शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो इमली (Emli) के स्वाद से परिचित नहीं होगा। इसका खट्टा और मीठा स्वाद किसी भी व्यंजन को और ज्यादा जायकेदार बना देता है। इसका उपयोग लोग चटनी के रूप में, पानी-पूरी को पानी बनाने में और खाने में खटास लाने के लिए प्रयोग करते हैं और बहुत पसंद से खाते हैं. इसके अलावा इमली का इस्तेमाल कई गंभीर बीमारियों से बचाव के लये भी किया जाता रहा है. इमली के सेवन से शरीर को अनेक फायदे होते हैं. इमली के प्रयोग से कई रोगों की रोकथाम की जा सकती है यही वजह है कि इमली का इस्तेमाल पारंपरिक और प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा में सदियों से चला आ रहा है.
बचपन में आपने इमली सबने बहुत खाई होगी और हो सकता है कुछ लोग अभी भी आप खाते हों लेकिन क्या आप इससे होने वाले फायदों के बारे में जानते हैं?
आयुर्वेद की हम बात करें तो आयुर्वेद में इमली के एक-दो नहीं बल्कि हजारों फायदे बताए गए हैं, और सबसे अच्छी बात यह है कि इस लेख में आईएसकेडी मेडीफिट के आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरुप सिंह द्वारा इमली के फायदों को बहुत ही आसान और सरल भाषा (Tamarind in hindi) में समझाया गया है.
इमली क्या है? (What is Tamarind or emli in Hindi?)
इमली एक आहार है जो खाने में सामिल की जाती है , लेकिन प्राचीन काल से ही ही इसका इस्तेमाल एक औषधि के रूप में भी किया जाता रहा है। आपको बता दें कि कच्ची इमली एसिडिटी, वात-पित्त रोग और खून से संबंधित विकार में बहुत फायदेमंद होती है तो साथ ही पकी इमली पाचनतंत्र, कफवात विकार में बहुत अच्छा लाभ पहुंचाती है। आयुर्वेद की दृष्टि से इमली के फूल से भी अनेक रोगों का उपचार किया जाता है। इमली के वृक्ष (emli tree) बड़े-बड़े और छायादार होते हैं। इसके साथ ही emli ke Fayde अनेक हैं। इसका स्वाद केवल खट्टा या खट्टा-मीठा दोनों हो सकता है। बता दें, कच्ची इमली स्वाद में अत्यधिक खट्टी होती है। वहीं, पक जाने के बाद इसमें थोड़ी मिठास घुल जाती है। इमली भारत, श्रीलंका, पाकिस्तान, नाइजीरिया और अफ्रीका जैसे देशों में ज्यादा पाई जाती है।
अन्य भाषाओं में इमली के नाम (Name of Tamarind in Different Languages?)
इमली (tamarind benefits in hindi) का वानस्पतिक नाम टैमैरिन्डस इन्डिका (Tamarindus indica L, Syn-Tamarindus officinalis Hook) है, और यह सेजैलपिनिएसी (Caesalpiniaceae) कुल का है, लेकिन इमली को देश-विदेश में अनेक नामों से भी जाना जाता है, जो ये हैंः-
Emli in-
- Name of Tamarind in Hindi (chintapandu in hindi) – इमली, अमली, अम्बली
- Name of Tamarind in Urdu – इमली (Imli)
- Name of Tamarind in Sanskrit – तिन्तिडी, चिञ्चा, चिञ्चिका, अम्लिका, अम्ली, अम्ला, चुक्रा, दन्तशठा
- Name of Tamarind in English – इण्डियन डेट (Indian date), टैमैरिंड ट्री (Tamarind Tree )
- Name of Tamarind in Asamiya – तेतैली (Teteli)
- Name of Tamarind in Oriya – तेतुंली (Tentuli)
- Name of Tamarind in Kannada – हुनसे (Hunse), अम्लिके (Amlike)
- Name of Tamarind in Gujarati – आंबली (Ambali);
- Name of Tamarind in Tamil – आम्लकम (Amalkam), पुलि (Puli);
- Name of Tamarind in Telugu – चिंता (Chinta), अम्लिका (Aamlika);
- Name of Tamarind in Bengali – तेंतुल (Tentul), नुली (Nuli);
- Name of Tamarind in Punjabi – इमली (Imli);
- Name of Tamarind in Marathi – चिञ्च (Chinch), अम्बाली (Ambali);
- Name of Tamarind in Malayam – वालनपुली (Valanpuli), वालमपुल्ली (Valampulli), आम्लम (Amlam)
- Name of Tamarind in Arabic – तमारे हिन्दी (Tamare-hindi), हुमार (Humar), साबारा (Sabara)
- Name of Tamarind in Persian – तमार-ए-हिन्दी(Tamar-e-hindi)
इमली के आयुर्वेदिक फायदे और इसका उपयोग (Emli Benefits and Uses in Hindi) : इमली (Emli ke Fayde) के औषधीय प्रयोग, इस्तेमाल की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-
डायबिटीज में इमली का सेवन ( Emli Ke Fayde for Sugar Treatment in Hindi)
