आज के समय में तो डायबिटीज होना बहुत ही आम बात है। सिर्फ अधिक उम्र के लोगों में ही नहीं आज के समय में बच्चे भी डायबिटीज की चपेट में आ रहे है। एक समय था जब 40-50 साल की उम्र के बाद ही डायबिटीज जैसी बीमारियाँ हुआ करती है लेकिन अब अनुचित जीवनशैली और लाइफस्टाइल के कारण छोटे बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार आज के समय में पूरे विश्व में लगभग 350 मिलियन लाग इस बीमारी से पीड़ित है और अगले कुछ वर्षों में यह संख्या दुगनी हो जाएगी। शुगर को नियंत्रित रखने के लिए चिकित्सक की सलाह अनुसार आप शुगर की आयुर्वेदिक दवा का सेवन भी कर सकते हैं।
डायबिटीज (Diabetes) क्या है?
ब्लड शुगर अर्थात मधुमेह को नियंत्रित करना आज मनुष्य के लिए एक बहुत बड़ी चुनोती बन गया है, मगर प्राचीन आयुर्वेद और घरेलु ज्ञान इतना प्रबल है कि इस पर विश्वास रख कर इसको निरंतर इस्तेमाल करने से कितना भी प्रबल रोग हो सही हो जाता है। हजारों लोगों ने इस प्राचीन आयुर्वेदिक इलाज को अपना कर अपनी मधुमेह को नियंत्रित ही नहीं किया बल्कि शुगर को पूरी तरह से कंट्रोल कर लिया है तो अब आपकी बारी है। इसके लिए ज़रूरत है बस इस प्राचीन आयुर्वेदिक उपचार को निरंतरता के साथ अपनाने की और कुछ परहेज की। आइये जानते हैं शुगर यानी मधुमेह का यह आयुर्वेदिक प्राचीन रामबाण इलाज क्या है। सबसे पहले तो मधुमेह रोगियों को अपनी दिनचर्या में दो काम ज़रूर शामिल करने हैं एक है योग और दूसरा है सैर। आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरूप सिंह
आपको बता दें कि मधुमेह (डायबिटीज) रोग में खून में शर्करा स्तर बढ जाता है| भारत में शुगर रोगियों की संख्या में बडी तेजी से वृद्धि हो रही है। इस रोग का कारण प्रमुख रूप से इन्सूलिन हार्मोन की गड़बड़ी और सही समय पर खाना न खाने को माना जाता है। तनाव और अनियंत्रित जीवन शैली से इस रोग को बढावा मिलता है।
डायबिटीज चयापचय संबंधी बीमारियों का एक समूह है जिसमें लंबे समय तक उच्च रक्त शर्करा का स्तर होता है। उच्च रक्त शर्करा के लक्षणों में बार-बार पेशाब आना, प्यास लगना और भूख में वृद्धि होती है। यदि इसका उपचार न किया जाए तो डायबिटीज कई जटिलताओं का कारण बन सकता है। डायबिटीज के कारण व्यक्ति का अग्न्याशय (Pancreas) पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता या शरीर की कोशिकाएँ इंसुलिन को ठीक प्रकार से प्रतिक्रिया नहीं देती। ग्लूकोज को अन्य कोशिकाओं तक पहुँचाने का काम इन्सुलिन का होता है और डायबिटीज के रोगी के शरीर में इन्सुलिन बनना बंद या कम हो जाता है जिस कारण शरीर में चीनी अथवा ग्लूकोज की मात्रा अधिक हो जाती है।
डायबिटीज होने के कारण (Causes of Diabetes in Hindi)
हमारे शरीर में पैनक्रियास नामक ग्रन्थि के ठीक से काम न करने या फिर पूरी तरह से काम न करने पर डायबिटीज होने के खतरा बढ़ जाता है। इसके अन्य भी कारण हो सकते है पर पैनक्रियास ग्रन्थि सबसे बड़ा कारण है। हमारी पैनक्रयास ग्रन्थि से विभिन्न हार्मोन्स निकलते है, इनमें मुख्य है इन्सुलिन और ग्लूकॉन। इंसुलिन हमारे शरीर के लिए बहुत उपयोगी है, इसकी वजह से हमारे रक्त में हमारी कोशिकाओं को शुगर मिलती है। इन्सुलिन शरीर के अन्य भागों में शुगर पहुँचाने का काम करता है।
