प्राचीन आयुर्वेद में कई ऐसी औषधिया हैं, जिनका इस्तेमाल वर्षों से स्वास्थ्य लाभों को प्राप्त करने के लिए किया जाता हैं। इन्हीं औषधियों में से एक है निर्गुण्डी। निर्गुण्डी गंभीर बीमारियों के इलाज में भी फायदेमंद होता है। निर्गुण्डी एक बहुत ही गुणी औषधि (nirgundi plant benefits) है जो कफ और वात को नष्ट करता है और दर्द को कम करता है। इसको त्वचा के ऊपर लेप के रूप में लगाने से सूजन कम होता है। घाव को ठीक करने, घाव भरने आदि में निर्गुण्डी के फायदे मिलते हैं। यह बैक्टीरिया और कीड़ों को नष्ट करता है। खाए जाने पर यह भूख बढ़ाता है, भोजन को पचाता है। लीवर रोग में भी निर्गुण्डी से लाभ मिलता है।
इसे सिनुआर (Sinuar), चेस्ट ट्री (chaste tree) और वाइटैक्स निगुन्डो (Whitax nigundo) के नाम से भी जाना जाता है। आयुर्वेद में इसके जड़, फूल, पत्ते, छाल और फल सभी को औषधी से रूप में इस्तेमाल किया जाता है। बाजार में निर्गुण्डी तेल, चूर्ण और कैप्सूल के रूप में उपलब्ध हैं। निर्गुण्डी में वात और कफ को शमन करने का गुण पाया जाता है।
निर्गुण्डी के सेवन से मानसिक समस्याएं ठीक होती है। यह जोड़ों के दर्द में राहत दिलाता है, बुखार में भी फायदेमंद माना जाता है। यह बैक्टीरिया और कीड़ों को नष्ट करता है। इसके सेवन से पाचन ठीक रहता है और यह भूख को बढ़ाता है। आईएसकेडी मेडीफिट के इस लेख के माध्यम से आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरूप सिंह बता रहे हैं निर्गुण्डी के फायदे, नुकसान और निर्गुण्डी को इस्तेमाल करने का तरीका।
आयुर्वेद में कहा गया है – निर्ग़ुंडति शरीरं रक्षति रोगेभ्य तस्माद् निर्गुण्डी। इसका मतलब है जो शरीर की रोगों से रक्षा करे, वह निर्गुण्डी (Nirgundi or Vitex in Hindi) कहलाती है। इसके झाड़ (Nirgundi Plant) स्वयं पैदा होते हैं और सभी जगह पाए जाते हैं। इसके पत्तों को मसलने पर एक विशिष्ट प्रकार की दुर्गन्ध आती है। यह बूटी वात दोष के रोगों के लिए एक प्रसिद्ध औषधि है।
कुष्ठ रोग के इलाज में भी निर्गुण्डी के फायदे मिलते हैं। यह पेशाब बढ़ाता है, स्त्रियों में मासिक धर्म विकार को ठीक करता है। यह ताकत बढ़ाने वाला, रसायन है जो आँखों के लिए लाभकारी होता है। यह सूखी खाँसी ठीक करने वाला, खुजली तथा बुखार विशेषकर टायफायड बुखार को ठीक करने वाला है। कानों का बहना रोकता है। इसका फूल, फल और जड़ आदि पांचों अंगों में भी यही गुण होते हैं। फूलों में उलटी रोकने का भी गुण होता है। आइए जानते हैं कि निर्गुण्डी से और क्या-क्या लाभ (nirgundi ke fayde) ले सकते हैं।
निर्गुण्डी क्या है? (What is Nirgundi in Hindi?)
