बबूल (कीकर) क्या है (What is Babool in Hindi?)
बबूल की पत्तियां बहुत छोटी होती हैं। बबूल के पेड़ में कांटे होते हैं। गर्मी के मौसम में बबूल के पेड़ (babool tree) पर पीले रंग के गोलाकार गुच्छों में फूल खिलते हैं। ठंड के मौसम में फलियां आती हैं। बबूल की छाल और गोंद का व्यवसाय बहुत बड़े लेवल किया जाता है। इसकी निम्नलिखित प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनका प्रयोग चिकित्सा के लिए अलग अलग तरीके से किया जाता है।
आयुर्वेद में बहुत से पेड़ों का बहुत ही गुणकारी महत्व होता है जो बीमारियों में तरह तरह से लाभ पहुंचाने का काम करते हैं इन्हीं पेड़ों में से एक बबूल का पेड़ है, बबूल का पेड़ अधिकतर खेतों में पाया जाता है. बबूल के पेड़ में पाए जाने वाले फली का आयुर्वेद में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि यह फली बहुत सी बीमारियों में राहत पहुंचाने का काम करती है। जैसे दस्त में बबूल की फली को पीने से बहुत जल्द आराम मिलता है शरीर में पेशाब ज्यादा आने पर भी बबूल की फली बहुत ही उपयोगी होती है क्योंकि इसके सेवन करने से पेशाब का ज्यादा आना बंद हो जाता है घुटनों के दर्द, दांत दर्द और शरीरी दुर्लब्ता में भी यह बहुत उपयोगी सिद्ध हुयी है दांत दर्द में बबूल की फली और बबूल के छाल को पीसकर दांत में लगाने से दांत दर्द में आराम मिलता है।
बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होय। यह कहावत आपने कभी न कभी जरूर सुनी होगी। इस कहावत में इसी बबूल के पेड़ (Babool Tree) का जिक्र किया गया है। बबूल का पेड़ कई तरह की दवाइयों को बनाने के लिए उपयोग किया जाता है. बबूल के पत्तों, लकड़ी, फूल, छाल, गोंद आदि सब से अपने अलग अलग फायदे मिलते हैं। क्या आप ये जानते हैं कि बबूल का औषधीय गुण एक-दो नहीं बल्कि हजारों रोगों के लिए फायदेमंद होता है।
अन्य भाषाओं में बबूल के नाम (Name of Babool in Different Languages)
बबूल का वानस्पतिक नाम अकेशिया निलोटिका (Acacia nilotica (Linn.) Willd ex Delile, Syn Acacia arabica (Lam.) Willd.) है, और ये मिमोसेसी (Mimosaceae) कुल से है। बबूल को देश-विदेश में इन नामों से भी जाना जाता हैः-
Babool in-
Hindi (acacia in Hindi) – बबूर, बबूल, कीकर
English – ब्लैक बबूल (Black babool), गम अरेबिक ट्री (Gum arabic tree), इण्डियन अरेबिक ट्री (Indian arabic tree)
Sanskrit – बब्बूल, किङिकरात, सपीतक, आभा, युग्मकण्टक, दृढारूह, सूक्ष्मपत्ते, मालाफल
Uttrakhand – बबूल (Babul)
Oriya – बबुलो (Babulo), बोबुरो (Boburo)
Urdu – बबूल (Babul)
Konkani – बबुल (Babul)
Kannada – बबूली (Babbuli), पुलई (Pulai)
Gujarati – बावल (Babal), बाबलिआ (Babalia)
Tamil – करू बेलमरम (Karu belmaram)
Telugu – तल्लतुम्म (Talltumm), बर्बुरूमु (Barburumu)
Bengali – बाबला (Babla), बबूल (Babul)
Nepali – बबूल (Babul)
Punjabi – बाबला (Babla), बबूल (Babul)
Malayalam – कारूवेलकाम (Karuvelakam), कारूवेलम (Karuvelam)
Marathi – बभूल (Babhul), बबूल (Babul)
Arabic – उम्म-ए-गिलान (Umm-e-ghilan)
Persian – मुगिलाँ (Muginlan), खारेमुघीलान (Kharemughilan)
बबूल के फायदे (Babool Tree Uses and Benefits in hindi)
आयुर्वेद की दृष्टि से बबूल के औषधीय प्रयोग का तरीका, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां कुछ इस प्रकार हैं
वीर्य रोग (धातु रोग) में बबूल का औषधीय गुण लाभदायक (Babool Tree Uses for Sperm Related Disorder in Hindi)