इंसुलिन हार्मोन का कम निर्माण होना। जब इन्सुलिन हार्मोन कम बनता है तो कोशिकाओं तक और रक्त में शुगर ठीक से नहीं पच पाती जिससे कोशिकाओं की ऊर्जा कम होने लगती है और इसी कारण से शरीर को नुकसान पहुँचने लगता है। जैसे- बेहोशी आना। दिल की धड़कन तेज होना आदि।
इंसुलिन के कम निर्माण के कारण रक्त में शुगर अधिक हो जाती है क्योंकि जब इंसुलिन कम बनता है तो कोशिकाओं तक और रक्त में शुगर जमा होती चली जाती है और यह मूत्र के जरिए निकलने लगता है। इसी कारण डायबिटीज के मरीज को बार-बार पेशाब आती है।
डायबिटीज होने में अनुवांशिकता भी एक कारण है। यदि परिवार के किसी सदस्य माँ-बाप, भाई-बहन में से किसी को है तो डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है।
मोटापा भी डायबिटीज के लिए जिम्मेदार होता है। समय पर न खाना या अधिक जंकफूड खाना और मोटापा बढ़ना डायबिटीज के कारण है। वजन बहुत ज्यादा बढ़ने से उच्च रक्तचाप की समस्या हो जाती है और रक्त में कॉलेस्ट्रोल का स्तर बहुत बढ़ जाता है जिस कारण डायबिटीज हो सकता है। बहुत अधिक मीठा खाने, नियमित रुप से जंक फूड खाने, कम पानी पीने, एक्सरसाइज न करने, खाने के बाद तुरंत सो जाने, आरामपरस्त जीवन जीने और व्यायाम न करने वाले लोगों में डायबिटीज होने की संभावना अधिक है।
वर्तमान में बच्चों में होने वाली डायबिटीज या शुगर होने का मुख्य कारण आजकल का रहन-सहन और खान-पान है। आजकल बच्चे शारीरिक रुप से निक्रिय रहते है और अधिक देर तक टी.वी. या वीडियो गेम्स खेलने में समय व्यतीत करते है जिस कारण डायबिटीज होने का खतरा ज्यादा रहता है। इससे बचने के लिए एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाना जरुरी है।
डायबिटीज के प्रकार (Types of Diabetes in Hindi ): डायबिटीज दो तरह के होते हैं-
टाइप-1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes): डायबिटीज के रोगी के शरीर में इन्सुलिन का निर्माण आवश्यकता से कम होता है। इस अवस्था को बाहर से इन्सुलिन देकर नियंत्रित किया जा सकता है। इसमें रोगी का अग्न्याशय या पैनक्रियास की बीटा कोशिकाएँ इन्सुलिन नहीं बना पाती जिसका उपचार लगभग असम्भव है। यह प्रकार बच्चों को एवं 18-20 साल तक के युवाओं को प्रभावित करता है।
टाइप-2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes): रोगी का शरीर इन्सुलिन का पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं कर पाता है। इसमें शरीर इन्सुलिन बनाता तो है लेकिन कम मात्रा में और कई बार वह इन्सुलिन अच्छे से काम नहीं करता। टाइप-1 डायबिटीज को उपचार और उचित खानपान से नियंत्रित किया जा सकता है। यह डायबिटीज वयस्कों को होता है।
डायबिटीज के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Diabetes)
- बार-बार यूरिनेशन (Urine) होना
- अधिक प्यास लगना
- बहुत ज्यादा थका हुआ महसूस करना
- धुंधला दिखना (Blurred vision)
- भूख अधिक लगना
- किसी चोट को ठीक होने में सामान्य से ज्यादा समय लगना
- बेवजह कम होता वजन (टाइप1)
- हाथ / पैर में झुनझुनी या दर्द (टाइप 2)
- अधिक पेशाब आने से शरीर निर्जलित हो जाता है जिस कारण बार-बार प्यास लगती है।
- महिलाओं में अक्सर योनि में कैंडिड इंफेक्शन होने को खतरा रहता है।
- रक्त में अतिरिक्त चीनी से तंत्रिका क्षतिग्रस्त हो सकता है। व्यक्ति अपने हाथ और पैरों में झनझनाहट महसूस करता है साथ ही हाथ-पैरों में दर्द एवं जलन हो सकती है।
