अश्वगंधा क्या है (What is Ashwagandha):
यदि आप आयुर्वेद में थोड़ीबहुत भी रूचि रखते हैं तो आपने अश्वगंधा का नाम ज़रूर सुना होगा। यह एक प्राचीन और महत्वपूर्ण जड़ी-बूटी है। इसका इस्तेमाल जीवन की अनेक प्रक्रियाओं में किया जाता है। इसके शरीर की रोग-रोग प्रतिरोधक क्षमता में लाभ पोंहचाने की खूबी के कारण इसे भारतीय जिनसेंग (Ginseng) भी कहा जाता है। पिछले कुछ वर्षो में आयुर्वेद ने देश और विदेश में बहुत नाम कमाया है। प्राचीन जड़ी बूटी जैसे अश्वगंधा, त्रिफला, ब्राह्मी आदि काफ़ी चर्चा में है। आईएसकेडी मेडीफिट (ISKD Medifit) के इस लेख के माध्यम से प्राचीन आयुर्वेदाचार्य श्री ब्रह्मस्वरूप बताएँगे अश्वगंधा खाने से शरीर को कौनसे फायदे होते हैं
दरअसल अश्वगंधा एक जड़ी-बूटी है। अश्वगंधा का प्रयोग कई रोगों में किया जाता है। क्या आप जानते हैं कि मोटापा घटाने, बल और वीर्य विकार को ठीक करने के लिए अश्वगंधा का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा अश्वगंधा के फायदे और भी हैं। अश्वगंधा के अनगिनत फायदों के अलावा अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से अश्वगंधा के नुकसान से सेहत के लिए असुविधा उत्पन्न हो सकता है।
अब आप ये सोच रहें होंगे की अश्वगंधा आखिर चीज़ क्या है, जिसका इतनी बार ज़िक्र हो रहा है। असल में अश्वगंधा ६००० बी सी पुराणी जड़ी बूटी है जिसका प्रयोग अनेक रोगों को ठीक करने में किया जाता आ रहा है, अश्वगंधा का प्रयोग व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक तौर पर अधिक ऊर्जा प्रदान करने के लिए किया जाता है। कई चर्चित आयुर्वेदिक किताबों और पत्रिकाओं में भी उल्लेख है की अश्वगंधा का नियम अनुसार सेवन करने से कोई भी व्यक्ति भयंकर बीमारियों जैसे वात रोग (अर्थरिटेस), कैंसर, तनाव (स्ट्रेस), हार्टअटैक, डॉयबटीज आदि।
अलग-अलग देशों में अश्वगंधा कई प्रकार की होती है, लेकिन असली अश्वगंधा की पहचान करने के लिए इसके पौधों को मसलने पर घोड़े के पेशाब जैसी गंध आती है। अश्वगंधा की ताजी जड़ में यह गंध अधिक तेज होती है। वन में पाए जाने वाले पौधों की तुलना में खेती के माध्यम से उगाए जाने वाले अश्वगंधा की गुणवत्ता अच्छी होती है। तेल निकालने के लिए वनों में पाया जाने वाला अश्वगंधा का पौधा ही अच्छा माना जाता है। अश्वगंधा दो प्रकार का होता है.
छोटी असगंध (अश्वगंधा)
इसकी झाड़ी छोटी होने से यह छोटी असगंध कहलाती है, लेकिन इसकी जड़ बड़ी होती है। राजस्थान के नागौर में यह बहुत अधिक पाई जाती है और वहां के जलवायु के प्रभाव से यह विशेष प्रभावशाली होती है। इसीलिए इसको नागौरी असगंध भी कहते हैं।
बड़ी या देशी असगंध (अश्वगंधा)
इसकी झाड़ी बड़ी होती है, लेकिन जड़ें छोटी और पतली होती हैं। यह बाग-बगीचों, खेतों और पहाड़ी स्थानों में सामान्य रूप में पाई जाती है। असगंध में कब्ज गुणों की प्रधानता होने से और उसकी गंध कुछ घोड़े के पेशाब जैसी होने से संस्कृत में इसकी बाजी या घोड़े से संबंधित नाम रखे गए हैं।
बाहरी आकृति
बाजार में अश्वगंधा की दो प्रजातियां मिलती हैंः-
पहली मूल अश्वगंधा Withania somnifera (Linn.) Dunal, जो 0.3-2 मीटर ऊंचा, सीधा, धूसर रंग का घनरोमश तना वाला होता है।
दूसरी काकनज Withania coagulans (Stocks) Duanl, जो लगभग 1.2 मीटर तक ऊंचा, झाड़ीदार तना वाला होता है।
अनेक भाषाओं में अश्वगंधा के नाम (Ashwagandha Called in Different Languages)
अश्वगंधा को लोग आम बोलचाल में असगंध के तौर पर जानते हैं, लेकिन देश-विदेश में इसको कई नाम से जाना जाता है। अश्वगंधा का का वानस्पतिक नाम (Botanical name) Withania somnifera (L.) Dunal (विथेनिआ सॉम्नीफेरा) Syn-Physalis somnifera Linn. है और इसके अन्य नाम ये हैंः-
