कुटज का परिचय (Introduction of Kutaj)
इंद्र जौ (कुटकी (holarrhena antidysenterica) ) एक प्राचीन आयुर्वेदिक औषधि है जिसका इस्तेमाल बहुत से रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है. यह भारत के पर्णपाती वनों में 1000 मीटर तक की ऊंचाई पर पाया जाता है। बरसों से कुटज का प्रयोग दस्त से लेकर घुटनों के दर्द के इलाज के लिए किया जा रहा है। सच कहा जाए तो हर मर्ज का इलाज छिपा है इस औषधि में। आप भी कुटज (holarrhena) का इस्तेमाल कर रोगों को ठीक कर सकते हैं।
इस पौधे की छाल, पत्ते, फूल, जड़ का इस्तेमाल शरीर और त्वचा के रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है। इंद्र जौ का स्वाद कड़वा होता है। इंद्र जौ का सेवन करने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रहता है, पेट से जुड़ी शिकायतें नहीं होतीं, त्वचा रोगों में भी आराम मिलता है। पीलिया, दस्त, पथरी जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए भी इंद्र जौ फायदेमंद माना जाता है। आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरुप सिंह द्वारा इस लेख में हम इंद्र जौ के फायदे और उसे इस्तेमाल करने के तरीके पर चर्चा करेंगे।
आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों में कुटज (holarrhena antidysenterica) की बहुत चर्चा मिलती है। पेट खराब होने, बार-बार पतला शौच आने, शौच के साथ खून आने की बीमारी, पित्त, आम (आंव) आदि की स्थिति या फिर पेट में मरोड़ के साथ दस्त होने पर कुटज का सेवन बहुत की लाभकारी होता है। आइए जानते हैं कि किन-किन रोगों के लिए गुणकारी है यह औषधि।
सिरदर्द तथा साधारण प्रकृति वाले मनुष्यों के लिए यह नुकसानदायक है। इसके दोषों को दूर करने के लिए इसमें धनियां मिलाया जाता है। इसकी तुलना हम जायफल से भी कर सकते हैं। इसके फूल भी कड़वे होते हैं। इनका एक पकवान भी बनाया जाता है। इन्द्रजौ के पेड़ की दो जातियां होती हैं और इन दोनों में ये कुछ अन्तर होते हैं।
कुटज (करची, दूधी, इन्द्रजव, कड़वा इन्द्रजव) क्या है (What is Kutaj?)
कुटज स्वाद में कड़वा होता है। इस वृक्ष (kutaja plant) का पत्ता, छाल (kutaj chhal)और बीज बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक के बीमारियों के लिए बेहत उपयोगी है। कुटज को आमतौर पर करची, दूधी, इन्द्रजव, कड़वा इंद्र जौ आदि नामों से भी पुकारा जाता है। इसकी दो प्रजातियां होती हैं।
इंद्रजौ के बीज जो जौ के समान होते है
यह योग बिल्कुल अजूबा योग है अनेकों रोगियों पर आजमाया गया है मेरे द्वारा सौ प्रतिशत रिजल्ट आया है आप इस नुस्खे के रिजल्ट का अंदाजा यूं लगा सकते हैं कि अगर इसको उसकी मात्रा से ज्यादा लिया जाए तो शुगर इसके सेवन से लो होने लगती है बादाम को इस वजह से शामिल किया गया यह शुगर रोगी की दुर्बलता कमजोरी सब दूर कर देता है चने को इन्द्रजो की कड़वाहट थोड़ी कम करने के लिए मिलाया गया। इन्द्रजौ के औषधीय गुण
आम तौर पर कुटज की दो प्रजातियां होती हैं।