इमली के बीज के अर्क (Tamarind seed extract) में उच्च स्तर पर पॉलीफेनोल और फ्लेवोनोइड पाए जाते हैं। इससे जुड़े एक शोध में जिक्र मिलता है कि इमली के बीज के अर्क में एंटी-डायबिटिक गुण पाए जाते हैं, जिससे ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। इसलिए, इमली के फायदे डायबिटीज में उठाए जा सकते हैं।
इमली के फायदे से सिर दर्द का इलाज (Emli ke Fayde for Headache in Hindi)
सिर दर्द से आराम पाने के लिए इमली का इस्तेमाल इस प्रकार किया जाता है. 10 ग्राम इमली को एक गिलास पानी में भिगो दें इसके बाद इसको मसलकर किसी कपडे की सहायता से छान लें। इसमें स्वादानुसार चीनी मिलाकर पीने से पित्तज विकार के कारण होने वाला सिर दर्द बहुत जल्दी ठीक हो जाता है।
आंखों की सूजन में इमली के फायदे (Emli ke Fayde for Eye Disease in Hindi)
- आँखों की सूजन के लिए इमली के फूलों को पीसकर थोड़ा गाढ़ा घोल बना लें और इसे आंखों पर बांधे इस से आँखों की सूजन ठीक हो जाती है।
- इमली के पत्तों का रस और दूध को कांसे के बर्तन में अच्छे से मिलाकर आंखों के आस-पास लेप करें। इससे आँखों में लाल होने वाली बीमारी, आंखों से पानी बहना और आंखों की जलन ठीक हो जाती है।
- इमली के पत्तों के रस के साथ कालीमिर्च के दानों को घिस लें साथ ही इसमें थोड़ा घी मिलाकर आँखों में काजल की तरह लगाएं, इससे खुपानी, आंखों की जलन और तिमिर आदि तरह के नेत्र रोग बहुत जल्द ठीक हो जाते हैं।
तंत्रिका तंत्र के लिए इमली के लाभ (Benefits of tamarind for the nervous system)
इमली के औषधीय गुण तंत्रिका तंत्र में सुधार कर दिल की धड़कन को नियंत्रित करने का काम कर सकते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, इमली में कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। दरअसल कैल्शियम, तंत्रिका तंत्र की कार्यप्रणाली में सुधार करने में कुछ हद तक मददगार हो सकता है। इसलिए, ऐसा माना जा सकता है कि इमली का उपयोग करने से बिगड़ी तंत्रिका क्रिया (Neural activity) में कुछ हद तक सुधार करने में सहायता मिल सकती है। हालांकि, इस बारे में अभी और शोध की आवश्यकता है।
बालों के झड़ने में इमली के फायदे (Emli is Beneficial in Hair Loss in Hindi)
इमली का प्रयोग बालों के लिए फायदेमंद हो सकता है विशेषज्ञों के मुताबिक, इमली में विटामिन-सी, राइबोफ्लेविन और जिंक काफी मात्रा में पाए जाते हैं। वहीं, एक शोध के आधार पर इस बात की पुष्टि की गई है कि इन तीनों तत्वों की कमी के कारण बालों से संबंधित समस्याएं जैसे – बालों की जड़ों का कमजोर होना और बालों का झड़ना आदि का सामना करना पड़ सकता है। इस कारण ऐसा कहा जा सकता है कि इमली का उपयोग बालों से जुड़ी कई समस्याओं को हल करने में मददगार साबित हो सकता है।
हृदय को स्वस्थ रखने के लिए इमली का सेवन (Benefit of Tamarind for Healthy Heart in Hindi)
ह्रदय के लिए भी इमली खाने के फायदे उठाए जा सकते हैं। कोरोनरी हार्ट डिजीज यानी ह्रदय संबंधी बीमारियों के लिए फ्री रेडिकल्स को भी जिम्मेदार माना जाता है। वहीं, इमली में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो फ्री रेडिकल्स के हानिकारक प्रभाव से ह्रदय की सुरक्षा कर सकते हैं। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, इमली के अर्क का सेवन आर्टरी वाल्स में फैट और प्लाक जमने की क्रिया (एथेरोस्क्लेरोसिस) में बाधा डाल सकता है, जिससे एथेरोस्क्लेरोसिस से जुड़े हृदय रोग का जोखिम कम हो सकता है। वहीं, इसी शोध में सीधे तौर पर इमली के हाइपोकोलेस्टेरोलेमिक प्रभाव का जिक्र मिलता है यानी यह कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद कर सकती है। कोलेस्ट्रॉल को हृदय रोगों का एक जोखिम कारक माना जाता है। इसलिए, इमली के फायदे ह्रदय रोगों से बचाव कर सकते हैं।
प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए इमली (Boost immunity Tamarind in Hindi)