- Hindi (ashwagandha in hindi) – असगन्ध, अश्वगन्धा, पुनीर, नागोरी असगन्ध
- English – Winter cherry (विंटर चेरी), पॉयजनस गूज्बेर्री (Poisonous gooseberry)
- Sanskrit – वराहकर्णी, वरदा, बलदा, कुष्ठगन्धिनी, अश्वगंधा
- Oriya – असुंध (Asugandha)
- Urdu – असगंधनागोरी (Asgandanagori)
- Kannada – अमनगुरा (Amangura), विरेमङड्लनागड्डी (Viremaddlnagaddi)
- Gujarati – आसन्ध (Aasandh), घोडासोडा (Ghodasoda), असोड़ा (Asoda)
- Tamil – चुवदिग (Chuvdig), अमुक्किरा (Amukkira), अम्कुंग (Amkulang)
- Telugu – पैन्नेरुगड्डु (Panerugaddu), आंड्रा (Andra), अश्वगन्धी (Ashwagandhi)
- Bengali – अश्वगन्धा (Ashwagandha)
- Nepali – अश्वगन्धा (Ashwagandha)
- Punjabi – असगंद (Asgand)
- Malyalam – अमुक्कुरम (Amukkuram)
- Marathi (ashwagandha in marathi) – असकन्धा (Askandha), टिल्लि (Tilli)
- Arabic – तुख्मे हयात (Tukhme hayat), काकनजे हिन्दी (Kaknaje hindi)
- Farasi – मेहरनानबरारी (Mehernanbarari), असगंध-ए-नागौरी (Ashgandh-e-nagori)
अश्वगंधा कैसे काम करता है? (How does Ashwagandha work?):
अश्वगंधा के अनेकों लाभ हैं जिनके कारण इस का उचित रूप से सेवन मानव शरीर को स्वस्थ बना सकता है। हालाँकि इस के प्रभावों के कारण सामान्यतः लोग नहीं जानते हैं।
अश्वगंधा में स्थित प्रतियुप्चायक (anti-oxidants) हमारी रोग-विरोधक क्षमता को सशक्त करते हैं। इस के कारण शीत ऋतु के समय उत्पन्न होने वाली स्वास्थ संबंधित समस्यायों (जैसे की ख़ासी, ज़ुकाम) से पार पाने में सहायता मिलती है।
इस के अतिरिक्त, अश्वगंधा का उपयोग करने से श्वेत रक्तकोशिकाओं (white blood cells) अथवा लाल रक्तकोशिकाओं (red blood cells) की संख्या और स्वास्थ बना रहता है। इससे हमारे शरीर को अनेक गंभीर सेहत संबंधित समस्याओं से आराम मिलता है।
अश्वगंधा की सेवन विधि (Ashwagandha consumption method):
1) अश्वगंधा वटी – अश्वगंधा का सबसे प्रचलित और आमतौर पर लेने का तरीका है इसकी गोली खाना। अश्वगंधा 6० और 120 गोलीकी डिब्बी में आती है। आमतौर पर चिकित्सक इसे दिन में एक या दो बार लेरे की सलाह देते हैं। इसे खाने से पूर्व गरम पानी के साथलिया जाता है। यह वटी ब्राह्मी वटी की तरह उन आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों में आती है जिनका सेवन न सिर्फ इलाज के लिए बल्कि खालीएहतियाद के लिए भी किया जाता है। कुछ चिकित्सकों और इसका नियमित सेवन करने वाले लोगों की माने तो इसे रोज़ लेने में कोई हर्ज़ नहीं है।
इसके फायदे
- यह रक्तचाप (Blood Pressure) को नियंत्रित रखने में कारगर है।
- यह एंग्जायटी (anxiety) से लड़ने में सहायक है।
- इसे नियमित रूप से लिया जाए तो मानसिक ताक़त की बढ़ौतरी होती है।
- यह लेने से नींद अच्छी और गहरी आती है।
- यह मर्दों में यौन समस्याओं से लड़ने में भी सहायक होता है। एक शोध से यह भी पाया गया है की इसके नीयमित सेवन से मर्दों के शरीरमें टेस्टास्टरोन की मात्रा में 17% तक बढ़ौतरी हो सकती है और स्पर्म काउंट में 167%(167%) तक बढ़ौतरी हो सकती है।
इसके दुष्प्रभाव
यह अगर चिकित्सकों की सलाह से और नियम से ली जाये तो इसके कोई दुष्प्रभाव नहीं पाए गए हैं, परन्तु इसके अधिक सेवन से इसके निम्नलिखित दुष्प्रभाव हो सकते हैं-
- मुँह में खुश्की आना।
- इससे शरीर में गर्मी बढ़ सकती है।
- उल्टियां लग सकती हैं। पेट खराब हो सकता है।
क्या यह एलोपैथिक या होम्योपैथिक दवाईओं के साथ अनुकूल है ?