- डायबिटीज में व्यक्ति की संक्रमण से लड़ने की क्षमता कमजोर पड़ जाती है जिससे कि मसूड़ें में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है और मसूड़े कमजोर होकर दाँत ढीले हो सकते है। निर्जलीकरण के कारण मुँह में शुष्कता रहती है।
मधुमेह होने के कारण (due to diabetes)
1. व्यायाम का अभाव
2. मानसिक तनाव
3. अत्यधिक नींद
4. मोटापा
5. चीनी और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट का अत्यधिक सेवन
6. वंशानुगत कारक
डायबिटीज का प्राचीन आयुर्वेदिक इलाज क्या है? (Ayurvedic treatment for diabetes)
आयुर्वेद, हजारों साल पहले भारत में उत्पन्न हुआ था। शुगर का आयुर्वेदिक इलाज मधुमेह को ठीक करने का एक प्रभावी साधन हो सकता है। आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट इस विश्वास पर आधारित है कि सभी जीवित चीजें पृथ्वी (Earth), जल (Water), आग (Fire), वायु (Air) और स्पेस (Space) ये पांच मुख्य एलिमेंट्स से बनी हैं। सभी जीवित चीजों में तीन प्रकार की ऊर्जा मौजूद होती है – वात, पित्त और कफ और बीमारियां इन ऊर्जाओं में असंतुलन के कारण ही होती हैं। मधुमेह का आयुर्वेदिक उपचार का उद्देश्य कई तकनीकों, प्रक्रियाओं, आहार और आयुर्वेदिक दवाओं के माध्यम से संतुलन को बनाना है। डायबिटीज के आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट में दवाओं, आहार, व्यायाम और जीवन के सामान्य तरीके शामिल किए जाते हैं।
डायबिटीज से बचने के उपाय (How to Prevent Diabetes in Hindi)
यदि उचित खान पान और जीवनशैली के साथ घरेलु उपचारों का प्रयोग किया जाए तो निश्चित ही रक्त में शुगर के स्तर को नियंत्रित रखा जा सकता है। उचित आहार और जीवनशैली का पालन करने से मधुमेह में होने वाले लक्षण एवं जटिलताओं से भी बचा जा सकता है।
- सब्जियों में करेला, ककड़ी, खीरा, टमाटर, शलजम, लौकी, तुरई, पालक, मेथी, गोभी यह सब खाना चाहिए। आलू और शकरकन्द का सेवन नहीं करना चाहिए
- फलों में सेब, अनार, संतरा, पपीता, जामुन, अमरुद का सेवन करें इसके विपरीत आम, केला, लीची, अंगूर इस प्रकार के मीठे फल कम से कम खाने चाहिए।
- सूखे मेवों में बादाम, अखरोट, अंजीर खाएँ। किशमिश, छुआरा, खजूर इनका सेवन न करें।
- चीनी, शक्कर, गुड़, गन्ने का रस, चॉकलेट इनका सेवन बिल्कुल न करें।
- एक बार में अधिक भोजन न करें बल्कि भूख लगने पर थोड़े मात्रा में भोजन करें।
- डायबिटीज के रोगी को प्रतिदिन आधा घंटा सैर करनी चाहिए और व्यायाम करना चाहिए।
- प्रतिदिन प्राणायाम करना चाहिए तथा जितना हो सके तनावयुक्त जीवन जीना चाहिए।
डायबिटीज (शुगर) का प्राचीन आयुर्वेदिक इलाज : प्राकृतिक जड़ी बूंटियों द्वारा : हर्ब्स द्वारा शुगर का इलाज
डायबिटीज के इलाज में फायदेमंद तुलसी (Tulsi Helps to Treat Diabetes in Hindi)
तुलसी में मौजूद एन्टीऑक्सिडेंट और जरुरी तत्व शरीर में इन्सुलिन जमा करने वाली और छोड़ने वाली कोशिकाओं को ठीक से काम करने में मदद करते है। डायबिटीज के रोगी को रोज दो से तीन तुलसी के पत्ते खाली पेट खाने चाहिए। इससे शुगर या डायबिटीज के लक्षणों (sugar ke lakshan) में कमी आती है।
डायबिटीज के उपचार में लाभकारी अमलतास (Amaltas Helps to Control Diabetes in Hindi)
अमलतास की कुछ पत्तियाँ धोकर उनका रस निकालें। इसका एक चौथाई कप प्रतिदिन सुबह खाली पेट पीने से शुगर के इलाज में फायदा मिलता है।
