आपने कचनार के पौधे (kachnar tree) के बारे में सुना जरूर होगा। कचनार का प्रयोग कर लोगों को अनेक तरह का लाभ मिलता है। कचनार की छाल (kachnar ki chaal) के रेशों से रस्सी बनाई जाती है। कई स्थानों पर काचनार की पत्तियों का साग भी खाया जाता है। क्या आप जानते हैं कि कचनार एक औषधी है, और इसके अनेक औषधीय गुण हैं। कई रोगों के इलाज में कचनार के उपयोग से फायदे मिलते है।
कचनार एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है। जिसका सेवन कई बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है। कचनार की छाल से लेकर जड़ों तक का इस्तेमाल किया जाता है। इतना ही नहीं, कई लोग कचनार की पत्तियों का साग भी बनाकर खाते हैं। प्राचीनकाल से ही कचनार का सेवन किया जा रहा है। इसके सेवन से सर्दी-खांसी से लेकर कई बीमारियों से राहत पाया जा सकता है। आयुर्वेदाचार्य ब्रह्मस्वरुप सिंह बताते हैं कि कचनार के फूलों से तैयार दवाई का सेवन करने से कई रोगों को दूर किया जा सकता है। इसके सेवन से आप थायराइड, सर्दी-खांसी, मुंह में खाले जैसी कई बीमारियों को दूर कर सकते हैं। लेकिन इसका सेवन करने से पहले एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। आइए जानते हैं कचनार के सेवन से सेहत को होने वाले फायदे और इस्तेमाल करने का तरीका.
कचनार क्या है? (What is Kachnar in Hindi?)
फूलों के रंगों में अंतर के अनुसार कचनार (kanchanar guggulu) की विभिन्न जातियां पाई जाती हैं। इनमें से तीन प्रकार के काचनारों का विशेष उल्लेख मिलता है, जो ये हैंः-
1.लाल फूल वाला कचना (Bauhinia purpurea)
2.सफेद फूल वाला कचनार (Bauhinia racemosa)
3.पीला फूल वाला कचनार (Bauhinia tomentosa Linn.)
लाल काचनार: इसमें कुछ जामुनी लाल रंग के फूल आते हैं। अन्य कचनारों (kanchnar guggul) की अपेक्षा यह सभी जगह मिल जाता है।लाल फूल वाली प्रजाति को कचनार (kanchnar), और सफेद फूल वाली प्रजाति को कोविदार कहा जाता है। लाल फूल के आधार पर कचनार की दो प्रजातियां पाई जाती हैं, जो ये हैंः-
Bauhinia purpurea Linn.
Bauhinia blakeana Dunn
सफेद काचनार: इसके फूल सफेद रंग के और सुगन्धित होते हैं। सफेद फूलों के आधार पर कांचनार की मुख्यतया तीन प्रजातियां पाई जाती हैैं, जो ये हैंः-
Bauhinia racemosa Lam.
Bauhinia acuminata Linn.
Bauhinia variegata var.candida (Aiton) Corner
पीला काचनार – इसके फूल पीले रंग के होते हैं।
इनके अतिरिक्त कचनार की एक और प्रजाति पाई जाती है जिसे Bauhinia semla Wunderlin कहते हैं। कांचनार (Bauhinia variegata Linn.) से मिलते-जुलते बहुत सारे पौधे पाए जाते हैं, लेकिन प्रायः कांचनार व कोविदार का प्रयोग चिकित्सा में किया जाता है।
गुणों में तीनों कचनार (kachnar tree benefits) एक समान होते हैं, लेकिन औषधि के रूप में प्रायः लाल या सफेद फूल वाले कचनार का ही प्रयोग (kanchanar guggulu) किया जाता है। इसलिए अगर कहीं लाल फूल वाला कचनार नहीं मिलता है तो दूसरे का प्रयोग किया जा सकता है।
अन्य भाषाओं में कचनार के नाम
संस्कृत – कांचन, रक्तपुष्प, कान्तार, कनकप्रभ, कांचनार, कोविदार इत्यादि।
हिंदी – कचनार।
बंगाली – सफेद कांचन।
मराठी – कांचन वृक्ष, कोरल।
गुजराती – चम्पाकासी, चम्पो, कांचनार।
फारसी – कचनार।
लेटिन – Bauhinia Tancatosa, Bauhinia Racemosa
कचनार के फायदे और उपयोग (Red Kachnar Benefits and Uses in Hindi)
अब तक आपने कचनार (kachnar tree) क्या है, और कचनार के कितने नाम हैं। आइए जानते हैं कि कचनार का आयुर्वेदीय गुण क्या है, इससे कितने रोगों में लाभ मिल सकता हैः-