अश्वगंधा का होम्योपैथिक दवाइयों के साथ कोई दुष्प्रभाव नहीं है, परन्तु एलोपैथिक दवाइयों के साथ यह अनुकूल नहीं होती। ज़्यादा जानकारी के लिए कृपया अपने चिकित्सक की सलाह से ही लें।
2) अश्वगंधा पाउडर (Ashwagandha Powder)/ अश्वगंधा चूर्ण – अश्वगंधा पाउडर या इसे अश्वगंधा चूर्ण भी कहा जा सकता है यहअश्वगंधा के पौधे की पत्तियों और जड़ों को पीस कर बनाया जाता है। यह अश्वगंधा सेवन का एक अन्य प्रचलित तरीका है।
सेवन की विधि
इसे भोजन से पूर्व गुनगुने पानी के साथ लें।
इसके फायदे
- यह त्वचा के लिए लाभदायक है।
- अश्वगंधा वटी की तरह यह भी तनाव दूर करने और मस्तिषक की क्षमता बढ़ाने में कारगर है।
- यह शरीर की रोगप्रतिरोधक शक्ति में बढ़ौतरी करता है।
इसके दुष्प्रभाव
- इसके अधिक सेवन से पेट खराब हो सकता है।
- यह लो ब्लड प्रेशर वाले व्यक्तिओं को नहीं लेना चाहिए।
- इससे मुख में खुश्की हो सकती है।
3) अश्वगंधा रसायन – अश्वगंधा रसायन अश्व्गन्धा पाउडर को दूध, घी और तिल के तेल के साथ मिलाकर बनाया जाता है। यह रसायन मूल रूप से शरीर की ताक़त बढ़ाने के लिए लिया जाता है।
इसके फ़ायदे
- शारीरिक क्षमता बढ़ाना
- स्टेमिना बढ़ाना
- प्राण शक्ति को बढ़ाना
इसके सेवन की विधि
यह रसायन गुनगुने पानी के साथ दिन में एक बार भोजन से पूर्व लिया जाता है।
इसके दुष्प्रभाव
- इसे अत्यधिक मात्रा में लेने से यह शरीर में गर्मी बढ़ा सकता है।
- इससे पेट भी खराब हो सकता है।
4) अश्वगंधा तेल – यह तेल अश्वगंधा की जड़ो और पत्तियों को पीस कर गोले या तिल के तेल में मिलाकर बनाया जाता है।
इसके सेवन की विधि
यह शरीर के ऊपर लगाया जाता है इसे खोपड़ी पर भी लगा सकते हैं।
इसके फ़ायदे
- वात असंतुलन को ठीक करना।
- किसी भी तरह के मासपेशीयों के दर्द में राहत पोंहचाना।
- जोड़ों के दर्द में में राहत पोंहचाना।
इसके दुष्प्रभाव
- अश्वगंधा तेल के अभी तक कोई दुष्प्रभाव सामने नहीं आए हैं।
अश्वगंधा के सभी प्रचलित रूपों पर हम ऊपर बता चुके हैं पर यह वो सब रूप हैं जो दवायी की तरह लिए जाते हैं पर अगर हम इसे अपने रोज़-मर्रा के जीवन में उतारना चाहें तो उसके लिए हमें इसे अपनी जीवनशैली के साथ जोड़ना होगा।
रोज़ के खान पान के साथ इसे जोड़ लेने से यह चमत्कारी जड़ी बूटी बेहद सहज ही आपके जीवन का हिस्सा बन जाएगी और आपकोऔर आपके परिवार को तंदुरुस्त रखने में सहायक होगी।
सबसे पहले बात करते हैं kerala Ayurveda की Orange-Ashwagandha Soap की।
1) अश्वगंधा साबुन (Orange Ashwagandha Soap) – अश्वगंधा साबुन एक आयुर्वेदिक व् औषधीय साबुन है। यह साबुन न केवल त्वचा के निखार के लिए बल्की त्वचा की बेहतरी के लिए भी इस्तेमाल की जाती है।
मुख्यतः यह साबुन वात प्रकृतु के व्यक्तियों के लिए है, वात प्रकृति के व्यक्तियों में खुश्क त्वचा की समस्या पायी जाती है और यह साबुन त्वचा को हाइड्रेट करके त्वचा की खुश्की दूर करती है और पुनर्जीवित करती है तथा आपको ताज़गी का एहसास कराती है।
इसमें इस्तेमाल किये जाने वाले अवयव
- संतरे का तेल
- अश्वगंधा का तनिचोड़
- ऐलोवेरा
- नारियल तेल
1) अश्वगन्धादि लेह्यं – यह बाजार में सहज ही उपलब्ध उत्पाद है। इसे लेने के कई फायदे हैं जैसे शारीरिक ऊर्जा बढ़ाना और रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना। आमतौर पर लोग बीमार पड़ने पर दवाई तो निःसंकोच खरीद लेते हैं पर अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए कुछ काम नहीं करते। यह एक ऐसी प्रकार की औषधि है जो बगैर चिकित्सकों की सलाह के भी उपलब्ध है और जिसे नियमित रूप से लेने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में अच्छी बढ़ौतरी होती है।
इसमें इस्तेमाल किये जाने वाले अवयव
- अश्वगंधा
- सारिवा
- जीरा
- मधुस्नुही
- द्राक्षा
- घी
- शहद
- इलाइची
- शक्कर
- तिल
- अदरक
- काले चने
3) अश्वगंधा Tea यानी अश्वगंधा वाली चाय
अश्वगंधा चाय एक अच्छा नुस्खा है, अश्वगंधा को अपने रोज़ाना जीवन में उतारने का। इससे आपकी चाय भी पौष्टिक होती है।