निर्गुंडी सफेद, नीले और काले रंग के भिन्न-भिन्न फूलों वाली होती है। इसकी कई जातियाँ होती हैं, किन्तु नीला और सफेद, इसके दो मुख्य भेद हैं। पत्तों के आधार पर निर्गुण्डी की दो प्रजातियाँ मानी जाती हैं। Vitex negundo Linn. में पाँच पत्ते तथा तीन पत्ते भी पाए जाते हैं लेकिन Vitex trifoliaLinn. नामक निर्गुण्डी की प्रजाति में केवल तीन पत्ते ही पाए जाते हैं।
अनेक भाषाओं में निर्गुण्डी के नाम (Name of Nirgundi in Different Languages)
Nirgundi in – निर्गुण्डी को देश-विदेश में अनेक नामों से जाना जाता है जो ये हैंः-
- Hindi: सम्भालू, सम्हालू, सन्दुआर, सिनुआर, मेउड़ी
- English: Five leaved – chaste tree (फाईव लीवड् – चेस्ट ट्री) or हॉर्स शू वाइटेक्स (Horse shoe vitex)
- Sanskrit: निर्गुण्डी, सिंधुवार, इंद्रसुरस, इंद्राणीक
- Oriya: इन्द्राणी(Indrani), बेगुंडिया (Begundiya); कन्नड़ – बिलिनेक्कि (Bilenekki), श्रुन्गोलि (Shrungoli)
- Gujarati: नगोड़ा (Nagoda), नगड़ (Nagda)
- Tamil: नोच्चि (Nocchi), कुरुनोच्चि (Kurunochi Plant), विनोच्ची (Vennochi)
- Telugu: वाविली (Vavili), नलावाविली (Nalavavili)
- Bengali: निषिन्दा (Nishinda), समालु (Samalu)
- Nepali: सेवाली (Sewali)
- Punjabi: बन्ना (Banna), मरवन (Marwan)
- Marathi: लिंगुर (Lingur), निर्गुर (Nirgur)
- Malayalam: नोची (Nochi)
- Arabic: उसलाक (Uslaque)
- Persian: सिस्बन (Sisban), पंजागुष्ट (Panjagusht)
- Latin: Vitex negundo Linn. (वाइटैक्स निगुन्डो)
निर्गुण्डी के फायदे और उपयोग (Nirgundi Plant Benefits and Uses in Hindi)
ये निर्गुण्डी के औषधीय प्रयोग, प्रयोगा की मात्रा और विधियां हैंः-
लीवर की समस्या में निर्गुण्डी के सेवन से लाभ (Nirgundi Plant Benefits for Liver Related Problems in Hindi)
- टायफायड में यदि रोगी की तिल्ली और लीवर बढ़ गए हो तो दो ग्राम निर्गुण्डी के पत्तों के चूर्ण में एक ग्राम हरड़ तथा 10 मि.ली. गोमूत्र मिलाकर लेने से लाभ होता है।
- दो ग्राम निर्गुण्डी चूर्ण में काली कुटकी व 5 ग्राम रसोत मिलाकर सुबह-शाम लेना चाहिए।
प्रसव को आसान बनाने और मासिक धर्म विकार में फायदेमंद निर्गुंडी (Benefit of Nirgundi Tree to Treat Period Problems and ease Normal Delivary in Hindi)
निर्गुण्डी का उपयोग मासिकधर्म चक्र को नियमित करने के लिए भी किया जा सकता है। इस विषय में चूहाें पर हुए शोध के अनुसार, निर्गुण्डी की पत्तों में ओलिगोमेनोरिया (Oligomenorrhea) की स्थिति को ठीक करने का गुण होता है।
ऑलिगोमेनोरिया का मतलब है मासिक धर्म का अनियमित होना और रक्त का प्रवाह सामान्य न होना। इसी वजह से मासिक धर्म को नियमित करने के लिए निर्गुण्डी का इस्तेमाल किया जाता है। फिलहाल, यह स्पष्ट नहीं है कि निर्गुण्डी में मौजूद कौन-सा तत्व इसमें मदद करता है।
- दो ग्राम निर्गुंडी बीज के चूर्ण का सेवन सुबह-शाम करने से मासिक धर्म विकारों में लाभ होता है।
- निर्गुण्डी को पीसकर नाभि, बस्ति प्रदेश और योनि पर लेप करने से प्रसव आसानी से हो जाता है।
स्तनों में दूध वृद्धि के लिए निर्गुंडी फायदेमंद (Nirgundi Beneficial to increase Breastmilk during Breastfeeding in Hindi)
स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने के अलावा निर्गुण्डी स्तन का दूध बढ़ाने में भी सहायक हो सकता है। एक शोध में पाया गया है कि निर्गुण्डी को थोड़ी मात्रा में लेने पर यह स्तन के दूध को बढ़ा सकता है। वहीं, अगर इसका सेवन अधिक किया जाता है, तो यह दूध की मात्रा को कम कर सकता है। निर्गुण्डी का कौन-सा गुण दूध के उत्पादन में मदद करता है, यह शोध का विषय है।
