पुरुष में उत्तेजना व स्खलन के दौरान मूत्रमार्ग से निकलने वाले तरल द्रव को वीर्य कहा जाता है. यह प्रोस्टेट ग्रंथि और अन्य पुरुष प्रजनन अंगों से शुक्राणु व तरल पदार्थ ग्रहण करके बनता है.
पुरुष में उत्तेजना व स्खलन के दौरान मूत्रमार्ग से निकलने वाले तरल द्रव को वीर्य कहा जाता है. यह प्रोस्टेट ग्रंथि और अन्य पुरुष प्रजनन अंगों से शुक्राणु व तरल पदार्थ ग्रहण करके बनता है. आमतौर पर वीर्य गाढ़ा एवं सफेद होता है. हालांकि, कई स्थितियों में इसके रंग और गुणवत्ता में बदलाव हो सकता है. पतला वीर्य कम शुक्राणुओं की ओर संकेत करता है. जिससे आपकी प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है.
अगर वीर्य पतला हो गया हो, तो इस स्थिति में आप परेशान न हो, वीर्य के बारे में आपकी उत्सुकता के कारण ही आज यहां पर वीर्य के बारे में बताया जा रहा है. इसमें आप वीर्य क्या है, कैसे बनता है, वीर्य के पतलापन के कारण व वीर्य को बढ़ाने के उपाय और इसे गाढ़ा करने के घरेलू नुस्खे के बारे में जानेंगे. इस लेख में आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरूप सिंह द्वारा वीर्य क्या होता है और वीर्य को बनने में कितने दिन लगते हैं? क्या हस्तमैथुन से वीर्य की कमी हो सकती है ? पुरुषों के वीर्य (सीमेन) का इतना अधिक महत्व क्यों है? इसकी विस्तृत जानकारी दी जाएगी
वीर्य क्या है
पुरुषों में यौन इच्छा व सेक्स के अंतिम पड़ाव में स्खलन के समय लिंग से एक तरह का तरल पदार्थ निकलता है. इस तरल पदार्थ को वीर्य कहा जाता है. यह पुरुष की यौन ग्रथियों से स्त्रावित होता है. इसमें शुक्राणु मौजूद होते हैं. शुक्राणुओं के अलावा इसमें अन्य एंजाइम्स, फ्रुक्टोज (Fructose/ फलो से प्राप्त शर्करा) और प्रोटियोलिटिक (Proteolytic/ एक तरह का एंजाइम्स जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है) मिले होते हैं. इन सभी के मेल से वीर्य स्वस्थ होता है और प्रजनन छमता में बृद्धि होती है.
वीर्य कैसे बनता है
पुरुषों का शरीर लाखों सूक्ष्म शुक्राणुओं का उत्पादन करने के लिए लगभग निरंतर ही काम पर लगा रहता है. स्पष्ट है कि हर शुक्राणु का एकमात्र उद्देश्य डिंब की ओर तैरकर आना और उसमें मिल जाना होता है. यदि शुक्राणुओं के बनने की शुरुआत से अंत तक का समय देखें तो एक नई शुक्राणु कोशिका के निर्मित होने में करीब 2-3 महीनों का समय लग जाता है. यहाँ ये भी जान लेना आवश्यक है कि एक औसत शुक्राणु का औसत उम्र पुरुषों के शरीर में केवल कुछ ही हफ्तों का होता है. बता दें कि प्रत्येक वीर्यपात के साथ कम से कम चार करोड़ शुक्राणु बाहर आते हैं.
महिलाओं में ओव्यूलेशन को नियंत्रित करने वाले हॉर्मोन ही पुरुषों में टेस्टोस्टीरोन के निर्माण की प्रक्रिया को उत्तेजित करते हैं. पुरुषों में शुक्राणुओं के उत्पादन के लिए टेस्टोस्टीरोन हॉर्मोन ही जिम्मेदार होता है. शुक्राणुओं का उत्पादन की शुरुवात वीर्यकोष में ही प्रारंभ होता है. वीर्यकोष, लिंग के नीचे अंडकोषीय थैली में दो ग्रंथियां होती हैं. वीर्यकोष शरीर के बाहर लटके होते हैं, क्योंकि ये तापमान के प्रति काफी संवेदनशील होते हैं. कुशलतापूर्वक स्वस्थ शुक्राणुओं के उत्पादन के लिए इनका 34 डिग्री सेल्सियस के तापमान में रहना जरुरी है. यह शरीर के सामान्य तापमान से करीब चार डिग्री अधिक ठंडा होता है.
