Apamarg Ke Fayde Aur Nuksan अपामार्ग एक बहुत ही आम खरपरवार है। अपामार्ग (apamarga plant) को चिरचिटा, लटजीरा, चिरचिरा, चिचड़ा भी बोलते हैं। यह एक बहुत ही साधारण पौधा है। आपने अपने घर के आस-पास, जंगल-झाड़ या अन्य स्थानों पर अपामार्ग का पौधा जरूर देखा होगा, लेकिन शायद इसे नाम से नहीं जानते होंगे। अपामार्ग की पहचान नहीं होने के कारण प्रायः लोग इसे बेकार ही समझते हैं, लेकिन आपका सोचना सही नहीं है। अपामार्ग (लटजीरा) एक जड़ी-बूटी है, और इसके कई औषधीय गुण हैं। कई रोगों के इलाज में अपामार्ग (चिरचिटा) के इस्तेमाल से फायदे (chirchita plant benefits) मिलते हैं। दांतों के रोग, घाव, पाचनतंत्र विकार सहित अनेक बीमारियों में अपामार्ग के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।
आयुर्वेद के अनुसार अपामार्ग को सबसे ज्यादा पेट साफ करने वाली औषधि के रूप में जाना जाता है जो आंत में किसी तरह के इंफेक्शन और कीड़ों को दूर करने में मदद करता है। ऐसे में लंबे समय तक उल्टी आने और जी मिचलाने की समस्या को भी दूर कर सकता है अपामार्ग। अपामार्ग की पत्तियों का जूस पेट में दर्द की समस्या को दूर कर सकता है
अपामार्ग के पौधे के फायदे विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने के लिए भी जाने जाते हैं। यह सामान्य रूप से हमारे किसी काम का नहीं होता है। लेकिन यदि इसका आयुर्वेदिक उपयोग देखा जाए तो कई प्रकार की सामान्य और गंभीर बीमारियों को ठीक करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। अपामार्ग का उपयोग कुष्ठ रोग, अस्थमा, फिस्टुला, बवासीर, गठिया, हृदय रोग, पथरी आदि के उपचार के लिए किया जाता है। अपामार्ग के स्वास्थ्य लाभों में त्वचा विकार, स्त्री रोग संबंधी विकार गोनोरिया, मलेरिया, निमोनिया आदि भी शामिल हैं। आइए जाने अपामार्ग के पौधे के बारे में। आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरूप सिंह
अपामार्ग क्या है – Apamarga kya hai in hindi
यह एक औषधीय जड़ी बूटी है जिसका वानस्पितिक नाम अचिरांथिस अस्पेरा (Achyranthes aspera) है। यह एक वार्षिक बारहमासी जड़ी बूटी है। आयुर्वेदिक ग्रंथो ने इस जड़ी बूटी पौधे को बहुत महत्व दिया है। अपामार्ग एक कुख्यात पौधा है क्योंकि इसके बीज कपड़ों को पकड़ लेते हैं और इन्हें कपड़ों से निकालना मुश्किल होता है। ये बीज वास्तव में पौधे का ही हिस्सा होते हैं। जो पौधे की सुरक्षा के लिए ढ़ाल का काम करते हैं। इस पौधे का उपयोग आंतरिक और आहरी रूप से शरीर को डिटॉक्सीफाइ करने के लिए उपयोग किया जाता है।
अपामार्ग की मुख्यतः दो प्रजातियां होती हैं, जिनका प्रयोग चिकित्सा में किया जाता है।
- सफेद अपामार्ग
- लाल अपामार्ग
सफेद और लाल दोनों प्रकार के अपामार्ग की मंजरियां पत्तों के डण्ठलों के बीच से निकलती हैं। ये लंबे, कर्कश, कंटीली-सी होती है। इनमें ही सूक्ष्म और कांटे-युक्त बीज होते हैं। ये बीज हल्के काले रंग के छोटे चावल के दाने जैसे होते हैं। ये स्वाद में कुछ तीखे होते हैं। इसके फूल छोटे, कुछ लाल हरे या बैंगनी रंग के होते हैं। लाल अपामार्ग की डण्डियां और मञ्जरियां कुछ लाल रंग की होती हैं। इसके पत्तों पर लाल-लाल सूक्ष्म दाग होते हैं।
अपामार्ग का पौधा कैसा होता है – Apamarga Plant in Hindi
अपामार्ग का पौधा समशीतोष्ण और अष्णकटिबंधीय दलदल क्षेत्रों में पाया जाता है। यह एक खरपतवार है जो अक्सर आपको खेतों या खाली पड़े भूभाग में देखने को मिल सकते हैं। आइए जाने इस पौधे के विभिन्न हिस्सों के बारे में।
अपामार्ग के पौधे की जड़: इस पौधे की जड़ बेलनाकार होती है जिसकी मोटाई 0.1-1.0 सेमी तक हो सकती है। कुछ पौधों में द्वतियक और तृतियक जड़ें मौजूद होती हैं जिनका रंग भूरा होता है।
अपामार्ग के पौधे का तना: इस पौधे का तना 0.3-0.5 सेमी मोटा होता है। इस पौधे में कट के निशान होते हैं, इसके तने का रंग हल्का पीला होता है। इसका तना भी बेलनाकार होता है जो कि ठोस होता है। लेकिन जब यह पौधा सूख जाता है तो इसका तना खोखला होता है।
अपामार्ग के पौधे के पत्ते: इसके पत्ते लंबे होते हैं जिन पर रूओं की मोटी कोट होती है। इसके पत्ते लहरदार होते हैं। अपामार्ग प्लांट एक वार्षिक और बारहमासी जड़ी-बूटी है जिसकी ऊंचाई लगभग 2 मीटर तक होती है।