- बबूल की फली को छाया में सुखाकर पीस लें। बराबर मात्रा में मिश्री मिला लें। एक चम्मच की मात्रा में सुबह और शाम रोज पानी के साथ लें। इससे वीर्य के विकार ठीक होते हैं।
- बबूल के गोंद को घी में तलें। इसको खाने से पुरुषों का वीर्य बढ़ता है।
- बबूल के गोंद के फायदे (gond ke fayde) से पुरुषों के यौन संबंधी समस्याओं को ठीक किया जा सकता है।
- 2 ग्राम बबूल के पत्ते में 1 ग्राम जीरा तथा चीनी मिलाएं। इसे 100 मिली दूध में मिलाकर सेवन करें। इससे शुक्राणु संबंधित रोगों में लाभ होता है।
योनि के ढीलेपन की समस्या में बबूल के फायदे (Babool Tree Uses to Treat Vaginal Laxity in Hindi)
- एक हिस्सा बबूल की छाल को 10 हिस्सा पानी में रात भर भिगोएं। सुबह पानी को उबाल लें। जब पानी आधा रह जाए तो छान कर बोतल में भर लें। इस पानी से योनि को धोने से योनि का ढीलापन दूर होता है।
- बबूल की फलियों का चिपचिपा पदार्थ लें। इससे थोड़े मोटे कपड़े को 7 बार गीला करके सुखा लें। संभोग से पहले इस कपड़े के टुकड़े को दूध या पानी में भिगोएं। इस दूध या पानी को पी लें। इससे योनि के ढीलापन की समस्या दूर होती है।
बबूल के गुण से स्वप्न दोष का इलाज (Babool Tree Uses to Stop Nightfall in Hindi)
बबूल के उपयोग से स्वप्न दोष का उपचार होता है। 20 ग्राम बबूल पंचांग में 10 ग्राम मिश्री मिलाएं। इसे एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम रोज सेवन करें। इससे स्वप्न दोष में लाभ होगा।
मासिक धर्म विकार में बबूल का गुण लाभदायक (Babool Tree Uses for Menstrual Disorder in Hindi)
- बबूल का 4.5 ग्राम भुना हुआ गोंद लें। गेरु 4.5 ग्राम लें। इनको पीसकर सुबह सेवन करने से मासिक विकारों में लाभ होता है।
- बबूल की 20 ग्राम छाल को 400 मिली पानी में उबालें। जब काढ़ा 100 मिली बच जाए तो दिन में तीन बार पीएं। इससे मासिक धर्म की बीमारी जैसे मासिक धर्म में खून अधिक आने की समस्या ठीक होती है।
ल्यूकोरिया में बबूल के औषधीय गुण से फायदा (Babool Tree Benefits to Treat Leucorrhoea in Hindi)
- ल्यूकोरिया के इलाज के लिए 10 ग्राम बबूल की छाल को 400 मिली जल में पकाएं। जब काढ़ा 100 मिली रह जाए तो काढ़ा में 2-2 चम्मच मिश्री मिला लें। इसे सुबह-शाम पिएं। इससे ल्यूकोरिया में फायदा होता है।
- काढ़ा में थोड़ी-सी फिटकरी मिलाकर योनि को धोने से भी ल्यूकोरिया में फायदा मिलता है।
- इसके अलावा 15-30 मिली बबूल के तने की छाल का काढ़ा का सेवन करें। इससे भी ल्यूकोरिया में लाभ होता है।
बबूल के उपयोग से बांझपन दूर करना (To Remove Infertility Using Acacia in Hindi)
महिलाओं के लिए बबूल किसी औषधी से कम नहीं है। बबूल के पेड़ के तने से एक फोडा सा निकलता है जिसे बांदा भी कहा जाता है। इसे पीसकर और छाया में सुखाकर चूर्ण बना ले एंव इस चूर्ण को तीन ग्राम की मात्रा में माहवारी के खत्म होने के अगले दिन से तीन दिनो तक सेवन करे।
वजन घटाने के लिए बबूल अथवा कीकर का इस्तेमाल (Use of Acacia or Keekar for weight loss)
बबूल गोंद स्वस्थ वजन बनाए रखने में मदद करता है। साथ ही यह अधिक वसा को कम करने में भी सहायक है। एक अध्ययन के मुताबिक, महिलाएं जिन्होंने बबूल गोंद का छह हफ्ते तक सेवन किया था, उनके बॉडी मास इंडेक्स (शरीर में मौजूद वसा) में कमी दर्ज की गई। माना जाता है कि बबूल गोंद डाइटरी फाइबर से भरपूर होता है, जिस वजह से यह वजन घटाने में मदद करता है। आप इसे पानी में घोलकर पी सकते हैं। 3 महीने तक 30 ग्राम बबूल गोंद की खुराक लेने से यह वजन बढ़ाने की प्रक्रिया को रोकने में प्रभावी भूमिका निभा सकता है।