वीर्य पुटिका (Semen vesicles/ वीर्य को बनाने वाली ग्रंथि) व प्रोस्टेट ग्रंथि से वीर्य बनता है. वीर्य पुटिका के द्वारा 65-70 प्रतिशत वीर्य बनाया जाता है. जिसमें चिपचिपे फ्रुक्टोज का निर्माण होता है. इसके बाद इसमें सफेद रंग का तरल प्रोस्टेट ग्रंथि के द्वारा स्त्रावित होकर मिल जाता है. प्रोस्टेट ग्रंथि से निकलने वाले सफेद तरल में सिट्रिक एसिड, लिपिड और फॉस्फेट मिला होता है. इससे ही वीर्य को संपुर्णता मिलती हैं.
किस उम्र में वीर्य बनना शुरू होता है? – Virya Kab Banna Shuru Hota Hai
अब तक आपने ये तो समझ ही लिया होगा कि शुक्राणु कैसे बनते हैं. अब हम आपको ये बताने जा रहे हैं कि किशोवस्था तक शुक्राशय में शुक्राणुओं का निर्माण शुरू नहीं होता है. इसकी शुरुवात लगभग 11 से 13 साल के बीच ही होती है है और 17-18 साल तक इसकी प्रक्रिया में तेजी आ जाती है. अंडकोष से निकलकर शुक्राणु इसके ऊपरी हिस्से में तकरीबन एक महीने तक सक्रिय रहते हुए इकट्ठा रह सकते हैं. जहां तक बात है शुक्राणुओं के बनने के पूरी प्रक्रिया की तो इसमें करीब 72 दिन का समय लग जाता है. यानि कि ये शुक्राणु किशोरवस्था से बनना शुरू होकर जिंदगीभर बनते रहते हैं. शुक्राणुओं के निर्माण में हमारे मस्तिष्क के पिट्यूटरी ग्रंथि, एफएसएच हार्मोन व टैस्टीज से निकले टैस्ट्रोस्ट्रान हार्मोन आदि की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. इसलिए इन हार्मोन्स की कमी होने पर शुक्राणु नहीं बन पाते हैं.
वीर्य की भूमिका – Virya Ki Bhumika
शुक्राणु के निर्मित हो जाने के बाद यह दोनों वीर्यकोषों के अधिवृषण में इकट्ठा हो जाता है. आपको बता दें कि अधिवृषण एक छह मीटर लंबी लच्छेदार नलिका होती है. वीर्य के निकलने से ठीक पहले शुक्राणु ऊपर की तरफ आकर वीर्य में मिल जाते हैं. हलांकी वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या लाखों में होती है लेकिन प्रत्येक वीर्यपात में केवल एक शुक्राणु ही हर अंडे को निषेचित कर सकता है. शुक्राणु की भूमिका आपके शिशु के लिंग निर्धारण की निर्भरता इस बात पर होता है कि आपका कौन सा शुक्राणु पहले डिंब से मिलता है. वाई (Y) गुणसूत्र वाले शुक्राणु से बेटे का जन्म होगा और एक्स (X) गुणसूत्र वाले शुक्राणु से बेटी का जन्म होता है. ऐसे बहुत से मिथक प्रचलित हैं, जो बताते हैं कि बेटा या बेटी पाने के लिए गर्भाधान कैसे किया जाए.
वीर्य पतला होने के कारण, फर्टिलिटी पर प्रभाव और उपाय
वीर्य पुरुषों में स्खलन के दौरान मूत्रमार्ग (लिंग) से निकलने वाला पदार्थ होता है। इसमें शुक्राणु होते हैं और प्रोस्टेट व अन्य रिप्रोडक्टिव अंगों से निकलने वाले तरल पदार्थ मौजूद होते हैं।
सामान्य रूप से, वीर्य गाड़ा सफ़ेद द्रव होता है। लेकिन कुछ कारणों से यह पतला और बिना रंग का हो सकता है। हालाँकि, यह समस्या बिना किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या के कुछ समय के लिए (टेम्पररी) भी हो सकती है।
वीर्य पतला होने के कारण
वीर्य पतला होने के कई कारण हो सकते हैं। जिनमें से ज्यादातर का इलाज या रोकथाम संभव है।
1. शुक्राणुओं की कमी
वीर्य पतला होने का सबसे बड़ा कारण, शुक्राणुओं की कमी हो सकता है। इसे मेडिकल भाषा में अल्पशुक्राणुता (oligospermia) भी कहा जाता है। एक मिलीलीटर वीर्य में 1.5 करोड़ शुक्राणु से कम होने पर, शुक्राणुओं की कमी हो जाती है।