अपामार्ग के पोषक तत्व – Apamarga Nutrients Value in Hindi
जैसा की हम जानते हैं कि यह पौधा खरपतवार होने के साथ ही एक विशेष जड़ी बूटी माना जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसमें बहुत से औषधीय गुण होते हैं जो हमारी विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं। अपामार्ग में पाए जाने वाले पोषक तत्वों में ट्राइटरपेनोइड सैपोनिन (triterpenoid saponins) होते हैं जिनमें ऑलिओलिक एसिड एग्लीकोन के रूप में होता है। इसके अन्य घटकों में एंचेंटाइन, बीटाइन, पेंटेट्रियाकॉन्टेन, 6-पेंटेट्रियाकोंटोनोन, हेक्साट्रियाकॉन्टेन और ट्रिट्रीकॉन्टेन (hexatriacontane, and tritriacontane) भी मौजूद हैं।
अन्य भाषाओं में अपामार्ग (चिरचिरा) के नाम (Name of Apamarg in Different Languages)
अपामार्ग (apamarga plan) का वानस्पतिक नाम एकायरेन्थिस् एस्पेरा (Achyranthes aspera L., Syn-Achyranthes australis R. Br.), है, और यह एमारेन्थेसी (Amaranthaceae) कुल का है। अपमार्ग के अन्य ये भी नाम हैंः-
सफेद अपामार्ग के नाम (Names of White Apamarg)
White Apamarg in-
- Hindi – चिरचिटा, लटजीरा, चिरचिरा, चिचड़ा
- Urdu – चिरचिटा (Chirchita)
- English – वाशरमैन्स प्लान्ट (Washerman’s plant), रफ चाफ फ्लॉवर (Rough chaff flower); दी प्रिक्ली-चाफ फ्लॉवर (The prickly-chaff flower)
- Sanskrit – अपामार्ग, शिखरी, अधशल्य, मयूरक, मर्कटी, दुर्ग्रहा, किणिही, खरमंजरी, प्रत्यक्फूली
- Assamese – अपंग (Apang)
- Kannada – उत्तरणी (Uttarani)
- Konkani – कान्टमोग्रो (Kantmogro)
- Gujarati – अघेड़ो (Aghedo)
- Tamil – नायु रुवि (Nayu ruvi)
- Telugu – अपामार्गमु (Apamargamu)
- Bengali – अपांग (Apang), चिरचिटी (Chirchiti)
- Nepali – दतिवन (Dativan)
- Punjabi – कुत्री (Kutri), पुठखण्डा (Puthkhanda)
- Marathi – अघाड़ा (Aghada);
- Malayalam – वनकटलटी (Vankatlati), कटलटी (Katalati)
- Arabic – अत्कुमह (Atkumah)
- Persian – खरेवाजहुम (Kharevazhum)
लाल अपामार्ग (Cyathula prostrata (Linn.) Blume) के नाम (Names of of Red Apamarg)
Red Apamarg in –
- Hindi – लाल चिरचिटा, लाल-चिचींडा
- Sanskrit – रक्तापामार्ग, वृन्तफल, वशिर, मरकटपिप्पली, कपिपिप्पली
- English – परपल प्रिंसेस (Purple princess), पाश्चुरवीड (Pastureweed), प्रोस्ट्रेट पाश्चुर वीड (Prostrate pasture weed)
- Kannada – उत्तरनी (Uttarani), किरीमुलोइकाडन्तु (Kirrimulloi kaadantu)
- Tamil – चिरुकटालाती (Cirukatalati)
- Telugu – उत्तरनी (Uttarani)
- Malayalam – चेरुकाटालाटी (Cherukatalati)
- Marathi – भुइ घड्डा (Bhuighaada)
अपामार्ग के फायदे – Apamarga Ke Fayde in Hindi
विभिन्न प्रकार की औषधीयों के निर्माण में अपामार्ग पौधे का उपयोग किया जाता है। इस पौधे की पत्तियों और तने का विशेष उपयोग किया जाता है। आइए जाने आप अपामार्ग का उपयोग किन स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने के लिए कर सकते हैं। आइए विस्तार से जाने अपामार्ग का पौधा के फायदे।
सफेद अपामार्ग (चिरचिरा) के फायदे और उपयोग (White Apamarg Benefits and Uses in Hindi)
अपामार्ग (लटजीरा) का औषधीय प्रयोग, प्रयोग की मात्रा और विधियां ये हैंः-
अपामार्ग के फायदे वजन कम करने में – Apamarg Ke Fayde Vajan Kam Karne Me in हिंदी
क्या आप अपना वजन कम करना चाहते हैं, यदि ऐसा है तो अपामार्ग के लाभ प्राप्त किये जा सकते हैं। नियमित रूप से सुबह और शाम इस जड़ी बूटी से बने काढ़े का सेवन करने पर यह आपके वजन को नियंत्रित कर सकता है। यह कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक होता है। शरीर पर अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल के कारण ही वजन बढ़ता है। इसके अलावा अपामार्ग का पौधा शरीर में वसा की जमावट को भी कम करता है। जिससे आपके शरीर का वजन धीरे-धीरे कम होने लगता है। आप वजन कम करने वाले अन्य उपायों के साथ ही अपामार्ग के औषधीय गुणों का उपयोग कर सकते हैं।
दांत के दर्द में अपामार्ग (चिरचिरा) के फायदे (Chirchita Plant Benefits to Treat Dental Pain in Hindi)
अपामार्ग के 2-3 पत्तों के रस में रूई को डुबाकर फोया बना लें। इसे दांतों में लगाने से दांत का दर्द ठीक (apamarg ke fayde) होता है।
