय के सेवन से पहले इसके बारे में विस्तार से जानना जरूरी है.
गिलोय के सेवन की मात्रा (How Much to Consume Giloy?):
काढ़ा – 20-30 मिली
रस – 20 मिली
अधिक लाभ के लिए चिकित्सक के परामर्शानुसार इस्तेमाल करें:
गिलोय के सेवन का तरीका (How to Use Giloy?)
काढ़ा
रस
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गिलोय का परिचय (Introduction of Giloy):
आपने गिलोय के बारे में अनेक बातें सुनी होंगी और शायद गिलोय के कुछ फायदों के बारे में भी जानते होंगे, लेकिन यह पक्का है कि आपको गिलोय के बारे में इतनी जानकारी नहीं होगी, जितनी हम आपको बताने जा रहे हैं। गिलोय के बारे में आयुर्वेदिक ग्रंथों में बहुत सारी फायदेमंद बातें बताई गई हैं। आयुर्वेद में इसे रसायन माना गया है जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।
गिलोय के पत्ते स्वाद में कसैले, कड़वे और तीखे होते हैं। गिलोय का उपयोग कर वात-पित्त और कफ को ठीक किया जा सकता है। यह पचने में आसान होती है, भूख बढ़ाती है, साथ ही आंखों के लिए भी लाभकारी होती है। आप गिलोय के इस्तेमाल से प्यास, जलन, डायबिटीज, कुष्ठ और पीलिया रोग में लाभ ले सकते हैं। इसके साथ ही यह वीर्य और बुद्धि बढ़ाती है और बुखार, उलटी, सूखी खाँसी, हिचकी, बवासीर, टीबी, मूत्र रोग में भी प्रयोग की जाती है। महिलाओं की शारीरिक कमजोरी की स्थिति में यह बहुत अधिक लाभ पहुंचाती है.
गिलोय क्या है (What is Giloy?):
गिलोय का नाम तो सुना होगा लेकिन क्या आपको गिलोय की पहचान है कि ये देखने में कैसा होता है। गिलोय की पहचान और गिलोय के औषधीय गुण के बारे में जानने के लिए चलिये विस्तार से चर्चा करते हैं।
गिलोय अमृता, अमृतवल्ली अर्थात् कभी न सूखने वाली एक बड़ी लता है। इसका तना देखने में रस्सी जैसा लगता है। इसके कोमल तने तथा शाखाओं से जडें निकलती हैं। इस पर पीले व हरे रंग के फूलों के गुच्छे लगते हैं। इसके पत्ते कोमल तथा पान के आकार के और फल मटर के दाने जैसे होते हैं।
यह जिस पेड़ पर चढ़ती है, उस वृक्ष के कुछ गुण भी इसके अन्दर आ जाते हैं। इसीलिए नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय सबसे अच्छी मानी जाती है। आधुनिक आयुर्वेदाचार्यों (चिकित्साशात्रियों) के अनुसार गिलोय नुकसानदायक बैक्टीरिया से लेकर पेट के कीड़ों को भी खत्म करती है। टीबी रोग का कारण बनने वाले वाले जीवाणु की वृद्धि को रोकती है। आंत और यूरीन सिस्टम के साथ-साथ पूरे शरीर को प्रभावित करने वाले रोगाणुओं को भी यह खत्म करती है।
गिलोय की कई प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें मुख्यतया निम्न प्रजातियों का प्रयोग चिकित्सा के लिए किया जाता है।
- गिलोय (Tinosporacordifolia (Willd.) Miers)
- Tinosporacrispa (L.) Hook. f. & Thomson 3. Tinospora sinensis (Lour.) Merr. (Syn- Tinospora malabarica (Lam.) Hook. f. & Thomson)
अनेक भाषाओं में गिलोय को अलग अलग नामों से पुकारा जाता है (Giloy Called in Different Languages)
गिलोय का लैटिन नाम टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया ( Tinospora cordifolia (Willd.) Miers, Syn-Menispermum cordifolium Willd.) है और यह मैनिस्पर्मेसी (Menispermaceae) कुल है। इसे इन नामों से भी जानी जाती है.
