क्रोटन टिगलियम होम्योपैथिक दवा और उसके फायदे: Croton Tigalium Homeopathic Medicine and Its Benefits
क्रोटन टिग दस्त, त्वचा के प्यार और गर्मियों की शिकायतों में एक अच्छा उपाय है। यह Rhus विषाक्तता के लिए एक प्रभावी मारक है एक बैठ त्वचा और श्लेष्म सतह पर तीव्र कार्रवाई है। यह माथे में दर्द, दानेदार ढक्कन, कॉर्निया पर pustules दबाने, रात में झागदार अस्थमा और सूजन स्तनों और खांसी के लिए अनुशंसित है। आईएसकेडी मेडीफिट पर होमेओपेथिक दवा क्रोटन टिगलियम के वारे में विस्तार से समझायेंगे
क्रोटन टिगलियम एक बहुत ही असरदार होम्योपैथिक दवा है जिसे आम भाषा में जमाल घोटा भी कहते है, इसके सेवन करने से दस्त, माथा का दर्द, त्वचा का दर्द, और गर्मी की शिकायत सही हो जाती है, इसके अलावा यह पलको पर आने वाले दानों को भी ठीक कर देती है और साथ ही नेत्र रोगों में भी लाभकारी है.
अगर किसी रोगी को अस्थमा की शिकायत है, या फिर स्तनों में सूजन के साथ दर्द है, और खाँसते हुए भी दर्द होता है तो क्रोटन टिगलियम इन सभी लक्षणों को समाप्त कर देती है।
क्रोटन टिग्लियम लेते समय खुराक और नियम : Dosage and rules when taking Croton Tiglium
- आधा कप पानी में 5 बूंद दिन में तीन बार लें।
- आप ग्लोब्यूल्स को दवा भी दे सकते हैं और दिन में 3 बार या चिकित्सक द्वारा बताए अनुसार ले सकते हैं।
- हम आपको चिकित्सकों के मार्गदर्शन में लेने की सलाह देते हैं।
क्रोटन टिगलियम के लाभ : Benefits of Croton Tigalium
- क्रोटन टिगलियम के सेवन से माथे के दर्द में आराम मिलता है।
- क्रोटन टिगलियम के सेवन से मल त्याग करने में आसानी होती है।
- क्रोटन टिगलियम के सेवन से सीने के दर्द में आराम मिलता है।
- क्रोटन टिगलियम जनन अंगों के रोगों को भी ठीक कर देता है।
विभिन्न लक्षणों में क्रोटन टिगलियम का उपयोग
1. मन और सिर के रोगों के उपचार में क्रोटन टिगलियम का उपयोग:
क्रोटन टिगलियम के सेवन से मानसिक और सिर के रोग ठीक हो जाते है, अगर किसी रोगी की याददाश्त काफी कमजोर है, या फिर वह रोगी बहुत ही चिड़चिड़ा रहता है, या फिर सुबह के समय रोगी को बहुत तेज सिरदर्द होता है, और उसे चक्कर भी आते है, इसके साथ ही उसकी देह गर्म रहती है और सर्दी में भी पसीना आता रहता है तो उस रोगी को क्रोटन टिगलियम का सेवन करवाना चाहिए।
2. आँख, कान और नाक के रोगों के उपचार में क्रोटन टिगलियम का प्रयोग:
अगर रोगी की पलकों और नेत्र में दर्द रहता है या फिर उनमें जलन होती है और खुजली होती है, या फिर रोगी के नाक में दर्द, सूजन, खुजली होती है, या फिर रोगी के कान में दर्द होता है और तेज आवाज से रोगी चीख पड़ता है तो उस रोगी को क्रोटन टिगलियम की खुराक देनी चाहिए।
आंखों से सम्बंधित लक्षण- आंखों का बिल्कुल लाल होना, आंखों में ऐसा महसूस होना जैसे आंखें पीछे की ओर खींची जा रही हो, आंखों के आसपास के भाग में फुंसियां होना, दाईं आंख के घेरे के ऊपर तनाव के साथ दर्द होना आदि आंख के रोगों के लक्षणों में रोगी को क्रोटन टिगलियम औषधि देने से लाभ मिलता है।