इसे तैयार करने की सामग्री
- 1/2 कप दूध
- 1/2 कप पानी
- 1 चम्मच अश्वगंधा पाउडर
- शहद/शक्कर स्वादानुसार
इसे तैयार करने की विधि
- सबसे पहले दूध को एक पतीले में डाल लें और ऊपर से उसके अश्वगंधा पाउडर और पानी मिला लें।
- तीनो को एक साथ धीमी आँच पे गरम होने दें।
- अपनी इच्छा अनुसार आप इसके अदरक और इलाइची भी डाल सकते हैं और सभी को एक साथ पका लें।
- अपने स्वाद अनुसार इसमें शहद या शक्कर मिला लें और आपकी अश्वगंधा चाय का मज़ा लें।
इसके फायदे
यह आपको तनाव से लड़ने में मदद करेगी और चाय के रूप में होने के कारण यह सहज ही आपने जीवन में रोज़ाना लेने की चीज़ के रूप में जुड़ जाएगी।
4) अश्वगंधा बनाना smoothie
जैसा कि हम देखते हैं कई बच्चे चाय से परहेज़ करते हैं, तो उनके लिए इसका एक और स्वादिष्ट और पौष्टिक रूप है अश्वगंधा बनाना smoothie। यह दूध और केले की मदद से बनती है और यह दुबले बच्चों के लिए अत्यंत लाभदायक है।
तैयार करने की सामग्री
- 1 केला
- 1 कप दूध
- 1 चम्मच अश्वगंधा पाउडर
- 1/2 कप काजू-बादाम या अन्य गिरी
- थोड़ा सा शहद या शक्कर
इसे तैयार करने की विधि
- केले, दूध, गिरी, अश्वगंधा पाउडर और अपने मुताबिक़ शहद या शक्कर को एक mixer में डाल लें और कुछ देर चला लें।
- आपकी अश्वगंधा बनाना smoothie तैयार।
इसके फ़ायदे
- यह बच्चों को अश्वगंधा देने का एक आकर्षक तरीक़ा है।
- इसके अश्वगंधा के सभी गुण और केले का आहार भी है।
- इससे वज़न भी बढ़ता है।
5) अश्वगंधा-हल्दी दूध
एक और स्वादिष्ट और आकर्षक रूप अश्वगंधा को लेने का। यह आहार इसमें हल्दी होने की वजह से अश्वगंधा के साथ इसके लाभ को बढ़ा देता है।
इसे तैयार करने की सामग्री
- 1 चम्मच अश्वगंधा पाउडर
- 1 चम्मच हल्दी पाउडर
- 1/2 कप दूध
- 1 चम्मच गोले का तेल
इसे तैयार करने की विधि
- अश्वगंधा पाउडर, हल्दी पाउडर, दूध को मिला लें और धीमी आँच पर गरम होने दें। जब वह पक जाए तब इसके गोले के तेल को मिलालें।
इसके फ़ायदे
- यह तनाव से लड़ने के लिए अत्यंत लाभकारी है।
- इसे मांसपेशियों में दर्द हो तब भी लोग पीते हैं। माना जाता है अगर इसे सोने से पहले पीया जाये तो यह मांसपेशियों को आराम पोहचता है।
- यह लोग सोने से पहले इसलिए भी पीते हैं ताकि नींद अच्छी और गहरी आये।
6) अश्वगंधा घी दूध
अश्वगंधा और घी खाने के फ़ायदे अनेक हैं। यह एक बेहद पौष्टिक मेल है। घी के साथ अश्वगंधा अत्यंत लाभदायक है।
इसे तैयार करने की सामग्री
- 1/2 चम्मच अश्वगंधा पाउडर
- 1 चम्मच घी
- 1 चम्मच शक्कर
- 1 ग्लास दूध
इसे तैयार करने की विधि
- अश्वगंधा पाउडर को लें और गरम दूध में डाल कर मिक्स करलें।
- फिर उसमे ऊपर से घी मिला लें आपका अश्वगंधा घी दूध तैयार।
इसके फायदे
- यह अत्यंत लाभदायक है स्ट्रेस व ऐंज़ाइयटी कम करने में ।
7) अश्वगंधा मक्खन
अश्वगंधा का मक्खन भी बनाया जा सकता है ताकि जब भी आप नाश्ते में सैंडविच खाएं तो आपका आहार अश्वगंधा के फायदों से भरपूर रहे।
इसे तैयार करने की सामग्री
- 2 कप बादाम
- 1 कप घी या मक्खन
- 1 कप अश्वगंधा पाउडर
तैयार करने की विधि
- 2 कप कच्चे बादाम को एक ब्लेंडर में दाल कर धीमी गति पर चलाएं जबतक वह आपके मुताबिक़ पिस न जाएँ।
- उसके बाद उसमे मक्खन या घी मिला लें और अंत में अश्वगंधा पाउडर मिला कर उसे चला लें
इसके फायदे
- आप इसे ब्रेड पर लगाकर सैंडविच के रूप में इसका सेवन कर सकते हैं।
- यह पेट के लिए भी अच्छा माना जाता है।
8) अश्वगंधा ट्रफल बॉल
यह अश्वगंधा का एक बेहद तवादिष्ट रूप है जो ख़ास तौर पर बच्चों के लिए और चॉकलेट पसंद करने वाले किसी भी इंसान के लिए है। इस तरह के व्यंजन का मूलतः कारण यह है की एक तो इससे अश्वगंधा का एक लोकप्रिय रूप सामने आता है और दूसरा इससे चॉकलेट का भी एक ऐसा रूप सामने आता है जो स्वस्थ के लिए अच्छा भी है।
इसे तैयार करने की सामग्री
- 10 सुखाये हुए खजूर जिनके बीच निकले जा चुके हों