इसका प्रयोग पेट के कीड़ों को मारता है। खून के फसाद को दूर करता है और कंठमाला में बहुत लाभकारी है। इसकी छाल का चूर्ण प्रदर में लाभदायक है। इसकी कलियां खांसी, दस्त, बवासीर, मासिक धर्म की अधिकता और पेशाब की राह खुन जाने में लाभदायक है।
पिल्ले कचनार की छाल का काढ़ा पिलाने से आंतों के कीड़े मरते हैं। इसके सुखी फलियों के चूर्ण की फंकी देने से आंव वाले दस्त बंद होते हैं। इसकी जड़ की छाल का क्वाथ पिलाने से जिगर का वरम उतरता है।
लाल कंचनार की जड़ का क्वाथ पिलाने से आदमी की कमजोरी मिटती है। 3 ग्राम अजवायन के चूर्ण की फंकी देख कर ऊपर से इसकी जड़ का क्वाथ पिलाने से पेट का फूलना दुरुस्त हो जाता है। इसकी छाल या फूल के क्वाथ को ठंडा करके शहद मिलाकर पिलाने से गंडमाला में लाभ होता है तथा खून साफ होता है।
कंचनार की छाल विशेष रूप से भीतरी उपचार में काम में ली जाती है। यह शोधक, पौष्टिक और संकोचक है
कंठमाला रोग में यह अत्यंत उपयोगी हैं। इस रोग में गले की ग्रंथि बढ़ जाने पर इसे चावल के पानी और सोंठ के साथ उपयोग में लिया जाता है।
- सुुबह 1-2 ग्राम कोविदार की जड़ के चूर्ण को छाछ के साथ सेवन करें। शाम को पचने वाला भोजन करें। इससे बवासीर में लाभ होता है।
- लाल कचनार के तने का पेस्ट बना लें। 1-2 ग्राम पेस्ट को दही के साथ सेवन करने से बवासीर रोग में फायदा होता है।
- कचनार की कलियों से बने गुलकन्द (kanchnar guggulu) को 5-10 ग्राम की मात्रा में खाने से बवासीर में लाभ होता है।
- 2-5 ग्राम सूखे फूल के चूर्ण में बराबर मात्रा में मक्खन और मिश्री मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से खूनी बवासीर में लाभ होता है।
- जामुन, रीठा और कचनार की छाल को पानी में उबालकर गुदा को धोने से खूनी बवासीर में फायदा होता है।
- कांचनार फूल का काढ़ा बनाकर पीने से खूनी बवासीर की बीमारी में लाभ होता है। काढ़ा की 20 मिली मात्रा को दिन में दो बार पीना चाहिए।
पेशाब की समस्या: पेशाब की समस्याओं में सफेद कंचनार की फलियों के चूर्ण की 3 से 6 ग्राम की मात्रा दिन में तीन से चार बार सेवन करने से रुक रुक कर पेशाब आना, पेशाब में जलन और अन्य व्याधिया समाप्त होती है।
सफेद पानी की समस्या: स्त्रियां इस लाल कंचनार के फूल या कलियों के 3 ग्राम चूर्ण का सेवन करके लिकोरिया जैसी समस्या से निजात पा सकती है।
ब्लड को करे साफ: कचनार के सेवन से खून की सफाई अच्छे से होती है। डॉक्टर राहुल चतुर्वेदी बताते हैं कि इसके फूलों या फिर छाले का आप काढ़ा बनाकर पी सकते हैं। करीब 10-20 मिली काढ़ा को ठंडा करके इसमें 2-3 बूंदे शहद का मिलाकर पिएं। ऐसा करने से आपके शरीर में मौजूद खून की अच्छे से सफाई होगी।
सर्दी-खांसी से राहत: सर्दी-खांसी की परेशानी से राहत पाने के लिए आप कचनार के फूलों से तैयार काढ़ा का सेवन करें। दिन में दो बार 20 मिली काढ़ा का सेवन करने से सर्दी-खांसी की परेशानी से राहत मिलेगी। कचनार का सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर से संपर्क करें।
गले की गांठ: चक्रदत्त के मतानुसार लाल कंचनार के छिलके को चावल के पानी और अदरक के साथ कंठमाला और गले की गांठ पर लगाने से लाभ होता है।
फोड़े: इसकी जड़ों को चावलों के धोवन के साथ पुल्टिस बनाकर बांधने से फोड़ा जल्दी पक जाता है।
बौद्धिक शक्ति: महर्षि वाग्भट के मतानुसार कंचनार के चूर्ण को कमल वृक्ष के सम्मेलन से तैयार किया हुआ घी मस्तिष्क, बौद्धिक शक्ति और शमरन शक्ति को बढ़ाने में बहुत सहायता पहुंचाता है।
पीरियड्स की परेशानी करे दूर : पीरिय़ड्स की शिकायत होने पर कचनार के फूलों से तैयार काढ़े का सेवन करें। इसके सेवन से अधिक रक्तस्त्राव की समस्या से राहत मिलेगी। अधिक रक्तस्त्राव होने पर दिन में दो बार 20 मिली काढ़ा का सेवन करें.