कुटज,
श्वेत कुटज (Shwet Kutaj): श्वेत कुटज की भी दो प्रजातियाँ होती हैं जिन्हें
अनेक भाषाओं में कुटज के नाम (Name of Kutaj in Different Languages)
Kutaj in:-
- Hindi (holarrhena antidysenterica hindi name) – करची, दूधी, इन्द्रजव, कड़वा इन्द्रजव
- English – कुरची (Kurchi) कोनेस्स ट्री (Coness tree) टेलीचैरी ट्री
- Sanskrit – कुटज, इन्द्रयव, कलिंग, लिङ्गका, भद्रयव, शक्र, वत्सक, गिरिमल्लिका, इन्द्रवृक्ष
- Assamese – डूडखुरी (Dudkhuri)
- Oriya – खेर्वा (Kherwa), वनतिक्त (Vantikta)
- Konkani – पाला (Pala), कोडासिगे (Kodasige)
- Kannad – बेप्पाले (Beppale)
- Gujrati – इन्दर जव (Indar java), इन्द्रजवानु (Indrajavanu)
- Tamil – कुडगप्पलई (Kudagappalai), वेप्पलई (Veppalai);
- Telugu – कोडिसेपल (Kodisepala), कोडगा (Kodaga)
- Bengali – तीताइन्द्रजो (Titaindarajau), कुरची (Kurchi)
- Nepali – करिन्गी (Karingi), खीर्रा (Khirra), कुरा (Kura)
- Punjabi – कोगर (Kogar), कोरवा (Korwa)
- Malyalam – कोटकाप्पला (Kotakappla), वेनपला (Venpala)
- Marathi – कोडगा (Kodaga), कुड्याचे बी (Kudyache bee)
- Arabic – तीवाजे हिन्दी (Tivaje hindi), लसनुल-आसाफीरूल-मर्र (Lasanul-aasafirul-murr)
- Persian – दरख्त जवान (Drakth jawan), इन्द्र-जावे-तल्ख (Indra-jave-talkh), जबाने-कफन्जाशके-तल्ख (Zabane-kunjashke-talkh)
Shwet Kutaj in:-
- Hindi – दुधी, मीठा इन्द्रजौ
- English – स्वीट इन्द्रजौ (Sweet indrajao)
- Sanskrit – अशित कुटज, श्वेत कुटज
- Oriya – दुधोकर्या (Dudhokrya), कर्या (Krya)
- Urdu – इन्द्रजौ-शिरीन् (Indarjao-shirin)
- Konkani – कलोकुड्डो (Kalokuddo)
- Kannad – बेपाल्ली (Bepalli), कोडामुरकी (Kodamurki)
- Gujarati – दुधलो (Dudhlo)
- Tamil – थोन्थापलाई (Thonthapalai)
- Telugu – तेड्लापल (Tedlapala)
- Bengali – इन्द्रजौ (Indrajau);
- Malyalam – दंतप्पला (Dantappala), अयापला (Ayapala)
- Marathi – गोजेनज्रव (Gojaindrajav)
- Arabic – लासनुल-आसाफिर (Lasanul-aasafir)
- Persian – अहर (Ahar), अहारे-शिरीन (Ahare-shirin)
कुटज के फायदे (Kutaj Benefits and Uses)
अब तक आपने जाना कि कुटज क्या है और इसे कितने नामों से जाना जाता है। आइए जानते हैं कि भारत के जंगलों में पाया जाने वाले इस वृक्ष का (kutaja plant) औषधीय गुण क्या है, कुटज (holarrhena) के सेवन की विधि क्या है और आप कुटज का उपयोग कैसे कर सकते हैंः
त्वचा संबंधित रोगों में फायदेमंद है इंद्र जौ (Indra jau cures skin related problems)
त्वचा में खुजली होना अगर आपकी परेशानी है तो आपको इंद्र जौ के छाल का पेस्ट इस्तेमाल करना चाहिए उससे खुजली, दर्द, सूजन जैसी शिकायत दूर होती है। अगर त्वचा में फफोले हो गए हैं तो भी आप छाल के पाउडर को प्रभावित हिस्से में लगाकर समस्या से निजात पा सकते हैं।