- Hindi (Giloy in Hindi) – गडुची, गिलोय, अमृता
- English – इण्डियन टिनोस्पोरा (Indian tinospora), हार्ट लीव्ड टिनोस्पोरा (Heart leaved tinospora), मून सीड (Moon seed), गांचा टिनोस्पोरा (Gulancha tinospora); टिनोस्पोरा (Tinospora)
- Bengali (Giloy in Bengali) – गुंचा (Gulancha), पालो गदंचा (Palo gandcha), गिलोय (Giloe)
- Sanskrit – वत्सादनी, छिन्नरुहा, गुडूची, तत्रिका, अमृता, मधुपर्णी, अमृतलता, छिन्ना, अमृतवल्ली, भिषक्प्रिया
- Oriya – गुंचा (Gulancha), गुलोची (Gulochi)
- Kannada – अमृथावल्ली(Amrutavalli), अमृतवल्ली (Amritvalli), युगानीवल्ली (Yuganivalli), मधुपर्णी (Madhuparni)
- Gujarati – गुलवेल (Gulvel), गालो (Galo)
- Goa – अमृतबेल (Amrytbel)
- Tamil – अमृदवल्ली (Amridavalli), शिन्दिलकोडि (Shindilkodi)
- Telugu – तिप्पतीगे (Tippatige), अमृता (Amrita), गुडूची (Guduchi)
- Nepali – गुर्जो (Gurjo)
- Punjabi – गिलोगुलरिच (Gilogularich), गरहम (Garham), पालो (Palo)
- Marathi – गुलवेल (Gulavel), अम्बरवेल(Ambarvel)
- Malayalam – अमृतु (Amritu), पेयामृतम (Peyamrytam), चित्तामृतु (Chittamritu)
- Arabic – गिलो (Gilo)
- Persian – गुलबेल (Gulbel), गिलोय (Giloe)
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गिलोय के फायदे (Giloy Benefits and Uses):
अगर आपको लग रहा है कि इम्यूनिटी को बढ़ाना असंभव है तो, ऐसा नहीं है। आधुनिक जीवनशैली के खानपान और रहन-सहन से हमारी इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है। लेकिन इसके बावजूद खोई इम्यूनिटी को वापस भी पाया जा सकता है।
क्या ऐसा हो सकता है कि हम बारिश में भीगें लेकिन हमें जुकाम न हो। हम सर्दी में कैप लगाए बिना थोड़ी देर बाहर निकल जाएं तो भी हमें बुखार न हो। गर्मियों की दोपहर में अगर बाहर निकलना पड़े तो हमें लू न लगे। और कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी से भी बचे रहें. आयुर्वेद में मनुष्य की इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए कई जड़ी-बूटियों के बारे में बताया गया है। इनमें से सबसे असरदार गिलोय (Giloy) या अमृता (Amrita) को माना जाता है। आइए जानते हैं.
आँखों के रोग में फायदेमंद गिलोय (Benefits of Giloy to Cure Eye Disease in Hindi):
गिलोय के औषधीय गुण आँखों के रोगों से राहत दिलाने में बहुत मदद करते हैं। इसके लिए 10 मिली गिलोय के रस में 1-1 ग्राम शहद व सेंधा नमक मिलाकर खूब अच्छी प्रकार से खरल में पीस लें। इसे आँखों में काजल की तरह लगाएं। इससे अँधेरा छाना, चुभन, और काला तथा सफेद मोतियाबिंद रोग ठीक होते हैं.
गिलोय रस में त्रिफला मिलाकर काढ़ा बनायें। 10-20 मिली काढ़ा में एक ग्राम पिप्पली चूर्ण व शहद मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से आँखों की रौशनी बढ़ जाती है। गिलोय का सेवन करते समय एक बात का ध्यान रखना पड़ेगा कि इसका सही मात्रा और सही तरह से सेवन करने पर ही गिलोय के फायदे (giloy ke fayde) का सही तरह से उपकार आँखों को मिल सकता है.
गिलोय के सेवन से कब्ज का इलाज (Giloy is Beneficial in Fighting with Constipation in Hindi):
गिलोय के औषधीय गुणों के कारण उसको 10-20 मिली रस के साथ गुड़ का सेवन करने से कब्ज में फायदा होता है। सोंठ, मोथा, अतीस तथा गिलोय को बराबर भाग में कर जल में खौला कर काढ़ा बनाएं। इस काढ़ा को 20-30 मिली की मात्रा में सुबह और शाम पीने से अपच एवं कब्ज की समस्या से राहत मिलती है। गिलोय के फायदे (giloy ke fayde) का पूरी तरह से लाभ उठाने के लिए गिलोय का सही तरह से इस्तेमाल करना भी ज़रूरी होता है.