स्तनों के दूध की वृद्धि के लिए निर्गुन्डी फायदेमंद हो सकती है क्योंकि एक रिसर्च के अनुसार निर्गुन्डी के पत्ते का प्रयोग स्तनों में दूध की मात्रा को बढ़ाने में सहायक होते है।
महिलाओं की प्रजनन क्षमता के लिए निर्गुण्डी के फायदे (Nirgundi benefits for female fertility in Hindi)
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) के कारण महिलाओं में प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है। इस समस्या में निर्गुण्डी का उपयोग फायदेमंद हो सकता है। चूहों पर किए गए एक अध्ययन के अनुसार, निर्गुण्डी के अर्क में मौजूद फ्लेवोनॉइड्स में एंटीएंड्रोजेनिक प्रभाव होता है। यह फर्टिलिटी स्टेटस में सुधार कर सकता है। साथ ही एंटी पीसीओएस के रूप में कार्य करता है, जिससे महिलाओं की प्रजनन क्षमता में सुधार हो सकता है।
फोड़ो के इलाज में लाभकारी निर्गुंडी (Benefit of Nirgundi to Treat Blisters in Hindi)
निर्गुंडी का प्रयोग फोड़ों के इलाज में किया जाता है क्योंकि निर्गुंडी में एन्टीबैक्ट्रियल और एंटीफंगल का गुण पाया जाता है जो कि घाव को फैलने नहीं देता है और फोड़े को जल्दी ठीक करने में मदद करता है।
सिरदर्द के लिए निर्गुंडी के फायदे (benefits of nirgundi for headache in Hindi)
सिरदर्द की समस्या को दूर करने के लिए भी निर्गुण्डी का उपयोग सालों से किया जाता रहा है। इस विषय पर हुए शोध से पता चलता है कि निर्गुण्डी की पत्तियों में एनाल्जेसिक यानी दर्द निवारक गुण होता है। इस प्रभाव के कारण यह सिरदर्द को कम कर सकता है।
जोड़ों के दर्द से दिलाये राहत निर्गुंडी का काढ़ा (Nirgundi Beneficial to Get Relief from Gout in Hindi)
निर्गुण्डी का उपयोग सूजन की समस्या में फायदेमंद हो सकता है। एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर पब्लिश एक शोध के अनुसार, इसमें एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होता है। यह प्रभाव सूजन को कम करने में मददगार हो सकता है। साथ ही यह गठिया से राहत भी दिला सकता है। गठिया का एक लक्षण जोड़ों में सूजन भी है। इसी वजह से इसे सूजन के लिए प्रभावी माना जाता है।
जोड़ों के दर्द में निर्गुंडी का काढ़ा फायदेमंद होता है क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार निर्गुंडी में वात के शमन का गुण पाया जाता है जो कि वात को शांत कर जोड़ों के दर्द में फायदेमंद होता है।
निर्गुण्डी के औषधीय गुण से साइटिका का इलाज (Nirgundi Tree Uses to Treat Sciatica in Hindi)
- 10-12 ग्राम निर्गुण्डी की जड़ के चूर्ण को तिल तेल के साथ सेवन करने से सभी प्रकार के गठिया रोगों में लाभ (nirgundi ke fayde) होता है।
- 5-10 मि.ली. निर्गुन्डी रस में समान मात्रा में एरण्ड तेल (कैस्टर आइल) मिलाकर सेवन करने से वातविकार के कारण होने वाले कमरदर्द में आराम होता है।
- निर्गुण्डी के पत्तों से पकाए तेल की मालिश करने से तथा हल्का गर्म करके तेल लगाकर कपड़ा बाँधने से भी सभी प्रकार के गठिया के दर्दों में अत्यन्त लाभ होता है।
निर्गुण्डी के औषधयी गुण से गठिया के दर्द से आराम (Uses of Nirgundi Tree for Gout in Hindi)
पाँच ग्राम निर्गुण्डी के चूर्ण या पत्तों का काढ़ा बना लें। इसकी 20 मि.ली. की मात्रा दिन में तीन बार पिलाने से साइटिका का दर्द दूर होता है।
गाउट एक तरह का अर्थराइटिस है। इस समस्या को कम करने में भी निर्गुण्डी को फायदेमंद माना जाता है। दरअसल, गाउट इंफ्लेमेटरी बीमारी है। इससे राहत दिलाने में इसके पत्तों से बना तेल, निर्गुण्डी के बीज और पत्ते का जूस सभी मदद कर सकते हैं। माना जाता है कि इनमें एंटीइंफ्लेमेटरी प्रभाव होता है, जो गाउट और अर्थराइटिस दोनों से राहत दिला सकता है।