- 2 चम्मच अश्वगंधा पाउडर
- 1/2 कप चॉकलेट चिप्स
- 1 चम्मच नारियल तेल
- सेंधा नमक
- तिल के बीज
इसे तैयार करने की विधि
- एक ब्लेंडर की मदद से अश्वगंधा पाउडर और खजूरों को अच्छे से ब्लेंड कर लें और एक पेस्ट तैयार करलें।
- उस पेस्ट की छोटी छोटी गेंद बना लें और अगर गेंद ना बन पाए तो पेस्ट को फ्रिज में रख कर थोड़ा जमा लें।
- साथ ही चॉकलेट चिप्स और नारियल तेल को एक पैन में गरम कर लें और चलाते रहें।
- अब उन गेंदों को चॉकलेट और नारियल के मिक्स में डूबकर उनपे चॉकलेट की एक परत चढ़ने दें।
- टॉपिंग के लिए थोड़ा सा सेंधा नमक और तिल के बीज छिड़क लें और आपकी अश्वगंधा ट्रफल बॉल तैयार।
इसके फायदे
- यह अत्यधिक स्वादिष्ट तरीका है बच्चों को अश्वगंधा देने का , इसमें खजूर होने की वजह से यह सहरीर में ओजस बढ़ाता है और अश्वगंधा के सभी गुणों से भी यह भरपूर है।
9) अश्वगंधा काजू टॉनिक
अश्व्गन्धा टॉनिक के रूप में भी लिया जा सकता है जिसे आमतौर पर रात को सोने से पहले लिया जाता है। यह टॉनिक बेहद लाभदायक होता है।
इसे तैयार करने की सामग्री
- 1 कप काजू जिन्हे एक रात पहले भिगोया जा चुका हो
- 2 कप पानी
- एक चम्मच मेपल सिरप
- 1/2 चम्मच वैनिला बीन
- 1 चम्मच दालचीनी का पाउडर
- 1/4 चम्मच जायेफ
- 1/2 चम्मच अश्वगंधा पाउड
- एक चुटकी नमक
इसे तैयार करने की विधि
- सबसे पहले काजू और दूध को मिलकर एक ब्लेंडर में चला लें जबतक काजू अच्छे से पिस न जाएँ।
- अब काजू और दूध के पेस्ट में मेपल सिरप, वैनिला बीन, दालचीनी पाउडर, जायेफल और अश्वगंधा पाउडर मिला लें और इसे साथ में उबलने दें।
- इसमें एक चुटकी नमक भी मिला लें और मिक्स कर लें।
- आपका अश्वगंधा काजू टॉनिक तैयार।
इसके फायदे
यह गहरी नींद और तनाव को दूर करने में सहायक है।
10) अश्वगंधारिष्ट (Aswagandharishta):
चाहे आप दिन प्रतिदिन के तनाव से जूझ रहे हों या ऊर्जा की कमी से ग्रस्त हों, अश्वगंधारिष्टाम एक उचित उपाय है।
उपचार के लिए, प्रतिदिन दो से तीन चम्मच खाने के बाद लें।
11) अश्वगंधादी लेहम (Ashwagandhadi Lehyam):
प्रतिदिन, भोजन ग्रहण करने के बाद एक से दो चम्मच लेहम लें।
12) अश्वगंधा स्पार्कल्स (Ashwagandha Sparkles):
झाग उठने के पश्चात आप इस मिश्रण को पी सकते हैं।
अश्वगंधा स्पार्कल्स के नियमित सेवन से आप को प्रतिदिन एक ऊर्जा का आभास होगा, और तनाव से सुकून प्राप्त होगा। इस के अतिरिक्त, अश्वगंधा स्पार्कल्स की आदत नहीं लगती और यह औषधि प्राकृतिक रूप से सज्जित की जाती है।
अश्वगंधा के फायदे (Ashwagandha Benefits and Uses in Hindi)
आयुर्वेद में अश्वगंधा का इस्तेमाल अश्वगंधा के पत्ते, अश्वगंधा चूर्ण (Ashwagandha Powder) के रुप में किया जाता है। अश्वगंधा के फायदे (ashwagandha benefits in hindi) जितने अनगिनत हैं उतने ही अश्वगंधा के नुकसान भी है क्योंकि चिकित्सक के बिना सलाह के सेवन करने से शारीरिक अवस्था खराब हो सकती है। कई रोगों में आश्चर्यजनक रूप से लाभकारी अश्वगंधा का औषधीय इस्तेमाल करना चाहिए, चलिये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं-
सफेद बाल की समस्या में अश्वगंधा के फायदे (Use Ashwagandha Powder to Stop Gray Hair Problem in Hindi)
2-4 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण (Ashgandha Churn benefits) का सेवन करें। अश्वगंधा के फायदे (ashwagandha benefits in hindi) के वजह से समय से पहले बालों के सफेद होने की समस्या ठीक होती है।
आंखों की ज्योति बढ़ाए अश्वगंधा (Ashwagandha Benefits in Increasing Eyesight in Hindi)
2 ग्राम अश्वगंधा, 2 ग्राम आंवला (धात्री फल) और 1 ग्राम मुलेठी को आपस में मिलाकर, पीसकर अश्वगंधा चूर्ण कर लें। एक चम्मच अश्वगंधा चूर्ण को सबह और शाम पानी के साथ सेवन करने से आंखों की रौशनी बढ़ती है। अश्वगंधा के फायदे (ashwagandha benefits in hindi) के कारण आँखों को आराम मिलता है।
गले के रोग (गलगंड) में अश्वगंधा के पत्ते के फायदे (Ashwagandha Uses to Cure Goiter in Hindi)