शुक्राणुओं की संख्या में कमी वीर्य के कमजोर पड़ने या वीर्य पतला होने का एक सामान्य कारण है। इसे ओलिगोस्पर्मिया भी कहा जाता है। वीर्य में शुक्राणु की एक सामान्य संख्या पाई जाती है। ऐसा कहा जाता है कि एक मिलीलीटर वीर्य में लगभग 150 मिलियन शुक्राणु होते हैं। जब यह कम होता है, तो वीर्य में शुक्राणुओं की कमी माना जाता है। ओलिगोस्पर्मिया होने के निम्नलिखित कारण हैं।
अल्पशुक्राणुता निम्न कारणों से हो सकती है:
- वृषण-शिरापस्फीति (Varicocele) – इस समस्या में अंडकोषों की रक्त वाहिकाओं में सूजन आ जाती है। यह पुरुषों में फर्टिलिटी कम होने का सबसे मुख्य कारण होता है। लेकिन इसका उपचार संभव है।
- संक्रमण (इन्फेक्शन) – प्रजनन अंगों में इन्फेक्शन होने पर भी, उनमें सूजन आ सकती है, जिससे शुक्राणुओं के उत्पादन पर बुरा असर पड़ता है। उदाहरण के लिए यौन संचारित रोग (एसटीडी) जैसे कि गोनोरिया या कोई अन्य संक्रमण भी प्रजनन अंगों में सूजन का कारण बनता है। इससे अंडकोष में सूजन भी हो जाती है।
- ट्यूमर – अंडकोषों में किसी भी प्रकार का ट्यूमर होना।
- हॉर्मोन असंतुलन – स्वस्थ शुक्राणुओं के उत्पादन के लिए, अंडकोषों, पीयूष ग्रंथि और हाइपोथेलेमस से निकलने वाले हॉर्मोन जरूरी होते हैं। इसलिए इनमें से किसी भी हॉर्मोन में असंतुलन होने पर, शुक्राणुओं के उत्पादन पर बुरा असर पड़ता है।
- इसके अलावा प्रतिरक्षा प्रणाली के माध्यम से शुक्राणुओं की कमी के लिए एंटीबॉडी बनाना।
- स्खलन समस्याएं, जैसे कि प्रतिगामी स्खलन। प्रतिगामी स्खलन में, वीर्य मूत्राशय में इकट्ठा होने लगता है और मूत्र के साथ बाहर आता है।
- वीर्य में शुक्राणु लाने वाली नलियों में चोट या कोई अन्य समस्या भी वीर्य पतला होने का कारण हो सकती है।
शुक्राणु कम होने के अन्य संभावित कारण
- स्खलन की समस्याएं, जैसे प्रतिगामी स्खलन। प्रतिगामी स्खलन में वीर्य मूत्राशय में इकठ्ठा होने लगता है और पेशाब के साथ बाहर आने लगता है।
- आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) में शुक्राणुओं के उत्पादन को रोकने वाली एंटीबॉडी होना।
- अंडकोष या शुक्राणुओं को ट्रांसपोर्ट करने वाली नलिका में चोट लगना।
2. कम समय में बार-बार स्खलित होना
कम समय में कई बार स्खलित होने पर भी वीर्य पतला हो सकता है। यदि आप दिन में कई बार हस्तमैथुन करते हैं, तो आपके वीर्य की क्वालिटी हर एक हस्तमैथुन के बाद कम हो सकती है। हमारे शरीर को नॉर्मल और हेल्थी वीर्य के उत्पादन के लिए, कम से कम कुछ घंटों का समय तो लगता ही है। स्वस्थ वीर्य एक निश्चित समय अंतराल के बाद फिर से उत्पन्न होता है।
3. जिंक की कमी होना
शरीर में जिंक की कमी होना भी, वीर्य पतला होने का एक मुख्य कारण हो सकता है।
- एक शोध से यह पता चला है, कि जिन पुरुषों में जिंक की मात्रा पर्याप्त होती है, या जो जिंक के सप्लीमेंट्स का सेवन करते हैं, उनमें एंटी-स्पर्म एंटीबॉडी के प्रभावों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है।
- यह एंटीबॉडी हमारा इम्यून सिस्टम उत्पादित करता है, जो स्पर्म को गलती से फॉरेन बॉडी समझकर उनसे लड़ने लगती हैं।
4. वीर्य पतला होने का कारण शीघ्रपतन
यदि आपका वीर्य पतला है, तो शीघ्रपतन (premature ejaculation) भी इसके पीछे एक कारण हो सकता है। कभी-कभी फोरप्ले के दौरान भी वीर्य निकल जाता है। इस वीर्य में शुक्राणु भी मौजूद होते हैं। इसके कारण भी वीर्य की गुणवत्ता प्रभावित होती है। और वीर्य पतला होने लगता है।
वीर्य का रंग अलग होने का क्या मतलब है?