चर्म रोग में निर्गुण्डी का औषधयी गुण लाभदायक (Nirgundi Oil Benefits for Skin Problems in Hindi)
- 10-20 मिली निर्गुण्डी के पत्तों का रस सुबह-शाम पिलाने, और फफोलों पर पत्तों की सेंक करने से नारू रोग ठीक होता है।
- निर्गुण्डी की जड़ और पत्तों से पकाए तेल को लगाने से पुराने घाव, खुजली,एक्जीमा आदि चर्म रोग ठीक होते हैं।
- बराबर मात्रा में निर्गुण्डी के पत्ते, काकमाची तथा शिरीष के फूल को कुचल लें। इसमें घी मिला कर लेप करें। इससे चर्म रोग और विसर्प रोग में काफी लाभ होता है।
- दाद से प्रभावित स्थान पर निर्गुण्डी पत्तों को घिस लें। इसके बाद निर्गुण्डी रस में मिलाकर लेप करें। इससे शीघ्र लाभ (nirgundi ke fayde) होता है।
- निर्गुण्डी की जड़ एवं पत्तों के रस से पकाए हुए तिल तेल को पीने और उसकी मालिश आदि करने से नासूर, कुष्ठ, गठिया के दर्द, एक्जीमा आदि ठीक होते हैं।
बुखार में निर्गुण्डी के फायदे (Benefits of Nirgundi Oil to Get Relief from Fever in Hindi)
- निर्गुण्डी के 20 ग्राम पत्तों को 400 मि.ली. पानी में चौथाई शेष रहने तक उबालकर काढ़ा बनायें। 10-20 मि.ली. काढ़े में दो ग्राम पिप्पली का चूर्ण मिलाकर पिलाने से निमोनिया बुखार में लाभ होता है।
- निर्गुन्डी के 10 ग्राम पत्तों को 100 मि.ली. पानी में उबालकर सुबह और शाम देने से बुखार और गठिया में लाभ होता है।
- मलेरिया यानी ठंड लगकर होने वाले तेज बुखार और कफ के कारण होने वाले बुखार के साथ अगर छाती में जकड़न हो तो निर्गुण्डी के तेल की मालिश करनी चाहिए। प्रयोग को ज्यादा असरदार बनाने के लिए तेल में अजवायन और लहसुन की 1 – 2 कली डाल दें, और तेल हल्का गुनगुना कर लें।
गले के दर्द में निर्गुण्डी के फायदे (Benefits of Nirgundi Plant to Treat Throat Pain in Hindi)
- निर्गुण्डी के पत्तों को पानी में उबालें। इस पानी से कुल्ला करने से गले का दर्द ठीक होता है।
- निर्गुंडी तेल (Nirgundi Oil) को मुंह, जीभ तथा होठों में लगाने से, तथा हल्के गर्म पानी में इस तेल को मिलाकर मुंह में रख कर कुल्ला करने से गले का दर्द, टांसिल में लाभ (nirgundi ke fayde) होता है।
- इसकी जड़ को जल से पीस-छानकर 1 – 2 बूँद रस नाक में डालने से गंडमाला यानी गले में गांठों का रोग ठीक होता है।
सूजन की समस्या में निर्गुण्डी से लाभ (Nirgundi Taila Benefits to Reduce Swelling in Hindi)
- निर्गुण्डी के पत्तों को पीसकर गर्म करके लेप करने से अंडकोषों में होने वाली सूजन, जोड़ों की सूजन, आमवात आदि रोगों में सूजन के कारण होने वाली पीड़ा में लाभ होता है।
- निर्गुण्डी के काढ़ा में कमर को डुबोने से सूजन से आराम मिलता है।
हाथ-पैर के जलन में निर्गुंडी फायदेमंद (Nirgundi Beneficial to Get Relieve from Hand and Feet Burning Sensation in Hindi)
अगर आप के हाथ-पैरों में जलन है तो निर्गुंडी आपके लिये फ़ायदेमंद हो सकता है क्योंकि निर्गुंडी में एंटी-इन्फ्लामेटोरी और एनाल्जेसिक गुण पाये जाते है जो कि जलन के साथ -साथ दर्द भी कम करने में सहायक होता है।
शारीरिक कमजोरी के इलाज के लिए निर्गुण्डी का सेवन (Benefits of Nirgundi Taila to Treat Weakness in Hindi)
निर्गुन्डी की जड़, फल और पत्तों के रस से पकाए 10-20 ग्राम घी को नियमित पीने से शरीर पुष्ट होता है, तथा शारीरिक कमजोरी दूर होती है।
बालों के लिए लाभकारी (Use nirgundi oil for hair growth)
आजकल बाल झड़ने और बालों का समय से पहले सफेद होने की समस्या ज्यादातर लोगों में देखने को मिल रही है। ऐसे में अगर निर्गुण्डी के तेल का इस्तेमाल किया जाए, तो इन समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। निर्गुण्डी में विटामिन-ई भी पाया जाता है। यह एंटी ऑक्सीडेंट का भी काम करता है। निर्गुण्डी के तेल और तिल के तेल मिलाकर लगाने से इसके फायदे और बढ़ जाते हैं। इसलिए आप इन दोनों तेलों को मिलाकर बालों की मालिश करें। नियमित रूप से बालों की मालिश करने से हेयर ग्रोथ अच्छी होती है। साथ ही बाल समय से पहले सफेद भी नहीं होते हैं।