अश्वगंधा के फायदे के कारण और औषधीय गुणों के वजह से अश्वगंधा गले के रोग में लाभकारी सिद्ध होता है।
अश्वगंधा पाउडर (ashwagandha powder benefits) तथा पुराने गुड़ को बराबार मात्रा में मिलाकर 1/2-1 ग्राम की वटी बना लें। इसे सुबह-सुबह बासी जल के साथ सेवन करें। अश्वगंधा के पत्ते का पेस्ट तैयार करें। इसका गण्डमाला पर लेप करें। इससे गलगंड में लाभ होता है।
टीबी रोग में अश्वगंधा चूर्ण के उपयोग (Ashwagandha Benefits in Tuberculosis (T.B.) Treatment in Hindi)
अश्वगंधा चूर्ण की 2 ग्राम मात्रा को असगंधा के ही 20 मिलीग्राम काढ़े के साथ सेवन करें। इससे टीबी में लाभ होता है। अश्वगंधा की जड़ से चूर्ण बना लें। इस चूर्ण की 2 ग्राम लें और इसमें 1 ग्राम बड़ी पीपल का चूर्ण, 5 ग्राम घी और 5 ग्राम शहद मिला लें। इसका सेवन करने से टीबी (क्षय रोग) में लाभ होता है। अश्वगंधा के फायदे (ashwagandha benefits in hindi) टीबी के लिए उपचारस्वरुप
अश्वगंधा के इस्तेमाल से खांसी का इलाज (Ashwagandha Uses in Getting Relief from Cough in Hindi)
असगंधा की 10 ग्राम जड़ों को कूट लें। इसमें 10 ग्राम मिश्री मिलाकर 400 मिलीग्राम पानी में पकाएं। जब इसका आठवां हिस्सा रह जाए तो आंच बंद कर दें। इसे थोड़ा-थोड़ा पिलाने से कुकुर खांसी या वात से होने वाले कफ की समस्या में विशेष लाभ होता है।
असगंधा के पत्तों से तैयार 40 मिलीग्राम गाढ़ा काढ़ा लें। इसमें 20 ग्राम बहेड़े का चूर्ण, 10 ग्राम कत्था चूर्ण, 5 ग्राम काली मिर्च तथा ढाई ग्राम सैंधा नमक मिला लें। इसकी 500 मिलीग्राम की गोलियां बना लें। इन गोलियों को चूसने से सब प्रकार की खांसी दूर होती है। टीबी के कारण से होने वाली खांसी में भी यह विशेष लाभदायक है। अश्वगंधा के फायदे खांसी से आराम दिलाने में उपचारस्वरुप काम करता है।
छाती के दर्द में अश्वगंधा के लाभ (Ashwagandha Powder Helps getting Relief from Chest Pain in Hindi)
अश्वगंधा की जड़ का चूर्ण 2 ग्राम की मात्रा का जल के साथ सेवन करें। इससे सीने के दर्द में लाभ (ashwagandha powder benefits) होता है।
पेट की बीमारी में अश्वगंधा चूर्ण के उपयोग (Ashwagandha Churna Cures Abdominal or Intestinal Worms in Hindi)
अश्वगंधा चूर्ण के फायदे (ashwagandha benefits in hindi) आप पेट के रोग में भी ले सकते हैं। पेट की बीमारी में आप अश्वगंधा चूर्ण का प्रयोग कर सकते हैं। अश्वगंधा चूर्ण में बराबर मात्रा में बहेड़ा चूर्ण मिला लें। इसे 2-4 ग्राम की मात्रा में गुड़ के साथ सेवन करने से पेट के कीड़े खत्म होते हैं।
अश्वगंधा चूर्ण में बराबर भाग में गिलोय का चूर्ण मिला लें। इसे 5-10 ग्राम शहद के साथ नियमित सेवन करें। इससे पेट के कीड़ों का उपचार होता है।
अश्वगंधा चूर्ण के उपयोग से कब्ज की समस्या का इलाज (Ashwagandha Powder Benefits in Fighting with Constipation in Hindi)
अश्वगंधा चूर्ण या अश्वगंधा पाउडर की 2 ग्राम मात्रा को गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से कब्ज की परेशानी से छुटकारा मिलता है।
गर्भधारण करने में अश्वगंधा के प्रयोग से लाभ (Ashwagandha Churna Helps in Pregnancy Problem in Hindi)
- 20 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को एक लीटर पानी तथा 250 मिलीग्राम गाय के दूध में मिला लें। इसे कम आंच पर पकाएं। जब इसमें केवल दूध बचा रह जाय तब इसमें 6 ग्राम मिश्री और 6 ग्राम गाय का घी मिला लें। इस व्यंजन का मासिक धर्म के शुद्धिस्नान के तीन दिन बाद, तीन दिन तक सेवन करने से यह गर्भधारण में सहायक (ashwagandha ke fayde) होता है।
- अश्वगंधा चूर्ण के फायदे गर्भधारण की समस्या में भी मिलते हैं। अश्वगंधा पाउडर को गाय के घी में मिला लें। मासिक-धर्म स्नान के बाद हर दिन गाय के दूध के साथ या ताजे पानी से 4-6 ग्राम की मात्रा में इसका सेवन लगातार एक माह तक करें। यह गर्भधारण में सहायक होता है।