इमली में कुछ मात्रा में विटामिन-सी (एस्कार्बिक एसिड) पाया जाता है, जो प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में एक प्रभावी और उपयोगी पोषक तत्व माना जाता है (8)। इसलिए, इमली के फायदे प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में उठाए जा सकते हैं। साथ ही इमली के बीज में पॉलीसैकेराइड तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं। वैज्ञानिकों ने गहन अध्ययन के जरिए यह पता लगाया है कि पॉलीसैकेराइड में इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गतिविधियां पाई जाती हैं, जो शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता दे सकती हैं। यह अध्ययन इस ओर इशारा करता है कि प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए इमली के बीज विश्वसनीय हो सकते हैं।
खून की कमी (इमली) में इमली के औषधीय गुण से लाभ (Emli Benefits for Anemia in Hindi)
खून के कमी में इमली का सेवन फायदेमंद हो सकता है क्योंकि इसमें आयरन पाया जाता है जो कि हीमोग्लोबिन को बढ़ा कर खून की कमी को दूर करती है। इमली में कुछ मात्रा में विटामिन-सी (एस्कार्बिक एसिड) पाया जाता है, जो प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में एक प्रभावी और उपयोगी पोषक तत्व माना जाता है। इसलिए, इमली के फायदे प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में उठाए जा सकते हैं। साथ ही इमली के बीज में पॉलीसैकेराइड तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं। वैज्ञानिकों ने गहन अध्ययन के जरिए यह पता लगाया है कि पॉलीसैकेराइड में इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गतिविधियां पाई जाती हैं, जो शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता दे सकती हैं। यह अध्ययन इस ओर इशारा करता है कि प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए इमली के बीज विश्वसनीय हो सकते हैं।
वजन कम करने में इमली के फायदे (Tamarind is Beneficial in Weight Loss in Hindi)
इमली का सेवन वजन को कम करने में फायदेमंद हो सकता है, शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया है की इमली में रेचन यानि लैक्सटिव का गुण पाया और इसके बीज में ट्रिप्सिन इन्हिबिटर गुण (प्रोटीन को बढ़ाना और नियंत्रित करना) पाया जाता है शोध में यह भी पाया गया कि इमली के बीज में पाया जाने वाला यह खास गुण मेटाबॉलिक सिंड्रोम (हाई ब्लड शुगर, हाई-कोलेस्ट्रॉल, उच्च रक्तचाप, हाई ट्राइग्लिसराइड्स और मोटापा संबंधी समस्याएं) को दूर करने की क्षमता रखता है। साथ ही यह भूख को कम कर सकता है, जिससे वजन कम करने में मदद मिल सकती है। इमली के बीज के अलावा, इमली के गूदे का अर्क मोटापा कम करने में मददगार माना जाता है। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, इमली के गूदे के जलीय अर्क में एंटी-ओबेसिटी (मोटापा रोधी) गुण पाया जाता है। इन आधारों पर कहा जा सकता है कि इमली के फायदे वजन घटाने में काम आ सकते हैं।
गठिया में इमली के बीज का उपयोग (Emli Benefits for Joint Pain in Hindi)
इमली के औषधीय गुण गठिया के लक्षण कम करने में भी फायदेमंद हो सकते हैं। इससे जुड़े एक शोध में पाया गया है कि इमली में कुछ ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जिनमें एंटी-आर्थराइटिस (गठिया से बचाव की क्षमता) और एंटी इंफ्लेमेटरी (सूजन कम करने) प्रभाव पाए जाते हैं। इस कारण ऐसा कहा जा सकता है कि इमली के बीज का उपयोग गठिया रोग से छुटकारा दिलाने में कारगर साबित हो सकता है।
नर्वस सिस्टम को मजबूत करने में इमली का औषधीय गुण फायदेमंद (Benefit of Imli to Boost Nervous System in Hindi)
इमली का सेवन नर्वस सिस्टम को भी मजबूती प्रदान करने में सहायता करता है, क्योंकि इमली में पाये जाने वाले मिनरल्स जैसे कैल्शियम आदि नर्वस सिस्टम को मजबूत करते है।
टॉन्सिल के इलाज की आयुर्वेदिक दवा है इमली (Imli Benefits to Treat Tonsil in Hindi)
टॉन्सिल की समस्या में इमली के पानी से गरारे करने पर आप को आराम मिल सकता है क्योकि इसमें रोपण यानि हीलिंग का गुण पाया जाता है जो की गले की इन्फ्लेमेशन को कम करने में मदद करता है।
पीलिया में इमली के औषधीय गुण से लाभ (Tamarind Water Benefits in Fighting with Jaundice in Hindi)
