ल्यूकोडर्मा को ही सफ़ेद दाग या विटिलिगो भी कहते हैं. ल्यूकोडर्मा, हमारे बॉडी में होने वाला एक ऐसा डिसऑर्डर है जिसमें बॉडी के विभिन्न भागों की त्वचा पर ल्यूकोडर्मा बनने शुरू हो जाते हैं. यह इसलिए होता है क्योंकि त्वचा में रंग बनाने वाली सेल्स खत्म हो जाती हैं, इन कोशिकाओं को मेलेनोसाइट्स कहा जाता है. अगर ल्यूकोडर्मा बॉडी पर बहुत ज्यादा दिखने लगें तो शीघ्र ही डॉक्टर को जरूर दिखाएं. ल्यूकोडर्मा के शुरूआती लक्षणों को ठीक करने के लिए आप कुछ घरेलू उपायों का भी उपयोग कर सकते हैं.
यह एक ऑटो इम्यून डिज़ीज़ होता है, जिसमें व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता उसकी त्वचा को नुकसान पहुंचाने लगती है। यह शरीर के इम्यून सिस्टम की कार्य प्रणाली में होने वाली असंतुलन होने के कारण होता है। ऐसी स्थिति में त्वचा की रंगत निर्धारित करने वाले मेलेनोसाइट्स नामक सेल्स धीरे-धीरे नष्ट होने लगते हैं, नतीजतन त्वचा पर सफेद धब्बे नज़र आने लगते हैं। आमतौर पर यह समस्या होंठों और हाथ-पैरों पर दिखाई देती है.
कुछ लोग इसे कुष्ठ रोग यानी लेप्रेसी की शुरुआती अवस्था मानकर इससे बहुत ज्यादा भयभीत हो जाते हैं पर वास्तव में ऐसा नहीं है। लेप्रेसी से इसका कोई संबंध नहीं है। यह एक प्रकार का चर्म रोग है जिससे शरीर के किसी अंदरूनी हिस्से को कोई भी नुकसान नहीं पहुँचता और यूरोपीय देशों में इतना आम है कि वहां इसे रोग की श्रेणी में भी नहीं माना जाता है। चिकित्सा के दौरान डॉक्टर रोगी को अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से बचने की सलाह देते हैं।
विटिलिगो किसी भी उम्र में शुरू हो सकता है, लेकिन विटिलिगो के आधा से ज्यादा मामलों में यह 20 साल की उम्र से पहले ही विकसित हो जाता है, वहीं 95 प्रतिशत मामलों में 40 वर्ष से पहले ही विकसित होता है शुरुआत में छोटा-सा दिखाई देने वाला यह दाग धीरे-धीरे काफी बड़ा हो जाता है। इससे ग्रस्त व्यक्ति को कोई शारीरिक परेशानी, जलन या खुजली नहीं होती। चेहरे पर या शरीर के अन्य किसी हिस्से में सफेद दाग होने के कारण कई बार व्यक्ति में हीनता की भावना भी पैदा हो जाती है। आईएसकेडी मेडीफिट, आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरुप सिंह
सफेद दाग क्या होता है? (What is Vitiligo?)
आयुर्वेद के अनुसार वात, पित्त और कफ यानि त्रिदोषज के कारण ही सभी प्रकार के त्वचा के रोग होते हैं फिर भी दोषों के अपने निजी लक्षणों से उनकी सबलता तथा निर्बलता की समीक्षा (diagnosis) कर उसके अनुसार चिकित्सा की जाती है। जिस दोष के लक्षण को विशेष रूप से बढ़े हुए नजर आते हैं उसकी चिकित्सा पहले की जाती है। ये वात, कफ की प्रधानता होने पर होते हैं।
इसमें छोटे-छोटे धब्बे शरीर के किसी विशेष भाग में दिखाई देते हैं। इसें दाग का रंग फीका पड़ा हुआ या गहरा, उसके आकार पर निर्भर करता है, जिसके कुछ प्रकार शामिल हैं.