- असगंधा और सफेद कटेरी की जड़ लें। इन दोनों के 10-10 मिलीग्राम रस का पहले महीने से पांच महीने तक की गर्भवती स्त्रियों को सेवन करने से अकाल में गर्भपात नहीं होता है।
ल्यूकोरिया के इलाज में अश्वगंधा से फायदा (Ashwagandha Root Benefits to Cure Leukorrhea in Hindi)
2-4 ग्राम असगंधा की जड़ के चूर्ण (ashwagandha powder benefits) में मिश्री मिला लें। इसे गाय के दूध के साथ सुबह और शाम सेवन करने से ल्यूकोरिया में लाभ होता है।
अश्वगंधा, तिल, उड़द, गुड़ तथा घी को समान मात्रा में लें। इसे लड्डू बनाकर खिलाने से भी ल्यूकोरिया में फायदा होता है।
इंद्रिय दुर्बलता (लिंग की कमजोरी) दूर करता है अश्वगंधा का प्रयोग (Ashwagandha Powder Uses in Penis Weakness Problem in Hindi)
असगंधा के चूर्ण को कपड़े से छान कर (कपड़छन चूर्ण) उसमें उतनी ही मात्रा में खांड मिलाकर रख लें। एक चम्मच की मात्रा में लेकर गाय के ताजे दूध के साथ सुबह में भोजन से तीन घंटे पहले सेवन करें।
रात के समय अश्वगंधा की जड़े के बारीक चूर्ण को चमेली के तेल में अच्छी तरह से घोंटकर लिंग में लगाने से लिंग की कमजोरी या शिथिलता (ashwagandha ke fayde) दूर होती है।
असगंधा, दालचीनी और कूठ को बराबर मात्रा में मिलाकर कूटकर छान लें। इसे गाय के मक्खन में मिलाकर सुबह और शाम शिश्न (लिंग) के आगे का भाग छोड़कर शेष लिंग पर लगाएं। थोड़ी देर बाद लिंग को गुनगुने पानी से धो लें। इससे लिंग की कमजोरी या शिथिलता दूर होती है।
अश्वगंधा का गुम गठिया के इलाज के लिए फायदेमंद (Ashwagandha Benefits in Getting Relief from Arthritis in Hindi)
- 2 ग्राम अश्वगंधा पाउडर को सुबह और शाम गर्म दूध या पानी या फिर गाय के घी या शक्कर के साथ खाने से गठिया में फायदा (ashwagandha ke fayde) होता है।
- इससे कमर दर्द और नींद न आने की समसया में भी लाभ होता है।
- असगंधा के 30 ग्राम ताजा पत्तों को, 250 मिलीग्राम पानी में उबाल लें। जब पानी आधा रह जाए तो छानकर पी लें। एक सप्ताह तक पीने से कफ से होने वाले वात तथा गठिया रोग में विशेष लाभ होता है। इसका लेप भी लाभदायक है।
चोट लगने पर करें अश्वगंधा का सेवन (Uses of Ashwagandha in Injury in Hindi)
अश्वगंधा पाउडर में गुड़ या घी मिला लें। इसे दूध के साथ सेवन करने से शस्त्र के चोट से होने वाले दर्द में आराम मिलता है।
अश्वगंधा के प्रयोग से त्वचा रोग का इलाज (Benefits of Ashwagandha in Treating Skin Diseases in Hindi)
अश्वगंधा के पत्तों का पेस्ट तैयार लें। इसका लेप या पत्तों के काढ़े से धोने से त्वचा में लगने वाले कीड़े ठीक होते है। इससे मधुमेह से होने वाले घाव तथा अन्य प्रकार के घावों का इलाज होता है। यह सूजन को दूर करने में लाभप्रद होता है।
अश्वगंधा की जड़ को पीसकर, गुनगुना करके लेप करने से विसर्प रोग की समस्या में लाभ (ashwagandha ke fayde) होता है।
अश्वगंधा के सेवन से दूर होती है शारीरिक कमजोरी (Ashwagandha Uses to Cure Body Weakness in Hindi)
- 2-4 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को एक वर्ष तक बताई गई विधि से सेवन करने से शरीर रोग मुक्त तथा बलवान हो जाता है।
- 10-10 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण, तिल व घी लें। इसमें तीन ग्राम शहर मिलाकर जाड़े के दिनों में रोजाना 1-2 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से शरीर मजबूत बनता है।
- 6 ग्राम असगंधा चूर्ण में उतने ही भाग मिश्री और शहद मिला लें। इसमें 10 ग्राम गाय का घी मिलाएं। इस मिश्रण को 2-4 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम शीतकाल में 4 महीने तक सेवन करने से शरीर का पोषण होता है।
- 3 ग्राम असगंधा मूल चूर्ण को पित्त प्रकृति वाला व्यक्ति ताजे दूध (कच्चा/धारोष्ण) के साथ सेवन करें। वात प्रकृति वाला शुद्ध तिल के साथ सेवन करें और कफ प्रकृति का व्यक्ति गुनगुने जल के साथ एक साल तक सेवन करें। इससे शारीरिक कमोजरी दूर (ashwagandha ke fayde) होती है और सभी रोगों से मुक्ति मिलती है।