इमली में हेप्टोप्रोटेक्टिव यानी लीवर को सुरक्षा देने वाला प्रभाव पाया जाता है, इसलिए इमली को लिवर के लिए एक कारगर खाद्य पदार्थ माना जा सकता है। वहीं, एक शोध में जिक्र मिलता है कि इमली की पत्तियों में हेप्टोप्रोटेक्टिव गुण मौजूद होते हैं, जो हानिकारक तत्वों से लिवर की सुरक्षा कर सकते हैं। शोध में इसकी पत्तियों से बने काढ़े को पीलिया और हेपेटाइटिस के लिए उपयोगी माना गया है। इमली के औषधीय गुण के चलते, यह एक आयुर्वेदिक नुस्खा हो सकता है, लेकिन इसका सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए।
मलेरिया और माइक्रोबियल रोगों से बचाव में इमली के फायदे (Benefits of tamarind in prevention of malaria and microbial diseases in Hindi)
मलेरिया से बचाव में भी इमली खाने के फायदे उठाए जा सकते हैं। दरअसल, इससे जुड़े एक शोध में इमली के एंटीमलेरियल प्रभाव के बारे में बताया गया है। शोध में इस प्रभाव को प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम (Plasmodium falciparum) नामक पैरासाइट के खिलाफ कारगर पाया गया है, जो मलेरिया का कारण बनता है। हालांकि, इस प्रभाव को प्राप्त करने के लिए इमली के साथ कुछ अन्य तत्वों का जिक्र भी मिलता है, जिसमें क्लोरोफॉर्म सक्सेसिव एक्सट्रैक्ट (Chloroform successive extract) ज्यादा उपयोगी पाया गया है। फिलहाल, इस विषय में अभी और शोध की आवश्यकता है।
कान के रोग में इमली से लाभ (Benefits of Imli for Ear Disease in Hindi)
इमली के फल के रस अथवा जम्बीरी नीबू के रस से पकाए हुए तेल को 1-2 बूँद कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
कंठ के रोग (गले की सूजन) में इमली का औषधीय गुण लाभदायक (Tamarind Benefits for Throat Disease in Hindi)
10 ग्राम इमली (imly) को 1 लीटर पानी में उबाल लें। जब यह आधा रह जाए तो उसमें 10 मिली गुलाब पानी मिलाकर छान लें। इससे कुल्ला करने से गले की सूजन ठीक होती है। पुरानी सूजन कई रोगों का कारण बन सकती है, जिससे बचने के लिए इमली का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा के रूप में किया जा सकता है।
इमली के गूदे, पत्तियों, बीजों, तने की छाल और जड़ों के अर्क में सूजन कम करने वाले और दर्द निवारक गुण पाए जाते हैं। वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, इमली में मौजूद अल्कालोइड्स, फ्लेवोनोइड्स, टैनिन, फिनोल, सैपोनिन और स्टेरॉयड जैसे यौगिक एंटी इन्फ्लामेट्री प्रभाव का कारण हो सकते हैं। इन्हीं गुणों के चलते इमली का प्रयोग गठिया के लक्षण और शरीर में होने वाले दर्द को कम करने में मदद कर सकता है।
साइनस में इमली से लाभ (Benefits of Tamarind for Sinus Treatment in Hindi)
इमली के पत्ते के जूस का सेवन करने से साइनस की शुरुआती अवस्था में लाभ होता है।
मुंह के छाले में इमली से लाभ (Tamarind Health Benefits for Mouth Ulcers Treatment in Hindi)
इमली को पानी में डालकर, अच्छी तरह मसल कर छान लें। इससे कुल्ला करने से मुंह के रोग जैसे छालों की समस्या में लाभ होता है।
छाती की जलन में इमली के सेवन से लाभ (Tamarind Health Benefits for Chest Burn in Hindi)
सीने की जलन होने पर मिश्री के साथ इमली का शर्बत बनाकर पीने से लाभ होता है। इमली की छाल को सेंधा नमक के साथ एक मिट्टी के बरतन में रखे। इसमें पानी मिलाकर भस्म बना लें। 125 मिग्रा भस्म में शहद मिलाकर सेवन करने से पाचनतंत्र की बीमारी और पेट दर्द ठीक होते हैं।
इमली का सेवन लैक्सेटिव प्रभाव दिखा सकता है, जिससे कब्ज से राहत मिल सकती है। साथ ही यह पेट दर्द से राहत देने में भी कारगर हो सकती है। विशेष तौर पर थाई इमली के गूदे का अर्क कब्ज की समस्या से राहत दे सकता है। इमली की यह प्रजाति दुनिया भर में अपने लैक्सेटिव गुणों के लिए मशहूर है। इसका सेवन करने से मल त्याग में आसानी हो सकती है। इस गुण के चलते इमली खाने के फायदे कब्ज और पेट दर्द में राहत दिला सकते हैं।
खांसी में इमली के सेवन से लाभ (Benefits of Tamarind in Fighting with Cough in Hindi)