नोट: 20-30 मिली कुटज (kurchi) की छाल के काढ़ा में कठगूलर (काकोदुम्बर), विडंग, नीम की छाल, नागरमोथा, सोंठ, मरिच तथा पिप्पली का पेस्ट मिलाएं। इसे पीने से सभी प्रकार के त्वचा रोगों में लाभ होता है। आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरुप सिंह द्वारा बनाया गया प्राचीन आयुर्वेदिक नुस्खा
पथरी की समस्या हो तो इस्तेमाल करें इंद्र जौ (Indra jau helps to get rid of pathri)
जिन लोगों को पथरी की समस्या होती है उनके लिए इंद्र जौ फायदेमंद माना जाता है। आप इंद्र जौ की छाल के चूरण से पथरी की समस्या से निजात पा सकते हैं। इसके लिए आपको इंद्र जौ की छाल लेनी है और उसको पीसकर पाउडर बना लेना है अब उसे दूध के साथ लें या आप उसे चावल के पानी के साथ भी ले सकते हैं। इससे पथरी गलकर शरीर से निकल जाती है। आप इंद्र जौ की छाल के पाउडर को दही में मिलाकर भी पी सकते हैं, इससे पथरी निकल जाएगी।
5 ग्राम कुटज (kurchi) के जड़ की छाल को दही में घिस लें। इसे दिन में दो बार सेवन करने से पथरी टूट-टूट कर निकल जाती है। कुटज का इस्तेमाल (inderjo uses) करने से पथरी को निकालने में आसानी होती है।
नोट: इन्द्र जौ और नौसादर का चूर्ण दूध अथवा चावल के धोये हुए पानी में डालकर पीना चाहिए। इससे 5 दिन में पथरी गलकर निकल जाती है। नही निकले तो प्रयोग कुछ दिन आगे बढ़ाए। इन्द्र जौ की छाल को दही में पीसकर पिलाना चाहिए। इससे पथरी नष्ट हो जाती है। इंद्र जौ पथरी के लिए एक संजीविनी बूंटी का काम करती है। आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरुप सिंह द्वारा बनाया गया प्राचीन आयुर्वेदिक नुस्खा
पीलिया में इंद्र जों के फायदे (Indra Jau For Jaundice (Piliya) In Hindi)
काले इन्द्रजौ के बीजों का रस निकालें और थोड़ा-थोड़ा तीन दिनों तक खायें। इंद्र जौ पीलिया के लिए
दस्त को रोकता है कुटज (Kutaj Uses to Stop Diarrhea in Hindi)
नागरमोथा, अतीस, पान, कुटज (kurchi) की छाल तथा लाक्षा चूर्ण को बराबर बराबर (2-5 ग्राम) लें। इसे जल के साथ सेवन करने से दस्त पर रोक लगती है।
- 5-10 मिलीग्राम कुटज छाल के रस में 1 चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से दस्त में फायदा (indrajav ke fayde) होता है।
- इन्द्र-जौ को पीसकर चूर्ण को 3 ग्राम की मात्रा में ठंडे पानी के साथ दिन में 3 बार पिलाने से अतिसार दस्त समाप्त हो जाती है।
- इद्रजौ की छाल के काढ़े (50 मिली) को गाढ़ाकर लें। इसमें 6 ग्राम अतीस का चूर्ण (kutaj churna)मिलाकर दिन में तीन बार पिलाएं। इससे कफ, वात व पित विकार के कारण होने वाले दस्त का उपचार होता है।
- टीबी रोगी को दस्त होने लगे तो बराबर भाग में शुण्ठी तथा कुटज (holarrhena) बीज (इद्रजौ) के चूर्ण (6 ग्राम) लें। इसको चावल के धोवन के साथ खाने से पचाने वाली अग्नि सक्रिय होती है और दस्त रुक जाती है।
पेट के कीड़े (Indra Jau For Stomach Worms In Hindi)
इन्द्रजौ को पीस और छानकर 1-1 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम पीने से पेट के कीडे़ मरकर, मल के साथ बाहर निकल जाते हैं। इंद्र जौ पेट के कीड़े के लिए