- 20 ग्राम असगंधा चूर्ण, तिल 40 ग्राम और उड़द 160 ग्राम लें। इन तीनों को महीन पीसकर इसके बड़े बनाकर ताजे-ताजे एक महीने तक सेवन करने से शरीर की दुर्बलता खत्म हो जाती है।
- असगंधा की जड़ और चिरायता को बराबर भाग में लेकर अच्छी तरह से कूट कर मिला लें। इस चूर्ण को 2-4 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से शरीर की दुर्बलता खत्म (ashwagandha ke fayde) हो जाती है।
- एक ग्राम असगंधा चूर्ण में 125 मिग्रा मिश्री डालकर, गुनगुने दूध के साथ सेवन करने से वीर्य विकार दूर होकर वीर्य मजबूत होता है तथा बल बढ़ता है।
रक्त विकार में अश्वगंधा के चूर्ण से लाभ (Benefits of Ashwagandha in Blood Related Disorder in Hindi)
अश्वगंधा पाउडर में बराबर मात्रा में चोपचीनी चूर्ण या चिरायता का चूर्ण मिला लें। इसे 3-5 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम सेवन करने से खून में होने वाली समस्याएं ठीक होती हैं।
बुखार उतारने के लिए करें अश्वगंधा का प्रयोग (Uses of Ashwagandha in Fighting with Fever in Hindi)
2 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण तथा 1 ग्राम गिलोय सत् (जूस) को मिला लें। इसे हर दिन शाम को गुनगुने पानी या शहद के साथ खाने से पुराना बुखार ठीक होता है।
इस्तेमाल के लिए अश्वगंधा के उपयोगी हिस्से (Useful Parts of Ashwagandha)
- पत्ते
- जड़
- फल
- बीज
अश्वगंधा से जुड़ी विशेष जानकारी – बाजारों में जो असगंधा बिकती है उसमें काकनज की जड़े मिली हुई होती हैं। कुछ लोग इसे देशी असगंध भी कहते हैं। काकनज की जड़ें असगंधा से कम गुण वाली होती हैं। जंगली अश्वगंधा का बाहरी प्रयोग ज्यादा होता है।
अश्वगंधा का सेवन कैसे करें (How Much to Consume Ashwagandha)
अश्वगंधा का सही लाभ पाने के लिए अश्वगंधा का सेवन कैसे करें ये पता होना ज़रूरी होता है। अश्वगंधा के सही फायदा पाने और नुकसान से बचने के लिए चिकित्सक के परामर्श के अनुसार सेवन करना चाहिए-
- जड़ का चूर्ण – 2-4 ग्राम
- काढ़ा – 10-30 मिलीग्राम
अश्वगंधा से नुकसान (Ashwagandha Side Effects)
गर्म प्रकृति वाले व्यक्ति के लिए अश्वगंधा का प्रयोग नुकसानदेह होता है।
अश्वगंधा के नुकसानदेह प्रभाव को गोंद, कतीरा एवं घी के सेवन से ठीक किया जाता है।
अक्सर पूंछें जाने वाले सवाल:
अश्वगंधा खाने से पुरुषों को होता है खास फायदा
शोध से पता चलता है कि अश्वगंधा स्तंभन दोष पर पॉजिटिव असर डाल सकता है। यह जननांग क्षेत्र में ब्लड फ्लो को बेहतर बनाने में मदद करता है, जिससे स्तंभन काम बेहतर हो सकता है। इसके अलावा ये स्पर्म क्वालिटी को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।
सुबह खाली पेट अश्वगंधा खाने से क्या होता है?- Benefits of Eating Ashwagandha on an Empty Stomach in Hindi
तनाव और अवसाद कम करे सुबह खाली पेट अश्वगंधा खाने से तनाव और अवसाद के लक्षण दूर होते हैं। …
- थायराइड रोगियों के लिए लाभकारी
- इम्यूनिटी बूस्ट करे
- हार्ट हेल्थ में सुधार करे
- फर्टिलिटी बढ़ाए
अश्वगंधा लेने के लिए दिन का सबसे अच्छा समय क्या है?
इसके अलावा, अश्वगंधा कैप्सूल, अश्वगंधा चाय और अश्वगंधा का रस भी मार्केट और ऑनलाइन आसानी से मिल जाता है। रात में सोने से पहले दूध के साथ इसका सेवन फायदेमंद रहता है। इसके अलावा इसे खाना खाने के बाद भी लिया जा सकता है।
अश्वगंधा 1 दिन में कितना खाना चाहिए?
आयुर्वेद के अनुसार एक दिन में 1 से 2 चम्मच (3-6 ग्राम) से अधिक अश्वगंधा का सेवन नहीं करना चाहिए. जरूरत से ज्यादा अश्वगंधा का सेवन से उल्टी आना, पेट खराब होना, डायरिया, अल्सर, एसिडिटी, स्किन रैशेज और एंक्जायटी का खतरा हो सकता है. अपने चिकित्सक से अपने लिए सेवन की उचित मात्रा की जानकारी ले लेनी चाहिए.
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