डायबिटीज के इलाज में फायदेमंद सौंफ (Fennel Seed Helps to Get relief from Complication of Diabetes in Hindi)
नियमित तौर पर भोजन के बाद सौंफ खाएँ। सौंफ खाने से डायबिटीज नियंत्रण में रहता है। शुगर के मरीजों को इन घरेलू उपायों को अपनाने के साथ साथ परहेज का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
डायबिटीज या शुगर की दवा है करेला (Bitter Gourd Helps to Treat Diabetes Symptoms in Hindi)
करवेल्लका यानी करेला यह डायबिटीज के आयुर्वेदिक इलाज के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली सबसे प्रभावकारी जड़ी-बूटी है। करेले में फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो एक एंटीडायबिटिक एलिमेंट है। इसमें ब्लड ग्लूकोज लेवल को कम करने के गुण होते हैं। डायबिटीक पेशेंट फ्रेश करेला जूस ले सकते हैं। डायबिटीज के आयुर्वेदिक उपचार में इस जड़ी-बूटी की आवश्यकता हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग होती है। इसलिए इसे डॉक्टर की सलाह से ही लिया जाना चाहिए।
- करेले का जूस शुगर की मात्रा को कम करता है। डायबिटीज को नियंत्रण में लाने के लिए करेले का जूस नियमित रुप से पीना चाहिए।
- शुगर के लक्षण (Sugar ke lakshan) नजर आने पर सुबह खाली पेट टमाटर, खीरा और करेले का जूस मिलाकर पिएँ।
डायबिटीज के इलाज में लाभकारी शलजम (Turnip Beneficial in Diabetes in Hindi)
शलजम को सलाद के रुप में या सब्जी बनाकर खाएँ। शुगर के इलाज के दौरान शलजम का सेवन काफी फायदेमंद होता है।
डायबिटीज को नियंत्रण करने में सहायक अलसी के बीज (Flaxseed Helps to Control Diabetes in Hindi)
सुबह खाली पेट अलसी का चूर्ण गरम पानी के साथ लें। अलसी में प्रचुर मात्रा मे फाइबर पाया जाता है जिस कारण यह फैट और शुगर का उचित अवशोषणा करने में सहायक होता है। अलसी के बीज डायबिटीज के मरीज की भोजन के बाद की शुगर को लगभग 28 प्रतिशत तक कम कर देते हैं।
डायबिटीज या शुगर की दवा है मेथी (Fenugreek Helps to Control Diabetes in Hindi)
मेथी के दानें को रात को सोने से पहले एक गिलास पानी में डालकर रख दें। सुबह उठकर खाली पेट इस पानी को पिएँ और मेथी के दानों को चबा लें। नियमित रुप से इसका सेवन करने से डायबिटीज नियंत्रण में रहता है।
एक स्टडी की मानें तो मेथी में ब्लड ग्लूकोज लेवल को कम करने के गुण होते हैं। आयुर्वेदिक टाइप 2 डायबिटीज के इलाज के रूप में मेथी काफी मददगार साबित हो सकती है। प्रेग्नेंट महिलाओं को इसके सेवन से बचना चाहिए।
डायबिटीज में लाभकारी गेंहूँ (Wheat : Home Remedy for Diabetes in Hindi)
गेहूँ के ज्वार का आधा कप ताजा रस रोज सुबह-शाम पीने से डायबिटीज में लाभ होता है।
गुडुची डायबिटीज के इलाज में फायदेमंद (Guduchi beneficial in the treatment of diabetes)
आयुर्वेद में गुडुची यानी गिलोय की जड़ें और तने का उपयोग डायबिटीज के इलाज में कई सालों से किया जाता रहा है। इसमें मौजूद एंटी-डायबिटिक प्रॉपर्टी ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करके इंसुलिन फ्लो को बढ़ावा देने का काम करती है। यह ग्लूकोनोजेनेसिस (मेटाबॉलिक रिएक्शन) और ग्लाइकोजेनेसिस को बाधित करके ब्लड शुगर को नियंत्रित रखती है। यह डायबिटीज मेलिटस के उपचार के लिए उपयुक्त है।
डायबिटीज के इलाज में फायदेमंद जामुन (Jambolan Controls Diabetes in Hindi)