अपामार्ग की ताजी जड़ से रोजाना दातून करने से दांत के दर्द तो ठीक होते ही हैं, साथ ही दाँतों का हिलना, मसूड़ों की कमजोरी, और मुंह से बदबू आने की परेशानी भी ठीक होती है। इससे दांत अच्छी तरह साफ हो जाते हैं।
गंगोत्री के प्रसिद्ध स्वामी अपरोक्षानन्द की माता जी ने इस प्रयोग को किया है।
जिला बिलासपुर (छत्तीसगढ़) के रहने वाले प्रसिद्ध स्वामी अपरोक्षानन्द की 85 वर्ष माता जी हमेशा अपामार्ग के तने से दातुन करती थीं। इससे उनको बहुत लाभ हुआ। बहुत से लोगों के दांत वृद्धावस्था में कमजोर हो जाते हैं। इस दातुन से दांत की मजबूती बनी रहती है। अगर ताजा अपामार्ग (apamarg) नहीं मिलता है तो अपामार्ग के सूखे तने को पानी में भिगोकर दातुन कर सकते हैं।
चिरचिरा के फायदे कान दर्द में – Chirchita ka upyog For Ear Pain in हिंदी
क्या आप कान के संक्रमण या कान में दर्द की समस्या से ग्रसित हैं। इस प्रकार की समस्याओं को दूर करने के लिए अपामार्ग जड़ी बूटी का उपयोग कर सकते है। आप कान के दर्द को ठीक करने के लिए अपामार्ग की ताजी पत्तियां लें और इसे साफ पानी से धो लें। इसके बाद आप इन पत्तियों को पीस लें और इसका रस निकालें। कान के संक्रमण का इलाज करने के लिए इस रस की कुछ बूंदों को कान में डालें। यह कान के दर्द को ठीक करने में सहायक होता है।
चर्म रोग में अपामार्ग (चिरचिरा) के औषधीय गुण से फायदा (Apamarga Plant Uses to Treat Skin Disease in Hindi)
चर्म रोग में अपामार्ग (लटजीरा) से औषधीय गुण से लाभ मिलता है। इसके पत्तों को पीसकर लगाने से फोड़े-फुन्सी आदि चर्म रोग और गांठ के रोग ठीक (apamarg ke fayde) होते हैं।
मुंह के छाले में अपामार्ग (चिरचिरा) के फायदे (Benefits of Apamarg for Mouth Ulcer in Hindi)
मुंह में छाले होने पर अपामार्ग (लटजीरा) के गुण फायदेमंद होते हैं। इसके लिए अपामार्ग के पत्तों का काढ़ा बनाकर गरारा करें। इससे मुंह के छाले की परेशानी ठीक होती है।
अपामार्ग (चिरचिरा) के औषधीय गुण से अत्यधित भूख अधिक लगने की समस्या में लाभ (Apamarg is Beneficial in Appetite Disorder in Hindi)
- बहुत अधिक भूख लगने की बीमारी को भस्मक रोग कहते हैं। इसके उपचार के लिए अपामार्ग के बीजों के 3 ग्राम चूर्ण दिन में दो बार लगभग एक सप्ताह तक सेवन करें। इससे अत्यधित भूख लगने की समस्या ठीक होती है।
- अपामार्ग के 5-10 ग्राम बीजों को पीसकर खीर बना लें। इसे खाने से अधिक भूख लगने की समस्या ठीक होती है।
- अपामार्ग के बीजों को खाने से भी अधिक भूख नहीं लगती है।
- अपामार्ग (लटजीरा) के बीजों को कूटकर महीन चूर्ण बना लें। इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिलाएं। इसे 3-6 ग्राम तक सुबह-शाम जल के साथ सेवन करें। इससे भी लाभ (apamarg ke fayde) होता है।
आंखों की बीमारी में अपामार्ग (चिरचिरा) के फायदे (Chirchita Plant Benefits to Treat Eye Disease in Hindi)
- 2 ग्राम अपामार्ग की जड़ (apamarg ki jad) के रस में 2 चम्मच मधु मिलाएं। इसे 2-2 बूंद आंख में डालने से आंखों के रोग ठीक होते हैं।
- आईफ्लू, आंखों के दर्द, आंख से पानी बहने, आंखें लाल होने, और रतौंधी आदि में अपामार्ग (apamarg) का इस्तेमाल करना उत्तम परिणाम देता है। अपामार्ग की जड़ को साफ कर लें। इसमें थोड़ा सेंधा नमक मिलाकर दही के पानी के साथ तांबे के बर्तन में घिसें। इसे काजल की तरह लगाने से आंखों के रोग में लाभ होता है।
घाव को सुखाने में अपामार्ग (चिरचिटा) का औषधीय गुण फायदेमंद (Benefits of Apamarga Tree in Healing Chronic Wounds in Hindi)
अपामार्ग औषधीय जड़ी बूटी का उपयोग घावों के उपचार में काफी मदद करता है। यदि आपको किसी प्रकार की चोट या घाव है तो इस जड़ी बूटी के पेस्ट का उपयोग किया जा सकता है। चिरचिटा में मौजूद पोषक तत्व घावों का उपचार करने में सहायक होते हैं। इसके अलावा यह उल्टी या मतली की भावना को भी दूर करने में सहायक होता है।
- पुराने घाव हो गया हो तो अपामार्ग के रस के मलहम लगाएं। इससे घाव पकता नहीं है।
- अपामार्ग (लटजीरा) की जड़ को तिल के तेल में पकाकर छान लें। इसे घाव पर लगाएं। इससे घाव का दर्द कम हो जाता है। इससे घाव ठीक (chirchita plant benefits) भी हो जाता है।