शरीर के सिर्फ एक हिस्से या किसी एक भाग में: विटिलिगो के इस प्रकार को सेगमेटल विटिलिगो (Segmental vitiligo) कहा जाता है, यह खासतौर पर कम उम्र में ही हो जाता है जो एक या दो साल तक बढ़ता है फिर कम हो जाता है।
शरीर के एक हिस्से या सिर्फ कुछ हिस्सों में: इस प्रकार के विटिलिगो को स्थानीकृत (Localized/Focal) विटिलिगो कहा जाता है।
शरीर के कई हिस्से में: सफेद दाग के सबसे सामान्य प्रकार को सामान्यकृत विटिलिगो (Generalized vitiligo) कहा जाता है, इसमें शरीर के किसी भाग पर हुए सफेद दाग शरीर के अन्य भागों में फैलने लगते हैं।
म्यूकोजलविटिलिगो- जब सफेद दाग, होंठ, आंखों की पलकों, जननांग, गुदा आदि में होते हैं, अर्थात् जिस स्थान पर चमड़ी व म्यूकस मैम्ब्रेन आपस में मिलता है।
एक्रोफेसियलविटिलिगो: इसमें सफेद दाग चेहरे, सिर तथा हाथ पर दिखाई देते हैं।
यूनिवर्सलविटिलिगो: शरीर के अधिकतर भागों पर सफेद दाग दिखाई देते हैं। शरीर के बाल भी सफेद हो जाते हैं तथा रोग तेजी से बढ़ता जाता है।
अगर स्किन का रंग हल्का होने लगे और उस हिस्से के बाल भी सफेद होना शुरु हो जाए तो समझिए कि सफेद दाग है। हालांकि इन दागों पर कोई खुजली या दर्द नहीं होता और संवेदनशीलता भी बनी रहती है, लेकिन पसीने और ज्यादा गर्मी की स्थिति में जलन पैदा हो सकती है। अगर सफेद दाग पर बाल काले रहें तो इलाज की गुंजाइश ज्यादा होती है। अगर दाग के ऊपर लगा स्क्रेच या घड़ी पहननेवाली जगह आदि भी सफेद होने लगे तो समझिए कि समस्या बढ़ रही है।
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सफेद दाग के शुरूआती लक्षण (Symptoms of Vitiligo)
सफेद दाग की पहचान में सबसे शुरुआती लक्षण है, त्वचा का रंग फीका पड़ना और उस जगह पर बाल भी सफेद होना। शरीर पर अगर सफेद दाग हो जाये और उसके बाद कहीं चोट लगे और वो जगह भी सफेद हो जाये तब आपको समझ जाना चाहिए कि ये समस्या तेजी से शरीर में बढ़ रही है। ल्यूकोडर्मा का रोग कोई सरलता से ठीक होने वाला रोग नहीं है और न ही ये छूने से फैलता है। आयुर्वेदिक तरीके से उपाय करके इस समस्या को ठीक कर सकते हैं।
सफेद दाग के कारण (Causes of Vitiligo)
फैमिली हिस्ट्री, यानी अगर पैरेंट्स सफेद दाग से पीड़ित रहे हैं तो बच्चों में इसके होने की आशंका रहती है। हालांकि ऐसे मामले 2 से 4 फीसदी ही होते हैं।
- एलोपेशिया एरियाटा (Alopecia Areata) यानी वह बीमारी, जिसमें छोटे-छोटे गोले के रूप में शरीर से बाल गायब होने लगते हैं। सफेद दाग मस्से या बर्थ मार्क (Halo Nevus) से। मस्सा या बर्थ मार्क बच्चे के बड़े होने के साथ-साथ आस-पास की स्किन का रंग बदलना शुरू कर देता है।