इमली (tamarid) के फल की त्वचा 1 भाग, हल्दी 2 भाग, सर्जरस 3 भाग एवं पुनर्नवा 1 भाग तथा नौ भाग जाति के पत्ते को पीसकर बत्ती बना लें। इसका धूमपान करने से खांसी में लाभ होता है।
इमली के औषधीय गुण से खूनी बवासीर का इलाज (Benefits of Emli for Piles Treatment in Hindi)
- बवासीर में 5-10 मिली इमली के फूल के रस को दिन में तीन बार पिएं।
- 125-500 मिग्रा इमली (tamarid) के बीज के भस्म को दही के साथ चटाने से खूनी बवासीर में लाभ होता है।
पेचिश में इमली के फायदे (Imli Uses to Stop Dysentery in Hindi)
इमली की पत्तियों के रस में, लाल किए हुए लोहे को बुझा लें। इसे छानकर 5-10 मिली की मात्रा में दिन में 3-4 बार लें। इसे कुछ दिनों तक सेवन करने से पेचिश में लाभ होता है।
मोच आने पर इमली के फायदे (Benefits of Emli for Sprain in Hindi)
मोच होने पर इमली की पत्तियों को पीसकर गुनगुना कर लेप के रूप में लगाएं। इससे मोच में लाभ होता है।
वात दोष में इमली से लाभ (Benefits of Tamarind Fruit for Vata Disorder in Hindi)
25 ग्राम इमली (emly) को 500 मिली पानी में मसलकर छान लें। इसमें 50 ग्राम मिश्री, 4 ग्राम दालचीनी, 4 ग्राम लौंग और 4 ग्राम इलायची मिलाकर 4 मिली की मात्रा में पिलाएं। इसके प्रयोग से वात विकारों का शमन होता है।
कफज विकार में इमली का सेवन फायदेमंद (Benefits of Tamarind for Kafaj Disorder in Hindi)
पुरानी इमली (emli) के एक किग्रा गूदे को दो-गुने पानी में भिगो लें। दूसरे दिन सुबह आग पर दो तीन बार उबालने के बाद मसलकर छान लें। इसमें दो किलो खांड मिलाकर चाशनी बना लें। इस गर्म चाशनी को छानकर ठंडा होने दें। इसे बोतल में भर लें। इसे तीन-तीन घण्टे के अंतर से 10 से 20 मिली तक की मात्रा में सेवन करें। इससे उल्टी, अधिक प्यास लगने की परेशानी, हैजा, खाना न पचना, शराब का नशा का न उतरना (हैंगओवर) दूर होता है। इसके साथ ही यह कफज विकारों में भी लाभदायक होता है।
इमली के औषधीय गुण से दस्त पर रोक (Tamarind Fruit Benefits to Stop Diarrhea in Hindi)
- इमली के बीज के फायदे से दस्त पर रोक भी लगती है। इमली के 10-15 ग्राम पत्तों को 400 मिली पानी में पकाएं। जब काढ़ा एक चौथाई रह जाए तो इसे पिएं। इससे दस्त में लाभ होता है। इमली (emly) के पत्तों के 5-10 मिली रस को थोड़ा गर्म करके पिलाने से भी दस्त पर रोक लगती है।
- इमली के 15 ग्राम बीज के छिल्के, 6 ग्राम जीरा और मीठा हो जाने लायक ताड़ की चीनी लें। इन तीनों को महीन पीसकर तीन-तीन, चार-चार घण्टे के अंतर पर सेवन करें। इससे दस्त की गंभीर समस्या भी ठीक हो जाती है।
- इसी तरह 3-6 ग्राम इमली बीज मज्जा चूर्ण को पानी के साथ सुबह और शाम सेवन करें। इससे दस्त में लाभ होता है।
इमली के पुराने वृक्ष (imli tree) के जड़ की छाल और काली मिर्च को आधी मात्रा में लें। इसे छाछ के साथ पीसकर, मटर के आकार की गोलियां बना लें। एक से दो गोली को दिन में तीन बार देने से दस्त पर रोक लगती है।
मूत्र रोग में इमली का सेवन फायदेमंद (Tamarind Fruit Benefits in Urinary Disease in Hindi)
10 ग्राम इमली के बीजों को सुबह पानी में भिगो दें। रात में छिलका उतारकर भीतरी सफेद मींगी को पीसकर गाय के दूध के साथ पिएं। इससे बार-बार पेशाब आने की परेशानी में फायदा होगा।
वीर्य रोग में इमली का सेवन फायदेमंद (Benefits of Tamarind for Semen Related Disease in Hindi)
शीघ्रपतन के रोग को दूर करने के लिए इमली के बीजों का प्रयोग करना बहुत ही उपयोगी होता हैं. शिघ्रपतन की बीमारी को ठीक करने के लिए 700 ग्राम बीजों को तोड़कर पानी में भिगो दें. 2 दिनों तक बीजों को पानी में ही रहने दें तथा जब तक ये बीज अच्छी तरह से फूल न जाये तब तक इन बीजों का पानी रोजाना बदलें. जब बीजों के छिलके हटने लग जाये तो बीजों के छिलकों को हटा कर पानी को छाया में सुखा दें. बीजों को सुखाने के बाद बीजों को अच्छी तरह से पीस लें. अब बीजों के चुर्ण में चुर्ण की बराबर मात्रा में मिश्री को डालकर मिला लें. अब रोजाना एक चम्मच चुर्ण का सेवन एक गिलास गरम दूध के साथ करें. शीघ्रपतन की समस्या से राहत मिलेगी.