- लगभग 50 ग्राम अपामार्ग के बीज में चौथाई भाग मधु मिला लें। इसे 50 ग्राम घी में अच्छी तरह पका लें। पकाने के बाद ठंडा करके घाव पर लेप करें। इससे घाव तुरंत ठीक हो जाता है।
- जड़ का काढ़ा बनाकर घाव को धोने से भी घाव ठीक होता है।
चोट लगने (कटने-छिलने) पर अपामार्ग (चिरचिटा) के औषधीय गुण से लाभ (Benefits of Apamarg Plant after Injury in Hindi)
अपामार्ग के 2-3 पत्तों को हाथ से मसलकर रस निकाल लें। इस रस को कटने या छिलने वाले स्थान पर लगाएं। इससे खून बहना रुक जाता है। अपामार्ग की जड़ को तिल के तेल में पकाकर छान लें। इसे कटने या छिलने वाले जगह पर लगाएं। इससे आराम मिलता है।
खुजली में अपामार्ग (चिरचिरा) का औषधीय गुण लाभदायक (Apamarg Plant Uses in Fighting with Itching in Hindi)
अपामार्ग (लटजीरा) पंचांग से काढ़ा बना लें। इसे जल में मिलाकर स्नान करने पर खुजली ठीक हो जाती है। उपाय करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर मिलें।
श्वसनतंत्र विकार में अपामार्ग (चिरचिटा) के सेवन से लाभ (Benefits of Apamarg Plant to Treats Respiratory Problems in Hindi)
दमा के इलाज के लिए अपामार्ग की जड़ (apamarg ki jad) चमत्कारिक रूप से काम करती है। इसके 8-10 सूखे पत्तों को हुक्के में रखकर पीने से श्वसनतंत्र संबंधित विकारों में लाभ होता है।
रसौली के इलाज में अपामार्ग (चिचड़ा) का औषधीय गुण लाभदायक (Benefits of Apamarga Tree to Cure Neoplasm in Hindi)
रसौली के इलाज में अपामार्ग के फायदे होते हैं। अपामार्ग के लगभग 10 ग्राम ताजे पत्ते एवं 5 ग्राम हरी दूब को पीस लें। इसे 60 मिली जल में मिलाकर छान लें। इसे गाय के 20 मिली दूध में मिलाकर पिलाएँ। इसमें इच्छानुसार मिश्री मिलाकर सुबह सात दिन तक पिलाएं। यह प्रयोग रोग ठीक होने तक नियमित रूप से करें। इससे गर्भाशय में गांठ (रसौली) की बीमारी ठीक हो जाती है।
चिरचिरा के फायदे कान दर्द में – Chirchita ka upyog For Ear Pain in Hindi
क्या आप कान के संक्रमण या कान में दर्द की समस्या से ग्रसित हैं। इस प्रकार की समस्याओं को दूर करने के लिए अपामार्ग जड़ी बूटी का उपयोग कर सकते है। आप कान के दर्द को ठीक करने के लिए अपामार्ग की ताजी पत्तियां लें और इसे साफ पानी से धो लें। इसके बाद आप इन पत्तियों को पीस लें और इसका रस निकालें। कान के संक्रमण का इलाज करने के लिए इस रस की कुछ बूंदों को कान में डालें। यह कान के दर्द को ठीक करने में सहायक होता है।
सामान्य प्रसव में अपामार्ग (चिचड़ा) से मदद (Apamarg Plant is Beneficial for Normal Pregnancy in Hindi)
- महिलाएं प्रसव के समय भी अपामार्ग (चिरचिरा) का उपयोग कर लाभ ले सकती हैं। पाठा, कलिहारी, अडूसा, अपामार्ग में से किसी एक औषधि की जड़ को पीसकर नाभि और योनि पर लेप करें। इससे प्रसव में आसानी होती है।
- प्रसव पीड़ा शुरू होने से पहले अपामार्ग की जड़ को एक धागे में बांधकर कमर पर बांधें। इससे प्रसव आसानी से होता है। ध्यान रखें कि प्रसव होते ही जड़ को हटा लें।
- अपामार्ग की जड़, पत्ते एवं शाखाओं को पीस लें। इसे योनि पर लेप करने से सामान्य प्रसव में मदद मिलती है।
- अपामार्ग के फूलों का पेस्ट बनाकर सेवन करें। इससे प्रजनन से जुड़े रोगों में लाभ होता है।
खांसी में अपामार्ग (चिरचिरा) के सेवन से फायदा (Benefits of Chirchita Plant in Fighting with Cough in Hindi)
- लगभग 125 मिग्रा अपामार्ग क्षार में मधु मिलाएं। इसे सुबह और शाम चटाने से बच्चों की श्वास नली और छाती में जमा कफ निकल जाता है। बच्चों की खांसी ठीक होती है।
- खांसी बार-बार परेशान करती है, और कफ नहीं निकल रहा है या फिर कफ गाढ़ा हो गया है तो अपामार्ग के सेवन से लाभ मिलता है। इस बीमारी में या न्यूमोनिया होने पर 125-250 मिग्रा अपामार्ग क्षार और 125-250 मिग्रा चीनी को 50 मिली गुनगुने जल में मिला लें। इसे सुबह-शाम सेवन करने से 7 दिन में लाभ हो जाता है।
- 6 मिली अपामार्ग की जड़ (apamarg ki jad) का चूर्ण बना लें। इसमें 7 काली मिर्च के चूर्ण को मिलाएं। सुबह-शाम ताजे जल के साथ सेवन करने से खांसी में लाभ होता है।
- अपामार्ग (लटजीरा) पंचांग का भस्म बनाएं। 500 मिग्रा भस्म में शहद मिलाकर सेवन करने से कुक्कुर खांसी ठीक होती है