पेट से जुड़ी समस्या दूर करता है इंद्र जौ (Indra jau cures stomach related problems)
पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए इंद्र जौ फायदेमंद माना जाता है। अगर आपको दस्त हो रहे हैं तो आप इंद्र जौ का सेवन करें, इंद्र जौ की छाल को पीस लें और चूरण बना लें अब उसे पानी के साथ लें तो दस्त की समस्या दूर हो जाएगी। अगर आपके पेट में ऐंठन तो भी इंद्र जौ का सेवन किया जा सकता है, आप इंद्र जौ के बीज को गरम करके पानी में भिगोएं और फिर उस पानी को छानकर पी लें, इससे पेट की ऐंठन दूर होती है।
पेचिश में कुटज के काढ़ा से फायदा (Kutaj Benefits in Fighting with Dysentery in Hindi)
40 ग्राम इद्रजौ की छाल को 400 मिलीग्राम पानी में उबाल लें। जब काढ़ा एक चौथाई रह जाए तो इसे छानकर इतना ही अनार का रस मिला लें। इसे आग पर गाढ़ा कर लें और छह ग्राम की मात्रा में छाछ के साथ सुबह-शाम मिलाकर पिएं। इससे पेचिश में लाभ (indrajav ke fayde) होता है।
कुटज (kutaj) बीज को 50 मिलीग्राम जल में उबाल लें। इसे छानकर शहद मिलाकर दिन में तीन बार पिलाने से पित्तज विकार के कारण होने वाले दस्त (पित्तातिसार) में लाभ या इन्द्रजौ के फायदे होते हैं।
रक्तपित्त (नाक-कान से खून बहने की समस्या) में कुटज का प्रयोग लाभदायक (Uses of Kutaj in Bleeding Problem in Hindi)
कुटज की छाल के पेस्ट को घी में पकाएं। इस घी को 5-10 ग्राम की मात्रा में निय मित सेवन करें। इससे रक्तपित्त (नाक-कान से खून बहने की समस्या) में लाभ होता है।
शुगर लेवल कंट्रोल करता है इंद्र जौ (Indra jau controls blood sugar level)
जिन लोगों को डायबिटीज है वो भी इंद्र जौ का सेवन कर सकते हैं। इंद्र जो के सेवन से शुगर लेवल कंट्रोल रहता है। इंद्र जौ के फूलों का चूरण बना लें और उसे गुनगुने पानी के साथ मिलाकर लें। इससे ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रहता है। जिन लोगों को घाव हो जाता है उनके लिए इंद्र जौ के फूल का चूरण फायदेमंद होता है, आप चोट या घाव को ठीक करने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
कुटज, रोहिणी, बहेड़ा, कैथ, शाल, छतिवन तथा कबीला के फूलों को बराबर भागों में लेकर चूर्ण बना लें। इसके 2-5 ग्राम चूर्ण में दो चम्मच शहद मिलाकर सेवन करने से कफ तथा पित्त से होने वाले डायबिटीज में लाभ ( indrajau for diabetes) होता है।
कुटज के फूल (kurchi flower) या पत्ते को चूर्ण बना लें। इसे 2-3 ग्राम मात्रा में सेवन करने से डायबिटीज में लाभ होता है।
मधुमेह (शुगर, डायबिटीज) का रामवाण प्राचीन आयुर्वेदिक इलाज:
आज शुगर या मधुमेह या डायबिटीज रोग मानव जीवन के लिए एक नासूर बन गया है एलोपैथी की हजारों रुपए की दवाइयां लोग खाते खाते थके जा रहें हैं पुरुष हो या स्त्री दोनों जातियों में यह रोग घुन की तरह लगा गया है. अस्त व्यस्त दिनचर्या और तनावपूर्ण जीवन शुगर की समस्या को और ज्यादा बढ़ा देते हैं. मधुमेह लाइलाज नहीं है अगर समय पर इसका ध्यान रखा जाये. आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरुप सिंह द्वारा बनाया गया प्राचीन आयुर्वेदिक नुस्खा