- इमली की बीजों को पानी में कुछ दिन भिगोकर छिलका उतार दें। छिलके निकले सफेद बीजों को सुखाकर बारीक चूर्ण बनाकर रख लें। इसे एक चम्मच की मात्रा में दिन में तीन बार दूध के साथ सेवन करने से वीर्य का पतलापन दूर होता है।
- इमली (emli) के बीजों को भूनकर, छिलका उतार लें। इनका चूर्ण बना लें। बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर लगातार 15 दिन तक सुबह-शाम सेवन करने से वीर्य का पतलापन, मूत्र रोग जैसे- पेशाब में जलन होना, पेशाब का रुक-रुक कर होने जैसी परेशानी में लाभ होता है।
- 10 ग्राम इमली के बीजों को पानी में चार दिन तक भिगोकर छील लें। इसमें दो भाग गुड़ मिलाकर चने के समान गोलियां बनाकर रख लें। रात में सोते समय एक-दो गोली सेवन करने से वीर्य रोग ठीक होता है।
इमली के फायदे से सफेद दाग का इलाज (Emli Benefits for Leucoderma in Hindi)
सफेद दाग जैसी बीमारी में भी इमली के बीज के फायदे मिलते हैैं। इमली के बीजों की मींगी और बावची को बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें। इसे लगाने से सफेद दाग में लाभ होता है।
दाद में इमली के इस्तेमाल से लाभ (Benefits of Emli for Ringworm in Hindi)
- इमली के बीज को नींबू के रस में पीसकर लगाने से फोड़ा ठीक होता है।
- इमली के पत्तों को पीसकर गर्मकर थोड़ा गाढ़ा काढ़ा बना लें। इसे फोड़ा पर बांधने से फोड़ा पककर शीघ्र फूट जाता है।
सनबर्न से बचाव में मददगार (Helpful in preventing sunburn in Hindi)
इमली के गुण सूरज के प्रभाव से बचा सकते हैं। इमली में जाइलोग्लुकन (एक प्रकार का पॉलीसैकराइड) पाया जाता है, जिसका इस्तेमाल सनस्क्रीन लोशन बनाने में किया जा सकता है। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार इमली में मौजूद जाइलोग्लुकन, त्वचा की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में कारगर हो सकता है। इसके इस्तेमाल से त्वचा यूवीबी/यूवीए किरणों के हानिकारक प्रभाव से मुक्त रह सकती है और किसी प्रकार के संक्रमण का खतरा भी कम हो सकता है।
घाव होने पर इमली के फायदे (Benefits of Imli for Wound Healing in Hindi)
इमली के पत्ते का काढ़ा बनाकर घावों को धोने से घाव ठीक होता है। बेहतर उपाय के लिए किसी आयुर्वेद चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
सूजन की समस्या में इमली से लाभ (Imli Benefits to Reduce Inflammation in Hindi)
इमली के पत्तों का थोड़ा गाढ़ा काढ़ा बनाकर सूजन पर बांधें। इससे सूजन और दर्द ठीक होते हैं।
नेचुरल एंटी-एजिंग गुण ( Natural anti-aging properties in Hindi)
तेज धूप न केवल त्वचा को झुलसा सकती है बल्कि सूरज से निकलने वाली अल्ट्रा वायलेट किरणें त्वचा को समय से पहले बूढ़ा भी बना सकती हैं, जिसे फोटोएजिंग कहा जाता है। यह अल्ट्रा वायलेट रेडियेशन उन फ्री रेडिकल्स को बढ़ावा देता है, जो डीएनए, प्रोटीन, और फैटी एसिड को नुकसान पहुंचाकर त्वचा का स्वास्थ्य बिगाड़ सकते हैं। वैज्ञानिक अध्ययनों में इस बात के संकेत मिलते हैं कि इमली के बीज के छिलके के अर्क (TSCA) में कई ऐसे प्राकृतिक पोषक तत्व (फाइटोन्यूट्रिएंट्स) होते हैं, जो फ्री रेडिकल्स से लड़ने और त्वचा कोशिकाओं को ऑक्सीडेटिव तनाव से बचा सकते हैं।
इमली के बीज के छिलके के अर्क में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटी एजिंग गुण सूरज से निकलने वाली अल्ट्रावायलेट किरणों के प्रभाव को रोकने में भी मददगार साबित हो सकते है। इस तरह इमली के औषधीय गुण एजिंग की समस्या से निजात दिला सकते हैं। एक अन्य स्टडी की मानें, तो निखरी त्वचा के लिए लिए भी इमली फायदेमंद है और इसलिए इसके गूदे का इस्तेमाल स्किन क्लींजिंग लोशन में भी किया जाता है। यह त्वचा पर निखार ला सकता है। हालांकि, इस बारे में अभी और शोध की आवश्यकता है।
बुखार में इमली के सेवन से फायदे (Tamarind Benefits in Fighting with Fever in Hindi)
- 25 ग्राम इमली को रात भर एक गिलास पानी में भिगोकर सुबह छान लें। पानी में बूरा मिलाकर ईसबगोल के साथ पिलाने से पित्तज्वर ठीक होता है।