- बलगम वाली खासी को ठीक करने के लिए अपामार्ग की जड़ चमत्कारिक रूप से काम करती है। इसके 8-10 सूखे पत्तों को हुक्के में रखकर पीने से खांसी ठीक हो जाती है।
बुखार उतारने के लिए अपामार्ग (लटजीरा) का सेवन फायदेमंद (Benefits of Chirchita Plant in Fighting with Fever in Hindi)
अपामार्ग (लटजीरा) के 10-20 पत्ते लें। इन्हें 5-10 नग काली मिर्च और 5-10 ग्राम लहसुन के साथ पीसकर 5 गोली बना लें। बुखार आने से दो घंटे पहले 1-1 गोली लेने से ठंड लगकर आने वाला बुखार खत्म होता है।
हैजा में अपामार्ग (लटजीरा) के फायदे (Apamarga Plant Benefits for Cholera Treatment in Hindi)
- 2-3 ग्राम अपामार्ग की जड़ के चूर्ण को दिन में 2-3 बार ठंडे जल के साथ सेवन करें। इससे हैजा ठीक होता है।
- अपामार्ग के 4-5 पत्तों का रस निकालें। इसमें थोड़ा जल व मिश्री मिलाकर प्रयोग करने से भी हैजा में लाभ मिलता है।
पेट के रोग में अपामार्ग (लटजीरा) के सेवन से फायदा (Chirchita Plant Benefits to Treat Abdominal Disease in Hindi)
- 20 ग्राम अपामार्ग पंचांग को 400 मिली पानी में मिलाकर आग पर पकाएं। जब पानी एक चौथाई रह जाए तब 500 मिग्रा नौसादर चूर्ण और 1 ग्राम काली मिर्च चूर्ण मिला लें। इसे दिन में 3 बार सेवन करने से पेट के दर्द में राहत मिलती है। इससे पेट की अन्य बीमारी भी ठीक हो जाती है।
- 2 ग्राम अपामार्ग (चिरचिरा) की जड़ के चूर्ण में शहद मिलाकर सेवन करने से पेट के दर्द ठीक होते हैं।
अपामार्ग (लटजीरा) के औषधीय गुण से बवासीर का इलाज (Benefits of Apamarg for Hemorrhoids (piles) Treatment in Hindi)
सामान्य रूप से बवासीर एक गंभीर समस्या है। यह ऐसी समस्या है जो रोगी को आंतरिक रूप से कमजोर करने के साथ ही उसे शर्मिंदगी का भी अनुभव कराती है। लेकिन आप अपामार्ग की पत्तियों का उपयोग कर बवासीर का इलाज कर सकते हैं। इसके लिए आप अपामार्ग की ताजा पत्तियां लें और पानी में अच्छी तरह से साफ करने के बाद इसका पेस्ट तैयार कर लें। इस पेस्ट को तिल के तेल के साथ मिलाएं और प्रभावित क्षेत्र में लगाएं। अपामार्ग का उपयोग बवासीर के दौरान होने वाले रक्तस्राव को प्रभावी तरीके से रोक सकता है।
- अपामार्ग की 6 पत्तियों और 5 नग काली मिर्च को जल के साथ पीस लें। इसे छानकर सुबह और शाम सेवन करने से बवासीर में लाभ हो जाता है। इससे खून बहना रुक जाता है।
- अपामार्ग के बीजों को कूट-छानकर महीन चूर्ण बना लें। इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिलाएं। इसे 3-6 ग्राम तक सुबह-शाम जल के साथ सेवन करें। इससे बवासीर में फायदा होता है।
- 10-20 ग्राम अपामार्ग की जड़ के चूर्ण को चावल के धोवन के साथ पीस-छान लें। इसमें दो चम्मच शहद मिलाकर पिलाने से पित्तज या कफज विकारों के कारण होने वाले खूनी बवासीर की बीमारी में लाभ होता है।
अस्थमा में फायदेमंद अपामार्ग (चिरचिरा) का उपयोग (Apamarga Plant Benefits in Fighting with Asthma in Hindi)
वात एवं कफ दोष असंतुलित होने के कारण अस्था जैसी बीमारी होती है। अपामार्ग में वात और कफ दोषों को संतुलित करने का गुण है। इससे अस्थमा में भी फायदा होता है।
यदि आपके आसपास कोई अस्थमा रोगी है तो आप उसका उपचार अपामार्ग से कर सकते हैं। इस जड़ी बूटी में अस्थमा जैसी स्वशन समस्याओं का उपचार करने वाले गुण होते हैं। अपामार्ग का पौधा वायु मार्ग को खोलकर सांस लेने में मदद करता है। किसी अस्थमा रोगी को नियमित रूप से इस जड़ी बूटी के काढ़े का सेवन कराया जाए तो यह उनके लिए फायदेमंद होता है। आप स्वाभाविक रूप से अस्थमा का उपचार करने के लिए इस जड़ी बूटी का उपभोग कर सकते हैं।
पथरी की बीमारी में फायदेमंद अपामार्ग (लटजीरा) का सेवन (Apamarga Tree Benefits to Cure Kidney Stone in Hindi)
अपामार्ग की 5-10 ग्राम ताजी जड़ को पानी में पीस लें। इसे घोलकर पिलाने से पथरी की बीमारी में बहुत लाभ होता है। यह औषधि किडनी की पथरी को टुकडे-टुकड़े करके शरीर से बाहर निकाल देती है। किडनी में दर्द के लिए यह औषधि बहुत काम करती है।
योनि के दर्द में अपामार्ग (लटजीरा) से लाभ (Apamarg Helps in Relief from Vaginal Pain in Hindi)
- अपामार्ग की जड़, पत्ते एवं तना को पीस लें। महिलाएं इसे प्रसव के बाद योनि में लेप के रूप में लगाएं। इससे योनि का दर्द ठीक होता है।