गिलोय के इस्तेमाल से बवासीर का उपचार (Giloy Uses in Piles Treatment in Hindi):
हरड़, गिलोय तथा धनिया को बराबर भाग (20 ग्राम) लेकर आधा लीटर पानी में पका लें। जब एक चौथाई रह जाय तो खौलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़ा में गुड़ डालकर सुबह और शाम पीने से बवासीर की बीमारी ठीक होती है। काढ़ा बनाकर पीने पर ही गिलोय के फायदे ( giloy ke fayde)पूरी तरह से मिल सकते हैं।
कान की बीमारी में फायदेमंद गिलोय का प्रयोग (Uses of Giloy in Eye Disorder in Hindi):
गिलोय के तने को पानी में घिसकर गुनगुना कर लें। इसे कान में 2-2 बूंद दिन में दो बार डालने से कान का मैल (कान की गंदगी) निकल जाता है। कान के बीमारी से राहत पाने के लिए सही तरह से इस्तेमाल करने पर गिलोय के फायदे (giloy ke fayde) मिल सकते हैं। गिलोय का औषधीय गुण बिना कोई नुकसान पहुँचाये कान से मैल निकालने में मदद करते हैं, इससे कानों को नुकसान भी होता है।
हिचकी को रोकने के लिए करें गिलोय का इस्तेमाल (Giloy Benefits to Stop Hiccup in Hindi):
गिलोय तथा सोंठ के चूर्ण को नसवार की तरह सूँघने से हिचकी बन्द होती है। गिलोय चूर्ण एवं सोंठ के चूर्ण की चटनी बना लें। इसमें दूध मिलाकर पिलाने से भी हिचकी आना बंद हो जाती है। गिलोय के फायदे (giloy ke fayde) का सही मात्रा में उपयोग तभी हो सकता है जब आप उसका सही तरह से प्रयोग करेंगे.
टीबी रोग में फायदेमंद गिलोय का सेवन (Giloy Uses in T.B. Disease Treatment in Hindi):
गिलोय का औषधीय गुण टीबी रोग के समस्याओं से निजात दिलाने में मदद करते हैं लेकिन इनको औषधि के रुप में बनाने के लिए इन सब चीजों के साथ मिलाकर काढ़ा बनाने की ज़रूरत होती है। अश्वगंधा, गिलोय, शतावर, दशमूल, बलामूल, अडूसा, पोहकरमूल तथा अतीस को बराबर भाग में लेकर इसका काढ़ा बनाएं। 20-30 मिली काढ़ा को सुबह और शाम सेवन करने से राजयक्ष्मा मतलब टीबी की बीमारी ठीक होती है। इस दौरान दूध का सेवन करना चाहिए। इसका सही तरह से सेवन ही यक्ष्मा (टीबी रोग) में गिलोय के फायदे (giloy ke fayde) से पूरी तरह से लाभ उठा सकते हैं.
गिलोय के सेवन से उल्टी रुकती है (Benefits of Giloy to Stop Vomiting in Hindi):
एसिडिटी के कारण उल्टी हो तो 10 मिली गिलोय रस में 4-6 ग्राम मिश्री मिला लें। इसे सुबह और शाम पीने से उल्टी बंद हो जाती है। गिलोय के 125-250 मिली चटनी में 15 से 30 ग्राम शहद मिला लें।
इसे दिन में तीन बार सेवन करने से उल्टी की परेशानी ठीक हो जाती है। 20-30 मिली गुडूची के काढ़ा में मधु मिलाकर पीने से बुखार के कारण होने वाली उलटी बंद होती है। अगर उल्टी से परेशान है और गिलोय के फायदे (giloy ke fayde) का पूरा लाभ उठाने के लिए उसका सही तरह से सेवन करना.