- इमली (imlee) के कोमल पत्तों और फूलों की सब्जी बनाकर सेवन करें। इससे जलन और पित्तज विकारों का शमन होता है।
10 ग्राम इमली और 25 ग्राम छुहारों को 1 लीटर दूध में उबाल लें। इसे छानकर पिलाने से बुखार में होने वाली जलन और घबराहट ठीक होती है। - इमली का शर्बत बनाकर पिलाने से पित्तज उल्टी और बुखार ठीक होते हैं।
एक्ने और पिगमेंटेशन से बचाव (Protection against acne and pigmentation in Hindi)
एक्ने (मुंहासे) और पिगमेंटेशन (दाग-धब्बे) को हटाने के लिए इमली के बीज का इस्तेमाल काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। दरअसल, एक शोध में पाया गया कि इमली के बीज में एंटी-माइक्रोबियल (बैक्टीरियल इफेक्ट को कम करना) और एंटी-थाइरोसिनेज (Antityrosinase – यानी पिगमेंटेशन को नियंत्रित करने वाला) प्रभाव पाए जाते हैं। साथ ही त्वचा पर मुंहासे बैक्टीरियल प्रभाव के कारण हो सकते हैं और इमली के एंटीबैक्टीरियल गुण मुहांसों से निजात दिलाने में कारगर हो सकते हैं। इस कारण ऐसा कहा जा सकता है कि इमली के बीज का उपयोग मुंहासे और पिगमेंटेशन की समस्या से छुटकारा पाने का एक बेहतर उपाय साबित हो सकता है।
इमली के पौष्टिक तत्व – Tamarind Nutritional Value in Hindi
इमली के औषधीय गुण जानने के बाद आइए इसमें मौजूद पोषक तत्वों के बारे में जान लेते हैं।
पोषक तत्व | मात्रा प्रति 100 ग्राम |
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पानी | 31.40 ग्राम |
एनर्जी | 239 कैलोरी |
प्रोटीन | 2.8 ग्राम |
लिपिड (फैट) | 0.6 ग्राम |
कार्बोहाइड्रेट | 62.5 ग्राम |
फाइबर (टोटल डायटरी) | 5.1 ग्राम |
शुगर | 38.8 ग्राम |
आयरन | 2.8 मिलीग्राम |
कैल्शियम | 74 मिलीग्राम |
मैग्नीशियम | 92 मिलीग्राम |
फास्फोरस | 113 मिलीग्राम |
पोटेशियम | 628 मिलीग्राम |
सोडियम | 28 मिलीग्राम |
जिंक | 0.1 मिलीग्राम |
विटामिन-सी | 3.5 मिलीग्राम |
थियामिन | 0.428 मिलीग्राम |
राइबोफ्लेविन | 0.152 मिलीग्राम |
नियासिन | 1.938 मिलीग्राम |
विटामिन बी-6 | 0.066 मिलीग्राम |
फोलेट | 14 माइक्रो ग्राम |
इमली के उपयोगी भाग (Useful Parts of Emli in Hindi)
इमली का सेवन इस तरह से किया जा सकता हैः-
- छाल
- पत्ते
- फूल
- फल
- बीज
इमली का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Emli in Hindi?)
इमली (tamarid) से सेवन की मात्रा ये होनी चाहिएः-
- फल- 4-30 ग्राम
- बीज का चूर्ण- 1-3
इमली की चटनी
सामग्री :
- 2 से 3 भीगी हुई इमलियों का गूदा
- 1-2 हरी मिर्च
- एक चौथाई कप से भी कम पानी (जरूरत के हिसाब से)
- नमक स्वादानुसार
बनाने की विधि :
- भीगी हुई इमलियों का गूदा और हरी मिर्च को ग्राइंडर में डालें।
- इसमें थोड़ा पानी डालें और स्वादानुसार नमक मिलाएं।
- अब इसे अच्छे से पीस लें।
- इस प्रकार आप इमली की चटनी बना सकते हैं।
इमली का अचार
सामग्री :
- 100 ग्राम बीज निकली हुई इमली
- 100 ग्राम हरी कटी हुई मिर्च
- 100 ग्राम अदरक
- 100 ग्राम लहसुन
- आधा कप चीनी
- 15 ग्राम भुना जीरा
- 1 चम्मच पिसी हल्दी
- 2 छोटे चम्मच नमक
- 1 कप सिरका
- 75 मिली सरसों का तेल
बनाने की विधि :
- इमली का अचार बनाने के लिए सबसे पहले इमली को धोकर भिगो दें।
- इसे करीब दो से तीन घंटे ऐसे ही रहने दें।
- समय पूरा होने पर जब इमली का गूदा मुलायम पड़ जाए, तो उससे बीज को अलग कर लें।
- निकले हुए गूदे में ऊपर दी हुई सभी सामग्री डालकर अच्छे से मिक्स करें।
- ध्यान रहे कि मिक्सचर या पेस्ट जितना ज्यादा चिकना होगा उतना बेहतर है।
- इसे एयर टाइट डिब्बे में स्टोर करें और भोजन के साथ इस अचार का आनंद उठाएं।
इमली की मात्रा :
सामान्य जानकारी के अनुसार, दो से तीन इमली और एक से दो चम्मच इमली की चटनी दिन भर में खाई जा सकती है। फिलहाल, इमली के बारे में जानकारी के वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है कि इसका कितना सेवन सुरक्षित है। इस विषय में डाइटीशियन से सलाह ली जा सकती है।
इमली का चयन कैसे करें और लंबे समय तक सुरक्षित कैसे रखें?