- अपामार्ग की जड़ के रस से रूई को भिगोएं। इसे योनि में रखने से योनि के दर्द और मासिक धर्म की रुकावट खत्म होती है।
- अपामार्ग (चिरचिरा) और पुनर्नवा की जड़ को जल में घिसकर योनि में लेप करने से प्रसव के कारण होने वाला दर्द ठीक होता है।
अपामार्ग का पौधा के फायदे बांझपन में – Apamarga Usage in Infertility in Hindi
यह एक औषधीय जड़ी बूटी है जो स्वास्थ्य लाभ दिलाने के साथ ही प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में मदद करती है। यह ऐसी जड़ी बूटी है जो सामान्य रूप से कहीं भी उपलब्ध हो सकती है। विशेष रूप से इसे हम खरपतवार समझते हैं। इस जड़ी बूटी का उपयोग कर कुछ विशेष स्त्री रोगों का उपचार किया जा सकता है। यदि कोई महिला गर्भवती नहीं हो पाती है तो अपामार्ग का उपयोग फायदेमंद होता है। इसके लिए ताजा अपामार्ग पंचंगा जिसमें पत्ते, फूल, तना, जड़ और फल सभी आते हैं। इनका बराबर मात्रा में मिश्रण तैयार करें। इस मिश्रण की 10 ग्राम मात्रा को 300 मिली लीटर दूध में पकाएं। इस मिश्रण का केवल चार दिन तक सुबह खाली पेट सेवन करें। और अगले तीन मासिक धर्म चक्र तक ऐसा करें। अपामार्ग का यह उपयोग गर्भवती होने में मदद कर सकता है।
मासिक धर्म विकार में अपामार्ग (चिचड़ा) से लाभ (Apamarg Plant Benefits for Menstrual Disorder in Hindi)
- अपामार्ग (चिरचिरा) पंचांग के रस में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर सेवन करने से मासिक धर्म विकार ठीक होता है।
- अपामार्ग की जड़ के रस से रूई को भिगोएं। इसे योनि में रखने से मासिक धर्म की रुकावट खत्म होती है।
- अपामार्ग के लगभग 10 ग्राम ताजे पत्ते और 5 ग्राम हरी दूब को पीस लें। इसे 60 मिली जल में मिलाकर छान लें। अब इसे गाय के दूध में मिला लें। इसमें ही 20 मिली या इच्छानुसार मिश्री मिलाकर सुबह सात दिन तक पिलाने से मासिक धर्म के दौरान अधिक खून बहने की परेशानी में लाभ होता है। इसे रोग ठीक होने तक नियमित रूप से करें।
- अपामार्ग पंचांग के रस में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर सेवन करने से मासिक धर्म के दौरान अधिक रक्तस्राव की समस्या ठीक होती है।
- अपामार्ग के पत्ते के रस से सिर पर डालें, पत्ते के रस से योनि पर लेप करें। इससे अधिक रक्तस्राव की समस्या में तुरंत लाभ होता है।
अपामार्ग (चिचड़ा) के औषधीय गुण से गर्भधारण में मदद (Apamarg Helps in Infertility Problem in Hindi)
अनियमित मासिक धर्म या अधिक रक्तस्राव के कारण जो स्त्रियाँ गर्भधारण नहीं कर पातीं हैं। वे अपामार्ग (चिरचिरा) के औषधीय गुण से लाभ ले सकती हैं। मासिक धर्म खत्म होने के बाद से इस दिव्य बूटी के 10 पत्ते, या इसकी 10 ग्राम जड़ लें। इसे गाय के 125 मिली दूध में पीसकर छान लें। इसका सेवन करें। ध्यान रखें कि यह उत्तम भूमि में उत्पन्न हुआ हो। इसे 4 दिन तक सुबह, दोपहर और शाम पिलाने से स्त्री गर्भधारण कर लेती है। यह प्रयोग अगर एक बार में सफल न हो तो अधिक से अधिक 3 बार करें।
अपामार्ग (चिचड़ा) से एनीमिया का इलाज (Benefit of Chirchita Plant in Fighting with Anemia in Hindi)
एनीमिया के इलाज में अपामार्ग (चिरचिरा) का औषधीय गुण फायदेमंद है। आप किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से मिलकर आपामार्ग के प्रयोग की जानकारी जरूर लें। इससे एनीमिया का इलाज किया जा सकता है।
जहरीले कीड़े-मकौड़े के काटने पर अपामार्ग (चिरचिटा) से फायदा (Chirchita Plant is Beneficial in Insect Bite in Hindi)
- ततैया, बिच्छू और अन्य जहरीले कीड़ों के काटने वाले स्थान पर अपामार्ग (चिरचिरा) पत्ते के रस लगा दें। इससे जहर उतर जाता है।
- अपामार्ग के 8-10 पत्तों को पीसकर लुगदी बना लें। इसे कीड़े के काटने वाले स्थान पर लगाएं। इससे घाव बढ़ता नहीं है।
ल्यूकोरिया में अपामार्ग (चिचड़ा) के सेवन से लाभ (Chirchita Plant Benefits to Cure Leucorrhoea in Hindi)
आयुर्वेदिक चिकित्सक ल्यूकोरिया का इलाज करने के लिए अपामार्ग का प्रमुखता से इस्तेमाल करते हैं। अपामार्ग पंचांग के रस में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर सेवन करने से ल्यूकोरिया ठीक होता है।
अपामार्ग (चिचड़ा) के औषधीय गुण से चेचक का इलाज (Benefits of Chirchita Plant in Fighting with Chickenpox in Hindi)