शुगर या मधुमेह की प्राचीन आयुर्वेदिक दवाई बनाने की आवश्यक सामग्री :
- इन्द्रजो कडवा या इन्द्रजो तल्ख़ (बीज) : 250 ग्राम
- कड़वा बादाम (लंबा वाला) : 250 ग्राम
- भुने चने : 250 ग्राम
इंद्रजौ के बीज जो जौ के समान होते हैं: यह योग बिल्कुल अजूबा योग है अनेकों रोगियों पर आजमाया गया है मेरे द्वारा सौ प्रतिशत रिजल्ट आया है आप इस नुस्खे के रिजल्ट का अंदाजा यूं लगा सकते हैं कि अगर इसको उसकी मात्रा से ज्यादा लिया जाए तो शुगर इसके सेवन से लो होने लगती है बादाम को इस वजह से शामिल किया गया यह शुगर रोगी की दुर्बलता कमजोरी सब दूर कर देता है चने को इन्द्रजो की कड़वाहट थोड़ी कम करने के लिए मिलाया गया।
शुगर (डायबिटीज, मधुमेह) की औषधियों का मिश्रण बनाने की विधि : तीनों औषधियों का अलग अलग पाउडर बनाए और तीनो को मिक्स कर लीजिये और कांच के जार में रख लें और खाने के बाद एक चाय वाला चम्मच एक दिन में केवल एक बार खाएं सादे जल से।
अगर आप दोस्तों में से कोई शुगर रोग से ग्रस्त हो तो स्वयं इस योग का सेवन कर नया जीवन पाईये और अगर कोई आपका अपना शुगर रोगी है तो उसे यह योग शेयर करके नया जीवन गिफ्ट में दीजिए सभी दोस्तों से अनुरोध है कि यह पोस्ट रुकनी नहीं चाहिए सम्पूर्ण भारत वासियों को यह योग मालूम हो जाना चाहिये मानवता का दुख अपना दुख यह मेरा मानना है और आज पता चल जाएगा कि मानवता के दुख को कौन अपना दुख मानता है और कौन कौन मित्र शेयर करके निर्धन गरीब लोगों को नयी उम्मीद और नयी रोशनी दिखाता है, इसी में मेरा और आपका कल्याण है।
मुंह के छाले ठीक करता है इंद्र जौ (Indra jau cures mouth ulcer)
मुंह में छाले हो गए हैं तो आप इंद्र जौ के फूल को पीस लें और उसे जीरे के साथ कूटकर चूरण बना लें, अब इसे दिन में दो बार लगाएं तो मुंह के छाले ठीक हो जाएंगे। जिन लोगों के पेट में कीड़े हो जाते हैं वो भी इंद्र जौ का सेवन कर सकते हैं, आप इंद्र जौ की छाल को पीसकर दिन में दो बार इस्तेमाल करें तो पेट के कीड़े निकल जाते हैं। पीलिया रोग में भी इंद्र जौ फायदेमंद माना जाता है। आप इंद्र जौ के बीज का रस निकालकर उसे हर दिन खाएं तो पीलिया ठीक हो जाएगा।
इन्द्र जौ और काला जीरा 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर कूटकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को छालों पर दिन में 2 बार लगाने से छाले नष्ट होते हैं। इंद्र जौ मुंह के छाले के लिए
बुखार उतारने के लिए करें कुटज का प्रयोग (Kutaj Uses in Fighting with Fever in Hindi)
बराबर मात्रा में इन्द्रजौ, कुटकी और मुलेठी से काढ़ा तैयार कर लें। इसे 10-30 मिली की मात्रा में चावल का धोवन और शहद मिलाकर पीने से बुखार ठीक होता है।
कुटज बीज, मंजिष्ठा तथा काञ्जी को घी में पका लें। इसे शरीर पर हल्के हाथों से मालिश करने से तेज बुखार और शरीर की जलन की समस्या से राहत मिलती है। इसके साथ ही अंगों में आराम महसूस होता है।