3. मुँह और गले के रोगों के उपचार में क्रोटन टिगलियम का उपयोग:
अगर किसी रोगी को खाना निगलने के समय या पानी पीने के समय गले में दर्द रहता है अथवा रोगी के गले में टॉन्सिल हो गए है, या फिर रोगी को ब्रुश करते वक्त मसूड़ो से खून आने लगता है, या फिर रोगी की जीभ बहुत ज्यादा सेंसिटिव हो गयी है जिसकी वजह से मुँह से हर वक्त लार बहती रहती है तो उस रोगी को क्रोटन टिगलियम का सेवन करवाना चाहिए।
4. पेट के रोगों के उपचार में क्रोटन टिगलियम का उपयोग:
अगर किसी रोगी के पेट में दर्द रहता हो, या उसका पेट फूला हुआ रहता हो, या फिर उसके पेट में सूजन रहती हो, या फिर रोगी को मल त्याग करने में दिक्कत होती हो, या फिर रोगी को भूख नही लग रही हो, इसके साथ ही रोगी को उल्टियाँ हो रही हो, और रोगी का जी मिचला रहा हो तो तो उन रोगी को क्रोटन टिगलियम की खुराकें देनी चाहिए।
5. मल और गुदा के रोगों के उपचार में क्रोटन टिगलियम का उपयोग:
अगर किसी रोगी को मल त्याग के समय भीषण दर्द होता है, या फिर उसे मल के साथ खून भी आता है, या फिर रोगी को पतला मल आता है, या फिर रोगी को मल त्याग करते समय पेट में भी दर्द होता है, या फिर रोगी का मलाशय बहुत ज्यादा सेंसिटिव हो गया है जिसे छूने मात्र से ही दर्द का अनुभव होता है तो रोगी की इस हालत को ठीक करने के लिए उस रोगी को क्रोटन टिगलियम का सेवन करवाना चाहिए।
मल से सम्बंधित लक्षण – मल का पानी के जैसा बिल्कुल पतला और बार-बार आना, मलक्रिया के दौरान ज्यादा जोर लगाना, आंतों में गड़गड़ाहट होना, थोड़ा सा पानी पीते ही या भोजन करते समय परेशानी बढ़ जाती है आदि मलरोगों के लक्षणों में क्रोटन टिगलियम औषधि का सेवन लाभदायक रहता है।
6. मूत्र रोगों के उपचार में क्रोटन टिगलियम का उपयोग:
अगर किसी रोगी को मूत्र त्याग करते समय दर्द होता है, या फिर उसके मूत्र में रक्त आता है, या फिर रोगी को रुक-रुक कर मूत्र आता है तो उस रोगी को क्रोटन टिगलियम की खुराक देनी चाहिए।
पेशाब से सम्बंधित लक्षण- रात को सोते समय पेशाब का आना, पेशाब के साथ झाग आना, पेशाब का रंग गहरा होना, पेशाब के ऊपर चिकनाई सी नज़र आना, दिन में पेशाब का रंग पीला होना आदि रोगों में रोगी को क्रोटन टिगलियम औषधि का प्रयोग करने से लाभ होता है।
7. हाथ और पैरो के रोगों के उपचार में क्रोटन टिग का उपयोग:
अगर रोगी के हाथों में सूजन रहती है, या फिर वह ज्यादा वजन नहीं उठा पाता है, या फिर रोगी के पैरो में दर्द रहता है, जिसकी वजह से वह चल नहीं पाता है, या फिर उसके पैरों में सूजन रहती है तो उस रोगी को क्रोटन टिगलियम की खुराकें देनी चाहिए।
8. स्किन रोगों के उपचार में क्रोटन टिग का उपयोग:
अगर रोगी की त्वचा में खुजली रहती है, या फिर रोगी की त्वचा लाल हो जाती है जिसमें दाने पड़ जाते है, या फिर रोगी की त्वचा में सूजन रहती है तो उस रोगी को देरी न करते हुए क्रोटन टिगलियम का सेवन करवाना चाहिए।