आंखों के रोग में बबूल का औषधीय गुण फायदेमंद (Uses of Kikar Tree for Eye Disease in Hindi)
- बबूल के कोमल पत्तों को गाय के दूध में पीस लें। इसका रस निकालकर 1-2 बूंद आंखों में डालें। इससे आंखों के दर्द ठीक होते हैं। इससे आंखों की सूजन में भी लाभ होता है।
- आंखों से पानी बहने पर बबूल के पत्तों का काढ़ा बनाएं। इसमें शहद मिलाकर काजल की तरह लगाएं। इससे आंखों से पानी बहने की परेशानी ठीक होती है।
- बबूल के पत्ते तथा तने की छाल का काढ़ा बनाकर आंखों को धोएं। इससे आंंखों की अन्य बीमारी भी ठीक हो जाती है।
दांतों के रोग में बबूल से लाभ (Benefits of Babool in Dental Disease in Hindi)
- दांतों में दर्द होने पर बबूल या कीकर की फली (babul ki fali) का छिलका लें। इसमें बादाम के छिलके की राख मिला लें। इसमें नमक मिलाकर मंजन करें। इससे दांतों का दर्द ठीक होता है।
- इसी तरह बबूल की कोमल टहनियों से दातून करने से भी दांतों की बीमारी ठीक होती है। दांत मजबूत होते हैं।
- दांतों के दर्द में बबूल की छाल, पत्ते, फूल और फलियां लें। सभी को बराबर-बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बनाएं। इस चूर्ण से मंजन करने से दांतों के रोग दूर होते हैं।
- इसके अलावा बबूल की छाल का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से दांतों का दर्द दूर होता है।
- बबूल की छाल के काढ़ा से गरारा करने से भी दांतों के दर्द से राहत मिलती है।
डायबिटीज मतलब शुगर के लिए बबूल के फायदे (To control diabetes sugar)
अगर आप डायबिटीज या इसके खतरे से बचना चाहते हैं, तो बबूल गोंद आपकी मदद कर सकता है। एक अध्ययन के मुताबिक, बबूल गोंद के इस्तेमाल से सीरम ग्लूकोज के स्तर में कमी देखी गई है। इसके अलावा, यह हानिकारक कोलेस्ट्रोल एलडीएल को कम करता है और अच्छे कोलेस्ट्रोल एचडीएल को बढ़ाने में मदद करता है।
ये सभी किसी न किसी तरह से डायबिटीज से जुड़े हुए हैं। डायबिटिक व्यक्ति अगर अपने ग्लूकोज लेवल और कोलस्ट्रोल को नियंत्रण में रखता है, तो उसे डायबिटीज में काफी फायदा मिलता है। वहीं, मोटापे को नियंत्रण में रखकर भी यह आपको डायबिटीज के खतरे से बचाता है। दरअसल, मोटापा डायबिटीज का जोखिम कारक (रिस्क फैक्टर) होता है।
बबूल के औषधीय गुण से पेट के रोगों में फायदा (Uses of Babool Tree for Abdominal Disease in Hindi)
- बबूल की छाल का काढ़ा बना लें। काढ़ा जब थोड़ा गाढ़ा हो जाए तो इसे 1-2 मिली की मात्रा में मट्ठे के साथ पिएं। इससे पेट की बीमारी में लाभ होता है। इस दौरान सिर्फ मट्ठे का सेवन करना चाहिए।
- पेट के दर्द से आराम पाने के लिए बबूल के फल को भून लें। इसका चूर्ण बनाकर, उबले हुए जल के साथ सेवन करें। इससे पेट दर्द से राहत मिलती है।
- बबूल के छाल से बने काढ़ा को छाछ के साथ पिएं। आहार में छाछ का सेवन करने से जलोदर रोग में लाभ होता है।
बबूल के औषधीय गुण से मुंह के छाले का इलाज (Babool Tree Uses to Treat Mouth Ulcers in Hindi)
मुंह के छाले की परेशानी में भी बबूल से फायदा मिल सकता है। बबूल की छाल के काढ़ा से 2-3 बार गरारे करें। इससे मुंह के छाले ठीक होते हैं।
उच्च कोलेस्ट्रॉल करता है कंट्रोल (Controls high cholesterol)