हल्दी और अपामार्ग की जड़ को बराबर मात्रा में लेकर महीन पीस लें। इसे हाथों-पैरों के नाखूनों और सिर पर तिलक के रूप में लगाें। इससे चेचक नहीं निकलता है। यदि चेचक निकल आया हो तो अपामार्ग (चिरचिरा) की साफ जड़ को पीसकर फुन्सियों पर लगाने से शरीर की जलन शांत हो जाती है।
कुष्ठ रोगों में अपामार्ग (चिचड़ा) से लाभ (Chirchita Plant Uses for Leprosy Treatment in Hindi)
- अपामार्ग के भस्म को सरसों के तेल में मिलाकर घाव पर लगाएं। इससे कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है।
- अपामार्ग के रस में पिसे हुए मूली के बीज मिला लें। इसका लेप करने से कुष्ठ रोग में फायदा होता है।
अपामार्ग (चिरचिरा) के गुण से साइनस का इलाज (Uses of Apamarga Tree for Sinus Treatment in Hindi)
सज्जीक्षार, सेंधा नमक, चित्रक, दंती, भूम्यामलकी की जड़, श्वेतार्क लें। इसके साथ ही अपामार्ग (चिरचिरा) बीज का पेस्ट और गोमूत्र लें। इसे तेल में पकाएँ। इसका लेप करने से साइनस जल्द ठीक हो जाता है।
आधासीसी (माइग्रेन) में फायदेमंद अपामार्ग का इस्तेमाल (Chirchita Plant Uses in Relief from Migraine in Hindi)
- अपामार्ग के बीजों के चूर्ण को केवल सूंघने से आधासीसी (माइग्रेन) से आराम मिलता है।
- इसको सूंघने से मस्तिष्क के अन्दर जमा हुआ कफ पतला होकर नाक के जरिए निकल जाता है।
बहरेपन की समस्या में अपामार्ग (चिरचिटा) से लाभ (Apamarga Plant is Beneficial in Deafness Problem in Hindi)
- अपामार्ग (चिरचिरा) की साफ धोई हुई की जड़ (apamarg ki jad) का रस निकालें। इसमें बराबर मात्रा में तिल का तेल मिलाकर आग में पका लें। जब तेल केवल रह जाए तब छानकर शीशी में रख लें। इस तेल को गुनगुना करके रोज 2-3 बूंद कान में डालें। इससे बहरेपन की समस्या का इलाज होता है। इससे कान से मवाद बहना रुक जाता है।
- अपामार्ग क्षार का घोल और अपामार्ग के पत्ते का पेस्ट बनाएं। इसमें चार गुना तिल के तेल मिलाएं। इसे पकाएं। इस तेल को 2-2 बूंद कान में डालने से बहरेपन का उपचार होता है। इससे कान के आवाज करने की परेशानी ठीक होती है।
जोड़ों के दर्द में फायदेमंद अपामार्ग (चिरचिरा) का उपयोग (Chirchita Plant Benefits for Arthritis in Hindi)
- अपामार्ग के 10-12 पत्तों को पीसकर गर्म कर लें। इन्हें जोड़ों पर बांधें। इससे जोड़ों के दर्द से आराम मिलता है।
जोड़ों के दर्द के साथ-साथ फोड़े-फुन्सी या गांठ वाली जगह पर अपामार्ग (चिरचिरा) के पत्ते पीसकर लेप करने से गांठ धीरे-धीरे दूर हो जाता है। - अपामार्ग की जड़ को पीस लें। इसे जोड़ों के दर्द वाले स्थान पर लगाएं। इससे अपामार्ग की जड़ का काढ़ा बनाकर सेवन करें। इससे कमर दर्द और जोड़ों के दर्द से आराम मिलता है।
लाल अपामार्ग (चिरचिरा) के फायदे और उपयोग (Red Apamarg Benefits and Uses in Hindi)
लाल अपामार्ग के निम्न फायदे हैंः-
भूख को बढ़ाने के लिए लाल अपामार्ग (चिरचिटा) का सेवन लाभदायक (Chirchita Plant Benefits in Increasing Appetite in Hindi)
भूख बढ़ाने में लाल अपामार्ग (चिरचिरा) के औषधीय गुण फायदेमंद होते हैं। लाल अपामार्ग की जड़ या पंचांग का काढ़ा बना लें। 10-30 मिली मात्रा में काढ़ा का सेवन करें। इससे भूख बढ़ती है।
लाल अपामार्ग (चिरचिटा) के औषधीय गुण से कब्ज से राहत (Benefits of Apamarga Tree in Fighting with Constipation in Hindi)
1-2 ग्राम अपामार्ग (चिरचिरा) के तने और पत्ते के चूर्ण का सेवन करने से कब्ज की बीमारी ठीक होती है। उपाय करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
मूत्र रोग में फायदेमंद लाल अपामार्ग का सेवन (Chirchita Plant Benefits to Treat Urinary Problems in Hindi)
लाल अपामार्ग (apamarga) के पत्ते से बने 10-30 मिली काढ़ा में चीनी मिला लें। इसका सेवन करने से मूत्र रोग जैसे पेशाब में दर्द होना और पेशाब का रुक-रुक कर आने की परेशानी ठीक होती है।
पेचिश और हैजा में लाल अपामार्ग (चिरचिटा) के सेवन से लाभ (Chirchita Plant Uses to Cure Dysentery and Cholera in Hindi)
लाल अपामार्ग की जड़ या पंचांग का काढ़ा बना लें। इसे 10-30 मिली मात्रा में सेवन करने से पेचिश और हैजा रोग में लाभ होता है।
अपामार्ग (चिरचिटा) के उपयोगी भाग (Useful Parts of Apamarg in Hindi?)