कुटज, चक्रमर्द के बीज, वासा, गुडूची, निर्गुण्डी, भृंगराज, सोंठ, कण्टकारी तथा अजवायन से काढ़ा बना लें। इसे 10-30 मिली की मात्रा में सेवन करने से ठंड लगकर बुखार की समस्या में लाभ होता है।
कुष्ठ रोग से निजात पाने के लिए करें कुटज की छाल का उपयोग (Kutaj Bark Treats Leprosy in Hindi)
10 ग्राम कुटज की छाल को जल में पीस लें। इसे दिन में तीन बार सेवन करने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।
इन्द्र जौ को पीसकर गाय के पेशाब में मिलाकर लेप करने से चर्म-दल कोढ़ मिट जाता है। इंद्र जौ कुष्ठ या कोढ के लिए
घाव सुखाने के लिए करें कुटज की छाल का प्रयोग (Kutaj Bark Helps in Healing Wound in Hindi)
कुटज (kurchi) की छाल का काढ़ा बनाकर घाव को धोने से घाव भर जाता है।
कुटज के बीज का पेस्ट बना लें। इसका लेप करने से घाव, कुष्ठ रोग सहित अन्य संक्रामक रोगों में लाभ होता है।
दांत के दर्द में कुटज का प्रयोग फायदेमंद (Benefits of Kutaj in Dental Pain in Hindi)
दांत के दर्द में कुटज के छाल का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से लाभ (indrajav ke fayde) होता है।
खूनी बवासीर में कुटज के सेवन से फायदा (Kutaj Cures Piles in Hindi)
10 ग्राम कुटज (kutaj) छाल को पीस लें। इसमें 2 चम्मच शहद या मिश्री मिलाकर सेवन करने से रक्तार्श (खूनी बवासीर) में लाभ होता है।
कुटज छाल का काढ़ा बना लें। इसे 15-20 मिली मात्रा में 5 ग्राम गाय का घी तथा 1 ग्राम सोंठ मिला कर सुबह और शाम पिएं। इससे बवासीर में होने वाले खून के बहाव पर रोक लगती है।
कुटज (kutaj) की जड़ के छाल को फाणित के साथ सेवन करें या कुटज की जड़ और बन्दाल के जड़ के पेस्ट को छाछ के साथ सेवन करें। इससे बवासीर में लाभ होता है।
कुटज की छाल, इंद्रयव, रसौत तथा अतिविषा के चूर्ण (1-3 ग्राम) में शहद मिला लें। इसे चावल के धोवन के साथ रोगी को पिलाने से तुरंत खूनी बवासीर में लाभ होता है।
नोट: कड़वे इन्द्रजौ को पानी के साथ पीसकर बेर के बराबर गोलियां बना लें। रात को सोते समय दो गोली ठंडे जल के साथ खायें। इससे बादी बवासीर ठीक होती है। इंद्र जौ बवासीर के लिए, आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरुप सिंह द्वारा बनाया गया प्राचीन आयुर्वेदिक नुस्खा
लिंग की दुर्बलता एवं कमजोरी को दूर करता है कुटज बीज (Kutaj Seed Helps in Fighting with Erectile dysfunction in Hindi)
6 ग्राम इद्रजौ (कुटज बीज) को चार पहर (करीब 12 घंटे) भैंस के दूध में भिगोकर रखे। इसे पीसकर, इंद्रिय पर लेपकर पट्टी बांधे। कुछ देर बाद गुनगुने जल से धो दें। कुछ दिन तक नियमित रूप से ऐसा करने से लिंग की कमजोरी दूर होती है और लिंग में तनाव आता है।
इंद्रजौ से करें पीलिया का इलाज (Kutaj Beneficial in Jaundice in Hindi)
कुटज का प्रयोग पीलिया में फायदेमंद होता है आयुर्वेद में कुटज को अन्य औषधिओं के साथ मिलाकर पीलिया में प्रयोगकरने का उल्लेख है।