इमली का उपयोग जानने के बाद अब हम कुछ बिंदुओं की सहायता से इमली का चयन और इसे सुरक्षित रखने के तरीकों के बारे में जानेंगे।
- सामान्य तापमान पर इमली को सुरक्षित रखने के लिए इसे किसी अंधेरी जगह पर रखें, जहां वह सीधे धूप के संपर्क में न आ सके।
- इमली के उपयोग के लिए इसके गूदे को अलग कर, एक एयरटाइट डिब्बे में बंद करें और उसे फ्रिज में रख दें। इस तरह इसे लंबे समय के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है।
- इमली के गूदे को अलग कर धूप में सुखा लें। इसके बाद इसे किसी एयरटाइट डिब्बे में बंद करके रख दें। इस तरह इसका लंबे समय तक उपयोग किया जा सकता है।
- वहीं, इसके चयन की बात करें, तो यह ध्यान रखना होगा कि इमली पर किसी प्रकार का कोई दाग या धब्बा न लगा हो।
- अगर आप इमली का गूदा खरीद रहे हैं यानी पल्प, तो वो साफ-सुथरा और अच्छी तरह पैक होना चाहिए। इमली के गूदे पर गंदगी, रेत और कीड़े आसानी से चिपक जाते हैं।
इमली के नुकसान – Side Effects of Tamarind in Hindi
वैसे तो इमली खाने के नुकसान के बारे में कोई अधिक जानकारी नहीं है, फिर भी कहा जाता है कि किसी भी चीज की अधिकता कुछ न कुछ दुष्परिणाम छोड़ ही जाती है। ऐसा ही कुछ इमली के साथ भी है। आइए, जानते हैं कि इमली के दुष्प्रभाव क्या हैं (25) –
- इमली का उपयोग करते समय एक बात का ध्यान रखें कि इसमें टैनिन और अन्य यौगिक होते हैं, जो पाचन को मुश्किल बना सकते हैं। इसलिए, यह सुझाव दिया जाता है कि पानी में उबालने या भिगोकर रखने के बाद इसका सेवन करें।
- नियमित रूप से इमली का उपयोग करने पर दांतों को नुकसान पहुंच सकता है, क्योंकि इमली में एसिडिक तत्व होते हैं। ये तत्व दन्त क्षरण का कारण बन सकते हैं यानी दांतों की सतह को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
- एस्पिरिन (दर्द निवारक दवा) आइबूप्रोफेन (नॉन स्टेरॉयडल एंटी इंफ्लेमेटरी ड्रग) का सेवन कर रहे हैं, तो इमली का उपयोग बिल्कुल न करें। इमली इन दवाओं के असर को प्रभावित कर सकती है।
- गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इमली के अधिक सेवन से बचना चाहिए, नहीं तो इसके दुष्परिणाम देखने को मिल सकते हैं। विशेष रूप से कच्ची इमली का सेवन शरीर में गर्मी पैदा कर सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल:
- क्या इमली का सेवन रोजाना किया जा सकता है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) इमली के फल को सुरक्षित और गैर विषैला मानता है, इसलिए इसका सेवन संतुलित मात्रा में रोजाना किया जा सकता है और इमली के लाभ उठाए जा सकते हैं (27)। हालांकि, यह व्यक्ति के स्वास्थ्य पर भी निर्भर करता है। वहीं, असंतुलित मात्रा में इमली खाने के नुकसान उठाने पड़ सकते हैं, जिन्हें लेख में बताया गया है।
- क्या इमली नींद में सुधार कर सकती है?
कुछ लोगों का मानना है कि इमली में पाया जाने वाला मैग्नीशियम नींद को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है। हालांकि, इमली के लाभ में नींद में सुधार शामिल है, इससे जुड़े वैज्ञानिक प्रमाणों का अभाव है।
- क्या इमली के सेवन से गुर्दे की पथरी का उपचार संभव है?
इमली का सेवन कुछ हद तक किडनी स्टोन के जोखिम को कम करने में मदद सकता है (28)।
- क्या इमली माइग्रेन के लिए अच्छी होती है?
यह साबित करने के लिए वैज्ञानिक प्रमाण की कमी है कि इमली माइग्रेन की मदद कर सकती है। अच्छा होगा इस विषय में डॉक्टरी परामर्श लिया जाए।
- इमली के पानी के फायदे क्या हैं?
लेख में बताया गया है कि इमली के गूदे के जलीय अर्क में एंटी-ओबेसिटी (मोटापा रोधी) गुण पाया जाता है (3)। इमली का पानी पीने के फायदे जानने के लिए लेख को ध्यान से पढ़ें।
- इमली के बीज के फायदे क्या हैं?
इमली के बीज के फायदे विस्तार से लेख में बताए गए हैं। इनका इस्तेमाल डायबिटीज और गठिया में लाभकारी हो सकता है।
- क्या इमली की चाय ज्यादा फायदेमंद है?
इमली की चाय भी इमली खाने के तरीके में से एक है। इमली की चाय के फायदे उठाए जा सकते हैं। माना जाता है कि इसको पानी में पकाकर पीने से इसके अर्क से मिलने वाले फायदे मिल सकते हैं। फिलहाल, इस विषय में सटीक वैज्ञानिक शोध की आवश्यकता है।
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