- केमिकल ल्यूकोडर्मा (Chemical Leucoderma) यानी खराब क्वालिटी की चिपकाने वाली बिंदी या खराब प्लास्टिक की चप्पल या जूते इस्तेमाल करने से।
- ज्यादा केमिकल एक्सपोजर यानी प्लास्टिक, रबर या केमिकल फैक्ट्री में काम करने वाले लोगों को खतरा ज्यादा होता है। कीमोथेरेपी से भी इसकी आशंका रहती है।
- थाइरॉयड संबंधी बीमारी होने पर।
- कई बार शरीर में जरूरी मात्रा में विटामिन्स व मिनिरल्स की कमी से भी सफेद दाग की समस्या हो जाती है। संतुलित डायट न लेने की वजह से शरीर की त्वचा के रंग से थोड़े हल्के रंग के दाग हो सकते हैं। ये दाग पूरी तरह सफेद नहीं दिखते।
- कई बार किसी फंगल संक्रमण के परिणामस्वरूप भी त्वचा पर सफेद दाग की समस्या होती है।
- त्वचा में सफेद दाग तब बनने लगते हैं जब रंग उत्पादन करने वाली कोशिका जो हमारे बाल, त्वचा, होंठ आदि को रंग प्रदान करती है वो काम करना बंद कर देती है या नष्ट हो जाती है। इस रोग में दाग की त्वचा का रंग हल्का पड़ जाता है या सफेद हो जाता है। इस बारे में अभी तक चिकित्सक भी नही जान पाये कि ये कोशिका काम करना क्यों बंद कर देती है। आमतौर इस इसको कुछ कारणों से जोड़ा जाता है जैसे-
- एक ऐसा विकार होना जिससे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune system) खुद रंग उत्पादन करने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देती है।
- स्व प्रतिरक्षा रोग (Autoimmune disease) जैसे स्वप्रतिरक्षित थायरॉइड रोग या टाइप 1 डायबीटीज का प्रभाव।
- त्वचा का अधिक धूप (सनबर्न), तनाव या औद्योगिक केमिकल आदि के संपर्क में आना।
- परिवार में किसी अन्य को यह बीमारी होना (अनुवांशिकता)।
- लीवर रोग।
- जलने या चोट लगने से।
- पाचन तंत्र खराब होने से।
- शरीर में कैल्शियम की कमी होना।
ल्यूकोडर्मा के आयुर्वेदिक उपचार-
आयुर्वेद के अनुसार, पित्त या वात्त की असंतुलन से ल्यूकोडर्मा की समस्या होती है. ऐसे लोग जो बहुत ज्यादा फ्राइड, मसालेदार, अनुचित समय पर खाने के अलावा विरुद्ध आहार (अथार्त दूध के साथ नमक या मछली आदि) लेता है, उसमें यह समस्या होने की जोखिम ज्यादा होती है. आयुर्वेद में पंचकर्म के माध्यम से बॉडी को डिटॉक्सिफाई किया जाता है. इसके अलावा बाकुची बीज, खदिर (कत्था), दारुहरिद्रा, करंज, आरग्यवध (अमलतास) आदि सिंगल हर्ब्स के जरिए भी ब्लड को साफ किया जाता है. इसके अलावा, कंपाउंड मेडिसिन जैसे कि गंधक रसायन, रस माणिक्य, मंजिष्ठादी क्वाथ, खदिरादी वटी आदि भी ले सकते हैं. त्रिफला भी इसमें बहुत प्रभावी होता है.