अपामार्ग (चिरचिरा) के इन भागों का उपयोग किया जा सकता हैः-
- पत्ते
- जड़ (apamarg ki jad)
- पंचांग
अपामार्ग (चिरचिटा) का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Apamarg in Hindi?)
आप अपामार्ग (apamarga) का इस्तेमाल इतनी मात्रा में कर सकते हैंः-
- रस- 10-20 मिली
- जड़ का चूर्ण- 3-6 ग्राम
- बीज- 3 ग्राम
- क्षार- 1/2-2 ग्राम
अपामार्ग (चिरचिरा) से नुकसान (Apamarg Side Effects in Hindi)
अपामार्ग (चिरचिरा) से यह नुकसान हो सकता हैः-
पाचनतंत्र विकार वाले रोगियों को अपामार्ग (चिरचिरा) का अधिक मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए।
अपामार्ग (चिरचिरा) कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Apamarg Found or Grown in Hindi?)
भारत के सभी जंगली इलाकों, शहरों और गांवों में अपामार्ग (चिरचिरा) (apamarga) पाया जाता है। यह विशेषकर वर्षा-ऋतु में पाया जाता है। कहीं-कहीं अपामार्ग के पौधे (apamarga plant) सालों भर भी मिलते हैं।
अपामार्ग के नुकसान – Apamarga ke Nuksan in Hindi
जैसा कि हम जानते हैं कि यह एक औषधीय जड़ी बूटी है जो हमारे लिए फायदेमंद होती है। लेकिन किसी भी चीज का अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से बचना चाहिए। अधिक मात्रा में सेवन करने से यह उल्टी का कारण हो सकता है। गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन करने से बचना चाहिए। स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी सीमित समय के लिए बहुत ही कम मात्रा में इसका सेवन किया जाना चाहिए।
अपामार्ग (चिरचिटा) को लेकर पूंछे जाने वाले सवाल
अपामार्ग कौन कौन सी बीमारी में काम आता है?
अपामार्ग के उपयोग से विकारों को ठीक किया जाता है, बीमारियों की रोकथाम की जाती है। आप दांतों के रोग, घाव सुखाने, पाचनतंत्र विकार, खांसी, मूत्र रोग, चर्म रोग सहित अन्य कई बीमारियों में अपामार्ग का लाभ ले सकते हैं।
अपामार्ग की जड़ से क्या फायदे हैं?
इसे दांतों में लगाने से दांत का दर्द ठीक (apamarg ke fayde) होता है। अपामार्ग की ताजी जड़ से रोजाना दातून करने से दांत के दर्द तो ठीक होते ही हैं, साथ ही दाँतों का हिलना, मसूड़ों की कमजोरी, और मुंह से बदबू आने की परेशानी भी ठीक होती है। इससे दांत अच्छी तरह साफ हो जाते हैं।
अपामार्ग बाजीकरण में काम आता है?
* अपामार्ग के प्रयोग : अपामार्ग बाजीकरण के काम में आती है। इसके भी कई प्रयोग हैं। एक प्रयोग यह है कि अश्विनी नक्षत्र में अपामार्ग की जड़ लाकर इसे तावीज में रखकर किसी सभा में जाएं, सभा के लोग वशीभूत होंगे। पसे आकर्षित होने लगेंगे।
लटजीरा की जड़ पीने से क्या होता है?
लटजीरा के पौधे की अगर बात की जाए तो इसकी जड़ से लेकर बीज तक विभिन्न प्रकार के रोगों के निदान के लिए प्रयुक्त होते हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि लटजीरा का पौधा अनेकों बीमारियों में लाभदायक होता है। त्वचा रोग, सर्प दंश, बिच्छू डंक, कान, आख, श्वांस, खासी, दमा, अर्श रोग, भस्मक रोग, प्रसव में भी इसका उपयोग किया जाता है।
अपामार्ग का पेड़ कैसे होता है?
बारिश में सहज उगने वाला लाल व सफेद रंग में मिलने वाला पौधा जिसे ओंगा, लटजीरा, चिरचिटा कहते हैं। यह आयुर्वेद तन्त्र व दैनिक उपयोग के लिए विशेष महत्व रखता है। अपामार्ग एक सर्वविदित क्षुपजातीय औषधि है। वर्षा के साथ ही यह अंकुरित होती है और ऋतु के अंत तक बढ़ती है तथा शीत ऋतु में पुष्प फलों से शोभित होती है।
अपामार्ग का उपयोग कैसे करें?
अपामार्ग की पत्तियों को गुड़ में मिलाकर खाने हर प्रकार का ज्वर ठीक हो जाता है। – अगर आप दांत के रोग से परेशान है तो अपामार्ग के पौधे को जलाकर उसकी भस्म बनायें फिर नियमित रूप से अपने दांतों पर मलें। ऐसा करने से दान्त रोग नष्ट हो जाते है। नोट- इसको उपयोग में लाने से पहले किसी आयुर्वेद डॉक्टर से परामर्श जरूर ले लें।
चिरचिटा का पौधा कैसे होता है?
चिरचिटा का इस्तेमाल आयुर्वेदिक औषधीयों के रूप में किया जाता है। इसके इस्तेमाल से कई बीमारियां ठीक की जा सकती है। चिरचिटा को कई नामों से जाना जाता है, जैसे- अपामार्ग (apamarga plant), चिरचिटा, चिरचिरा, लटजीरा और चिचड़ा। जंगलों और झाड़ियों में दिखने वाला यह साधारण सा पौधा कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है।
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