चर्म (त्वचा) से सम्बंधित लक्षण: त्वचा में बहुत तेज खुजली होना, मवाद भरी फुंसिया खासकर चेहरे और जनेन्द्रियों पर और उसके बाद दर्द के साथ जलन होना, छालेदार फुंसियां जिसमें बहुत ज्यादा खुजली होती है, छालों में अचानक बहुत तेज दर्द होना आदि चर्मरोगों के लक्षणों में रोगी को क्रोटन टिगलियम औषधि का प्रयोग कराने से लाभ होता है।
9. गुप्त रोग के उपचार में क्रोटन टिग का उपयोग
गुप्त रोग से सम्बंधित लक्षण: स्त्री और पुरुष दोनों की ही जनेन्द्रियों पर बहुत तेज खुजली होना, अंडकोषों के ऊपर के भाग में बहुत ही नाजुक फफोले उठना, जो खुजलाने की इच्छा होते हुए भी खुजलाए नहीं जा सकते आदि लक्षणों के आधार पर रोगी को क्रोटन टिगलियम औषधि देने से लाभ होता है।
10. छाती से सम्बंधित वीमारी के उपचार में क्रोटन टिग का उपयोग
छाती के बाएं हिस्से से कमर तक खिंचाव के साथ दर्द होना, छाती का फुला नहीं पाना, बच्चों को दूध पिलाने वाली स्त्रियों को बच्चे को दूध पिलाते समय स्तन के पीछे पीठ तक दर्द होना, स्तनों में जलन होना, लेटते ही खांसी शुरू हो जाना, गहरी सांस लेने में परेशानी होना आदि लक्षणों में रोगी को क्रोटन टिगलियम औषधि देने से लाभ मिलता है।
क्रोटन टिगलियम का सेवन कैसे किया जाता है ?
क्रोटन टिगलियम एक होम्योपैथिक दवा है, जिसके गलत या ज्यादा सेवन करने से आपको दस्त लग सकते है, इसीलिए इसका सेवन सीमित मात्रा में और चिकित्सक की सलाह से ही करना चाहिए, वैसे तो सभी चिकित्सक क्रोटन टिगलियम को आधे कप पानी में 5 बूँद मिलाकर दिन में 3 बार पीने के लिए कहते है।
क्रोटन टिग्लियम के दुष्प्रभाव
- ऐसे कोई दुष्प्रभाव नहीं हैं। लेकिन दिए गए नियमों का पालन करते हुए हर दवा लेनी चाहिए।
- यदि आप किसी अन्य चिकित्सा पद्धति जैसे एलोपैथी दवाओं, आयुर्वेदिक आदि पर हैं तो भी दवा लेना सुरक्षित है।
- होम्योपैथिक दवाएं कभी भी अन्य दवाओं की कार्रवाई में हस्तक्षेप नहीं करती हैं।
Croton tiglium लेते समय सावधानियां
- दवा लेने पर भोजन से पहले या बाद में हमेशा 15 मिनट का अंतर रखें।
- यदि गर्भवती या स्तनपान कर रही है, तो उपयोग करने से पहले एक होम्योपैथिक चिकित्सक से पूछें।
- दवा खाने के दौरान तंबाकू या शराब पीने से बचें।
SBL Croton Tiglium Dilution 200 CH के बारे में जानकारी
क्रोटन टिग्लियम संयंत्र से अर्कप्रमुख लाभ:
- माथे में दर्द को कम करने में मदद करता है
- त्वचा के दर्द को कम करने में मदद करता है
- Rhus की विषाक्तता के लिए एक प्रभावी मारक है
- मल को पारित करने के लिए निरंतर आग्रह को कम करता है
- छाती के दर्द को कम करने में मदद करता है
- घुटकी में जलन को राहत देता है
- खुजली के साथ चेहरे और जननांगों पर पुष्ठीय विस्फोट को ठीक करने में मदद करता है
इस्तेमाल केलिए निर्देश
खुराक को चिकित्सक द्वारा निर्देशित किया जाना चाहिए। पेय, भोजन या किसी अन्य दवा के बीच 30 मिनट का अंतर रखें। खुराक लेने से पहले मुंह में मजबूत गंध।
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