- यदि आपके वीर्य का रंग पानी जैसा है, तो यह किसी हेल्थ प्रॉब्लम का शुरुआती संकेत हो सकता है।
- गुलाबी या भूरा लाल वीर्य होने का मतलब है, कि आपके प्रोस्टेट में सूजन है या खून बह रहा है।
- वीर्य पुटिकाओं (seminal vesicles) में सूजन या रक्त बहने पर भी यह गुलाबी रंग हो सकता है।
- वीर्य पुटिकाएँ प्रोस्टेट के पीछे मौजूद दो ग्रंथियाँ होती हैं, जो वीर्य में मौजूद ज्यादातर द्रव को उत्पादित करती हैं।
- वीर्य पीला होने का मतलब है, इसमें थोड़ी मात्रा में पेशाब का मौजूद होना या अत्यधिक वाइट ब्लड सेल्स (WBC) होना।
- हरा वीर्य, जिसमें थोड़ा पीलापन भी हो, का मतलब है, आपको प्रोस्टेट इन्फेक्शन हुआ है।
पतले वीर्य को गाड़ा करने के उपचार
शुक्राणु कम होने के कारण होने वाले पतले वीर्य में, कोई उपचार करने की जरूरत नहीं होती। साथ ही, शुक्राणु कम होने का मतलब यह नहीं कि आप बाप नहीं बन सकते।
- क्योंकि ज्यादातर मामलों में यह समस्या जननांगों में इन्फेक्शन के कारण होती है, जो अस्थाई रूप से शुक्राणुओं को कम कर देती है।
- चूँकि यह इन्फेक्शन कुछ दिनों में अपनेआप ठीक हो जाता है, लेकिन फिर भी यदि आप चाहें तो इसके उपचार के लिए डॉक्टर की सलाह से एंटीबायोटिक दवाएँ ले सकते हैं।
- यदि हॉर्मोन्स के असंतुलन के कारण शुक्राणु कम हुए हैं, तो आप हॉर्मोन ट्रीटमेंट ले सकते हैं।
- यदि इसका कारण वृषण-शिरापस्फीति (Varicocele) है, तो इसका उपचार सर्जरी के द्वारा हो सकता है।
- इन सब उपचारों के अलावा, आप अपनी जीवनशैली में बदलाव लाकर भी, पतले वीर्य को गाड़ा करने की प्रक्रिया को तेज कर सकते हैं।
- कई अध्ययनों से पता चला है कि वजन घटाने के व्यायाम से आपके शुक्राणुओं की संख्या बढ़ती है। इसके अलावा, अध्ययन से यह भी पता चला हैं कि सप्ताह में कम से कम 15 घंटे व्यायाम करने से न केवल आपकी मांसपेशियों को लाभ होता है, बल्कि वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या भी बढ़ती है।
- किसी भी तरह के तनाव का शरीर के अंगों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। तनाव से मांसपेशियों में थकान होती है, साथ ही ऊर्जा का स्तर कम होता है।
- तनावग्रस्त लोग सुस्ती और थकान के कारण प्रजनन क्षमता पर भी ध्यान नहीं दे पाते हैं। इसके लिए आपको तनाव के कारणों की पहचान करनी होगी और इसे कम करना होगा।
वीर्य गाढ़ा करने के लिए विटामिन डी और कैल्शियम का सेवन
शोध में यह बताया गया है कि विटामिन डी और कैल्शियम की मदद से वीर्य के पतलेपन की समस्या को दूर किया जा सकता है। इसी समय, इस विषय पर कई अन्य अध्ययनों ने पुष्टि की है कि आप विटामिन डी और कैल्शियम के साथ वीर्य की गुणवत्ता को बढ़ा सकते हैं। आहार में विटामिन डी के स्रोतों का कम सेवन करने पर, आप इसमें कमी महसूस कर सकते हैं और शुक्राणुओं की संख्या भी कम हो जाती है।
वीर्य को गाढ़ा बनाने वाले खाद्य पदार्थ का सेवन करें
आप कुछ खास खाद्य पदार्थों का सेवन करके अपने वीर्य को गाढ़ा कर सकते हैं। इसमें दही, लहसुन, बादाम,अनार, किडनी बीन्स यानी राजमा, केला, नींबू, ग्रीन टी, साबुत अनाज और दालें, डार्क चॉकलेट, मिल्क प्रोडक्ट और हल्दी शामिल हैं।
इसके लिए आप निम्न बातों का ध्यान रखें:
- धूम्रपान करना छोड़ दें
- यदि आपका वजन सामान्य से अधिक है, तो उसे कम करें। इसके लिए आप एक्सरसाइज, योग, डाइटिंग और हेल्थी खानपान का सहारा ले सकते हैं।
- शराब का सेवन कम करें।
- पूरी नींद लें। रात को जल्दी सोएं और सुबह जल्दी उठकर व्यायाम करें।
- कुछ मामलों में पतला वीर्य होने का कारण कम समय में बार-बार स्खलित होना भी हो सकता है। इसलिए अत्यधिक हस्तमैथुन या सेक्स न करें।
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