जामुन के फल में काला नमक लगाकर खाने से रक्त में शुगर की मात्रा नियत्रित रहती है।
डायबिटीज के लिए नैचुरल सदाबहार लाभदायक (Natural evergreen beneficial for diabetes)
सदाबहार का पौधा मूल रूप से भारतीय है, जो कि टाइप-2 डायबिटीज के लिए नैचुरल ट्रीटमेंट की तरह काम करता है। आयुर्वेद में मधुमेह के इलाज में इसका जिक्र किया जाता है। इसकी पत्तियों को चबाने से ब्लड शुगर कंट्रोल होता है।
डायबिटीज के लिए विजयसार बहुत लाभ दायक है (Vijaysar is very beneficial for diabetes)
विजयसार शरीर में ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रित रखने में मदद करता है। इसमें एंटी-हायपरलिपेडिक गुण मौजूद होते हैं, जो आपके लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन, कोलेस्ट्रॉल और सीरम ट्रायग्लिसराइड के स्तर को कम करने में मदद करते हैं। इस जड़ी-बूटी की मदद से मधुमेह के आम लक्षण जैसे बार-बार पेशाब आना, पेशाब करते हुए जलन आदि से भी छुटकारा मिलता है। विजयसार का पाउडर आसानी से उपलब्ध होता है, जिसे पानी में मिलाकर सेवन किया जा सकता है।
डायबिटीज में लाभकारी दालचीनी (Cinnamon helps in treatment of Diabetes in Hindi)
रक्त में शुगर के स्तर को कम रखने के लिए एक महीने तक अपने प्रतिदिन के आहार में एक ग्राम दालचीनी का प्रयोग करें। दालचीनी का इस्तेमाल आप शुगर की घरेलू दवा के रूप में कर सकते हैं।
आंवले का रस डायबिटीज में फायदेमंद ( Amla Juice Helps to Control Blood Sugar Level in Hindi)
10 मि.ग्रा. आँवले के जूस को 2 ग्रा. हल्दी के पाउडर में मिलाकर दिन में दो बार सेवन करें। यह डायबिटीज के लक्षणों (Sugar ke lakshan) और उससे होने वाली समस्याओं को कम करता है।
अमलाकी यानी आंवला एक ऐसी आयुर्वेदक जड़ी-बूटी है, जो तीनों दोषों को बैलेंस करती है। कई बीमारियों के इलाज में इसका उपयोग किया जाता है। डायबिटीज में आंवला का उपयोग बहुत ही फायदेमंद साबित होता है। इसमें मौजूद क्रोमियम (Chromium) ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में हेल्पफुल होता है। साथ ही यह इंसुलिन फ्लो (Insulin flow) को भी बढ़ाता है। 3 – 6 ग्राम ड्रायड आंवला पाउडर को गुनगुने पानी के साथ रोजाना लिया जा सकता है। इसके अलावा आंवला जूस का उपयोग भी आप कर सकते हैं। हालांकि, गर्भवती महिलाओं को इसके उपयोग से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
डायबिटीज में लाभकारी ग्रीन टी ( Green Tea Beneficial to Control Diabetes in Hindi)
ग्रीन टी में पॉलिफिनॉल्स होते है। यह शुगर को कम करने वाले हाइपोग्लिसेमिक तत्व होते है। इससे ब्लड शुगर को मुक्त करने में सहायता मिलती है और शरीर इन्सुलिन का बेहतर ढंग से इस्तेमाल कर पाता है।
नीलबदरी डायबिटीज के इलाज फायदेमंद (Bilberry Help to Get Relieve from Diabetes in Hindi)
आयुर्वेद में नीलबदरी के पत्तों का उपयोग डायबिटीज के उपचार के लिए सदियों से होता आ रहा है। जरमोल ऑफ न्यूट्रिशन (Germoul of nutrition) के अनुसार इसकी पत्तियों में एंथोसाइनिडाइन्स काफी मात्रा में होते है जो चयापचय की प्रक्रिया और ग्लूकोज को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँचाने की प्रक्रिया को बेहतर करता है।
सहिजन का पत्ता डायबिटीज में लाभकारी (Leaves of Hoarse Radish Good for Diabetes in Hindi)