निर्गुण्डी के औषधीय गुण से कामशक्ति में वृद्धि (Benefit of Nirgundi to Boost Sexual Stamina in Hindi)
निर्गुण्डी का उपयोग यौन शक्ति को बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। रिसर्च से पता चलता है कि यह पुरुषों की यौन क्षमता और इरेक्टाइल डिस्फंक्शन को बेहतर कर सकता है। हालांकि, शोध में इस बात का भी जिक्र है कि इसकी पत्तियों का रस यौन भावनाओं को कम कर सकता है। इसी वजह से इसका इस्तेमाल विशेषज्ञ की सलाह पर ही करें।
- 40 ग्राम निर्गुंडी और 20 ग्राम सोंठ को एक साथ पीसकर आठ खुराक बना लें। एक खुराक रोज दूध के साथ सेवन करने से मनुष्य की काम शक्ति बढ़ती है।
- निर्गुण्डी मूल को घिसकर शिश्न पर लेप करने से लिंग का ढीलापन दूर होता है।
पेट के रोग में निर्गुण्डी के सेवन से लाभ (Benefits of Nirgundi Plant for Stomach Related Problems in Hindi)
10 मि.ली. निर्गुण्डी पत्तों के रस में 2 दाने काली मिर्च और अजवायन चूर्ण मिला लें। इसे सुबह-शाम सेवन करने से पाचन-शक्ति बढ़ती है, पेट का दर्द ठीक होता है, और पेट में भरी गैस निकलती है।
पाचन तंत्र करे ठीक (Improve digestive system)
इन दिनों ज्यादातर लोग पाचन विकारों से परेशान हैं। ऐसे में वे कई तरह के उपाय अपनाते हैं, लेकिन फायदा नहीं मिल पाता है। तो इस समस्या में निर्गुण्डी आपकी मदद कर सकता है। निर्गुण्डी में पाचन विकारों को दूर करने की क्षमता होती है। इसके सेवन से पाचन तंत्र मजबूत होता है और भूख बढ़ती है। यह गैस, एसिडीटी और कब्ज के लिए औषधी का काम करता है। निर्गुण्डी से पत्तियों के रस का सेवन करने से पेट साफ रहता है। आप इसके चूर्ण का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
जांघों सुन्न हो जाने के इलाज में निर्गुंडी फायदेमंद (Nirgundi Beneficial to Treat Thigh Numbness in Hindi)
उरूस्तम्भ (जांघों का सुन्न होना) के इलाज में निर्गुंडी का प्रयोग फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि निर्गुंडी में कफ- वात दोनों दोषों को शांत करने का गुण पाया जाता है जिससे उरूस्तम्भ (जांघों का सुन्न होना) में निर्गुंडी फायदेमंद होता है।
फाइलेरिया (हाथीपाँव) में निर्गुण्डी का औषधीय गुण फायदेमंद (Nirgundi Tree Benefits for Elephantiasis in Hindi)
धतूरा, एरंड मूल, संभालू, पुनर्नवा, सहजन की छाल तथा सरसों को एक साथ मिला कर लेप करने से पुराने से पुराने हाथीपाँव (फाइलेरिया) में भी लाभ होता है।
अस्थमा के रोगियों के लिए कारगर है निर्गुण्डी (Nirgundi effective for asthma patients)
अस्थमा फेफड़ों की एक ऐसी बीमारी होती है, जिसके कारण व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई होती है। अस्थमा रोगियों के लिए निर्गुण्डी का तेल बेहद कारगर साबित होता है। इस तेल से नाक, छाती और गर्दन के आसपास मालिश करने से अस्थमा में काफी आराम मिलता है। इसके साथ ही निर्गुण्डी श्वसन तंत्र से जुड़ी समस्याओं में भी कारगर है।
निर्गुण्डी के उपयोगी भाग (Useful Part of Nirgundi Plant)
अगर आप निर्गुण्डी का इस्तेमाल सही तरीके से करेंगे, तो ही आपको इसका पूरा फायदा मिलेगा। अगर आप किसी गंभीर बीमारी होने पर इसका सेवन करना चाहते हैं, तो आयुर्वेदाचार्य की सलाह पर ही करें।
निर्गुण्डी चूर्ण बच्चों के लिए (Nirgundi Powder for Children) – 1-2 ग्राम दूध के साथ
निर्गुण्डी चूर्ण वयस्कों के लिए (Nirgundi Powder for Adults) – 3-5 ग्राम दूध के साथ
रस – 10-20 मि.ली.