आयुर्वेद के अनुसार, पित्त या इसके साथ बाकी वातों की गड़बड़ी से सफेद दाग की समस्या होती है। जो लोग बहुत ज्यादा तला-भुना, मसालेदार, बेवक्त खाने के अलावा विरुद्ध आहार (मसलन दूध के साथ नमक या मछली आदि) लेता है, उसमें यह समस्या होने की आशंका ज्यादा होती है। आयुर्वेद में पंचकर्म के जरिए शरीर को डिटॉक्सिफाई किया जाता है। इसके अलावा बाकुची बीज, खदिर (कत्था), दारुहरिद्रा, करंज, आरग्वध (अमलतास) आदि सिंगल हर्ब्स के जरिए भी खून को साफ किया जाता है। इसके अलावा कंपाउंड मेडिसिन भी दी जाती है जैसे कि गंधक रसायन, रस माणिक्य, मंजिष्ठादि काढ़ा, खदिरादि वटी आदि है। त्रिफला भी काफी असरदार है।
आयुर्वेद इसके इलाज और बचाव के लिए खान-पान पर बहुत जोर देता है। आयुर्वेदिक एक्सपर्ट के मुताबिक, पीड़ित को तांबे के बर्तन में पानी को 8 घण्टे रखने के बाद पीना चाहिए। हरी पत्तेदार सब्जियां, गाजर, लौकी, सोयाबीन, दालें ज्यादा खाना चाहिए। पेट में कीड़ा न हो, लीवर दुरुस्त रहे, इसकी जांच कराएं और डॉक्टर की सलाह के मुताबिक दवा लें। एक कटोरी भीगे काले चने और 3 से 4 बादाम हर रोज खाएं। ताजा गिलोय या एलोवेरा जूस पीएं। इससे इम्यूनिटी बढ़ती है।
सफेद चकतों या दाग को दूर करने के लिए सबसे जरूरी अपनी जीवनशैली और खान-पान में परिवर्तन करना है।
- इससे ग्रस्त व्यक्ति को करेले की सब्जी का ज्यादा से ज्यादा सेवन करना चाहिए।
- साबुन और डिटरजेंट का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए।
- खट्टी चीजें जैसे नीबू, संतरा, आम, अंगूर, टमाटर, आंवला, अचार, दही, लस्सी, मिर्च, मैदा, गोभी, उड़द दाल आदि कम खाएं. गर्मी बढ़ाने वाली चीजें न खाएं. नॉनवेज और फास्ट फूड कम खाएं. सॉफ्ट डिंक्स के सेवन से बचें.
- नमक, मूली और मांस-मछली के साथ दूध न पीएं.
- लंबे समय तक तेज गर्मी के एक्सपोजर से बचें.
सफेद दाग के घरेलू उपाय (Home Remedies for Vitiligo)
जिस व्यक्ति या महिला को सफेद दाग की समस्या हो जाए तो वह तांबे के बर्तन में रात को पानी भरकर उसका सुबह उठकर सेवन करें। गाजर, लौकी और दालें अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए, जिससे कि शरीर में पोषक तत्वों की कमी न हो। दो से चार बादाम का प्रतिदिन सेवन करें।
हल्दी और सरसों का तेल सफेद दाग में फायदेमंद (Turmeric and Mustard Oil Beneficial for Vitiligo in Hindi)
- हल्दी और सरसों के तेल को मिलाकर बनाया गया मिश्रण दाग वाली जगह लगाने से दाग कम होने लगता है। इसके लिए आप एक चम्मच हल्दी पाउडर लें। अब इसे दो चम्मच सरसों के तेल में मिलाए। अब इस पेस्ट को सफेद चकतों वाली जगह पर लगाएं और 15 मिनट तक रखने के बाद उस जगह को गुनगुने पानी से धो लें। ऐसा दिन में तीन से चार बार करें। इससे आराम मिलेगा।
- -1/2 किलो हल्दी को 8 लीटर पानी में रातभर भिगोकर रखें, रातभर भिगोने के बाद सुबह उस पानी को गर्म करें। तब तक गर्म करें जब तक कि 1 लीटर शेष रह जाएँ। इसमें 1/2 लीटर सरसों का तेल मिला लें, इसके बाद तब तक पकाते रहें जब तक की 1/2 लीटर शेष रह जाएँ इस प्रयोग से शरीर के सफेद दाग में लाभ मिलता है। इस तेल का प्रयोग सुबह-शाम दोनों समय करना चाहिए।
नीम की पत्ती और शहद सफेद दाग में फायदेमंद (Neem and Honey Beneficial in Vitiligo in Hindi)
नीम की ताजी कोपल का पेस्ट बनाकर उसे छलनी में डालकर उसका रस निकाल लें। एक बड़ी चम्मच नीम के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करें। इस मिश्रण का सेवन आप उम्रभर भी कर सकते हैं। इसके अलावा दो चम्मच अखरोट पाउडर में थोड़ा-सा पानी मिलाकर इसका पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को दाग वाली जगह पर 20 मिनट तक लगाकर रखें। ऐसा दिन में तीन से चार बार करें।
इसके अलावा नीम के तेल में नारियल का तेल मिलाकर सफेद दाग पर लगाने से लाभ मिलता है, इसे कई महिनों तक प्रतिदिन प्रयोग करने से परिणाम अच्छा मिलता है।
ल्यूकोडर्मा को तुलसी से दूर करें (Get rid of leucoderma with basil)
तुलसी, ल्यूकोडर्मा का इलाज करने में मदद करती है. ल्यूकोडर्मा को हटाने के अलावा ये त्वचा में होने वाली खुजली और सूजन को भी ठीक करती है. रोजाना तुलसी के पत्ते चबाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है और शरीर स्वस्थ होता है.