सहिजन के पत्तों का सेवन करने से डायबिटीज के रोगियों में भोजन का पाचन बेहतर होता है और रक्तचाप को कम करने में मदद मिलती है।
डायबिटीज को नियंत्रण करने में फायदेमंद नीम (Neem : Home Remedy for Diabetes in Hindi)
नीम के पत्तों में इंसुलिन रिसेप्टन सेंसिटिविटी बढ़ाने के साथ-साथ शिराओं व धमनियों में रक्त प्रवाह को सुचारु रुप से चलाता है और शुगर कम करने वाली दवाइओं पर निर्भर होने से भी बचाता है। डायबिटीज या शुगर के लक्षण (sugar ke lakshan) दिखते ही नीम के पत्तों के जूस का सेवन शुरु कर देना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार इस जूस को रोजाना सुबह खाली पेट पीना चाहिए।
गुड़मार डायबिटीज को नियंत्रण करने में फायदेमंद (Gudmar beneficial in controlling diabetes)
गुड़मार, जिसका बोटैनिकल नाम जिमनेमा सिल्वेस्ट्रे (Gymnema Sylvestre) है। इस जड़ी-बूटी की जड़ों और पत्तियों का उपयोग मधुमेह मेलिटस के आयुर्वेदिक उपचार में किया जाता है। रिसर्च से पता चलता है कि यह हर्ब मीठे की क्रेविंग को कम करती है। अगर आपको प्रीडायबिटीज या टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण दिखते हैं, तो मतलब है कि आपका शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पा रहा है। नतीजन ब्लड शुगर लेवल बढ़ता है। गुड़मार इंसुलिन उत्पादन बढ़ाने और इंसुलिन-प्रोड्यूसिंग आइलेट सेल्स (Insulin-producing islet cells) को फिर से जीवित करके इंसुलिन के स्तर में योगदान देता है।
शिलाजीत से डायबिटीज का उपचार (treatment of diabetes with shilajit)
मधुमेह रोग में शिलाजीत 3 रत्ती मात्रा में सुबह और रात को सोने से पहले शहद के साथ सेवन करें मधुमेह रोग में बहुत लाभ मिलता है।
डायबिटीज के लिए योग (Yoga for Diabetes)
आयुर्वेद में मधुमेह के रोगियों को विशिष्ट योग मुद्राएं करने की सलाह भी दी जा सकती है। माना जाता है कि कुछ योगासन अग्न्याशय को उत्तेजित करते हैं और इसके कार्य में सुधार करते हैं। डायबिटिक पेशेंट मधुमेह रोग के इलाज के लिए निम्न योगासन कर सकते हैं। हालांकि, ये योगा पुजिशन एक्सपर्ट की सलाह से ही करें। ताड़ासन, पवनमुक्तासन, गोमुखासन, वक्रासन, धनुरासन, मयूरासन, पश्चिमोत्तानासन, उष्ट्रासन आदि योगासन डायबिटीज के आयुर्वेदिक इलाज में लाभकारी साबित हो सकते हैं।
डायबिटीज के लिए प्राणायाम
प्राणायाम मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह मुख्य रूप से मोटापा और स्ट्रेस जैसे डायबिटीज के कारणों को कम कर सकता है। आयुर्वेद भस्त्रिका, भ्रामरी, सूर्यभेदन जैसे प्राणायाम करने की सलाह देता है।
आयुर्वेद के अनुसार आहार और जीवनशैली में बदलाव
क्या न करें?
- काले चने, नए चावल और अनाज को न खाएं।
- दूध, दही, छाछ, तेल, गुड़, शराब, गन्ना उत्पादों, आलू, सुपारी जैसे खाद्य पदार्थों से बचें।
- अनावश्यक रूप से स्नैक्स न लें।
- दिन में सोने से बचें।
- शराब और धूम्रपान से बचें।
- मिठाई का सेवन बंद करें।
अगर आप पूरी तरह से अपना शुगर ठीक करना चाहते हैं तो इस प्राचीन आयुर्वेदिक इलाज का इस्तेमाल करने जो हर तरह के शुगर में रामवाण की तरह काम करता है,
आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरूप सिंह द्वारा तैयार किया गया प्राचीन आयुर्वेदिक इलाज जिसे हजारों लोगों ने अपनाया और इसका फायदा उठाया.