दस्त पीडा: इसकी लकड़ी के कोयलो का दंत मंजन करने से दंत पीड़ा मिटती है।
खूनी बवासीर: मिश्री और मक्खन के साथ इसकी कलियों का चूर्ण बनाकर चाटने से तथा जामुन, मौलश्री और कचनार की छाल को पानी में उठाकर उस पानी से गुदा को धोने से खूनी बवासीर मिटती है।
- लाल कचनार की छाल के 20 मिली काढ़ा में 1 ग्राम सोंठ चूर्ण मिलाएं। इसे सुबह-शाम पिलाने से भी गले के गांठ की बीमारी में लाभ होता है।
- 250 ग्राम कचनार की छाल के चूर्ण में 250 ग्राम चीनी मिलाकर रख लें। सुबह और शाम 5-10 ग्राम चूर्ण को पानी या दूध के साथ सेवन करें। इससे गण्डमाला रोग में लाभ होता है।
- कचनार की छाल का काढ़ा बनाकर गरारा करने से कंठ के रोग ठीक होते हैं।
- 10-20 ग्राम कांचनार छाल को 400 मिली पानी में उबालें। जब काढ़ा एक चौथाई रह जाए तो 10-20 मिली की मात्रा में पिलाएं। इससे गंडमाला रोग में लाभ होता है।
- लाल कचनार का रस मिलाकर गले में लगाने से भी गले के रोग में लाभ होता है।
- पाचन में गड़बड़ी होने पर 10-20 ग्राम कचनार की जड़ लें। इसका काढ़ा तैयार करें। दिन में दो बार इस काढ़ा का सेवन करने से पाचन संबंधी परेशानी से राहत मिलेगा।
- कचनार की कलियों से बने गुलकन्द को 5-10 ग्राम की मात्रा में खाने से कब्ज का इलाज होता है।
- 2-5 ग्राम सूखे फूल के चूर्ण में बराबर मात्रा में चीनी मिलाकर खाने से कब्ज की समस्या में लाभ होता है
पीलिया रोग जब गंभीर स्थिति में पहुंच जाता है तो जानलेवा साबित हो सकता है। पीलिया रोग के इलाज के लिए कोविदार के पत्तों का पेस्ट बना लें। व्याघएरण्ड का दूध निकालकर इसमें मिलाएं, और सेवन करें। इससे पीलिया रोग में फायदा होता है।
भूख न लगे तो कचनार के सेवन से समस्या ठीक हो सकती है। कचनार में लिवर की कोशिकाओं को स्वस्थ करने का गुण होता है। यह लिवर विकार को दूर कर भूख को बढ़ाता है.