पीलिया रोग में गिलोय से फायदा (Giloy Benefits in Fighting with Jaundice in Hindi):
गिलोय के औषधीय गुण पीलिया से राहत दिलाने में बहुत मदद करते हैं। गिलोय के फायदे का लाभ उठाने के लिए सही तरह से प्रयोग करना भी ज़रूरी होता है।
- गिलोय के 20-30 मिली काढ़ा में 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन-चार बार पिलाने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
- गिलोय के 10-20 पत्तों को पीसकर एक गिलास छाछ में मिलाकर तथा छानकर सुबह के समय पीने से पीलिया ठीक होता है।
- गिलोय के तने के छोटे-छोटे टुकड़ों की माला बनाकर पहनने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।
- पुनर्नवा, नीम की छाल, पटोल के पत्ते, सोंठ, कटुकी, गिलोय, दारुहल्दी, हरड़ को 20 ग्राम लेकर 320 मिली पानी में पकाकर
- काढ़ा बनायें। इस काढ़ा को 20 मिली सुबह और शाम पीने से पीलिया, हर प्रकार की सूजन, पेट के रोग, बगल में दर्द, सांस उखड़ना तथा खून की कमी में लाभ होता है।
- गिलोय रस एक लीटर, गिलोय का पेस्ट 250 ग्राम, दूध चार लीटर और घी एक किलो लेकर धीमी आँच पर पका लें। जब घी केवल रह जाए तो इसे छानकर रख लें। इस घी की 10 ग्राम मात्रा को चौगुने गाय के दूध में मिलाकर सुबह और शाम पीने से खून की कमी, पीलिया एवं हाथीपाँव रोग में लाभ होता है।
डायबिटीज की बीमारी में करें गिलोय का उपयोग (Uses of Giloy in Control Diabetes in Hindi):
गिलोय जिस तरह डायबिटीज कंट्रोल करने में फायदेमंद होता है लेकिन जिन्हें कम डायबिटीज की शिकायत हो, उन्हें गिलोय के नुकसान से सेहत पर असर भी पड़ सकता है।
- गिलोय, खस, पठानी लोध्र, अंजन, लाल चन्दन, नागरमोथा, आवँला, हरड़ लें। इसके साथ ही परवल की पत्ती, नीम की छाल तथा पद्मकाष्ठ लें। इन सभी द्रव्यों को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकर, छानकर रख लें। इस चूर्ण को 10 ग्राम की मात्रा में लेकर मधु के साथ मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करें। इससे डायबिटीज में लाभ होता है।
- गिलोय के 10-20 मिली रस में 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो-तीन बार पीने से भी डायबिटीज में फायदा होता है।
- एक ग्राम गिलोय सत् में 3 ग्राम शहद को मिलाकर सुबह शाम सेवन करने से डायबिटीज में लाभ मिलता है।
- 10 मिली गिलोय के रस को पीने से डायबिटीज, वात विकार के कारण होने वाली बुखार तथा टायफायड में लाभ होता है।
लीवर विकार को ठीक करता है गिलोय (Giloy Helps in Liver Disorder in Hindi):
18 ग्राम ताजी गिलोय, 2 ग्राम अजमोद, 2 नग छोटी पीपल एवं 2 नग नीम को लेकर सेक लें। इन सबको मसलकर रात को 250 मिली जल के साथ मिट्टी के बरतन में रख दें। सुबह पीस, छानकर पिला दें। 15 से 30 दिन तक सेवन करने से लीवन व पेट की समस्याएं तथा अपच की परेशानी ठीक होती है.
फाइलेरिया (हाथीपाँव) में फायदा लेने के लिए करें गिलोय का प्रयोग (Giloy Uses in Cure Filaria in Hindi):
10-20 मिली गिलोय के रस में 30 मिली सरसों का तेल मिला लें। इसे रोज सुबह और शाम खाली पेट पीने से हाथीपाँव या फाइलेरिया रोग में लाभ होता है।
गिलोय से कुष्ठ (कोढ़ की बीमारी) रोग का इलाज (Giloy Benefits in Leprosy Treatment in Hindi):
10-20 मिली गिलोय के रस को दिन में दो-तीन बार कुछ महीनों तक नियमित पिलाने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।
मूत्र रोग (रुक-रुक कर पेशाब होना) में गिलोय से लाभ (Giloy Cures Urinary Problems in Hindi):
गुडूची के 10-20 मिली रस में 2 ग्राम पाषाण भेद चूर्ण और 1 चम्मच शहद मिला लें। इसे दिन में तीन-चार बार सेवन करने से रुक-रुक कर पेशाब होने की बीमारी में लाभ होता है।
गठिया में फायदेमंद गिलोय (Benefits of Giloy in Arthritis Treatment in Hindi):
गिलोय के 5-10 मिली रस अथवा 3-6 ग्राम चूर्ण या 10-20 ग्राम पेस्ट या फिर 20-30 मिली काढ़ा को रोज कुछ समय तक सेवन करने से गिलोय के फायदे (giloy ke fayde) पूरी से मिलते हैं और गठिया में अत्यन्त लाभ होता है। सोंठ के साथ सेवन करने से भी जोड़ों का दर्द मिटता है.