फोड़ा-फूंसी को ठीक करने में इंद्रजौ फायदेमंद (Benefit of Kutaj to Cure Boil in Hindi)
फोड़े फुंसी पित्त या कफ दोष के असंतुलित होने के कारण होता है। इसमें मौजूद कषाय गुण के कारण यह फोड़ा-फूंसी को ठीक करने में मदद करता है। इसके अलावा इसका शीतल गुण घाव के जलन को कम करने में सहायता करता है।
पेशाब की जलन दूर करने में कुटज फायदेमंद (Kutaj Beneficial to Treat Urinary Tract Infection in Hindi)
कुटज के फल के सेवन से पेशाब की जलन को भी काम किया जा सकता है जो कि वात और पित्त दोष के असंतुलित होने के कारण होती है। कुटज के फल में त्रिदोष शामक गुण पाए जाने के कारण यह इस अवस्था में लाभ पहुंचा सकता है।
सांप के काटने पर करें कुटज का इस्तेमाल (Kutaj Uses in Snake Biting in Hindi)
सांप के काटने पर होने वाले सूजन का उपचार करने के लिए कुटज फल को पीस लें। इसे काटने वाले स्थान पर लेप किया जाता है। इससे लाभ होता है।
इंद्रजौ के फूल
- काली इन्द्र जौ (Kala Indra Jau)
- काली इन्द्र जौ के पेड़ बड़े होते हैं।
- काली इन्द्र जौ के पत्ते हल्के काले होते हैं।
- काली इन्द्र जौ के पेड़ की फलियां सफेद इन्द्रजौ के पेड़ की फलियों से दो गुने होते हैं।
- काली इन्द्र जौ ज्यादा गर्म होता है।
- काली इन्द्रजौ बवासीर, त्वचा के विकार और पित्त का नाश करती है। और खून की गंदगी, कुष्ठ, अतिसार (दस्त), कफ, पेट के कीड़े, बुखार और जलन को नाश (खत्म) करता है। बाकी काले इन्द्रजौ के सभी गुण सफेद इन्द्र जौ के गुण से मिलते जुलते हैं। इन्द्र जौ डायबिटीज
सफेद इन्द्र जौ (Safed Indra Jau)
- सफेद इन्द्र जौ के पेड़ काले इन्द्र जौ से छोटे होते हैं।
- सफेद इन्द्र जौ के पत्ते हल्के सफेद होते हैं।
- सफेद इन्द्र जौ की फलियां थोड़ी छोटी होती हैं।
- सफेद इन्द्र जौ हल्का गर्म होता है।
- सफेद इन्द्र जौ कड़वा, तीखा, भूखवर्द्धक, पाचक और फीका होता है। इन्द्र जौ डायबिटीज
कुटज कहां पाया या उगाया जाता है (Where is Kutaj Found or Grown)?
कुटज के वृक्ष (kutaja plant) उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दक्षिण भारत व महाराष्ट्र के पर्णपाती वनों में बहुत अधिक मात्रा में पाए जाते हैं।
कुटज के सेवन की मात्रा (How to Consume Kutaj?)
- चूर्ण (kurchi bark) – 2-3 ग्राम
- काढ़ा -25-50 मिलीग्राम
कुटज के सेवन का तरीका (How to Use Kutaj?)
- जड़
- पत्ते
- तना
- फल
विशेष :
मलेरिया बुखार तथा मियादी बुखार (टॉयफॉयड) में यह कुटज बहुत प्रभावशाली है। कुटज के बीज पेट की गैस को दूर करने वाले,सेक्स स्टेमना बढ़ाने वाले और पौष्टिक होते हैं।
10 मिलीग्राम छाल के रस को चावलों के धुले हुई पानी (मांड) के साथ पीने से बवासीर, संग्रहणी आदि रोगों में विशेष लाभ होता है।
नोट: आप किसी गंभीर रोग या बीमारी के मरीज हैं तो अपने डॉक्टर से सलाह लेकर ही इंद्र जौ औषधि का सेवन करें।
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