चूर्ण – 3-6 ग्राम
मात्रा: हम बता ही चुके हैं कि निर्गुण्डी के सभी हिस्सों में औषधीय गुण होते हैं। इसी वजह से इनका सेवन अलग-अलग मात्रा में किया जाता है, जिसकी जानकारी हम नीचे दे रहे हैं। अगर किसी को शारीरिक समस्या है, तो उसे इसकी खुराक की जानकारी विशेषज्ञ से लेनी चाहिए।
- रोजाना सूखे फल के रस की 40 मिलीग्राम मात्रा।
- सूखी पत्तियों के अर्क की 300 से 600 मिलीग्राम मात्रा दिन में दो बार ले सकते हैं।
- निर्गुण्डी के पत्तों से बना काढ़ा दिन में दो बार 50 से 100 ml पी सकते हैं ।
- दिन में दो बार इसकी पत्ती का 10 से 20ml रस का सेवन किया जा सकता है।
- निर्गुण्डी के पत्तों का 5 से 3 ग्राम पाउडर खा सकते हैं।
- दिनभर में दो बार इसके जड़ की छाल के पाउडर का 3 से 6 ग्राम तक सेवन किया जा सकता है।
- निर्गुण्डी के बीज का पाउडर का भी एक से तीन ग्राम तक सेवन कर सकते हैं।
निर्गुण्डी के साइड इफेक्ट (Side effect of nirgundi)
डॉक्टर बताते हैं कि निर्गुण्डी के सेवन से आपको कई फायदे हो सकते है। ज्यादातर लोगों को इसका सेवन करने से कई तरह के स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। लेकिन कुछ संवेदनशील लोगों के लिए इसके नुकसान भी हो सकते हैं। इसलिए इन लोगों को डॉक्टर की सलाह पर ही इसे लेना चाहिए।
- गर्भवती महिलाओं को
- हृदय रोगी
- मुंह में सूखापन
- पेट दर्द
- निर्गुण्डी की पत्तियों का रस युवाओं की यौन इच्छा को कम कर सकता है।
- यह हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी के प्रभाव को कम कर सकता है।
निर्गुण्डी के सेवन से पहले एक बार डॉक्टर से संपर्क जरूर कर लें। वैसे तो यह एक सुरक्षित औषधी है, लेकिन अगर आपको कोई गंभीर बीमारी या एलर्जी हैं, तो बिना डॉक्टर की सलाह पर इसका सेवन न करें। इससे आपके सेहत को फायदे की जगह नुकसान भी हो सकता है।
निर्गुण्डी को लंबे समय तक सुरक्षित कैसे रखें – How to Store Nirgundi in Hindi
बाजार से निर्गुण्डी को पाउडर, तेल, अर्क और बूटी के रूप में खरीदा जा सकता है। वैसे तो हर पैकेट में उसकी एक्सपायरी डेट दी गई होती है। फिर भी इसे जल्दी खराब होने से बचाने के लिए इन्हें सामान्य तापमान पर रखना बेहतर होगा। इन्हें सूरज की सीधी रोशनी और नमी वाले क्षेत्र से दूर रखना चाहिए।
Discussion about this post