बुखार में गिलोय के फायदे (Giloy For Fever):
ऐसे लोग जो जीर्ण ज्वर (Chronic Fever) या अन्य बीमारी से परेशान हैं, उनके लिए गिलोय बेहद फायदेमंद होती है। ऐसा इसके ज्वरनाशक गुणों (Anti-Pyretic Nature) के कारण होता है।
ये ब्ल्ड प्लेटलेट्स को बढ़ाने में, जानलेवा बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। डेंगी बुखार की समस्या होने पर भी ये उसके लक्षणों को दूर करता है। गिलोय के सत को थोड़ी मात्रा में शहद के साथ मिलाकर इस्तेमाल करने पर मलेरिया की समस्या को भी दूर किया जा सकता है.
एसिडिटी की परेशानी ठीक करता है गिलोय (Giloy Cure Acidity in Hindi):
- गिलोय के 10-20 मिली रस के साथ गुड़ और मिश्री के साथ सेवन करने से एसिडिटी में लाभ होता है।
- गिलोय के 20-30 मिली काढ़ा अथवा चटनी में 2 चम्मच शहद मिलाकर पीने से एसिडिटी की समस्या ठीक होती है
- इसके अलावा 10-30 मिली काढ़ा में अडूसा छाल, गिलोय तथा छोटी कटोरी को बराबर भाग में लेकर आधा लीटर पानी में
- पकाकर काढ़ा बनायें। ठंडा होने पर 10-30 मिली काढ़ा में मधु मिलाकर पीने से सूजन, सूखी खांसी, श्वास तेज चलना, बुखार तथा एसीडिटी की समस्या ठीक होती है।
कैंसर में फायदेमंद गिलोय का उपयोग (Giloy is Beneficial in Cancer in Hindi):
स्वामी रामदेव के पतंजलि आश्रम में अनेक ब्लड कैंसर के रोगियों पर गेहूँ के ज्वारे के साथ गिलोय का रस मिलाकर सेवन कराया गया। इससे बहुत लाभ हुआ। आज भी इसका प्रयोग किया जा रहा है और इससे रोगियों को अत्यन्त लाभ होता है।
लगभग 2 फुट लम्बी तथा एक अगुंली जितनी मोटी गिलोय, 10 ग्राम गेहूँ की हरी पत्तियां लें। इसमें थोड़ा-सा पानी मिलाकर पीस लें। इसे कपड़े से निचोड़ कर 1 कप की मात्रा में खाली पेट प्रयोग करें। पतंजलि आश्रम के औषधि के साथ इस रस का सेवन करने से कैंसर जैसे भयानक रोगों को ठीक करने में मदद मिलती है.
कफ की बीमारी में करें गिलोय का इस्तेमाल(Giloy is Beneficial in Cure Cough in Hindi):
गिलोय को मधु के साथ सेवन करने से कफ की परेशानी से आराम मिलता है।
स्वस्थ ह्रदय के लिए गिलोय का सेवन फायदेमंद (Giloy is Beneficial for Healthy Heart):
काली मिर्च को गुनगुने जल के साथ सेवन करने से सीने का दर्द ठीक होता है। ये प्रयोग कम से कम सात दिनों तक नियमित रूप से करना चाहिए.
गिलोय के नुकसान (Side Effects of Giloy):
गिलोय के लाभ की तरह गिलोय के नुकसान भी हो सकते हैंः-
- गिलोय डायबिटीज (मधुमेह) कम करता है। इसलिए जिन्हें कम डायबिटीज की शिकायत हो, वे गिलोय का सेवन न करें।
इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान भी इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
गिलोय कहां पाया या उगाया जाता है (Where is Giloy Found or Grown?):
यह भारत में सभी स्थानों पर पायी जाती है। कुमाऊँ से आसाम तक, बिहार तथा कोंकण से कर्नाटक तक गिलोय मिलती है। यह समुद्र तल से लगभग 1,000 मीटर की ऊँचाई तक पाई जाती है।
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