बबूल (Gum arabic tree Benefits) फाइबर का काफी अच्छा स्त्रोत होता है। इसके इस्तेमाल से वजन कम होता है, साथ ही इससे पेट भरा-भरा महसूस होता है। इससे हम ओवरइटिंग की समस्या से बचे रहते हैं। वजन कम करने के साथ-साथ कोलेस्ट्रॉल लेवक को नियंत्रित रखने में बबूल हमारी मदद करता है।
बबूल के सेवन से कंठ के रोग का इलाज (Uses of Babool Tree to Treat Throat Disorder in Hindi)
- बबूल के पत्ते और छाल एवं बड़ की छाल लें। सबको बराबर-बराबर मात्रा में मिलाकर एक गिलास पानी में भिगो दें। सुबह छानकर रख लें। इससे कुल्ला (गरारा) करने से गले के रोग मिट जाते हैं।
- इसके अलावा बबूल की छाल के काढ़ा से गरारा करें। इससे भी कंठ के रोग में लाभ होता है।
बबूल के इस्तेमाल से पीलिया का उपचार (Benefits of Babool in Fighting with Jaundice in Hindi)
बबूल के फूलों के चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाएंं। इसे 10 ग्राम की मात्रा में दिन में तीन बार सेवन करने से पीलिया में लाभ होता है।
बबूल के सेवन से मूत्र रोग का इलाज (Uses of Acacia in Urinary Disorder in Hindi)
- बबूल की 10-20 कोपलों को एक गिलास पानी में भिगोएं। इसे रात भर पानी में ही रखें। सुबह पानी को साफ कर पिएं। इससे पेशाब में जलन की समस्या में लाभ मिलता है।
- इसी तरह 15-30 मिली बबूल के तने की छाल का काढ़ा बनाएं। इसका सेवन करने से बार-बार पेशाब आने की परेशानी ठीक हो जाती है।
बालों की सुरक्षा के लिए बबूल के फायदे (Acacia Benefits For Hair in Hindi)
इसके पत्तो से बालों को काफी फायदा होता है बालों के झड़ने से रोकने के लिए इसके पत्तो का बालों पर पेस्ट लगाएं और अच्छे गुणवत्ता वाले शैम्पू के साथ 30 मिनिट बाद बालो को धो ले एवं हमेशा अपने बालों को धेाने के लिए गुनगुने पानी का उपयोग करें।
दस्त रोकने के लिए बबूल का इस्तेमाल (Benefits of Babool to Stop Diarrhea in Hindi)
- बबूल के 8-10 कोमल पत्तों का रस लें। आप रस में 500 मिग्रा जीरा और 1-2 ग्राम अनार की कलियों को भी मिला सकते हैं। इसे 100 मिली पानी में पीस लें। पानी में एक टुकड़ा गर्म इऔट का बुझा लें। दिन में 2-3 बार 2 चम्मच इस पानी को पिलाने से दस्त बंद हो जाता है।
- बबूल के पत्ते के रस को छाछ में मिलाकर पिलाने से हर प्रकार के दस्त पर रोक लगती है।
- दस्त की परेशानी में बबूल की दो फलियां खाकर ऊपर से छाछ पिएंं। दस्त बंद हो जाती है।
- दस्त को बंद करने के लिए बबूल के पत्तों से बने पेस्ट को जल में घोलकर पिएं। इससे फायदा होता है।
- बबूल के पत्ते, और शयामले जीरे को बराबर-बराबर मात्रा में लें। इसे पीसकर 10 ग्राम की मात्रा में रात के समय देने से कफज विकार के कारण होने वाले दस्त में लाभ होता है।
भूख बढ़ाने के लिए बबूल का सेवन (Use of Acacia in Appetite Problem in Hindi)
भूख की कमी या भोजन से अरुचि की समस्या को ठीक करने के लिए बबूल या कीकर की फली का अचार लें। इसमें सेंधा नमक मिलाकर खिलाएं। इससे भूख बढ़ती है, और जठराग्नि प्रदीप्त होती है।
बबूल के गुण से सूजाक का इलाज (Babool Tree Benefits in Gonorrhea Treatment in Hindi)
- बबूल की 10-20 कोपलों को एक गिलास पानी में भिगोएं। इसे रात भर ऐसे ही रहने दें। सुबह पानी को साफ कर पिएं। इससे सूजाक में लाभ मिलता है।
- 10 ग्राम बबूल की कोंपलों को रात भर एक गिलास पानी में भिगोएं। इसे सुबह मसलकर छान लें। इसमें 20 ग्राम गर्म घी मिलाकर पिलाएं। दूसरे दिन भी ऐसा ही करें। तीसरे दिन घी नहीं मिलाएं। चौथे और पांचवे दिन सिर्फ इसका हिम (रात भर का भिगोया हुआ पानी) पीने से सूजाक में बहुत लाभ होता है।
