प्राचीन समय से हे सेक्स को पूजा जाता रहा है चाहे फिर वो सतयुग हो या फिर कलयुग. हर युग में सेक्स करने को लेकर अलग अलग मथ रहे हैं. प्राचीन समय मतलब कि पहले के जमाने में सेक्स के प्रति लोगों के विचार और सोच आज से ज्यादा खुली होती थे। सेक्स को लेकर ये झिझक और शर्म भारत में पिछली कुछ ही सदियों की ही देन हैं। लेकिन सेक्स को लेकर ख्यालात हमेशा से ऐसे नहीं थे। प्राचीन भारत में यौन संबंधों पर खुलकर चर्चा होती थी।
लोग इस विषय में बात करने से बिल्कुल कतराते नहीं थे। यही वजह थी कि सेक्स के विषय पर पहला ग्रंथ ‘कामसूत्र’ भारत में दूसरी सदी में ही लिख दिया गया था। लेकिन सेक्स के प्रति अनुशानसन भी कड़ा हुआ करता था। प्राचीन नियमों के अनुसार सेक्स (सहवास) दीर्घायु, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य सुख प्राप्त करने के साथ- साथ साहचर्य सुख और वंशवृद्धि प्राप्ति की एक कला के रूप में माना जाता था। उनका मानना था कि अगर व्यक्ति कुछ नियमों में बंधकर सेक्स करता है तो वो कई बीमारियों और आपदाओं से बचा रह सकता है और हकीकत भी यही है हर कोई भी मनुष्य हर रोज सेक्स करता है तो बहुत से बिमारियों से बचा रह सकता है.
आजकल हर दूसरा व्यक्ति परेशान है क्योंकि उसकी जिंदगी में दिमागी टेंसन ने अपना घर बनाकर रखा हुआ है जिससे चलते उसकी जिंदगी हर तरह से ख़त्म होने के कगार पर पहुँच चुकी है. इस तरह उसकी सेक्स लाइफ पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। प्राचीन सेक्स नियमों के अनुसार पति और पत्नी के बीच सेक्स भी रिश्तों को मजबूत बनाए रखने का आधार होता था, बशर्ते कि उसमें प्यार का एहसास जरूरी रूप में होना चाहिए, काम- वासना का नहीं। ऐसे ही हम कुछ सेक्स रूल्स यानि के सेक्स नियमों के बारे में बताने का प्रयास कर रहे हैं जिन्हें प्राचीन समय में फॉलो किया जाता था। वैसे एक्सपर्ट भी कहते हैं कि अगर सेक्स के समय आप इन बातों का ध्यान रखेंगे तो इन्सान की सेक्सुअल लाइफ यानि के सेक्सुअल जिंदगी बड़ी अच्छी चलेगी और इस जिंदगी का आप बहुत अच्छे से मजा ले सकते हैं.
1- अगर महिला के मासिक धर्म शुरू होने के पहले 4 दिन में कोई पुरुष सेक्स करता है तो वो किसी न किसी रोग का शिकार हो सकता है। प्राचीन नियमों के अनुसार पीरियड में सेक्स नहीं करना चाहिए। पांचवें, छठें, बारहवें, चौदहवें और सोलहवें दिन में शारीरिक सम्बन्ध बनाना काफी अच्छा माना गया है।
2- बह्म वैवर्त पुराण के अनुसार दिन के समय और सुबह- शाम पूजा के समय किसी स्त्री और पुरुष का मिलन नहीं होना चाहिए। इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि ग्रहण, सूर्योदय, सूर्यास्त, निधन, श्रावस मास, नक्षत्र, दिवाकाल, भद्रा, श्राद्ध, अमावस्या में भी संभोग न किया जाए। इसे पुण्यों का विनाश करने वाला कर्म भी माना गाया है।
3- प्राचीन समय में किसी भी पुरुष और महिला को अपने पति या पत्नी के अलावा किसी अन्य के साथ सेक्स करने की पूरी मनाही थी। इसे अनैतिक कार्य समझा जाता था। ये भी बताया गया है कि इन नियमों का उल्लघंन करने वाले जीवन भर पछताते हैं।
4- गर्भवती महिला को गर्भकाल यानि कि प्रेगनेंसी में सेक्स नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से संतान अपंग पैदा होने का खतरा रहता है।
5- पवित्र वृक्षों, श्मशान घाट, पवित्र स्थल, गुरुकुल, अस्पताल जैसे स्थान पर सेक्स करने की मनाही है। अगर कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो जीवन भर भयंकर रोगों का सामना करना पड़ता है।
6- अगर आपके पार्टनर को सेक्स की इच्छा नहीं है या वो उदास है तो उसके साथ संबंध स्थापित नहीं करने चाहिए। ऐसा करना किसी अपराध से कम नहीं समझा जाता है।
7- सेक्स के समय स्त्री और पुरुष दोनों के जननांग (प्राइवेट पार्ट) पूरी तरह से साफ होने चाहिए। इसी कारण पुराने समय में सहवास करने से पहले स्नान करना जरूरी समझा जाता था।
8- कहा जाता था कि पूरी तरह से नग्न अवस्था में सेक्स नहीं करना चाहिए। महिला और पुरुष दोनों को अपने शरीर को किसी चादर या कपड़े से कवर करके रखना चाहिए। हो सकता है कि जिस समय आप सेक्स करे रहे हों, कोई आपदा आ जाये या फिर दोनों में से किसी शख्स की मृत्यु हो जाये तो ऐसे में आपका शरीर पूर्ण नग्न नहीं रहेगा।
9- कामसूत्र के रचयिता आचार्य वात्सयायन के मुताबिक स्त्री और पुरुष दोनों को कामशास्त्र का पूरा ज्ञान होना चाहिए। ताकि वो अपनी सेक्स लाइफ को मनोरंजक बना सकें। क्योंकि जिन दंपतियों की सेक्स लाइफ अच्छी होती है, उनके घर में हमेशा सुख शांति बनी रहती है।
10- प्राचीन नियमों के अनुसार रात के पहले प्रहर में ही सेक्स कर लेना उचित होता है। आधी रात में किया गया सेक्स चंडाल का काम समझा जाता है यानि कि इस समय किये गये सेक्स से होने वाली संतान राक्षसी प्रवृत्ति को हो सकती है।
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