तुलसी का इस्तेमाल कैसे करें: तुलसी की 4 से 5 पत्तियों को कम से कम चार से छः महीने तक रोजाना जरूर खाएं. आप एक कप पानी में इन पत्तियों को डालकर भी तुलसी की चाय पी सकते हैं. ल्यूकोडर्मा को तेजी से ठीक करने के लिए प्रभावित क्षेत्र पर तुलसी के पाउडर को पानी में मिलाकर बनाए पेस्ट भी को लगा सकते हैं. तुलसी की पत्तियों का रस निकालें और इसे नींबू के रस के साथ मिलाकर पंद्रह मिनट के लिए प्रभावित जगहो पर लगाएं, इसके बाद गुनगुने पानी से चेहरा धो लें.
बथुआ सफेद दाग में फायदेमंद (Bathua Benefits for Vitiligo in Hindi)
सफेद दाग से ग्रस्त व्यक्ति को रोज बथुआ की सब्जी खानी चाहिए। बथुआ उबाल कर उसके पानी से सफेद दाग वाली जगह को दिन में तीन से चार बार धोयें। कच्चे बथुआ का रस दो कप निकालकर उसमें आधा कप तिल का तेल मिलाकर धीमी आंच पर पकायें जब सिर्फ तेल रह जाये तो उसे उतारकर शीशी में भर लें। इसे लगातार लगाते रहें।
मूली के बीज ल्यूकोडर्मा को दूर करने में फायदेमंद (Radish seeds beneficial in removing leucoderma)
मूली के बीज ल्यूकोडर्मा के निदान के लिए बेहद उपयोगी होते हैं. मूली के बीज त्वचा की अशुद्धियों को साफ करते हैं और इसमें विटामिन बी, विटामिन सी, जिंक और फास्फोरस होता है जो ल्यूकोडर्मा से छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं. सबसे पहले 30 से 40 ग्राम मूली के बीज को पानी में रात भर भिगोने के लिए रख दें. अब सुबह, मूली के बीज को मिक्सर में मिक्स करने के लिए डाल दें. पेस्ट तैयार होने के बाद मिश्रण को प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं. लगाने के बाद दो घंटे के लिए पेस्ट को ऐसे ही लगा हुआ छोड़ दें. अब त्वचा को पानी से धो दें.
डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए ? (When to See a Doctor?)
अगर इसे बिल्कुल शुरुआती दौर में पकड़ना चाहते हैं तो हल्का-सा दाग होने पर डॉक्टर के पास जाएं। लोग अक्सर इसे कैल्शियम या आयरन की कमी से पैदा हुई समस्या मानकर इग्नोर कर देते हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। एक्सपर्ट वुट लैंप (Wood Lamp) टेस्ट के जरिए देखते हैं कि समस्या सफेद दाग की है या नहीं। इसके लिए अंधेरे कमरे में दाग पर खस तरह की लाईट डालकर चेक करते हैं। इस टेस्ट के लिए कंसल्टेंसी फीस के अलावा अलग से कोई रकम नहीं ली जाती।
इस रोग की प्रारम्भिक अवस्था में इलाज करवाने से रोग को बढ़ने से रोका जा सकता है। इस रोग को पूरी तरह से निरोग करने वाले भ्रामक विज्ञापनों से बचना चाहिए। अपना पैसा और समय बरबाद होने से बचाएं।
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