- बबूल की 10 ग्राम गोंद को एक गिलास पानी में डालें। इसकी पिचकारी देने से योनि में दर्द और सूजन की परेशानी ठीक होती है। इससे सूजाक रोग के कारण होने वाली जलन भी ठीक होती है।
- बबूल के 5-10 पत्तों को 1 चम्मच शक्कर और 2 नग काली मिर्च के साथ या 5-6 अनार के पत्तों के साथ पीसकर छान लें। इसे पीने से सूजाक में लाभ होता है।
पेचिश में बबूल के गुण से फायदा (Babool Benefits to Stop Dysentery in Hindi)
- बबूल की 10 ग्राम गोंद को 50 मिली पानी में भिगोएं। इसे मसलकर छानें। इसे पिलाने से दस्त और पेचिश में लाभ होता है।
- बबूल की कोमल पत्तियों के एक चम्मच रस में थोड़ी-सी हरड़ का चूर्ण या शहद मिलाएं। इसका सेवन करने से पेचिश में फायदा होता है।
- बबूल के तने की छाल का काढ़ा बनाएं। इसका सेवन करने से दस्त और पेचिश में लाभ होता है।
- बबूल के पत्ते का काढ़ा अथवा पत्ते के पेस्ट को तण्डुलोदक के साथ प्रयोग करने से दस्त और पेचिश में फायदा होता है।
खांसी में बबूल के फायदे (Babool Tree Uses for Cough Treatment in Hindi)
- बबूल के पत्ते तथा तने की छाल का चूर्ण बनाएं। इसके 1-2 ग्राम की मात्रा में शहद मिलाकर सेवन करने से खांसी में लाभ होता है।
- इसी तरह 1 ग्राम बबूल के चूर्ण का सेवन करने से भी खांसी ठीक होती है।
हड्डी संबंधित रोग में बबूल का प्रयोग फायदेमंद (Benefits of Babul in Bone Related Disorder in Hindi)
- बबूल की फली (babul ki fali) को अधिक मात्रा में लें। इनका चूर्ण बना लें। चूर्ण को रोज सुबह-शाम सेवन करने से टूटी हड्डी तुरंत जुड़ जाती है।
- इसके अलावा बराबर-बराबर मात्रा में बबूल या कीकर की फली, त्रिफला (आमलकी, हरीतकी, बहेड़ा) तथा व्योष (सोंठ, मरिच, पिप्पली) के चूर्ण लें। इसमें बराबर मात्रा में गुग्गुलु मिलाकर सेवन करें। इससे भी हड्डियों के टूटने की बीमारी में मिलता है।
बबूल के उपयोग से कमर दर्द का इलाज (Babool Benefits in Relief from Back Pain in Hindi)
कमर दर्द में बबूल से फायदा लेने के लिए बबूल की छाल, कीकर की फली और गोंद को बराबर-बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें। एक चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन करने से कमर दर्द से आराम मिलता है।
बबूल के वारे में सारी जानकारी लेने के बाद अब उसके उपयोगी भाग (Useful Parts of Babool) की जानकारी लेना बहुत जरुरी है
बबूल का इस्तेमाल निम्न तरह से किया जा सकता हैः-
- फली
- पत्ते
- तने
- गोंद
- तने की छाल
बबूल का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Babool?)
बबूल के इस्तेमाल की मात्रा इतनी होनी चाहिएः-
- तने का काढ़ा- 50-100 मिली
- चूर्ण- 2-6 ग्राम
- गोंद 3-6 ग्राम
- औधषि के रूप में अधिक फायदा लेने के लिए बबूल का उपयोग चिकित्सक के परामर्शानुसार ही करें।
बबूल के साइड इफेक्ट (Babool Side Effects)
- बबूल के अधिक सेवन से स्तन से संबंधित रोग होता है। अधिक मात्रा में इसके निर्यास का प्रयोग करने से गुदा रोग होता है।
- दर्पनाशक – बबूल का दर्पनाशक वनफ्शा है।
- कुछ लोगों को बबूल के इस्तेमाल से एलर्जी हो सकती है इससे बचने के लिए पहले थोड़ी मात्र में बबूल का सेवन करें।
- बबूल का अधिक मात्र में सेवन करने से बचे इसका अधिक सेवन शरीर के अंगों जैसे की लीवर व किडनी को ख़राब कर सकता है।
- मुंह में सनसनाहट
- सुबह-सुबह जी-मिचलाना
- हल्के दस्त
- पेट का फूलना
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