मैथी दाना
गुलहड़ के पत्ते / फूल
करेला
शहजान के पत्ते / लड़की / फली
जामुन की गुठली
गिलोय
भुने चने
काला जीरा
दाल चीनी
अजवायन
करी पत्ता
नीम के पत्ते
चिरायता
छोटा बादाम (शुगर वाला)
अर्जुन की छाल
त्रिफला
गुड़मार
विजयसार
अलसी के बीज
शलजम
सौंफ
अमलतास
तुलसी के पत्ते / बीज
इन सबको 50 ग्राम की मात्रा में लेकर हल्का सा तबे/कढ़ाई में भून कर पीस लो और छानकर किसी बंद डब्बे में रख लो, एक चम्मच सुबह दोपहर और साम को हलके गुनगुने पानी के साथ लेना शुरू करो.
सुबह को खली पेट, दोपहर को खाना खाने के एक घंटे बात और रात को भी खाना खाने के एक घंटे बाद. इस पाउडर को लेने के बाद कम से कम एक घंटे तक कुछ नहीं खाना है.
इस पावडर के साथ साथ आपको दिनचर्या का पालन जरूर करना है, कम से कम 6-9 महीने इस पावडर को खाओ और फिर देखो आपका शुगर लेवल कितनी जल्दी कंट्रोल होता है. पहले एक महीना खाओ फिर 5 दिन का अंतर रखो और फिर दुबारा एक महीना के लिए खाओ. ऐसी तरह से आपको 6-9 महीने तक खाना है.
डायबिटीज की अन्य आयुर्वेदिक दवाएं (Ayurvedic medicine for diabetes)
निशामलकादि चूर्ण
यह आयुर्वेदिक चूर्ण हल्दी और आंवला पाउडर से मिलकर बना होता है। शुगर कंट्रोल की आयुर्वेदिक दवा के रूप में इसका इस्तेमाल काफी प्रभावी होता है। एक स्टडी में पाया गया कि इसके उपयोग से हाइपरग्लाइसेमिया (शरीर में ग्लूकोज की अधिकता) को नियंत्रित करने और लिपिड के स्तर को कम करने में मददगार साबित होता है।
त्रिफलादि चूर्ण
एनसीबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार 45 दिनों के लिए त्रिफला पाउडर की 5 ग्राम मात्रा के सेवन से ब्लड शुगर लेवल में काफी कमी देखी गई। ऐसा सोर्बिटोल (Sorbitol) जैसे सक्रिय तत्व की वजह से हो सकता है।
चंद्रप्रभा वटी
ग्लाइकोसुरिया (Glycosuria) यानी यूरिन में शुगर की मात्रा के इलाज के लिए चंद्रप्रभा वटी डायबिटीज की उत्कृष्ट आयुर्वेदिक दवा है। यह यूरिन में असामान्य ग्लूकोज की उपस्थिति को कम करती है। हल्दी, आंवला, चिरायता, नीम की भीतरी छाल जैसी कई औषधीय गुणों से भरपूर हर्ब्स से मिलकर यह दवा बनाई जाती है। इसका इस्तेमाल प्रमेह दोष को कम करने के लिए किया जाता है, जो मोटापे, मेटाबॉलिक सिंड्रोम और मधुमेह के साथ-साथ कई दूसरी बीमारियों में भी लाभदायक होती है।
निशा कटकादि कषाय
यह हर्बल काढ़ा कत्था, आंवला, आम के बीज जैसे कई जड़ी-बूटियों का मिश्रण है। इसके इस्तेमाल से मधुमेह के लक्षण (जैसे कि थकान, हाथ-पैर में जलन, अधिक प्यास लगना आदि) में राहत मिलती है। इसके सेवन से डायबिटीज मेलिटस को मैनेज करना आसान हो जाता है।
फलत्रिकादि क्वाथ (Phalatrikadi kwath)
यह आयुर्वेदिक काढ़ा खाने के पाचन में सुधार और खाने के ब्रेकडाउन के उचित अवशोषण को सही करता है। नतीजन, मधुमेह के उपचार में बेहद उपयोगी और प्रभावी साबित होता है। डायबिटीज के लिए यह आयुर्वेदिक काढ़ा शरीर से अपच भोजन को हटाने का भी काम करता है।
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