- कचनार की जड़ को चावलों के धुले हुए पानी के साथ पीस लें। इसे पट्टी के रूप में रसौली, और पेट पर बांधें। इससे रसौली जल्दी पक जाता है। इससे पेट फूलने की समस्या भी ठीक होती है। इसकी छाल को पीसकर लगाने से भी लाभ होता है।
- कचनार के फूल या पत्ते के चूर्ण का 2.5 ग्राम काढ़ा बना लें, या 20 मिली छाल के काढ़ा में प्रवाल भस्म (250 मिग्रा) मिला लें। इसमें चीनी मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से भी रसौली, पेट फूलने की समस्या में फायदा होता है। इसके सेवन के बाद दूध पिलाना चाहिए।
- पीले कचनार के पत्ते, छाल तथा बीजों को सिरके में पीसकर लेप करने से रसौली में लाभ होता है।
सफेद कचनार के फायदे और उपयोग (White Kachnar Benefits and Uses in Hindi)
सफेद कचनार का प्रयोग इन रोगों के लिए किया जा सकता हैः-
गण्डमाला रोग में सफेद कचनार के औषधीय गुण से लाभ (Benefits of White Kachnar for Goiter Treatment in Hindi)
सफेद कचनार की छाल के चूर्ण (1-2 ग्राम) को चावल के धोवन के साथ पीने से गण्डमाला या कंठ के रोग में लाभ होता है। बेहतर लाभ के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।
मूत्र रोग में सफेद कचनार के सेवन से लाभ (White Kachnar Benefits for Urinary Disease in Hindi)
2-5 ग्राम कचनार के सूखे फल का चूर्ण बना लें। इसे पानी के साथ दिन में 3-4 बार सेवन करने से मूत्र रोग जैसे पेशाब का रुक-रुक कर आना, या पेशाब में दर्द होने की बीमारी ठीक होती है।
सफेद कचनार के सेवन से खूनी बवासीर का इलाज (Benefits of White Kachnarfor Piles Treatment in Hindi)
खूनी बवासीर में रोगी को बहुत परेशान होना पड़ता है। आप सफेद कचनार से खूनी बवासीर का इलाज कर सकते हैं। 1-2 ग्राम कचनार के फूल का चूर्ण का सेवन करने से खूनी बवासीर में लाभ होता है।
त्वचा रोगों में सफेद कचनार का औषधीय गुण फायदेमंद (White Kachnar Benefits for Skin Disease in Hindi)
त्वचा रोगों में भी कचनार से लाभ लिया जा सकता है। काचनार की जड़ की छाल को पीस लें। इसे लगाने से घाव, सूजन एवं अन्य प्रकार के त्वचा से संबंधित रोगों में लाभ होता है।
बुखार में सफेद कचनार के औषधीय गुण से फायदा (White Kachnar Uses in Fighting with Fever in Hindi)
काचनार के पत्ते का काढ़ा बनाएं। इसे 10-20 मिली मात्रा में पीने से बुखार के कारण होने वाले सिर दर्द से आराम मिलता है। अधिक लाभ के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
पीले कचनार के फायदे और उपयोग (Yellow Kachnar Benefits and Uses in Hindi): पीले कचनार का प्रयोग इन रोगों के लिए किया जा सकता हैः-
पीले कचनार के औषधीय गुण से दस्त पर रोक (Benefits of Yellow Kachnar to Stop Diarrhea in Hindi)
पीले कचनार की जड़ और पत्ते का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में पिएं। इससे दस्त पर रोक लगती है। उपाय करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लें।
लिवर विकार में पीले कचनार के फायदे (Yellow Kachnar Uses for Liver Disorder in Hindi)
- पीले कंचनार की 10-20 ग्राम जड़ की छाल का काढ़ा बना लें। 10-20 मिली काढ़ा को सुबह-शाम पिलाने से लिवर की सूजन में लाभ होता है।
- कचनार की जड़ और पत्ते का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में पिएं। इससे लिवर के दर्द से राहत (kanchanar guggulu benefits) मिलती है।
पेचिश में पीले कचनार के औषधीय गुण से लाभ (Yellos Kachnar Benefits to Stop Dysentery in Hindi)
- पीले कचनार के पत्ते और फूलों को सुखा लें। इसका चूर्ण बनाकर रख लें। 5 ग्राम चूर्ण का सेवन करने के बाद 2 चम्मच सौंफ का अर्क पिएं। इससे पेचिश में लाभ होता है।
- कचनार के 10 ग्राम फूलों को जल में उबालकर छान लें। इसे दिन में दो बार पिलाने से भी पेचिश में लाभ होता है।
- 2-5 ग्राम कचनार के सूखे फल के चूर्ण को पानी के साथ पीने से भी पेचिश में लाभ मिलता है। इसे दिन में 3-4 बार सेवन करें।
कचनार के उपयोगी भाग (Useful Parts of Kachnar in Hindi)
कचनार का प्रयोग इस तरह किया जाना चाहिएः-
- जड़
- पत्ते
- छाल
- फूल
कचनार का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Kachnar in Hindi?): कचनार का इस्तेमाल इतनी मात्रा में करना चाहिएः-
- पत्ते का रस- 12-24 मिली
- चूर्ण- 3-6 ग्राम
- काढ़ा- 50-100 मिली
- अधिक लाभ के लिए चिकित्सक के परामर्शानुसार कचनार का प्रयोग करें।
कचनार कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Kachnar Found or Grown?)
भारत के जंगलों में, हिमालय के तराई प्रदेशों और निचली पहाड़ियों पर कचनार के वृक्ष (kachnar tree) पाए जाते हैं।
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